Tuesday, February 28, 2017

इन आसान उपायो के प्रयोग से मात्र 15 दिनों में थाइराइड जैसी बीमारी से मिलेगी राहत !

गौरतलब है, कि मात्र तितली के आकार की थॉयराइड ग्रंथि गले में पाई जाती है. यह ऊर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है और इसलिए यह मास्टर लीवर है. बरहलाल थॉयराइड ग्रंथि की समस्या से ग्रस्त लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वैसे आपको बता दे कि खान पान में अनियमिता के कारण यह समस्या होती है. थायराइड ग्रंथि एक तरह से मास्टर लीवर है जो ऐसे जीन्स का स्राव करती है जिससे कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से करती हैं.

इस ग्रंथि के सही तरीके से काम न कर पाने के कारण कई तरह की समस्याएं भी पैदा होती हैं. गौरतलब है, कि अखरोट इस बीमारी के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऐसे में इस लेख के जरिए हम आपको थॉयराइड फंक्शन और इसके उपचार के लिए अखरोट के सेवन के बारे में बताने जा रहे है.

क्या है थायराइड की समस्या.. थायराइड को साइलेंट किलर भी माना जाता है, क्योंकि इस बीमारी के लक्षण व्यक्ति को धीरे धीरे पता चलते हैं और जब तक इस बीमारी का निदान होता है, तब तक देर हो चुकी होती है. आपको बता दे कि इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है, लेकिन ज्यादातर चिकित्सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते, जिससे ऑटो इम्युनिटी दिखाई देती है.

थायराइड की समस्या दो प्रकार की होती है. एक तो हाइपोथॉयराइडिज्म और दूसरी हाइपरथॉयराइडिज्म होती है. चलिए आपको इनके बारे में विस्तार से बताते है.

जब थॉयराइड ग्रंन्थि से अधिक हॉर्मोन बनने लगे तो हाइपरथॉयरॉइडिज्म और जब कम हार्मोन बनने लगे तो ये हाइपोथायरॉइडिज्म होता है. इसके इलावा थॉयराइड की समस्या होने पर थकान, आलस, कब्ज का होना, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक ठंड लगना, भूलने की समस्या, वजन कम होना, तनाव और अवसाद जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. थाइरॉइड हमारे शरीर की कार्यपद्धति मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके इलावा शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

दरअसल इन मेटाबालिज्म क्रियाओं से ये निर्धारित होता है कि शरीर में बनी ऊर्जा को कब स्टोर किया जाए और कब, कितना यूज किया जाए. इसलिए शरीर में उपस्थित थाइरॉइड ग्लैंड में किसी भी तरह की अनियमितता होने पर पूरे शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है. इस ग्र्रंथि में अनियमितता होने पर सामान्यत हाइपोथाइरॉइडिज्म, हाइपरथाइरॉइडिज्म, गठान होना या कैंसर होने जैसी समस्याएं होती है. ऐसे में अगर आपके साथ भी थाइरॉइड की ग्रंथि की अनियमितता से जुड़ी कोई समस्या हो तो इन प्राकृतिक उपायों को जरूर अपनाएं.

थायराइड में अनियमितता के लक्षण..

हार्मोनल बदलाव.. महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है. वैसे आपको बता दे कि हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते ही हैं. इसके इलावा थाइरॉइड की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है.

मोटापा.. हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से वजन बढ़ता है. इतना ही नहीं इससे शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है. तो वहीं हाइपरथाइरॉइड की स्थिति में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है.

थकान, अवसाद या घबराहट.. अगर अधिक मेहनत किए बिना ही आप थकान महसूस करते हैं या छोटी छोटी बातों पर आपको घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड हो सकती है.

मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द.. हाइपोथाइरॉडड यानि शरीर में टीएसएच अधिक और टी थ्री, टी फोर कम होने पर मांसपेशियों और जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है.

गर्दन में सूजन.. थाइरॉइड बढऩे पर गर्दन में सूजन की संभावना भी बढ़ जाती है. इसलिए यदि गर्दन में सूजन या भारीपन का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

बालों और त्वचा की समस्या.. इसके इलावा हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन, बालों का झडऩा, भौंहों के बालों का झडऩा जैसी समस्याएं होती हैं. जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से झडऩा और संवेदनशील त्वचा जैसे लक्षण दिखाई देते है.

पेट खराब होना.. गौरतलब है, कि लंबे समय तक कान्सटिपेशन की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है. जब कि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार बार होती है.

थायराइड से बचने के चमत्कारी घरेलू उपाय..

आँवला चूर्ण और शहद.. आपको लग रहा होगा कि आँवला, चूर्ण और शहद तो साधारण सी चीजे है, लेकिन आपको बता दे कि अभी तक थायराइड से ग्रसित जितने भी रोगी थे उनको यही उपाय बताया गया और उन्हें सौ प्रतिशत इसका परिणाम भी अच्छा मिला है. इसका असर 15 दिनों में ही आपको महसूस होने लगेगा. आप सुबह उठते ही खाली पेट एक चम्मच शहद और ध्यान रहे कि ऑर्गेनिक शहद कम से कम 10 ,15 ग्राम शहद मिक्स कर के ऊँगली से चाटे.

ये प्रक्रिया रात को खाना खाने के 2 घंटे बाद या सोते वक़्त भी दोहराएं. इसका परिणाम आपके सामने होगा. वैसे ये बेहद आसान उपाय तो है ही और साथ ही ये आपके लिए कारगर भी सिद्ध होगा. वैसे आप अपना अनुभव औषधि सेवन के कुछ दिन बाद हमसे जरूर शेयर करे.

अश्वगंधा.. शहद के इलावा अश्वगंधा भी चमत्कारी दवा के रूप में कार्य करता है. अश्वगंधा का सेवन करने से थायराइड की अनियमितता पर नियंत्रण होता है. साथ ही अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है और कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है.

समुद्री घास.. समुद्री घास भी थाइरॉइड ग्रंथि को नियमित बनाने के लिए एक रामबाण दवा की तरह काम करती है. समुद्री घास के सेवन से शरीर को मिनरल्स और आयोडीन मिलता है. इसलिए समुद्री घास का सेवन इस बीमारी में लाभदायक होता है. इसके इलावा इससे मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट भी स्किन को जवान बनाएं रखते हैं.

नींबूं की पत्तियां .. नींबू की पत्तियों का सेवन थाइरॉइड को नियमित करता हैं. दरअसल मुख्य रूप से इसका सेवन थाइरॉक्सिन के अत्याधिक मात्रा में बनने पर रोक लगाता है. साथ ही इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीना भी इस बीमारी में रामबाण औषधि का काम करती है.

ग्रीन ओट्स .. थाइरॉइड में ग्रीन ओट्स एक नेचुरल औषधि की तरह कार्य करते है. ये शरीर में हो रही थाइरॉक्सिन की अधिकता और उसके कारण हो रही समस्याओं को मिटाते है.

अखरोट.. गौरतलब है कि अखरोट में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्या के उपचार में फायदेमंद है. इसके इलावा आपको बता दे कि 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है. अखरोट के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. अखरोट से सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्म की स्थिति में मिलता है.

सेलेनियम.. थॉयराइड ग्रंथि में सेलीनियम उच्च सांद्रता में पाया जाता है. इसे थायराइड सुपर न्युट्रीएंट भी कहा जाता है. यह थॉयराइड से सम्बंधित अधिकांश एंजाइम्स का एक प्रमुख घटक द्रव्य है, जिसके सेवन से थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करने लगती है. यह ऐसा आवश्यक सूक्ष्म तत्व है जिस पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सहित प्रजनन आदि अनेक क्षमतायें भी निर्भर करती है.

मतलब अगर शरीर में इस तत्व की कमी हो गई तो रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. इसलिए खाने में पर्याप्त मात्रा में सेलेनियम के सेवन की सलाह दी जाती है. अखरोट के इलावा सेलेनियम बादाम में भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है!

नमक का सेवन बढ़ाना और व्यायाम करना.. थॉयराइड ग्रंथि की समस्या होने पर नमक का सेवन बढ़ा देना चाहिए. इसके इलावा स्वस्थ खानपान और नियमित रूप से व्यायाम को अपनी दिनचर्या में जरूर अपनाएं.

धनिये का प्रयोग.. थाइरॉइड के लिए हरे पत्ते वाले धनिये की ताजा चटनी बना कर एक बडा चम्मच एक गिलास पानी में घोल कर रोजाना पीए. इससे आप एक दम ठीक हो जाएंगे.

उज्जायी प्राणायाम.. इस उपाय में पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें. फिर अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें. अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि और कम्पन उत्पन्न होने लगे. इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें. प्राणायाम प्रात नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट करें.

एक्युप्रेशर चिकित्सा.. एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार थायरायड और पैराथायराइड के प्रतिबिम्ब केंद्र दोनों हांथो और पैरों के अंगूठे के बिलकुल नीचे और अंगूठे की जड़ के नीचे ऊँचे उठे हुए भाग में स्थित होते हैं. थायरायड के अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों पर घडी की सुई की दिशा में अर्थात बाएं से दायें तरफ प्रेशर दें तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं देना चाहिए.

इसके साथ ही पीयूष ग्रंथि के भी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देना चाहिए. प्रत्येक केंद्र पर एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार प्रेशर दें. पीयूष ग्रंथि के केंद्र पर पम्पिंग विधि से प्रेशर देना चाहिए. इससे आपका थायराइड बिलकुल सही हो जाएगा.

Friday, February 24, 2017

जूस पीने के आश्चर्यजनक फायदे

जानिए किस प्रोब्लम के लिए कौन-कौन सा जूस लाभदायक हैं


भूख लगाने के हेतुः प्रातःकाल खाली पेट नींबू का पानी पियें। खाने से पहले अदरक का कचूमर सैंधव नमक के साथ लें।
रक्तशुद्धिः नींबू, गाजर, गोभी, चुकन्दर, पालक, सेव, तुलसी, नीम और बेल के पत्तों का रस।
दमाः लहसुन, अदरक, तुलसी, चुकन्दर, गोभी, गाजर, मीठी द्राक्ष का रस, भाजी का सूप अथवा मूँग का सूप और बकरी का शुद्ध दूध लाभदायक है। घी, तेल, मक्खन वर्जित है।
उच्च रक्तचापः गाजर, अंगूर, मोसम्मी और ज्वारों का रस। मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है।
निम्न रक्तचापः मीठे फलों का रस लें, किन्तु खट्टे फलों का उपयोग न करें। अंगूर और मोसम्मी का रस अथवा दूध भी लाभदायक है।
पीलियाः अंगूर, सेव, रसभरी, मोसम्मी। अंगूर की अनुपलब्धि पर लाल मुनक्के तथा किसमिस का पानी। गन्ने को चूसकर उसका रस पियें। केले में 1.5 ग्राम चूना लगाकर कुछ समय रखकर फिर खायें।
मुहाँसों के दागः गाजर, तरबूज, प्याज, तुलसी और पालक का रस
संधिवातः लहसुन, अदरक, गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी, हरा धनिया, नारियल का पानी तथा सेव और गेहूँ के ज्वारे।
एसीडिटीः गाजर, पालक, ककड़ी, तुलसी का रस, फलों का रस अधिक लें। अंगूर मोसम्मी तथा दूध भी लाभदायक है।
कैंसरः गेहूँ के ज्वारे, गाजर और अंगूर का रस।
सुन्दर बनने के लिएः सुबह-दोपहर नारियल का पानी या बबूल का रस लें। नारियल के पानी से चेहरा साफ करें।
फोड़े-फुन्सियाँ- गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी और नारियल का रस।
कोलाइटिसः गाजर, पालक, पत्ता गोभी और पाइनेपल का रस। 70 प्रतिशत गाजर के रस के साथ अन्य रस समप्राण। चुकन्दर, नारियल, ककड़ी, पत्ता गोभी के रस का मिश्रण भी उपयोगी है।
अल्सरः अंगूर, गाजर, पत्ता गोभी का रस। केवल दुग्धाहार पर रहना आवश्यक है।
सर्दी-कफः मूली, अदरक, लहसुन, तुलसी, गाजर का रस, मूँग अथवा भाजी का सूप।
ब्रोन्काइटिसः पपीता, गाजर, अदरक, तुलसी, पाइनेपल का रस, मूँग का पानी लेवे |

टांसिल के घरेलू उपचार



गला जहाँ से शुरू होता है वहीं प्रवेश द्वार पर एक लोरी होती है माँस के छोटे, पतले व लंबे टुकड़े की भांति, इसे घाटी भी कहते हैं। इसमें जब सूजन आ जाता है तो इसे टांसिल या घाटी बढ़ना कहते हैं। देखने में छोटा यह लोरी जैसा माँस का टुकड़ा शरीर की सारी क्रियाओं को संतुलित करता है, जब इस लोरी में असंतुलन पैदा होता तो शरीर के पंचतत्‍वों में भी असंतुलन पैदा होने लगता है और इसकी वजह से कई प्रकार के रोग जन्‍म लेने लगते हैं। छोटे बच्‍चों में टांसिल्स या घाटी बढ़ जाने की वजह से वह कुछ पिलाने पर उल्‍टी कर देते हैं।

पहले गांवों में कुछ ऐसी वैद्य महिलाएं होती थीं जो राख से घाटी को दबाकर ठीक कर देती थीं। लेकिन अब कोई यह जोखिम नहीं लेता है और चिकित्‍सक की सलाह पर दवा करना ज़्यादा पसंद करता है। आइए टांसिल के बारे में सही जानकारी प्राप्त करते हैं।

Tonsils problem in a child

टांसिल्स के प्रकार

टांसिल्स दो तरह के होते हैं।

– पहले प्रकार में दोनों तरफ़ या एक तरफ़ के टांसिल में सूजन आता है और वह सुपारी की तरह मोटा हो जाता है। उसके बाद उपजिह्वा में भी सूजन होकर वह रक्‍त वर्ण की हो जाती है। धीरे-धीरे यह खाने-पीने की नली को भी संक्रमित कर देता है और कुछ भी खाने-पीने में दर्द होता है। यह दर्द कान तक फैल जाता है। इस अवस्‍था में 103 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बुखार चढ़ सकता है, जबड़े में दर्द हो सकता है तथा मुंह पूरा खुलता नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि समय पर उचित इलाज न मिला तो टांसिल पक कर फूट सकता है।

– दूसरे तरह के टांसिल क्रोनिक होते हैं। जिसे बार-बार टांसिल्स की बीमारी होती हैं, वह क्रोनिक हो जाती है। टांसिल का आकर बड़ा हो जाता है और सांस लेने व छोड़ने में तकलीफ़ होने लगती है।

टांसिल के मुख्‍य कारण

– चावल, मैदा, ठंडे पेय पदार्थ, खट्टी चीज़ों का ज़्यादा सेवन टांसिल्स का मुख्‍य कारण है।

– मौसम में अचानक परिवर्तन, गर्मी से अचानक ठंडे मौसम में आ जाना व सर्दी लगने से भी टांसिल्स हो सकते हैं।

टांसिल के लक्षण

टांसिल होने पर ठंड लगने के साथ बुखार चढ़ता है। कुछ भी खाने-पीने में तकलीफ़ होती है और उसका स्‍वाद नहीं मिलता है। गले में तेज़ दर्द होता है, यहाँ तक कि थूक निगलने में भी दिक्‍कत होती है ।

टांसिल के घरेलू उपचार

– टांसिल यदि हो गया है तो गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने से लाभ मिलता है, सूजन कम हो जाती है।

– दालचीनी या तुलसी की मंजरी का एक चुटकी चूर्ण, मधु में मिलाकर दिन में नियमित तीन बार सेवन करने से आराम मिलता है।

– एक चम्‍मच अजवायन एक गिलास पानी में उबाल लें और उसे ठंडा करके गरारा करने से लाभ होगा।

– हल्‍दी का चूर्ण दो चुटकी व काली मिर्च का चूर्ण आधी चुटकी लेकर एक चम्‍मच अदरक के रस में मिलाकर आग पर गर्म कर लें। रात को सोते समय मधु में मिलाकर इसका सेवन करें। नियमित दो-तीन दिन के प्रयोग से ही टांसिल का सूजन चला जाता है।

– पानी में सिंघाड़ा उबाल लें और उसी पानी से कुल्‍ला करें। लाभ मिलेगा।

सावधानी

टांसिल्स की समस्‍या है तो बिना नमक की उबली हुई सब्ज़ियों का प्रयोग करना चाहिए। मिर्च-मसाला, तेल, खट्टी व ठंडी चीज़ों के सेवन से परहेज़ करना चाहिए।

Wednesday, February 22, 2017

घर पर बनाए ब्लीच


केवल 2 रूपये में घर पर बनाए ब्लीच और पाए खूबसूरत चेहरा

इस दुनिया में खूबसूरत और चमकता चेहरा पाना तो हर किसी की ख्वाहिश होती है, लेकिन जब ऐसा नहीं हो पाता तो हमें बहुत दुख होता है. ऐसे में चेहरे को झटपट गोरा और ग्लोइंग बनाने के लिए हम लोग ब्लीच का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ब्लीच ही एक ऐसा चुनिंदा उपाय है, जिसे इस्तेमाल करने के बाद हाथों हाथ रिजल्ट दिखता है. इसलिए तो चेहरा चमकाने के लिए ब्लीच महिलाओं का पसंदीदा विकल्प है. वैसे भी अब सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी सलून या जेंट्स पॉर्लर जाकर ब्लीच करवाते है. मगर हर चीज के जहाँ फायदे हैं तो वही नुकसान भी हैं.

जी हां कई बार हम लोगों की शिकायत सुनते हैं कि ब्लीच से उनका फेस जल गया या लाल चकते पड़ गए. इसके इलावा कई लोगों को ब्लीच सूट भी नहीं होती. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बाजारों में मिलने वाली ब्लीच में कई तरह के कैमिकल्स मौजूद होते हैं. इसलिए आज हम आपको घर में नेचुरल ब्लीच बनाने का घरेलू नुस्खा बता रहे हैं. इसे बनाने में ना तो आपके ज्यादा पैसे खर्च होंगे और ना ही आपका ज्यादा समय व्यर्थ होगा.

वैसे तो बाजार में कई क्वॉलिटी की ब्लीच मिलती है. जिनमे से एक वो होती है, जो बहुत सस्ती होती है और चेहरे को नुकसान पहुंचा सकती है और दूसरी जो महंगी होती है उसे हर कोई खरीद नहीं पाता . इसलिए हम आपको घर में ही नेचुरल ब्लीच बनाना सिखा रहे हैं. गौरतलब है कि घर पर ब्लीच करने के लिए आपको जिन सामग्रियों की आवश्यकता होगी पहले हम उसके बारे में बताते हैं.

सबसे पहले आपको धूप में सूखे हुए संतरे के छिलकों का बारीक मिश्रण, नींबू और थोड़ी सी दही की जरूरत पड़ेगी. इन तीनों का मिश्रण ना सिर्फ आपके चेहरे को ग्लोइंग बनाएगा बल्कि इससे आपके चेहरे के दाग धब्बे भी दूर होंगे. अब ब्लीच बनाने के लिए आप 1 कंटेनर में एक चम्मच संतरे के छिलकों का चूर्ण रखें, लगभग 1 चम्मच दही रखें और आधा नींबू डालें. अब इस मिश्रण को अच्छी तरह मिक्स करें. इस मिश्रण को ऐसे मिलाएं कि इसमें कोई गांठ ना रहें.

अब आप अपने चेहरे को अच्छी तरह धोएं और इस पेस्ट को चेहरे पर नीचे से ऊपर की ओर लगाएं. अब इसे चेहरे पर अच्छी तरह सूखने दें. इसके बाद ठण्डे पानी से चेहरा धो लें. ये ब्लीच पूरी तरह से नेचुरल है और इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है. इसके इलावा आप इसे सप्ताह में 2 से 3 बार भी ट्राई कर सकते हैं. इस ब्लीच का चेहरे पर इस्तेमाल वाकई बहुत असरदार है.

Saturday, February 18, 2017

त्वचा और बालों की देखभाल के लिए कपूर

कपूर की अपनी अलग और अनूठी खुशबू ही इस रासायनिक योगिक की सम्पत्ति नहीं है। पूजा के लिए इसका खास उपयोग किया जाता है लेकिन पूजा ही नहीं सेहत के लिए भी होता है कपूर का उपयोग। वास्तव में यह अन्य सम्पत्तियों में से एक है, कपूर अपनी प्राकृतिक चिकित्सा गुणों के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है।  इसके अलावा, कपूर प्राचीन काल से, विभिन्न सौंदर्य से संबंधित मुद्दों का इलाज करने के लिए सबसे अच्छे उपचारों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है की क्यों कपूर आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।  यदि आप कपूर का इस्तेमाल सोंदर्य लाभ के लिए करना चाहते है तो इस लेख को नीचे तक पड़े।

कपूर सौंदर्य समस्याओं को दूर करने का काफी लम्बे समय से एक कारगर उपाय माना जाता रहा है। ऐसे कई आयुर्वेदिक उपचार हैं जिनमें कपूर का काफी इस्तेमाल किया जाता है। एक्ने (acne) और मुहांसे ठीक करने से लेकर त्वचा से एक्ने के दाग हटाने तक यह प्राकृतिक तत्व काफी चमत्कारी सिद्ध होता है। नीचे कपूर के कुछ फायदे बताये गए हैं जिनकी मदद से निश्चित रूप से आपको भी अपना सौंदर्य बढ़ाने में सहायता प्राप्त होगी।

कपूर के सौंदर्य लाभ (Beauty benefits of camphor – camphor ke labh)

कपूर के फायदे – मुहाँसे का इलाज (Treats pimples hai kapur ke fayde)

मुहाँसे और मुहाँसे के निशान एक बहुत बड़ी समस्या है, चाहे हम किसी भी उम्र या लिंग के क्यों ना हो हममें से अधिकांश लोगो को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। महत्वपूर्ण बात यह की हम मुहांसों के उपचार के बारे में देख रहे है। जैसा की पहले कहा गया है कि कपूर के अद्भुत चिकित्सा गुण मुहाँसे व मुहाँसे के निशान के लिए एक अच्छा उपाय है। कपूर के तेल को चेहरे पर लगाना एक अच्छा आयुर्वेदिक उपाय है।


कपूर के फायदे- खुजली और त्वचा की जलन (Itching and irritations of skin mai kapoor ke gun)

खुजली व जलन जैसी समस्याओ के लिए भी कपूर का इस्तेमाल किया जाता है। इस रासायनिक योगिक कपूर आपकी तंत्रिका को ख़त्म कर देता है जिससे आप ठंडा महसूस करते है कपूर आपको जलन व खुजली से ना केवल राहत दिलाता है बल्कि इसका उपचार करने में भी मदद करता है।

पूर के गुण – कटने व जलने के निशान को ठीक करने के लिए (Scars from cuts and burns can be cured with kapoor ke fayde)

जिद्दी दाग व मुहांसों के निशान को ठीक करने के अलावा कपूर का इस्तेमाल कटने व जले हुए निशान को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको थोड़ी मात्रा में कपूर को पानी में मिलाकर निशान पर लगाना है। इसे रोजाना इस्तेमाल करे आप निशान को जाते हुए देखेंगे। कपूर के उपाय , हो सकता है की इससे आपकी त्वचा में जलन और सुजन पैदा हो पर यह आम बात है। कपूर का इस्तेमाल दर्द के लिए भी किया जाता है।

कपूर के बेमिसाल फायदे – एड़ियों को सुन्दर बनाए (Keep your heels looking great)

कपूर का एक महत्वपूर्ण गुण यह है कि यह आपकी फटी और आसमान एड़ियों के उपचार में काफी कारगर साबित होता है। ठंड का मौसम अपने साथ काफी मात्रा में रूखेपन को भी ले आता है। लेकिन इस प्रभावी नुस्खे का प्रयोग करके आप फटी एड़ियों की समस्या को हमेशा के लिए अलविदा कह सकते हैं। पैरों की अच्छी देखभाल करने के लिए अपने पैरों को कपूर और पानी के मिश्रण में कुछ मिनटों तक डुबोकर रखें तथा इसके बाद अपने पैरों को स्क्रब (scrub) करके उन्हें धो लें। अपने पैरों को नमी युक्त तथा नरम बनाए रखने के लिए उनपर एक अच्छी कोल्ड क्रीम या पेट्रोलियम जेली (cold cream or petroleum jelly) लगाना ना भूलें।

कपूर के बेमिसाल फायदे – त्वचा पर लाल चकत्ते हो जाना (Skin rashes and redness)


एक और आम समस्या है त्वचा में जलन होना। अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रहे है तो इसका समाधान है कपूर को पानी में घोल कर जलन वाली जगह पर लगाना। कपूर के उपाय, इसे लगातार दो दिनों तक करे आप जलन को जाते हुए देखेगे। कपूर का इस्तेमाल फटी हुई एडियो को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है।

कपूर के गुण – मांसपेशियों के दर्द और कफ के लिए लाभदायक (Good for muscle pain and cough)

यह मांसपेशियों के दर्द और चिड़चिड़ेपन को दूर करने का काफी अच्छा उपाय है। कपूर में ठंडक देने वाले गुण होते हैं, जिनकी वजह से मांसपेशियों तथा शरीर के अन्य भागों को राहत मिलती है और खुजली तथा चिड़चिड़ापन दूर होता है। आप पीठ के या दांत के दर्द को भी कपूर की मदद से ठीक कर सकते हैं।

एंटी ऑक्सीडेंट गुण (Anti-oxidant properties – camphor ke gun)

इसमें एंटी ऑक्सीडेंट के गुण होते हैं तथा यह आपके शरीर से फ्री रेडिकल्स (free radicals) को कम करने में भी काफी प्रभावी सिद्ध होता है। ये ऐसे केमिकल (chemical) होते हैं जो आपके शरीर की शांति को नष्ट कर सकते हैं। ये शरीर के तंतुओं तथा कोशिकाओं (tissues and cells) को भी काफी हानि पहुंचाते हैं। कपूर शरीर से इन रेडिकल्स को दूर रखता है तथा आपके शरीर को मधुमेह, कैंसर (cancer) तथा दिल की बीमारियों से भी निजात दिलाने में सक्षम है।

एसेंशियल ऑयल्स कई बीमारियां दूर करने में सहायक (Essential oils help keeping away number of ailments)

कपूर से निकला एसेंशियल ऑइल कपूर का तेल कहलाता है और यह कपूर के पेड़ की डिस्टिल्ड भाप (distilled steam) से तैयार किया जाता है। यह तेल बिलकुल शुद्ध होता है और इसमें काफी मात्रा में जलनरोधी गुण होते हैं। यह एक आरामदायक औषधि भी है और आपकी नसों को काफी सुकून प्रदान करता है। यह कीड़े के काटने के या किसी भी अन्य संक्रमण को प्रभावी रूप से ठीक करने में सक्षम होता है। जिन लोगों को शरीर में अकड़न की शिकायत होती है, उनके लिए भी यह काफी फायदेमंद साबित होता है। यह एक डीकंजेस्टेन्ट (decongestant) का कार्य भी काफी कारगर तरीके से करता है।


कपूर के साथ बालों की देखभाल (Hair care with kapur ke gun in hindi)

त्वचा के लिए ही नहीं कपुर आपके बालो के लिए भी फायदेमंद है। कपूर के तेल का इस्तेमाल दुसरे आयुर्वेदिक तेल के साथ मिलाकर करे। कपूर का तेल आपके बालो को बढाएगा दिमाग को शांत व थकान को दूर करने में मदद करेगा। यह बालो की जड़ो को मजबूत करता है। आप अच्छे परिणाम के लिए इसमें अंडा या दही भी कपूर के तेल के साथ मिला सकते है।

यह कपूर के कुछ महत्वपूर्ण उपाय व सुझाव है जिनके प्रयोग से आप त्वचा व बालो के सोंदर्य को बढ़ा सकते है। कपूर में रासयनिक योगिक होता है तो ध्यान रहे की आपको इससे परेशानी ना हो। इसके इस्तेमाल से पहले चिकित्सक से सुझाव जरुर ले।

बालों की बढ़त और झड़ते बालों को रोकना (Hair growth and stopping of hair fall)

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बालों का झड़ना आज के दौर में काफी सामान्य समस्या बन चुकी है। लेकिन कपूर की मदद से आप इस समस्या का भी पूरी तैयारी के साथ सामना कर सकते हैं। जी हाँ। बालों की प्रभावी रूप से बढ़त करवाने के गुण के साथ ही कपूर बालों को झड़ने से रोकने में भी आपकी काफी मदद करता है। इसके लिए सिर्फ अपने सिर की त्वचा और बालों को कपूर के तेल की मदद से रोज़ाना अच्छे से मसाज (massage) करें।

तो ये सारे उपरोक्त कपूर के सबसे प्रभावी गुण हैं। लेकिन इस गुणकारी तत्व का प्रयोग अपनी त्वचा पर करने से पहले इस बात को सुनिश्चित करें कि आपको कपूर से किसी प्रकार की कोई एलर्जी (allergy) नहीं है। आपके लिए यही सही रहेगा कि कपूर का किसी भी रूप में इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टरों से सलाह मशविरा कर लें। क्योंकि कपूर एक केमिकल (chemical) तत्व है, अतः यह आपको सूट (suit) नहीं भी कर सकता है और आपकी त्वचा को और भी अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि क्षतिग्रस्त त्वचा पर कपूर का इस्तेमाल ना करें। यह आपके शरीर में प्रवेश करके अंदर ज़हरीला प्रभाव भी छोड़ सकती है।

सुबह सुबह गर्म पानी पीने के इतने फायदे जानकर, हैरान रह जायेगे आप


सुबह खाली पेट पानी पीने के अनेको फायदे हैं। अगर आप अपनी बीमारियों को काबू में करना चाहते हैं तो रोज सुबह उठ कर ढेर सारा गुनगुना पियें। खाली पेट पानी गुनगुना पीने से पेट की सारी गंदगी दूर हो जाती है और खून शुद्ध होता है जिससे आपका शरीर बीमारियों से दूर रहता है।


हमारा शरीर 70% पानी से ही बना हुआ है इसलिये पानी हमारे शरीर को ठीक से चलाने के लिये कुछ हद तक जिम्‍मेदार भी है।

क्या आप जानते हैं कि सुबह खाली पेट पानी पीने का चलन कहां से शुरु हुआ? यह चलन जापान के लोगों ने शुरु किया था। वहां के लोग सुबह होते ही, बिना ब्रश किये 4 गिलास पानी पी जाते हैं। इसके बाद वे आधा घंटे तक कुछ भी नहीं खाते।

1.थकान दूर करने में सहायक.. अगर आपको हमेशा थकान महसूस होती है, तो सुबह की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से ही करें.इससे आप दिन भर तरोताज़ा महसूस करेंगे. इसके इलावा गर्म पानी पीने से बॉडी के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और बॉडी के फ्कंशन्स भी हैल्दी होते हैं.

2.सर्दी जुकाम से राहत दिलाने में सहायक.. यदि बेमौसम ही आपको छाती में जकड़न और जुकाम की शिकायत रहे तो ऐसे में सुबह सुबह गुनगुना पानी पीना आपके लिए किसी रामबाण दवा से कम नहीं. गौरतलब है, कि गर्म पानी पीने से गला भी ठीक रहता है. इससे गले की नसे खुलती हैं और ख़राश आदि में भी आराम मिलता है.

3. कब्ज दूर करने में सहायक..  सुबह सुबह एक गिलास गुनगुना पानी, कब्ज़ को जड़ से खत्म कर देता है. इससे पेट साफ होता है और डाइजेशन सुधरता है. खाली पेट, गर्म पानी का सेवन करने से शरीर के टोक्सिन बाहर निकल जाते हैं.


4.वजन घटाने में मददगार..  यदि आपका वज़न लगातार बढ़ रहा है और लाख कोशिशों के बावजूद भी कुछ फर्क नहीं पड़ रहा तो यह उपाय आपके लिए बिलकुल सही है. ऐसे में गुनगुने पानी में शहद और नींबू मिलाकर लगातार तीन महीने तक पीए, इससे आपको फर्क ज़रूर महसूस होगा. इससे वज़न घटता है और प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब हम गुनगुना पानी पीते हैं, तो हमारे शरीर का तापमान सामान्य से कुछ अधिक हो जाता है. ऐसा करने से मेटाबोल्जिम की दर बढ़ जाती है और साथ ही यह एक ज़ीरो केलोरी की ड्रिंक की तरह भी काम करता है. यह आपकी भूख को कम करता है और वज़न को कण्ट्रोल करता है.

5.स्किन को हेल्थी रखने में सहायक..  यदि आप भी स्किन प्रॉब्लम्स से परेशान हैं और ग्लोइंग स्किन के लिए तरह तरह के कॉस्मेटिक्स उपयोग करके थक चुके हैं, तो आप रोजाना एक गिलास गर्म पानी पीना शुरू कर दें. इससे आपकी स्किन प्रॉब्लम फ्री हो जाएगी और चमकने लगेगी. इसके इलावा अगर स्किन पर रैशेज़ पड़ जाये या त्वचा सिकुड़ जाये तो रोज़ सुबह गुनगुना पानी पीएं. वो इसलिए क्योंकि गर्म पानी पीने से पिंपल्स और ब्लैक हैड्स की समस्या दूर होती है. इससे आपकी त्वचा के रोमछिद्र खुल जाएंगे और त्वचा खुलकर सांस ले सकेगी.

6.आंतरिक अंगों के लिए लाभकारी..  इसके इलावा गर्म पानी का सेवन आपके शरीर के आन्तरिक अंगो के लिए भी लाभदायक होता है. इससे आपके शरीर की त्वचा की कोमलता बढ़ती है. साथ ही गुनगुना पानी पीने से शरीर के अंदरूनी अंगो में विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की दर भी बढ़ जाती है. इससे आपका शरीर पहले के मुक़ाबले कईं अधिक योग्यता से काम करने लगता है.


7.बालों के लिए फायदेमंद..  गर्म पानी का सेवन बालों और त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इससे बाल चमकदार बनते हैं और यह उनकी ग्रोथ के लिए भी बहुत फायदेमंद है. दरअसल सिर की त्वचा सूखने पर बालों को सही पोषण नहीं मिल पाता. इसलिए यह आवश्यक है, कि सुबह उठकर गुनगुने पानी का सेवन किया जाये.

8.ब्लड सर्कुलेशन को सही रखने में सहायक..  शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए खून का संचार पूरी बॉडी में सही तरह से होना बहुत जरूरी है. इसलिए गर्म पानी पीना बहुत फायदेमंद रहता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गु्र्दों के लिए ठंडा पानी हानिकारक हो सकता है. तो वही गुनगुना पानी पीने से गुर्दे ठीक रहते है. इसके साथ ही गुनगुना पानी शरीर में जमी हुई गंदगी को भी बाहर निकाल देता है. इसलिए आप भी गुनगुना पानी जरूर पीए और अपने शरीर को स्वस्थ बनाये।

निम्नलिखित दिक्कतें या स्थिति में भी पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।

 
- बुखार होने पर।
- ज़्यादा वर्कआउट करने पर।
- अगर आप गर्म वातावरण में हैं।
- प्यास लगे या न लगे, बीच-बीच में  पानी पीते रहें। इससे        शरीर में पानी की कमी नहीं रहेगी।
- बाल झड़ने पर।
- टेंशन के दौरान।
- पथरी होने पर। 
- स्किन पर पिंपल्स होने पर।
- स्किन पर फंगस, खुजली होने पर।
- यूरिन इन्फेक्शन होने पर।
- पानी की कमी होने पर।
- हैजा जैसी बीमारी के दौरान।
 
आयुर्वेद के अनुसार:
 
आयुर्वेद के अनुसार हल्का गर्म पानी पीने से पित्त और कफ दोष नहीं होता और डायजेस्टिव सिस्टम सही रहता है। 10 मिनट पानी को उबालें और रख लें। प्यास लगने पर धीरे-धीरे पीते रहें। ऐसा करने से यह पता चलता है कि आप दिन में कितना पानी पीते हैं और कितने समय में पीते हैं। आप पानी उबालते समय उसमें अदरक का एक टुकड़ा भी डाल सकते हैं। इससे फायदा होगा।
उबालने के बाद ठंडा हुआ पानी कफ और पित्त को नहीं बढ़ाता, लेकिन एक दिन या उससे ज़्यादा हो जाने पर वही पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि बासी हो जाने पर पानी में कुछ ऐसे जीवाणु विकसित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। बासी पानी वात, कफ और पित्त को बढ़ाता है।