Saturday, March 11, 2017

क्या आपका डाइजेशन खराब है? नहीं शायद आपकी आदतें!

 पाचन क्रिया सुधारने के आयुर्वेदिक उपायखाने के बाद गैस, सूजन, पेट की परेशानी, कभी कभी कब्ज या थकान जैसी पाचन समस्याओं से हम पीड़ित होते हैं। आज हम इन्हीं आम शिकायतों के सरल समाधान पर विचार करेंगे। हम क्या खाते हैं और कैसे और किस समय खाते हैं, इस पर बात करेंगे।

आयुर्वेद के अनुसार काम करते हुए भोजन न करेंहम में से कई व्यक्ति दोपहर का भोजन मल्टीटास्किंग करते हुए मतलब यातायात में ड्राइविंग हुए, काम करते हुए मेज पर या फिर खड़े-खड़े ही खाने लगते हैं क्योंकि हमारे पास समय का अभाव होता है। आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर को भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में उचित वातावरण की जरूरत होती है। इसलिए खड़े-खड़े, ड्राइविंग करते हुए, रस्ते पर चलते-चलते भोजन नहीं करना चाहिए। अगर आप के पास समय का अभाव है, फिर भी आप को बैठ कर ही भोजन करना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार खाने का मज़ा लेंखाना हमें जीवन देता है। आयुर्वेद के अनुसार खाना हमारी चेतना के विकास के साथ साथ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। जब हम नीचे बैठ कर खाना खाते हैं तो हमारा पेट सुकून की मुद्रा में रहता है और हमारा सारा ध्यान खाने के स्वाद, खाना कैसा बना हुआ है और भोजन की सुगंध पर रहता है जो हमारे पाचन में काफी सुधार करता है।

पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाय

हमारे शरीर में भोजन को पचाने के लिए पाचन अग्नि होती है जिसे हम पाचन ऊर्जा भी कहते हैं। हम अपनें पाचन ऊर्जा में सुधार से पहले भोजन ग्रहण करने लगते हैं। कमजोर पाचन अग्नि खाने के बाद थकान की समस्या पैदा करती है। इसलिए आयुर्वेद के अनुसार अपनी पाचन ऊर्जा को नियमित करने के लिए हमें भोजन से पहले ताजा अदरक थोड़े नींबू के रस और एक चुटकी नमक के साथ लेने को कहा जाता है। यह लार ग्रंथियों (salivary glands) को सक्रिय करता है, ताकि हमारा शरीर भोजन से पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित कर आवश्यक एंजाइमों को बना सके। आयुर्वेद के अनुसार पाचन आग का संतुलित रहना बहुत ही महत्वपूर्ण है। अगर हमारी पाचन ऊर्जा बहुत कम होती है तो खाना पचने में बहुत समय लगता है। उसी तरह यदि पाचन अग्नि अधिक होती है तो यह भोजन जला देती है। यही कारण है कि भोजन अच्छे से और आसानी से पचाने के लिए हमारी पाचन आग को संतुलित होना चाहिए।

पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए ठंडा पेय न पियेंखाते समय बर्फ का पानी या ठंडा पानी हमारी पाचन आग को बुझा देता है। यहाँ तक कि फ्रिज़ से निकाला गया ठंडा जूस और दूध का सेवन भी हमारी पाचन ऊर्जा के लिए अच्छा नहीं होता है। इसलिए हमें कमरे के तापमान वाले जूस या पानी का सेवन करना चाहिए। संतुलित पाचन बनाए रखना हमारे दोष की स्तिथि पर निर्भर करता है जो भिन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए पेट अम्लता और पेट में सूजन दोनों के लिए आयुर्वेदिक उपाय अलग अलग होंगे। जब हम कमरे के तापमान वाला पेय पीने लगते हैं तो हमारे पाचन में सुधार होने लगता है। जब भी गर्म भोजन के साथ ठंडे पेय का सेवन करते हैं तो यह हमारे पेट में ऐंठन, सूजन और सामान्य परेशानी का कारण बन सकता है। अगर आप का पित्त असंतुलित है तो आप भोजन के बीच में ठंडा पेय ले सकते हैं। हालांकि शीत या फ्रिज़ का खाद्य पदार्थ हमारे पित्त दोष के लिए भी अच्छा नहीं होता है।

खाना खाने का सही समयक्या आप कभी देर रात खाने के लिए बाहर गए हैं? अगली सुबह जब आप उठते हैं तो आप तनाव महसूस करते हैं, पूरे दिन आप सुस्त रहते हैं? यह अक्सर अनुचित तरीके से भोजन करने का दुष्प्रभाव है। इसलिए इन समस्याओं से बचने के लिए उपयुक्त समय और प्रकृति के लय का पालन करते हुए भोजन कर लेना चाहिए। दोपहर का भोजन हमें 12 से 2 बजे तक कर लेना चाहिए। इस समय हमारी पाचन ऊर्जा मजबूत होती है। आयुर्वेद के अनुसार अग्नि सूरज के साथ जुड़ी हुई है और हमारा मन और शरीर जिस वातावरण में रहता है, उसके साथ जुड़ा हुआ है। हमें दोपहर के भोजन का सेवन प्रचुर मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि उस समय हमारी पाचन ऊर्जा अधिक शक्ति से काम करती है। रात का खाना दोपहर के भोजन की तुलना में हल्का होना चाहिए और हमें रात 8:00 बजे तक भोजन का सेवन कर लेना चाहिए। रात 10:00 बजे के बाद हमारा शरीर विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने का काम करता है। इसलिए रात 10:00 बजे के बाद भोजन करने से विषाक्त पदार्थ भोजन प्रणाली में जमा हो जाते हैं और इसका परिणाम यह होता है कि अगले दिन हम थकान महसूस करते हैं।

लस्सी है पाचन शक्ति बढ़ाने का कारगर उपाय


हमें खाना खाते समय या खाना खाने के बाद लस्सी का सेवन करना चाहिए। पाचन स्वास्थ्य को सुधारने में दही सबसे अच्छा उपचार माना जाता है। लस्सी में हलके और आवश्यक बैक्टीरिया होते हैं जो खाने को सुचारू रूप से पचाने में मदद करते हैं। लस्सी गैस और सूजन को कम करने में भी मदद करती है।

पाचन शक्ति बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा त्रिफला

कोलन (colon) को डी‌‌टॉक्सिफ़ाय (detoxify) करने में त्रिफला एक शक्तिशाली फार्मूला (formula) है जो तीन जड़ी बूटियों – आमलकी (Amalaki), बिभीतकी (Bibhitaki) और हरीतकी (Haritaki) के मिश्रण से बना हुआ है। इसका उपयोग पोषक तत्वों के अवशोषण में भी वृद्धि करता है। त्रिफला पेट के विषाक्त पदार्थों को साफ करने में बहुत उपयोगी है। यह धीरे-धीरे शरीर के विषाक्त पदार्थों को साफ करता है। इसलिए त्रिफला का उपयोग अधिक समय तक करना चाहिए। त्रिफला की तीन गोलियाँ या एक चम्मच पाउडर सोने से पहले पानी के साथ सेवन करनी चाहिए!

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