Monday, March 27, 2017

नवरात्रि मे क्या खाएं क्या ना खाएं ?


नवरात्रि मे क्या खाएं क्या ना खाएं ? चैत्र और अश्विन माह के चंद्र पक्ष में नौ दिन नवरात्रि के नाम से विख्यात है। नवरात्रि हिन्दुओ के विशेष पर्वों में से एक है जिसे पुरे भारत वर्ष में धूम धाम से मनाया जाता है। इन दिनों में लोग माँ भगवती की पूजा करते है और उनके प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते है। हिंदी धर्म में नवरात्रि को सबसे पवित्र पर्व माना जाता है इस दौरान किये जाने वाले हर कार्य को शुभ माना जाता है।

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है जिसे गणेश जी का स्वरुप माना जाता है। इसके बाद लगातार 8 या 9 दिनों तक (अपनी श्रद्धानुसार) माँ भगवती की पूजा अर्चना की जाती है और उपवास रखा जाता है। कुछ लोग केवल प्रतिपदा और अष्टमी का व्रत रखते है वही दूसरी ओर कुछ लोग पूर्ण नवरात्रि उपवास करते है। हिन्दू धर्म में उपवास का विशेष महत्व है। माना जाता है जिस इच्छापूर्ति के लिए माँ का उपवास रखा जाता है वो अवश्य पूरी होती है।

भारत के सभी राज्यो में अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार उपवास किया जाता है। जहाँ एक ओर दिल्ली निवासी सिंघाड़े के आटे की पूड़ी से अपना व्रत सम्पूर्ण करते है वही दूसरी ओर बिहार के लोग फलहार पर उपवास रखते है। आज हम आपको नवरात्र में क्या खाएं क्या न खाएं ? इसके बारे में बातएंगे।

नवरात्रि में क्या खाएं ?

नवरात्रि के सामान्य दिनों में आप किसी भी प्रकार के भोजन का सेवन कर सकते है। लेकिन उपवास के दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थो का सेवन उचित होता है। पुराणों के अनुसार

उपवास के दिन व्यक्ति को फलाहार करना चाहिए अर्थात आप फलो का सेवन कर सकते है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है की आप हर दूसरे मिनट कुछ खा रहे है। उपवास के वाले दिन भूख रहना भी किसी पुराण में नहीं लिखा है। खाये लेकिन केवल 1 से 2 बार।आप दूध, दही आदि का भी सेवन कर सकते है।फलो के जूस का सेवन भी किया जा सकता है।सूखे मेवे भी खा सकते है।दिन में एक से दो बार चाय का सेवन कर सकते है।रात्रि को पूजा आदि के पश्चात् भोजन किया जाता है।

Kya kha sakte hai Navratri vrat me :- 

बहुत से लोग कुटु या सिंघाड़े के आटे की पकोड़ियों के साथ सब्जी आदि से पाना उपवास खोलते है। नवरात्रि के दौरान यहाँ भोजन में साधारण नमक के स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है। सेंधा नमक को व्रत के नमक के नाम से जाना जाता है। आप चाहे तो दही, साबुत दाने की खीर, और सामक के चावल का भी सेवन कर सकते है। लेकिन इस तरह के भोजन का सेवन केवल एक बार अर्थात रात्रि को ही किया जाता है।कुछ लोग उपवास में नमक से परहेज करते है इसलिए वे नवरात्रि व्रत में भी नमक का सेवन नहीं करते। यहाँ के लोग फल, दूध, दही और पनीर आदि के सेवन से अपने व्रत को सम्पूर्ण करते है। नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग कुटु के आटे आदि की पूरी का सेवन भी नहीं करते। वे पूरे नौ दिन फलहार पर रहते है और केवल फलो का ही सेवन करते है। इस दौरान वे अन्न के सेवन से परहेज करते है।कुछ लोग नवरात्रि के दौरान दिन में आलू से बानी पकौडी और चीले भी खाते है। जबकि कुछ लोग पुरे दिन में केवल एक बार भोजन ग्रहण करते है। हर परिवार अपनी-अपनी परंपरा अनुसार व्रत रखते है और उसे सम्पूर्ण करते है। इसके अलावा कुछ लोग मीठे पकवान जैसे घीये और मूंगफली की बर्फी का भी सेवन करते है।

नवरात्रि में क्या न खाएं ?

नवरात्र माँ दुर्गा का त्यौहार है और भगवन से जुड़े किसी भी कार्य में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है इसीलिए नवरात्रि के दौरान कुछ खाद्य पदार्थो से परहेज करना चाहिए। इन खाद्य पदार्थो की सूचि नीचे दी गयी है।

हिन्दू धर्म के अधिकतर लोग नवरात्रि के दौरान लहसुन का सेवन नहीं करते।इस दौरान अपने खाने में प्याज को भी सम्मिलित नहीं किया जाता।कई लोग इस दौरान मांसाहारी भोजन से परहेज करते है।ऐसे भी कई लोग है जो नवरात्रि के दौरान शराब आदि का सेवन भी नहीं करते।इसके अलावा कुछ लोग व्रत के दौरान नमक का सेवन भी नहीं करते। जबकि कुछ लोग एक बार सेंधा नमक से निर्मित भोजन का सेवन करते है ।

नवरात्रि के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें :-

कुछ लोगो की मान्यता है की इस दौरान shave और बाल नहीं कटवाने चाहिए। लेकिन नवरात्रि में बच्चो का मुंडन करवाना शुभ माना जाता है।कई लोग पुरे नौ दिन नाख़ून भी नहीं काटते।कहा जाता है की यदि आप नवरात्रि में कलश स्थापना, माता की चौकी का आयोजन कर रहे हैं या अखंड ज्योति‍ जला रहे हैं तो इस दौरान घर को खाली छोड़कर कही नहीं जाना चाहिए।मान्यता है की नौ दिनों का व्रत करने वाले श्रद्धालु को काले रंग के कपडे नहीं पहनने चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के दौरान दिन में सोने, तम्बाकू चबाने और शारीरिक संबंध बनाने से भी व्रत का फल नहीं मिलता है।

ऊपर बताई गयी सभी बाते लोगो की मान्यताओ पर आधारित है। हम ये नहीं कह रहे की आप इन्ही नियमो का पालन करें। जो आपकी परंपरा है और जिन नियमो का आपके परिवार में पालन किया जाता है उन्ही के अनुसार अपना व्रत करें और माँ भगवती का आशीष प्राप्त करें।

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