घर में रसोई का वास्तु खराब होने पर उसका सबसे खराब असर उस घर की गृहणी पर पड़ता है जो कि अपना अधिकतम समय रसोई में ही बिताती है
घर में रसोई का वास्तु खराब होने पर उसका सबसे खराब असर उस घर की गृहणी पर पड़ता है जो कि अपना अधिकतम समय रसोई में ही बिताती है। ऐसे में रसोई को बनाते समय वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। इससे न केवल घर वरन घर में रहने वाली महिलाओं का स्वास्थ्य सही रहता है और घर में सौभाग्य का आगमन होता है। सामान्त तौर पर रसोई में इन वास्तु नियमों का ध्यान रखना चाहिएः
(1) रसोई को हमेशा घर के दक्षिण-पूर्व यानि अग्निकोण दिशा में ही बनवाना चाहिए। यदि इस कोण में रसोई बनाना संभव न हो तो वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) पर बनवा सकते हैं। साथ ही चूल्हा का स्थान भी रसोई के अग्नि कोण में ही रखना चाहिए।
(2) इसके अलावा रसोई में पानी का घड़ा, वाटर प्यूरीफायर आदि रसोई की ईशान कोण (उत्तर-पूर्वी दिशा) में होना चाहिए। परन्तु इस दिशा में सिंक न बनवाएं, अन्यथा घर में बिन बुलाई आपत्तियां आती रहती हैं। साथ ही रसोई से लगा हुआ कोई जल स्त्रोत नहीं होना चाहिए। रसोई के बाजू में बोर, कुआँ, बाथरूम बनवाना अवाइड करें, सिर्फ वाशिंग स्पेस दे सकते हैं।
(3) रसोई की दक्षिण दिशा में कभी भी कोई दरवाजा या खिड़की नहीं होने चाहिए। बाकी तीनों दिशाओं में खिड़की तथा दरवाजे रखे जा सकते हैं। खिड़की व दरवाजों का पूर्व व उत्तर दिशा में होना सबसे बेहतर रहता है। खिड़की भी पर्याप्त बड़ी होनी चाहिए ताकि रसोई में बाहर की ताजी हवा आ सकेंष
(4) रसोई बनवाते समय ध्यान रखना चाहिए वहां सूर्य की रोशनी तथा हवा के वेंटीलेशन का पूरा इंतजाम हो। रसोई में चूल्हे की गर्म हवा निकालने के लिए भी वेंटीलेटर होना चाहिए।
(5) रसोई में कभी भी शीशे (मिरर) का प्रयोग नहीं होना चाहिए। इससे घर में गृह-क्लेश का वातावरण बनता है।
(6) घर की रसोई में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही घर में पितृदेव भी प्रसन्न रहकर अपना आर्शीवाद देते हैं।