
बदलती दिनचर्या और तनाव थायरॉइड की समस्या का सबसे बड़ा कारण है. थायरॉइड के रोगियों में लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं हैं. यह शरीर के साथ ही आपके दिमाग को भी प्रभावित करता है. थायरॉइड की वजह से हर साल न जाने कितने मरीजों की मौत भी हो जाती है. इसकी वजह से थकान होना, रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना, जुकाम, त्वचा का रूखापन, अवसाद, वजन बढ़ना और हाथ-पैर ठंडे रहने जैसी समस्याएं होती हैं.
आइए हम आपको थायरॉइड हॉर्मोन से जुड़ी कुछ बातें बताते हैं.
1. थायरॉइड एक तितली के आकार की ग्रंथि है, जो गर्दन के निचले हिस्से में पाई जाती है. इस ग्रंथि का काम थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाकर उसे रक्त तक पहुंचाना है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहता है.
2. थायरॉयड ग्रंथि में टी3 और टी4 दो प्रकार के हॉर्मोन बनते हैं और इन्हीं हार्मोन्स के असंतुलित होने की वजह से थायरॉइड होता है.
3. थायरॉइड हॉर्मोन की मात्रा कम होने के कारण शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और आलस आने लगता है, लेकिन मात्रा अगर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो शरीर ज्यादा सक्रिय हो जाता है.
4. थायरॉइड ग्रंथि का नियंत्रण पिट्यूटरी ग्रंथि से होता है और इस पिट्यूटरी ग्रंथि को हाइपोथेलमस नियंत्रित करता है.

थायरॉइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है.
5. कुछ लोगों की थायरॉइड ग्रंथि में कोई रोग नहीं होता है, लेकिन पिट्यूटरी ग्रंथि के ठीक तरह से काम न करने की वजह से थायरॉइड ग्रंथि में बनने वाले हॉर्मोन्स प्रभावित होते हैं और थायरॉइड की बीमारी घेर लेती है.
6. हाइपोथायरॉइड में टीएसएच का स्तर बढ़ जाता है और टी3 व टी4 की मात्रा कम होने लगती है.
7. हाइपरथायरॉइड में टीएसएच का स्तर घटता है और टी3 व टी4 की मात्रा बढ़ने लगती है.

थायरॉइड की वजह से वजन अचानक घटने या बढ़ने लगते है.
8. थायरॉइड ग्रंथि में बनने वाले थायरॉक्सिन हार्मोन की मात्रा अधिक होने की वजह से शरीर का तापमान बढ़ जाता है और अचानक बेचैनी, घबराहट और शरीर का वजन तेजी से घटना जैसी समस्या होने लगती है.
9. थायरॉइड हार्मोन के असंतुलित होने की वजह से बच्चे के शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के विकास में बाधा उत्पन्न हो जाती है.
10. थायरॉइड जेनेटिक भी होता है. रक्त संबंधों में किसी को थायरॉइड हो तो यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है.
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