Tuesday, December 25, 2018

लोहे के तवे पर ही बनाएं बिना चिपके, क्रिस्पी डोसा

साउथ इंडियन खाने के शौकीन हैं पर घर पर मार्केट जैसा अच्छा डोसा नहीं बना पाते हैं तो अपनाएं ये कारगर टिप्स.


टिप्‍स

- हमेशा रोटी और डोसा बनाने के लिए तवा अलग-अलग ही रखें. 
- डोसा बनाने से पहले तवे को अच्छी तरह से साफ कर लें. ध्यान रखें कि तवे पर जरा सा भी तेल चिपका हुआ न हो।
- धीमी आंच में तवा गर्म कर एक चम्मच तेल डालकर पूरे तवे पर लगा लें और जैसे ही हल्का धुंआ आने लगे तब आंच बंद कर दें.
ऐसा करने से तवा नॉन स्टिक जैसा तैयार हो जाएगा।
- इसके बाद तवा ठंडा कर दोबारा धीमी आंच में तवे पर तेल डालकर गर्म करें और तेल के गर्म होते ही आधे कटे प्याज से अच्छे से रगड़ कर साफ़ कर लें, अब तवा तैयार है डोसा बनाने के लिए।
- अगर डोसा पलटने में दिक्कत हो तो पलटे के जिस साइड से डोसा पलटेंगे उस साइड को जरा सा पानी में डूबो लें और फिर देखिए डोसा बहुत ही आसानी से पलट जाएगा. 
- तवे को चिकना करने के लिए आप आधे कटे प्याज की सहायता भी ले सकते हैं. प्याज को तेल में डूबोकर तवे पर तेल लगाने से डोसा बहुत क्रिस्पी बनता है।
- इतना करने के बाद भी अगर डोसा चिपकता है तो तवे पर थोड़ा सा आटा बुरककर अच्छे से रगड़ें और फिर पोंछ दें. तवा एकदम सही हो जाएगा. 
- नॉन- स्टिक तवे पर भी अगर डोसा चिपकता है तो इसके साथ भी यही स्टेप्स अपनाएं।

Thursday, December 20, 2018

प्लास्टिक की बोतल में पीते हैं पानी तो हो सकता है कैंसर, फर्टिलिटी पर भी पड़ता है असर

बाइसफेनॉल ए यानी कि बीपीए एक ऐसा केमिकल है जो बोतलों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है और तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बनता है।


☢ पानी की जगह कुछ चीजों का सेवन आपको हाइड्रेट रखने में मदद करता है।

भारत में जो प्लास्टिक के बोतल इस्तेमाल किए जाते हैं उनके निर्माण में बाइफेनॉल ए का प्रयोग पूरी तरह से वर्जित नहीं है। बाइसफेनॉल ए यानी कि बीपीए एक ऐसा केमिकल है जो बोतलों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है और तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बनता है। प्लास्टिक बोतलों के लगातार इस्तेमाल से दिल संबंधी समस्या, दिमाग को नुकसान, डाबिटीज तथा गर्भावस्था में समस्या जैसी दिक्कतें आने लगती हैं। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि आप प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल बंद कर दें।

प्लास्टिक बोतल के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान –

कैंसर का खतरा – प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल कैंसर की वजह बन सकता है। एस शोध के मुताबिक जब ज्यादा तापमान या धूप की वजह से बोतल गर्म होती है तब उसके प्लास्टिक से डाई ऑक्सिन का स्राव शुरू हो जाता है। यह डाइ ऑक्सिन हमारे शरीर में घुलकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। महिलाओं में यह ब्रीस्ट कैंसर का कारण बनता है।

दिमाग के लिए नुकसानदेह – प्लास्टिक को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली बाइसफेनॉल ए यानी कि बीपीए की वजह से दिमाग की फंक्शनिंग प्रभावित होती है। इससे इंसान की याद्दाश्त क्षमता और समझने की शक्ति कमजोर होने लगती है। एक शोध में यह बताया गया है कि प्लास्टिक की बोतल में इस्तेमाल किए जाने वाले बीपीए की वजह से अल्जाइमर्स का भी खतरा बढ़ जाता है।

फर्टिलिटी होती है प्रभावित – बीपीए सिर्फ दिमाग के लिए नुकसानदेह नहीं है। इसकी वजह से महिला और पुरुष दोनों में गुणसूत्रों की संख्या कम होती है। इसकी वजह से शुक्राणु और अंडाणु दोनों प्रभावित होते हैं। ऐसे में प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से बचें।

गर्भवती महिलाओं के लिए – प्लास्टिक में मौजूद बीपीए गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास को प्रभावित करता है। इसीलिए गर्भावस्था में महिलाओं को प्लास्टिक की बोतल न इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।

दिल की बीमारी का कारक – प्लास्टिक की बोतल से पानी पीने से बीपीए केमिकल्स खून में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में यह दिल को कमजोर बनाते हैं। इससे शरीर में रक्त संचार भी प्रभावित होता है।से नहीं हो पाता है।

Sunday, August 19, 2018

इंडियन टॉयलेट और वेस्‍टर्न टॉयलेट में कौन है बेहतर ?



Indian Toilet vs Western Toilet In Hindi इंडियन टॉयलेट और वेस्‍टर्न टॉयलेट को लेकर लोगों के मन में यह दुविधा बनी रहती है कि इन दोनों में से कौन बेहतर है। हम सभी लोग यह महसूस करते हैं कि आज कल पश्चिमी संस्‍कृति हमारे व्‍यक्तिगत जीवन मे अपना स्‍थान बना चुकी है। हम लोग अपना खान-पान, रहन-सहन, पोषाक आदि सभी चीजों में पश्चिमी सभ्‍यता का अनुकरण कर रहे हैं। यदि व्‍यक्तिगत जीवन की बात की जाए तो शौचालय जैसी चीजों में भी हम पश्चिमी देशों की पद्यतियों को अपनाते जा रहे हैं। लेकिन इनका उपयोग करने से पहले हमें इंडियन टॉयलेट का उपयोग और वेस्‍टर्न टॉयलेट के उपयोग के फायदे और नुकसान के बारे में पता होना चाहिए। आइए जाने इंडियन टॉयलेट और वेस्‍टर्न टॉयलेट में क्‍या अंतर है और कौन सी व्‍यवस्‍था हमारे लिए अनुकूल है।

इंडियन टॉयलेट सीट के फायदे – Indian Toilet Ke Fayde In Hindi

भारत में सबसे ज्‍यादा इंडियन टॉयलेट का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग करते समय व्‍यक्ति अपने पैरों के सहारे बैठकर मल त्‍याग करता है। इस प्रकार की व्‍यवस्‍था को स्क्वेटिंग पोजिशन (Squatting Position) कहते हैं।

इंडियन टॉयलेट आपको फिट रखती हैं – Indian Toilet Makes You Fit In Hindi

आप व्‍यायाम के महत्‍व को जानते हैं, यह आपके जीवन में बहुत ही आवश्‍यक है। आप इंडियन टॉयलेट का उपयोग कर रोजाना व्‍यायाम कर सकते हैं जो आपकी आयु-संभाव्यता (Life Expectancy) को बढ़ा सकते हैं। कुछ लोग जो वेस्‍टर्न टॉयलेट  का उपयोग करते हैं वे भारतीय शौचालयों का महत्‍व नहीं समझते हैं। भारतीय शौचालयों का उपयोग करते समय आप न केवल अपने हाथों का उपयोग करते है बल्कि पैरों का भी उपयोग करते हैं। जिससे आपके शरीर में व्‍यायाम की स्थिति बनती और आपको पसीना भी आता है।

ऐसा माना जाता है कि जिस तरह से हम इंडियन टॉयलेट में बैठते हैं, इस स्थिति में रक्‍त परिसंचरण अच्‍छी तरह से होता है और आपके हाथों और पैरों को व्‍यायाम करने में भी मदद करता है।

भारतीय टॉयलेट गर्भावस्‍था के लिए है अच्‍छा – Bhartiya Sochalay Garbhavastha Ke Liye Achha Hai In Hindi

गर्भवती महिलाओं को इंडियन सीट का उपयोग करना चाहिए यह उनके स्‍वास्‍थ्‍य के अनुकूल होता है। इंडियन टॉयलेट का उपयोग उन्‍हें प्राकृतिक तरीके से फायदा पहुंचाता है। इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने पर यह उनके गर्भाशय पर दबाव देने से बचाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि भारतीय शौचालयों का उपयोग गर्भवती महिला को प्राकृतिक डिलीवरी (Normal delivery) के लिए और प्रसव अधिक आसान और सुरक्षित बनाने में मदद करता है।

इंडियन सीट का उपयोग स्‍वच्‍छ और स्वास्थ्‍यकर होता है – Indian Toilet Benefits for Clean And Hygienic In Hindi

शौच क्रिया के बाद साफ-सफाई बहुत ही आवश्‍यक है जो भारतीय परंपरा के अनुरूप है। आपको शायद मालूम हो कि वेस्‍टर्न टॉयलेट का उपयोग करने के बाद पेपर या जेड स्प्रे का उपयोग किया जाता है। इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने के बाद हम अपने अंगों को पानी से हाँथ से साफ करते हैं और उसके बाद साबुन और पानी के साथ अपने हाथों को साफ करते हैं। अपने गुदा द्वार को केवल पेपर से साफ करके आप पूरी तरह स्‍वच्‍छ नहीं रह सकते हैं। इसलिए अपने गुदा द्वार को साबुन से साफ करना बेहतर है ताकि बैक्‍टीरिया वहां न रहे। इसलिए इंडियन टॉयलेट का उपयोग बहुत ही फायदेमंद और स्‍वच्‍छ और स्वास्थ्‍यकर होता है।

इंडियन टॉयलेट का उपयोग करे पानी की बचत – Indian Toilet Benefits for Saves Water In Hindi

पानी को काफी हद तक भारतीय शौचालयों का उपयोग कर बचाया जा सकता है। पानी की बचत एक महत्‍वपूर्ण विषय है। यदि हम पानी की बचत नहीं करेगें तो निश्चित रूप से भविष्‍य में हमे पानी के संकट का सामना करना पड़ सकता है। जब हम इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो आमतौर पर केवल 2 या 4 मग पानी की आवश्‍यकता होती है। लेकिन यदि हम वेस्‍टर्न टॉयलेट  का उपयोग करते हैं तो हमें बहुत अधिक पानी की आवश्‍यकता होती है जो कि फ्लैश सिस्‍टम के द्वारा बर्बाद किया जाता है। इसलिए पानी की बर्बादी को रोकने के लिए इंडियन टॉयलेट का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

भारतीय टॉयलेट विभिन्‍न कैंसरो को रोकता है – Indian Toilet Prevent Colon Cancer In Hindi

पेट से संब‍ंधित कोलन कैंसर और अन्‍य बीमारियों को रोकने में इंडियन टॉयलेट का उपयोग फायदेमंद होता है। इंडियन टॉयलेट सीट में बैठना (Squatting) हमारे शरीर में कोलन से मल को पूरी तरह से निकालने में मदद करता है। इस प्रकार यह कब्‍ज, एपेंडिसाइटिस, कोलन कैंसर और अन्‍य प्रकार की बीमारियों की संभावनाओं को कम करने में मदद करता है।

इंडियन टॉयलेट पर्यावरण अनुकूल होते हैं – Indian Toilet Benefits for Eco Friendly In Hindi

कुछ लोग इंडियन टॉयलेट और वेस्‍टर्न टॉयलेट में अंतर बताते हैं कि दोनों में इंडियन टॉयलेट पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। जब आप वेस्‍टर्न टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो इसके साथ ही आपको पेपर की आवश्‍यकता होती है जिससे इस प्रकार के कागजों की बर्बादी होती है। वेस्‍टर्न टॉयलेट का उपयोग करने पर पानी भी अधिक मात्रा में खर्च किया जाता है। जबकि इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने पर आपको बहुत ही कम मात्रा में पानी की जरूरत होती है और आप साबुन का उपयोग कर आपने आपको स्‍वच्‍छ भी रख सकते हैं। इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने पर आपको किसी भी प्रकार के पेपरों को बर्बाद करने की जरूरत नहीं होती है। इसलिए इंडियन टॉयलेट का उपयोग किया जाना फायदेमंद होता है।

इंडियन टॉयलेट का उपयोग पाचन को बढ़ाता है – Indian Toilet Benefits for Digest Properly In Hindi

यदि आप अपने दैनिक जीवन में इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो यह आपके पाचन के लिए अच्‍छा माना जाता है। जब आप इंडियन टॉयलेट मे बैठते हैं तो यह भोजन को पचाने में मदद करता है। क्‍योंकि बैठते समय आपके पेट में दबाव पड़ता है जिससे मल को बाहर निकालने में आसानी होती है। जबकि वेस्‍टर्न टॉयलेट में ऐसा नहीं होता है। इनका उपयोग करते समय पेट में किसी प्रकार का दबाव नहीं पड़ता है और उपयोगकर्ता सुविधाजनक स्थिति में बैठता है।

भारतीय टॉयलेट के फायदे कब्‍ज से बचने में – Indian Toilets Prevent Constipation In Hindi

हमारे शरीर में मौजूद अपशिष्‍ट पदार्थों को पूरी तरह से बाहर निकालने में इंडियन टॉयलेट मदद करते हैं। इंडियन टॉयलेट का उपयोग करने पर यह हमारे शरीर में पर्याप्‍त दबाव देता है जिससे हमारा पेट अच्‍छी तरह से साफ हो जाता है। डॉक्‍टरों द्वारा किये गए अध्‍ययनों से पता चलता है कि भारतीयों की तुलना में पश्चिमी देशों के लोगों में पेट से संबंधित समस्‍याओं का खतरा अधिक होता है। इस प्रकार इंडियन टॉयलेट का उपयोग करके कब्‍ज और अन्‍य पेट की समस्‍याओं को दूर किया जा सकता है।

इंडियन टॉयलेट सीट के फायदे संक्रमण से बचाए – Indian Toilet Seat Sankraman Se Bachaye In Hindi

यदि आप इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद है क्‍योंकि इसका उपयोग करने पर आपको मूत्र पथ संक्रमण या यूटीआई आदि की संभावनाएं कम होती है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि टॉयलेट सीट से आपका सीधा संबंध नहीं होता है। आप अपने पैरों के सहारे इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते, जबकि वेस्‍टर्न टॉयलेट  से आपका सीधा संपर्क होता है जिसके कारण आपको ऊपर बताए गए संक्रमणों का खतरा ज्‍यादा होता है।

इंडियन टॉलेट के नुकसान – Indian Toilet Ke Nuksan In Hindi

आपके द्वारा यदि इंडियन टॉयलेट का इस्‍तेमाल किया जाता है तो यह आपके लिए फायदेमंद होता है। लेकिन इसका उपयोग कुछ विशेष लोगों के लिए नुकसान दायक भी हो सकता है। आइए जाने इंडियन टॉयलेट किन लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है।

बुर्जुग लोग, ऑस्टियोआर्थराइटिस के रोगीयों के लिए इंडियन टॉयलेट आरामदायक नहीं होता है।इंडियन टॉयलेट का इस्‍तेमाल करते समय अधिक दबाव डालने पर ब्रेन ऐन्यरिज़म (Brain Aneurysm) कोशिकाओं को क्षति पहुंच सकती है जिससे मृत्‍यु तक होने की संभावना होती है।

वेस्‍टर्न टॉयलेट कैसा होता है – Western Toilet Kaisa Hota Hia In Hindi

प‍श्चिमी सभ्यता के टॉयलेट सीट शौच क्रिया करने का ऐसा स्‍थान है जहां पर आप आसानी के साथ अपने कूल्‍हों की सहायता से बैठकर मल त्‍याग कर सकते हैं। वेस्‍टर्न टॉयलेट आजकल बहुत ही प्रचलित हो रहे हैं। इसे मुख्‍य रूप से ब्रिटेन में प्रारंभ किया गया था जो पश्चिमी देशों से होते हुए भारत जैसे अन्‍य देशों में भी उपयोग किया जाने लगा है। मल त्‍याग करने की इस व्‍यवस्‍था को सिट डाउन पॉजिशन (Sit Down Position) कहा जाता है।

वेस्‍टर्न टॉयलेट के फायदे – Western Toilet Ke Fayde In Hindi

आप जानते हैं कि भारत में भी वेस्‍टर्न टॉयलेट का उपयोग काफी प्रचलित है। इसका उपयोग करने के कुछ विशेष फायदे होते हैं जो इसकी उपयोगिता को बढ़ाते हैं। आइए जाने वेस्‍टर्न टॉयलेट के फायदे क्‍या हैं।

इंडियन टॉयलेट की अपेक्षा वेस्‍टर्न टॉयलेट को अधिक आराम दायक माना जाता है। इसका उपयोग करने पर आपको किसी भी प्रकार से मांसपेशियों में तनाव नहीं आता है। वेस्‍टर्न टॉयलेट विशेष रूप से वृद्धावस्‍था वाले लोगों के लिए सुविधा जनक होता है। इसके फायदे उन लोगों के लिए भी होते हैं जो ऑस्टियोआर्थराइटिस के रोगी हैं और जिन्‍होंने हाल ही में सर्जरी कराई है।

पश्चिमी टॉयलेट के नुकसान – Western Toilet Ke Nuksan In Hindi

यदि आप इंडियन टॉयलेट का उपयोग करते हैं लेकिन वेस्‍टर्न टॉयलेट का इस्‍तेमाल करने की सोच रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि वेस्‍टर्न टॉयलेट का उपयोग करने पर आपको किस प्रकार के नुकसान हो सकते हैं।

 वेस्‍टर्न टॉयलेट का उपयोग करने पर आपकी त्‍वचा का सीधा संपर्क टॉयलेट सीट से होता है जिसके कारण आपको संक्रमण फैलने की संभावना ज्‍यादा होती है।इंडियन टॉयलेट की अपेक्षा आपको वेस्‍टर्न टॉयलेट में अधिक पानी की आवश्‍यकता होती है।भारतीय शौचालयों की तुलना में मल त्यागने की प्रक्रिया में अधिक ताकत लगनी पड़ती है।

कुल मिलाकर, दोनों टॉयलेट सीट के अपने फायदे और नुकसान हैं। हालांकि, हमें हमेसा पानी की बचत और अपने शरीर की साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए। यह आपके ऊपर है कि आप किसे चुनते हैं, कोई भी आपको मजबूर नहीं कर रहा है। लेकिन जब भी आप टॉयलेट सीट के लिए किसी दुकानदार के पास जाते हैं तो भारतीय और पश्चिमी शौचालयों (वेस्‍टर्न टॉयलेट) के फायदे और नुकसान के बारे में उनसे बात करें और अपनी जरुरत के हिसाब से दोनों में से किसी को भी चुन सकते हैं।

                   ⏬ यें हैं मुख्य समस्या ⏬

⏬ यें हैं समस्या क्या समाधान ⏬

Monday, July 9, 2018

खाना बनाते वक्त जब हो जाए गड़बड़, तो अपनाएं ये किचन हैक्स

खाना बनाते समय अक्सर छोटी-छोटी गलतियां हम सभी करते हैं, जिससे खाने का स्वाद भी बिगड़ जाता है। पर कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप किचन के काम में परफेक्शन ला सकते हैं। खाने में कैसे आएगा स्वाद बता रही हैं मिताली जैन

जब नमक हो ज्यादा
यदि सब्जी या सूप में नमक ज्यादा हो जाए, तो एक चौथाई आलू छीलकर सूप में डाल दें। यह अतिरिक्त नमक सोख लेगा और आपको स्वाद के साथ भी कोई समझौता नहीं करना पड़ेगा। लेकिन सूप सर्व करने से पहले आलू निकालना न भूलें। 

ताकि न रुलाए प्याज
प्याज काटते समय आंखों में आंसू आना स्वाभाविक है, लेकिन इससे बचने का एक बहुत अच्छा तरीका है। प्याज को छीलकर दो हिस्सों में काट लें। फिर एक बड़ी कटोरी में पानी लेकर उन दोनों हिस्सों को पांच मिनट के लिए रख दें। 

जब पांच मिनट बाद प्याज काटेंगी, तो आंखों से आंसू नहीं आएंगे। आप चाहें तो अपने चाकू पर थोड़ा-सा नींबू का रस भी डाल सकते हैं, इससे भी प्याज काटते समय आंखों से पानी नहीं आता। 

इसके अलावा प्याज को पॉलीथिन में बांधकर आधे घंटे के लिए फ्रिज में रख दें। इसके बाद प्याज काटें। 

अगर जल जाए चावल
अगर चावल पकाते समय हल्का जल जाए, तो उन्हें फेंकें नहीं। बस चावलों को आंच से उतारकर उसके ऊपर सफेद ब्रेड दस मिनट के लिए रख दें। यह चावलों से जली हुई महक खत्म कर देगी और चावल फिर से खाने लायक हो जाएंगे।

स्वादिष्ट पुदीने की चटनी
पुदीने की चटनी अगर आप मिक्सी में बना रही हैं, तो इसे ज्यादा देर तक मिक्सी में न पीसें अन्यथा इसके स्वाद में कड़वाहट आ जाएगी। 

दरअसल, ज्यादा देर तक पीसते रहने से पत्ते के तेल से विकृत गंध निकलना शुरू हो जाती है। जो चटनी के स्वाद को खराब कर देती है। 

अगर आप सिर्फ पुदीना की चटनी बनाना चाहती हैं, तो ग्राइडिंग स्टोन यानी सिलबट्टे पर पीसें। इस तरीके से पत्ते का तेल धीरे-धीरे निकलता है। इस कारण स्वाद खराब होने की संभावना कम हो जाती है।

रसभरा है नींबू
एक नींबू में तकरीबन तीन चम्मच तक रस होता है, लेकिन हम कभी भी उसका सारा रस नहीं निकाल पाते। अगर आप चाहती हैं नींबू का सारा रस निकालना, तो नींबू को पहले बीस सेकंड के लिए माइक्रोवेव में गर्म करें। फिर उसे बीच से काटकर रस निकालें। इससे नींबू का सारा रस निकल जाएगा।

जब दोबारा इस्तेमाल करें तेल
अगर आप कुकिंग तेल को बिना किसी गंध के दोबारा इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो इसे पहले धीमी आंच पर रखें। फिर कटे हुए अदरक को पंद्रह मिनट के लिए तेल में पकाएं। अदरक पहले पकाए हुए पकवान की गंध को खत्म कर देगा। ध्यान रहे कि अदरक के स्लाइस धीरे-धीरे ही गोल्डन ब्राउन हों।

अदरक का आकार
अदरक की आकृति कुछ ऐसी होती है, जिसे छीलने में काफी परेशानी आती है और अदरक का काफी हिस्सा यूं ही बेकार चला जाता है। इससे बचने के लिए आप किसी पीलर का इस्तेमाल करने की बजाय छोटे चम्मच के पिछले हिस्से से इसे आराम से घिसिए। इससे अदरक का एक बड़ा हिस्सा बरबाद होने से बच जाएगा।

ताकि तीखी न हो मिर्च
कुछ महिलाओं को मिर्च काटने के बाद हाथों में जलन की शिकायत होती है। इससे बचने के लिए मिर्च काटने से पहले अपने हाथों में वेजिटेबल ऑयल लगाएं। अगर आप तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहती हैं, तो मिर्च को दो टुकड़ों में काटें। फिर कांटे की मदद से उसके बीज निकाल लें। यह एक बेहतर तरीका है।

झटपट जमाएं बर्फ 
गर्मियों में बर्फ शीघ्र जमानी हो, तो आप गर्म पानी को ही फ्रिज में जमने के लिए रखें। हैरानी में पड़ गई न! हां, यह सच है कि गर्म पानी सामान्य पानी की अपेक्षा जल्दी जमता है।

Friday, July 6, 2018

एसी 24 डिग्री पर सेट करने से क्या हो जाएगा?


'गर्मी बहुत है यार, एसी चला दे 18 पर!' मई-जून की चिलचिलाती गर्मी हो या फिर बारिश के बाद जुलाई-अगस्त की उमस, दिल्ली समेत उत्तर भारत में एयरकंडिशनर के बिना अब काम नहीं चलता.

एक ज़माना था जब किसी के घर एसी लगने पर उसके रईस होने की चर्चा शुरू हो जाती थी, लेकिन अब खिड़कियों के बाहर टंगे एसी आम बात है.

लेकिन इन दिनों ये एसी दूसरी वजहों से चर्चा में हैं. ख़बरें उड़ी कि एसी को अब 24 डिग्री सेल्सियस तापमान से नीचे नहीं चलाया जा सकेगा.

ये आधा सच है. पूरा ये कि ऊर्जा मंत्रालय ने सलाह दी है कि एसी की डिफ़ॉल्ट सेटिंग 24 डिग्री सेल्सियस रखी जाए ताकि एनर्जी बचाई जा सके. ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि अगले छह महीने तक जागरुकता अभियान चलाया जाएगा और प्रतिक्रिया ली जाएगी.

अगर सब ठीक रहा है तो एसी को 24 डिग्री पर सेट करना अनिवार्य बनाया जा सकता है. मंत्रालय का दावा है कि इससे एक साल में 20 अरब यूनिट बिजली बचाई जा सकेगी.

ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह ने पूरा मामला समझाने की कोशिश की.

ये बक्सा रेगिस्तान से पानी निचोड़ लेता हैघंटों इंतज़ार, फिर धक्का-मुक्की और गालियां, तब मिलता है पानी

''एसी पर 1 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर बढ़ाने से 6% एनर्जी बचती है. न्यूनतम तापमान को 21 डिग्री के बजाय 24 डिग्री पर सेट करने से 18% एनर्जी बचेगी.''

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि कमरे में तापमान कम पर रखने के लिए कम्प्रेसर को ज़्यादा वक़्त तक मेहनत करनी होती है और 24 से 18 डिग्री पर सेट करने के बजाय ऐसा नहीं कि तापमान वाकई इतना कम हो जाता है.

क्यों एसी को लेकर बवाल?

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लेकिन ये पूरा मामला क्या है? क्या वाक़ई कोई सरकार ये तय कर सकती है कि हमारा एसी किस तापमान पर चलेगा? और अगर ऐसा हो तो भी क्या फ़ायदा है? क्या एसी का टेम्परेचर ज़्यादा रहने से प्रकृति को कुछ फ़ायदा होता है?

सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरमेंट में प्रोग्राम मैनेजर, (सस्टेनेबल स्टडीज़) अविकल सोमवंशी ने बीबीसी को बताया कि सरकार ये प्रयोग करके देखना चाहती है.

गर्मी बढ़ने का एक कारण, ठंडक देने वाले एयर कंडिशनर

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इसमें एसी बनाने वाली कंपनियों से कहा जा सकता है कि वो एसी की डिफ़ॉल्ट सेटिंग 24 डिग्री पर रखें. फिलहाल एसी कंपनियां 18 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच ये तापमान रखती हैं.

उन्होंने कहा, ''अगर बात बनती है तो आगे बनने वाले एसी में 24 डिग्री सेल्सियस तापमान सेट होगा, जिसे ग्राहक ज़रूरत पड़ने पर कम या ज़्यादा कर सकता है.''

सोमवंशी का कहना है कि ऊर्जा संरक्षण और प्रकृति के बचाव के हिसाब से ये काफ़ी अहम फ़ैसला साबित हो सकता है.

''असल में एसी कमरे का तापमान 18 डिग्री तक ले जाने के लिए बने ही नहीं है. होता क्या है कि एसी का तापमान 18-20 डिग्री सेल्सियस सेट होता है और लोग उसे बदलने की ज़हमत भी नहीं उठाते. ऐसा करने पर वो ज़्यादा एफ़िशिएंट नहीं रहते, ज़्यादा बिजली खाते हैं.''

एसी क्या सच दिखाता है?

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''और आपको जानकर हैरानी होगी कि जब एसी का बोर्ड तापमान 18 डि.से. पर दिखा रहा होता है तो कमरे का तापमान असल में इतना नहीं होता.''

और एसी का तापमान तय करने की ये कोशिश पहली बार नहीं है. दुनिया के दूसरे मुल्क़ों में भी ऐसा है. जापान में 28, हॉन्गकॉन्ग में 25.5 और ब्रिटेन में 24 डिग्री सेल्सियस पर इसे तय किया गया है.

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लेकिन ये तो बात हुई नए एसी की. उन लाखों पुराने एसी का क्या, जो पहले से घरों में लगे हैं, सोमवंशी ने कहा, ''ऊर्जा मंत्रालय की तरफ़ से आया बयान साफ़ कुछ नहीं कहता लेकिन इशारा इस तरफ़ भी है कि मौजूदा एसी के तापमान को भी 24 या उससे ज़्यादा रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.''

सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरमेंट का कहना है कि सरकार के नए प्रस्ताव को एसी कंपनियों की तरफ़ से हरी झंडी मिल गई है, लेकिन एसी के लिए डिफ़ॉल्ट तापमान सेट करने की जो कोशिश 2016 से जारी हैं, उनका विरोध भी हुआ है.

सीएसई के मुताबिक बीईई ने इससे पहले ये प्रस्ताव दिया था कि एसी ऑन करने पर तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रहे. कंपनियों का कहना था कि अगर ऐसा होता है तो ग्राहक को दिक्कत होगी और उसे हर बार एसी चालू करने पर इसे बदलना होगा.

देश में सभी इमारतों के लिए इंडोर कंफ़र्ट मानक तय करने वाले नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) सेंट्रली एयरकंडीशंड इमारतों में एसी का तापमान 23.5-25.5 डिग्री सेल्सियस रखा जा सकता है जबकि घरों में लगने वाले एसी के मामले में ये 29 डिग्री तक हो सकता है.

कौन सा तापमान सही?

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जापान साल 2005 से इस बारे में अभियान चला रहा है जिसमें कंपनियों और आम घरों को एसी का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस पर रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

अमरीका के कैलिफ़ोर्निया में भी इसके मानक तय हैं जहां गर्मियों में 25.6 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान नहीं रख सकते. दुनिया की जानी-मानी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इसे 23.3-25.6 डिग्री सेल्सियस रखने को कहा जाता है तो लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में 24 डिग्री सेल्सियस के आसपास रखने के निर्देश हैं.

सीएसई के मुताबिक एसी दरअसल किसी परिवार के बिजली के बिल का 80 फ़ीसदी हिस्सा रखते हैं. स्टडी के मुताबिक दिल्ली में गर्मियों के महीने में जितनी बिजली इस्तेमाल होती है, आधे से ज़्यादा घरों को ठंडा रखने के लिए है.

दरअसल, एयर कंडिशनर चलाने के लिए बिजली का ज़्यादा इस्तेमाल होता है. ये अतिरिक्त बिजली हमारे पर्यावरण को और गर्म बना रही है. पर्यावरणविदों का कहना है कि साल 2001 के बाद के 17 में से 16 साल अधिक गर्म रहे हैं.

ऐसे में एयर कंडिशनर की बढ़ती डिमांड कोई हैरानी का विषय नहीं है. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक 2050 तक एयर कंडिशनर चलाने के लिए लगने वाली एनर्जी आज के मुक़ाबले में तीन गुना हो जाएगी.

इसका मतलब साल 2050 तक दुनियाभर के एयर कंडिशनर उतनी बिलजी की खपत करेंगे जितनी अमरीका, यूरोपीय संघ और जापान मौजूदा वक्त में मिलकर करते हैं.

सीएसई के एक पुराने अध्ययन में कहा गया था कि जब बाहर का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचता है तो 5 स्टार रेटिंग वाले एसी 25 फ़ीसदी ज़्यादा बिजली खाते हैं और उनकी ठंडा रखने की क्षमता 13-15 फ़ीसदी तक गिर जाती है.

एसी बनाम कूलर

देखिए धंधा-पानी

लेकिन क्या एसी गर्मी भगाता है? अविकल सोमवंशी से जब ये पूछा गया कि क्या एसी से निकलने वाली गर्मी, प्रकृति का तापमान भी बढ़ाती है, उन्होंने कहा ''ऐसी कोई सटीक स्टडी तो याद नहीं आती. लेकिन ऐसी कई रिसर्च हैं जो बताती है कि एसी घर की गर्मी निकालकर बाहर कर देता है. वो गर्मी ख़त्म नहीं करता, बल्कि उसकी जगह बदल देता है.''

दूसरी तरफ़ डेज़र्ट कूलर के मामले में अलग टेक्नोलॉजी काम करती है. कूलर गर्म हवा लेता है, उसे भीतर घुमाता है, पानी की मदद से उसी हवा को ठंडा बनाता है और फिर बाहर फेंकता है.

सोमवंशी ने कहा, ''कूलर को लेकर दिक्कत ये भी है कि भारत में उन्हें लेकर कोई स्टार रेटिंग सिस्टम नहीं है, जैसा कि एसी या पंखों के मामले में होता है.''

भारत में काफ़ी गर्मी पड़ती है, इसलिए यहां रहने वाले लोग उस गर्मी को झेलने की क्षमता भी रखते हैं. ऐसे में एसी को 18 या 20 पर चलाने को सामान्य ज़रूरत नहीं बताया जा सकता.

उन्होंने कहा, ''यूरोप के कुछ मुल्क़ ऐसे हैं, जहां अगर तापमान 28 डिग्री पार कर जाता है तो वहां कहा जाता है कि गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. जबकि भारत में 40 डिग्री तापमान भी सामान्य है.''

लेकिन क्या सिर्फ़ एसी या कूलर के दम पर गर्मी ने निपटा जा सकता है? जानकार बताते हैं कि भारत में बड़ी दिक्कत ये भी है कि इमारतों के बनने में लगने वाला सामान और उनका डिजाइन गर्मी बढ़ाने वाला है.

सोमवंशी ने कहा, ''यहां ज़्यादातर मकान कंक्रीट के बनते हैं. मकान करीब-करीब होते हैं क्योंकि आबादी का घनत्व ज़्यादा है. इसके अलावा इमारत बनाते वक़्त वेंटिलेशन का ध्यान भी नहीं दिया जाता. यही वजह है कि रात में भी मकान ठंडे नहीं होते.''

Wednesday, May 23, 2018

त्रिदोष नाशक दाल

वात, कफ और पित्त की समस्या को दूर करने के लिए ऐसे करें मूंग दाल का सेवन !

मूंग की छिलके वाली दाल को स्टील के बर्तन में पकाकर यदि शुद्ध देसी घी में हींग-जीरे से छौंककर खाया जाये तो यह वात-पित्‍त और कफ तीनों दोषों को शांत करती है। इस दाल का प्रयोग रोगी व निरोगी दोनों कर सकते हैं। 

मूंग की छिलका​ दाल – वात, कफ और पित्त का संतुलन बिगड़ने से हमारा शरीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है. हालांकि अधिकांश लोग वात, कफ और पित्त के बारे में नहीं जानते हैं.

अगर आप भी नहीं जानते हैं तो हम आपको बता दें कि सिर से लेकर छाती के बीच तक के रोग कफ के बिगड़ने से होते हैं.

जबकि छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक होनेवाले रोग पित्त के बिगड़ने की वजह से होते हैं. तो वहीं कमर से लेकर घुटने और पैरों के आखिर तक होनेवाली बीमारियां वात के बिगड़ने से होती हैं.

लेकिन आप मूंग की छिलका​ दाल की मदद से वात, कफ और पित्त की समस्या को दूर करके खुद को कई बीमारियों से बचा सकते हैं. लेकिन इससे पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि आखिर वाक, पित्त और कफ दोष होता क्या है।

वात, कफ और पित्त दोष है क्या ?

शरीर में वात, कफ और पित्त के बीच संतुलन के बिगड़ने से ही हमारा शरीर कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है. हालांकि ये कोई दोष नहीं बल्कि ये धातुएं है जो हर इंसान के शरीर में मौजूद होती हैं और उसे स्वस्थ रखती हैं. जब शरीर के भीतर मौजूद ये धातुएं दूषित या विषम होकर रोग पैदा करती हैं तब ये दोष में तब्दील हो जाती है.

वात, पित्त और कफ के असंतुलन से होनेवाली समस्या को त्रिदोष कहते हैं. इन तीनों के असंतुलन से होनेवाली बीमारियों से निजात पाने के लिए त्रिदोष को फिर से संतुलन में लाना पड़ता है.

वात, कफ और पित्त दोष के लक्षण

पित्त- 14 से 60 साल की उम्र के बीच अगर कोई पित्त दोष से होनेवाली बीमारियों से परेशान है तो उसके अंदर बार-बार पेटदर्द का होना, गैस बनना, खट्टी डकारे आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

कफ- बच्चे के जन्म से लेकर 14 साल की उम्र तक कफ का संतुलन बिगड़ने से बार-बार खांसी, सर्दी, छींक की समस्या जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

वात- बुढ़ापे के दौरान शरीर में वात का संतुलन बिगड़ने के चलते लोग इससे होनेवाली बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं. ऐसे में घुटने और जोड़ों में सबसे ज्यादा दर्द होता है.

मूंग की छिलका​ दाल से दूर करें वात,कफ और पित्त

वैसे तो लोग खाने में कई तरह की दालें खाते हैं लेकिन इन सबमें मूंग की दाल ही एकमात्र ऐसी दाल है जो सबसे पौष्टिक है और इसमें विटामिन ए, बी, सी, ई भरपूर मात्रा में पाई जाती है.

मूंग की दाल में पोटैशियम, आयरन, कैल्शियम, मैग्निशियम, कॉपर, राइबोफ्लेविन, फाइबर और फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है और इस दाल की खासियत है कि इसमें कैलोरी की मात्रा एकदम कम होती है.

वात, कफ और पित्त दोष से निजात पाने के लिए मूंग की छिलके वाली दाल को पकाकर इसमें शुद्ध देसी घी से हींग और जीरे का तड़का लगाकर खाना चाहिए. इस तरह से बनाई गई दाल का सेवन करने से आप अपने शरीर के इस त्रिदोष को शांत कर सकते हैं.

गौरतलब है कि मूंग की दाल का सेवन स्वस्थ और बीमार लोग भी कर सकते हैं. इसलिए अगर आप भी वात, पित्त और कफ की समस्या से परेशान हैं तो फिर मूंग की दाल का सेवन करके अपने शरीर को स्वस्थ और निरोगी बना सकते हैं।

Thursday, May 10, 2018

ध्यान दें और बचें इन 10 मॉर्निंग मिस्टेक्स से

 कहते हैं, अगर सुबह की शुरुआत अच्छी हो, तो दिन अच्छा गुज़रता है, लेकिन अगर शुरुआत ही ग़लत हो, तो उसके परिणाम तो ग़लत ही होंगे ना! अमूमन हर व्यक्ति सुबह-सुबह ऐसी कई ग़लतियां करता है, जिसका सीधा असर उसकी हेल्थ पर पड़ता है. ये मॉर्निंग मिस्टेक्स न स़िर्फ हमारा दिन ख़राब कर सकती हैं, बल्कि लंबे समय तक इनका दोहराव हमें कई हेल्थ प्रॉब्लम्स भी दे सकता है।


झटके से उठकर काम में लग जाना

दिन की शुरुआत धीरे-धीरे व शांति से करनी चाहिए. आंख खुलने पर थोड़ी देर रिलैक्स रहें, फिर दाईं करवट लेकर उठ जाएं. दाईं करवट लेकर उठने से सुप्त अवस्था में शिथिल पड़ी ऊर्जा का पूरे शरीर में बेहतर संचार होता है. यह शरीर में ऊर्जा के संचार को संतुलित करता है. आराम से उठकर कुछ देर लंबी व गहरी सांसें लें, अगर प्यास लगी हो, तो एक ग्लास पानी पीएं.

स्ट्रेचिंग न करना

सोते व़क्त हमारे शरीर की मांसपेशियां, ख़ासतौर से रीढ़ की हड्डी सख़्त हो जाती है, जिसे सामान्य करने के लिए सोकर उठने पर शरीर को स्ट्रेच करें. अंगड़ाई लें. तीन-चार बार शरीर को स्ट्रेच करें और बांहें फैलाकर सुबह की पॉज़िटिव एनर्जी को ख़ुद में महसूस करें. ऐसा करने से दिनभर शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति बनी रहती है.

नींबू पानी की जगह चाय पीना

हेल्थ व फिटनेस एक्सपर्ट्स के मुताबिक़, ज़्यादातर लोग सुबह चाय पीने की मॉर्निंग मिस्टेक करते हैं. बहुत से लोगों को बेड टी की आदत होती है, जो उनकी हेल्थ के लिए सही नहीं. खाली पेट चाय कभी न पीएं. अपने दिन की शुरुआत हमेशा नींबू पानी से करें, क्योंकि यह शरीर से टॉक्सिन निकालकर आपके मेटाबॉलिज़्म व इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है. इसके बाद अगर आप चाहें, तो ग्रीन टी पीएं.

ब्रेकफास्ट न करना

ब्रेकफास्ट न करना डायबिटीज़, मोटापा और रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी कारण बनता है. हॉर्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुताबिक़ ब्रेकफास्ट न करने से हमारे शरीर पर अतिरिक्त तनाव पड़ता है. दरअसल, रात के खाने और सुबह के ब्रेकफास्ट के बीच लंबा गैप होता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल कम होता है. अगर सोकर उठने के एक घंटे के अंदर हम कुछ नहीं खाते, तो ब्लड शुगर का स्तर और गिर जाता है, जिससे सुस्ती महसूस होती है. इसके अलावा ज़्यादातर लोग चाय-बिस्किट से दिन की शुरुआत करते हैं, जबकि आपको भिगोए हुए बादाम, होल व्हीट ब्रेड, रोटी या किसी फल से अपने दिन की शुरुआत करनी चाहिए.

आंखें खोलते ही मोबाइल चेक करना

सुबह-सुबह नींद खुलने पर बहुत से लोगों का हाथ सबसे पहले अपने मोबाइल फोन को ढूंढ़ता है. आंखें मलते हुए ज़रूरी ईमेल्स या मैसेजेस चेक करने से आपको स्ट्रेस हो सकता है, जो आपका पूरा दिन ख़राब कर सकता है. सुबह-सुबह का तनाव आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं, इसलिए सोकर उठने के तुरंत बाद ही ईमेल्स चेक न करें.

एक्सरसाइज़ न करना

न्यूट्रीशन, एक्सरसाइज़, पॉज़िटिव सोच और आराम हमारी सेहत के चार स्तंभ हैं. अगर इनमें से एक भी कमज़ोर रहा, तो हेल्थ प्रॉब्लम्स होना लाज़मी है. हर रोज़ सुबह हमें आधा घंटा एक्सरसाइज़ के लिए देना चाहिए. मॉर्निंग वॉक, योग, प्राणायाम आदि को अपने रूटीन में शामिल करें.

मुस्कुराने में कंजूसी करना

आपकी मुस्कान आपकी सेहत को और बेहतर बनाती है, यही वजह है कि सुबह-सुबह आपको बहुत से लाफ्टर क्लब देखने को मिल जाएंगे. सुबह-सुबह हंसने-मुस्कुराने से आपका इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है, हार्ट बीट सामान्य रहती है और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, इसलिए मुस्कुराने में कंजूसी न करें और खुलकर हंसें-मुस्कुराएं.

रोज़ाना एक ही एक्सरसाइज़ करना

ज़्यादातर लोग यह मॉर्निंग मिस्टेक करते हैं. शरीर के एक हिस्से को फोकस करके एक ही एक्सरसाइज़ को रोज़ाना दोहराते हैं, जिससे उस हिस्से पर एक्स्ट्रा प्रेशर पड़ता है, जो ठीक नहीं है. हफ़्ते में 2 दिन साइकलिंग, तीन दिन वर्कआउट और दो दिन किसी स्पोर्ट्स को दिया जा सकता है. इससे न स़िर्फ आपके रूटीन में बदलाव आता है, बल्कि आपका मेटाबॉलिज़्म भी मज़बूत होता है.

चिड़चिड़ेपन और ग़ुस्से में रहना

सुबह-सुबह उठते ही दिन में करनेवाले कामों को याद करके उन पर ग़ुस्सा होने या अपनेरूटीन को कोसने से आपकी हेल्थ अच्छी नहीं होती, बल्कि आप अपनी सेहत को ख़ुद नुक़सान पहुंचाते हैं. ग़ुस्सा और चिड़चिड़ापन पॉज़िटिव एनर्जी को ब्लॉक करता है, जिससे आप नेगेटिव एनर्जी से घिरे रहते हैं और वो किसी की सेहत के लिए ठीक नहीं. माना कि आजकल सभी को उठकर दिनभर के काम याद आते हैं, पर उन विचारों को कंट्रोल करना आपके ही हाथ में है. ख़ुद को ख़ुश रखें और स्वस्थ रहें.

एक दिन पहले प्लानिंग न करना

आजकल सभी की ज़िंदगी भागदौड़ भरी हो गई है, ऐसे में मिनट दर मिनट नपा-तुला होता है. इसमें ज़रा-सा भी फेरबदल आपको बेवजह का तनाव दे देता है और आप झल्लाने-चिढ़ने लगते हैं, जिससे आपके हार्ट पर प्रेशर पड़ता है और आप अपनी ही सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं. इसलिए अगले दिन की सारी तैयारी रात को ही करके रखें, चाहे वो कपड़े, खाना या काम की कोई तैयारी हो. इससे सारे काम आसानी और सहजता से पूरे हो जाएंगे और आप दिनभर ख़ुश व उत्साहित भी रहेंगे.

आज़माएं ये मॉर्निंग मैजिक ट्रिक्स

–    रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले ईश्‍वर को सभी चीज़ों के लिए धन्यवाद कहें.

–    बिस्तर से उठकर आईना देखें और ख़ुद को देखकर मुस्कुराएं. आपके चेहरे की ये मुस्कान दिनभर आपके साथ रहेगी.

–    आईने में देखकर ख़ुद से कहें कि आज आपका दिन बहुत अच्छा होगा.

–    खाली पेट एक ग्लास गुनगुना पानी पीएं. यह आपके बॉडी से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है.

–   नित्य क्रिया से निपटकर योग या एक्सरसाइज़ करें. अगर मुमकिन हो, तोे वॉक पर चले जाएं या साइकलिंग करें. यह आपके एनर्जी लेवल को बूस्ट करता है.

–    चाय-कॉफी की बजाय नींबू पानी और हैवी ब्रेकफास्ट करें.

–    पूरे दिन के कामों की लिस्ट देखकर प्राथमिकता के अनुसार काम सेट करें.

–   समय के अनुसार काम करें. अगर कभी देर हो जाती है, तो बेवजह स्ट्रेस न लें, क्योंकि आपके स्ट्रेस लेने से चीज़ें बेहतर नहीं हो जाएंगी.

–    कभी-कभी हम ट्रैफिक में फंस जाते हैं, तब भी बेचैन होते रहते हैं. उस व़क्त की बेचैनी और तनाव का असर आपकी सेहत पर ही पड़ेगा, इसलिए शांत रहें.

–    ज़रूरी नहीं कि चीज़ें और हालात हमेशा आपके अनुसार ही हों. ऐसे में संयम बहुत ज़रूरी है. संयम और शांति से काम करनेवाले हमेशा ख़ुशहाल और संतुष्ट रहते हैं.

–    ये मॉर्निंग मैजिक ट्रिक्स आपके दिन को एक अच्छी शुरुआत देंगे.

–    तो आज से ही इन छोटी-छोटी मॉर्निंग मिस्टेक्स से बचें और हेल्दी व फिट रहें।

Tuesday, May 1, 2018

ये है वैज्ञानिक कारण की किस दिशा में रात को सोना चाहिए, ज़रूर जाने


आज हम आपको अपनी इस  पोस्ट के  माध्यम से किस दिशा में सोना चाहिए उसका वैज्ञानिक कारण सहीत फ़ायदे और किस दिशा में नही सोना चाहिए उसके हानिकारक प्रभाव के बारे में बताएँगे।  उत्तर दिशा में सिर रख कर सोने के लिए अकसर हमें मना किया जाता है।
क्या ये नियम पूरी दुनिया में सभी स्थानों पर लागू होता है?
क्या है इसका विज्ञान?
कौनसी दिशा सोने के लिए सबसे अच्छी है?

सोते वक़्त दिशाओ का बहुत परभाव पड़ता है

किस दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए-

आपका दिल शरीर के निचले आधे हिस्से में नहीं है, वह तीन-चौथाई ऊपर की ओर मौजूद है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ रक्त को ऊपर की ओर पहुंचाना नीचे की ओर पहुंचाने से ज्यादा मुश्किल है। जो रक्त शिराएं ऊपर की ओर जाती हैं, वे नीचे की ओर जाने वाली धमनियों के मुकाबले बहुत परिष्कृत हैं। वे ऊपर मस्तिष्क में जाते समय लगभग बालों की तरह होती हैं। इतनी पतली कि वे एक फालतू बूंद भी नहीं ले जा सकतीं।

अगर एक भी अतिरिक्त बूंद चली गई, तो कुछ फट जाएगा और आपको हैमरेज (रक्तस्राव) हो सकता है। ज्यादातर लोगों के मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है। यह बड़े पैमाने पर आपको प्रभावित नहीं करता मगर इसके छोटे-मोटे नुकसान होते हैं। आप सुस्त हो सकते हैं, जो वाकई में लोग हो रहे हैं। 35 की उम्र के बाद आपकी बुद्धिमत्ता का स्तर कई रूपों में गिर सकता है जब तक कि आप उसे बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत नहीं करते। आप अपनी स्मृति के कारण काम चला रहे हैं, अपनी बुद्धि के कारण नहीं। पारंपरिक रूप से आपसे यह भी कहा जाता है कि सुबह उठने से पहले आपको अपनी हथेलियां रगड़नी चाहिए और अपनी हथेलियों को अपनी आंखों पर रखना चाहिए।

दक्षिण दिशा की ओर सिर रखने के फायदे –

दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना बेहतर माना गया है. ऐसी स्थ‍िति में स्वाभाविक तौर पर पैर उत्तर दिशा में रहेगा. शास्त्रों के साथ-साथ प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, सेहत के लिहाज से इस तरह सोने का निर्देश दिया गया है। यह मान्यता भी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है।क्योकि सोते समय सही दिशा का बहुत परभाव पड़ता है

उत्तर की ओर क्यों न रखें सिर
दरअसल, पृथ्वी में चुम्बकीय शक्ति होती है. इसमें दक्षिण से उत्तर की ओर लगातार चुंबकीय धारा प्रवाहित होती रहती है. जब हम दक्षिण की ओर सिर करके सोते हैं, तो यह ऊर्जा हमारे सिर ओर से प्रवेश करती है और पैरों की ओर से बाहर निकल जाती है. ऐसे में सुबह जगने पर लोगों को ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है।इसलिए दक्षिण की तरफ सिर कर के सोना चाहिए ताकि आप सुबह ताजगी महसूस करे

अगर इसके विपरीत करें सिर –

इसके विपरीत, दक्षिण की ओर पैर करके सोने पर चुम्बकीय धारा पैरों से प्रवेश करेगी है और सिर तक पहुंचेगी. इस चुंबकीय ऊर्जा से मानसिक तनाव बढ़ता है और सवेरे जगने पर मन भारी-भारी रहता है।और कई बार सिर दर्द जैसी समस्या भी हो जाती है

पूरब की ओर भी रख सकते हैं सिर 
दूसरी स्थ‍िति यह हो सकती है कि सिर पूरब और पैर पश्चिम दिशा की ओर रखा जाए. कुछ मान्यताओं के अनुसार इस स्थि‍ति को बेहतर बताया गया है. दरअसल, सूरज पूरब की ओर से निकलता है. सनातन धर्म में सूर्य को जीवनदाता और देवता माना गया है. ऐसे में सूर्य के निकलने की दिशा में पैर करना उचित नहीं माना जा सकता. इस वजह से पूरब की ओर सिर रखा जा सकता है।इसलिए कभी भी पूरब की तरफ पैर  कर के ना सोये

कुछ जरूरी निर्देश

शास्त्रों में संध्या के वक्त, खासकर गोधूलि बेला में सोने की मनाही है।सोने से करीब 2 घंटे पहले ही भोजन कर लेना चाहिए। सोने से ठीक पहले कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए।अगर बहुत जरूरी काम न हो तो रात में देर तक नहीं जागना चाहिए।जहां तक संभव हो, सोने से पहले चित्त शांत रखने की कोशि‍श करनी चाहिए।सोने से पहले प्रभु का स्मरण करना चाहिए और इस अनमोल जीवन के लिए उनके प्रति आभार जताना चाहिए।

विनम्र विनती :

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Tuesday, April 24, 2018

घर की रसोई में रखें इन वास्तु टिप्स का ध्यान, खुश रहेंगी पत्नी

   

घर में रसोई का वास्तु खराब होने पर उसका सबसे खराब असर उस घर की गृहणी पर पड़ता है जो कि अपना अधिकतम समय रसोई में ही बिताती है

घर में रसोई का वास्तु खराब होने पर उसका सबसे खराब असर उस घर की गृहणी पर पड़ता है जो कि अपना अधिकतम समय रसोई में ही बिताती है। ऐसे में रसोई को बनाते समय वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। इससे न केवल घर वरन घर में रहने वाली महिलाओं का स्वास्थ्य सही रहता है और घर में सौभाग्य का आगमन होता है। सामान्त तौर पर रसोई में इन वास्तु नियमों का ध्यान रखना चाहिएः

(1) रसोई को हमेशा घर के दक्षिण-पूर्व यानि अग्निकोण दिशा में ही बनवाना चाहिए। यदि इस कोण में रसोई बनाना संभव न हो तो वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) पर बनवा सकते हैं। साथ ही चूल्हा का स्थान भी रसोई के अग्नि कोण में ही रखना चाहिए।

(2) इसके अलावा रसोई में पानी का घड़ा, वाटर प्यूरीफायर आदि रसोई की ईशान कोण (उत्तर-पूर्वी दिशा) में होना चाहिए। परन्तु इस दिशा में सिंक न बनवाएं, अन्यथा घर में बिन बुलाई आपत्तियां आती रहती हैं। साथ ही रसोई से लगा हुआ कोई जल स्त्रोत नहीं होना चाहिए। रसोई के बाजू में बोर, कुआँ, बाथरूम बनवाना अवाइड करें, सिर्फ वाशिंग स्पेस दे सकते हैं।

(3) रसोई की दक्षिण दिशा में कभी भी कोई दरवाजा या खिड़की नहीं होने चाहिए। बाकी तीनों दिशाओं में खिड़की तथा दरवाजे रखे जा सकते हैं। खिड़की व दरवाजों का पूर्व व उत्तर दिशा में होना सबसे बेहतर रहता है। खिड़की भी पर्याप्त बड़ी होनी चाहिए ताकि रसोई में बाहर की ताजी हवा आ सकेंष

(4) रसोई बनवाते समय ध्यान रखना चाहिए वहां सूर्य की रोशनी तथा हवा के वेंटीलेशन का पूरा इंतजाम हो। रसोई में चूल्हे की गर्म हवा निकालने के लिए भी वेंटीलेटर होना चाहिए।

(5) रसोई में कभी भी शीशे (मिरर) का प्रयोग नहीं होना चाहिए। इससे घर में गृह-क्लेश का वातावरण बनता है।

(6) घर की रसोई में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही घर में पितृदेव भी प्रसन्न रहकर अपना आर्शीवाद देते हैं।

Sunday, April 22, 2018

☣ चिंता खत्म ✳ किचन टिप्स ☣

☣ माइक्रोवेव- माइक्रोवेव में एक कटोरे में दो कप पानी भरें और उसमें एक चम्मच नींबू का रस डालें। अब माइक्रोवेव को पांच मिनट तक के लिए चला कर छोड़ दें। जब वह रुक जाए तब उसके भीतर को एक पेपर टॉवल लें कर साफ करें। इससे माइक्रोवेव भी साफ हो जाएगा और उसमें से अच्छी महक भी आने लगेगी।


☣ सिंक- सिंक से चिपचिपे ग्रीस को हटाने के लिए उसमें से कई बार गरम पानी का बहाव करना पड़ेगा। इसके बाद एक कप सफेद सिरका डालें और बेसिन को थोड़े से बेकिंग पाउडर सोडे से साफ करें।

☣ फ्रिज- अगर आपको फ्रिज के भीतर सफाई करनी है, तो गरम पानी और बेकिंग सोडा का प्रयोग करें। इसके बाद फ्रिजर को भी साफ करें।

☣ किचन कैबिनेट- कैबिनेट को साफ करने के लिए ल्किविड सोप और सफेद सिरका लें और पोंछे। जब अच्छे से पोंछ लें तब एक साफ कपड़ा लें और उसे गरम पानी में डुबो कर बचा हुआ साबुन का घोल कैबिनेट के अंदर से साफ करें।

☣ किचन की जमीन- अगर जमीन पर कोई चिपचिपी चीज गिर गई हो, तो उस पर ब्लीच डाल दें और फिर उसे ब्रश से रगड़े। जमीन को चमकदार बनाने के लिए एक कप सिरके में गरम पानी डाल कर सफाई करिये।

☣ यदि आप डेजर्ट बना रहे हों तो भारी तले का बर्तन इस्तेमाल करें। इससे बर्तन जलेगा नहीं और डेजर्ट का स्वाद भी बढ़ेगा।

☣ यदि आप डेजर्ट का क्रीमी टेक्चर चाहती हैं तो फुल क्रीम दूध का इस्तेमाल करें। 

☣ पतीले में थोड़ा पानी डालें इसके बाद दूध उबालें। इससे बर्तन की तली में दूध नहीं चिपकेगा।

☣ किशमिश को एयरटाइट डिब्बे में बंद कर उसे रेफ्रीजरेट करने वे ज्यादा दिनों तक फ्रेश रहेंगे। जब इन्हें इस्तेमाल करना हो तब इन पर गर्म पानी डालें। इसके बाद किचन टॉवेल पर सुखा लें।

☣ चावल में एक टी स्पून तेल और कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाने से वह पकने के बाद खिलाखिला रहेगा।यदि आप रात को छोला या राजमा भिगोना भूल गए हो तो उबलते पानी में चना या राजमा को भिगोए। इसे आप एक घंटे के बाद पका सकती हैं।
☣ सख्त नींबू को अगर गरम पानी में कुछ देर के लिए रख दिया जाये तो उसमें से आसानी से अधिक रस निकाला जा सकता है।

☣ महीने में एक बार मिक्सर और ग्राइंडर में नमक डालकर चला दिया जाये तो उसके ब्लेड तेज हो जाते हैं।

☣ नूडल्स उबालने के बाद अगर उसमें ठंडा पानी डाल दिया जाये तो वह आपस में चिपकेंगे नही।

☣ पनीर को ब्लोटिंग पेपर में लपेटकर फ्रिज में रखने से यह अधिक देर तक ताजा रहेगा।

☣ मेथी की कड़वाहट हटाने के लिये थोड़ा सा नमक डालकर उसे थोड़ी देर के लिये अलग रख दें।

☣ एक टीस्पून शक्कर को भूरा होने तक गरम करे। केक के मिश्रण में इस शक्कर को मिला दे। ऐसा करने पर केक का रंग अच्छा आयेगा।

☣ फूलगोभी पकाने पर उसका रंग चला जाता है। ऐसा न हो इसके लिए फूलगोभी की सब्जी में एक टीस्पून दूध अथवा सिरका डाले। आप देखेगी कि फूलगोभी का वास्तविक रंग बरकरार है।

  आलू के पराठे बनाते समय आलू के मिश्रण में थोड़ी सी कसूरी मेथी डालना न भूले। पराठे इतने स्वादिष्ट होंगे कि हर कोई ज्यादा खाना चाहेगा।

☣ आटा गूंधते समय पानी के साथ थोड़ा सा दूध मिलाये। इससे रोटी और पराठे का स्वाद बदल जाएगा।

☣ दाल पकाते समय एक चुटकी पिसी हल्दी और मूंगफली के तेल की कुछ बूंदे डाले। इससे दाल जल्दी पक जायेगी और उसका स्वाद भी बेहतर होगा।


☣ बादाम को अगर 15-20 मिनट के लिए गरम पानी में भिगो दें तो उसका छिलका आसानी से उतर जायेगा।

☣ चीनी के डिब्बे में 5-6 लौंग डाल दी जाये तो उसमें चींटिया नही आयेगी।

☣ बिस्कुट के डिब्बे में नीचे ब्लोटिंग पेपर बिछाकर अगर बिस्कुट रखे जाये तो वह जल्दी खराब नही होंगे।

☣ कटे हुए सेब पर नींबू का रस लगाने से सेब काला नही पड़ेगा।

☣ जली हुए त्वचा पर मैश किया हुआ केला लगाने से ठंडक मिलती है।

☣ मिर्च के डिब्बे में थोड़ी सी हींग डालने से मिर्च लम्बे समय तक खराब नही होती।

☣ किचन के कोनो में बोरिक पाउडर छिड़कने से कॉकरोच नही आयेंगे।

☣ लहसुन के छिलके को हल्का सा गरम करने से वो आसानी से उतर जाते हैं।

☣ हरी मिर्च के डंठल को तोड़कर मिर्च को अगर फ्रिज में रखा जाये तो मिर्च जल्दी खराब नही होती।

☣ हरी मटर को अधिक समय तक ताजा रखने के लिए प्लास्टिक की थैली में डालकर फ्रिजर में रख दें।

☣ घर में अगर कटा प्याज रखें, तो वो आसपास के वातावरण में मौजूद सभी बैक्टेरिया सोख लेता है। अगर प्याज को खाया जाए, तो पेट के भी सभी कीड़े मर जाते हैं।

☣ खीर बनाते समय जब चावल पक जाए तो चुटकीभर नमक डालें। चीनी कम लगेगी व स्वादिष्ट खीर लगेगी। 

☣ टमाटर पर तेल लगाकर सेंकें इससे छिल्का आसानी से उतर जाएगा।


☣ भजिया-पकोड़ा, आलू बड़ा सर्व करते समय चाट मसाला छिड़कें व तली हरी मिर्च के साथ सर्व करें। मजा दोगुना हो जाएगा।

☣ पराठे बनाते समय आटे में एक उबला छिला पिसा आलू व एक टी स्पून अजवाइन डालें। पराठे मक्खन से सेंकें, कुरकुरे व स्वादिष्ट पराठे बनेंगे।

☣ अंकुरित अनाज को फ्रिज में रखने से पहले अनाज में 1 टी स्पून नींबू रस मिला लें तो अनाज में गंध नहीं आएगी।

☣ सबसे पहले तो आप अपने रसोई घर में नजर दौड़ा कर देखें की वहॉं कोई सामान बेवजह तो नहीं पड़ा है। अमूमन घरों में बेकार हो चुके या काम में न आने वाले टोस्ट, अवन आदि को भी रसोई से हटाया नहीं जाता, तो उसी सामान को रसोई में रखे जो ठीक हो और जिनकी जरूरत हो।

☣ अगर फ्रिज रसोई में ही रखा है तो उसे डाइनिंग टेबल के पास लगावा दें।

☣ मिक्सर, ग्राइंडर को रसोई में एक कोने में साफ जगह पर रखें जहॉं से स्विच बोर्ड पास हो और पानी की छिंटे न पहुँचे। छोटी अलमारी में भी रख सकती है ताकि जरूरत पड़ने पर ही निकाल सकें। इसके अलावा रोजाना काम में आने वाली चीजों को बाहर ही रखें। बाकी कम काम में आने वाला सामान, आप रसोई की अलमारियों और दराजों में रख सकती हैं।

☣ कप, बर्तन आदि को रखने के लिए स्टील का रैक आदि का प्रयोग बेहतर रहता है। संभव हो तो इसे दीवार पर अटैच करवा दें, इससे रसोई घर में ज्यादा जगह बचेगी।

☣ दहीबड़े बनाते समय हर बार हाथ में पानी लगाएँ, इससे पीठी चिपकती नहीं है और दहीबड़ा आसानी से तेल में सरक जाता है। 

☣ कढ़ी में जब तक उबाल न आ जाए तब तक उसे बराबर चलाएँ। न चलाने पर कढ़ी उबलकर बर्तन से बाहर निकल जाती है। एक- दो उबाल आने के बाद धीमी आँच पर पकने के लिए छोड़ी जा सकती है।

☣ पकौड़ियॉं बनाते समय घोल में जरा-सा गरम तेल अवश्य डाल लें। साथ ही घोल को अच्छी तरह फेंट लें।

☣ अरबी के पत्तों के पतोड़ बनाने के लिए पत्तों को बेलन से बेल कर समतल कर लें, फिर मसाला लगाएँ। इससे फोल्ड करने में पत्ता फटता नहीं है।

☣ बाजरे व मक्के की रोटी को पॉलीथिन के अंदर रखकर बेलने से यह अच्छी बनती है।

☣ खीर में जरा-सा कॉर्नफ्लोर मिला देने से खीर जल्दी गाढ़ी हो जाती है।

☣ रायते में हींग-जीरे का छौंक लगाएँ, स्वाद और बढ़ जाएगा। 
☣ जब बनाए कचोरी : कचोरी कभी भी चकले बेलन से न बेलें, इन्हें हथेली से दबाकरही बनाएँ।

☣ बालूशाही बनाने के लिए गोले को हथेली के ऊपरी उठे हिस्से से दबाकर बीच में हल्का-सा दबाव देकर तलें।

☣ रोटी को पलेथन लगाकर ऐसा बेलें कि रोटी चकले पर अपने आप घूमकर गोल बने। ऐसी बनी रोटी पूरी फूलती है।

☣ पराठों को परतदार बनाने के लिए गोल रोटी के ऊपर तेल लगाकर सूखा आटा बुरकें, हर मोड़ पर ऐसे करें।

☣ पूड़ी बेलते समय आटे का पलेथन न लगाकर जरा-सा घी या तेल चकले पर लगाकर बेलें। पलेथन लगी पूड़ी तलने पर तलने वाला घी या तेल में कालापन आ जाता है, जिससे तली पूड़ी देखने में सुंदर नहीं लगती।

☣ पत्ता गोभी के पूरी तरह से बनने के बाद उसमें मूँगफली के दानों को सेंककर मिला दें तो आप पाएँगी कि पत्ता गोभी का स्वाद जरा बढ़िया है।

☣ साबूदाने की टिकिया बनाते वक्त उसमें ब्रेड़ के दो बड़े-बड़े स्लाइस पानी में भिगोकर पानी को हथेलियों से दबाकर निकाल दें व पेस्ट में मिला दें तो टिकिया बिखरेगी नहीं व टिकिया का स्वाद जरा अलग होगा।

☣ गुलाब जामुन की चाशनी को ठंडी होने के बाद उस चाशनी में 6-7 बूँद केवड़ा एसेंस मिला दें व फिर चाशनी में गुलाब जामुन डालें।

☣ पूरी का आटा गूँथते वक्त उस आटे में मोयन के अलावा 2 बड़े आलू उबालकर आटे में अच्छी तरह से मिला दें। इससे पूरी तो मुलायम बनेगी ही और तेल भी कम लगेगा व साथ ही पूरी का स्वाद जरा...।

☣ भिंडी अधिक समय तक ताजा रखने के लिए उस पर हल्का सा सरसों का तेल लगा दें।

☣ जब बनानी हो खीर...खीर बनाने के लिए चावल धोकर थोड़ी देर के लिए कपड़े पर फैलाएँ। बाद में थोड़े से घी में भूनकर मिक्सी में दरदरा पीस लें और एयरटाइट डिब्बे में भर दें। आवश्यकतानुसार खीर बनाते समय उपयोग में लाएँ। ये तीन माह तक खराब नहीं होते।

☣ सूजी को गुलाबी भूनकर वेट जार में रखें। हलवा या उपमा झटपट बनेगा।


☣ चॉंदी के बर्तनों पर पड़े धब्बों को मिटाने के लिए उनको आलू के साथ उबालें। या इमली के पानी में थोड़ी देर भिगोने के बाद धो लें। दाग-धब्बों से छुटकारा मिल जाएगा।

☣ रसीले पफ बनाने के लिए पफ (कच्चे) काटकर डिब्बे में भरकर फ्रीज में रखें। जरूरत पड़ने पर बेलकर, तलकर, चाशनी में डालें। कच्चे पफ आठ दिनों तक खराब नहीं होंगे।


☣ हरे टमाटरों को ब्राउन पेपर अथवा अखबार में लपेटकर स्टोर में रखें, वे जल्दी पक जाएँगे।

☣ केसरिया भात का मेनू यदि रात के खाने में है तो सादे चावल सुबह पकाकर रख लें। रात को पिसी शक्कर मिलाकर चावल गर्म करें। केसरिया भात जल्दी बनेगा ।

कुछ अन्य प्रचलित कुकिंग टिप्स ☣

1)🌺**समोसे का आटा गूथते समय आप उसमें थोडा सा चावल का आटा भी मिलादें तो समोसे अधिक कुरकुरे बनेगे

2)🌺***भटूरे के आटे में खमीर उठाने के लिये ब्रेड के २,३ स्लाइस तोडकर मिला दीजिये देखियेगा कितनी जल्दी खमीर उठजाता है

3)🌺***दही बडे बनाने के लिये पिसी हुई दाल में थोडी सी सूजी भी फ़ेटकर मिलादे, बडॆ अधिक नरम बनेगे।

4)🌺***आलू की टिकिया बनाते वक्त थोडे से कच्चे केले को उबाल कर उस्क गूदा भी मिला दीजिये टिकिया बहुत अधिक स्वादिष्ट बनेगी।

5)🌺***अगर प्याज अधिक कट जाए या कटा हुआ बच जाये तो उसे नमक लगा कर थो्डा सा सिरका डाल कर रखदीजिये खाने के साथ खाएं स्वादिष्ट लगेगा।

6)🌺***कच्चा केला काटते समय हाथ काले पड जाते है।उन्हे साफ़ करने के लिए कुछ बुदें नीम्बू का रस व जरा सा नमक लगा कर साफ़ करे हाथ तुरन्त साफ़ हो जाएगे।

7)🌺****बथुआ उबाल कर उसका पानी फ़ेकें नही, उस से पैर साफ़ करे चिकने हो जाएगें

8)🌺***यदि दूध में खटास आने लगेऔर फ़टने का खतरा लगे तो,उसमें१ चम्मच पानी में १/२चम्मच खाने का सोडा मिलाकर डाल दीजिये दूध नही फ़टेगा

9)🌺 **कई बार घी बनाते समय घी जल जाता है जले हुये घी में एक ताजा कटा हुआ आलू का टुकडा डालकर आग पर रखें जला हुआ घी साफ़ होजाएग।

10)🌺***करेले टिन्डे भिन्डी तोरईआदी सब्जिया नरम पड गई होतो इन्हे थोडी देर पानी में भीगो कर रखें फ़ीर ये आसानी से कट जायेगी व छिल जायेगी

11)🌺***हाथो से प्याज की दुर्गन्ध दुर करने के लिए कच्चे आलू मले ,दुर्गन्ध दुर हो जायेगी|

12)🌺***कोफ्ते तलते समय तेल पर्याप्त गरम होना चाहिये, इन्हें धीमी आग में मततलिये. कम गरम तेल में कोफ्ते डालने से वे तेल में फट सकते हैं. पनीर में अरारोट कम होने पर कोफ्ते तेल में फट सकते हैं.

13)🌺****अगर सब्जी मे नमक अधिक पड जाता है तो उबला आलु डाल कर सब्जी ओर थोडी देर पका लीजियेन नमक ठीक होजायेग

14)🌺***मूंग की दाल की मंगोडी की दाल गीली हो गई है तो आप उबले आलू को मसल कर दाल मे मिला दीजिये मंगोडी और भी खस्ता बनेगी

15)🌺***आलू के चिप्स आप लोग सब बनाते ही होगें उनको स्टोर करनेपर कई बार उनमे से अजीब सी गध आने लगती हैइस के लिये आप उसमें सूखी हुई लाल मिर्च व नीम की सूखी पत्तियां रखीये डिब्बा बदं होने पर भी गधं नही आयेगी।

16)🌺*** आलू के पराठे बनाने जा रही है तो थोडा सा आम के अचार का मसाला डाल कर बनाये पराठे बहुत स्वादिष्ट बनेगे।

17)🌺***आलू उबाल ने के बाद पानी नही फ़ेके,उस पानी से नीम्बु मिला कर उस पानी से सर धोये बाल चमक जाएगे

18)🌺***अगर आखें थकी-थकी हो तो कच्चे आलु का गोल गोल काट कर आखो पे रखें आंखो की थकान गयब हो जायेगी

19)🌺****निम्बू का अचार अगर खराब होने लगे तो अचार को किसी बर्तन मे निकाल कर सिरका डाल कर पका लीजिये, अचार फिर से नया हो जायेगा।

20)🌺***निम्बू के अचार में नमक के दाने पड जाते हैअचार डालते समय ही थोडी पीसी चीनी भी बुरक दे तो ये दाने नही पडेगें | और अगर पड गये है तो भी थोडी पीसी चीनी बुरक दीजिये अचार नया सा हो जायेगा।

21)🌺***आम का अचार बनाते समय जब फांको में नमक हल्दी लगाकर रखती है तब उनपर १-२ चम्मच पीसी चीनी भी बुरक दीजिये इससे जहा सारी फाकें पानी छोड देगीं वही अचार की रगतं भी साफ़ सुथरी बनी रहे गी अचार चमकीला बनेगा।

22)🌺***आम के मीठे अचार में थोडा सा अदरक भी कस कर मिला दीजिये अचार अधिक पौष्टिक व चटपटा बनेगा। बनाने से पहले यदी साबुत मसुर की दाल को कडाही मे हल्का सा भुन कर फिर बनाइये अधिक सोंधी बनेगी।

23)🌺***कई बार गर्मी में दोसे का घोल बहुत खट्टा हो जाता है अगर दोसे का घोल ज्यादा खट्टा हो गया है तो--उस में२,३ गिलास पानी दाल कर रख दें १/२ घटें बाद उपर का पानी धीरे से निकाल दें खटास कम होजाएगी।

24)🌺***सलाद बनाने से पहले सब्जीयों में को कुछ देर फ़्रीजर मे रखें फिर सलाद काटें आसानी से कटेगा खुबसुरत दिखेगा।

25)🌺***टमाटर, पपीता, खरबूजा, सेव आदी फ़ल काटते समय उनका जो रस हाथ म पर लग जाता है उसे चेहरे पर व कोहनियों पर मल लें सुखने पर स्नान कर लें त्वचा कमनीय हो जाएगी

26)🌺***सेव केला आदि फ़ल काटने के बाद काले पडजाते है अत: उनमे नीम्बू के रस का छिड्काव कर दें तो काले नही पडेगें।