Tuesday, November 14, 2017

उंगलियों में तांबे की अंगूठी पहनने से होते हैं ये स्वास्थ्य लाभ !

 तांबा, पीतल, सोना और चांदी जैसे कई धातु हैं जिनका अपना एक अलग महत्व बताया गया है. इन धातुओं में कॉपर यानी तांबा एक ऐसी प्राचीन धातु है जिसका इस्तेमाल कई सालों से होता आ रहा है।

तांबे में पानी के कीटाणुओं को खत्म करने का एक विशेष गुण है इसलिए ताबें के बर्तन में रखे हुए पानी को पीने की सलाह भी दी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तांबे से बनी हर चीज मानव जीवन के लिए उपयोगी और फायदेमंद है.

इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं तांबे से बनी अंगूठी को उंगलियों में धारण करने से होनेवाले फायदों के बारे में.


1 – ब्लड सर्कुलेशन में आता सुधार

उंगलियों में तांबे की अंगूठी धारण करने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है. इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन की कमी से होनेवाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है.

2 – इम्युनिटी होती है मजबूत

कई प्रकार की धातुओं में तांबा एकमात्र ऐसी धातु है जो सबसे प्राचीन मानी जाती है. तांबे की अंगूठी पहनने से रक्त की अशुद्धियां दूर होती है और शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत होता है.

3 – तन और मन को रखता है शांत

तांबे की अंगूठी शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करता है. इसे पहनने से शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है. इसके साथ ही गुस्से पर नियंत्रण होता है. ये अंगूठी तन और मन दोनों को शांत रखने में मदद करता है.

4 – ब्लड प्रेशर को करता है नियंत्रित

तांबे की अंगूठी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है. ये हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. इसके अलावा इस अंगूठी को पहनकर आप शरीर के सूजन को भी कम कर सकते हैं.

5 – पेट की समस्याओं में फायदेमंद

तांबे की अंगूठी पेट से संबंधित सभी समस्याओं में काफी फायदेमंद है. यह पेट दर्द, पाचन में गड़बड़ी और एसिडिटी की समस्याओं में फायदा पहुंचाती है. इसके अलावा अगर आप पेचिश की समस्या से परेशान हैं तो तांबे की अंगूठी इस समस्या में आपकी काफी मदद कर सकती है.

6 – नाखून और त्वचा की समस्या में फायदेमंद

तांबे की अंगूठी को ना सिर्फ स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है बल्कि नाखून और त्वचा से संबंधित समस्याओं के उपचार में भी यह फायदेमंद है.

7 – सूर्य से संबंधित रोगों में कारगर

सूर्य से संबंधित परेशानियों के लिए तांबे को काफी फायदेमंद माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक एक तांबे की अंगूठी पहनकर आप सूर्य से संबंधित सभी रोगों से काफी हद तक निजात पा सकते हैं.

गौरतलब है कि तांबे की अंगूठी के ये सारे स्वास्थ्य लाभ आपको तभी मिलेंगे जब आप ये अंगूठी शुद्ध तांबे की बनी हो. जरा सोचिए अगर एक छोटी सी अंगूठी आपको इतने सारे फायदे पहुंचा सकती है तो फिर आप इसे धारण करने में देरी क्यों कर रहे हैं।

Thursday, November 2, 2017

बदलते मौसम के साथ आती है मौसमी एलर्जी, बचने के लिए अपनाए ये उपाय

एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है।

नई दिल्ली। चाहे गर्मी से सर्दी में बदलता मौसम हो या सर्दी से गर्मी, बदलते मौसम के साथ नाक बहना, आंखों में जलन और छाती जमना आम बात होती है। यह एलर्जी बहुत परेशान करने वाली होती है और अगर तुरंत इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। ऐसे में बचाव के लिए सतर्कता जरूरी है।

एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है। इन कणों के प्रतिरोध की वजह से शरीर में हेस्टामाइन निकलता है जो तेजी से फैल कर एलर्जी के जलन वाले लक्षण पैदा करता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि एलर्जी के लक्षणों में जुकाम, आंखों में जलन, गला खराब होना, बहती या बंद नाक, कमजोरी और बुखार प्रमुख है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह हल्की एलर्जी साइनस संक्रमण, लिम्फ नोड संक्रमण और अस्थमा जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।

इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपको किस चीज से एलर्जी है। तभी आप एलर्जी से बच सकते हैं और होने पर इलाज भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि एलर्जी की पहचान करने के लिए कई किस्म के टेस्ट किए जाते हैं। एलर्जी स्किन टेस्टिंग जांच का सबसे ज्यादा संवेदनशील तरीका है, जिसके परिणाम भी तुरंत आते हैं। जब स्किन टेस्ट से सही परिणाम न मिलें, तब सेरम स्पैस्फिक एलजीई एंटी बॉडी टेस्टिंग जैसे ब्लड टेस्ट भी तब किए जा सकते हैं।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि एलर्जी का सबसे बेहतर इलाज यही है कि जितना हो सके एलर्जी वाली चीजों से बचें। मौसमी एलर्जी बच्चों से लेकर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन 6 से 18 साल के बच्चों को इससे प्रभावित होने की ज्यादा संभावना होती है।

ऐसे करें बचाव :

1. एलर्जी से बचने के लिए फ्लैक्स के बीज से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक फैटी एसिड काफी मददगार साबित होते हैं। रेशा बनाने वाले पदार्थ जैसे कि दूध, दही, प्रोसेस्ड गेहूं और चीनी से परहेज करें। अदरक, लहसुन, शहद और तुलसी एलर्जी से बचाव करते हैं।

2. अगर आपको धूलकणों या धागे के रेशों से एलर्जी है तो अपनी नाक को अंदर से खुश्क न होने दें इससे बचने के लिए सरसों के तेल से चूपड़ के रखें। व हाईपो एलर्जिक बिस्तर खरीदें।

3. आसपास का माहौल धूल और प्रदूषण मुक्त रखें।

4. सीलन भरे कोनों में फफूंद और परागकणों को साफ करें।

5. बंद नाक और साइनस से आराम के लिए स्टीम इनहेलर का प्रयोग करें।

Wednesday, October 25, 2017

आइए जानें, चाय के ऐसे ही 7 प्रकार से जो आपको वजन कम करने में मदद करेंगे...

चाय पीना अगर आपकी आदत में शामिल है तो क्यों इसे हेल्दी हैबिट बना लिया जाए. वजन बढ़ने की समस्या से हर तीसरा इंसान परेशान है और ऐसा हमारी बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण होता है. चाय की कुछ वैराइटी ऐसी होती हैं जिन्हें पीने से आपका वजन नियंत्रित रहता है और इन्हें आसानी से घर में बनाया जा सकता है।

1. दालचीनी की चाय 
वजन कम करने के लिए बहुत से लोग ग्रीन टी पर भरोसा करते हैं. इसे शहद और दालचीनी के साथ मिलकार पीने से इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं. आप हर रोज इसे खाली पेट ले सकते हैं।

2. अजवाइन की चाय 
अजवाइन में राइबोफ्लेविन नामक तत्व होते हैं जो फैट बर्न करने में मदद करते हैं. गर्म पानी में अजवाइन, सौंफ, इलायची और अदरक डालकर पांच मिनट तक उबाल लें और फिर इस चाय को पिएं. नतीजे आपको जल्द ही नजर आने लगेंगे।

3. जिंजर टी 
अदरक का चाय में इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद होता है. अदरक का पूरा फायदा लेने के लिए सबसे सबसे अदरक के एक इंच के टुकड़े को छिलकर काट लें. इन टुकड़ों को गैस पर उबल रहे पानी में डालकर ढक दें. 10 मिनट तक इस पानी को उबलने दें. फिर इसे छन्नी की मदद से छान लें और कुछ बूंद नींबू का रस मिला लें. मीठे के लिए बेहतर रहेगा कि आप शहद का इस्तेमाल करें।

4. लेमन टी 
लेमन टी ज्यदातर लोगों को पसंद होती है. वजन कम करने के लिए यह चाय काफी लाभदायक है. लेमन टी में आप शुगर की जगह शहद का इस्तेमाल करेंगे तो इसके फायदे और भी बढ़ जाएंगे।

5. ग्रीन टी 
ग्रीन टी पीना, कॉफी पीने की तुलना में कहीं अधिक फायदेमंद होता है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो हमारे शरीर को डिटॉक्स करके वजन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।

6. ब्लैक टी 
ब्लैक टी एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है. जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करती है. इसी वजह से यह शरीर में एक्स्ट्रा फैट को बर्न करके वजन को नियंत्रित करने का काम करती है।

7. काली मिर्च की चाय 
काली मिर्च में मौजूद पाइपेरिन फैट बर्न करने में मदद करता है. कालीमिर्च और अदरक को गर्म पानी में पांच मिनट तक उबाल लें और फिर इसे  छान लें. अब इसमें शहद या नींबू का रस मिलाकर इसे पीना वजन घटाने में मदद करता है।

Monday, October 23, 2017

मोटापा और शुगर नाशक दलिया।

दलिया यानी सेहत का खजाना। आमतौर पर सुबह के नाश्ते में खाया जाने वाला दलिया विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होता है। इसके अलावा इसमें लो कैलोरी और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इस कारण दलिया एक ऐसा आहार है जो आपके शरीर में सभी पोषक तत्वों की मात्रा को पूरा करता है।


आइए जानते हैं कि कैसे बनाएं:

1 kg    गेहूं
1 kg    चावल
1 kg    बाजरा
1 kg     साबुत मूंग (जिसकी दाल बनती है )

इन सभी को भून कर मिक्सर में डाल कर दरदरा कर लें।

इसमें

50 ग्राम      अजवाइन
100 ग्राम      सफ़ेद तिल

मिला कर रख लें।

रोज सुबह 50 ग्राम दलिया 2 गिलास पानी में पकाएं, इसमें स्वाद के अनुसार सब्जियां और सेंधा नमक मिला लें।
*समुद्री नमक जो आयोडीन नमक के नाम से उल्लू बना कर बेंचा जाता है उसे कभी नही लेना है*

इस दलिये के नियमित सेवन से 15 दिन में शुगर नार्मल हो जायेगी,
हार्ट पेसेंट और मोटापे से परेशान लोग इसके प्रयोग से बड़ी आसानी से बिना किसी दवा के अपना वजन कम कर सकते हैं।

Friday, October 20, 2017

रसोई में स्वास्थ्य - हैल्थ टिप्स


🍌 नमक केवल सेन्धा प्रयोग करें। थायराइड, बी पी, पेट ठीक होगा।

🍎 कुकर स्टील का ही काम में लें। एल्युमिनियम में मिले lead से होने वाले नुकसानों से बचेंगे।

🌽 तेल कोई भी रिफाइंड न खाकर, केवल तिल्ली, सरसों, मूंगफली, नारियल प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं।

🍒 सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।

🥑 रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।

🍎 काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।

🍍 देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।

🍂 ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।

🌶 ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।

🍌 भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा।
भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।

🧀 नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन, फाइबर मिलेंगें।

🥒 चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।

🥝 चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लें।

🍳 छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।

☕ चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे।

🛢 डस्ट बिन एक रसोई में एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।

🥗 रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।

🥕 करेले, मैथी, मूली याने कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।

🍋 पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।

🍊 रसोई में घुसते ही थोड़े ड्राई फ्रूट (काजू की जगह तरबूज के बीज) खायें, एनर्जी बनी रहेगी।

🍐 प्लास्टिक, एल्युमिनियम रसोई से हटाये, केन्सर कारक हैं।

🍏 माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग केन्सर कारक है।

🍉 खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।

🍑 तली चीजें शाम के बाद ना खाएं, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।

🥕 मैदा, बेसन, छौले, राजमां, उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।

🥒 अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।

🧀 बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।

🍑  रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें।

🍫 रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर eye wash cup में डाल कर आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छान कर जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।( 2 layer बारीक सूती कपड़े की लेके छाने, छानने में कोई भी कण त्रिफला का पानी मे नही आना चाहिए )

🍆.सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी। (बस सुबह-दिन भर नही)

🍌 रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।

🍆 एक्यू प्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारी शरीर से निकल जायेगी।

🍈 चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।

🍯 रसोई के मसालों से बना चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।

🍑 सर्दियों में नाखून बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।

🌶 सर्दी में बाहर जाते समय, 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा।

🍩  रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रखकर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा।

🌯 कभी कभी नमक में, हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।

🍑 बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।

🥝 सूरज डूबने के बाद दही या दही से बनी कोई चीज न खाएं, ज्यादा उम्र में दमा हो सकता है।

🍛 दही-बड़े सिर्फ मूंग की दाल के बनने चहिये, उड़द के नुकसान करते हैं।

Monday, October 16, 2017

फैटी लिवर के घरेलू उपचार

नई दिल्ली: यकृत या फिर जिगर की खराबी आने पर आप अक्सर डॉक्टरों के पास चक्कर लगाते हैं और ऐलोपैथी इलाज शुरू कर देते हैं। मगर अंग्रेजी दवाएं खाने से आपको साइड इफेक्ट का ख़तरा भी बना रहता है। ऐसे में आप कुछ करेलू नुस्खे आज़माकर फैटी लिवर जैसी समस्या का रामबाण इलाज कर सकते हैं।

अगर आपका लिवर छोटा, कठोर या फिर सूजा हुआ है तो घबराएं नहीं। आप आयुर्वेद के कुछ रामबाण इलाज से खुद को फिट कर सकते हैं। केजीएमयू के चिकित्सक अभिजीत चंद्रा ने बताया की तली हुई चीज़ें खाना, व्याव्याम न करने और खान पान में बरती जाने वाली असावधानियां ही फैटी लिवर की समस्या पैदा करती है। इस समस्या से उबरने के लिए एलोपैथी ट्रीटमेंट के साथ ही अगर आयुर्वेदिक नुस्खे का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

कागजी नींबू का प्रयोग
एक कागज़ी नींबू लेकर उसके दो टुकड़े कर लें। फिर बीज निकालकर आधे नींबू के बिना काटे चार भाग कर लें। ध्यान रहे की टुकड़े अलग न हों। इसके बाद नींबू के एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला नमक, तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण भर कर रख दें। रात भर यह प्लेट में रखे रहे। सुबह भोजन के एक घंटे पहले नींबू की फांक को धीमी आंच पर या फिर तवे पर रख कर गर्म करें और चूस लें।

इस प्रयोग से होने वाले लाभ
-आवश्यकतानुसार सात दिन से इक्कीस दिन लेने से लिवर सही होगा
-इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ पेट दर्द और मुंह का जायका ठीक होगा
-यकृत के कठोर और छोटा होने के रोग में चूक है

इसलिए होता है यकृत रोग
पुराना मलेरिया, ज्वर, अधिक मिठाई खाना, अमेबिक पेचिश के रोगाणु का यकृत में प्रवेश करने से यकृत रोगों की उत्पत्ति होती है। बुखार ठीक होने के बाद भी यकृत की बीमारी बनी रहती है। यकृत कठोर और पहले से बड़ा हो जाता है। रोग के घातक रूप ले लेने से यकृत का संकोचन होता है।

यकृत रोगों के लक्षण
यकृत रोगों में आंख व् चेहरा रक्तहीन हो जाते हैं, जीभ सफ़ेद, रक्ताल्पता, नीली नसें, कमज़ोरी, कब्ज़, गैस , बिगड़ा स्वाद, दाहिने कंधे के बीचे दर्द, सौंच आंवयुक्त कीचड़ जैसा होना यह लक्षण हैं।

यह बरतें सावधानी
दो सप्ताह तक चीनी और मीठा इस्तेमाल न करें
दूध मीठा पीते हो तो चीनी की जगह दूध में मुनक्का दाल कर मीठा कर लें
रोटी भी कम खाएं
सब्जियों और फल से गुजारा करें
सब्जी में मसाला न डालें
टमाटर, पालक, गाजर, बथुआ, करेला, लौकी, पपीता, आंवला, जामुन, सेब, आलूबुखारा, लीची खाएं
छांछ का अधिक से अधिक प्रयोग करें
तली भुनी चीज़ें बंद कर दें
(ऐसा करने से 15 दिन में लिवर की समस्या ठीक हो जायेगी)

यह उपचार भी करें
- दिन में दो बार प्याज खाएं
-दोपहर में खाना खाने के बाद हींग का बगैर देकर, जीरा, कालीमिर्च और नमक मिलकर छांछ का सेवन करें
-आंवला का रस या फिर सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर पानी के साथ लें, दिन में तीन बार इस चूर्ण का इस्तेमाल करके 15-20 दिन में यकृत रोग ठीक हो सकता है।

Sunday, October 15, 2017

क्या कारण हैं क्यूं नहीं घट रहा आपका वजन ??

टों वॉक की, जिम गए, पसीना बहाया, एक्सरसाइज, डाइटिंग की, मगर वजन था कि टस से मस न हुआ..। आखिर 2-3 किलो वजन घटाना भी इतना मुश्किल कैसे हो जाता है?


स्लिम-ट्रिम होना किसे नहीं भाता! लेकिन छरहरापन अब नॉस्टैल्जिया बन चुका है। वो भी क्या दिन थे जब दुबले हुआ करते थे! 40 की उम्र पार करते ही28 इंची कमर को कमरा बनते देर नहीं लगती, सैल्युलाइट अपनी परतें दिखा-दिखा कर चिढाने को उतावला रहता है और वेइंग मशीन की सुई आगे बढती जाती है। क्यों होता है ऐसा? कहां गलती करते हैं हम? आइए जानें वे कौन से सवाल हैं जो वजन घटाने की प्रक्रिया में हमारे मन में उठते हैं और इनके सही जवाब क्या हैं।

सवाल 1

घटता नहीं वजन

डाइटिंग के शुरुआती दौर में तात्कालिक लाभ होता है। वजन घटता है तो खुशी का आलम नहीं रहता, लेकिन यह इसी पर टिका नहीं रहता। थोडी हेर-फेर होते ही यह फिर बढ जाता है। इसका एक कारण यह है कि डाइटिंग के दौरान लोग अकसर कैलरीज बहुत घटा देते हैं और इससे तुरंत वजन घटता है। शुरुआत में यह फूड रिजेक्शन अच्छा लगता है, लेकिन जल्दी ही शरीर में किसी न किसी तत्व की कमी होने लगती है, जिसका नतीजा होता है डिप्रेशन, थकान या फटीग। आखिर व्यक्ति को फिर से अपने पुराने शेड्यूल में वापस लौटना पडता है। वजन घटाने में विफल होने पर इसका भावनात्मक प्रभाव भी गहरा होता है। यह इमोशनल मेंटल स्टेज व्यक्ति को ज्यादा खाने को प्रेरित करती है, व्यक्ति जाने-अनजाने अधिक खाता है और फिर से अपने पुराने बॉडी शेप में वापस आ जाता है।

सवाल 2

कैलरीज का मेल

कितनी कैलरीज ठीक हैं.., यह सवाल हर डाइटिंग करने वाले के मन में उठता है। सामान्य तौर पर एक वयस्क पुरुष के लिए 1800 और स्त्रियों के लिए 1500 कैलरीज ठीक समझी जाती हैं। डाइटिंग के दौरान लगभग 500 कैलरीज तक घटा दी जाती हैं।

शोध बताते हैं कि डाइटिंग में आमतौर पर लोग जिमिंग या एक्सरसाइजिंग के दौरान बर्न की गई कैलरीज की गलत गणना करते हैं। जैसे, लोग मान लेते हैं कि जंक फूड से भरे संडे की शाम एक घंटा जिम में पसीना बहा लेना काफी है, जबकि ऐसा नहीं होता।

सवाल 3

कार्बोहाइड्रेट्स का खेल

शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए कार्ब जरूरी है। 55 से 65 प्रतिशत कुल कैलरीज हमें कार्बोहाइड्रेट्स से ही मिलती हैं। ये शरीर के लिए ईधन की तरह हैं। डाइटिंग के दौरान कार्ब कम करने से ग्लाइकोजन स्तर घट जाता है और शरीर ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत अमीनो एसिड की तरफ बढता है। इससे मसल टिश्यू को हानि पहुंचती है। कार्ब कम करने से ज्यादा जरूरी मसल्स टिश्यूज को बचाना है। मेटाबॉलिज्म के लिए भी कार्ब अनिवार्य है। लैप्टिन और अन्य फैट बर्निग हॉर्मोस बॉडी फैट से सीधे जुडे हैं। कार्ब बढने पर लैप्टिन का स्तर बढता है और शरीर का मेटाबॉलिज्म बढता है। शरीर को कार्ब की उतनी ही जरूरत है, जितनी किसी भी अन्य न्यूट्रिएंट्स की। इसलिए डाइटिंग में कार्ब को पूरी तरह कट न करें, लेकिन अपनी डाइट में रिफाइंड कार्ब जैसे मैदा और इसके प्रोडक्ट्स, शुगर, सफेद चावल के बजाय फ्रूट्स, वेजटेबल्स की मात्रा बढाएं ताकि कार्बोहाइड्रेट्स पर्याप्त मात्रा में मिलते रहें।

सवाल 4

फैट्स की मार

वजन घटाने का नियम यह है कि जितनी कैलरीज बर्न कर सकते हैं, उससे कम कैलरीज लें। अगर दो किलो वजन घटाना हो तो लगभग 500 कैलरीज घटानी होंगी या इतना व्यायाम बढाना होगा कि 500 कैलरीज बर्न कर सकें। डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थो को को प्राथमिकता दें, जिनसे कैलरीज तो घटें लेकिन सेहत पर नकारात्मक असर न पडे। अच्छे और बुरे फैट के अंतर को समझना भी जरूरी है। रेड मीट के बजाय बींस, फैट-फ्री मिल्क प्रोडक्ट्स लेने से सैच्युरेटेड फैट कम होगा। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स के लिए फिश, वॉलनट्स, सोयाबीन ऑयल का प्रयोग दिन में एक बार जरूर करें। भोजन में ताजी हरी सब्जियां और फ्रूट्स की मात्रा बढा दें।

डाइट से चार फूड ग्रुप सीआरएपी कट करें। ये हैं कैफीन, रिफाइंड शुगर, एल्कोहॉल और प्रोसेस्ड फूड्स।

डाइट ऐक्शन प्लान

1. कोई भी मील स्किप न करें, खासतौर पर ब्रेकफस्ट। सुबह के नाश्ते में भरपूट प्रोटीन लें। नए शोध बताते हैं कि प्रोटीनयुक्त नाश्ते से फूड क्रेविंग कम होती है और वजन भी घटता है। ब्रेकफस्ट में अंडे, स्प्राउट्स, सीरियल्स, दही और ग्रीन टी शामिल करें।

2. छोटे-छोटे कई मील लें। ज्यादा देर तक पेट खाली होने से गैस की समस्या होती है। इससे व्यक्ति को लगता है मानो पेट बहुत भरा है, जबकि शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी होने लगती है। ठीक से ब्रेकफस्ट न करने से व्यक्ति ब्रंच या लंच में ज्यादा खा लेता है।

3. मुख्य भोजन से 30 मिनट पहले फ्रूट्स खाएं, इससे वे आसानी से पचेंगे। खाली पेट फ्रूट्स खाने से सिस्टम डिटॉक्सीफाई होता है, साथ ही शरीर को ऊर्जा भी मिलती है।

3. दिन भर में 8 से 10 ग्लास पानी पीना जरूरी है। खाने के बीच में पानी पीने से पाचन क्रिया सुस्त हो जाती है, इसलिए भोजन के बीच में पानी पीने से बचें। जरूरी हो तो छोटे-छोटे सिप लें। खाने से कम से कम 15 मिनट पहले या बाद में पानी पिएं।

4. भोजन को अच्छी तरह चबाएं। शोध बताते हैं कि भोजन को चबाने में जितना अधिक समय लगाएंगे, उतना ही कम कैलरीज लेंगे। देर तक चबाने से ब्रेन को यह संदेश जाता है कि पेट भर चुका है। खाने के हर कौर को 35 से 50 बार तक चबाएं।

5. भोजन करते हुए इधर-उधर ध्यान न दें। याद है, जब मां खाते समय पढने या टीवी देखने से मना करती थीं! मल्टीटास्किंग का खयाल खाने के समय छोड दें। इससे खाने से ध्यान हटता है और ज्यादा भी खा लेते हैं।

6. रात 8 बजे के बाद भारी भोजन से बचें। भारतीय जीवनशैली में अब यह मुश्किल काम है, लिहाजा डिनर को लिक्विड फॉर्म में रखें और कम कैलरीज वाले खाद्य पदार्थ चुनें।

फिटनेस ऐक्शन प्लान

1. रोज वॉक करें, लेकिन वॉक करते समय बातचीत से बचें। एक बार में कम से कम 25 मिनट तक लगातार ब्रिस्क वॉक करें, तभी अपेक्षित नतीजे मिलेंगे। 10 मिनट में कम से कम एक किलोमीटर तक चलें।

2. एक जैसे व्यायाम रोज करने से शरीर को फायदा हो सकता है, लेकिन वजन पर खास फर्क नहीं पडता। बेहतर है वजन के लिए अपने ट्रेनर या विशेषज्ञ से अलग व्यायाम सीखें और इन्हें बदल-बदल कर करें।

3. लगातार एक समान ट्रैक पर वॉकिंग या जॉगिंग से बचें। अपने पार्क में कुछ असमतल जगह तलाशें और वहां भी चलें।

4. लोअर बैली एक्सरसाइजेज करें, लेकिन इसके लिए विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। सर्जरी, प्रेग्नेंसी या पीरियड्स के दौरान कई तरह के व्यायाम वर्जित होते हैं, इन्हें न करें।

5. एक बार में 30 मिनट तक एक्सरसाइज के लिए समय न हो तो दिन में दो से तीन बार 10-10 मिनट की एक्सरसाइज करें। हार्ड नहीं, स्मार्ट एक्सरसाइज करें।

चेकलिस्ट

-नतीजे देखें-परखें और अपने फीडबैक से सीखें। देखें कि एक हफ्ते में ऐसी कौन सी गलती की जिससे वजन बढा या किस तरह की डाइट से वजन घटा।

-एक-दो महीने में पांच-दस किलो वजन घटाने का सपना न देखें। ऐसा लक्ष्य बनाएं-जिसे हासिल कर सकें। पिछले दस वर्षो में वजन बढने की प्रक्रिया के बारे में सोचें। हर साल कितने किलो वजन बढा? जीवनशैली में आए बदलावों पर भी गौर करें। शारीरिक गतिविधियां बढाने के बारे में सोचें। लंबे समय तक एक स्थिति में बैठ कर काम न करें। तनाव और दबाव घटाएं।

-30 की उम्र के बाद नियमित वजन चेक करें। जैसे ही यह 1-2 किलो बढे, तुरंत उसे संतुलित करने के प्रयास में जुट जाएं।

-डाइटिंग के बजाय सेंसेबिल ईटिंग प्लान के बारे में सोचे। इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। एक सी ईटिंग हैबिट्स रखें।

-डायरी नोट्स लिखें। अगर डार्क चॉकलेट का एक बडा पीस मुंह में डाला है तो अगले मील में कितनी कैलरी घटानी हैं, इसे भी ध्यान में रखें।

क्या घी Health के लिए हानिकारक नहीं है ? - Dr Rajshree

घी के लिए बहुत बडी गलत फहमी है कि ये फेट बढाता है।पर सही में जाने तो शुध्द देशी घी हाटँ प्रोब्लम का जोखिम घटाता है। और उसमें काफी मात्रा में विटामिन A,D,E,K होता है और अच्छी वाली' चरबी होती है।


(1) घी हार्ट डिज़ीज का रिस्क कम करता है।

उसमें जो अच्छी वाली चरबी है वो हमें कैंसर​, डायबिटीज, से बचाती है और खुन की नलिकाओं​ में खुन जमने नहीं देती। पर वो शुध्द देशी घी होना चाहिए। भारत में एक सवेँ में पाया गया था कि शहरों में रहने वाले जो घी खाते हैं उसकी तुलना में गांव वाले ज्यादा शुध्द घी खाते हैं उसकी वजह से वहां के लोगों में हार्ट डिज़ीज , कैंसर जैसी बिमारियां कम पायी गई।

(2) गर्भवती महिलाओं के लिए शुध्द देशी घी बहुत अच्छा।

अमरीका के,NGO के सवेँ के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित रूप से मर्यादित मात्रा में घी खाने से होने वाले बच्चे के दांत तंदुरुस्त आते है, मुंह का आकार भी सप्रमाण होने से बच्चा beautiful and cute पैदा होता है। उसकी वजह जो घी में बहुत बडी मात्रा में विटामिन K2 होता है वो है।

(3) घी खाने से पाचनतंत्र को फायदा होता है।

क्योंकि घी के अंदर जो एक केमिकल होता है वो अंतडिय़ों के सेल्स को पोषण देता है, खुराक को पाचन योग्य बनाता है और अंतडिय़ों की दिवारों को मजबूत बनाता है।

(4) घी आपको weight loss में मदद कर सकता है।

घी के अंदर जो CLA नामक तत्व है जो Heart disease का जोखिम भी कम करता है, ये वजन बढऩे पे रोक लगाता है, और वजन कम भी करता है।
घी बनाते समय हम मखख्न को बहुत गरम करते है और छलनी से छान लेते हैं।जिससे उसका fatty contents बहुत ही ज्यादा कम हो जाता है।

Western world  में रूटीन ओइल generally olive oil and खोपरेल तेल सबसे ज्यादा हेल्दी माना जाता है, वहां पे भी हमारे traditional indian घी का महत्व बढता जा रहा है। वे लोग भी ब्रैड, केक, सलाड और खाना सौंते करने में घी का उपयोग करने पे जोर दे रहे है।
97% जो Native Americans है, जो डैरी प्रोडकट्स मे lactose होता है वो टोलरेट नहीं कर पाते है। और हमारे शुध्द देशी घी में lactose नहीं होता जो.native Americans के लिए good news साबित हुआ है।

शुध्द देशी घी में casein भी नहीं होता जो दुध और दूध से बनी products की एलर्जी की वजह होता है। इस लिए जिनको दूध की एलर्जी हो वो भी  traditional तरीक़े से बना शुध्द देशी घी खा सकते है।शुध्द देशी घी हमारी आंखों को भी तंदुरुस्त बनाता है।

मेरे पूरे लेख में शुध्द traditional घी के योग्य मात्रा में उपयोग के फायदे बताये गये है।

तो इसी बात पर हो जाए आप सब के मुंह में घी शक्कर!!

DR★ राjશ્રી

किचन में ही बनाएं वजन कम करने के लिए ये लाजवाब फैट कटर ड्रिंक

क्या आप भी उनमें से एक हैं जो कि दिन या रात को सोने से पहले अपनी पुरानी ड्रेस ट्राई करती हैं और आप उसे पहन नहीं पाती, क्योंकि वह अब आपके शरीर में अब फिट नहीं आ पाती है। अगर आप हल्के सी ओवरवेट हैं और शेप में आना चाहती हैं, तो ऐसे में आप इस ड्रिंक का इस्तेमाल करना कभी ना भूलें। इस ड्रिंक के साथ अगर आप एक प्रॉपर डाइट और रूटीन अपनाती हैं तो ऐसे में आपका वजन आसानी से कम हो जाएगा। आइए जानते हैं किस तरह से बनाया जाता है पेट की चर्बी कम करने वाला यह ड्रिंक।

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मैजिक ड्रिंक बनाने के लिए आपको इन सामग्री की जरूरत होगी

1 चम्मच शहद
1 चम्मच अदरक का पाउडर
1 चम्मच नींबू का रस
2 से 3 चम्मच ऐलोवेरा जूस
1 गिलास पानी

इस ड्रिंक को कैसे बनाएं?

 एक गिलास में पानी ले लें और फिर इसमें ऐलोवेरा का जूस डाल लें। अब इसमें शहद और पानी को मिक्स करके डालें। इसके बाद अदरक का पाउडर और नींबू का रस डालकर अच्छी तरह से मिला लें। इसके बाद इस काढ़े को रोजाना सुबह के समय खाली पेट पीएं।

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शहद पेट की चर्बी को बर्न करके हमारे शरीर को एनर्जी देता है। अदरक फैट को कम करने के साथ ही शरीर के मेटाबोलिजम को बूस्ट करता है। नींबू हमारे शरीर में विटामिन सी की कमी को दूर करता है। ऐलोवेरा हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थों को छुटकारा दिलाकर हमारे शरीर को डिटोक्सिफाई करती है। आप बेहतर परिणाम के लिए रोजाना इस ड्रिंक का सेवन कर सकती हैं। इसी के साथ खूब सारा पानी भी पिएं ताकि आप अपने वजन को आसानी से कम कर दें।

Saturday, October 14, 2017

सेब का सिरका कम करेगा चर्बी और शुगर, जानिए और भी फायदे

सेब का सिरका सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है

नई दिल्ली। स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए प्रकृ​ति ने हमें कई सारी चीजें दी हैं। हम यहां आपको बता रहे हैं सेब के सिरके के फायदों के बारे में जो भूरे रंग का द्रव होता और खमीर उठने से बनता है। सेब के सिरके को आयुर्वेद में इसे औषधि की तरह बताया गया है। इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया बेहतर होकर चर्बी कम होने समेत अवसाद, गठिया, हाई ब्लड प्रेशर आदि बीमारियां दूर होती है।


वजन कम करने के लिए- भले ही इसकी डोज हर व्यक्ति के लिए अलग हो, लेकिन 2:3 के अनुपात में लिया गया ये घोल सबके लिए उपयुक्त है। इसका मतलब आप 2 चम्मच सेब का सिरके को 3 चम्मच गुनगुने पानी के साथ मिला कर दिन में दो बार खाने के बाद सेवन करें।

कछ जानकार इसे रात को​ सोते समय लेने की भी सलाह देते​है। परन्तु​ आपके लिए कौन​ सा समय सही है ये​ आपके डाइटीशियन ज्यादा बेहतर बता सकते हैं।

डायबिटीज के लिए- हालांकि शुगर के इलाज के लिए सेब का सिरका बहुत प्रभावी है इस पर बहुत ज्यादा रिसर्च नहीं है। डॉक्टर शरण के अनुसार, यह इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाता है और खून में ग्लूकोज के लेवल को कम करने में मदद करता है। सेब का सिरका कॉमप्लेक्स कार्बोहाइड्रेट के पचाने में भी मदद करता है जो कि शुगर के मरीज के लिए आवश्यक है।

आपको दिन में दो बार खाने के बाद मुख्य रूप से नाश्ते और रात के खाने के बाद सेब के सिरके का सेवन करना चाहिए। फिर भी इसका डोज हर व्यक्ति के लिए उसके खून में इन्सुलिन की मात्रा और खून में ग्लूकोज लेवल के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। तो अगर आप शुगर के इलाज के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं, तो ज्यादा अच्छा होगा कि आप एक डॉक्टर की सलाह लें।

शुगर की मात्रा होती है नियंत्रित
सेब के सिरके के सेवन से खून में शुगर के स्तर को कंट्रोल रहता है। क्योंकि सेब के सिरके का स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट्स के पाचन के दौरान खून में शुगर के अवशोषण को घटा देता है। इस वजह से खून में शुगर का स्तर स्थिर हो जाता है। इसमें एसीटिक अम्ल होता है जिससे यह मंद पाचन में सहायक होता है। वहीं, इसमें पाया जाने वाला एसीटिक अम्ल डाइबिटिज के रोगियों के लिए लाभदायक होता है।

एडिस रिफ्लक्स के लिए- जीईआरडी यानि एसिडिटी संबंधी परेशानी के इलाज के लिए सेब के सिरके को 1:5 के अनुपात में मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए।

साइड इफेक्ट

सेब का सिरका सेफ है लेकिन डॉक्टर शरण दिन में दो बार से ज्यादा इसके प्रयोग पर चेतावनी देते हैं। यदि ज्यादा मात्रा में दिन में दो बार से ज्यादा इसका सेवन करते हैं, तो इससे एसिडिटी, त्वचा पर दाने पड़ना और पेट में जलन महसूस हो सकती है।

सेब के सिरके के कुछ और भी दुष्‍प्रभाव होते हैं - ऊतकों का टूटना, दांतों में पीलापन आना, शरीर में पौटेशियम के स्‍तर में कमी आदि। कुछ मामलों में लोगों को जलन आदि की समस्‍या भी हो जाती है।

साथ ही इन साइड इफेक्ट्स के इलाज में भी ज्यादा वक्त लगता है। इसलिए ज्यादा अच्छा यह है कि इसका उपयोग किसी डॉक्टर या न्यूट्रीनिश्ट के निर्देश के अनुसार ही करें।

दवाओं के सेवन करने पर न लें - अगर आपको कोई शारीरिक समस्‍या है और आपके द्वारा उसके लिए किसी प्रकार की दवा का सेवन किया जा रहा है तो डॉक्‍टर से सेब का सिरका इस्‍तेमाल करने से पूर्व पूछ लें। अन्‍यथा अापको समस्‍या हो सकती है।

अगर सेब के सिरके का सेवन सही मात्रा में नियमित रूप से किया जाता है तो वजन में कमी आ सकती है। बस दृढ इच्‍छा की कमी नहीं होनी चाहिए।

Thursday, October 12, 2017

भारत सुप - आंते साफ करने की स्पैशल Recipe : by Dr Rajshree

मेरी खुद की बनाई गई ये हेल्दी रेसिपी (Try for 2 days in dinner ये सुप एक मीडियम साइझ बौल, दो फुल्का रोटी और ऐक कप दहीं के साथ और कुछ नहीं लेना है. डिनर में) to clean your intestine before Diwali festivities food.

भारत सुप


Ingredients:-

1 मीडियम साइज लौकी
5 सहजन की स्टीक्स (Drumsticks)
एक कप बारीक कटी हुई पत्ता गोभी,
एक कप बारीक कटी हुई पालख,
एक कप कसा हुआ गाजर
आधा चम्मच नींबू का रस
एक चम्मच कसा हुआ अदरक
आधा चम्मच काली मिचँ पावडर
नमक आधा चम्मच

बनाने की विधि:-

लौकी और सहजन के बडे बडे पीस कर के बोइल कर लिजीये,ठंडा होने पर लौकी को मेश कर दिजिये और सहजन में से पुरा पल्प नीकाल लिजिये। अब एक बडे पेन मे ये डाल दिजिये और 4गिलास पानी डालिये और.कप्स में तैयार रखी
दुसरी सब्जियां भी उस मे डाल दिजिये। अब ये पूरा मिश्रण पांच मिनट्स तक उबालिए, बीच में हिलाते रहे। अब नमक आधे चम्मच से ज्यादा नहीं परन्तु ज्यादा तीखा पसंद करते हो तो काली मिर्च पाउडर अपनी मरजी से डाल सकते हैं।
परोंसते वक्त नींबू का रस नीचोडे। ......

DR★राjશ્રી...

जोड़ों के दर्द का सबसे अच्छा उपचार हैं नींबू का छिलका

नई दिल्ली : जैसे- जैसे लोगो का उम्र बढ़ता हैं वैसे-वैसे लोगों को सेहत संबंधित कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर देखा जाए तो सबसे पहले लोगों में जोड़ों का दर्द सामने आता हैं. यू कहे तो जोड़ों का दर्द आजकल आम बीमारी हो चुकी हैं और अब यह हर उम्र के लोगों में होने लगा हैं. जिसकी खास वजह हैं अनहैल्दी खाना जो कोई ध्यान नही देता और अपनी सेहत बिगड़ लेता है. जिसका सीधा बूरा असर आपके जोड़ो पर होता है.

ऐसे में आप घर पर बैठे ही जोड़ों के दर्द के लिए घरेलु टिप्स इस्तेमाल कर सकते हो जो आपको दर्द के राहत दिलाएगा और इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का साइड इफ़ेक्ट नही होगा. वो हैं नींबू का छिलका, जो जोड़ों के दर्द के लिए बहुत ही फायदेमंद है.

नींबू के छिलके का इस्तेमाल करके आप अपने जोड़ों के दर्द को आसानी से ठीक कर सकते हो. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप नींबू के छिलकों का इस्तेमाल करके जोड़ों के दर्द से राहत पा सकते है.

सामग्री :

इसके लिए आपको 3 चीजों जरूरत होगी नींबू के छिलके, ऑलिव ऑयल और बैडेंज.

ऐसे करें इस्तेमाल :

# सबसे पहले नींबू के कद्दूकस किए गए छिलकों को​ एक एयरटाइट जार में डालकर थोड़ा सा ऑलिव ऑयल मिलाएं और जार अच्छे से बंद करें.

# इस मिक्सर को दो हफ्तों के लिए छोड़ दें.

# दो हफ्तों के बाद इसे रेशमी कपड़े में लेकर दर्द वाली जगह पर लगाएं.

# इसे बैडेंज का इस्तेमाल कर अच्छे से कवर करके चौबीस घंटे के लिए छोड़ दें.

# इससे हड्डियां मजबूत होगी और जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलेगी.

Wednesday, October 11, 2017

डार्क सर्कल्स - कारण व सरल घरेलू उपचार जो आपकी त्वचा निखार देंगे।

आँखें चेहरे का अभिन्न अंग हैं। स्वस्थ और सुंदर आँखें चेहरे की ख़ूबसूरती को चार चाँद लगा देती हैं। पर कुछ लोगों के आँखों के नीचे की त्वचा का रंग बदल जाता है और कालापन आ जाता है। इसे आँखों का काला घेरा या dark circles कहते हैं।

उम्र के किसी ना किसी पड़ाव पर सबको इस समस्या से रूबरू होना पड़ता है। और अधिकतर इन काले घेरों पर ध्यान तब जाता है, जब बहुत गहरा जाते हैं और साफ़-साफ़ नज़र आने लगते हैं। आज हम जानेंगे कि ये काले घेरे होते क्यूँ हैं? 

बहुत से लोगों का मानना है कि नींद पूरी ना होने की वजह से या कम नींद लेने की वजह से आँखों के नीचे काले घेरे होते हैं, पर ये पूर्ण सत्य नहीं है। नींद पूरी ना होना अकेली वजह नहीं है आँखों के नीचे काले घेरे होने की, और भी बहुत सी वजहें हैं। आँख के नीचे होने वाले काले घेरों की वजह जानने के लिए, पहले आपको बहुत ध्यान से उनके रंग को पहचानना होगा। 

अगर आँख के नीचे के इन घेरों का रंग थोड़ा नीला या हरा है, तो ये आपकी आँख के नीचे की स्किन यानि चमड़ी के पतला पड़ जाने की वजह से हैं। समय के साथ-साथ या फिर आनुवंशिक कारणों से, आँखों के नीचे की चमड़ी पतली पड़ जाती है या पारदर्शी हो जाती है। चमड़ी के पारदर्शी होने की वजह से आँखों के नीचे की रक्तवाहिका नज़र आने लगती हैं और इसकी वजह से आँखों के नीचे नीले या हरे रंग के घेरे नज़र आने लगते हैं। इन्हें ही हम डार्क सर्कल कहते हैं। 

अगर आँख के नीचे के ये घेरे भूरे या काले रंग के हैं,  तो ये hyperpigmentation का नतीजा है। hyperpigmentation यानि की त्वचा में melanin की बढ़ी हुई मात्रा।hyperpigmentation होने के कई कारण होते हैं, जैसे कि सूर्य की रोशनी में ज़्यादा देर तक रहना या आनुवंशिक कारण या फिर हमारा life style यानि कि रहन सहन। 

क्यूँ होते हैं डार्क सर्कल – डार्क सर्कल यानि काले घेरे होने के बहुत से कारण हैं, जैसे – 

अत्यधिक तनाव में रहना थकावट होना, पर्याप्त नींद और आराम ना मिल पाना Iron की कमी सही खानपान ना होना धूप व प्रदूषण में ज़्यादा रहना किसी क्रीम, cosmetic या दवाई से ऐलर्जी होना आनुवंशिक अनियमित दिनचर्या होना उम्र बढ़ना भारी फ़्रेम वाले चश्मे पहनना आँखों को ज़्यादा मलते रहना 

कैसे करें काले घेरे दूर? 

अपनी त्वचा का ख़ास ख़्याल रखें – सूर्य की हानिकारक किरणें हर तरह से हमारी त्वचा को नुक़सान पहुँचती हैं। बहुत ज़्यादा धूप में रहने से सूर्य की UV किरणें हमारी त्वचा में पाए जाने वालेfolate (विटामिन B) को नष्ट कर देती हैं, जिसका असर cell division पर पड़ता है। Melanocytes के ज़्यादा सक्रिय हो जाने से त्वचा में pigmentation की समस्या होने लगती है और इसी से आँखो के नीचे काले घेरे बनते हैं। इसलिए जितना हो सके कड़ी धूप में जाने से बचें या फिर बाहर जाने से पहले कम से कम तीस spf वाला सनस्क्रीन ज़रूर लगाएँ। यहाँ spf का मतलब है sun protection factor, जितना अधिक spf उतनी ही अधिक pigmentation, सनबर्न और टैनिंग से सुरक्षा। 

-> पर्याप्त नींद लें – नींद पूरी न होने से आपकी त्वचा कांतिहीन नज़र आती है व आँखों के नीचे काले घेरे बन जाते हैं। इससे त्वचा कुरूप व काली नज़र आने लगती है। इसका उपाय है कि आप रोज़ाना आठ घंटे की नींद ज़रूर लें। अगर आपको सुबह जल्दी उठना पड़ता है तो कोशिश करें कि रात को सोएँ भी जल्दी। अगर आपकी दिनचर्या ऐसी है कि रात को सोते भी लेट हैं और सुबह उठना भी जल्दी पड़ता है तो कोशिश करें कि दिन में कुछ समय निकाल कर सो जाएँ व अपनी नींद पूरी कर लें। कुछ लोगों को समय की नहीं बल्कि नींद की समस्या होती है, ऐसे लोगों के लिए प्राणायाम काफ़ी लाभदायक साबित हो सकता है। 

-> संतुलित भोजन – त्वचा को क़ुदरती तौर पर सुंदर, स्वस्थ रखने के लिए व काले घेरों से छुटकारा पाने  लिए, सबसे पहले अधिक नमक युक्त, तले हुए, जंक फ़ूड और मसालेदार भोजन से दूरी बना लें। अपने भोजन में ऐसी चीज़ों को शामिल करें जिनमें विटामिन और antioxidants की मात्रा अधिक हो, जैसे ताज़े फल व रेशेदार सब्ज़ियाँ। ऐसे फल अधिक खाएँ जिनमे विटामिन सी अधिक होता है, जैसे आँवला, संतरा, मोसंबी, निम्बू, अमरूद इत्यादि। विटामिन सी चेहरे के दाग़ धब्बों को दूर करता है और त्वचा की रंगत के साथ साथ काले घेरों को हल्का करता है। antioxidants त्वचा की कोशिकाओं की मरम्मत कर, त्वचा को स्वस्थ बनाए रखते हैं। 

-> पानी अधिक पिएँ – दिन में कम से कम आठ से दस गिलास पानी ज़रूर पिएँ। पानी अधिक पीने से, त्वचा में नमी बनी रहती है और शरीर में मौजूद हानिकारक और विषैले तत्वों को पानी बाहर निकाल देता है। नारियल पानी में भी कई सारे पोषक तत्व होते हैं, जो त्वचा को सुंदर और स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। इसलिए दिन में एक बार नारियल पानी ज़रूर पिएँ। 

काले घेरे दूर करने के घरेलू उपाय – 

1. टमाटर – डार्क सर्कल दूर करने के लिए टमाटर सबसे कारगर उपाय है। ये प्राकृतिक तरीके से आँखों के नीचे के काले घेरे को खत्म करने का काम करता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से त्वचा भी कोमल और फ्रेश बनी रहती है। टमाटर के रस को नींबू की कुछ बूंदों के साथ मिलाकर लगाने से जल्दी फायदा होता है। 

2.टी-बैग – ठंडे टी-बैग्स के इस्तेमाल से भी डार्क सर्कल को दूर किया जा सकता है। टी-बैग को कुछ देर पानी में डुबोकर रख दें। उसके बाद इसे फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दें। कुछ देर बाद इसे निकालकर आंखों पर रखकर लेट जाएं। दस मिनट तक रोज ऐसा करने से आँखों के नीचे के काले घेरे दूर होने लगेंगे। 

3.कच्चा दूध  ठंडे दूध के लेप से भी आंखों के नीचे का कालापन दूर हो जाता है। कच्चे दूध को ठंडा होने के लिए फ़्रिज में रख दें। उसके बाद रुई की मदद से उसे आंखों के नीचे लगाएँ। रात को सोने से पहले व सुबह नहाने से पहले रोज़ाना ये उपाय करें, आपको ज़रूर फ़ायदा होगा। 

4.आलू – एक आलू लेकर उसे बीच से काट दें और उसे आँखों के नीचे रगड़ें, चाहें तो पूरे चेहरे पर भी रगड़ सकते हैं। आधे घंटे बाद चेहरा धो दें। हफ़्ते में एक दो या तीन बार ये उपाय ज़रूर करें, काले घेरे कम होंगे व चेहरा निखर उठेगा। इसके अलावा आलू के रस को नींबू की कुछ बूंदों के साथ मिला कर मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण को रूई की सहायता से आंखों के नीचे लगाएँ, इससे काले घेरे धीरे धीरे ख़त्म हो जाते हैं। 

5.चंदन – थोड़ा सा चंदन पाउडर लें, उसमें संतरे का रस मिला कर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आँखों के नीचे काले घेरों पर लगाएँ। आधे घंटे बाद साफ़ पानी से धो दें। हफ़्ते में दो या तीन बार ये उपाय करने से निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। 

6.खीरा – खीरे के टुकड़े काट कर आँखों के ऊपर रखें। कुछ देर तक आँखे बंद करके रखें, फिर धीरे धीरे हल्के हाथ से काले घेरों पर घुमाएँ। इससे काले घेरे हल्के होंगे व आँखों को आराम मिलेगा। इसके अलावा खीरे के रस में निम्बू के रस की कुछ बूँदें मिला कर लगाने से भी लाभ मिलेगा। 

अपनी दिनचर्या को नियमित रख कर, खानपान का ध्यान रख कर, व्यायाम व योग को अपना कर हम दाग़-धब्बों व काले घेरों से मुक्त चमकती दमकती हुई त्वचा पा सकते हैं।

Friday, October 6, 2017

इन 5 एक्सरसाइज से कमर और पेट का फैट होगा कम

लड़की वहीं सुंदर लगती है, जिसकी कमर पतली हो। लड़कियां अपने पेट के फैट को कम करने के लिए अपनी डाइट को कम कर देती है लेकिन अगर आप सच में अपनी कमर को पतली और पेट के फैट को कम करना चाहती है तो अपने खानपान पर ध्यान देने के साथ-साथ रोजाना व्यायाम करना शुरू करे। आज हम आपको ऐसे ही व्यायाम के बारे में बताएंगे, जिसकी मदद से आप अपनी कमर को पतला और अपने फैट को कम कर सकते है।


 

1. रस्‍सी कूदना

अगर आप अपनी कमर को पतला करना चाहती है तो यह व्यायाम आपके लिए काफी जरूरी है। यह कमर को पतला करने के साथ ही पेट की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है। शुरू में इसको केवल एक मिनट तक करें और बाद में 15 सेकेंड का तक आराम करके पांच बार दोहराएं। 

2. बर्पी करें

इस व्यायाम को हाई इंटेसिटी इंटरवल ट्रेनिंग भी कहा जाता है। इसको करने के लिए स्‍क्‍वैट की मुद्रा की तरह दोनों हाथों को जमीन पर रखकर शुरू करें। फिर  एक पैर को ऊपर उठाकर पुश-अप की मुद्रा में अाए। इससे आपकी कमर को परफेक्ट शेप मिलेंगी साथ ही फैट कम होगा।


3. बाइसाइकिल क्रंचेज:


इसमें पैरों को स्थिर रखने की बजाए उसे साइकिल की तरह चलाना होता है। यह पेट, जांघों, कमर के आसपास की चर्बी को कम करता है। 

4. प्‍लैंक


प्‍लैंक व्‍यायाम से भी कमर के आसपास की चर्बी कम होती है। साथ ही यह हाथों और सीने को भी मजबूत बनाने वाला व्‍यायाम है। 

5. बॉल के साथ व्‍यायाम

इस व्यायाम को करने के लिए इस बात का ध्यान रखें कि बॉल के आगे जाने से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है। सबसे पहले बॉल को लेकर प्‍लैंक की‍ स्थिति में अाए। इसे करने से कमर की चर्बी कम होती है।   

इन व्यायाम को रोजाना करें क्योंकि दो-चार बार इसको करने से आपको कोई भी फर्क नजर नहीं आएगा। इसके साथ अपनी डाइट का भी पूरा ध्यान रखें।

बेड पर कुत्ते को साथ सुलाने का ये नुकसान जानते हैं आप

यदि आप भी अपने कुत्ते को अपने बिस्तर पर सुलाने की गलती करते हैं तो हो जाएं सावधान

नई दिल्ली: आप अपने पालतू कुत्ते से प्यार करते हैं और उसे अपने बेडरूम में सुलाते हैं तो ठीक है लेकिन यदि आप उसे अपने बेड पर सुला रहे हैं तो ये आप गलत कर रहे हैं. अगली बार ऐसा करने से पहले इस खबर पर जरूर ध्यान दें.क्या कहता है शोध-

एक नई स्टडी में सामने आया है यदि आप अपने कुत्ते के साथ एक ही बेडरूम में सो रहे हैं तो ठीक हैं लेकिन यदि आप अपने कुत्ते के साथ एक ही बिस्तर पर सो रहे हैं तो ये आपकी नींद पर असर डाल सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है इससे आपकी नींद पर नकारात्मक असर हो सकता है.

एक्सपर्ट का क्या है मानना-
मेयो क्लिनिक एरिज़ोना कैंपस के लेखक लीस क्रेन का कहना है कि अधिकांश लोग बेडरूम में पालतू जानवरों को अपने साथ सुलाते हैं. ये अच्छी बात नहीं है. हालांकि कई जगहों पर हमने पाया है कि कुछ लोग अपने पालतू जानवरों के साथ सोने से आराम और सुरक्षा महसूस करते हैं.

कैसे की गई रिसर्च-
ये रिसर्च 40 ऐसे हेल्दी व्यस्कों पर की गई जिन्हें कोई भी नींद की बीमारी नहीं थी. इन व्यस्कों के पास अपने पालतू कुत्ते थे. इन लोगों पर 5 महीने तक रिसर्च की गई. प्रतिभागियों और उनके कुत्ते की आदतों में सात दिन में क्या-क्या बदलाव आते हैं इसको जानने के लिए प्रतिभागियों और उनके कुत्ते को एक्टिविटी ट्रैकर्स पहनाया गया.

रिसर्च के नतीजे-
निष्कर्ष निकला कि अपने पालतू कुत्ते के साथ सो रहे कुछ लोगों ने बेहतर नींद का अनुभव किया. जबकि असल में उनकी नींद पर नकारात्मक असर पड़ रहा था.

नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. हम इसकी पुष्टि नहीं करते. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

Thursday, October 5, 2017

जबकि डाक्टर भी हैरान रह गए, शहद व दालचीनी ने किया ऐसा काम

आजकल हर उम्र के लोगों को ही किसी न किसी दर्द से जूझता देखा जाता है। इसके पीछे का एक बड़ा कारण आजकल का गल्त खान-पान है और व्यायाम की कमी भी। डाइट सही न ले पाने से लोगों में कैल्शियम की कमी हो जाती है और यूरिक एसिड बढ़ जाता है। जिससे गठिया का रोग या फिर किसी पुरानी घुटने की चोट का दर्द शुरू हो जाता है। लेकिन आज हम आपको एक एेसा नुस्खा बताएंगे जिससे पुराने से पुराना दर्द भी खत्म हो जाता है।

जरूरी सामान
- दालचीनी
- शहद
- गुनगुना पानी


बनाने और लगाने की विधि
आप सबसे पहले एक कटोरी में 2 चम्मच गुनगुना पानी ले और फिर इसमें 1/2 चम्मच दालचीनी और 1 चम्मच शहद मिलाएं। फिर इसे मिश्रण को बहुत अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अब इस लेप को दर्द वाली जगह पर हल्के हाथ से मसाज करें। मसाज आप 5 से 7 मिनट तक कर सकते हैं। आप रोज एेसे ही सुबह और शाम दोनों समय इस लेप को लगाएं। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि आपका किसी भी तरह दर्द क्यों न हो बहुत ही जल्द इस रामबाण नुस्खे से ठीक हो जाएगा। यदि आपको दर्द बहुत ही पुराना है तो आप एक कप हल्के गर्म पानी में एक चम्मच शहद और आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पीएं। इससे काफी आराम मिलता है।

दालचीनी के प्रयोग में सावधानी

इस प्रयोग में एक सावधानी ज़रूर रखे। दालचीनी की प्रकृति गर्म होती हैं और डेनमार्क और भारत के भौगोलिक पृष्ठभूमि को देखते हुए यहाँ पर इसके इस प्रयोग को करने का सही समय सर्दिया ही हैं। गर्मी में जब ये प्रयोग करे उस समय एक चौथाई चम्मच दालचीनी ही इस्तेमाल करे।

इस शोध के बारे में हम आपको एक चीज बता देना चाहते हैं के ये शोध 1995 में हुआ था और उस समय रिफाइंड आयल का इतना प्रचलन नहीं था। इसलिए अभी आपको अगर आपको पूर्ण आराम लेना हैं तो आपको रिफाइंड जैसे ज़हर को अपनी रसोई से निकालना पड़ेगा, इसकी जगह आप सरसों, मूंगफली, तिल या ऐसा कोई भी तेल जो आपके एरिया में निकलता हो, इस्तेमाल करे।

Tuesday, October 3, 2017

मोटापा घटाने में भी सहायक हैं कलौंजी

कलौंजी का प्रयोग वजन कम करने के लिए भी किया जाता है। यह डायबिटीज तथा कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम करने में काम में आता है।

वजन कम करने लिए कलौंजी जानी पहचानी घरेलु औषधि है। इसमें पौष्टकता भरपूर मात्रा में होता है, जैसे- विटामिन, सुगंधित तेल (aromatic oils), और एन्जाइम्स आदि। कलौंजी बहुत सारे यौगिकों से बनता है जिनमें निगोलोन (nigellone), एमिनो एसिड्स (amino acids), सैपोनीन (saponin), क्रूड फाइबर (crude fiber), प्रोटीन, फैटी एसिड्स, एल्कालॉयड (alkaloids), आयरन, सोडियम, पोटाशियम, और कैल्सियम होता है।

वज़न घटाने में कैसे मदद करता है:

इन्डोनेशिया जर्नल ऑफ इंटरनल मेडिसिन (Indonesian Journal of Internal Medicine) के अध्ययन के अनुसार कलौंजी पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है। अध्ययन के अनुसार जिन लोगों को वज़न घटाने के लिए इसका सेवन करने के लिए दिया गया था उन्होंने एक हफ़्ते में वज़न घटाया है, ब्लड-प्रेशर को कम किया है, कमर के मोटापे को कम किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसका कोई पार्श्व प्रभाव नहीं होता है। उनका यह मानना है कि इसमें फाइबर की मात्रा ज़्यादा होने के कारण यह वज़न घटाने में मदद करता है।

वज़न घटाने के लिए इसका इस्तेमाल कैसे करेंगे:

कलौंजी के चार से पाँच दानों को लेकर उनको पहले पीस लें। फिर उस पावडर को एक गिलास गर्म पानी में डालकर अच्छी तरह से मिला लें। फिर उसमें एक छोटा चम्मच शहद और आधा नींबू का रस डालकर पी लें। नींबू वज़न घटाने के साथ-साथ शरीर से विषाक्त पदार्थ को निकालने में भी मदद करता है। यह आपके पेट के चर्बी को कम करके आपको अपना मनचाहा स्लिम ट्रिम रूप पाने में मदद करेगा।

टिप:
दिन में चार से पाँच दानों का सही सेवन करें। नहीं तो यह शरीर में पित्त के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।

Monday, September 25, 2017

हल्दी का पानी पीने से ये 9 बीमारियां होती हैं दूर...


हल्दी जहां एक ओर खाने का स्वाद और रंग बढ़ा देती है, वहीं इसका उपयोग सौंदर्य वृद्धि और त्वचा की समस्याओं को दूर करने में भी किया जाता है. इसके अलावा हल्दी शरीर को स्वस्थ रखने में भी बहुत सहायक है. निरोग रहने के हल्दी के कुछ बेमिसाल उपाय हम आपको यहां बता रहे हैं -

1. पाचन बनाए दुरुस्‍त 
कई रिसर्च के मुताबिक हल्‍दी रोजाना खाने से पित्‍त ज्‍यादा बनता है. इससे खाना आराम से हजम होता है.

2. डायबिटीज रखे कंट्रोल 
बायोकेमिस्‍ट्री और बायोफिजिकल रिसर्च की स्‍टडी के अनुसार हल्‍दी के नियमित सेवन से ग्‍लूकोज का लेवल कम और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा टल सकता है।

3. कैंसर से बचाव 
हल्‍दी एक ताकतवर एंटीऑक्‍सीडेंट है जो कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं से लड़ती है.

4. खून रखे साफ 
हल्‍दी वाला पानी पीने से खून नहीं जमता और यह खून साफ करने में भी मददगार है.

5. दिमाग बनाए स्‍वस्‍थ
अगर आप सुबह उठकर गरम पानी में हल्दी मिलाकर पीते हैं तो यह दिमाग के लिए बहुत अच्‍छा रहता है।

6. शरीर की सूजन करे कम 
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन की वजह से यह जोड़ों के दर्द और सूजन को दूर करने में दवाइयों से भी ज्‍यादा अच्‍छा काम करता है।

7. बढ़ती उम्र थाम ले 
हल्‍दी का पानी नियमित रूप से पीने से फ्री रैडिकल्‍स से लड़ने में सहायता मिलती है जिससे शरीर पर उम्र का असर धीरे-धीरे पड़ता है।

8. शरीर को डिटॉक्स करने में मददगार 
बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए गर्म पानी में नींबू, हल्दी पाउडर और शहद मिलाकर पिएं. यह ड्रिंक शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकालने में बहुत मददगार है।

9. करक्यूमिन रसायन करता है दवा का काम 
हल्दी में करक्यूमिन नामक रसायन पाया जाता है जो दवा के रूप में काम करता है और यह शरीर की सूजन कम करने में सहायक होता है.

करेले के स्वास्थ्य लाभ

करेले के गुण – स्वस्थ ह्रदय के लिए करेला (Healthy heart)

करेला शरीर के खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने में आपकी मदद करता है तथा दिल की बीमारी होने की आपकी संभावनाओं को काफी कम कर देता है। करेला आपके रक्तचाप (blood pressure) के स्तर को बिलकुल सटीक मानदंडों पर रखता है तथा आपके दिल को स्वस्थ बनाए रखता है।


लिवर के स्वास्थ्य के लिए करेले का रस (Bitter gourd juice for liver health)

करेले को पानी के साथ मिलाकर ब्लेंड (blend) करें और इसे निचोड़कर इससे रस को अलग कर लें। लिवर की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए करेले का जूस का सेवन नियमित रूप से करें।

करेले के गुण – वज़न घटाने के लिए करेला (Weight loss)

करेले में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंटस (antioxidants) आपके शरीर के अंदरूनी भाग को बिलकुल साफ कर देते हैं और मेटाबोलिज्म (metabolism) के स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार साबित होते हैं, जिसकी सहायता से आपके वज़न में काफी कमी आती है। यह सामान्य रूप से आपके शरीर के कैलोरी (calorie) के स्तर को भी नियंत्रित करने में सहायता करता है।

संक्रमणों से लड़ने के लिए करेला (Fight infections)

कडवे करेले के पत्तों को उबालकर इसका सेवन नियमित रूप से करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immune system) पर काफी बेहतरीन प्रभाव पड़ता है और सभी प्रकार के संक्रमणों से निजात मिल जाती है।

किडनी की देखभाल के लिए करेला (Kidney care)

करेले के सेवन से मूत्राशय और लिवर दोनों पर ही काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह किडनी में हुई पथरी को ठीक करने में भी काफी कारगर साबित होता है।

करेले के फायदे – मधुमेह के लिए करेला (Diabetes)

करेला मधुमेह दूर करने के गुणों की वजह से भी काफी प्रसिद्ध है। करेले के जूस के फायदे, लिवर की विभिन्न समस्याओं के शिकार व्यक्तियों के लिए करेले का जूस का सेवन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। करेला के फायदे, इसमें काफी कम मात्रा में ग्लूकोस (glucose) और चीनी मिश्रित होती है, और इसी वजह से यह मधुमेह का इलाज करने का रामबाण उपाय साबित होता है।

करेले के फायदे – तनाव दूर करने के लिए करेला (Reducing stress)

कडवे करेले में पेट की सारी समस्याओं को दूर करने और इन्हें सुकून प्रदान करने वाले गुण मौजूद होते हैं, जिसकी वजह से शरीर के आतंरिक स्वास्थ्य में सुधार आता है, जिसके फलस्वरूप आपको तनाव से भी छुटकारा मिल जाता है।

Sunday, September 24, 2017

मोटापा कम करने के कुछ आसान तरीके

नई दिल्ली: मोटापा शरीर के लिए बीमारी का घर होता है। मोटापा शरीर में जमा होनेवाली अतिरिक्त चर्बी होती है जिससे वजन बढ़ जाता है और यही मोटापा कई बीमारियों का घर बनता है। मोटापे का मतलब है, शरीर में बहुत ज्यादा चर्बी होना। जबकि ज्यादा वजनदार होने का मतलब है, वजन का सामान्य से ज्यादा होना।

जिस व्यक्ति का BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स 25 से 29.9 के बीच होता है, उसे डॉक्टरी भाषा में ओवरवेट या ज्यादा वजनदार कहा जाता है। दूसरी ओर जब BMI 30 या उससे अधिक होता है, तो इसे मोटापा कहा जाता है। मोटापा घटाने के लिए खान-पान में सुधार जरूरी है।

कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी हैं, जिनके सेवन से वजन नियंत्रित रहता है। मोटापा कम करने के लिए यूं तो खानपान पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। कुछ कसरत और योग के आसनों को भी नियमित कर मोटापा पर काबू पाया जा सकता है। साथ ही कुछ प्राकृतिक चीजों को रोजाना अपनाकर आप मोटापा कम कर सकते हैं।

यदि आप वजन कम करने के लिए बहुत मेहनत नहीं कर पाते हैं तो ये छोटे-छोटे उपाय आपके बढ़ते वजन को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

-  शराब और दूध निर्मित पदार्थ का उपयोग न करें।

-  अदरक को व नींबु को काटकर दोनों पानी में ऊबालें ठंडा कर पीएं।

-  रोज 750  ग्राम फल और सब्जी का उपयोग करें।

-  ज्यादा कर्बोहाइड्रेट वाली वस्तुओं का परहेज करें।शक्कर,आलू,और चावल में अधिक कार्बोहाईड्रेट होता है। ये चर्बी बढ़ाते हैं। 

-  केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाय गेहूं सोयाबीन,चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है।

- भोजन मे ज्यादा रेशे वाले पदार्थ शामिल करें। हरी सब्जियों ,फलों में अधिक रेशा होता है। 

- फलों को छिलके सहित खाएं। आलू का छिलका न निकालें!

-  चम्मच शहद आधा चम्मच नींबू का रस गरम जल में मिलाकर लेते रहने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी नष्ट होती है। यह दिन में 3 बार लेना चाहिए।

-  पुदीना रस एक चम्मच 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है।

-  सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से  शरीर की वसा  में कमी होती है।

-  गाजर का रस मोटापा कम करने में उपयोगी है। करीब 300 ग्राम गाजर का रस दिन में किसी भी समय लें।

-  दिन भर में कम से कम 20 गिलास पानी पीएं।

-  कम  कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग करें। 

-  नींबू, जामफल, अंगूर, सेवफल, खरबूज, जामुन, पपीता आम, संतरा, पाइनेपल, टमाटर, तरबूज, स्ट्राबेरी आदि को भोजन में शामिल करें। 

- पत्ता गोभी, फूल गोभी, ब्रोकोली, प्याज, मूली , पालक, शलजम, सौंफ, लहसुन आदि का ज्यादा सेवन करें।

-  कम नमक,कम शकर आदि का उपयोग करें।

-खाना खाने के बाद गुनगुने पानी को पीने से वजन तेजी से घटता है। लेकिन खाना खाने के लगभग पौन या एक घंटे बाद एक ग्लास पानी का सेवन करना चाहिए।

-कच्चे ये पके हुए पपीत का सेवन खूब करना चाहिए। इससे शरीर में अतिरिक्त चर्बी नहीं जमती और वजन तेजी से घटता है।

-दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करना लाभदायक है।

-छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के वक्त छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है।

-गरम पानी में नींबू का रस और शहद घोलकर रोज सुबह खाली पेट पिएं। इससे पेट सही रहेगा और मोटापा दूर होगा।

-ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो मोटापा घटाने के साथ-साथ चेहरे की झुर्रियों को भी दूर करता है। ग्रीन टी को बिना चीनी के पीने से इसका फायदा जल्द होता है।

-एप्पल साइडर वेनिगर को पानी या जूस के साथ मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। यह पाचन तंत्र को सही रखता है और कोलेस्ट्रॉल भी कम करता है।

- एक रिसर्च के मुताबिक वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। हरी या काली मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।

-रोज सुबह-सुबह एक गिलास ठंडे पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पिएं। इस घोल को पीने से शरीर से वसा की मात्रा कम होती है।

- सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से वसा में कमी होती है।

- एक चम्मच पुदीना रस को 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है।



1 सक्रिय रहें –यहां हमारा मतलब व्यायाम करने से नहीं है, बल्कि हर काम के प्रति आपको सुस्त रहने के बजाए थोड़ा सक्रिय  रूख अपनाना होगा। इससे रक्त संचार भी तेज होगा और आपके शरीर की हल्की फुल्की एक्सरसाईज भी होती रहेगी।

2 फैटी फूड –पिज्जा, पास्ता, चीज, बर्गर जैसी चीजों को खाने से आपको जरूर बचना होगा, क्योंकि यह एक ही दिन में आपके वजन को असंतुलित कर देता है। अनाज से बनी चीजों की अपेक्षा इनमें बहुत अधिक फैट होता है। अगर इनका मोह नहीं छोड़ा तो वजन कम करना आसान नहीं है, यह याद रखें।

3 पानी – दिनभर में हर घंटे सीमित मात्रा में पानी जरूर पिएं। भोजन करने से कुछ समय पहले और बाद में भी थोड़ी मात्रा में पानी पिएं। इससे चयापचय की प्रक्रिया ठीक तरह से होगी।

4  भूख से कम खाएं –एक ही बार में अधिक न खाएं बल्कि जितनी भूख हो उससे थोड़ा कम ही भोजन करें, ताकि पाचन ठीक से हो और शरीर में वसा का जमाव न हो। इसके अलावा रात के खाने में सलाद, फल या तरल पदार्थों को लेने पर फोकस करें।

5  टुकड़ों में खाएं –अपनी कुल डाइट को तीन से चार बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें। सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात के खाने के बीच में भी कुछ न कुछ हल्का-फुल्का खाते रहें। इसमें आप फल, सलाद या सूप को भी शामिल कर सकते हैं।

6 रात का खाना – रात का भोजन और सोने के समय के बीच दो से तीन घंटे का अंतर जरूर रखें, ताकि भोजन के पचने में आसानी हो। इस समय में आप घर के छोटे मोटे काम या पैदल चलना शुरू करें, जिससे पाचनक्रिया बेहतर हो।

7 अच्छी नींद लें –नींद की कमी और अधिक नींद दोनों ही हानिकारक होते हैं, और वजन को अनियंत्रित करने में मदद करते हैं। शारीरिक क्रियाओं के ठीक से कार्य करने के लिए 6  से 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है। कम नींद लेने पर तनाव भी बढ़ सकता है, कई बार तनाव भी मोटापे का कारण होता है।

8 प्रोटीन और फाइबर –अपने आहार में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर चीजों का सेवन करें। इससे आपका पेट भी अधिक समय तक भरा रहेगा और आप अतिरिक्त कैलोरी लेने से बच जाएंगे। इसके अलावा फाइबर आपको उर्जा देगा जो सक्रिय रहने में मदद करेगा और आपका वजन कम होता रहेगा।

9 गरम पानी –सुबह खाली पेट गरम पानी पीने से पेट की चर्बी कम होगी। खाना खाने के बाद गरम पानी का सेवन करना वसा को जमने से रोकेगा और पाचनक्रिया में मदद करेगा। इसके अलावा भी दिन में दो से तीन बार गरम पानी का सेवन आपके वजन में बहुत जल्दी कमी लाएगा।

10 आराम – अगर आपको बहुत आराम करने की आदत हो गई है, तो इससे बचें। ऑफिस या घर में घंटों एक ही स्थान पर बैठे न रहें। इससे शरीर के निचले हिस्से में वसा का जमाव  हो सकता है और पेट की चर्बी भी बढ़ सकती है। थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर घूमते-फिरते रहें, ताकि शरीर में वसा का जमाव न हो।

Monday, September 18, 2017

दवा नहीं, दबा(प्रैशर)कर इलाज

मॉडर्न मेडिसिन के अलावा एक्युपंक्चर और एक्युप्रेशर भी इलाज का बेहतरीन तरीका हो सकते हैं। इनमें बेशक इलाज में ज्यादा वक्त लगता है, लेकिन कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। हमारे देश में ये सिस्टम बहुत चलन में नहीं हैं लेकिन चीन में ज्यादातर इन्हीं के जरिए इलाज किया जाता है। हालांकि अब ये तरीके अपने यहां भी इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं। एक्सर्ट्स से बात करके इन दोनों विधाओं की पूरी जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह :

एक्युपंक्चर/एक्युप्रेशर का मतलब एक्यु चीनी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है पॉइंट, यानी अगर शरीर के कुछ खास पॉइंट्स पर सूई से पंक्चर (छेद) कर इलाज किया जाए तो एक्युपंक्चर कहलाता है और अगर उन्हीं पॉइंट्स पर हाथ से या किसी इक्युपमेंट से दबाव डाला जाए तो एक्युप्रेशर कहलाता है। अगर पैरों और हाथों के पॉइंट्स को दबाते हैं तो रिफ्लेक्सॉलजी कहलाता है, जबकि मसाज के जरिए पूरे शरीर के पॉइंट्स दबाने को शियात्सु कहते हैं। अगर एनर्जी कम है तो क्लॉकवाइज और ज्यादा है तो एंटी-क्लॉकवाइज दबाया जाता है। इसके अलावा, प्रेस और रिलीज तकनीक भी अपना सकते हैं यानी कुछ देर के लिए पॉइंट को दबाएं, फिर छोड़ दें। ऐसा बार-बार करें।

         

कितना वक्त लगता है
शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं। अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग पॉइंट असर करते हैं। कुछ पॉइंट कॉमन भी होते हैं। एक्युपंक्चर का एक सेशन 40-60 मिनट का होता है और एक बार में 15-20 पॉइंट्स पर पंक्चर किया जाता है। एक्युप्रेशर में हर पॉइंट को दो-तीन मिनट दबाना होता है। आमतौर पर 3-4 सेशन में असर दिखने लगता है और 15-20 सिटिंग्स में पूरा आराम आ जाता है। हालांकि इलाज लंबा भी चल सकता है। एक सिटिंग के 500 से 1000 रुपये तक लिए जाते हैं। अच्छे डॉक्टर इलाज से पहले इलेक्ट्रो मेरिडियन इमेजिंग (ईएमआई) टेस्ट करते हैं, जिसमें एनर्जी लेवल और पॉइंट्स की जांच की जाती है।

एक्यु योग भी जानें
एक्युपंक्चर पॉइंट्स के साथ मिलाकर योग किया जाए तो एक्यु योग कहलाता है। जैसे कि एक्युपंक्चर या प्रेशर से शुगर के मरीज के स्प्लीन (तिल्ली) या पैंक्रियाज पॉइंट को जगाया जाता है और साथ में शलभासन कराया जाता है, जोकि स्प्लीन या पैंक्रियाज के लिए फायदेमंद है। अस्थमा में फेफड़ों के पॉइंट्स को दबाने के अलावा प्राणायाम कराया जाता है। अगर मरीज को योग और एक्युप्रेशर पॉइंट, दोनों की जानकारी हो तो अच्छा है।

√टिप्स
कंक्रीट पर रोजाना 10-15 मिनट नंगे पैर चलें। ध्यान रखें कि जहां चलें, वह एरिया साफ-सुथरा हो ताकि पैरों को कोई चोट न पहंुचे। नंगे पैर चलने से तलुवों में मौजूद पॉइंट्स दबते हैं, जिससे खून का दौर बढ़ता है। इससे थकान और तनाव कम होता है और पैरों, घुटनों व शरीर के दर्द में राहत मिलती है। जो लोग नंगे पांव नहीं चलना चाहते, वे सरसों या किसी भी तेल से तलुवों की जोर-जोर से तब तक मसाज करें, जब तक कि उनसे गर्मी न निकलने लगे। एक्युप्रेशर चप्पलें भी फायदेमंद हैं। 

नहाते हुए रोजाना तलुवों को ब्रश से 4-5 मिनट अच्छी तरह रगड़ें। 

हफ्ते में दो बार सिर की 5-10 मिनट अच्छी तरह से मसाज करें। इसके अलावा सीवी 20 पॉइंट (जहां कई लोग चोटी रखते हैं) पर रोजाना 15-20 बार हल्के हाथ से मारें। इससे करीब 100 पॉइंट जागते हैं। डिप्रेशन से लेकर मेमरी लॉस, पार्किंसंस जैसी प्रॉब्लम्स में मदद मिलती है।

कान के नीचे वाले हिस्से (इयर लोब) की रोजाना पांच मिनट मसाज करने से याददाश्त बेहतर होती है। यह टिप पढ़नेवाले बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है।

      

अगर भूख कम करनी है तो खाने से आधा घंटा पहले कान के बाहर छोटेवाले हिस्से (ट्राइगस) को दो मिनट उंगली से दबाएं। भूख कम लगेगी। यहीं पर प्यास का भी पॉइंट होता है। निर्जला व्रत में लोग इसे दबाएं तो प्यास कम लगेगी।

जीभ रोजाना अच्छी तरह से साफ करें। जीभ में हार्ट, किडनी आदि के पॉइंट होते हैं। जीभ की सफाई के दौरान ये दबते हैं।

तीखे किनारों वाले रोलर को हाथ पर फेरें तो कई दर्द गायब हो जाते हैं।

रोजाना 5-7 मिनट तालियां बजाएं। इससे हाथों में मौजूद एक्युप्रेशर पॉइंट जागते हैं।

स्टमक 36, रेन 6 और स्प्लीन 6 को टोनिफिकेशन पॉइंट कहा जाता है। इन्हें रोजाना एक-एक मिनट दबाएं तो कार्यक्षमता और इम्यूनिटी बढ़ती है। एनर्जी बनी रहती है।

नोट: ऊपर बताई गतिविधियां को करने से वाइट ब्लड सेल्स बढ़ते हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम को बेहतर करते हैं। ध्यान रखें कि इनसे पूरी बीमारी ठीक नहीं होगी, लेकिन राहत जरूर मिलेगी। बीमारी ठीक करने के लिए पूरा इलाज करना होगा।

ये पॉइंट्स हैं खास

एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर के कुल 365 पॉइंट्स में से कुछ ऐसे हैं, जो काफी असरदार होते हैं और कई तरह की बीमारियों में राहत दिलाते हैं। ये पॉइंट्स हैं :

जीवी 20 या डीयू 20
कहां : सिर के बीचोंबीच, जहां कई लोग चोटी रखते हैं।

उपयोग: याददाश्त बढ़ाता है, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, हाइपर एक्टिविटी को कम कर मन को शांत करता है। पढ़नेवाले बच्चों के लिए खासतौर पर असरदार। यह सारे पॉइंट्स का कंट्रोलिंग पॉइंट भी है, इसलिए इसे हर बीमारी में दबाया जाता है।

जीबी 20
कहां : कान के पीछे के झुकाव में। 

उपयोग: डिप्रेशन, सिरदर्द, चक्कर और सेंस ऑर्गन यानी नाक, कान और आंख से जुड़ी बीमारियों में राहत। दिमागी असंतुलन, लकवा, और यूटरस की बीमारियों में असरदार।

एलआई 11
कहां : एल्बो (कोहनी) क्रीज के बाहरी हिस्से पर।

उपयोग: कॉलेस्ट्रॉल, ब्लडप्रेशर, गले में इन्फेक्शन, यूरिन इन्फेक्शन, उलटी, डायरिया, हिचकी, पीलिया, खून की कमी आदि में। खून से संबंधित हर बीमारी में कारगर। इम्यूनिटी बढ़ाता है। यूबी 17 (बीएल 17) के साथ करें तो बेहतर है।

एसटी 36
कहां : घुटने से चार उंगली नीचे, बाहर की तरफ। इसे टोनिफिकेशन पॉइंट भी कहा जाता है। इस पर रोजाना मसाज करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है।

उपयोग: फौरन स्टैमिना बढ़ाता है। थकान और लंबी बीमारी के बाद ठीक होने में मदद करता है। पेट की बीमारियों और लूज मोशंस में असरदार। दस्त में स्टमक 25 (नाभि के दोनों तरफ तीन उंगली की दूरी पर) भी काफी फायदेमंद है।

लिव 3
कहां : पैर में अंगूठे और साथ वाली उंगली के बीच में, तीन उंगली ऊपर की तरफ।

उपयोग: इमोशन कंट्रोल, पीरियड्स की तकलीफ, शरीर में जकड़न और आंखों की बीमारियां में फायदेमंद। हेपटाइटिस, पीलिया, लिवर से जुड़ी प्रॉब्लम में असरदार। 

चेतना पॉइंट
कहां : लेफ्ट हाथ में कलाई और कोहनी के बिल्कुल बीचोबीच।

उपयोग: 30-35 साल की उम्र के बाद इसे नियमित रूप से दबाने से बुढ़ापा आने की रफ्तार कम होती है। यह नींद लाने में भी मदद करता है।

किस बीमारी में कौन-सा पॉइंट कारगर

सिरदर्द
एलआई 4, आंखों के आसपास दर्द है तो लिव 3, सामने दर्द है तो एसटी 44, माथे में दर्द है तो जीबी 43, सिर के पीछे दर्द में यूबी 67, सिर से पॉइंट जितना दूर होगा, उतना फायदेमंद।

बदन दर्द
एसपी 21, जीबी 34, एलआई 4 

सर्वाइकल, गर्दन में दर्द
एसआई 9, जीबी 21, एलयू 7, एसआई 3

घुटने में दर्द
एसटी 34, एसटी 36, एसपी 10, यूबी 40

कमर का दर्द

यूबी 23, यूबी 40, यूबी 57, यूबी 60, यूबी 61, जीबी 34, एसटी 36

पेटदर्द, गैस, एसिडिटी
एसटी 36, एलआई 4, पी 6, रेन 12

सर्दी-जुकाम और खांसी
डीयू 20, एलआई 4, एलआई 11, एलयू 7, स्प्लीन 10 (नी कैप पर दो इंच ऊपर) एलर्जी के लिए


उलटी
पी 6, एसटी 36, के1 (मॉर्निंग सिकनेस और ट्रैवल सिकनेस में भी असरदार)

लूज मोशंस 
एसटी 36, लिव 13, रेन 6, स्प्लीन 4

आंखों की बीमारियां
एसटी 1, यूबी 1 (इसमें सूई न लगाएं), एसटी 1, जीबी 1, एक्स्ट्रा 1, यूबी 67

मुंहासे
एलआई 4, डीयू 20, एलआई 11, एसटी 6, एलयू 7

चक्कर आना
एलआई 4, सीवी 13, पी 6

याददाश्त बढ़ाना
डीयू 20, एक्स्ट्रा 1

जीवनी शक्ति बढ़ाने के लिए
एसटी 36, एलआई 11 और स्प्लीन 36

नींद न आना
डीयू 20, यूबी 62, हार्ट 7 (मन को शांत करता है)

स्त्री रोग और जनन संबंधी रोग 
स्प्लीन 6, रेन 4, लिव 3 

थकान 
एसटी 36, रेन 6, चेतना पॉइंट 

कॉलेस्ट्रॉल
सीवी 12, सीवी 13, लिव 13, यूबी 17

ब्लड प्रेशर
लिव 3, लिव 4, एलयू 9, डीयू 20, लिव 4 भी गुस्सा कम करता है और दिमाग को कंट्रोल में रखता है।

शुगर
एसपी 10, सीवी 12, लिव 13

अस्थमा
एलयू 6, एलयू 7, एलयू 9, एलआई 11, पी 6, रेन 17, रेन 22 (इमरजेंसी में बेहद कारगर)

पीलिया
लिव 3, लिव 14, हेपटाइटिस और लिवर से जुड़ी बाकी प्रॉब्लम्स में भी

लकवा
एलआई 4, एलआई 11, एलआई 15, एसटी 31, एसटी 32, एसटी 36, एसटी 41, स्प्लीन 6, लिव 3 

कौन-सा पॉइंट कहां

एक्स्ट्रा 1 
कहां : माथे पर, जहां महिलाएं बिंदी लगाती हैं। 

एक्स्ट्रा 2
कहां : आंख के कोने से एक उंगली पीछे कान की तरफ। 

एलआई 4
कहां : अंगूठे और इंडेक्स फिंगर (तर्जनी) को मिलाते हैं तो सबसे ऊंचे पॉइंट पर यह मौजूद होता है।

एलआई 20
कहां : नाक के साइड में, नथुने जहां खत्म होते हैं।

यूबी 40
कहां : घुटने के पीछे। 

रेन 4
कहां : नाभि से चार उंगली नीचे।

रेन 6
कहां : नाभि से दो उंगली नीचे। 

रेन 12
कहां : पेट के सामनेवाले हिस्से पर बीच में, नाभि और पसलियों के बीच। 

रेन 17
कहां : दोनों निपल के बीच सीने की हड्डियों के बीच में।

रेन 22
कहां : गले के सामने वाले गड्ढे में।

जीबी 21
कहां : कंधे और गले के जोड़ के बीच में।

सीवी 12
कहां : नाभि से तीन उंगली ऊपर।

सीवी 13
कहां : नाभि से चार उंगली ऊपर।

लिव 6
कहां : काफ मसल के पास, टखने से आठ उंगली ऊपर।

लिव 13
कहां : 12वीं पसली के पास, जहां पेट के साइड में दोनों कुहनियां टच करती हैं। 

लिव 14
कहां : सीने में सामने की तरफ, निपल लाइन से नीचे छठी और सातवीं पसली के बीच। 

एलयू 6
कहां : कलाई से आठ उंगली ऊपर, थोड़ा-सा बाहर की तरफ।

एलयू 7
कहां : एलयू 9 से दो उंगली ऊपर।

एलयू 9
कहां : कलाई के जोड़ से जहां अंगूठा शुरू होता है, उससे एक इंच अंदर की तरफ।

एसपी 10
कहां : घुटने से चार उंगली ऊपर साइड में।

एसपी 21 
कहां : सीने पर आठवीं पसली के दोनों तरफ। 

यूबी 23
कहां : रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ दो उंगली साइड में, पसलियों के निचले हिस्से में।

यूबी 59
कहां : काफ मसल से थोड़ा नीचे।

यूबी 60
कहां : यूबी 59 से दो उंगली नीचे।

यूबी 61
कहां : पंजे की बाहरी साइड में, छोटी उंगली के पास एड़ी से थोड़ा अंदर। 

एसटी 31
कहां : जांघ के ऊपरी हिस्से पर।

एसटी 32
कहां : घुटने से आठ उंगली ऊपर बाहर की तरफ।

कहां : घुटने से चार उंगली नीचे।
एसटी 41

कहां : टखने के सामने। 
लंग 7

कहां : कलाई के जोड़ से दो उंगली ऊपर। 
पी 6 

कहां : कलाई के सामने वाले हिस्से पर, कलाई के जोड़ से तीन उंगली ऊपर।

स्प्लीन 6 
कहां : पैर के सामनेवाले हिस्से में, टखने से चार उंगली ऊपर।

के1
कहां : पैर के तलुवे में बीच वाली उंगली से थोड़ा नीचे, जहां उठा हुआ हिस्सा होता है।

हार्ट 7
कहां : कलाई पर अंदर की तरफ, एलयू 7 के पास।

किसका मतलब क्या

जीवी : गवर्निंग वेल्स
जीबी : गॉल ब्लेडर
यूबी : यूरिनरी गॉल ब्लेडर
एलआई : लार्ज इंटेस्टाइन
लिव : लिवर
एसटी : स्टमक
पी : पेरिकाडिर्म


सावधानियां बरतें

एक्युपंक्चर हमेशा अच्छे क्लिनिक और क्वॉलिफाइड डॉक्टर से कराएं। साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।

सूइयां फिर से इस्तेमाल न करें। खुद की इस्तेमाल की हुई सूइयां भी फिर से इस्तेमाल न करें। कई लोग कहते हैं कि ज्यादा इस्तेमाल के बाद ही सूइयां बेहतर काम करती हैं, लेकिन यह सच नहीं है। इस्तेमाल की हुई सूइयों को दोबारा इस्तेमाल करने से एड्स या हेपटाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। 

गलत पॉइंट दबाने से फायदा नहीं होगा लेकिन नुकसान भी नहीं होगा। एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

एक्सपर्ट्स पैनल

डॉ. ओ. पी. छाबड़ा,

कंसल्टिंग एक्युपंक्चरिस्ट, विमहैंस

डॉ. रवि के. तुली,

होलिस्टिक मेडिसिन एक्सपर्ट

डॉ. जतिन चौधरी, 

स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट व एक्युपंक्चरिस्ट

Thursday, September 14, 2017

हल्दी वाला दूध पीने के फायदे हम सब जानते हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि किस-किस​ को यह नहीं पीना चाहिए??


हल्दी के फायदे हम आपको पहले ही बता चुके हैं. ज्यादातर लोगों को पता होगा कि हल्दी कई तरह की बीमारियों और कमजोरी में फायदेमंद होता है. लंबे समय से ये दवा के तौर पर इस्तेमाल होता आया है. एक अच्छा एंटी-सेप्टिक होने के साथ ही से शोथ-रोधी भी होता है.

एक ओर जहां हल्दी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है वहीं इसके कुछ साइड-इफेक्ट भी हैं. हालांकि हल्दी तभी नुकसान करती है जब वो बहुत अधिक मात्रा में ली जाए. हल्दी के फायदे जानने के साथ ही आपको इसके नुकसान भी पता होना बहुत जरूरी है:

1. गॉल ब्लेडर/पित्ताशय में समस्या 
अगर आपको पित्ताशय से जुड़ी कोई समस्या है तो हल्दी वाला दूध आपकी इस समस्या को और बढ़ा देगा. अगर आपकी पित्त की थैली में स्टोन है तो आपको हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए.

2. ब्लीडिंग प्रॉब्लम 
अगर आपको ब्लीडिंग प्रॉब्लम है तो हल्दी वाला दूध आपको नुकसान पहुंचा सकता है. ये ब्लड क्लॉटिंग की प्रक्रिया को कम कर देता है जिससे ब्लीडिंग की समया और अधिक बढ़ सकती है.

3. मधुमेह की स्थिति में 
हल्दी में एक रासायनिक पदार्थ करक्यूमिन पाया जाता है. जो ब्लड शुगर को प्रभवित करता है. ऐसे में अगर आपको मधुमेह है तो हल्दी वाला दूध पीने से परहेज करना ही बेहतर होगा.

4. नपुंसकता का कारण 
हल्दी, टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को कम कर देती हैं. इससे स्पर्म की सक्रियता में कमी आ जाती है. अगर आप अपनी फैमिली प्लान कर रहे हैं तो कोशिश कीजिए कि हल्दी का सेवन संयमित रूप से करें.

5. आयरन का अवशोषण 
हल्दी का बहुत अधिक सेवन करने से आयरन का अवशोषण बढ़ जाता है. जिन लोगों में पहले से ही आयरन की कमी है उन्हें बहुत सोच-समझकर हल्दी का सेवन करना चाहिए.

6. सर्जरी के दौरान 
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि हल्दी खून का थक्का जमने नहीं देता है. जिसकी वजह से खून का स्त्राव बढ़ जाता है. अगर आपकी सर्जरी हुई है या फिर होने वाली है तो हल्दी के सेवन से बचें.

7. हल्दी दूध पीनें से हो सकता है गर्भवती महिलाओं को ब्रेस्ट का कैंसर

कई प्रेग्‍नेंट महिलाएओं को दूध में हल्दी डाल कर पिलाया जाता है जिससे कि जो बच्चा हो वो गोरा हो, लेकिन क्या आप जानते है हल्दी गर्भाशय का संकुचन, गर्भाशय में रक्त स्रव या गर्भाशय में ऐंठन पैदा कर सकती है। वैसे तो कई केस में हल्दी कैंसर सेल्स से लड़ने में सहायक होती है लेकिन दूसरे केस में यह भी देखा गया है कि यह ब्रेस्ट कैंसर को भी बढ़ावा देती है।

आपकी काफी में मिक्स किजिए रसोई का ये सामान और वजन कम होना शुरू।

हम सभी को कॉफी का हॉट कप प्यारा लगता हैं, विशेष रूप से नए दिन की शुरुआत में, अभी तक आप सभी नहीं जानते होंगे कि इसके इसके लेने से भी विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।


यह आपके चयापचय(Metabolism) को बढ़ावा दे सकता है और पूरे दिन के लिए आपको ऊर्जा प्रदान कर सकता है।

इसके अलावा, केवल कुछ ही लोग जानते हैं कि आप अपना पसंदीदा सुबह के इस ड्रिंक को Metabolism Booster और एक शक्तिशाली Fat Burner में बदल सकते हैं! आपको केवल अपने कॉफी में कुछ सामग्रियों को जोड़ने की ज़रूरत है, और यह आपको अपने आहार या जीवनशैली को बदलने के बिना अतिरिक्त वजन जलाएगा!

इन तीन शक्तिशाली सामग्रियों में शामिल हैं:

1. नारियल का तेल एक वास्तविक प्राकृतिक चमत्कार है जिसमें उपयोग की एक विस्तृत श्रृंखला है। इसमें मध्यम-श्रृंखला वाले फैटी एसिड होते हैं, जिन्हें तुरंत पाचन तंत्र द्वारा यकृत को भेजा जाता है, और या तो ऊर्जा या किटोन निकायों में परिवर्तित हो जाते हैं, और वसा में नहीं। यह तेजी से और अधिक कुशलता से वसा जलाने के लिए चयापचय सेट करता है

वसा की जलन प्रक्रिया को खनिजों और विटामिनों से काफी प्रभावित किया जाता है, इसलिए शहद बहुत मददगार हो सकता है, क्योंकि प्रकृति के इस उपहार में उन्हें उच्च मात्रा में रखा जाता है, और किसी भी खनिज या विटामिन की कमी को रोकता है।

2. हनी मे चीनीे प्रचुर मात्रा में है, लेकिन प्राकृतिक रूप में, यह ऊर्जा के लिए आवश्यक है इसके अलावा, यह विटामिन बी 6, फोलेट, विटामिन सी, नियासिन, और राइबोफ्लाविन में समृद्ध है, साथ ही लोहे, कैल्शियम, सोडियम, जस्ता, पोटेशियम, और फास्फोरस जैसे कई खनिजों के रूप में शहद की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि हुई है कि वह तनाव को कम करने और रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सक्षम हो। केवल कच्ची शहद का उपयोग करें

3. दालचीनी एक बेहद फायदेमंद, anti-inflammatory एजेंट है जो शरीर में सूजन का सामना करता है, और इसकी एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण, मुक्त कणों के कारण होने वाले नुकसान को बेअसर कर देता है।

दालचीनी रक्त शर्करा (blood sugar) के चयापचय को बढ़ाती है और इस प्रकार रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। यह शरीर में वसा के संचय को रोकता है क्योंकि यह चीनी में ऊर्जा के रूपांतरण का समर्थन करता है। सबसे अच्छे दालचीनी प्रकार सिलों और कासिया हैं

यहां ये उल्लेखनीय प्राकृतिक अवयव कैसे उपयोग करें और अपनी कॉफी पीने के दौरान अपने चयापचय को बढ़ावा दें:

सामग्री:

¾ कप नारियल का तेल
आधा चम्मच शहद
1 दालचीनी
1 चम्मच कोको के चम्मच (वैकल्पिक)

निर्देश:

इन अवयवों को एक जार में मिलाकर फ्रिज में रखे ।

उपयोग:

हर सुबह, आप अपनी पसंदीदा कॉफी में एक या दो चम्मच मिश्रण अच्छी तरह से मिलाएं, और इसका आनंद लें!

Monday, September 11, 2017

कोलस्ट्रोल, मोटापे के लिए आयुर्वेदिक फॉर्मूला

बड़े-बड़े डाक्टरों ने यह माना है कि लहसुन, सिरका और शहद कैंसर और जोड़ों का दर्द भी ठीक कर सकता है।संसार के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों ने आश्चर्यजनक अध्ययन करके यह सिद्ध किया है कि चमत्कारी घरेलू नुस्खा, जिसकी एक दिन की लागत बहुत कम होती है, हर तरह की बीमारियों के लिए आरामदायक है। इस इलाज से बंद नाड़ियों, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप ( हाई ब्लड प्रैशर), कैंसर की कुछ किस्मों, कैलेस्टरोल की अधिक मात्रा, सर्दी ज़ुकाम, बदहज़मी, सिर दर्द, दिल के रोग, रक्त प्रवाह की समस्या, बवासीर, बांझपन, नपुसंकता, दांत दर्द, मोटापा, अल्सर और बहुत सारी बीमारियाँ ठीक करने में सहायता मिलती है।आपके घर मैं ऐसे बहुत से लोगो होंगे जिनका वजन व कोलस्ट्रोल बढ़ा हुआ हे। इस बीमारी से निजात पाने के लिए लोग महंगे से महंगा इलाज करवाने से परहेज नहीं करते,हालांकि दवाईयों से कुछ समय तक फर्क तो पड़ता ही है लेकिन अगर इसी की जगह पर नानी के नुस्खे अपनाया जाए तो ये फयदेमन्द साबित हो सकता है। 

दिल की नाड़ियों को खोलने के लिए

सामग्री :

नींबू का रस                          –   1  कप

अदरक का रस                      –   1  कप

लहसुन का रस                      –    1  कप

सेब का सिरका                     –     1 कप

जानिए कोलस्ट्रोल का आयुर्वेदिक इलाज

अदरक - यह खून को पतला करता है। यह दर्द को प्राकृतिक तरीके से 90% तक कम करता हें।

लहसुन - इसमें मौजूद एलिसन तत्व कोलस्ट्रोल व बी पी को कम करता है। वह हार्ट ब्लॉकेज को खोलता है।

नींबू  - इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी व पोटैशियम खून को साफ़ करते हैं। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता  बढ़ाते हैं।

एप्पल साइडर सिरका - इसमें 90 प्रकार के तत्व हैं जो शरीर की सारी नसों को खोलते है, पेट साफ़ करते हैं व थकान को मिटाते हैं।

उपरोक्त सभी वस्तुओं को मिला कर आधा घंटा आग पर उबालें। जब तीन कप तक रह जाए, तब इस मिश्रण को ठण्डा होने दो। ठण्डा होने पर इसमें तीन कप शहद मिला दें  और एक कांच की बोतल में डाल दें । हर रोज़ नाश्ते से पहले एक चम्मच लगातार लेने से बंद नाड़ियाँ खुल जाएंगी।

इससे किसी भी एंजीओग्राफी या बाईपास की ज़रूरत नहीं है । प्रकृति की यह एक अदभुत चिकित्सा मोटापे को दूर करती है। कैंसर, दमा तथा अनेकों अन्य बीमारियों का यह एक चमत्कारी और सस्ता इलाज है।

जोड़ों के दर्द के रोगियों पर किए गये एक अध्ययन से पता चला है कि रोज़ाना सिरका और शहद की एक खुराक लेने से जोड़ों के दर्द 90 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं।

लंदन के एक प्रसिद्ध मोटापा शोध केंद्र के डाक्टरों ने यह सिद्ध किया है कि लह्सुन और सिरके की रोज़ाना एक खुराक लेने से मोटापे का नाश हो जाता है और भार भी कम हो जाता है।

प्रसिद्ध ब्रिटिश मैडिकल कालेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 30 ग्राम लहसुन और चार औंस मक्खन युक्त खाना खाने से कोलेस्ट्राल स्तर औसतन कम हो जाता है। एक अध्ययन से यह भी सिद्ध हुआ है कि लहसुन युक्त खाना खाने से मोटापे के खतरों से बचा जा सकता है। डाक्टर्स एसोसिएशन के  General Practitioner ने नाबालिग़ रोगियों पर अध्ययन करके यह संकेत दिया है कि भोजन में लहसुन का इस्तेमाल Cholesterol और  Viglisroid का बढा हुआ स्तर, जिसके कारण ह्रदय के रोगों का खतरा बढता है, सामान्य स्तर पर आ जाता है ।

नैशनल कैंसर केंद्र ने एक हज़ार लोगों पर लहसुन के इस्तेमाल के बाद यह पता लगाया है कि लहसुन से पेट के कैंसर के खतरे से मुक्ति मिलती है। राज्य विश्वविद्यालय, न्यूयार्क के डाक्टरों ने अध्ययन में यह खोज की है कि लह्सुन में से कई किस्म के गंधक के अंश निकलते हैं और सभी अंश बहुत असरदार दवाईयों का कार्य करते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि  लहसुन और अदरक का सेवन करने वाले लम्बी उम्र तक जीते हैं क्योंकि वे शरीर को नुकसान पहुँचाने वाले कीटाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं।

खोज ने यह सिद्ध किया है कि  लहसुन, सिरका और शहद कुदरत की अनमोल दवाईयाँ हैं। यह तीनों बलवर्धक वस्तुएँ हर जगह बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं और एक दिन की खुराक की कीमत बहुत कम आती है। दवाई बनाने की विधि इस प्रकार है।

एक प्याले में सेब का सिरका, एक कप शहद और  छिले हुए लहसुन की आठ गाँठे मिलाओ। इन सबको तेज चलने वाली मिक्सी में डाल कर एक मिनट के लिए चला दो और घोल तैयार करो। इस मिश्रण को एक काँच की बोतल में डाल कर पाँच दिन के लिए फ्रिज में बन्द करके रखो। आम खुराक दो चम्मच पानी या अंगूर या फलों के रस में डाल कर नाश्ते से पहले लो।