आवश्यक निर्देश:
चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं
बैसाख माह में नया तेल न लगाएं
जेठ माह में दोपहर में नहेम चलना चाहिए
अषाढ़ माह में पका बेल न खाएं
सावन माह में साग न खाएं
भादों माह में दही न खाएं
क्वार माह में करेला न खाएं
कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं
अगहन माह में जीरा न खाएं
पूस माह में धनिया न खाएं
माघ माह में मिश्री न खाएं
फागुन माह में चना न खाएं
अन्य निर्देश:
स्नान के पहले और भोजन के बाद पेशाब जरूर करें ।
भोजन के बाद कुछ देर बायी करवट लेटना चाहिये ।
रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठाना चाहिये ।
प्रातः पानी पीकर ही शौच के लिए जाना चाहिये ।
सूर्योदय के पूर्व गाय का धारोष्ण दूध पीना चाहिये ।
व्यायाम के बाद दूध अवश्य पियें।मल, मूत्र, छीक का
वेग नही रोकना चाहिये ।ऋतु (मौसमी) फल खाना चाहिये ।
रसदार फलों के अलावा अन्य फल भोजन के बाद खाना चाहिये ।
रात्रि में फल नहीं खाना चाहिये ।
भोजन के समय जल कम पियें ।
नेत्रों में सुरमा / काजल अवस्य लगायें ।
स्नान रोजाना अवश्य करना चाहिये ।
सूर्य की ओर मुह करके पेशाब न करें ।
बरगद, पीपल, देव मन्दिर, नदी व् शमशान में पेशाब न करें ।
गंदे कपड़े न पहने, इससे हानि होती है ।
भोजन के समय क्रोध न करें बल्कि प्रसन्न रहें।
आवश्यकता से अधिक बोलना भी नहीं चाहिये व बोलते समय भोजन करना रोक दें |
ईश्वर आराधना अवश्य करनी चाहिये ।
आवश्यक बातें :
बासी मांस न खायें .
वृद्धा औरत के साथ सहवास (sex) न करें .
तुरंत का जमा दही न खाएं .
गर्भवती औरत के साथ सहवास (sex) न करें .
दही और मुली एक साथ न खायें .
लौकी और उरद की दाल एक साथ न खायें .
मछली और दूध एक साथ न खायें .
बच्चों के सामने गुप्त बातें और अश्लील बातें न करें .
चिकित्सक (doctor) से भूलकर भी बैर न करें .
इच्छा न होने पर यात्रा न करें .
मनुष्य नियमों का पालन करके ही मनुष्य होता हैं . अनियमित रहने वाला मनुष्य पशु से भी गया-गुजरा होता हैं . इसलिए सफल जीवन और स्वास्थ्य रक्षा हेतु नियमों का पालन करें .
मित्रों ये जीवन के सरल परन्तु आवश्यक निर्देश हैं जो हमारी परंपरा से जन्मे हैं कृप्या इससे अपने मित्रों व संबंधियों से शेयर जरुर करें!