Friday, June 16, 2017

खाली पेट लीची खाना मौत को बुलावा देने जैसा: रिपोर्ट में खुलासा


सुबह उठकर खाली पेट यदि लीची का फल खा लिया जाए तो ये मौत का कारण भी बन सकता है। ये किसी व्यक्ति का कहना नहीं है, बल्कि विज्ञानिकों की एक रिपोर्ट का दावा है।

रात को भूखे सोये और सुबह लीची खाई

मामला भारत से ही जुड़ा हुआ है। बिहार के मुजफ्फरपुर में 2014 से पहले तक हर साल लगभग 100 लोग इसी बीमारी की वजह से मर जाते थे। इसके बाद भारत और अमेरिका के विज्ञानितों ने एक शोध किया, जिसमें ये पता चला कि ये बीमारी खाली पेट लीची खाने से होती थी। मरने वालों में ज्यादा लोग ऐसे थे, जो रात में भूखे सोये थे और सुबह उठकर लीची खा ली थी।

दिमाग संबंधी बीमारी भी

मुजफ्फरपुर में रहस्यमयी तरीके से फैली ये बीमारी मष्तिष्क से जुड़ी हुई थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि शाम का खाना न खाने से रात को हाइपोग्लाइसीमिया या लो-ब्लड शुगर की समस्या हो जाती है। खासकर उन बच्चों को ये समस्या होती है, जिनके लिवर और मसल्स में ग्लाइकोजन-ग्लूकोज का स्टोरेज बहुत कम होता है। इससे फैटी ऐसिड्स जो शरीर में एनर्जी पैदा करते हैं और ग्लूकोज बनाते हैं, का ऑक्सीकरण हो जाता है।

लीची में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले विषाक्त पदार्थ जिन्हें hypoglycin A और methylenecyclopropylglycine (MPCG) कहा जाता है, शरीर में फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़्म बनने में रुकावट पैदा करते हैं। इसकी वजह से ही ब्लड- शुगर लो लेवल में चला जाता है और मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं और दौरे पड़ने लगते हैं।

रिसर्चर्स की यह खोज ‘द लैनसेट’ नाम की मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है। 2013 में नैशनल सेंटर ऑफ डिज़ीज़ कंट्रोल (NCDC) और यूएस सेंटर ऑफ डिज़ीज़ कंट्रोल ने इस मामले में एक साझा शोध किया।

122 बच्चों की हुई थी मौत

नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुज्जफरपुर के श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और कृष्णादेवी देवीप्रसाद केजरीवाल मैटरनिटी हॉस्पिटल में 15 साल से कम के 350 बच्चे मस्तिष्क संबंधी बीमारियों की वजह से भर्ती कराए गए थे, जिनमें से 122 बच्चों की मौत हो गई।

इनमें से 204 बच्चों का ब्लड-ग्लूकोज लेवल कम था। इनमें से ज्यादातर बच्चों ने लीची खाई थी और उनके माता-पिता ने बताया था कि उन्होंने रात में खाना नहीं खाया था। जिन गांवों में यह बीमारी तेजी से असर दिखा रही थी वहां के लोगों ने बताया कि बच्चे मई और जून के महीनों में बगीचों में चले जाते हैं और सारा दिन लीची खाते हैं। वे शाम को घर लौटते हैं और खाना खाए बिना ही सो जाते हैं। बता दें कि मुजफ्फरपुर लीची की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है।

सोर्स:BBC NEWS.                                     शेयर करें:

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