Tuesday, February 28, 2017

इन आसान उपायो के प्रयोग से मात्र 15 दिनों में थाइराइड जैसी बीमारी से मिलेगी राहत !

गौरतलब है, कि मात्र तितली के आकार की थॉयराइड ग्रंथि गले में पाई जाती है. यह ऊर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है और इसलिए यह मास्टर लीवर है. बरहलाल थॉयराइड ग्रंथि की समस्या से ग्रस्त लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वैसे आपको बता दे कि खान पान में अनियमिता के कारण यह समस्या होती है. थायराइड ग्रंथि एक तरह से मास्टर लीवर है जो ऐसे जीन्स का स्राव करती है जिससे कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से करती हैं.

इस ग्रंथि के सही तरीके से काम न कर पाने के कारण कई तरह की समस्याएं भी पैदा होती हैं. गौरतलब है, कि अखरोट इस बीमारी के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऐसे में इस लेख के जरिए हम आपको थॉयराइड फंक्शन और इसके उपचार के लिए अखरोट के सेवन के बारे में बताने जा रहे है.

क्या है थायराइड की समस्या.. थायराइड को साइलेंट किलर भी माना जाता है, क्योंकि इस बीमारी के लक्षण व्यक्ति को धीरे धीरे पता चलते हैं और जब तक इस बीमारी का निदान होता है, तब तक देर हो चुकी होती है. आपको बता दे कि इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है, लेकिन ज्यादातर चिकित्सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते, जिससे ऑटो इम्युनिटी दिखाई देती है.

थायराइड की समस्या दो प्रकार की होती है. एक तो हाइपोथॉयराइडिज्म और दूसरी हाइपरथॉयराइडिज्म होती है. चलिए आपको इनके बारे में विस्तार से बताते है.

जब थॉयराइड ग्रंन्थि से अधिक हॉर्मोन बनने लगे तो हाइपरथॉयरॉइडिज्म और जब कम हार्मोन बनने लगे तो ये हाइपोथायरॉइडिज्म होता है. इसके इलावा थॉयराइड की समस्या होने पर थकान, आलस, कब्ज का होना, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक ठंड लगना, भूलने की समस्या, वजन कम होना, तनाव और अवसाद जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. थाइरॉइड हमारे शरीर की कार्यपद्धति मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके इलावा शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

दरअसल इन मेटाबालिज्म क्रियाओं से ये निर्धारित होता है कि शरीर में बनी ऊर्जा को कब स्टोर किया जाए और कब, कितना यूज किया जाए. इसलिए शरीर में उपस्थित थाइरॉइड ग्लैंड में किसी भी तरह की अनियमितता होने पर पूरे शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है. इस ग्र्रंथि में अनियमितता होने पर सामान्यत हाइपोथाइरॉइडिज्म, हाइपरथाइरॉइडिज्म, गठान होना या कैंसर होने जैसी समस्याएं होती है. ऐसे में अगर आपके साथ भी थाइरॉइड की ग्रंथि की अनियमितता से जुड़ी कोई समस्या हो तो इन प्राकृतिक उपायों को जरूर अपनाएं.

थायराइड में अनियमितता के लक्षण..

हार्मोनल बदलाव.. महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है. वैसे आपको बता दे कि हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते ही हैं. इसके इलावा थाइरॉइड की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है.

मोटापा.. हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से वजन बढ़ता है. इतना ही नहीं इससे शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है. तो वहीं हाइपरथाइरॉइड की स्थिति में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है.

थकान, अवसाद या घबराहट.. अगर अधिक मेहनत किए बिना ही आप थकान महसूस करते हैं या छोटी छोटी बातों पर आपको घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड हो सकती है.

मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द.. हाइपोथाइरॉडड यानि शरीर में टीएसएच अधिक और टी थ्री, टी फोर कम होने पर मांसपेशियों और जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है.

गर्दन में सूजन.. थाइरॉइड बढऩे पर गर्दन में सूजन की संभावना भी बढ़ जाती है. इसलिए यदि गर्दन में सूजन या भारीपन का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

बालों और त्वचा की समस्या.. इसके इलावा हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन, बालों का झडऩा, भौंहों के बालों का झडऩा जैसी समस्याएं होती हैं. जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से झडऩा और संवेदनशील त्वचा जैसे लक्षण दिखाई देते है.

पेट खराब होना.. गौरतलब है, कि लंबे समय तक कान्सटिपेशन की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है. जब कि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार बार होती है.

थायराइड से बचने के चमत्कारी घरेलू उपाय..

आँवला चूर्ण और शहद.. आपको लग रहा होगा कि आँवला, चूर्ण और शहद तो साधारण सी चीजे है, लेकिन आपको बता दे कि अभी तक थायराइड से ग्रसित जितने भी रोगी थे उनको यही उपाय बताया गया और उन्हें सौ प्रतिशत इसका परिणाम भी अच्छा मिला है. इसका असर 15 दिनों में ही आपको महसूस होने लगेगा. आप सुबह उठते ही खाली पेट एक चम्मच शहद और ध्यान रहे कि ऑर्गेनिक शहद कम से कम 10 ,15 ग्राम शहद मिक्स कर के ऊँगली से चाटे.

ये प्रक्रिया रात को खाना खाने के 2 घंटे बाद या सोते वक़्त भी दोहराएं. इसका परिणाम आपके सामने होगा. वैसे ये बेहद आसान उपाय तो है ही और साथ ही ये आपके लिए कारगर भी सिद्ध होगा. वैसे आप अपना अनुभव औषधि सेवन के कुछ दिन बाद हमसे जरूर शेयर करे.

अश्वगंधा.. शहद के इलावा अश्वगंधा भी चमत्कारी दवा के रूप में कार्य करता है. अश्वगंधा का सेवन करने से थायराइड की अनियमितता पर नियंत्रण होता है. साथ ही अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है और कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है.

समुद्री घास.. समुद्री घास भी थाइरॉइड ग्रंथि को नियमित बनाने के लिए एक रामबाण दवा की तरह काम करती है. समुद्री घास के सेवन से शरीर को मिनरल्स और आयोडीन मिलता है. इसलिए समुद्री घास का सेवन इस बीमारी में लाभदायक होता है. इसके इलावा इससे मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट भी स्किन को जवान बनाएं रखते हैं.

नींबूं की पत्तियां .. नींबू की पत्तियों का सेवन थाइरॉइड को नियमित करता हैं. दरअसल मुख्य रूप से इसका सेवन थाइरॉक्सिन के अत्याधिक मात्रा में बनने पर रोक लगाता है. साथ ही इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीना भी इस बीमारी में रामबाण औषधि का काम करती है.

ग्रीन ओट्स .. थाइरॉइड में ग्रीन ओट्स एक नेचुरल औषधि की तरह कार्य करते है. ये शरीर में हो रही थाइरॉक्सिन की अधिकता और उसके कारण हो रही समस्याओं को मिटाते है.

अखरोट.. गौरतलब है कि अखरोट में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्या के उपचार में फायदेमंद है. इसके इलावा आपको बता दे कि 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है. अखरोट के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. अखरोट से सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्म की स्थिति में मिलता है.

सेलेनियम.. थॉयराइड ग्रंथि में सेलीनियम उच्च सांद्रता में पाया जाता है. इसे थायराइड सुपर न्युट्रीएंट भी कहा जाता है. यह थॉयराइड से सम्बंधित अधिकांश एंजाइम्स का एक प्रमुख घटक द्रव्य है, जिसके सेवन से थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करने लगती है. यह ऐसा आवश्यक सूक्ष्म तत्व है जिस पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सहित प्रजनन आदि अनेक क्षमतायें भी निर्भर करती है.

मतलब अगर शरीर में इस तत्व की कमी हो गई तो रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. इसलिए खाने में पर्याप्त मात्रा में सेलेनियम के सेवन की सलाह दी जाती है. अखरोट के इलावा सेलेनियम बादाम में भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है!

नमक का सेवन बढ़ाना और व्यायाम करना.. थॉयराइड ग्रंथि की समस्या होने पर नमक का सेवन बढ़ा देना चाहिए. इसके इलावा स्वस्थ खानपान और नियमित रूप से व्यायाम को अपनी दिनचर्या में जरूर अपनाएं.

धनिये का प्रयोग.. थाइरॉइड के लिए हरे पत्ते वाले धनिये की ताजा चटनी बना कर एक बडा चम्मच एक गिलास पानी में घोल कर रोजाना पीए. इससे आप एक दम ठीक हो जाएंगे.

उज्जायी प्राणायाम.. इस उपाय में पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें. फिर अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें. अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि और कम्पन उत्पन्न होने लगे. इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें. प्राणायाम प्रात नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट करें.

एक्युप्रेशर चिकित्सा.. एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार थायरायड और पैराथायराइड के प्रतिबिम्ब केंद्र दोनों हांथो और पैरों के अंगूठे के बिलकुल नीचे और अंगूठे की जड़ के नीचे ऊँचे उठे हुए भाग में स्थित होते हैं. थायरायड के अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों पर घडी की सुई की दिशा में अर्थात बाएं से दायें तरफ प्रेशर दें तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं देना चाहिए.

इसके साथ ही पीयूष ग्रंथि के भी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देना चाहिए. प्रत्येक केंद्र पर एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार प्रेशर दें. पीयूष ग्रंथि के केंद्र पर पम्पिंग विधि से प्रेशर देना चाहिए. इससे आपका थायराइड बिलकुल सही हो जाएगा.

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