Monday, June 26, 2017

गुनगुने पानी में मिलाकर पिएं काला नमक, होंगे 13 बड़े फायदे

रोज सुबह पियें काला नमक वाला पानी, होंगे ये 13 फायदे

आयुर्वेद के अनुसार काला नमक अपने आहार में शामिल करने से शरीर के कई रोग दूर होते हैं। यह कोलेस्‍ट्रॉल, मधुमेह, हाई बीपी, डिप्रेशन और पेट की तमाम बीमारियों से मुक्‍ती दिलाता है क्‍योंकि इसमें 80 प्रकार के खनिज शामिल हैं।


अगर आप सुबह काला नमक और पानी मिला कर पीना शुरु कर दें तो आपको काफी स्‍वास्‍थ्‍य लाभ पहुंच सकता है। लोंगो को अभी पता नहीं है कि सादे नमक का बहुत ज्यादा प्रयोग हमारे स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकता है इसलिये अच्‍छा होगा कि आप उसे हटा कर काले नकम का सेवन कीजिये।

पाचन दुरस्त करे
नमक वाला पानी मुंह में लार वाली ग्रंथी को सक्रिय करने में मदद करता है। पेट के अंदर प्राकृतिक नमक, हाइड्रोक्लोरिक एसिड और प्रोटीन को पचाने वाले इंजाइम को उत्तेजित करने में मदद करता है। इससे खाया गया भोजन टूट कर आराम से पच जाता है।

मोटापा घटाए
यह पाचन को दुरस्त कर के शरीर की कोशिकाओं तक पोषण पहुंचाता है, जिससे मोटापा कंट्रोल करने में मदद मिलती है। समुंद्री नमक छोड़ कर आपको इस नमक को अपने आहार में शामिल करना चाहिये।

जोड़ों के दर्द में आराम दिलाए
मासपेशियों के दर्द और जोड़ों के दर्द से यह नमक आराम दिलाता है। आपको एक कपड़े में 1 कप काला नमक डाल कर उसे बांध कर पोटली बनानी है। इसके बाद उसे किसी पैन में गरम करें और उससे जोड़ों की सिकाई करें। इसे दुबारा गरम कर के फिर से दिन में दो बार सिकाई करें।

आंत की गैस से छुटकारा दिलाए
अगर गैस से छुटकारा पाना है तो एक कॉपर का बरतन गैस पर चढाएं, फिर उसमें काला नमक डाल कर हल्‍का चलाएं और जब उसका रंग बदल जाए तब गैस बंद कर दें। फिर इसका आधा चम्‍मच ले कर एक गिलास पानी में मिक्‍स कर के पियें।

सीने की जलन से मुक्‍ती
क्षारीय प्रकृति होने के नाते यह पेट में जा कर वहां बनने वाले एसिड को काटता है और सीने की जलन तथा एसिडिटी को ठीक करता है।

कोलेस्‍ट्रॉल लेवल कंट्रोल करे
काला नमक खाने से रक्‍त पतला होता है जिससे वह पूरे शरीर में आराम से पहुंचता है। ऐसे में आपका हाई कोलेस्‍ट्रॉल और ब्‍लड प्रेशर ठीक होता है।

मसल स्‍पैजम और क्रैंप में आराम दिलाए
काला नमक में पोटैशिमय होता है जो कि हमारी मासपेशियों को ठीक से काम करने में मदद करता है। इसलिये काले नमक को रोजाना खाने में शामिल करें जिससे मसल स्‍पैजम और क्रैंप ना हो।

मधुमेह को कंट्रोल करे
रिसर्च मे पाया गया है कि काला नमक ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है।

शिशुओं के लिये भी अच्‍छा
काला नमक छोटे बच्चों के लिए सबसे अच्छा है। यह अपच और कफ की जमावट को सीने से हटाता है। अपने शिशु के भोजन में थोड़ा सा काला नमक रोजाना मिलाएं क्‍योंकि इससे उनका पेट भी ठीक रहेगा और कफ आदि से भी छुटकारा मिलेगा।

नींद लाने में लाभदायक
अपरिष्कृत नमक में मौजूदा खनिज हमारी तंत्रिका तंत्र को शांत करता है। नमक, कोर्टिसोल और एड्रनलाईन, जैसे दो खतरनाक सट्रेस हार्मोन को कम करता है। इसलिये इससे रात को अच्छी नींद लाने में मदद मिलती है।

रूसी से मुक्‍ती दिलाए
अगर आपको रूसी और बाल झड़ने की समस्‍या है तो काला नमक और टमाटर का जूस हफ्ते में एक दिन सिर में लगाएं। यह रूसी को दूर करेगा और बालों की ग्रोथ को भी बढ़ाएगा।

शरीर करे डिटॉक्‍स
नमक में काफी खनिज होने की वजह से यह एंटीबैक्टीरियल का काम भी करता है। इस‍की वजह से शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया का नाश होता है।

त्वचा की समस्‍या
नमक में मौजूद क्रोमियम एक्‍ने से लड़ता है और सल्फर से त्वचा साफ और कोमल बनती है। इसके अलावा नमक वाला पानी पीने से एग्जिमा और रैश की समस्या दूर होती है।

काले नमक में काफी मात्रा में खनिज होने की वजह से यह एंटीबैक्टीरियल का काम भी करता है। इससे शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया का खात्मा हो जाता है।

कैसे बनाएं काला नमक वाला पानी
एक गिलास गुनगुने पानी में आधा छोटा चम्‍मच काला नमक मिलाइये। फिर इसे चम्‍मच से मिक्‍स कीजिये और 24 घंटे के लिये छोड़ दीजिये। उसके बाद जब सारा नमक पानी में घुल जाए तब इसे पी जाइये।

Sunday, June 25, 2017

सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने के कुछ प्रभाव, जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए


आप भी अक्सर घर से बाहर निकलते समय सनस्क्रीन का इस्तेमाल करती होंगी, ताकि सूर्य की किरणों का आपकी त्वचा पर कोई प्रभाव ना पड़े। सूरज की टैनिंग (tanning) और सनबर्न से बचने के अलावा सनस्क्रीन आपकी त्वचा को समय से पहले बूढ़ा बनाने के अलावा स्किन कैंसर (skin cancer) से रोकता है।

लेकिन अगर आप ऐसे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें कई कैमिकल्स और साइड इफेक्ट्स (side effects) हो तो ऐसे में आपको अपनी त्वचा की रक्षा करनी चाहिए। ज्यादातर सनस्क्रीन में कई ऐसे तत्व होते हैं, जो कि हमारी त्वचा के लिए काफी हानिकारक होते हैं। उनमें सल्फा ड्रग्स (sulfa drugs) आदि होते हैं। यह हर किसी के लिए जानना काफी जरूरी है कि सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने के क्या नुकसान होते हैं।

धूप से बचने के उपाय, हमें हमेशा ऐसा लगता हुआ आया है कि हर सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करने से हमारी त्वचा को सकारात्मक प्रभाव मिलते हैं। भले ही सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से हमें कई फायदे होते हैं, लेकिन आज हम आपको इसके दुष्प्रभावों के बारे में बताने के साथ ही सनस्क्रीन के बारे में कुछ आश्चर्यजनक तथ्य बताने जा रहे हैं। त्वचा की देखभाल कैसे करे, सनस्क्रीन के इन तथ्यों के बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।

सनस्क्रीन लोशन के साइड इफेक्ट्स (Side effects of sunscreen lotion)


आँखों में जलन होना (Eye irritation)

अगर आप सनस्क्रीन का इस्तेमाल गलती से आँखों के आसपास करते हैं तो ऐसे में आपकी आँखों में जलन के साथ ही दर्द भी हो सकती हैं। आपकी नाजुक आँखों में सनस्क्रीन के बुरे प्रभाव से काफी नुकसान हो सकता है। आप शायद हमारी इस बात पर विश्वास ना करें, लेकिन हम आपको बता दें कि सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से आप अंधे भी हो सकते हैं। अगर गलती से आपकी आँखों में सनस्क्रीन चली भी जाएँ तो आप एकदम से आँखों को पानी से धो लें या फिर डॉक्टर से संपर्क करें।

स्किन केयर टिप्स – एक्ने के लिए खतरनाक (Worsening of acne)

अगर आप मुंहासे की समस्या से पहले से ही परेशान हैं, तो ऐसे में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सनस्क्रीन में काफी कैमिकल्स होते हैं, जो कि मुंहासों को प्रभावित करते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप ऐसे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, जिसमें ऑयल बिल्कुल भी ना हो। आप किसी ब्यूटीशियन (beautician) से परामर्श कर भी उचित सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, जिससे आपकी त्वचा की टोन हल्की हो जाएँ।

बालों वाले हिस्से में समस्या (Problems in hairy areas)

पुरुष हो या महिला दोनों के शरीर में बाल होते हैं, जो किसी को आसानी से नहीं दिखते हैं। बाल ज्यादातर आंतरिक क्षेत्रों में ही होता है। अगर आप अंडर आर्मस (under arms) , हाथों, या छाती के बालों पर सनस्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल करते हैं तो ऐसे में आपकी त्वचा रूखी हो जाएगी, जिससे आपके बाल टाइट हो जाते हैं और आपको दर्द होना शुरू हो जाता है।

स्तन कैंसर का खतरा (Risk of breast cancer)

बाजार में मिलने वाले सनस्क्रीन क्रीम का एस्ट्रोजेनिक प्रभाव हमारे स्तन पर पड़ता है। कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि सनस्क्रीन भी रक्त एस्ट्रोजन (estrogen) स्तरों पर नकारात्मक प्रभाव डाल देता है, जो कि स्तन कैंसर (cancer) का खास कारण हो सकता है। कई महिलाएँ लगातार सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर स्तन कैंसर से पीड़ित हो जाती हैं। त्वचा की परतों में अवशोषण करने की एक अद्भूत क्षमता होती है। सनस्क्रीन इस कारण स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ावा देता है।

एलर्जी (Allergy)

कुछ लोगों को सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से काफी परेशानियों का सामना करना होता है। आपको इसका इस्तेमाल करने से रेडनेस (redness) , एलर्जी आदि भी हो सकती है। इन रेसिश (rashes) के कारण आपकी त्वचा में कई तरह की समस्याएँ हो जाती हैं। सनस्क्रीन की खुशबू भी कई सारी एलर्जी का कारण होती है। आपके लिए बेहतर होगा कि आप किसी भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से पहले एक पैच टेस्ट (patch test) जरूर कर लें। आप ऐसे सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें जिंक आक्साइड हो, क्योंकि जिंक आक्साइड (zinc oxidate) होने वाले सनस्क्रीन में दूसरों के बदले एलर्जी (allergy) की संभावना कम होती है।

स्किन की देखभाल – झुर्रिंयों को पैदा करना (Formation of wrinkles)

आप अपनी त्वचा को हानिकारक यूवी किरणों बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन आपको इसी के साथ इस बात का ख्याल भी रखना होता है कि कही यह आपकी त्वचा में झुर्रिंयों को तो पैदा नहीं कर रही हैं, जिससे आपका चेहरा बूढ़ा लग सकता है और आप उम्र से पहले ही बूढ़ी दिखने लग सकती हैं।

विटामिन डी के इनटेक को रोकती हैं (Restricts intake of vitamin D)

हर किसी के शरीर में विटामिन डी का स्तर होना चाहिए। विटामिन डी से शरीर में हड्डिया मजबूत होता है और हमारा शरीर स्वस्थ होता है। हमारी त्वचा के लिए विटामिन डी की प्राप्ति के लिए सूरज काफी अच्छा स्रोत होता है। लेकिन अगर आप रोजाना सनस्क्रीन अपने शरीर में लगाती हैं तो यह आपकी त्वचा में यूवी किरणों को सीमित कर देगा, जिससे आपको विटामिन डी (vitamin D) का लाभ नहीं उठा सकेंगी।

फ्री रेडिकल्स से बचाव (Production of free radicals)

हम सभी इस बात को जानते हैं कि फ्री रेडिकल्स हमारे शरीर के लिए काफी खतरनाक होती है। भले ही यह किसी और बीमारी के स्त्रोत हो। सनस्क्रीन बनाने में कुछ ऐसे कैमिकल्स (chemicals) का इस्तेमाल होता है, जो कि आपकी त्वचा पर काफी खतरनाक प्रभाव डालते हैं। यह आपके शरीर में फ्री रेडिकल्स के बढ़ने को बढ़ाती है। अगर आप रोजाना सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं, तो आप फ्री रेडिकल्स (free radicals) से प्रभावित हो सकती हैं।


सूर्य से कुछ खास रक्षा नहीं करती हैं (No perfect sun protection (dhoop se bachaw nahi)

कई सनस्क्रीन विनिर्माण कंपनियाँ यह कहती हैं कि यह आपको टैन लेयर (tan layer) से बचाती हैं। लेकिन यह पूरी तरह से अफवाह है। वह यह तक कहते हैं कि यह आपकी त्वचा के रंग को साफ करेगा, लेकिन असलियत में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। सनस्क्रीन (sunscreen) का इस्तेमाल करने के बाद अक्सर हम में से कई लोगों का रंग डार्क होने लग जाता है, जिस कारण सूर्य की किरणें सीधे त्वचा की परत के अंदर घुस जाती है। सनस्क्रीन खरीदना पूरी तरह से पैसे की बर्बादी होती है। आपको इस बात को ध्यान में रखनी चाहिए।

अस्वस्थ हृदय के लक्षण

हृदय हमारे शरीर में हर वक्त कार्य करता है। अपनी विफलता की शुरूआत में यह कुछ लक्षणों को प्रकट करता है, जिसे लोग अनदेखा कर देते है। इन लक्षणों के प्रकट होते ही आपके ह्दय को जांच की आवश्यकता है।

हृदय रोग के कारण (hriday rog ke karan), क्या आपको ह्दय रोग की समस्या है? क्या यह आपको आनुवांशिक रूप से है? यदि हाँ, तो आप को  कुछ अच्छी आदतो के साथ सतर्क होने की आवश्यकता है। हृदय रोग के लक्षण, आप सरल सुझावों का पालन करके 90% तक ह्दय रोग की समस्या से बच सकते हैं। सब्जियों, अनाजों और फलों की अच्छी मात्रा का उपभोग करके तथा अलकोहल के सेवन से बचकर ह्रदय को स्वास्थ्य बना सकते है।

स्वस्थ ह्रदय पाने के लिए क्या करें ? खाद्य आदतें और व्यायाम (What to do to get healthy heart? Food habits and workouts)

क्या आपको दिल की समस्या है ? क्या आपको ये आनुवांशिक रूप से प्राप्त हुआ है। अगर हाँ तो यह समय है सावधान रहने का और कुछ अच्छी आदतें अपनाने का, जिसकी मदद से आपका ह्रदय स्वस्थ और सुरक्षित रहता है। एक नए शोध के मुताबिक़ 90 % से भी ज़्यादा दिल की बीमारियों को होने से रोका जा सकता है। आपको दिल के दौरे से बचने के लिए कुछ सामान्य नुस्खे अपनाने होंगे। दिल की समस्या होने का एक मुख्य कारण जीवनशैली में परिवर्तन होना है। अगर आप पर्याप्त मात्रा में सब्जियों, अनाज और फलों का सेवन करते हैं तथा तेल का सेवन काफी कम कर देते हैं तो दिल के दौरे पड़ने की संभावना काफी कम हो जाती है। नियमित रूप से शराब का सेवन करने पर भी दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

स्वस्थ हृदय के लिए टिप्स (Tips of getting healthy heart -heart rog ke upay)


ह्रदय रोग से बचाव – ट्राइगिलसराइडस ट्रैकिंग (Tracking triglycerides)

ट्राइग्लिसराइड का उच्च स्तर आप में  मधुमेह और हृदय की समस्या को उत्पन्न कर सकता है। व्यक्ति की जीवनशैली ट्राइग्लिसराइड के स्तर से सीधे जुड़ी है। रक्त में वसा की तुलना में ट्राइग्लिसराइड अधिक उत्तरदायी है। अगर संतृप्त वसा को 30 से 40% तक कम किया जाय तो ट्राइग्लिसराइड का स्तर घटेगा।

तनावमुक्त ह्रदय (Heart de stressing)

आज लोगो को व्यावसयिक विविधताओं के कारण अधिक तनाव होता है। कुछ लोग समय पर काम न खत्म करके अपने उच्चधिकारी से दंडीत होकर निराशा का शिकार होते है। तनाव रहित होने के लिए योग और प्राणयाम करे ,ध्यान भी तनाव रहित होने का दूसरा माध्यम है।

ह्रदय रोग से बचाव – धूम्रपान निषेध (Quit smoking)

अधिक धूम्रपान से हृदय रोग हो सकता है। तम्बाकू हृदय के लिए अधिक हानिकारक है। ह्रदय को स्वस्थ, स्वयं पर नियंत्रण रखे अथवा डॉक्टर या नशामुक्ति केंद्र से सम्पर्क करें।

दिल की बीमारी का इलाज – व्यायाम (Exercise)

नियंत्रित वजन व शारिरिक तंदुरुस्ती से भी ह्दय रोग से बचा जा सकता है। यदि वजन अधिक है तो आप को नियमित व्यायाम व एरोविक्स पर अभ्यास कर शरीर मे जमा हुई अतिरिक्त चर्बी को हटाना चाहिए।

दिल की बीमारी का इलाज – स्वास्थ्यवर्धक आहार (Healthy food)

उच्च कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगियों के लिये तैलीय भोजन बहुत हानिकारक है। आपको शाकाहार को पर्याप्त मात्रा में कम नमक से उपभोग करना चाहिये।

प्लांट स्टेरोल एवं नट्स का सेवन करें (Plant sterol and go for nuts)

हमारे द्वारा ग्रहण किये जाने वाले भोजन में दो प्रकार का वसा होता है। इसमें अच्छा वसा और बुरा वसा दोनों होता है। भोजन में मौजूद सैचुरेटेड (saturated) वसा हमारे शरीर के लिए अच्छा नहीं होता और इससे दिल की बीमारियाँ भी पनपती हैं। पर अच्छा वसा जैसे ओमेगा 3 फैटी एसिड्स एवं ओमेगा 6 फैटी एसिड्स (omega 3 fatty acids or omega 6 fatty acids) हमारे ह्रदय और स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छे होते हैं। नट्स का सेवन करने से आपको स्वास्थ्यकर वसा प्राप्त होता है और इससे आपका ह्रदय भी स्वस्थ रहता है।

यौन समस्या (Sexual problems)

आज औसतन लोगों में स्तम्भ्न दोष होता है जिसका कारण हृदयरोग है। धमनियों के पतले, छोटे और कड़े होने के कारण पर्याप्त मात्रा में खून लिंग तक नही पहुच पाता और ऑक्सीजन की भी कमी बनी रहती है। जिसके कारण यह समस्या होती है।

दिल को स्वस्थ रखने के टिप्स – खर्राटे (Do you snore loud?)

खर्राटे सोते समय सांस की समस्या से सम्बंधित है। सोते समय हृदय को हर जगह खून पहुचाने के लिये ज्यादा बल लगाना पड़ता है। जिससे हृदय रोग उत्पन्न होता है।

ह्रदय रोग का इलाज – मसूढ़ों से खून (Bleeding gums)

घाव, सूजन और मसूढ़ों से खून,  बैक्टीरिया से होता है जो हृदय रोग का प्रारम्भिक लक्षण है। कमजोर रक्त संचार और बैक्टीरीया प्लैक बना कर धमनियों को सकरा कर देते हैं जिसके कारण हृदय रोग उत्पन्न होता है।

हृदय रोग का उपचार – पैरों में सूजन (Swollen feet or legs)


क्या आप एड़ियों, पैरो, कलाइयों और उंगलियों में सूजन या दबाव मह्सूस करते है? यदि हाँ तो आपको फ्लूड रूकने की समस्या है जो कमजोर रक्तसंचार का कारण है। जिसके कारण बताये गये अंगो से अपशिष्ट पदार्थों को नहीं हटाया जाता और बाद में यही हृदय रोग का कारण बनते है।

हृदय की तेज़ धड़कन (Do you feel your heart is beating fast and hard?)

यह बहुत ही खतरनाक है जो अचानक मृत्यु का कारण हो सकती है। विद्युत तंत्र हृदय की गति को नियंत्रित करता है। तेज़ हृदय की धड़कन रक्त प्रवाह में बाधा पहुंचाती है। जो हृदय रोगी होने का कारण होता है।

हृदय रोग का उपचार – सीने में दर्द (Chest pain hai hriday rog)

सीने के दाहिने ओर असहनीय दर्द हृदयरोगी होने का लक्षण है जो हार्ट अटैक में मह्सूस किया जाता है। इसमें आपको हृदय की जलन, अपच या मांसपेशीयों में खिचाव से भ्रमित नही होना चाहिये।

ह्रदय रोग का इलाज – चक्कर आना (Dizziness hai hriday rog ke lakshan)

छोटी सांसे या सांस लेने में कठिनाई अनुभव करना या आपको चक्कर मह्सूस होना या सीढ़ियों पर चढ़ते समय, थोड़ा काम करने पर हाँफ जाना. कमजोर हृदय के लक्षण है। जब धमनियों से पर्याप्त मात्रा में खून ऑक्सीजन लेकर नहीं जा पाता है तो लम्बी सांसे लेने पड़ती हैं, और यह हृदय की मांसपेशियों में दर्द उत्पन्न करता है।

दिल को स्वस्थ रखने के टिप्स – जबड़े और कान में दर्द (Jaw and ear pain)

जबड़े में दर्द कोरोनरी आर्टरी रोग का गूढ़ संकेत है और आपको हार्ट अटैक के पास लेकर जाता है। एक गहरा दर्द जबड़े से होते हुए कान तक जाता है जहाँ हृदय के क्षतिग्रस्त टिशू दर्द के संकेतों को भेजता हर जगह भेजता है।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के कारण, संकेत, लक्षण एवं उपचार

जब उपास्थियों (नरम हड्डी) और गर्दन की हड्डियों में घिसावट होती है तब सर्वाइकल की समस्या उठेगी। इसे गर्दन के अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राय: वृद्धावस्था में उठता है। सर्विकल स्पॉन्डलाइसिस के अन्य दूसरे नाम सर्वाइकल ऑस्टियोआर्थराइटिस, नेक आर्थराइटिस और क्रॉनिक नेक पेन के नाम से जाना जाता है।


सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस गर्दन के जोड़ों में होने वाले अपक्षय से सम्बंधित है जो उम्र के बढ़ने के साथ बढ़ता है। 60 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों में प्राय: यह पाया जाता है। इसके कारण अक्षमता या अशक्तता हो जाती है।

बच्चों और युवाओं की तुलना में बूढ़े लोगो में पानी की मात्रा कम होती है जो डिस्क को सूखा और बाद में कमजोर बनाता है। इस समस्या के कारण डिस्क के बीच की जगह गड़बड़ हो जाती है और डिस्क की ऊंचाई में कमी लाता है। ठीक इसी प्रकार गर्दन पर भी बढ़ते दबाव के कारण जोड़ों और या गर्दन का आर्थराइटस होगा।

घुटने के जोड़ की सुरक्षा करने वाली उपास्थियों का यदि क्षय हो जाता है तो हड्डियों में घर्षण होगा। उपास्थियों के कट जाने के बाद कशेरुका को बचाने के लिये हमारा शरीर इन जोड़ों पर नई हड्डियों को बना लेता है। यही बढ़ी हुई हड्डियां अक्सर समस्या खड़ी करती हैं।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण (Causes of the cervical spondylosis – cervical spondylosis ka karan)

सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस के होने के खतरों की सूची में कई सारे कारक शामिल हैं। नीचे कुछ प्रमुख कारण बताये गये है कोई गम्भीर चोट या सदमा गर्दन के दर्द को बढ़ा सकता है।धूम्रपान भी एक महत्तवपूर्ण कारक है।यह आनुवांशिक रूप से हो सकता है।निराशा और चिंता जैसी समस्याओं के कारण हो सकता है।अगर आप ऐसा कोई काम करते है जिसमे आपको गर्दन या सिर को बारबार घुमाना पड़ता हो।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के लक्षण (Symptoms of cervical spondylosis)

कई बार गर्दन का दर्द हल्के से लेकर ज्यादा हो सकता है। ऐसा अक्सर ऊपर या नीचे अधिक बार देखने के कारण या गाड़ी चलाने, किताबें पढ़ने के कारण यह दर्द हो सकता है। पर्याप्त आराम और कुछ देर के लिये लेट जाना, काफी फायदेमंद होगा।गर्दन में दर्द और गर्दन में कड़ापन स्थिति को गम्भीर करने वाले मुख्य लक्षण है।सिर का दर्द, मुख्य रूप से पीछे का दर्द इसका लक्षण है।गर्दन को हिलाने पर प्राय:गर्दन में पिसने जैसी आवाज़ का आना।हाथ, भुजा और उंगलियों में कमजोरियां या सुन्नता।व्यक्ति को हाथ और पैरों में कमजोरी के कारण चलने में समस्या होना और अपना संतुलन खो देना।गर्दन और कंधों पर अकड़न या अंगसंकोच होना।रात में या खड़े होने के बाद या बैठने के बाद,खांसते, छींकते या हंसते समय और कुछ दूर चलने के बाद या जब आप गर्दन को पीछे की तरफ मोड़ते हैं तो दर्द में वृद्धि हो जाना।

गर्दन के पीछे दर्द – गर्दन दर्द की पहचान करने के परीक्षण (Diagnosis tests)

गर्दन या मेरूदण्ड का एक्स-रे, आर्थराइटिस और दूसरे अन्य मेरूदण्ड में होने वाले को जांचने में किया जाता है।जब व्यक्ति को गर्दन या भुजा में अत्यधिक दर्द होता तो एमआरआई करवाना होगा। अगर आपको हाथ और भुजा में कमजोरी होती है तो भी एमआरआई करना होगा।गर्दन के पीछे दर्द, तंत्रिका जड़ की कार्यप्रणाली को पता लगाने के लिये ईएमजी, तंत्रिका चालन वेग परीक्षण कराना होगा।

गर्दन में दर्द का इलाज – गर्दन दर्द के उपाय (Treatment)


गर्दन दर्द का उपचार, आपका डॉक्टर किसी फिज़ियोथेरेपिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकता है। यह भौतिक उपचार आपके दर्द में कमी लायेगा।गर्दन दर्द का उपचार, आप किसी मसाज़ चिकित्सक से भी मिला सकते हैं जो एक्यूपंक्चर और कशेरुका को सही करने का जानकार हो। कुछ ही बार इसका प्रयोग आपको आराम पहुंचायेगा।गरदन का दर्द, ठण्डे और गर्म पैक से चिकित्सा दर्द में कमी लयेगा।

सर्वाइकल पेन – गर्दन के दर्द का इलाज (cervical spondylosis ka upchar)

सर्वाइकल पेन, पानी का ठण्डा पैकेट दर्द करने वाले क्षेत्र पर रखें।आपने तंत्रिका तंत्र को हमेशा नम रखें।गर्दन की नसों को मजबूत करने के लिये गर्दन का व्यायाम करें।अपनी गाड़ी को सड़क पर मिलने वाले गड्ढ़ों पर न चलायें। यह दर्द को बढ़ा देगा।गर्दन दर्द का इलाज, कम्प्यूटर पर अधिक देर तक न बैठें।अगर आपको हाथों और उंगलियों पर सुन्नता होती है तो तुरन्त चिकित्सक से मिलें।सर्वाइकल पेन, विटामिन बी और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करें।गर्दन दर्द का इलाज, पीठ के बल बिना तकिया के सोयें। पेट के बल न सोयें।

दर्द जिन्हें आपको अनदेखा नहीं करना चाहिये

शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द और पीड़ा होना जीवन का अंग है। दर्द के प्रकार, लोग इन दर्दों से मुक्ति के लिये विभिन्न उपाय करते हैं। चिकित्सा विज्ञान में इनसे मुक्ति के कई उपाय ढूढ़े गये है लेकिन कुछ लोग इस दर्द को जानबूझकर अनदेखा करते हैं। कुछ दर्द इस प्रकार के होते है कि जिन्हे अंदेखा नहीं करना चाहिये। यह शुरूआती हो सकता है जो बाद में भयानक हो जायेगा। दर्द के घरेलू उपाय, अगर कोई दर्द नियमित तकलीफ दे रहा है तो तुरंत सतर्क हो जायें।

दर्द के कुछ प्रकार (Some of the types of aches)

बिजली की कड़क जैसा दर्द (Thunderclap headache)

यह सभी को होने वाला सामान्य दर्द है। कुछ ही घण्टों में यह खत्म हो जाता है। इस स्थिति में बाम का प्रयोग होता है अगर लम्बे समय तक रुकता है तो नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पर सम्पर्क करें।

दांत दर्द (Tooth ache)

आजकल कई लोग दांतों की समस्या से परेशान होते हैं। आपके दांतों को उखाड़ने की प्रक्रिया तब पूरी की जानी चाहिए जब आपका दांत बिल्कुल भी काम ना कर रहा हो और इसे बदलना आवश्यक हो। सबसे पहले अपने दन्त चिकित्सक से संपर्क करें और इसके बाद ही दांत निकलवाने की सोचें।

दांतों से चबाने के दौरान हो रही समस्या का भी ख्याल रखा जाना काफी ज़रूरी है। अगर आप अपने दांतों का अच्छे से ख्याल नहीं रखेंगे तो दांतों का दर्द बढ़ेगा और आपको रात में चैन से नींद नहीं आएगी। बिना किसी समस्या के स्वस्थ दांत पाने के लिए अपने दन्त चिकित्सक से नियमित रूप से जांच करवाएं।

दांत के दर्द को अंदेखा नहीं किया जाना चाहिये। कभी कभी दांत दर्द के कारण आपके पूरे मुंह में सूजन आ जाती है। इसके कारण सुरक्षा करने वाले एनैमल भी खत्म हो जाता है और दांत जड़ से  टूट जाता है। इस समस्या का पता केवल दंत चिकित्सक के पास जाने से होगा।

मासिक धर्म ऐंठन (Menstrual cramp)

नियमित रजोधर्म में सभी लड़कियों और महिलाओं में यह प्राकृतिक दर्द सामान्य(dard ke karan) है। किंतु असहनीय दर्द गर्भाशय के असामान्य वृद्धि के कारण हो सकता है। इससे एंडोमेट्रिऑसिस का खतरा उत्पन्न हो सकता है जो जनन क्षमता को प्रभावित करता है। डॉक्टर आपको कुछ दवाइयां उपलब्ध करा देगा अगर आप ऐसी शारीरीक परिस्थिति को बताते हैं।

अगर यह दर्द असहनीय हो जाए तो आपको दवाई की आवश्यकता होती है। कई बार गर्भाशय के अपनी सामान्य जगह से अलग दूसरी जगह बढ़ने से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। शोध के अनुसार 40% से ज़्यादा महिलाएं जिन्हें मासिक धर्म की दर्दभरे ऐंठन का शिकार होना पड़ता है, इस खतरनाक समस्या से ही पीड़ित होती हैं। आप चाहें तो शल्य क्रिया के दौरान यह कोशिका निकाली जा सकती है।

कंधों पर तेज़ दर्द (Sharp pain across the shoulder blades)

यह बात सही है कि दिल का दौरा आने से पहले लोगों की छाती में दर्द होता है। पर करीब 30% लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें छाती में दर्द हुए बिना ही ह्रदय का दौरा पड़ जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि उन्हें दिल के दौरे के कोई भी लक्षण पता नहीं चलते।

कंधों पर उठने वाले दर्द को प्राय: लोग तनाव का कारण बतलाते हैं। लेकिन यह विपत्तीयों को आने का मौका देती है। शोधों में यह पाया गया है कि ये हृदय आघात होने का कारण हो सकते हैं। दर्द का इलाज, महिलाओं में भी कंधों का दर्द प्राय: पाया जाता है। इसके साथ चक्कर, जबड़ों में दर्द हो सकता है। अगर आपको ऐसे कुछ लक्षण है तो तुरंत देखभाल आवश्यक होगी।

निचले पेट में दर्द (Stomach pain in lower abdomen)

पेट दर्द के शुरू होने के कई कारण हो सकते है जो आंतों की अनियमित गति से लेकर किडनी की पथरियों के कारण हो सकता है। किसी भी पेट दर्द को हल्का नही समझना चाहिये, कुछ विशेष पेट दर्द के लिये चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होती है। अगर आपको निचले पेट के दाहिनी तरफ दोहरा दर्द हो तो यह अपेंडिक्स की समस्या हो सकती है। अगर आप प्रारम्भिक स्तर पर ध्यान नहीं देते है तो अपेंडिक्स फटने का मौका हो जायेगा। इससे आपका खून भी प्रभावित हो सकता है।

दर्द के कारण, अपेंडिक्स का पता पेट के नीचले हिस्से को दबाने या घुटने को सिर के पास लाने पर दर्द होने के द्वारा चलता है।


बुखार के साथ पीठ दर्द (Back pain with fever)

अगर आपको बुखरा के साथ पीठ दर्द हो रहा है तो यह समय इस बात का अनुमान लगाने का है कि आप किडनी के संक्रमण से पीड़ित है। इसके अन्य लक्षण चक्कर आना है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब बैक्टीरिया व्यक्तियों की पेशाब नली में चला जाता है और संक्रमण को और भयंकर बना देता है। दर्द से राहत, आपको पेशाब करते समय  बहुत दर्द की अनुभूति होती है। अगर ऐसा दर्द होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाकर इलाज़ के लिये पूछना चाहिये।

पिंडलियों पर टहलने वाला दर्द (Tender spots on calf)

अगर आपको पैरों की पिंडलियों की मांसपेशियों पर बार बार दर्द हो रहा है तो यह डीवीटी या डीप वेन थ्रोम्बॉसिस बिमारी का लक्षण हो सकता है। ऐसा तब होता है जब आपकी नसों में खून के थक्के उपस्थित हो जाते हैं। अगर आपको लाल निशान के साथ गर्म स्पर्श मह्सूस होता है तो यह ऐसा होने का एक कारण हो सकता है। ऐसा देखा गया है कि डीवीटी ऐसे लोगों के ऊपर प्रभाव छोड़ता है जिन्होंने हाल ही में हवाई सफर, जन्म को नियंत्रित करने वाली गोलियों का उपभोग या एक लम्बी कार यात्रा किया हो। दर्द से छुटकारा (dard ke upay), लेकिन, आप एक या दो दिनों तक रूक सकते है जब तक कि आपका पैर बहुत अधिक सूजे और हिलाने पर लगातार दर्द बना रहे। लेकिन अगर आपको लगातार दर्द बना रहे तो यह समय डॉक्टर से तुरंत मिलने का है। अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो इससे थक्के का आकार बढ़ सकता है और एवं यह फट भी सकता है।

Thursday, June 22, 2017

कभी सुना है कान में लहसुन का कौर डालें और कान की समस्याओं से छुटकारा पाएं

• लहुसन के कौर से कान में हुए इन्फेक्शन से लड़ा जा सकता है।
• लहसुन के कौर से कान दर्द से तुरंत आराम मिलता है।
• लहसुन के कौर से कान में हो रही जलन से मुक्ति मिलती है।क्या कभी आपने कान में लहसुन डाला है? शायद ज्यादातर लोग इस घरेलु समाधान से अवगत नहीं है। लेकिन तथ्य यह है कि लहसुन के कौर को कान में डालने से असंख्य लाभ हासिल होते हैं। साथ ही कई किस्म की बीमारियों से भी पार पाना हो तो लहसुन का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि कान में लहसुन का कौर डालने से क्या होता है? आइए जानते हैं।

कान में दर्द होना
यदि आपके कान में दर्द है, तो लहसुन के कौर कान में डाले रखने से दर्द में राहत मिलती है। इसके लिए आपको किसी प्रकार की मेहनत करने की जरूरत नहीं है। कान में लहसुन डालने से सबसे पहले कान गर्म होने का एहसास होता है। इसके बाद धीरे धीरे दर्द से राहत मिलती है। ऐसा नहीं है कि आप दवा का इस्तेमाल नहीं कर सकते, लेकिन लहसुन का कोई साइड इफेक्ट या नकारात्म्क प्रभाव नहीं है। लहसुन के कौर वैसे सामान्यतः रात को सोते समय कान में लगाना लाभकारी होता है।

इन्फेक्शन
यदि आपके कान में दर्द किसी इन्फेक्शन के कारण है, तो भी लहसुन का एक कौर आपकी मदद कर सकता है। दरअसल इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायर प्रोपर्टीज होते हैं, जो कि इन्फेक्शन में मदद कर सकते हैं। लेकिन हां, आपको यह बताते चलें कि यदि दर्द बहुत ज्यादा है और वजह पता नहीं है, तो बिना देरी किए डाक्टर से संपर्क करें। क्योंकि हो सकता है कि कान में जो दर्द है, वह इन्फेक्शन के कारण न हो। वैसे इन्फेक्शन में भी लहसुन काफी फायदेमंद है।

इसे भी पढ़ेंः कई गुणों की खान लहसुन कैंसर जैसी बीमारी से बचाने में भी करता है मदद

फ्लू
लहसुन खाने में बहुत गर्म होता है। यही कारण है कि तमाम विशेष लहसुन के एक कौर को सर्दियों में प्रत्येक सुबह पानी के साथ खाने को कहते हैं। लेकिन यदि आप लहसुन खाना पसंद नहीं करते जैसा कि सामान्यतः हर कोई नापसंद करता है। इसके पीछे वजह इससे आ रही बदबू है। बहरहाल यदि आप भी इसे खाने से परहेज करते हैं, तो इसे अपने कामन में लगा सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो फ्लू के कारण कई दफा कान में दर्द का एहसास होता है। ऐसे में आप चाहें तो कान में लहसुन का कौर लगा सकते हैं। इससे जल्द आराम मिलता है। दवाई पर आश्रित रहने की आवश्यकता भी नहीं होती।

सूजन:
यदि आपके कान में सूजन है, जिस कारण लगातार कान में खुजली हो रही है, तो ऐसी स्थिति में भी कान में कान में लहसुन के कौर का उपयोग किया जा सकता है। इससे कान की सूजन कम होती है। साथ ही सूजन के कारण कान में आई लालिमा भी कम होती है। खुजली में कमी आती है। यदि सूजन के कारण किसी प्रकार की कान में जलन हो, तो उससे भी लहसुन के कौर कारण कमी आती है।

जर्म्स:
लहसुन में जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया है कि एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल प्रोपर्टीज होती हैं। अतः यदि आपके कान में जम्र्स के कारण दर्द हो रहा है, तो लहसुन में मौजूद ये प्रोपर्टीज आपके कान को राहत देने में मददगार साबित हो सकते हैं। वैसे भी लहुसन का एक कौर से आप भविष्य में होने वाली कान की समस्या से भी लड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप लहसुन के कौर का उपयोग करते हैं, तो भविष्य में होने वाली कान से संबंधित समस्याओं में गिरावट आती है।

इसे भी पढ़ेंः कच्चे लहसुन खाने के हानिकारक प्रभाव

बेहतरीन तत्व:

लहसुन में कई किस्म के बेहतरीन तत्व है। इसमें विटामिन सी, और बी6, फाइबर, पोटाशियम, कैल्शियम आदि मौजूद है। अतः विशेषज्ञ इसे कान में लगाने के साथ साथ खाने की सलाह भी देते हैं। इसे आप काटकर किसी अन्य मिश्रण के साथ मिलाने की बजाय बेहतर है कि पूरा एक कौर पानी के साथ पीएं।

Wednesday, June 21, 2017

क्यों नहीं पीना चाहिए खड़े होकर पानी


पानी! यह एक ऐसा प्राकृतिक संसाधन है जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. इसीलिए पानी को धरती का अमृत कहा गया हैं. पानी मानव शरीर के लिए अनिवार्य और आवश्यक तत्वों में से एक है. मानव शरीर पाँच तत्वों से निर्मित जीव है जिसमें 70% हिस्सा पानी से बना हुआ है. इसलिए 7-8 गिलास पानी का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए. इससे पाचन तंत्र, बाल व त्वचा स्वस्थ रहते है. पानी शरीर से बेकार पदार्थ को बाहर निकालता है और खून को साफ रखने में मदद करता है. पीने का पानी स्वच्छ और ताजा हो, बासी पानी में कुछ ऐसे जीवाणु पैदा हो जाते है जिसे पीने से वात, कफ और पित्त बढ़ता है. आगे हम अपने लेख में यह भी बताएंगे खड़े होकर पानी पीने के क्या-क्या शारीरिक नुकसान है. लेकिन उससे पहले पानी की महत्वता को देखते हुए आइये, जानें पानी किस स्थिति में, कब और कैसे पिये.

कुछ ऐसी स्थिति और बीमारी में पर्याप्त पानी पीना चाहिए.

जैसे – बुखार, बाल झड़ने पर, पथरी, तनाव, झुरियाँ, हैजा, पानी की कमी होने पर, यूरिन इन्फेक्शन, अधिक वर्कआउट की स्थिति में, अधिक गर्म मौसम में आदि ऐसी कई परिस्थितियाँ आने पर पानी भरपूर पीना चाहिए.

शारीरिक दृष्टि से पानी पीने का सही समय क्या है?

* 2-3 गिलास पानी सुबह खाली पेट पीने से शरीर की आंतरिक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है. सुबह खाली पेट पानी पीने की मात्रा आप अपने शरीर की क्षमतानुसार बढ़ा या घटा सकते है. लेकिन दो गिलास पानी पीने की कोशिश अवश्य करे.

* एक गिलास पानी स्नान के पश्चात पीने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है.

* दो गिलास पानी भोजन के आधे घंटे पहले पीने से हाजमा दुरुस्त रहता है.

* आधा गिलास पानी सोने से ठीक पहले पीने से हार्ट अटैक से बचाता है.

* प्यास लगने पर घुट-घुट पानी कभी भी पिया जा सकता है. इससे पानी की कमी नहीं होगी.

खड़े होकर पानी पीने के शारीरिक नुकसान –

इस अनियमित जीवनशैली में आजकल किसी के पास स्वयं के लिए भी समय नहीं है. जिसका घातक परिणाम शरीर को भुगतना पड़ता है. आज अधिकांश लोग जल्दबाजी में खड़े होकर पानी का सेवन करते है जिसका गलत प्रभाव शरीर पर जरूर पड़ता है.

* पाचन तंत्र – खड़े होकर पानी पीने से यह आसानी से प्रवाह हो जाता है और एक बड़ी मात्रा में नीचे खाद्य नलिका के द्वारा निचले पेट की दीवार पर गिरता है. इससे पेट की दीवार और आसपास के अंगों को क्षति पहुँचती है. एक दो बार इस तरह से पानी पीने से ऐसा नहीं होता. लेकिन लंबे समय तक ऐसा होने से पाचन तंत्र, दिल और किडनी में समस्या की संभावना बढ़ जाती है.

* ऑर्थराइटिस – खड़े होकर पानी पीने की आदत से घुटनों पर दबाव पड़ता है और इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है. इस आदत से जोड़ों में हमेशा दर्द रहने लगता है. इसलिए पानी का सेवन बैठकर करे और आराम से धीरे-धीरे पिए.

* गठिया – खड़े होकर पानी पीने से शरीर के अन्य द्रव्य पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है. जिससे हड्डियों के जोड़ वाले भागों में आवश्यक तरल पदार्थों की कमी होने लगती है और हड्डियाँ कमजोर होने लगती है. कमजोर हड्डियों के कारण जोड़ों में दर्द और गठिया जैसी समस्या पैदा हो जाती है. यह समस्या अन्य कई बीमारियों का भी कारण बनती है.

* किडनी – खड़े होकर पानी पीने के दौरान पानी तेज़ी से गुर्दे के माध्यम से होते हुए बिना ज्यादा छने गुजर जाता है. जिसके कारण खून में गंदगी जमा होने लगती है. इस गंदगी के कारण मूत्राशय, गुर्दे (किडनी) और दिल की बीमारियां होने की संभावना अधिक हो जाती हैं.

* पेट की समस्या – खड़े होकर पानी पीने से पानी की मात्रा शरीर में जरूरत से ज्यादा चली जाती है. शरीर में मौजूद वह पाचन रस काम करना बंद कर देता है, जिससे खाना पचता है. अधिक पानी की वजह से खाना देर से पचने लगता है और कई बार खाना पूरी तरह से डाइजेस्ट भी नहीं होता. जिसके परिणाम स्वरूप अपच, गैस, अल्सर आदि पेट की समस्या उत्पन्न हो जाती है. पानी हमेशा बैठकर ही पिए. कभी भी लेटकर या खड़े होकर पानी का सेवन ना करे.

अति करे क्षति, इस बात से सभी वाकिफ है. पानी अच्छी सेहत के लिए अनिवार्य है इसमें कोई मतभेद नहीं, लेकिन अनुचित तरीका और अनुचित मात्रा अच्छी सेहत को कब खराब कर दे पता भी नहीं चलता. जब भी प्यास लगे बैठकर पानी पीने का संकल्प ले. यह संकल्प आपकी सेहत को दुरुस्त बना के रखेगा. एक बात का विशेष ध्यान रखे, भोजन के पश्चात ठंडा पानी पीने से नुकसान होता है. दरअसल, गर्म खाने पर ठंडा पानी पीने से खाया हुआ ऑयली खाना जमने लगता है. जो धीरे-धीरे बाद में फैट में बदल जाता है. इससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. इसलिए भोजन के आधे घंटे पश्चात गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है. इस बात की पुष्टि हेल्थ विशेषज्ञों के द्वारा भी हुई है.

स्वच्छ और ताजा पानी सेहत की लिहाज से दवा का काम करता है. अगर आप इसका सेवन सही तरीके से करते है तो यह आपको कई बीमारियों से बचा के रखेगा. इस लेख से आपको यह महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी की कभी भी खड़े होकर पानी का सेवन नहीं करना चाहिए. यह आदत शरीर की सेहत के लिए घातक है. आदत छोटी सी है लेकिन इसके परिणाम बहुत खतरनाक है. अगर आप किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित है तो उचित होगा आप अपने डॉक्टर से संपर्क करे. क्योंकि कई ऐसी भी समस्या होती है जिसमें कुछ मामलों में कम पानी पीने की सलाह दी जाती है.

हमने आपसे सिर्फ ज्ञानवर्धक जानकारी साझा की है. अपनी सूझ-बुझ का इस्तेमाल हमेशा करे. सदैव खुश रहे और स्वस्थ रहे.