Monday, March 27, 2017

नवरात्रि मे क्या खाएं क्या ना खाएं ?


नवरात्रि मे क्या खाएं क्या ना खाएं ? चैत्र और अश्विन माह के चंद्र पक्ष में नौ दिन नवरात्रि के नाम से विख्यात है। नवरात्रि हिन्दुओ के विशेष पर्वों में से एक है जिसे पुरे भारत वर्ष में धूम धाम से मनाया जाता है। इन दिनों में लोग माँ भगवती की पूजा करते है और उनके प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते है। हिंदी धर्म में नवरात्रि को सबसे पवित्र पर्व माना जाता है इस दौरान किये जाने वाले हर कार्य को शुभ माना जाता है।

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है जिसे गणेश जी का स्वरुप माना जाता है। इसके बाद लगातार 8 या 9 दिनों तक (अपनी श्रद्धानुसार) माँ भगवती की पूजा अर्चना की जाती है और उपवास रखा जाता है। कुछ लोग केवल प्रतिपदा और अष्टमी का व्रत रखते है वही दूसरी ओर कुछ लोग पूर्ण नवरात्रि उपवास करते है। हिन्दू धर्म में उपवास का विशेष महत्व है। माना जाता है जिस इच्छापूर्ति के लिए माँ का उपवास रखा जाता है वो अवश्य पूरी होती है।

भारत के सभी राज्यो में अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार उपवास किया जाता है। जहाँ एक ओर दिल्ली निवासी सिंघाड़े के आटे की पूड़ी से अपना व्रत सम्पूर्ण करते है वही दूसरी ओर बिहार के लोग फलहार पर उपवास रखते है। आज हम आपको नवरात्र में क्या खाएं क्या न खाएं ? इसके बारे में बातएंगे।

नवरात्रि में क्या खाएं ?

नवरात्रि के सामान्य दिनों में आप किसी भी प्रकार के भोजन का सेवन कर सकते है। लेकिन उपवास के दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थो का सेवन उचित होता है। पुराणों के अनुसार

उपवास के दिन व्यक्ति को फलाहार करना चाहिए अर्थात आप फलो का सेवन कर सकते है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की आप हर दूसरे मिनट कुछ खा रहे है। उपवास के वाले दिन भूख रहना भी किसी पुराण में नहीं लिखा है। खाये लेकिन केवल 1 से 2 बार।आप दूध, दही आदि का भी सेवन कर सकते है।फलो के जूस का सेवन भी किया जा सकता है।सूखे मेवे भी खा सकते है।दिन में एक से दो बार चाय का सेवन कर सकते है।रात्रि को पूजा आदि के पश्चात् भोजन किया जाता है।

Kya kha sakte hai Navratri vrat me :- 

बहुत से लोग कुटु या सिंघाड़े के आटे की पकोड़ियों के साथ सब्जी आदि से पाना उपवास खोलते है। नवरात्रि के दौरान यहाँ भोजन में साधारण नमक के स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है। सेंधा नमक को व्रत के नमक के नाम से जाना जाता है। आप चाहे तो दही, साबुत दाने की खीर, और सामक के चावल का भी सेवन कर सकते है। लेकिन इस तरह के भोजन का सेवन केवल एक बार अर्थात रात्रि को ही किया जाता है।कुछ लोग उपवास में नमक से परहेज करते है इसलिए वे नवरात्रि व्रत में भी नमक का सेवन नहीं करते। यहाँ के लोग फल, दूध, दही और पनीर आदि के सेवन से अपने व्रत को सम्पूर्ण करते है। नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग कुटु के आटे आदि की पूरी का सेवन भी नहीं करते। वे पूरे नौ दिन फलहार पर रहते है और केवल फलो का ही सेवन करते है। इस दौरान वे अन्न के सेवन से परहेज करते है।कुछ लोग नवरात्रि के दौरान दिन में आलू से बानी पकौडी और चीले भी खाते है। जबकि कुछ लोग पुरे दिन में केवल एक बार भोजन ग्रहण करते है। हर परिवार अपनी-अपनी परंपरा अनुसार व्रत रखते है और उसे सम्पूर्ण करते है। इसके अलावा कुछ लोग मीठे पकवान जैसे घीये और मूंगफली की बर्फी का भी सेवन करते है।

नवरात्रि में क्या न खाएं ?

नवरात्र माँ दुर्गा का त्यौहार है और भगवन से जुड़े किसी भी कार्य में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है इसीलिए नवरात्रि के दौरान कुछ खाद्य पदार्थो से परहेज करना चाहिए। इन खाद्य पदार्थो की सूचि नीचे दी गयी है।

हिन्दू धर्म के अधिकतर लोग नवरात्रि के दौरान लहसुन का सेवन नहीं करते।इस दौरान अपने खाने में प्याज को भी सम्मिलित नहीं किया जाता।कई लोग इस दौरान मांसाहारी भोजन से परहेज करते है।ऐसे भी कई लोग है जो नवरात्रि के दौरान शराब आदि का सेवन भी नहीं करते।इसके अलावा कुछ लोग व्रत के दौरान नमक का सेवन भी नहीं करते। जबकि कुछ लोग एक बार सेंधा नमक से निर्मित भोजन का सेवन करते है ।

नवरात्रि के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें :-

कुछ लोगो की मान्यता है की इस दौरान shave और बाल नहीं कटवाने चाहिए। लेकिन नवरात्रि में बच्चो का मुंडन करवाना शुभ माना जाता है।कई लोग पुरे नौ दिन नाख़ून भी नहीं काटते।कहा जाता है की यदि आप नवरात्रि में कलश स्थापना, माता की चौकी का आयोजन कर रहे हैं या अखंड ज्योति‍ जला रहे हैं तो इस दौरान घर को खाली छोड़कर कही नहीं जाना चाहिए।मान्यता है की नौ दिनों का व्रत करने वाले श्रद्धालु को काले रंग के कपडे नहीं पहनने चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के दौरान दिन में सोने, तम्बाकू चबाने और शारीरिक संबंध बनाने से भी व्रत का फल नहीं मिलता है।

ऊपर बताई गयी सभी बाते लोगो की मान्यताओ पर आधारित है। हम ये नहीं कह रहे की आप इन्ही नियमो का पालन करें। जो आपकी परंपरा है और जिन नियमो का आपके परिवार में पालन किया जाता है उन्ही के अनुसार अपना व्रत करें और माँ भगवती का आशीष प्राप्त करें।

Thursday, March 16, 2017

छाछ के फायदे, छाछ व मट्ठा के आयुर्वेदिक गुण, छाछ व मट्ठा के औषधीय गुण, छाछ व मट्ठा के गुण, छाछ व मट्ठा के घरेलू नुस्खे, छाछ व मट्ठा के फायदे, छाछ व मट्ठा के लाभ, छाछ व मट्ठा क्यों पीना चाहिये?, मट्ठा के उपयोग

छाछ (मट्ठे) के आयुर्वेदिक और औषधीय गुणछाछ अपने गरम गुणों, कसैली, मधुर और पचने में हलकी होने के कारण कफ़नाशक और वातनाशक होती है, पचने के बाद इसका विपाक मधुर होने से पित्तक्रोप नही करती

जो भोरहि माठा पियत है, जीरा नमक मिलाय !
बल बुद्धि तीसे बढत है, सबै रोग जरि जाय !!

मट्ठा को पीने से सिर के बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। भोजन के अन्त में छाछ, रात के मध्य दूध और रात के अन्त में पानी पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।छाछ या मट्ठा शरीर में उपस्थित विजातीय तत्वों को बाहर निकालकर नया जीवन प्रदान करता है। यह शरीर में प्रतिरोधात्मक (रोगों से लड़ने की शक्ति) शक्ति पैदा करता है। मट्ठा में घी नहीं होना चाहिए। गाय के दूध से बनी मट्ठा सर्वोत्तम होती है। मट्ठा का सेवन करने से जो रोग नष्ट होते हैं। वे जीवन में फिर दुबारा कभी नहीं होते हैं। छाछ खट्टी नहीं होनी चाहिए। पेट के रोगों में छाछ को दिन में कई बार पीना चाहिए। गर्मी में मट्ठा पीने से शरीर तरोताजा रहता है। रोजाना नाश्ते और भोजन के बाद मट्ठा पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। मट्ठा को पीने से सिर के बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। भोजन के अन्त में मट्ठा, रात के मध्य दूध और रात के अन्त में पानी पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

दही को मथकर छाछ को बनाया जाता है। छाछ गरीबों की सस्ती औषधि है। मट्ठा गरीबों के अनेक शारीरिक दोषों को दूरकर उनकी तन्दुरुस्ती बढ़ाने में तथा आहार के रूप में महत्वपूर्ण है।

कई लोगों को छाछ नहीं पचती है। उनके लिए मट्ठा बहुत ही गुणकारी होती है। ताजा मट्ठा बहुत ही लाभकारी होती है। छाछ की कढ़ी स्वादिष्ट होती है और वह पाचक भी होती है। उत्तर भारत में तथा पंजाब में छाछ में चीनी मिलाकर उसकी लस्सी बनाकर उपयोग करते हैं। लस्सी में बर्फ का ठण्डा पानी डाला जाए तो यह बहुत ही लाभकारी हो जाती है। लस्सी जलन, प्यास और गर्मी को दूर करती है। लस्सी गर्मी के मौसम में शर्बत का काम करती है। छाछ में खटाई होने से यह भूख को बढ़ाती है। भोजन में रुचि पैदा करती है और भोजन का पाचन करती है जिन्हें भूख न लगती हो या भोजन न पचता हो, खट्टी-खट्टी डकारें आती हो और पेट फूलने से छाती में घबराहट होती हो तो उनके लिए छाछ का सेवन अमृत के समान लाभकारी होता है। इसके लिए सभी आहारों का सेवन बंद करके 6 किलो दूध की छाछ बनाकर सेवन करने से शारीरिक शक्ति बनी रहती है। केवल छाछ बनाकर सेवन करने से मलशुद्धि होती है तथा शरीर फूल सा हल्का हो जाता है। शरीर में स्फूर्ति आती है उत्साह उत्पन्न होता है तथा जठराग्नि और आंतों को ताजगी तथा आराम मिलता है। मट्ठा जठराग्नि को प्रदीप्त कर पाचन तन्त्र को सुचारू बनाती है। छाछ गैस को दूर करती है। अत: मल विकारों और पेट की गैस में छाछ का सेवन लाभकारी होता है।

खाना न पचने की शिकायत– जिन लोगों को खाना ठीक से न पचने की शिकायत होती है। उन्हें रोजाना मट्ठा में भुने जीरे का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर धीरे-धीरे पीना चाहिए। इससे पाचक अग्रि तेज हो जाएगी।

दस्त– गर्मी के कारण अगर दस्त हो रही हो तो बरगद की जटा को पीसकर और छानकर छाछ में मिलाकर पीएं।

एसीडिटी– मट्ठा में मिश्री, काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर रोजाना पीने से एसीडिटी जड़ से साफ हो जाती है।

कब्ज- अगर कब्ज की शिकायत बनी रहती हो तो अजवाइन मिलाकर मट्ठा पीएं। पेट की सफाई के लिए गर्मियों में पुदीना मिलाकर लस्सी बनाकर पीएं।

मट्ठा पित्तनाशक होती है यह रोगी को ठण्डक और पोषण देती है। शरीर में प्रवेश करने के बाद छाछ महास्रोत (जठर, ग्रहणी और आंतों) पर जो प्रभाव करती है। उसमें पाचन तन्त्र में सुधार होता है तथा शरीर के आन्तरिक जहर नष्ट हो जाते हैं। छाछ दिल को शक्तिशाली बनाती है और खून को शुद्ध करती है। विशेषत: संग्रहणी (दस्त) रोग की क्रिया अधिक व्यवस्थित होती है। उससे महास्रोत के विभिन्न रोग जैसे- संग्रहणी रोग (दस्त), अर्श (बवासीर), अजीर्ण (भूख न लगना), उदर रोग (पेट के रोग), अरुचि (भोजन करने का मन न करना), शूल अतिसार (दस्तों का दर्द), पाखाना या पेशाब बंद होना, तृषा (प्यास), वायु गुल्म (पेट में गैस का गोला), उल्टी, तथा यकृत-प्लीहा (जिगर तथा तिल्ली) के रोगों में छाछ पीना लाभकारी है। छाछ शीतलता प्रदान करने वाली, कषैला, मधुर रस उत्तेजित पित्त दोष को शान्तकर शरीर को मूल प्राकृतिक स्थिति में ले आता है। इसलिए पीलिया और पेचिश में भी छाछ का सेवन उपयोगी होता है। छाछ मोटापे को कम करती है। छाछ का सेवन करने वाले वृद्धावस्था (बुढ़ापे) से दूर रहते हैं। छाछ शरीर की चमक को बढ़ाती है। इससे चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती हैं। यदि पहले से होती हैं तो वे नष्ट हो जाती हैं। छाछ आंतों के रोगों में उपयोगी होती है। यह आंतों को संकुचित कर उन्हें क्रियाशील बनाती है और पुराने जमे हुए मल को बाहर निकालती है। छाछ के मलशोधन गुण के कारण मलोत्पत्ति तथा मलनिष्कासन सरल बनता है। इसलिए पुराने मल के इकट्ठा होने से उत्पन्न टायफाइड (मियादी बुखार) की बीमारी में छाछ सेवन के लिए दी जाती है। मट्ठा का सबसे अधिक महत्वपूर्ण गुण है आमजदोष को दूर करना। हम लोग जिस भोजन का सेवन करते हैं। उस भोजन में से पोषण के लिए उपयोगी रस अलग होकर बिना पचे पड़ा रहता है। उसे आम कहते हैं। आम अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न करता है। इन आमज दोषों को दूर करने में मट्ठा बहुत उपयोगी होता है। आमज की चिकनाहट को तोड़ने के लिए खटाई की आवश्यकता पड़ती है। यह खटाईपन छाछ में उपलब्ध होती है। मट्ठा इस चिकनाहट को धीरे-धीरे आंतों से अलगकर उसे पकाकर शरीर से बाहर निकाल देती है। इसीलिए पेचिश में इन्द्रजौ के चूर्ण के साथ तथा बवासीर में हरड़ के साथ छाछ का सेवन करने से लाभ मिलता है।

तक्रकल्प :

गाय का दूध जमाकर हल्की खट्टी दही में 3 गुना पानी मिलाकर मथकर मक्खन निकालकर उसकी छाछ तैयार कर लें। इसे सुबह-शाम भोजन के बाद 1 गिलास से लेकर अनुकूलता के अनुसार अधिक से अधिक मात्रा में निरन्तर 5-7 दिनों तक सेवन करें। प्यास लगने पर पानी के स्थान पर छाछ पियें। भोजन में चावल, खिचड़ी, उबली हुई तरकारी, मूंग की दाल तथा रोटी का सेवन करें और मट्ठा की मात्रा बढ़ाते जाएं तथा अनाज की मात्रा घटाते जाएं।

पाचन शक्ति की दुबर्लता, (भोजन पचाने की शक्ति कमजोर होना) जठराग्नि की मन्दता, संग्रहणी (पेचिश) आदि रोगों में इस तक्र कल्प का प्रयोग करने से नवजीवन प्राप्त होता है। अग्नि प्रबल होने पर रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है जिस रोग को लक्ष्यकर तक्रकल्प करना हो तो वह यदि वात जन्य हो तो छाछ में सेंधानमक और सोंठ डाले। पित्तजन्य हो तो उसमें थोड़ी सी इलायची व शक्कर डालें। कफजन्य हो तो उसमें त्रिकुटा का चूर्ण मिलाएं।

वैज्ञानिक मतानुसार : मट्ठा में विटामिन `सी` होता है। अत: इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा त्वचा की आरोग्यता और सुन्दरता बरकरार रहती है। मट्ठा में लैक्टिड एसिड होने से वह पाचन तन्त्र के रोगों में लाभदायक सिद्ध होती है।

विशेष : मट्ठा के अन्दर रहे हुए मक्खन या उसमें से निकाले हुए मक्खन की मात्रा एवं छाछ में मिलाए हुए पानी की मात्रा के आधार पर छाछ 4 प्रकार के होती है।

1. घोल

2. मथित

3. तक्र

5. छच्छिका यानि छाछ

घोल : जब दही में थोड़ा-सा पानी डालकर उसे बिलोया (मथा) जाय तब यह घोल कहलाता है। यह ग्राही, उत्तेजक, पाचक और शीतल है तथा वायु नाशक (गैस को खत्म करने वाला) है परन्तु बलगम को बढ़ाता है। हींग, जीरा और सेंधानमक मिला हुआ घोल गैस का पूरी तरह नाश करने वाला तथा अतिसार (दस्त) और बवासीर को मिटाने वाला रुचिवर्द्धक, पुष्टिदायक, बलवर्द्धक और नाभि के नीचे के भाग के शूल मिटाने वाला है। गुड़ डाला हुआ घोल, मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) और चित्रक मिलाया हुआ घोल पाण्डु (पीलिया) रोग को नष्ट करता है। शर्करायुक्त घोल के गुण आम के रस के समान होते हैं।

मथित : दही के ऊपर वाली मलाई निकालकर बिलोया हुआ दही मथित (मट्ठा) कहलाता है। मट्ठा वायु तथा पित्तनाशक, आनन्द एवं उल्लास प्रदान करने वाला तथा कफ और गर्मी को दूर करने वाला होता है। यह गर्मी के कारण होने वाले दस्तों, अर्श (बवासीर) और संग्रहणी में लाभकारी होता है।

तक्र : दही में उसके चौथे हिस्से का पानी निकालकर मथा जाए तो उसे तक्र कहते हैं। तक्र खट्टा, कषैला, पाक तथा रस में मधुर, हल्का, गर्म, अग्नि प्रदीपक, मैथुनशक्तिवर्द्धक, तृप्तिदायक और वायुनाशक है। यह हल्का एवं कारण दस्त सम्बंधी रोगों के लिए लाभकारी होता है तथा यह पाक में मधुर होने के कारण पित्त प्रकोप नहीं करता है तथा यह कषैला, गर्म और रूक्ष होने के कारण कफ को तोड़ता भी है।

उद्क्षित : दही में आधा हिस्सा पानी मिलाकर जब मथा जाए तब उसे उद्क्षित कहते हैं। यह कफकारक, बलवर्द्धक और आमनाशक (दस्त में आंव आना) होता है।

छाछ : दही में जब ज्यादा पानी मिलाकर बिलोया (मथा) जाए और उसके ऊपर से मक्खन निकालकर फिर पानी मिलाया जाए, इस प्रकार खूब पतले बनाये गये दही को छाछ कहते हैं। जिसमें से सारा मक्खन निकाल लिया गया हो, वह छाछ हल्की तथा जिसमें से थोड़ा सा मक्खन निकाल गया हो वह कुछ भारी और कफकारक होती है और जिसमें से जरा सा भी मक्खन न निकाला गया हो वह छाछ भारी पुष्टदायक और कफकारक है। घोल की अपेक्षा मथित मट्ठा और मट्ठे की अपेक्षा छाछ पचने में हल्की, पित्त, थकान तथा तृषानाशक (प्यास दूर करना), वायुनाशक और कफकारक है। नमक के साथ छाछ को पीने से पाचनशक्ति बढ़ती है। छाछ जहर, उल्टी, लार के स्राव, विषमज्वर, पेचिश, मोटापे, बवासीर, मूत्रकृच्छ, भगन्दर, मधुमेह, वायु, गुल्म, अतिसार, दर्द, तिल्ली, प्लीहोदर, अरुचि, सफेद दाग, जठर के रोगों, कोढ़, सूजन, तृषा (अधिक प्यास) में लाभदायक और पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाली होती है।

वायु रोग : खट्टी (सोंठ तथा सेंधानमक से युक्त) छाछ पित्त पर, शक्कर मिला हुआ मट्ठा वात वृद्धि पर और सोंठ, कालीमिर्च एवं पीपरयुक्त मट्ठा कफवृद्धि पर उत्तम है। सर्दी के मौसम में, अग्निमान्द्य में (भूख का कम लगना), वायुविकारों में (गैस के रोग में), अरुचि में, रस वाहनियों के अवरोध में मट्ठा अमृत के समान लाभकारी होती है। `चरक` अरुचि मन्दाग्नि और अतिसार में छाछ को अमृत के समान मानते हैं। `सुश्रुत` मट्ठा को मधुर, खट्टी, कषैली, गर्म, लघु, रूक्ष, पाचनशक्तिवर्द्धक, जहर, सूजन, अतिसार, ग्रहणी, पाण्डुरोग (पीलिया), बवासीर, प्लीहा रोग, गैस, अरुचि, विषमज्वर, प्यास, लार के स्राव, दर्द, मोटापा, कफ और वायुनाशक मानते हैं।

हानिकारक प्रभाव : क्षत विक्षत दुर्बलों तथा बेहोशी, भ्रम और रक्तपित्त के रोगियों को गर्मियों मेंमट्ठा का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि चोट लगने से घाव पड़ गया हो, जख्म हो गया हो, सूजन आ गई हो, शरीर सूखकर कमजोर हो गया हो तथा जिन्हें बेहोशी, भ्रम या तृषा रोग हो यदि वे मट्ठा का सेवन करें तो कई अन्य रोग होने की संभावना रहती है।

सावधानियां

* मट्ठे को रखने के लिए पीतल, तांबे व कांसे के बर्तन का प्रयोग न करें। इन धातु से बनने बर्तनों में रखने से मट्ठा जहर समान हो जाएगा। सदैव कांच या मिट्टी के बर्तन का प्रयोग करें।
* दही को जमाने में मिट्टी से बने बर्तन का प्रयोग करना उत्तम रहता है।
* वर्षा काल में दही या मट्ठे का प्रयोग न करें।
* भोजन के बाद दही सेवन बिल्कुल न करें, बल्कि मट्ठे का सेवन अवश्य करें।
* तेज बुखार या बदन दर्द, जुकाम अथवा जोड़ों के दर्द में मट्ठा नहीं लेना चाहिए।
* क्षय रोगी को मट्ठा नहीं लेना चाहिए।
* यदि कोई व्यक्ति बाहर से ज्यादा थक कर आया हो, तो तुरंत दही या मट्ठा न लें।
* दही या मट्ठा कभी बासी नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसकी खटास आंतो को नुकसान पहुंचाती है। इसके कारण से खांसी आने लगती है।

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Monday, March 13, 2017

तनाव (Stress) दूर करने के घरेलू उपाय

तनाव होने के कारण

तनाव करने से मानसिक सन्तुलन बिगड़ सकता है और इसका असर शरीर पर भी पड़ता है. वर्तमान में व्यक्ति की भागदौड़ वाली जिंदगी में तनाव एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. तनाव हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक होता है साथ ही इसकी वजह से आपके परिवार और दोस्तों से सम्बन्धो में भी खटास आ जाती है. तनाव यानी डिप्रेशन किसी भी इंसान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बीमारी साबित हो सकती है.

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव प्रत्येक मनुष्य को होता है. किसी को घर का तनाव है, किसी को आफिस के काम का तनाव है, कोई रिश्तों के तनाव में फंसा है. इन सभी परेशानियों से बचने के लिए लोग तरह-तरह की मेडिसन लेते है परन्तु यह समस्या दूर न होने की वजह से निराश हो जाते है. इसलिए लिए जरुरी है की आप कुछ घरेलु नुस्खों द्वारा इस समस्या को दूर करें !

तनाव दूर करने के उपाय

आयुर्वेद में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है, आयुर्वेद में इसको संजीवनी बूटी के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक है। तुलसी की पत्तियों में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते है जो शरीर में कोर्टिसोल (Stress hormone) के स्तर को सामान्य बनाते है, प्रतिदिन तुलसी के सेवन से तनाव के कारण होने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है.

पर्याप्त नींद लें

तनाव का प्रमुख कारण भरपूर नीद न लेना है. इस समस्या से बचने के लिए सोने से पहले का एक समय निर्धारित कर लें और हर रोज उसी समय पर सोएं. इससे आप तनाव से बचेंगे.

व्यायाम करें

व्यायाम तनाव को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है. व्यायाम न केवल एक अच्छी सेहत मिलती है बल्कि शरीर में एक सकारात्मक उर्जा का संचार भी होता है तथा शरीर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती है. व्यायाम करने से शरीर में सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स का स्राव होता है जिससे दिमाग स्थिर होता है और तनाव देने वाले बुरे विचार हमारे मन दूर रहते हैं.

संतुलित आहार

संतुलित आहार हमारे शरीर के अनेक रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है. प्रतिदिन संतुलित आहार लें संतुलित आहार में आप फल, सब्जी, मांस, फलियां, और कार्बोहाइड्रेट आदि को शामिल कर सकते है. एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनता है बल्कि यह दुखी मन को भी खुश कर देता है. जिससे तनाव से दूर रहने में मदद मिलती है.

तनाव दूर करने के कुछ अन्य घरेलू उपाय 

⛹ प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठ कर घूमने जाएँ तथा हल्का व्यायाम या योग करें.

🕉 प्रातःकाल व सोते समय 15 मिनट ईश्वर का ध्यान अवश्य करें.

☯ हमेशा सकारात्मक सोचे करें क्योकि नकारात्मक सोच से ऊर्जा नष्ट होती है।जो भी आपके पास है उस पर संतोष रखे तथा कर्म करने में पूर्ण विश्वास रखें।

🎯 प्रतिदिन उत्साह एवं आत्मविश्वास के साथ कार्य करें. एक व्यवस्थित दिनचर्या का नियम बनाए.

🎛 भूत व भविष्य की व्यर्थ चिंता न करे. हमेशा वर्तमान में जीएँ तथा सदैव प्रसन्नचित्त रहें.

🌯 कार्बोहाइड्रेट के सेवन से चित्त शांत होता है, कैफीन वाले पदार्थो के सेवन में कमी करें। चाय-कॉफी के स्थान पर नीबू पानी या फलों के रस का सेवन करें।

🛐 दूसरों से स्वयं का मुकाबला करने से बचें. अच्छे तथा सच्चे मित्र बनाएँ.

🔰 अच्छा स्वास्थ्य ही जीवन के लिए श्रेष्ठ धन है.बीच-बीच में अपनी मनपसंद गतिविधि जैसे-बागवानी, घूमना, मनपसंद खेल, टीवी देखना, संगीत, समाचार, पत्र-पत्रिका वाचन, लेखन आदि कार्यो को करके आप तरोताजा महसूस करेंगे।

Saturday, March 11, 2017

क्या आपका डाइजेशन खराब है? नहीं शायद आपकी आदतें!

 पाचन क्रिया सुधारने के आयुर्वेदिक उपायखाने के बाद गैस, सूजन, पेट की परेशानी, कभी कभी कब्ज या थकान जैसी पाचन समस्याओं से हम पीड़ित होते हैं। आज हम इन्हीं आम शिकायतों के सरल समाधान पर विचार करेंगे। हम क्या खाते हैं और कैसे और किस समय खाते हैं, इस पर बात करेंगे।

आयुर्वेद के अनुसार काम करते हुए भोजन न करेंहम में से कई व्यक्ति दोपहर का भोजन मल्टीटास्किंग करते हुए मतलब यातायात में ड्राइविंग हुए, काम करते हुए मेज पर या फिर खड़े-खड़े ही खाने लगते हैं क्योंकि हमारे पास समय का अभाव होता है। आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर को भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में उचित वातावरण की जरूरत होती है। इसलिए खड़े-खड़े, ड्राइविंग करते हुए, रस्ते पर चलते-चलते भोजन नहीं करना चाहिए। अगर आप के पास समय का अभाव है, फिर भी आप को बैठ कर ही भोजन करना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार खाने का मज़ा लेंखाना हमें जीवन देता है। आयुर्वेद के अनुसार खाना हमारी चेतना के विकास के साथ साथ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। जब हम नीचे बैठ कर खाना खाते हैं तो हमारा पेट सुकून की मुद्रा में रहता है और हमारा सारा ध्यान खाने के स्वाद, खाना कैसा बना हुआ है और भोजन की सुगंध पर रहता है जो हमारे पाचन में काफी सुधार करता है।

पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाय

हमारे शरीर में भोजन को पचाने के लिए पाचन अग्नि होती है जिसे हम पाचन ऊर्जा भी कहते हैं। हम अपनें पाचन ऊर्जा में सुधार से पहले भोजन ग्रहण करने लगते हैं। कमजोर पाचन अग्नि खाने के बाद थकान की समस्या पैदा करती है। इसलिए आयुर्वेद के अनुसार अपनी पाचन ऊर्जा को नियमित करने के लिए हमें भोजन से पहले ताजा अदरक थोड़े नींबू के रस और एक चुटकी नमक के साथ लेने को कहा जाता है। यह लार ग्रंथियों (salivary glands) को सक्रिय करता है, ताकि हमारा शरीर भोजन से पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित कर आवश्यक एंजाइमों को बना सके। आयुर्वेद के अनुसार पाचन आग का संतुलित रहना बहुत ही महत्वपूर्ण है। अगर हमारी पाचन ऊर्जा बहुत कम होती है तो खाना पचने में बहुत समय लगता है। उसी तरह यदि पाचन अग्नि अधिक होती है तो यह भोजन जला देती है। यही कारण है कि भोजन अच्छे से और आसानी से पचाने के लिए हमारी पाचन आग को संतुलित होना चाहिए।

पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए ठंडा पेय न पियेंखाते समय बर्फ का पानी या ठंडा पानी हमारी पाचन आग को बुझा देता है। यहाँ तक कि फ्रिज़ से निकाला गया ठंडा जूस और दूध का सेवन भी हमारी पाचन ऊर्जा के लिए अच्छा नहीं होता है। इसलिए हमें कमरे के तापमान वाले जूस या पानी का सेवन करना चाहिए। संतुलित पाचन बनाए रखना हमारे दोष की स्तिथि पर निर्भर करता है जो भिन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए पेट अम्लता और पेट में सूजन दोनों के लिए आयुर्वेदिक उपाय अलग अलग होंगे। जब हम कमरे के तापमान वाला पेय पीने लगते हैं तो हमारे पाचन में सुधार होने लगता है। जब भी गर्म भोजन के साथ ठंडे पेय का सेवन करते हैं तो यह हमारे पेट में ऐंठन, सूजन और सामान्य परेशानी का कारण बन सकता है। अगर आप का पित्त असंतुलित है तो आप भोजन के बीच में ठंडा पेय ले सकते हैं। हालांकि शीत या फ्रिज़ का खाद्य पदार्थ हमारे पित्त दोष के लिए भी अच्छा नहीं होता है।

खाना खाने का सही समयक्या आप कभी देर रात खाने के लिए बाहर गए हैं? अगली सुबह जब आप उठते हैं तो आप तनाव महसूस करते हैं, पूरे दिन आप सुस्त रहते हैं? यह अक्सर अनुचित तरीके से भोजन करने का दुष्प्रभाव है। इसलिए इन समस्याओं से बचने के लिए उपयुक्त समय और प्रकृति के लय का पालन करते हुए भोजन कर लेना चाहिए। दोपहर का भोजन हमें 12 से 2 बजे तक कर लेना चाहिए। इस समय हमारी पाचन ऊर्जा मजबूत होती है। आयुर्वेद के अनुसार अग्नि सूरज के साथ जुड़ी हुई है और हमारा मन और शरीर जिस वातावरण में रहता है, उसके साथ जुड़ा हुआ है। हमें दोपहर के भोजन का सेवन प्रचुर मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि उस समय हमारी पाचन ऊर्जा अधिक शक्ति से काम करती है। रात का खाना दोपहर के भोजन की तुलना में हल्का होना चाहिए और हमें रात 8:00 बजे तक भोजन का सेवन कर लेना चाहिए। रात 10:00 बजे के बाद हमारा शरीर विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने का काम करता है। इसलिए रात 10:00 बजे के बाद भोजन करने से विषाक्त पदार्थ भोजन प्रणाली में जमा हो जाते हैं और इसका परिणाम यह होता है कि अगले दिन हम थकान महसूस करते हैं।

लस्सी है पाचन शक्ति बढ़ाने का कारगर उपाय


हमें खाना खाते समय या खाना खाने के बाद लस्सी का सेवन करना चाहिए। पाचन स्वास्थ्य को सुधारने में दही सबसे अच्छा उपचार माना जाता है। लस्सी में हलके और आवश्यक बैक्टीरिया होते हैं जो खाने को सुचारू रूप से पचाने में मदद करते हैं। लस्सी गैस और सूजन को कम करने में भी मदद करती है।

पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा त्रिफला

कोलन (colon) को डी‌‌टॉक्सिफ़ाय (detoxify) करने में त्रिफला एक शक्तिशाली फार्मूला (formula) है जो तीन जड़ी बूटियों – आमलकी (Amalaki), बिभीतकी (Bibhitaki) और हरीतकी (Haritaki) के मिश्रण से बना हुआ है। इसका उपयोग पोषक तत्वों के अवशोषण में भी वृद्धि करता है। त्रिफला पेट के विषाक्त पदार्थों को साफ करने में बहुत उपयोगी है। यह धीरे-धीरे शरीर के विषाक्त पदार्थों को साफ करता है। इसलिए त्रिफला का उपयोग अधिक समय तक करना चाहिए। त्रिफला की तीन गोलियाँ या एक चम्मच पाउडर सोने से पहले पानी के साथ सेवन करनी चाहिए!

मधुमेह के सबसे सरल 10 घरेलू उपचार

वर्तमान जीवन शैली में डाइबिटीज़ बड़ी तेज़ी से फ़ैल रहा है जिसे जीवन शैली में सुधार करके तथा स्वस्थ आहार लेकर प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। इस बीमारी में रक्त में शर्करा का स्तर उच्च हो जाता है जिसके कारण शरीर की इन्सुलिन उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है या शरीर प्रभावी रूप से इन्सुलिन का उपयोग नहीं कर पाता।



हालाँकि ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने के लिए कई उपचार उपलब्ध हैं वहीं इसके लिए कई घरेलू उपचार भी उपलब्ध हैं। यहाँ ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने के लिए 10 प्रभावी घरेलू उपचार बताए गए हैं जिनके द्वारा आप डाइबिटीज़ के साथ भी एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

1. जीवनशैली में बदलाव, शिक्षा खान—पान की आदतों में सुधार करके शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे मरीज की थकान और सिरदर्द समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाती है।

2. प्रतिदिन सुबह योगा व व्यायाम करके भी शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। इससे न केवल आपके चेहरे का नूर दमकेगा, बल्कि आपके स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।

3. अगर शुगर कंट्रोल में नहीं आ रहा है तो केवल गेहूं की रोटी नहीं खानी चाहिए। इसके बजाय तीन किलो जौ, आधा किलो गेहूं और आधा किलो चने को मिला कर आटा पिसवा लेना चाहिए और फिर इसकी रोटी खानी चाहिए।

4. आक के पेड़ का पता उल्टी तरफ से लेकर पैर पर बांधे रखें. रात को सिर्फ सोते वक़्त इसको हटायें। एक सप्ताह तक यह प्रयोग करें, आपकी शुगर जड़ से खत्म हो जाएगी।

5. हरी सब्जी, दाल, दही का सेवन अधिक करना चाहिए। करेले की सब्जी या कच्चा करेला और जामुन खाना चाहिए। कई बार तो जामुन के पत्तों का जूस भी शुगर में लाभकारी होता है।

6. शुगर से शरीर में कमजोरी मालूम पड़ने लगती है। कमजोरी दूर करने हेतु हरा कच्चा नारियल खायें। काजू मूंगफली, अखरोट भिगोकर खायें. दही, छाछ, सोयाबीन खायें मधुमेह के रोगी को हर सातवें दिन एक दिन का उपवास करना लाभदायक है।

7. शुगर के मरीज लोगों को एलोवेरा पीना चाहिए। यह एक रामबाण दवा है। एलोवेरा का भी कुछ अमेरिकन ब्रांडो के नतीजे काफी चौकाने वाले आये हैं।

8. जामुन की गुठली और करेले सुखा कर समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसको एक चम्मच सुबह-शाम पानी से लेने पर काफी फायेदा होता है।

9. शुगर में बार-बार पेशाब आना स्वाभाविक है और अधिक मात्रा में पेशाब आये, प्यास लगे तो आठ ग्राम पिसी हुई हल्दी नित्य दो बार पानी के साथ फांक लें। इससे आपको लाभ होगा।

10. मीठा खाने की तीव्र इच्छा होने पर शक्कर के स्थान पर अति अल्प मात्रा में शहद लेकर मूत्र में शकर आने, गुर्दे के पुराने रोगों से बच सकते हैं।

Sunday, March 5, 2017

क्या आप जानते हैं, पेय जल के नाम पर बोतलबंद पानी में आपको मिल रहा है धोखा, हो जाइये सावधान !

शुद्ध पेय जल के नाम पर फिल्टर्ड पानी और बोतल बंद पानी का व्यापार खूब फल फूल रहा है, आज यह व्यापार खरबों का हो चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं आपको साफ़ पानी पिलाने के नाम पर आपके साथ कितना बड़ा धोखा किया जाता है. आप जो पानी खरीद कर पी रहे हैं उसमें और सामान्य पानी के शुद्दता के स्तर पर बहुत ज्यादा अंतर नहीं है.

हो सकता है आपके घर में RO लगा हो लेकिन फिर भी आपके लिए चिंता की बात है आप जो पानी पी रहे हैं वो इतना साफ़ नहीं है जितना आपसे दावा किया जा रहा है. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हम जो पानी पी रहे हैं वो शुद्ध होने के बावजूद भी इतना शुद्ध नहीं है कि हमें पूरी तरह से स्वस्थ रख सके.

RO और बोतल का पानी भी पीने योग्य नहीं

हमें जिस स्तर का शुद्ध पानी पीना चाहिए उसका टीडीएस 50 होता है जबकि हम जो पानी पी रहे हैं उसका टीडीएस 18-25 तक है. और ये उस पानी का टीडीएस है जिसे हम शुद्ध मानकर पी रहे हैं. जो RO मशीन और बंद बोतलों में शुद्धता कि गारंटी के साथ हमें दिया जा रहा है. हमारे शरीर की क्षमता 500 टीडीएस वाले पानी को पीने तक की होती है. और हमें कम से कम 50 टीडीएस का पानी पीना चाहिए, ऐसे में हम जो पानी पी रहे हैं वो हमारे लिए बेहद घातक स्थिति पैदा कर सकता है.


वहीं दूसरी तरफ बोतलबंद पानी और सामान्य पानी में भी बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता. मिनरल वाटर कि बोतल को बनाते वक्त एक विशेष प्रकार के रसायन का उपयोग किया जाता है जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है. ये रसायन पैथलेट्स के नाम से जाना जाता है और इसका नकारात्मक असर हमारी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है. सौंदर्य प्रसाधन, इत्र और खिलौनों के निर्माण में भी इस रसायन का उपयोग किया जाता है, यह पानी कि बोतल को मुलायम बनाये रखता है.

एक लीटर पानी को साफ़ करने में बर्बाद होता है 2 लीटर पानी

शुद्ध पानी के नाम पर हमें सुनियोजित तरीके से बेवकूफ बनाया जा रहा है, बीते दो दशक में यह व्यापार बहुत तेजी से फला फूला है. और आज देश में खरबों रूपये का कारोबार हो रहा है. आज बोतलबंद पानी के नाम पर केवल और केवल साफ पानी का दोहन हो रहा है. जिन विधियों से पानी को शुद्ध किया जाता है उसमें एक लीटर पानी को साफ करने में करीब 2 लीटर पानी कि बर्बादी होती है, इसतरह से बड़ी मात्रा में साफ़ पानी का दोहन किया जा रहा है और हमें मिलने वाला तथाकथित साफ़ पानी भी हमारी सेहत के लिए पूरी तरह से ठीक नहीं है.बोतल बंद पानी का व्यवसाय न सिर्फ हमारी जेब और सेहत को चूना लगा रहा है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है. यह किसी भी सूरत में हमारे भविष्य के लिए ठीक नहीं है. हम जितना जल्दी इससे चेत कर सतर्क हो जायें हमारे लिए उतना ही अच्छा होगा.

Friday, March 3, 2017

प्रेग्‍नेंसी और उसके बाद फॉलो करें ‘करीना’ का डायट प्‍लान … वापस शेप में आ जाएंगी आप !


प्रेग्‍नेंसी के बाद बॉडी शेप में कैसे रहे … अगर आप भी इस सवाल के जवाब ढूढ रही हैं तो लीजिए फॉलो कीजिए करीना का प्री और पोस्‍ट प्रेग्‍नेंसी डायट प्‍लान ।

New Delhi, Feb 17 : प्रेग्‍नेंसी के बाद शेप में लौट पाना हर महिला की चाहत होती है । लेकिन कुछ को महीनों लगते हैं तो कुछ को साल … कुछ ऐसी भी महिलाएं है जो इस फैट के साथ पूरी जिंदगी बिता लेती हैं । ऐसे में क्‍या करें, क्‍या प्रेग्‍नेंसी के बाद बेडौल शरीर को शेप में लाना टेढ़ी खीर बन जाता है । अगर आप भी ऐसा ही सोचती हैं तो फॉलो कीजिए करीना कपूर खान का ये डायट प्‍लान । करीना की प्रेग्‍नेंसी और अब डिलीवरी के बाद उन्‍होने जो कुछ डायट में शामिल किया है उसी का कमाल है कि बॉलीवुड की ये बेबो वापस फिगर में लौट रही हैं ।

करीना और उनकी डायट प्‍लान रुजुता ने क्‍या डायट सीक्रेट्स रिवील किए हैं, आप भी पढ़ें और फायदा उठाएं –

तुरंत शेप में आने की कोशिश ना करें –अगर आप डिलीवरी के तुरंत बाद शेप में आने को बेताब हैं और इसके लिए डायटिंग से लेकर तमाम चीजें अपना रही हैं तो ऐसा बिलकुल ना करें । डायट विशेषज्ञ के मुताबिक ऐसा करना सेहत से खिलवाड़ हो सकता है ।

पोस्ट प्रेग्नेंसी डायट – करीना इन दिनों बैलेंस्ड डायट फॉलो कर रही है । उनकी डायट में बाजरे की रोटी के साथ एक कटोरी सब्जी, घी और बहुत सारा गुड़ शामलि हैं । इसके अलावा मसूर की दाल, राजमा और छोले भी इस डायट में शामिल है । करीना इन दिनों एक बाउल खिचड़ी भी खा रही हैं ।

दूध पीना है जरूरी – डायटीशियन के मुताबिक महिलाओं में प्रेग्‍नेंसी के दौरान और बाद में कैल्श्यिम और विटामिन डी की बेहद जरूरत होती है । इसलिए इसे अपनी डायट में जरूर शामिल करना चाहिए । करीन कपूर भी रात को टीवी देखने या सोने से पहले एक गिलास दूध का जरूर लेती है । ताकि विटामिन डी का नैचुरल स्रोत उनके शरीर में इसकी कमी ना होने दे ।
सबसे ज्‍यादा जरूरी है वॉक – प्रेग्‍नेंसी के दौरान वॉक करना मां और बच्‍चे दोनों के लिए जरूरी होता है । प्रेग्‍नेंसी में कई तरह की परेशानियां शरीर को घेर लेती हैं, मसल्‍स कमजोर हो जाती है । ऐसे में वॉक करना सबसे अच्‍छा माना जाता है ।

दो महीने में घटा वजन – करीना ने अपनी डायटीशियन के साथ बताया कि इस रूटीन को फॉलो कर वो दो महीने में अपना काफी वेट लूज कर चुकी हैं । महिलाएं अगर खुद पर विश्‍वास रखें और अपना ख्‍याल रखें तो वो जल्‍द से जल्‍द वजन घटाने में सफल हो सकती हैं ।
ओवरईटिंग से बचें – प्रेग्‍नेंसी में तरह – तरह के खाने की क्रेविंग होती है । कई बार कहा जाता है कि क्‍योंकि आपके पेट में बच्‍चा पल रहा है तो आप ओवर ईट कर सकती हैं लेकिन डायटीशियन के मुताबिक प्रेग्‍नेंसी में ओवरईटिंग नहीं करनी चाहिए । आपको जितनी भूख है बस उसी के हिसाब से अपना खाना खाएं ।
डार्क सर्कल्स – कई महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी के दौरान छाईयों यानी डार्क सर्कल्‍स की प्रॉब्‍लम हो जाती है । ऐसे में महिलाओं को विटामिन बी 12, दही, छाछ और आयरन युक्‍त सब्‍जी औश्र फलों को सेवन करना चाहिए । घी, गुड़, बाजरा या नारियल ये सभी आप उचित मात्रा में ले सकती हैं

Wednesday, March 1, 2017

मधुमेह में कैसा आहार लेना चाहिए


मधुमेह को घरेलू इलाज से करें कंट्रोल

मधुमेह जैसी आजीवन रहने वाली बीमारी की चिकित्सा संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जाना आसान है। गौरतलब है कि मधुमेह या चीनी की बीमारी को मधुमेह रोगी स्वंय अपनी देखभाल करके कंट्रोल कर सकते हैं। विशेष भोजन या हल्का भोजन लेकर मधुमेह आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसमें ध्यान रखने वाली बात होती है कि मधुमेह रोगियों का खाना कैसा हो। आइए जानें मधुमेह रोगियों को खाने में क्या चीज लेनी चाहिए और क्या नहीं।

यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो, जाहिर सी बात है कि आपके दिमाग में यह एक सवाल जरुर आया होगा कि क्या हम फल का सेवन कर सकते हैं? एक्सपर्ट बोलते हैं कि मधुमेह रोगी भी फल का सेवन कर सकते हैं लेकिन सही मात्रा में। ऐसे फल जैसे, केला, लीची, चीकू और कस्टर्ड एप्पल आदि से बचना चाहिये। आज हम आपको कुछ ऐसे 18 फल बताने जा रहे हैं, जिसका सेवन आप आराम से कर सकते हैं। दरअसल, मधुमेह के रोगियों को रेशेदार फल, जैसे तरबूज, खरबूजा, पपीता, सेब और स्ट्राबेरी आदि खाने चाहिए। इन फलों से रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित होता है इसलिये इन्‍हें खाने से कोई नुकसान नहीं होता। मधुमेह रोगियों को फलो का रस नहीं पीना चाहिये क्योंकि एक तो इसमें चीनी डाली जाती है और दूसारा कि इसमें गूदा हटा दिया जाता है, जिससे शरीर को फाइबर नहीं मिल पाता। तो आइये जानते हैं कि मधुमेह रोगियों को कौन-कौन से फलों का सेवन करना चाहिये।

कीवी 

कई रिसर्च के अनुसार यह बात सामने आई है कि कीवी खाने से ब्‍लड शुगर लेवल कम होता है।

काली जामुन 

मधुमेह रोगियो के लिये यह फल बहुत ही लाभकारी है। इसके बीजो़ को पीस कर खाने से मधुमेह कंट्रोल होता है।

अमरख 

यदि आप को मधुमेह है तो आप यह फल आराम से खा सकते हैं। पर यदि रोगी को डायबिटीज अपवृक्कता है तो उसे अमरख खाने से पहले डॉक्‍टर से पूछना चाहिये।

अमरूद 

अमरूद में विटामिन ए और विटामिन सी के अलावा फाइबर भी होता है।

चैरी 

इसमें जीआई मूल्‍य 20 होता है जो कि बहुत कम माना जाता है। यह मधुमेह रोगियों के लिये बहुत ही स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक मानी जाती है।

आड़ू 

इस फल में भी जीआई बहुत कम मात्रा में पाया जाता है और मधुमेह रोगियों के लिये अच्‍छा माना जाता है।

सेब 

सेब में एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को कम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।

अनानास 

इसमें एंटी बैक्‍टीरियल तत्‍व होने के साथ ही शरीर की सूजन कम करने की क्षमता होती है। यह शरीर को पूरी तरह से फायदा पहुंचाता है।

नाशपाती 

इसमें खूब सारा फाइबर और विटामिन पाया जाता है जो कि मधुमेह रोगियों के लिये फायदेमंद होता है।

पपीता 

इसमें विटामिन और अन्‍य तरह के मिनरल होते हैं।

अंजीर

इसमें मौजूद रेशे मधुमेह रोगियों के शरीर में इंसुलिन के कार्य को बढावा देते हैं।

संतरा

यह फल रोज खाने से विटामिन सी की मात्रा बढेगी और मधुमेह सही होगा।

तरबूज 

यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए तो यह फल मधुमेह रोगियों के लिये अच्‍छा साबित होगा।

अंगूर 

अंगूर का सेवन मधुमेह के एक अहम कारक मेटाबोलिक सिंड्रोम के जोखिम से बचाता है। अंगूर शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है।

अनार 

यह फल भी बढे हुए ब्‍लड शुगर लेवल को कम करने में असरदार है।

खरबूज 

इसमें ग्‍लाइसिमिक इंडेक्‍स ज्‍यादा होने के बावजूद भी फाइबर की मात्रा अच्‍छी होती है इसलिये यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए तो अच्‍छा होगा।

कटहल

यह फल इंसुलिन लेवल को कम करता है क्‍योंकि इसमें विटामिन ए, सी, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, कैल्‍शियम, पौटैशियम, आयरन, मैग्‍नीशियम तथा अन्‍य पौष्टिक तत्‍व होते हैं।

आमला

इस फल में विटामिन सी और फाइबर होता है जो‍ कि मधुमेह रोगी के लिये अच्‍छा माना जाता है।

मधुमेह रोगियों का खाना "राज" कैसा हो?

मधुमेह जैसी आजीवन रहने वाली बीमारी की चिकित्सा संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जाना आसान है। गौरतलब है कि मधुमेह या चीनी की बीमारी को मधुमेह रोगी स्वंय अपनी देखभाल करके कंट्रोल कर सकते हैं। विशेष भोजन या हल्का भोजन लेकर मधुमेह आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसमें ध्यान रखने वाली बात होती है कि मधुमेह रोगियों का खाना कैसा हो। आइए जानें मधुमेह रोगियों को खाने में क्या चीज लेनी चाहिए और क्या नहीं।

मधुमेह रोगियों को घुलनशील फाइबर युक्त आहार लेना चाहिए।विशेष भोजन के रूप में मधुमेह रोगी जल्दी पचने वाला आहार ले सकते हैं। मधुमेह रोगी को खाने में हल्दी का सेवन किसी न किसी रूप में ज़रूर करना चाहिए।मधुमेह रोगियों को काब्रोहाइड्रेट के रूप में मोटा अनाज, भूरे चावल, प्रोटीन युक्त पदार्थ, मांस इत्यादि लेना चाहिए। हल्के आहार में मधुमेह रोगी को अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, टोंड दूध इत्यादि लेना फायदेमंद होता है। मधुमेह में संतुलित आहार के साथ-साथ कैलोरी, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट इत्यादि भी भरपूर मात्रा में लेना चाहिए। तरल पदार्थों को बनाते समय उसमें शुगर फ्री खाद्य पदार्थ का ही इस्तेमाल करें जैसे टमाटर की चटनी इत्यादि में शुगर न डालें। अंगूर, जामुन,सेब इत्यादि फलों से भी मधुमेह को नियंत्रि‍त किया जा सकता है। कम शुगर वाले खाद्य पदार्थ लें जिसमें कम वसा वाले खाने को प्राथमिकता दें। दूध वाली चाय के बजाय ग्रीन टी, लेमन टी, हर्बलटी इत्यादि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। सलाद में हरी सब्जियां की सलाद बना सकते हैं। आप घर की बनी टमाटर की चटनी, सूप और टमाटर ले सकते हैं। खीरा प्याज, नींबू और सामान्य मिर्च मसालों का ही प्रयोग करें।करेला, मेथी दाना का सेवन करें। अधिक समय तक भूखे ना रहें और थोड़े-थोड़े समय में कुछ न कुछ खाते रहें। खाना बनाते समय सरसों का तेल, मूंगफली,सोयाबीन,सूर्यमुखी के तेल का इस्तेमाल करें ये आपको मधुमेह नियंत्रित करने में बहुत मदद करेगा। स्ट्राबेरी, तरबूज़, पपीता, बेर जैसे फल आदि जल्दी पच जाते हैं इसलिए वो आंत में आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। काजू, बादाम और ड्राईफ्रूट्स खाने से भी मधुमेह को बढ़ने से रोका जा सकता है। मधुमेह के मरीज साबुत दाल ,सलाद ,कच्चे मीठे खट्टे फलों के साथ-साथ विटामिन सी, ई कुछ खनिज इत्यादि पौष्टिक आहार को अपने भोजन में शामिल कर मधुमेह को कम कर सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ मैग्निशियम और विटामिन जैसी एंटी-ऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होती हैं जो कि रक्त से शुगर की मात्रा कम करने में लाभकारी भूमिका निभाता है।

वे खाद्य पदार्थ  "राज" जो रक्त में शुगर का स्तर बढ़ाते हैं

चीनी नमक गुड़ देसी घी फुलक्रीम दूध घी में तले परांठें आइस्क्रीम मांस अंडा 

धूम्रपान व मदिरापान 

डायबिटीज के रोगी को आहार में जड़ एवं कंद, मिठाइयाँ, चॉकलेट, तला हुआ भोजन, सूखे मेवे, केला, चीकू, सीताफल इत्यादि चीजों को खाने से बचना चाहिए। इतना ही नहीं मधुमेह नियंत्रि‍त करने के लिए डॉक्टर के निर्देशानुसार ही कैलोरीज लेनी चाहिए।

मधुमेह को घरेलू इलाज से करें कंट्रोल

मधुमेह बीमारी में रक्त में शर्करा की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। अभी तक इसका कोई स्थाई इलाज सामने निकल कर नहीं आया है। इसलिए अगर आपको डायबीटीज को कंट्रोल करना है, तो अच्छा पौष्टिक आहार और अपने लाइफस्टाइल में परिवर्तन लाना होगा। इस बीमारी को घरेलू इलाज से काफी हद तक कम किया जा सकता है। आइए जानते है मधुमेह को घरेलू इलाज से कैसे कंट्रोल कर सकते हैं।

मधूमेह को ठीक करने के लिए "राज" घरेलू इलाज- 

1. करेला- डायबिटीज में करेला काफी फायदेमंद होता है, करेले में कैरेटिन नामक रसायन होता है, इसलिए यह प्राकृतिक स्टेरॉयड के रुप में इस्तेमाल होता है, जिससे खून में शुगर लेवल नहीं बढ़ पाता। करेले के 100 मिली. रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।

2. मेथी- मधुमेह के रोगियों के लिए मेथी बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप रोज़ 50 ग्राम मेथी नियमित रुप से खाएगें तो निश्चित ही आपका ग्लूकोज़ लेवल नीचे चला जाएगा, और आपको मधुमेह से राहत मिलेगी।

3. जामुन- जामुन का रस, पत्ती़ और बीज मधुमेह की बीमारी को जड़ से समाप्त कर सकता हैं। जामुन के सूखे बीजों को पाउडर बना कर एक चम्मच दिन में दो बार पानी या दूध के साथ लेने से राहत मिलती है।

4. आमला- एक चम्मच आमले का रस करेले के रस में मिला कर रोज पीएं , यह मधुमेह की सबसे अच्छी दवा है।

5. आम की पत्ती – 15 ग्राम ताजे आम के पत्तों को 250 एमएल पानी में रात भर भिगो कर रख दें। इसके बाद सुबह इस पानी को छान कर पी लें। इसके अलावा सूखे आम के पत्तों को पीस कर पाउडर के रूप में खाने से भी मधुमेह में लाभ होता है।

6. शहद- कार्बोहाइर्ड्रेट, कैलोरी और कई तरह के माइक्रो न्यू ट्रिएंट से भरपूर शहद मधुमेह के लिए लाभकारी है। शहद मधुमेह को कम करने में सहायता करता है।

इसके अलावे इनका सेवन करने से भी मधुमेह में आराम मिलता है-

1. एक खीरा, एक करेला और एक टमाटर, तीनो का जूस निकालकर सुबह खाली पेट पीने से मधुमेह नियंत्रित होता है।

2. नीम के सात पत्ते सुबह खाली पेट चबाकर या पीसकर पानी के साथ लेने से मधुमेह में आराम मिलता है।

3. सदाबहार के सात फूल खाली पेट पानी के साथ चबाकर पीने से मधुमेह में आराम मिलता है।

4. जामुन, गिलोय, कुटकी, नीम के पत्ते, चिरायता, कालमेघ, सूखा करेला, काली जीरी, मेथी इन सब को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह-शाम खाली पेट पानी के साथ लें, इससे मधुमेह में आराम मिलता है।

इन आहार से "राज" दूर रहें-

1. मीठे से दूर रहें

वैसे तो ऐसे लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं, जो मीठा खाना पसंद नहीं करते, लेकिन इसके बावजूद वे मधुमेह के शिकार हैं। मधुमेह मीठा खाने के कारण नहीं होता, लेकिन एक बार यह हो जाए तो मरीज को मीठे से दूर रहना पड़ता है। इसलिए कोशिश करें कि मिठाई ना खाएं।

2. जमीन के अंदर उगनेवाले चाजों से बचें

शकरकंदी, अरवी, आलू और ऐसी कई चीजे जो जमीन के अंदर उगती है, उनको ना खाएं या कोशिश करें कि कम से कम मात्रा में इनका सेवन करें।

3. जंक फ़ूड से दूर रहें

जंक फ़ूड बिल्कुल ना खाएं, इससे मधुमेह का खतरा और बढ़ जाता है। साथ ही तली हुई चीजें भी ना खाएं, यह आपकी बीमारी को और बढ़ा देगा। अंकुरित अन्न को उबालकर या भुनकर खाएं पर तलकर नहीं खाएं।

4. सूखा मेवा ना खाएं

अगर आपको मधुमेह है तो आप सूखा मेवा कभी नहीं खाएं, और अगर खाना भी हो तो इन्हे पानी में भिगोकर खा सकते हैं।

5. वसायुक्त भोजन ना करें

मधुमेह से बचना है, तो वसायुक्त भोजन कम लें। वसा या कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने से मधुमेह बढ़ता है। इसलिए वसा या कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा वाला भोजन लेने से मधुमेह से बचाव हो सकता है।

6. चावल ना खाएं 

अगर आप रोज एक बड़ा बाउल सफेद चावल खाते हैं, तो आपको टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा सामान्य से 11 प्रतिशत ज्यादा होता है। चावल के पकाने की विधि पर उसके खाने से होने वाला फायदा या नुकसान निर्भर करता है। अगर चावल की बिरयानी बनाई जाए या चावल को मांस या सोयाबीन के साथ खाया जाए, तो डाइबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है। क्योंकि इससे शरीर में रक्त में शर्करा की मात्रा पर असर पड़ सकता है।

7. इन फलों से दूर रहें

केला, आम, लीची जैसे फलों को ना खाएं या कम मात्रा में खाएं, क्योंकि इससे मधूमेह का खतरा बढ़ता है।

8. इनसे भी दूर रहें

अगर आपको मधुमेह हो तो आप आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री आदि से भी परहेज रखें। यह आपके स्वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक होते है।