Monday, September 25, 2017

हल्दी का पानी पीने से ये 9 बीमारियां होती हैं दूर...


हल्दी जहां एक ओर खाने का स्वाद और रंग बढ़ा देती है, वहीं इसका उपयोग सौंदर्य वृद्धि और त्वचा की समस्याओं को दूर करने में भी किया जाता है. इसके अलावा हल्दी शरीर को स्वस्थ रखने में भी बहुत सहायक है. निरोग रहने के हल्दी के कुछ बेमिसाल उपाय हम आपको यहां बता रहे हैं -

1. पाचन बनाए दुरुस्‍त 
कई रिसर्च के मुताबिक हल्‍दी रोजाना खाने से पित्‍त ज्‍यादा बनता है. इससे खाना आराम से हजम होता है.

2. डायबिटीज रखे कंट्रोल 
बायोकेमिस्‍ट्री और बायोफिजिकल रिसर्च की स्‍टडी के अनुसार हल्‍दी के नियमित सेवन से ग्‍लूकोज का लेवल कम और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा टल सकता है।

3. कैंसर से बचाव 
हल्‍दी एक ताकतवर एंटीऑक्‍सीडेंट है जो कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं से लड़ती है.

4. खून रखे साफ 
हल्‍दी वाला पानी पीने से खून नहीं जमता और यह खून साफ करने में भी मददगार है.

5. दिमाग बनाए स्‍वस्‍थ
अगर आप सुबह उठकर गरम पानी में हल्दी मिलाकर पीते हैं तो यह दिमाग के लिए बहुत अच्‍छा रहता है।

6. शरीर की सूजन करे कम 
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन की वजह से यह जोड़ों के दर्द और सूजन को दूर करने में दवाइयों से भी ज्‍यादा अच्‍छा काम करता है।

7. बढ़ती उम्र थाम ले 
हल्‍दी का पानी नियमित रूप से पीने से फ्री रैडिकल्‍स से लड़ने में सहायता मिलती है जिससे शरीर पर उम्र का असर धीरे-धीरे पड़ता है।

8. शरीर को डिटॉक्स करने में मददगार 
बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए गर्म पानी में नींबू, हल्दी पाउडर और शहद मिलाकर पिएं. यह ड्रिंक शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकालने में बहुत मददगार है।

9. करक्यूमिन रसायन करता है दवा का काम 
हल्दी में करक्यूमिन नामक रसायन पाया जाता है जो दवा के रूप में काम करता है और यह शरीर की सूजन कम करने में सहायक होता है.

करेले के स्वास्थ्य लाभ

करेले के गुण – स्वस्थ ह्रदय के लिए करेला (Healthy heart)

करेला शरीर के खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने में आपकी मदद करता है तथा दिल की बीमारी होने की आपकी संभावनाओं को काफी कम कर देता है। करेला आपके रक्तचाप (blood pressure) के स्तर को बिलकुल सटीक मानदंडों पर रखता है तथा आपके दिल को स्वस्थ बनाए रखता है।


लिवर के स्वास्थ्य के लिए करेले का रस (Bitter gourd juice for liver health)

करेले को पानी के साथ मिलाकर ब्लेंड (blend) करें और इसे निचोड़कर इससे रस को अलग कर लें। लिवर की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए करेले का जूस का सेवन नियमित रूप से करें।

करेले के गुण – वज़न घटाने के लिए करेला (Weight loss)

करेले में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंटस (antioxidants) आपके शरीर के अंदरूनी भाग को बिलकुल साफ कर देते हैं और मेटाबोलिज्म (metabolism) के स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार साबित होते हैं, जिसकी सहायता से आपके वज़न में काफी कमी आती है। यह सामान्य रूप से आपके शरीर के कैलोरी (calorie) के स्तर को भी नियंत्रित करने में सहायता करता है।

संक्रमणों से लड़ने के लिए करेला (Fight infections)

कडवे करेले के पत्तों को उबालकर इसका सेवन नियमित रूप से करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immune system) पर काफी बेहतरीन प्रभाव पड़ता है और सभी प्रकार के संक्रमणों से निजात मिल जाती है।

किडनी की देखभाल के लिए करेला (Kidney care)

करेले के सेवन से मूत्राशय और लिवर दोनों पर ही काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह किडनी में हुई पथरी को ठीक करने में भी काफी कारगर साबित होता है।

करेले के फायदे – मधुमेह के लिए करेला (Diabetes)

करेला मधुमेह दूर करने के गुणों की वजह से भी काफी प्रसिद्ध है। करेले के जूस के फायदे, लिवर की विभिन्न समस्याओं के शिकार व्यक्तियों के लिए करेले का जूस का सेवन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। करेला के फायदे, इसमें काफी कम मात्रा में ग्लूकोस (glucose) और चीनी मिश्रित होती है, और इसी वजह से यह मधुमेह का इलाज करने का रामबाण उपाय साबित होता है।

करेले के फायदे – तनाव दूर करने के लिए करेला (Reducing stress)

कडवे करेले में पेट की सारी समस्याओं को दूर करने और इन्हें सुकून प्रदान करने वाले गुण मौजूद होते हैं, जिसकी वजह से शरीर के आतंरिक स्वास्थ्य में सुधार आता है, जिसके फलस्वरूप आपको तनाव से भी छुटकारा मिल जाता है।

Sunday, September 24, 2017

मोटापा कम करने के कुछ आसान तरीके

नई दिल्ली: मोटापा शरीर के लिए बीमारी का घर होता है। मोटापा शरीर में जमा होनेवाली अतिरिक्त चर्बी होती है जिससे वजन बढ़ जाता है और यही मोटापा कई बीमारियों का घर बनता है। मोटापे का मतलब है, शरीर में बहुत ज्यादा चर्बी होना। जबकि ज्यादा वजनदार होने का मतलब है, वजन का सामान्य से ज्यादा होना।

जिस व्यक्ति का BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स 25 से 29.9 के बीच होता है, उसे डॉक्टरी भाषा में ओवरवेट या ज्यादा वजनदार कहा जाता है। दूसरी ओर जब BMI 30 या उससे अधिक होता है, तो इसे मोटापा कहा जाता है। मोटापा घटाने के लिए खान-पान में सुधार जरूरी है।

कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी हैं, जिनके सेवन से वजन नियंत्रित रहता है। मोटापा कम करने के लिए यूं तो खानपान पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। कुछ कसरत और योग के आसनों को भी नियमित कर मोटापा पर काबू पाया जा सकता है। साथ ही कुछ प्राकृतिक चीजों को रोजाना अपनाकर आप मोटापा कम कर सकते हैं।

यदि आप वजन कम करने के लिए बहुत मेहनत नहीं कर पाते हैं तो ये छोटे-छोटे उपाय आपके बढ़ते वजन को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

-  शराब और दूध निर्मित पदार्थ का उपयोग न करें।

-  अदरक को व नींबु को काटकर दोनों पानी में ऊबालें ठंडा कर पीएं।

-  रोज 750  ग्राम फल और सब्जी का उपयोग करें।

-  ज्यादा कर्बोहाइड्रेट वाली वस्तुओं का परहेज करें।शक्कर,आलू,और चावल में अधिक कार्बोहाईड्रेट होता है। ये चर्बी बढ़ाते हैं। 

-  केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाय गेहूं सोयाबीन,चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है।

- भोजन मे ज्यादा रेशे वाले पदार्थ शामिल करें। हरी सब्जियों ,फलों में अधिक रेशा होता है। 

- फलों को छिलके सहित खाएं। आलू का छिलका न निकालें!

-  चम्मच शहद आधा चम्मच नींबू का रस गरम जल में मिलाकर लेते रहने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी नष्ट होती है। यह दिन में 3 बार लेना चाहिए।

-  पुदीना रस एक चम्मच 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है।

-  सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से  शरीर की वसा  में कमी होती है।

-  गाजर का रस मोटापा कम करने में उपयोगी है। करीब 300 ग्राम गाजर का रस दिन में किसी भी समय लें।

-  दिन भर में कम से कम 20 गिलास पानी पीएं।

-  कम  कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग करें। 

-  नींबू, जामफल, अंगूर, सेवफल, खरबूज, जामुन, पपीता आम, संतरा, पाइनेपल, टमाटर, तरबूज, स्ट्राबेरी आदि को भोजन में शामिल करें। 

- पत्ता गोभी, फूल गोभी, ब्रोकोली, प्याज, मूली , पालक, शलजम, सौंफ, लहसुन आदि का ज्यादा सेवन करें।

-  कम नमक,कम शकर आदि का उपयोग करें।

-खाना खाने के बाद गुनगुने पानी को पीने से वजन तेजी से घटता है। लेकिन खाना खाने के लगभग पौन या एक घंटे बाद एक ग्लास पानी का सेवन करना चाहिए।

-कच्चे ये पके हुए पपीत का सेवन खूब करना चाहिए। इससे शरीर में अतिरिक्त चर्बी नहीं जमती और वजन तेजी से घटता है।

-दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करना लाभदायक है।

-छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के वक्त छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है।

-गरम पानी में नींबू का रस और शहद घोलकर रोज सुबह खाली पेट पिएं। इससे पेट सही रहेगा और मोटापा दूर होगा।

-ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो मोटापा घटाने के साथ-साथ चेहरे की झुर्रियों को भी दूर करता है। ग्रीन टी को बिना चीनी के पीने से इसका फायदा जल्द होता है।

-एप्पल साइडर वेनिगर को पानी या जूस के साथ मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। यह पाचन तंत्र को सही रखता है और कोलेस्ट्रॉल भी कम करता है।

- एक रिसर्च के मुताबिक वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। हरी या काली मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।

-रोज सुबह-सुबह एक गिलास ठंडे पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर पिएं। इस घोल को पीने से शरीर से वसा की मात्रा कम होती है।

- सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक पीने से वसा में कमी होती है।

- एक चम्मच पुदीना रस को 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है।



1 सक्रिय रहें –यहां हमारा मतलब व्यायाम करने से नहीं है, बल्कि हर काम के प्रति आपको सुस्त रहने के बजाए थोड़ा सक्रिय  रूख अपनाना होगा। इससे रक्त संचार भी तेज होगा और आपके शरीर की हल्की फुल्की एक्सरसाईज भी होती रहेगी।

2 फैटी फूड –पिज्जा, पास्ता, चीज, बर्गर जैसी चीजों को खाने से आपको जरूर बचना होगा, क्योंकि यह एक ही दिन में आपके वजन को असंतुलित कर देता है। अनाज से बनी चीजों की अपेक्षा इनमें बहुत अधिक फैट होता है। अगर इनका मोह नहीं छोड़ा तो वजन कम करना आसान नहीं है, यह याद रखें।

3 पानी – दिनभर में हर घंटे सीमित मात्रा में पानी जरूर पिएं। भोजन करने से कुछ समय पहले और बाद में भी थोड़ी मात्रा में पानी पिएं। इससे चयापचय की प्रक्रिया ठीक तरह से होगी।

4  भूख से कम खाएं –एक ही बार में अधिक न खाएं बल्कि जितनी भूख हो उससे थोड़ा कम ही भोजन करें, ताकि पाचन ठीक से हो और शरीर में वसा का जमाव न हो। इसके अलावा रात के खाने में सलाद, फल या तरल पदार्थों को लेने पर फोकस करें।

5  टुकड़ों में खाएं –अपनी कुल डाइट को तीन से चार बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें। सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात के खाने के बीच में भी कुछ न कुछ हल्का-फुल्का खाते रहें। इसमें आप फल, सलाद या सूप को भी शामिल कर सकते हैं।

6 रात का खाना – रात का भोजन और सोने के समय के बीच दो से तीन घंटे का अंतर जरूर रखें, ताकि भोजन के पचने में आसानी हो। इस समय में आप घर के छोटे मोटे काम या पैदल चलना शुरू करें, जिससे पाचनक्रिया बेहतर हो।

7 अच्छी नींद लें –नींद की कमी और अधिक नींद दोनों ही हानिकारक होते हैं, और वजन को अनियंत्रित करने में मदद करते हैं। शारीरिक क्रियाओं के ठीक से कार्य करने के लिए 6  से 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है। कम नींद लेने पर तनाव भी बढ़ सकता है, कई बार तनाव भी मोटापे का कारण होता है।

8 प्रोटीन और फाइबर –अपने आहार में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर चीजों का सेवन करें। इससे आपका पेट भी अधिक समय तक भरा रहेगा और आप अतिरिक्त कैलोरी लेने से बच जाएंगे। इसके अलावा फाइबर आपको उर्जा देगा जो सक्रिय रहने में मदद करेगा और आपका वजन कम होता रहेगा।

9 गरम पानी –सुबह खाली पेट गरम पानी पीने से पेट की चर्बी कम होगी। खाना खाने के बाद गरम पानी का सेवन करना वसा को जमने से रोकेगा और पाचनक्रिया में मदद करेगा। इसके अलावा भी दिन में दो से तीन बार गरम पानी का सेवन आपके वजन में बहुत जल्दी कमी लाएगा।

10 आराम – अगर आपको बहुत आराम करने की आदत हो गई है, तो इससे बचें। ऑफिस या घर में घंटों एक ही स्थान पर बैठे न रहें। इससे शरीर के निचले हिस्से में वसा का जमाव  हो सकता है और पेट की चर्बी भी बढ़ सकती है। थोड़ी-थोड़ी देर में उठकर घूमते-फिरते रहें, ताकि शरीर में वसा का जमाव न हो।

Monday, September 18, 2017

दवा नहीं, दबा(प्रैशर)कर इलाज

मॉडर्न मेडिसिन के अलावा एक्युपंक्चर और एक्युप्रेशर भी इलाज का बेहतरीन तरीका हो सकते हैं। इनमें बेशक इलाज में ज्यादा वक्त लगता है, लेकिन कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। हमारे देश में ये सिस्टम बहुत चलन में नहीं हैं लेकिन चीन में ज्यादातर इन्हीं के जरिए इलाज किया जाता है। हालांकि अब ये तरीके अपने यहां भी इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं। एक्सर्ट्स से बात करके इन दोनों विधाओं की पूरी जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह :

एक्युपंक्चर/एक्युप्रेशर का मतलब एक्यु चीनी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है पॉइंट, यानी अगर शरीर के कुछ खास पॉइंट्स पर सूई से पंक्चर (छेद) कर इलाज किया जाए तो एक्युपंक्चर कहलाता है और अगर उन्हीं पॉइंट्स पर हाथ से या किसी इक्युपमेंट से दबाव डाला जाए तो एक्युप्रेशर कहलाता है। अगर पैरों और हाथों के पॉइंट्स को दबाते हैं तो रिफ्लेक्सॉलजी कहलाता है, जबकि मसाज के जरिए पूरे शरीर के पॉइंट्स दबाने को शियात्सु कहते हैं। अगर एनर्जी कम है तो क्लॉकवाइज और ज्यादा है तो एंटी-क्लॉकवाइज दबाया जाता है। इसके अलावा, प्रेस और रिलीज तकनीक भी अपना सकते हैं यानी कुछ देर के लिए पॉइंट को दबाएं, फिर छोड़ दें। ऐसा बार-बार करें।

         

कितना वक्त लगता है
शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं। अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग पॉइंट असर करते हैं। कुछ पॉइंट कॉमन भी होते हैं। एक्युपंक्चर का एक सेशन 40-60 मिनट का होता है और एक बार में 15-20 पॉइंट्स पर पंक्चर किया जाता है। एक्युप्रेशर में हर पॉइंट को दो-तीन मिनट दबाना होता है। आमतौर पर 3-4 सेशन में असर दिखने लगता है और 15-20 सिटिंग्स में पूरा आराम आ जाता है। हालांकि इलाज लंबा भी चल सकता है। एक सिटिंग के 500 से 1000 रुपये तक लिए जाते हैं। अच्छे डॉक्टर इलाज से पहले इलेक्ट्रो मेरिडियन इमेजिंग (ईएमआई) टेस्ट करते हैं, जिसमें एनर्जी लेवल और पॉइंट्स की जांच की जाती है।

एक्यु योग भी जानें
एक्युपंक्चर पॉइंट्स के साथ मिलाकर योग किया जाए तो एक्यु योग कहलाता है। जैसे कि एक्युपंक्चर या प्रेशर से शुगर के मरीज के स्प्लीन (तिल्ली) या पैंक्रियाज पॉइंट को जगाया जाता है और साथ में शलभासन कराया जाता है, जोकि स्प्लीन या पैंक्रियाज के लिए फायदेमंद है। अस्थमा में फेफड़ों के पॉइंट्स को दबाने के अलावा प्राणायाम कराया जाता है। अगर मरीज को योग और एक्युप्रेशर पॉइंट, दोनों की जानकारी हो तो अच्छा है।

√टिप्स
कंक्रीट पर रोजाना 10-15 मिनट नंगे पैर चलें। ध्यान रखें कि जहां चलें, वह एरिया साफ-सुथरा हो ताकि पैरों को कोई चोट न पहंुचे। नंगे पैर चलने से तलुवों में मौजूद पॉइंट्स दबते हैं, जिससे खून का दौर बढ़ता है। इससे थकान और तनाव कम होता है और पैरों, घुटनों व शरीर के दर्द में राहत मिलती है। जो लोग नंगे पांव नहीं चलना चाहते, वे सरसों या किसी भी तेल से तलुवों की जोर-जोर से तब तक मसाज करें, जब तक कि उनसे गर्मी न निकलने लगे। एक्युप्रेशर चप्पलें भी फायदेमंद हैं। 

नहाते हुए रोजाना तलुवों को ब्रश से 4-5 मिनट अच्छी तरह रगड़ें। 

हफ्ते में दो बार सिर की 5-10 मिनट अच्छी तरह से मसाज करें। इसके अलावा सीवी 20 पॉइंट (जहां कई लोग चोटी रखते हैं) पर रोजाना 15-20 बार हल्के हाथ से मारें। इससे करीब 100 पॉइंट जागते हैं। डिप्रेशन से लेकर मेमरी लॉस, पार्किंसंस जैसी प्रॉब्लम्स में मदद मिलती है।

कान के नीचे वाले हिस्से (इयर लोब) की रोजाना पांच मिनट मसाज करने से याददाश्त बेहतर होती है। यह टिप पढ़नेवाले बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है।

      

अगर भूख कम करनी है तो खाने से आधा घंटा पहले कान के बाहर छोटेवाले हिस्से (ट्राइगस) को दो मिनट उंगली से दबाएं। भूख कम लगेगी। यहीं पर प्यास का भी पॉइंट होता है। निर्जला व्रत में लोग इसे दबाएं तो प्यास कम लगेगी।

जीभ रोजाना अच्छी तरह से साफ करें। जीभ में हार्ट, किडनी आदि के पॉइंट होते हैं। जीभ की सफाई के दौरान ये दबते हैं।

तीखे किनारों वाले रोलर को हाथ पर फेरें तो कई दर्द गायब हो जाते हैं।

रोजाना 5-7 मिनट तालियां बजाएं। इससे हाथों में मौजूद एक्युप्रेशर पॉइंट जागते हैं।

स्टमक 36, रेन 6 और स्प्लीन 6 को टोनिफिकेशन पॉइंट कहा जाता है। इन्हें रोजाना एक-एक मिनट दबाएं तो कार्यक्षमता और इम्यूनिटी बढ़ती है। एनर्जी बनी रहती है।

नोट: ऊपर बताई गतिविधियां को करने से वाइट ब्लड सेल्स बढ़ते हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम को बेहतर करते हैं। ध्यान रखें कि इनसे पूरी बीमारी ठीक नहीं होगी, लेकिन राहत जरूर मिलेगी। बीमारी ठीक करने के लिए पूरा इलाज करना होगा।

ये पॉइंट्स हैं खास

एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर के कुल 365 पॉइंट्स में से कुछ ऐसे हैं, जो काफी असरदार होते हैं और कई तरह की बीमारियों में राहत दिलाते हैं। ये पॉइंट्स हैं :

जीवी 20 या डीयू 20
कहां : सिर के बीचोंबीच, जहां कई लोग चोटी रखते हैं।

उपयोग: याददाश्त बढ़ाता है, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, हाइपर एक्टिविटी को कम कर मन को शांत करता है। पढ़नेवाले बच्चों के लिए खासतौर पर असरदार। यह सारे पॉइंट्स का कंट्रोलिंग पॉइंट भी है, इसलिए इसे हर बीमारी में दबाया जाता है।

जीबी 20
कहां : कान के पीछे के झुकाव में। 

उपयोग: डिप्रेशन, सिरदर्द, चक्कर और सेंस ऑर्गन यानी नाक, कान और आंख से जुड़ी बीमारियों में राहत। दिमागी असंतुलन, लकवा, और यूटरस की बीमारियों में असरदार।

एलआई 11
कहां : एल्बो (कोहनी) क्रीज के बाहरी हिस्से पर।

उपयोग: कॉलेस्ट्रॉल, ब्लडप्रेशर, गले में इन्फेक्शन, यूरिन इन्फेक्शन, उलटी, डायरिया, हिचकी, पीलिया, खून की कमी आदि में। खून से संबंधित हर बीमारी में कारगर। इम्यूनिटी बढ़ाता है। यूबी 17 (बीएल 17) के साथ करें तो बेहतर है।

एसटी 36
कहां : घुटने से चार उंगली नीचे, बाहर की तरफ। इसे टोनिफिकेशन पॉइंट भी कहा जाता है। इस पर रोजाना मसाज करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है।

उपयोग: फौरन स्टैमिना बढ़ाता है। थकान और लंबी बीमारी के बाद ठीक होने में मदद करता है। पेट की बीमारियों और लूज मोशंस में असरदार। दस्त में स्टमक 25 (नाभि के दोनों तरफ तीन उंगली की दूरी पर) भी काफी फायदेमंद है।

लिव 3
कहां : पैर में अंगूठे और साथ वाली उंगली के बीच में, तीन उंगली ऊपर की तरफ।

उपयोग: इमोशन कंट्रोल, पीरियड्स की तकलीफ, शरीर में जकड़न और आंखों की बीमारियां में फायदेमंद। हेपटाइटिस, पीलिया, लिवर से जुड़ी प्रॉब्लम में असरदार। 

चेतना पॉइंट
कहां : लेफ्ट हाथ में कलाई और कोहनी के बिल्कुल बीचोबीच।

उपयोग: 30-35 साल की उम्र के बाद इसे नियमित रूप से दबाने से बुढ़ापा आने की रफ्तार कम होती है। यह नींद लाने में भी मदद करता है।

किस बीमारी में कौन-सा पॉइंट कारगर

सिरदर्द
एलआई 4, आंखों के आसपास दर्द है तो लिव 3, सामने दर्द है तो एसटी 44, माथे में दर्द है तो जीबी 43, सिर के पीछे दर्द में यूबी 67, सिर से पॉइंट जितना दूर होगा, उतना फायदेमंद।

बदन दर्द
एसपी 21, जीबी 34, एलआई 4 

सर्वाइकल, गर्दन में दर्द
एसआई 9, जीबी 21, एलयू 7, एसआई 3

घुटने में दर्द
एसटी 34, एसटी 36, एसपी 10, यूबी 40

कमर का दर्द

यूबी 23, यूबी 40, यूबी 57, यूबी 60, यूबी 61, जीबी 34, एसटी 36

पेटदर्द, गैस, एसिडिटी
एसटी 36, एलआई 4, पी 6, रेन 12

सर्दी-जुकाम और खांसी
डीयू 20, एलआई 4, एलआई 11, एलयू 7, स्प्लीन 10 (नी कैप पर दो इंच ऊपर) एलर्जी के लिए


उलटी
पी 6, एसटी 36, के1 (मॉर्निंग सिकनेस और ट्रैवल सिकनेस में भी असरदार)

लूज मोशंस 
एसटी 36, लिव 13, रेन 6, स्प्लीन 4

आंखों की बीमारियां
एसटी 1, यूबी 1 (इसमें सूई न लगाएं), एसटी 1, जीबी 1, एक्स्ट्रा 1, यूबी 67

मुंहासे
एलआई 4, डीयू 20, एलआई 11, एसटी 6, एलयू 7

चक्कर आना
एलआई 4, सीवी 13, पी 6

याददाश्त बढ़ाना
डीयू 20, एक्स्ट्रा 1

जीवनी शक्ति बढ़ाने के लिए
एसटी 36, एलआई 11 और स्प्लीन 36

नींद न आना
डीयू 20, यूबी 62, हार्ट 7 (मन को शांत करता है)

स्त्री रोग और जनन संबंधी रोग 
स्प्लीन 6, रेन 4, लिव 3 

थकान 
एसटी 36, रेन 6, चेतना पॉइंट 

कॉलेस्ट्रॉल
सीवी 12, सीवी 13, लिव 13, यूबी 17

ब्लड प्रेशर
लिव 3, लिव 4, एलयू 9, डीयू 20, लिव 4 भी गुस्सा कम करता है और दिमाग को कंट्रोल में रखता है।

शुगर
एसपी 10, सीवी 12, लिव 13

अस्थमा
एलयू 6, एलयू 7, एलयू 9, एलआई 11, पी 6, रेन 17, रेन 22 (इमरजेंसी में बेहद कारगर)

पीलिया
लिव 3, लिव 14, हेपटाइटिस और लिवर से जुड़ी बाकी प्रॉब्लम्स में भी

लकवा
एलआई 4, एलआई 11, एलआई 15, एसटी 31, एसटी 32, एसटी 36, एसटी 41, स्प्लीन 6, लिव 3 

कौन-सा पॉइंट कहां

एक्स्ट्रा 1 
कहां : माथे पर, जहां महिलाएं बिंदी लगाती हैं। 

एक्स्ट्रा 2
कहां : आंख के कोने से एक उंगली पीछे कान की तरफ। 

एलआई 4
कहां : अंगूठे और इंडेक्स फिंगर (तर्जनी) को मिलाते हैं तो सबसे ऊंचे पॉइंट पर यह मौजूद होता है।

एलआई 20
कहां : नाक के साइड में, नथुने जहां खत्म होते हैं।

यूबी 40
कहां : घुटने के पीछे। 

रेन 4
कहां : नाभि से चार उंगली नीचे।

रेन 6
कहां : नाभि से दो उंगली नीचे। 

रेन 12
कहां : पेट के सामनेवाले हिस्से पर बीच में, नाभि और पसलियों के बीच। 

रेन 17
कहां : दोनों निपल के बीच सीने की हड्डियों के बीच में।

रेन 22
कहां : गले के सामने वाले गड्ढे में।

जीबी 21
कहां : कंधे और गले के जोड़ के बीच में।

सीवी 12
कहां : नाभि से तीन उंगली ऊपर।

सीवी 13
कहां : नाभि से चार उंगली ऊपर।

लिव 6
कहां : काफ मसल के पास, टखने से आठ उंगली ऊपर।

लिव 13
कहां : 12वीं पसली के पास, जहां पेट के साइड में दोनों कुहनियां टच करती हैं। 

लिव 14
कहां : सीने में सामने की तरफ, निपल लाइन से नीचे छठी और सातवीं पसली के बीच। 

एलयू 6
कहां : कलाई से आठ उंगली ऊपर, थोड़ा-सा बाहर की तरफ।

एलयू 7
कहां : एलयू 9 से दो उंगली ऊपर।

एलयू 9
कहां : कलाई के जोड़ से जहां अंगूठा शुरू होता है, उससे एक इंच अंदर की तरफ।

एसपी 10
कहां : घुटने से चार उंगली ऊपर साइड में।

एसपी 21 
कहां : सीने पर आठवीं पसली के दोनों तरफ। 

यूबी 23
कहां : रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ दो उंगली साइड में, पसलियों के निचले हिस्से में।

यूबी 59
कहां : काफ मसल से थोड़ा नीचे।

यूबी 60
कहां : यूबी 59 से दो उंगली नीचे।

यूबी 61
कहां : पंजे की बाहरी साइड में, छोटी उंगली के पास एड़ी से थोड़ा अंदर। 

एसटी 31
कहां : जांघ के ऊपरी हिस्से पर।

एसटी 32
कहां : घुटने से आठ उंगली ऊपर बाहर की तरफ।

कहां : घुटने से चार उंगली नीचे।
एसटी 41

कहां : टखने के सामने। 
लंग 7

कहां : कलाई के जोड़ से दो उंगली ऊपर। 
पी 6 

कहां : कलाई के सामने वाले हिस्से पर, कलाई के जोड़ से तीन उंगली ऊपर।

स्प्लीन 6 
कहां : पैर के सामनेवाले हिस्से में, टखने से चार उंगली ऊपर।

के1
कहां : पैर के तलुवे में बीच वाली उंगली से थोड़ा नीचे, जहां उठा हुआ हिस्सा होता है।

हार्ट 7
कहां : कलाई पर अंदर की तरफ, एलयू 7 के पास।

किसका मतलब क्या

जीवी : गवर्निंग वेल्स
जीबी : गॉल ब्लेडर
यूबी : यूरिनरी गॉल ब्लेडर
एलआई : लार्ज इंटेस्टाइन
लिव : लिवर
एसटी : स्टमक
पी : पेरिकाडिर्म


सावधानियां बरतें

एक्युपंक्चर हमेशा अच्छे क्लिनिक और क्वॉलिफाइड डॉक्टर से कराएं। साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।

सूइयां फिर से इस्तेमाल न करें। खुद की इस्तेमाल की हुई सूइयां भी फिर से इस्तेमाल न करें। कई लोग कहते हैं कि ज्यादा इस्तेमाल के बाद ही सूइयां बेहतर काम करती हैं, लेकिन यह सच नहीं है। इस्तेमाल की हुई सूइयों को दोबारा इस्तेमाल करने से एड्स या हेपटाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। 

गलत पॉइंट दबाने से फायदा नहीं होगा लेकिन नुकसान भी नहीं होगा। एक्युप्रेशर/एक्युपंक्चर का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

एक्सपर्ट्स पैनल

डॉ. ओ. पी. छाबड़ा,

कंसल्टिंग एक्युपंक्चरिस्ट, विमहैंस

डॉ. रवि के. तुली,

होलिस्टिक मेडिसिन एक्सपर्ट

डॉ. जतिन चौधरी, 

स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट व एक्युपंक्चरिस्ट

Thursday, September 14, 2017

हल्दी वाला दूध पीने के फायदे हम सब जानते हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि किस-किस​ को यह नहीं पीना चाहिए??


हल्दी के फायदे हम आपको पहले ही बता चुके हैं. ज्यादातर लोगों को पता होगा कि हल्दी कई तरह की बीमारियों और कमजोरी में फायदेमंद होता है. लंबे समय से ये दवा के तौर पर इस्तेमाल होता आया है. एक अच्छा एंटी-सेप्टिक होने के साथ ही से शोथ-रोधी भी होता है.

एक ओर जहां हल्दी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है वहीं इसके कुछ साइड-इफेक्ट भी हैं. हालांकि हल्दी तभी नुकसान करती है जब वो बहुत अधिक मात्रा में ली जाए. हल्दी के फायदे जानने के साथ ही आपको इसके नुकसान भी पता होना बहुत जरूरी है:

1. गॉल ब्लेडर/पित्ताशय में समस्या 
अगर आपको पित्ताशय से जुड़ी कोई समस्या है तो हल्दी वाला दूध आपकी इस समस्या को और बढ़ा देगा. अगर आपकी पित्त की थैली में स्टोन है तो आपको हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए.

2. ब्लीडिंग प्रॉब्लम 
अगर आपको ब्लीडिंग प्रॉब्लम है तो हल्दी वाला दूध आपको नुकसान पहुंचा सकता है. ये ब्लड क्लॉटिंग की प्रक्रिया को कम कर देता है जिससे ब्लीडिंग की समया और अधिक बढ़ सकती है.

3. मधुमेह की स्थिति में 
हल्दी में एक रासायनिक पदार्थ करक्यूमिन पाया जाता है. जो ब्लड शुगर को प्रभवित करता है. ऐसे में अगर आपको मधुमेह है तो हल्दी वाला दूध पीने से परहेज करना ही बेहतर होगा.

4. नपुंसकता का कारण 
हल्दी, टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को कम कर देती हैं. इससे स्पर्म की सक्रियता में कमी आ जाती है. अगर आप अपनी फैमिली प्लान कर रहे हैं तो कोशिश कीजिए कि हल्दी का सेवन संयमित रूप से करें.

5. आयरन का अवशोषण 
हल्दी का बहुत अधिक सेवन करने से आयरन का अवशोषण बढ़ जाता है. जिन लोगों में पहले से ही आयरन की कमी है उन्हें बहुत सोच-समझकर हल्दी का सेवन करना चाहिए.

6. सर्जरी के दौरान 
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि हल्दी खून का थक्का जमने नहीं देता है. जिसकी वजह से खून का स्त्राव बढ़ जाता है. अगर आपकी सर्जरी हुई है या फिर होने वाली है तो हल्दी के सेवन से बचें.

7. हल्दी दूध पीनें से हो सकता है गर्भवती महिलाओं को ब्रेस्ट का कैंसर

कई प्रेग्‍नेंट महिलाएओं को दूध में हल्दी डाल कर पिलाया जाता है जिससे कि जो बच्चा हो वो गोरा हो, लेकिन क्या आप जानते है हल्दी गर्भाशय का संकुचन, गर्भाशय में रक्त स्रव या गर्भाशय में ऐंठन पैदा कर सकती है। वैसे तो कई केस में हल्दी कैंसर सेल्स से लड़ने में सहायक होती है लेकिन दूसरे केस में यह भी देखा गया है कि यह ब्रेस्ट कैंसर को भी बढ़ावा देती है।

आपकी काफी में मिक्स किजिए रसोई का ये सामान और वजन कम होना शुरू।

हम सभी को कॉफी का हॉट कप प्यारा लगता हैं, विशेष रूप से नए दिन की शुरुआत में, अभी तक आप सभी नहीं जानते होंगे कि इसके इसके लेने से भी विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।


यह आपके चयापचय(Metabolism) को बढ़ावा दे सकता है और पूरे दिन के लिए आपको ऊर्जा प्रदान कर सकता है।

इसके अलावा, केवल कुछ ही लोग जानते हैं कि आप अपना पसंदीदा सुबह के इस ड्रिंक को Metabolism Booster और एक शक्तिशाली Fat Burner में बदल सकते हैं! आपको केवल अपने कॉफी में कुछ सामग्रियों को जोड़ने की ज़रूरत है, और यह आपको अपने आहार या जीवनशैली को बदलने के बिना अतिरिक्त वजन जलाएगा!

इन तीन शक्तिशाली सामग्रियों में शामिल हैं:

1. नारियल का तेल एक वास्तविक प्राकृतिक चमत्कार है जिसमें उपयोग की एक विस्तृत श्रृंखला है। इसमें मध्यम-श्रृंखला वाले फैटी एसिड होते हैं, जिन्हें तुरंत पाचन तंत्र द्वारा यकृत को भेजा जाता है, और या तो ऊर्जा या किटोन निकायों में परिवर्तित हो जाते हैं, और वसा में नहीं। यह तेजी से और अधिक कुशलता से वसा जलाने के लिए चयापचय सेट करता है

वसा की जलन प्रक्रिया को खनिजों और विटामिनों से काफी प्रभावित किया जाता है, इसलिए शहद बहुत मददगार हो सकता है, क्योंकि प्रकृति के इस उपहार में उन्हें उच्च मात्रा में रखा जाता है, और किसी भी खनिज या विटामिन की कमी को रोकता है।

2. हनी मे चीनीे प्रचुर मात्रा में है, लेकिन प्राकृतिक रूप में, यह ऊर्जा के लिए आवश्यक है इसके अलावा, यह विटामिन बी 6, फोलेट, विटामिन सी, नियासिन, और राइबोफ्लाविन में समृद्ध है, साथ ही लोहे, कैल्शियम, सोडियम, जस्ता, पोटेशियम, और फास्फोरस जैसे कई खनिजों के रूप में शहद की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि हुई है कि वह तनाव को कम करने और रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सक्षम हो। केवल कच्ची शहद का उपयोग करें

3. दालचीनी एक बेहद फायदेमंद, anti-inflammatory एजेंट है जो शरीर में सूजन का सामना करता है, और इसकी एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण, मुक्त कणों के कारण होने वाले नुकसान को बेअसर कर देता है।

दालचीनी रक्त शर्करा (blood sugar) के चयापचय को बढ़ाती है और इस प्रकार रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। यह शरीर में वसा के संचय को रोकता है क्योंकि यह चीनी में ऊर्जा के रूपांतरण का समर्थन करता है। सबसे अच्छे दालचीनी प्रकार सिलों और कासिया हैं

यहां ये उल्लेखनीय प्राकृतिक अवयव कैसे उपयोग करें और अपनी कॉफी पीने के दौरान अपने चयापचय को बढ़ावा दें:

सामग्री:

¾ कप नारियल का तेल
आधा चम्मच शहद
1 दालचीनी
1 चम्मच कोको के चम्मच (वैकल्पिक)

निर्देश:

इन अवयवों को एक जार में मिलाकर फ्रिज में रखे ।

उपयोग:

हर सुबह, आप अपनी पसंदीदा कॉफी में एक या दो चम्मच मिश्रण अच्छी तरह से मिलाएं, और इसका आनंद लें!

Monday, September 11, 2017

कोलस्ट्रोल, मोटापे के लिए आयुर्वेदिक फॉर्मूला

बड़े-बड़े डाक्टरों ने यह माना है कि लहसुन, सिरका और शहद कैंसर और जोड़ों का दर्द भी ठीक कर सकता है।संसार के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों ने आश्चर्यजनक अध्ययन करके यह सिद्ध किया है कि चमत्कारी घरेलू नुस्खा, जिसकी एक दिन की लागत बहुत कम होती है, हर तरह की बीमारियों के लिए आरामदायक है। इस इलाज से बंद नाड़ियों, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप ( हाई ब्लड प्रैशर), कैंसर की कुछ किस्मों, कैलेस्टरोल की अधिक मात्रा, सर्दी ज़ुकाम, बदहज़मी, सिर दर्द, दिल के रोग, रक्त प्रवाह की समस्या, बवासीर, बांझपन, नपुसंकता, दांत दर्द, मोटापा, अल्सर और बहुत सारी बीमारियाँ ठीक करने में सहायता मिलती है।आपके घर मैं ऐसे बहुत से लोगो होंगे जिनका वजन व कोलस्ट्रोल बढ़ा हुआ हे। इस बीमारी से निजात पाने के लिए लोग महंगे से महंगा इलाज करवाने से परहेज नहीं करते,हालांकि दवाईयों से कुछ समय तक फर्क तो पड़ता ही है लेकिन अगर इसी की जगह पर नानी के नुस्खे अपनाया जाए तो ये फयदेमन्द साबित हो सकता है। 

दिल की नाड़ियों को खोलने के लिए

सामग्री :

नींबू का रस                          –   1  कप

अदरक का रस                      –   1  कप

लहसुन का रस                      –    1  कप

सेब का सिरका                     –     1 कप

जानिए कोलस्ट्रोल का आयुर्वेदिक इलाज

अदरक - यह खून को पतला करता है। यह दर्द को प्राकृतिक तरीके से 90% तक कम करता हें।

लहसुन - इसमें मौजूद एलिसन तत्व कोलस्ट्रोल व बी पी को कम करता है। वह हार्ट ब्लॉकेज को खोलता है।

नींबू  - इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी व पोटैशियम खून को साफ़ करते हैं। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता  बढ़ाते हैं।

एप्पल साइडर सिरका - इसमें 90 प्रकार के तत्व हैं जो शरीर की सारी नसों को खोलते है, पेट साफ़ करते हैं व थकान को मिटाते हैं।

उपरोक्त सभी वस्तुओं को मिला कर आधा घंटा आग पर उबालें। जब तीन कप तक रह जाए, तब इस मिश्रण को ठण्डा होने दो। ठण्डा होने पर इसमें तीन कप शहद मिला दें  और एक कांच की बोतल में डाल दें । हर रोज़ नाश्ते से पहले एक चम्मच लगातार लेने से बंद नाड़ियाँ खुल जाएंगी।

इससे किसी भी एंजीओग्राफी या बाईपास की ज़रूरत नहीं है । प्रकृति की यह एक अदभुत चिकित्सा मोटापे को दूर करती है। कैंसर, दमा तथा अनेकों अन्य बीमारियों का यह एक चमत्कारी और सस्ता इलाज है।

जोड़ों के दर्द के रोगियों पर किए गये एक अध्ययन से पता चला है कि रोज़ाना सिरका और शहद की एक खुराक लेने से जोड़ों के दर्द 90 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं।

लंदन के एक प्रसिद्ध मोटापा शोध केंद्र के डाक्टरों ने यह सिद्ध किया है कि लह्सुन और सिरके की रोज़ाना एक खुराक लेने से मोटापे का नाश हो जाता है और भार भी कम हो जाता है।

प्रसिद्ध ब्रिटिश मैडिकल कालेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 30 ग्राम लहसुन और चार औंस मक्खन युक्त खाना खाने से कोलेस्ट्राल स्तर औसतन कम हो जाता है। एक अध्ययन से यह भी सिद्ध हुआ है कि लहसुन युक्त खाना खाने से मोटापे के खतरों से बचा जा सकता है। डाक्टर्स एसोसिएशन के  General Practitioner ने नाबालिग़ रोगियों पर अध्ययन करके यह संकेत दिया है कि भोजन में लहसुन का इस्तेमाल Cholesterol और  Viglisroid का बढा हुआ स्तर, जिसके कारण ह्रदय के रोगों का खतरा बढता है, सामान्य स्तर पर आ जाता है ।

नैशनल कैंसर केंद्र ने एक हज़ार लोगों पर लहसुन के इस्तेमाल के बाद यह पता लगाया है कि लहसुन से पेट के कैंसर के खतरे से मुक्ति मिलती है। राज्य विश्वविद्यालय, न्यूयार्क के डाक्टरों ने अध्ययन में यह खोज की है कि लह्सुन में से कई किस्म के गंधक के अंश निकलते हैं और सभी अंश बहुत असरदार दवाईयों का कार्य करते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि  लहसुन और अदरक का सेवन करने वाले लम्बी उम्र तक जीते हैं क्योंकि वे शरीर को नुकसान पहुँचाने वाले कीटाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं।

खोज ने यह सिद्ध किया है कि  लहसुन, सिरका और शहद कुदरत की अनमोल दवाईयाँ हैं। यह तीनों बलवर्धक वस्तुएँ हर जगह बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं और एक दिन की खुराक की कीमत बहुत कम आती है। दवाई बनाने की विधि इस प्रकार है।

एक प्याले में सेब का सिरका, एक कप शहद और  छिले हुए लहसुन की आठ गाँठे मिलाओ। इन सबको तेज चलने वाली मिक्सी में डाल कर एक मिनट के लिए चला दो और घोल तैयार करो। इस मिश्रण को एक काँच की बोतल में डाल कर पाँच दिन के लिए फ्रिज में बन्द करके रखो। आम खुराक दो चम्मच पानी या अंगूर या फलों के रस में डाल कर नाश्ते से पहले लो।