Monday, June 19, 2017

चेहरे पर काले दाग, धब्बे, मुँहासे के निशान के इलाज के लिए घरेलू उपाय

क्या चेहरे के दाग धब्बे, मुँहासे के निशान और त्वचा का रंग भी, मुहासे होने का कारण आपको शर्मिंदा कर रहा है किसी समूह का सदस्य बनने से!! क्या आप सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग करते करते तक गए है! तो एक नज़र डालिए घर मे बने हुए मिश्रण पर जो सारे दाग धब्बे निकाल देगा।काले दाग (black spots) धब्बे होने के कई कारण है जिनमे से मुख्य कारण कील, मुहासे, काले सिरे (ब्लैक हेड्स), फुडिया होते है। मुहासे से छुटकारा, सूरज की तेज किरण के कारण चेहरे के गड्ढे, दाग धब्बे ओर भी बढ़ जाते है जो चेहरे के सावले होने का कारण बनती है। इसके लिए आप जब भी बाहर जाए तो सन क्रीम लगा कर जाए और नीचे कुछ विधिया दी गई है मुहांसे के कारण जो दाग धब्बे से निजात दिलाने मे आपकी मदद करेगे।

पिम्पल्स का इलाज के लिए रसायनिक पदार्थ का उपयोग करने से बेहतर होगा की आप प्राकृतिक उत्पादो का उपयोग करे। घरेलू उत्पाद बहुत सस्ते होते है और इनका कोई बुरा असर भी नही पड़ता। चेहरे पर दाने के उपाय, त्वचा की देखरेख करना वो भी सुंदरता के साथ यह बहुत ज़रूरी है। कुछ घरेलू उपचार की सूची नीचे दी गई है जो काले दाग (black spots) धब्बे, मुँहासे के निशान से दूर रहने मे आपकी मदद करेगे।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए टमाटर (Tomato for erasing dark spots)

पिम्पल्स का इलाज के लिए एक मध्यम आकार का टमाटर ले, उसका रस निकले और उसमे एक चम्मच नीबू का रस मिलाए। फिर पूरे चेहरे मे लगाए और 20 मिनिट के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो ले।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए एलोवेरा (Aloe Vera to treat black spots)

एलोवेरा का रस निकले और 5 मिनिट तक बाहर रखे, फिर उसमे नीबू के रस की कुछ बूंदे मिलाए और चेहरे पर लगाए और 15 मिनिट के बाद धो दे। चेहरे के गड्ढे, आपको इसके बेहतर परिणाम मिलेगे।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए प्याज (Onions to lighten acne marks)

चेहरे के काले दाग धब्बे, प्याज मे क्रत्रिम प्रतिरोधक गुण होते है जो की मुहसो के दाग धब्बे दूर करने मे आपकी मदद करेगे। तो शांतीपूवर्क इस विधि का उपयोग करे। प्याज ले और उसका रस निकल कर चेहरे के संक्रमित स्थान पर लगाए और कुछ मिनिट तक रहने दे फिर साधारण पानी से धो दे।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए चंदन (Sandalwood for erasing pimple scars and dark spots)

2 चम्मच चंदन पाउडर ले, उसमे कुछ बूंदे गुलाबजल की मिलाए फिर दाग पर और पूरे चेहरे पर लगा ले और सूखने के बाद धो ले।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए हल्दी और नीबू के रस (Turmeric and lemon juice for acne marks)

चुटकी भर हल्दी पाउडर ले, उसमे कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाए फिर दाग पर या पूरे चेहरे पर लगाए। कुछ ही हफ़्तो के अंदर दाग दूर हो जाएगे और त्वचा चमकने लगेगी।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए आलू और शहद (Potato juice and honey for pimple ka ilaj hindi me)

एक आलू ले और उसे कद्दूकस कर ले और उसमे सही मात्रा मे शहद मिलाए फिर चेहरे पर लगाए और 15 मिनिट के बाद धो दे। या आलू के टुकड़े को भी आप चेहरे पर रगड़ सकते है जो की काले धब्बे दूर कर देगे।

दाग धब्बे के लिए घर मे हाथ से बनाए कुछ उपाय (A handy homemade concoction to remove scars & dark spots from the skin)

एक चम्मच प्याज का रस, एक चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच सिरका इन तीनो को मिला ले और दाग पर लगा कर कुछ मिनिट तक मालिश करे फिर 20 मिनिट के बाद ठंडा पानी ले कर धो ले। यह बहुत सरल और उपयोगी है। प्याज मे गंधक (सल्फर), विटामिन और अदरक मे आलीसिन नामक पदार्थ होता है जो त्वचा को कोमल बनाती है और त्वचा से कीटाणु को निकाल देती है।

मुहासे का उपचार के लिए नीबू का रस (Lemon juice for erasing dark spots)

कील मुंहासे का इलाज, नीबू मे स्तम्मक(अस्ट्रिंजेंट), विटामिन सी होता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकल देता है तो जब भी आप दाग धब्बे का इलाज करे तो नीबू का इस्तेमाल करे। नीबू का रस निकल कर कॉटन की सहयता से दाग पर लगाए। अच्छे परिणाम के लिए हर दूसरे दिन इस विधि का उपयोग करे।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए खीरा और दूध (Cucumber & milk for treating dark marks)

मुहासे के निशान, एक खीरा ले उसे कद्दूकस करे उसमे तोड़ा दूध, कुछ बूंदे नीबू की मिलाए और चेहरे पर लगाए। यह बहुत ही सरल और उपयोगी विधि है।

पपीता (Papaya a sure shot remedy for dark spots)

पपीता मे एंज़ाइम होते है जो की चेहरे के दाग कम करते है। इसके लिए पके पपीते का उपयोग करे, पपीते का गुदा निकाल कर 15 मिनिट तक चेहरे पर लगा कर रखे फिर ठंडा पानी से धो दे।

छाछ (Buttermilk for fading marks and spots)

छाछ मे लॅकटिक एसिड होता है जो की अल्फा हाइड्रॉक्सिल एसिड की तरह काम करता है। यह एक प्रकार का प्रकतिक एसिड है जो चेहरे की मृत त्वचा, धूल और तेल को निकालता है। एक कटोरी मे छाछ ले और रूई की मदद से दाग पर लगाए और अगर मुमकिन है तो आधी मात्रा मे नीबू का रस भी मिला कर मास्क की तरह भी उपयोग सकते है।

विटामिन ई तेल (Vitamin E oil for skin marks and spots)

यह एक बेहतर एंटीऑक्सीडेंट है जो की चेहरे के गड्ढे, घाव भरने मे सहयता करता है। विटामिन ई तेल मे केवड़ा का तेल(केस्टर आयिल) मिलाए और दाग पर लगाए और परिणाम देखे।

जई(ओट्स) (Oats for treating those black spots)

कील मुंहासे का इलाज, जई सिर्फ़ सर्वोत्तम आहार के रूप मे ही नही बल्कि औषधि के रूप मे भी उपयोग होता है जो की चेहरे के दाग, धब्बे , मुहासे ठीक करता है। मुहासे की दवा, काले दाग (black spot), धब्बे और मुहासे के निशान से छुटकारा पाने के लिए चेहरे पर ज़ई के आटे का मुखौटा(मास्क) लगाए। ज़ई के आटे मे नीबू का रस मिलाए और गाढ़ा घोल बना कर मास्क की तरह चेहरे पर लगाए और कुछ देर तक मले फिर गर्म पानी से धो ले। तुरंत आराम के लिए इस विधि का उपयोग हफ्ते मे दो बार करे।

पानी (Drink lots of water to fade the spots quickly)

अधिक मात्रा मे पानी पीने से भी दाग,धब्बे,मुहासे ठीक होते है। रोजाना 6 से 8 गिलास तक पानी पीए जो की शरीर से विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को निकाल कर त्वचा मे नमी बनाए रखता है और दाग को हल्का करता है।

मुहासे का उपचार – दूध (Raw milk to lighten spots)

दूध चेहरे की रंगत बढ़ाता है, दूध मे लॅकटिक अम्ल होता है जो त्वचा को कोमल और सुंदर बनाता है। इसके लिए कच्चे दूध का उपयोग करे। दूध मे रूई भिगोकर पूरे चेहरे पर लगाए फिर 15 मिनिट के बाद गर्म पानी से धो ले,रोज सुबह इस विधि का उपयोग करे।

दाग धब्बों को हल्का करने के लिए दूध और केसर (Milk and kesar for spot lightening)

केसर के कुछ दानों को 2 चम्मच दूध में रातभर भिगोकर रख दें। इस पात्र को फ्रिज (fridge) में रखें, जिससे कि ये खराब ना हो जाए। सुबह केसर के दानों को दूध में मसल लें और इसका प्रयोग चेहरे पर करें। खासकर काले धब्बों और एक्ने (acne) के निशानों पर इसे लगाएं। इसे पूरी तरह सूखने दें और फिर सादे पानी से धो लें। इस उपचार का प्रयोग रोजाना करने से आपको 1 हफ्ते में फर्क दिखने लगेगा।

एक्ने के दाग दूर करने के लिए लाल मसूर की दाल और दूध (Red lentils and milk for acne mark removal)

दाग धब्बों को दूर करने के लिए लाल मसूर की दाल और दूध का भी पैक बनाया जा सकता है। 1 चम्मच साफ़ और धुली लाल मसूर की दाल को कच्चे दूध में भिगोकर रखें। सुबह इसे दूध के साथ पीसकर एक दानेदार पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर हलके हाथों से रगडें। इसे 20 मिनट के लिए छोड़ दें और इसके बाद कुछ देर तक दोबारा अपने चेहरे को रगड़कर इसे गुनगुने पानी से धो लें। हफ्ते में इसका 2 बार प्रयोग करने पर आपको 15 दिनों में फर्क दिखने लगेगा।

दही और शहद से काले धब्बे दूर करें (Yogurt with honey for erasing dark spots)

दही में ऐसे एंजाइम (enzymes) होते हैं जो किसी भी दाग धब्बे को दूर कर सकते हैं, और शहद प्राकृतिक रूप से आपकी रंगत को निखारता है। 1 चम्मच दही को 2 चम्मच शहद के साथ मिश्रित करें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं और काले धब्बों पर खासकर ध्यान केन्द्रित करें। इस पैक को 20 मिनट तक अपने चेहरे पर रहने दें और फिर इसे हाथों से रगड़कर पानी से साफ़ कर लें। अच्छे परिणामों के लिए इस उपचार का प्रयोग रोजाना करें।

चेहरे के दागों को हल्का करने के लिए कैस्टर ऑइल (Castor oil for lightening marks on the face)

कैस्टर ऑइल में त्वचा की मरम्मत के गुण होते हैं और यह काले धब्बे दूर करने में आपकी काफी सहायता करता है। प्रभावित भाग को अच्छे से साफ कर लें तथा इसके बाद अपनी त्वचा पर कैस्टर ऑइल से 5 मिनट तक मालिश करें। इसे 20 मिनट के लिए छोड़ दें और एक गीले कपड़े से इसे पोंछ लेने से पहले चेहरे पर 5 मिनट तक दोबारा मालिश करें। अंत में इसे पानी से धो लें। इस उपचार का प्रयोग दिन में 2 बार करके एक महीने में अच्छे परिणाम प्राप्त करें।

काले धब्बे दूर करने के लिए हॉर्सरेडिश (Horseradish for removing those dark spots)

हॉर्सरेडिश आपके चेहरे से काले धब्बे और अन्य दाग दूर करने में काफी प्रभावशाली साबित होता है। हॉर्सरेडिश लेकर इसे किस लें और इससे एक महीन पेस्ट तैयार कर लें तथा अपने चेहरे के प्रभावित भागों पर लगाएं। इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर पानी से धो लें। इस उपचार का प्रयोग दिन में कम से कम 2 बार करें और एक महीने में आपको काफी प्रभाव दिखेगा।

काले धब्बे दूर करने के लिए रेडकरंट और शहद (Redcurrant and honey for erasing black spots)

रेडकरंट आंवला परिवार का सदस्य है और यह काले धब्बों पर जमे मेलेनिन (melanin) को हल्का करता है। कुछ रेडकरंट लें और इन्हें पीसकर 1 चम्मच शहद के साथ मिश्रित करें। इस पैक को अपने चेहरे पर लाएं और काले धब्बों पर ध्यान केन्द्रित करें। इसे 20 मिनट के लिए छोड़कर पानी से धो लें। अच्छे परिणामों के लिए इस उपचार का प्रयोग रोजाना करें।

त्वचा के दागों को हल्का करने के लिए मुल्तानी मिट्टी और नींबू का रस (Fuller’s earth with lemon juice for lightening skin spots)

मुल्तानी मिट्टी में कई प्राकृतिक खनिज होते हैं और इसमें त्वचा का रंग साफ करने के भी गुण होते हैं। मुल्तानी मिट्टी और पानी को मिश्रित करके एक पेस्ट तैयार करें। इसमें नींबू के रस की कुछ बूँदें मिलाएं और अपने चेहरे के दाग धब्बों पर लगाएं। इसे सूखने तक अपने चेहरे पर छोड़ दें। अगर आप अपने पूरे चेहरे पर यह पैक लगा रहे हैं तो इसे पूरी तरह सूखने ना दें। अपने चेहरे को दोनों हाथों से रगड़कर काफी मात्रा में पानी से इसे धो लें।

चेहरे के दागों को कम करने के लिए अंगूर और सेब (Grapes and apple for facial spot reduction)

अंगूर और सेब दोनों में ही कई प्रकार के पोषक पदार्थ मौजूद होते हैं। इनकी मदद से आपकी त्वचा में गोरापन आता है। सेब का एक छोटा टुकड़ा लें और इसे पीसकर दो हरे अंगूरों के साथ मिश्रित करें। इनकी त्वचा को ना छीलें। इस पैक को अपनी त्वचा पर लगाएं और दाग धब्बों पर ध्यान केन्द्रित करें। आप इससे अपनी त्वचा की हलके से मालिश कर सकते हैं। इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर पानी से धो लें। रोजाना इस पैक का प्रयोग करने से आपको 1 महीने में परिणाम दिखने शुरू हो जाएंगे।

चेहरे के काले दाग हटाने के लिए मुलैठी (Liquorice for erasing dark spot on the skin)

मुलैठी त्वचा से मेलेनिन दूर करने की अपनी खूबी की वजह से जानी जाती है। मुलैठी की जडें किसी भी काले धब्बे को दूर करने में काफी कारगर साबित होती हैं। मुलैठी की जड़ों का एक पेस्ट तैयार करें और इसमें शहद की कुछ बूँदें मिश्रित करें। इस पेस्ट को चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं और 15 मिनट रखने के बाद पानी से धो लें। रोजाना इस विधि का प्रयोग करने पर आपको 1 से 2 हफ़्तों में अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे। चेहरे पर मुलैठी का प्रयोग करने से पहले एक पैच टेस्ट (patch test) करवा लें।

कुछ टिप्स चेहरे पर काले दाग, धब्बे, मुँहासे के निशान के इलाज के लिए घरेलू उपाय (Some tips for using home remedies to treat marks and spots on the skin)

चेहरे के किसी भी दाग धब्बे और अन्य किसी भी तरह के निशान को आसानी से घरेलू नुस्खों की मदद से ठीक किया जा सकता है, पर ये उपचार तभी प्रभाव दिखाते हैं जब इन्हें जल्दी शुरू किया जाए। अतः अगर आपके चेहरे पर हाल में ही मुहांसे के निशान आए हैं तो इसके सूखने के साथ ही ऊपर बतायी गयी घरेलू विधियों में से किसी एक का इस्तेमाल शुरू कर दें। इससे यह बात सुनिश्चित होगी कि आपको 1 हफ्ते के अंदर ही मुहांसों के दाग से छुटकारा प्राप्त हो जाएगा।चन्दन, मुलैठी और हल्दी जैसे घरेलू नुस्खे त्वचा के पुराने दाग धब्बों के निशानों को भी हल्का करने की क्षमता रखते हैं। हालांकि काफी अच्छी तरह से इनका इस्तेमाल करने पर भी इस बात की काफी संभावना होती है कि इनका असर काफी महीनों में दिखे।घरेलू नुस्खों के कार्य करने की क्षमता काफी हद तक आपकी त्वचा के प्रकार और आपकी उम्र पर भी निर्भर करती है। त्वचा की नयी कोशिकाएं पैदा करने की क्षमता उम्र के साथ घटने लगती है और इसी वजह से दाग धब्बों के हल्के होने की प्रक्रिया जवान उम्र के लोगों के मुकाबले बुज़ुर्ग लोगों में काफी धीमी गति से होती है।घरेलू नुस्खे चेहरे के किसी भी दाग धब्बों के निशानों को हल्का करने की क्षमता रखते हैं। इनका सही और ज़्यादा से ज़्यादा लाभ उठाने के लिए इनका प्रयोग निरंतर रूप से और बताये गए नुस्खे के अनुसार लंबे समय तक करें। इससे आपको बेहतरीन परिणाम मिलेंगे।घरेलू नुस्खों की सबसे अच्छी बात यह होती है कि इनके कोई साइड इफेक्ट्स (side effects) नहीं होते और ये काफी किफायती भी साबित होते हैं।त्वचा की रंजकता (pigmentation), दाग और धब्बे दूर करने के घरेलू नुस्खों का निर्माण इनके उपयोग से तुरंत पहले करें। ताज़ा उत्पादों से आपको ज़्यादा अच्छा प्रभाव दिखेगा।दाग और धब्बे हटाने के कुछ नुस्खे जैसे मुलैठी त्वचा की संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं। अतः जब आप दाग धब्बे हटाने के लिए किसी घरेलू नुस्खे का प्रयोग कर रहे हैं तो धूप में बाहर निकलने से पहले सही सनस्क्रीन (sunscreen) का प्रयोग अवश्य करें।

Sunday, June 18, 2017

क्या आप शुगर फ्री गोलियों का उपयोग करते है ? तो यह पोस्ट जरुर पढ़ें

शुगर फ्री गोलियां और Artificial Sweetener Options – मधुमेह रोगियों को अक्सर मीठा खाने को मना किया जाता है, परंतु वे भोजन व पेय पदार्थों में स्वाद के लिए शक्कर का विकल्प चाहते हैं इसलिए शुगर फ्री गोली को बनाया गया है । आजकल विज्ञान ने ऐसे अनेक कृत्रिम मिठास वाले पदार्थ उपलब्ध कराए हैं जो स्वाद में तो मीठे होते हैं लेकिन इनमें कैलोरी नहीं होती। अत: ये मीठे होने के बावजूद मधुमेह के रोगियों में शुगर नहीं बढ़ाते हैं। इन्हें आर्टिफिशियल स्वीटनर्स कहते हैं।

Artificial Sweetener के लिए बाजार में अनेक पदार्थ उपलब्ध हैं, परंतु सही जानकारी के अभाव में इनके प्रति अनेक गलत धारणाएं एवं भ्रांतियां व्याप्त हैं। मधुमेह के रोगी इन विकल्पों के साइड इफेक्ट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं। शुगर फ्री गोलियों का मनमाना प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। डायबिटीज मरीज अगर लंबे समय तक शुगर फ्री गोली का सेवन करते रहते हैं तो दिक्कत बढ़ सकती है। इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह के ऐसा न करें।

शरीर को चलाने के लिए हमें ‘ऊर्जा’ की आवश्यकता होती है जिसे ‘कैलोरी” (Calories) कहा जाता है। हमारा शरीर पाचन क्रिया के बाद खाने में से, कैलोरी का निकालता है। यह कैलोरी हमारे शरीर में खपत हो जाती है, या फिर फैट या चर्बी के रूप में जमा जाती है। यह अतिरिक्त वसा आपको मोटापा और उससे संबंधित रोग देता है।

शुगर फ्री साइड इफेक्ट्स – शुगर फ्री के नुकसान और फायदे – शुगर फ्री फल – शुगर फ्री कोल्ड ड्रिंक्स – शुगर फ्री मिठाइयाँ |

Artificial Sweeteners for Diabetes Patients.

आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के मुख्यतः दो तरह के विकल्प उपलब्ध हैं- एस्पारटेम तथा सुक्रालोज़ ।ज्यादातर शुगर फ्री गोली के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। इसके बुरे प्रभावों में अनजाने में ज्यादा मात्रा में कैलरी ले लेना, पकी हुई चीजों के टेक्सचर में बदलाव, allergy या कार्सिनोजेनिक असर शामिल है। बाकी साइड इफेक्ट्स में सिरदर्द, घबराहट, मितली, नींद कम आना, जोड़ों में दर्द और घबराहट आदि शामिल हैं।

नुकसानदायक: सैक्रीन (Saccharin), ऐसपारटेम (Aspartame).न्यूट्रल : सुक्रालोज (Sucralose), स्टीविया (Stevia).सुक्रालोज़ को शक्कर में रासायनिक बदलाव कर बनाया जाता है। इस रासायनिक बदलाव के फलस्वरूप यह स्वाद में शक्कर से 600 गुना मीठा हो जाता है और ये आंतों में भी अवशोषित नहीं होता है, इसलिए यह कैलोरी रहित होता है।एस्पारटेम मिथियोनीन तथा फिनाइल एलेनीन नामक एमीनो एसिड के मिलने से बनता है। हमारे भोजन में जो प्रोटीन होते हैं, वे पाचन के बाद एमीनो एसिड में बदलते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक डस्पारटेम जिन पदार्थों से बना है, वे तो वैसे भी हमारे दैनिक भोजन का हिस्सा हैं। परंतु एस्पारटेम को अधिक गर्म करने से इसकी मिठास प्रभावित होती है। अतः एस्पारटेम को गर्म नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत सुक्रालोज़ को गर्म करने के बावजूद इसकी मिठास बनी रहती है। ऐसी सभी मिठाइयां जिन्हें सेंकना होता है जैसे कि हलवा, केक इत्यादि को बनाने में सुक्रालोज़ का उपयोग किया जा सकता है।

शुगर फ्री गोली या कृत्रिम मिठास कितनी मात्रा का सेवन बिना किसी भी नुकसान के किया जा सकता है।

विभिन्न शोधों द्वारा शुगर फ्री गोली के पदार्थों की सुरक्षित सीमा को वजन के आधार पर निर्धारित किया गया है।आमतौर पर 60 कि.ग्रा. के वजन के व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन सुक्रालोज़ या एस्पारटेस के लगभग 60 सेशे या 120 शुगर फ्री गोली का उपयोग किया जा सकता है | इसके लिए अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें ।

शुगर फ्री गोली बनाने वाली कम्पनियों के अनुसार एस्पारटेम तथा सुक्रालोज़ दोनों को गर्भावस्था में भी सुरक्षित माना गया है।प्रश्न किसी भी मिठाई में शक्कर होने का नहीं है। मिठाई में कैलोरी की मात्रा कितनी है यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। ड्राई फ्रूट्स तथा मावे से बनी सभी मिठाइयों में कैलोरी तथा वसा की मात्रा अधिक होती है। जो व्यक्ति अपने भोजन में कैलोरी की मात्रा को सीमित रखना चाहते हैं उनमें मिठाइयां कैलोरी के गणित को गड़बड़ा देती हैं। इसलिए अगर शुगर फ्री गोली के विकल्पों से मिठाई बनाई जा रही है तो मिठाई को ऐसे पदार्थों से बनाना बेहतर होता है जिनमें कैलोरी कम हो।

बाजार में उपलब्ध कुछ शुगर फ्री गोली का शक्कर की तुलना में मिठास इस प्रकार से होता है ।

सेकरीन 300 गुना
एस्पारटेम 200 गुना
एसीसल्फेम के 300 गुना
साइक्लामेट 30-50
सुक्रालोज़ 600 गुना

वजन घटाने के प्रयास अक्सर इन गलतियों की वजह से असफल हो जाते हैं

वजन घटाने के प्रयास अक्सर इन गलतियों की वजह से असफल हो जाते हैं

वजन

वजन घटाना हर उस शख्स का सपना होता है जिसका वजन पहले के मुकाबले बढ़ गया है । अपना वजन कम करने के लिये हम बहुत सारे प्रयास करते हैं जैसे कि व्यायाम, वजन घटाने की दवाओं का प्रयोग, उपवास रखना आदि । किन्तु अक्सर लोगों के सामने यह परेशानी आती है कि बहुत सारे प्रयास करने के बाद भी वजन कम नही होता है । ऐसा क्यों होता है जबकि हमारे प्रयासों में कोई कमी नही होती है । ऐसा होता है कुछ की जाने वाली कॉमन गलतियों की वजह से । इन सब अनजानी गलतियों का परिणाम यह होता है कि हमारा सारा किया गया प्रयास भी बरबाद हो जाता है और मन एक नकारात्मक अहसास से ग्रस्त हो जाता है कि हमारा वजन कम नही होगा । आइये जानते हैं उन अनजानी कॉमन गलतियों के बारे में जिनके कारण हमारा वजन कम नही होता है ।

1 :- वजन कम करने के लिये डाईट को अनदेखा करना :-

अधिकतर लोगों का मानना होता है कि अपना वजन कम करने के लिये सिर्फ जिम जाना और व्यायाम करना ही पर्याप्त होता है और हमारे खाने पीने से इतना प्रभाव नही पड़ता है । जबकि यह सरासर गलत सोच है । फिट होने के लिये जिम जाना और व्यायाम करना सिक्के का सिर्फ एक पहलू है, दूसरा पहलू यह भी है कि आपको अपनी डाईट को वयवस्थित करना होगा । इसके लिये आप अपने आस पास सेवा दे रहे किसी डाईटीशियन की मदद ले सकते हैं वो आपकी जरूरत के हिसाब से एक उचित डाईट चार्ट आपको बना देंगे ।

2 :- वजन कम करने और फिटनेस का अन्तर ना मालूम होना :-

अधिकाँश लोग वेट लूज़ करने और फिट रहने में अन्तर को नही समझ पाते हैं वो ये सोचते हैं कि यदि उन्होने अपना वेट लूज कर लिया तो वे फिट हैं । वास्तव में फिटनेस के टिप्स वजन घटाने के टिप्स से अलग होते हैं और लोग वेट लूज़ करने के लिये फिटनेस के टिप्स अपना लेते हैं । उनको लगता है कि फिटनेस के टिप्स अपनाने से उनके पेट और कूल्हों पर जमी अतिरिक्त चर्बी खत्म हो जायेगी । आपने देखा भी होगा कुछ सही वजन के लोग भी पूरी तरह से फिट नही होते हैं । तो अबकि बार आप जब जिम जायें तो अपने ट्रेनर से फिटनेस और वजन कम करने के बारे में विस्तार से बात जरूर करें ।

3 :- वजन कम करने के लिये बहुत कम खाना :-

बहुत से लोग ये सोचते हैं कि कम खाना वेट लूज़ करने का सबसे सरल उपाय है जबकि वेट लूज़ करने के लिये कम खाना सबसे बड़ी गलती है । शरीर की अपनी जरूरतें होती हैं और कम खाने से वो जरूरतें पूरी नही हो पाती हैं । ध्यान रखें कि कम खाना और सन्तुलित खाना दो अलग अलग चीजे हैं । व्यायाम करने वालों के शरीर को अतिरिक्त कैलोरी और पोषण की जरूरत होती है और कम खाने से ये जरूरते पूरी नही हो पाती हैं और शरीर का मेटाबॉलिज़्म असन्तुलित होता है । जो अगली बार जब वजन कम करने का प्रयास करें तो कम खाने और सन्तुलित खाने के अन्तर को समझ कर ही अपने खाने पीने के बारे में फैसला करें ।

4 :- वजन कम करने के लिये अनुरूप व्यायाम ना चुनना :-

अधिकतर लोग वेट लूज़ करने के लिये दूसरो की देखा देखी उनके जैसा ही व्यायाम शुरू कर देते हैं । इस बात को आपको समझना होगा कि हर शरीर की जरूरत अलग अलग होती है और उसके अनुरूप ही अपने व्यायाम का चुनाव करना चाहिये । हर व्यायाम के हिसाब से हर व्यक्ति के शरीर की अलग अलग प्रतिक्रिया हो सकती है । अपने बारे में सही व्यायाम जानने के लिये जरूरी है कि आप प्रोफेशनल फिटनेस एक्स्पर्ट से इस बारे में जरूर सलाह करें । वो आपके शरीर के हिसाब से ये निर्धारित करने में आपकी मदद करेंगे कि आपको वजन कम करने के लिये कौन से व्यायाम जरूरी हैं ।

5 :- वजन कम करने के लिये कार्डियो व्यायाम पर ध्यान ना देना :-

अमूमन एक गलतफहमी यह भी होती है कि केवल ट्रेडमिल पर चलना और दौड़ लगाना ही काफी होता है और वो कार्डियो व्यायाम की तरफ बिल्कुल ध्यान नही देते हैं । हो सकता है कि आप्को सिर्फ 5-7 किलो वजन कम करने की ही जरूरत हो, इस दशा में आप कार्डियो व्यायाम आपके लिये उचित रहता है इससे वेट भी लूज़ होगा, शरीर फिट भी होगा और सुस्ती भी दूर होगी । इस बारे में अपने ट्रेनर से जरूर बात करें कि आपके सामान्य और कार्डियो व्यायाम में क्या अनुपात रहना चाहिये ।

6 :- वजन कम करने के लिये एक ही व्यायाम को लम्बे समय तक करना :-

आपका व्यायाम का शेड्यूल समय समय पर बदलता रहना चाहिये और ऐसा इसलिये कि लम्बे समय तक एक ही व्यायाम करते रहने से शरीर को उसकी आदत हो जाती है और उसी व्यायाम को करने में शरीर पहले से कम कैलोरी खर्च करना शुरू कर देता है । ऐसे में आपको ध्यान रखना चाहिये कि आप अपना व्यायाम का तरीका समय समय पर बदलते रहें ।

7 :- वजन कम करने के लिये शीघ्र परिणाम की उम्मीद रखना :-

जब हम व्यायाम करना शुरू करते हैं तो उम्मीद करते हैं कि तुरन्त ही इसके परिणाम मिलने लगेंगे । ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योकि इसका नाम व्यायाम है और व्यायाम एक अभ्यास होता है जो धीरे धीरे ही साधा जा सकता है । सामान्यतः 2 महीने लगतार व्यायाम करने के बाद ही उनका परिणाम नजर आना शुरु होता है ।

व्यायाम हमारी समझ में पूरी तरह से हानिरहित है फिर भी आपके चिकित्सक के परामर्श के बाद ही शुरुआत करने की हम आपको सलाह देते हैं । ध्यान रखें कि आपका चिकित्सक ही आपके स्वास्थय को सबसे बेहतर समझता है और उसके परामर्श का कोई विकल्प नही होता है ।

वजन कम करने के व्यायाम के दौरान की जाने वाली गलतियों की जानकारी वाला यह लेख आपको अच्छा और लाभकारी लगा हो तो कृपया लाईक और शेयर जरूर कीजियेगा । आपके एक शेयर से किसी जरूरतमंद तक सही जानकारी पहुँच सकती है और हमको भी आपके लिये और अच्छे लेख लिखने की प्रेरणा मिलती है । इस लेख के समबन्ध में आपके कुछ सुझाव हो तो कृपया कमेण्ट करके हमको जरूर बतायें । आपके सुझावों से अपने अगले लेखों को हम आपके लिये और बेहतर बना सकते हैं ।

Saturday, June 17, 2017

रस्सी कूदने की करें शुरुआत, जानिए 20 अविश्वसनीय फायदे

रस्सी कूदने का खेल बचपन में हम सब खेलते ही हैं । बचपन का ये मजेदार खेल बड़े होने पर जिन्दगी से जैसे गायब हो जाता है । शरीर पर मोटापा चढ़ने लगा है या हर समय थकावट महसूस होती है तो आपको फिर से फिट होने के लिये बहुत ज्यादा कुछ करने की जरूरत नही है बस आप दोबारा से रस्सी कूदने का अभ्यास शुरू कर दीजिये । यह सच है कि रस्सी कूदने के व्यायाम से आपको सेहत की दोबारा प्राप्ति होती है साथ ही साथ आप अपने वजन पर भी नियन्त्रण रख सकते हैं !

रस्सी कूदने की कैसे करें शुरुआत :-

अगर आप रस्सी कूदने की शुरुआत कर रहे हैं तो सबसे पहले अपने शरीर की लम्बाई के अनुरूप रस्सी की लम्बाई को एड्जस्ट करें । रस्सी के दोनों सिरों पर लगे हैण्डल को मजबूती से पकड़ कर रस्सी के बीच से कूदें । इस तरह से आप जितनी बार आसानी से रस्सी कूद सकते हैं उतनी ही बार कूदें । रस्सी कूदते हुये जब मुँह से साँस लेना शुरू कर दें तब रस्सी कूदना बन्द कर देना चाहिये । ध्यान रखें कि शुरुआत में ज्यादा समय तक रस्सी ना कूदें अन्यथा हाथ पैरों में दर्द होना शुरू हो सकता है । रस्सी कूदने की सँख्या और समय को रोज धीरे धीरे ही बढ़ायें ।

रस्सी कूदने की क्यों करें शुरुआत :-

रस्सी कूदने का व्यायाम एक बहुत ही अच्छा कार्डियो व्यायाम है । रस्सी कूदना आसान होने के साथ साथ जेब पर भी महँगा नही पड़ता है । रस्सी कूदने से दौड़ने की तुलना में कम समय में आप ज्यादा कैलोरी खर्च कर सकते हैं । रस्सी कूदने के लिये आपको किसी बहुत बड़ी जगह की भी आवश्यक्ता नही होती है और कोई लम्बा समय आपको इसके लिये खर्च नही करना पड़ता है । रस्सी कूदना इतना अच्छा व्यायाम है कि आपके पूरे शरीर पर इसके अच्छे प्रभाव पड़ते हैं । इससे आपके बढ़ते वजन पर भी कण्ट्रोल होता है और माँसपेशियों की टोनिंग भी होती है । अगर आपको हर समय सुस्ती सी छाई रहती है तो तो आप रस्सी कूदने को अपना नियमित व्यायाम बना सकते हैं क्योकि इससे शरीर में खून का प्रवाह बढ़ता है और आप चुस्त महसूस करते हैं । यह शरीर के अंगों में सुडौलता लाता है और आपका शरीर का सन्तुलन भी बेहतर होता है । यह शरीर के सभी अंगों जैसे कि जांघों, पिंडलियों, पेट आदि की माँसपेशियों के साथ साथ हाथों के लिये भी एक बहुत अच्छा व्यायाम है । सबसे अच्छी बात यह है कि इस व्यायाम को सीखने के लिये आपको किसी खास प्रशिक्षण की भी आवश्यक्ता नही होती है ।

रोप स्कीपिंग के 20 अविश्वसनीय फायदे

रोप स्किपिंग, यानी रस्सी कूदने के बारे में आपने सुना तो बहुत होगा कि यह वजन घटाने के लिए बहुत बेहतर व्यायाम है। इसके बाद आपने मन भी बना लिया होगा कि बस कल ही स्किपिंग  रोप खरीद कर लाएंगे और शुरू परसों से शुरू कर देंगे, लेकिन न तो अभी तक रोप आई है और न ही आप शुरुआत कर पाएं हैं। यदि आप भी कुछ इसी तरह से इस महत्वपूर्ण व्यायम को टालते जा रहें हैं, तो शायद आप इस व्यायम के उन आश्चर्यजनक फायदों से अवगत नहीं हैं, जो आपको हो सकते हैं।

दरअसल रस्सी कूदने को हम वजन घटाने के लिए बहुत कारगर मानते हैं, और यह सही भी है, लेकिन रोप स्किपिंग वजन घटाने के साथ-साथ शरीर को और अद्भुत फायदे देती है। दरअसल रोप स्किपिंग इतनी फायदेमंद है कि आपके पूरे शरीर पर एक साथ काम करती है, शरीर पर जमी चर्बी को बहुत तेजी से घटाने में मदद करती है।

रस्सी कूदने के फायदे

  • शरीर की चर्बी और कैलोरी को कम कर शरीर को छरहरा और मजबूत बनाता है। पूरे शरीर पर एक साथ काम करता है और शरीर को सही आकार देती है।
  • मांसपेशियों को टोन करता है।
  • स्टेमिना बूस्ट करता है।
  • हृदय को मजबूत बनाता है, हृदय बेहतर तरीके से कार्य करना शुरू कर देता है। इससे हृदय समेत पूरे शरीर को ताज़ी ऑक्सीजन और रक्त मिलता है, जिससे शरीर रोगों से बचने के साथ-साथ त्वचा में कांति (चमक) आती है।
  • शरीर से पसीना निकलता है, तो शरीर से हानिकारक तत्व भी बाहर निकल जाते हैं। इससे शरीर और चेहरा दमक उठता है।
  • कंधे और भुजाएं मजबूत बनती हैं।
  • शरीर के नीचले हिस्से की अतिरिक्त चर्बी के लिए सबसे बेहतर व्यायाम है।
  • घुटनों और एड़ियों के लिए भी फायदेमंद।
  • मस्तिष्क को दुरुस्त कर तनाव कम करता है|
  • फेंफड़ों को मजबूत बनाती  है।
  • शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता में सुधार आता है।
  • पूरे शरीर का व्यायाम एक साथ हो जाता है।

रस्सी कूदने के समय इन 9 बातों का रखें ध्यान :-

1 :- रस्सी कूदने की शुरुआत करते समय सबसे पहले आपको अच्छी रस्सी के चुनाव का ध्यान रखना चाहिये । अगर रस्सी कमजोर होगी तो कूदते समय वह टूट सकती है और आपको चोट लग सकती है । आजकल बाजार में अच्छी क्वालिटी की रस्सियॉ जो सिर्फ कूदने के लिये ही बनाई जाती है आसानी से उप्लब्ध हो जाती हैं ।
2 :- रस्सी कूदने के समय ये दुविधा सामने आती है कि रस्सी नंगे पैर कूदें या फिर स्पोर्टस शूज़ पहन कर । माना ये जाता है कि रस्सी कूदने के लिये सबसे अच्छी जगह घास का समतल मैदान होता है जिसमें नंगे पैर रस्सी कूदनी चाहिये । यदि आपको अपने आस पास कोई इस तरह की जगह नही मिलती और आप अपने घर की छत आदि पर रस्सी कूदने का व्यायाम करना चाहते हो तो ध्यान रखें कि पक्के फर्श पर जूते पहन कर ही रस्सी कूदनी चाहिये ।
3 :- रस्सी कूदने के लिये यह सच है कि कोई भी रस्सी कूदने की शुरूआत कर सकता है और इसके लिये किसी विशेष प्रशिक्षण की आवश्यक्ता नही होती है लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखें की शुरूआत में ज्यादा समय तक रस्सी ना कूदें । केवल तब तक ही रस्सी कूदने का अभ्यास करें जब तक आप नाक से साँस ले पा रहे हैं । रस्सी कूदते कूदते जब आप मुँह से साँस लेने लगें या आपके दाँत भिंचने लगें तब रस्सी कूदना बंद कर देना चाहिये ।
4 :- बिना आदत के ज्यादा देर तक रस्सी कूदने से हृदय, शरीर के जोड़ों और पैरों की माँसपेशियों को नुक्सान पहुँच सकता है । सिर्फ रस्सी कूदना ही नही किसी भी तरह का व्यायाम शुरुआत में अचानक ज्यादा समय नही करना चाहिये, क्योंकि शरीर को उसकी आदत नही होती है । धीरे धीरे अभ्यास से ही आपका स्टेमिना बढ़ता है ।
5 :- रस्सी कूदने का स्थान समतल होना चाहिये । अगर आप मैदान में नंगे पैर रस्सी कूद रहे हैं तो ध्यान रखें कि कूदने की जगह पर पैरों के नीचे कोई कंकड़, पत्थर का टुकड़ा ना पड़ा हो वो अचानक से पैर में चुभ कर आपको चोटिल कर सकता है ।
6 :- रस्सी कूदने से पहले बंद जगह पर इतना ध्यान जरूर रखें की छत की ऊँचाई पर्याप्त हो जिससे कि ऊपर जाते समय रस्सी छत अथवा पंखे में ना टकराये । यह आपके व्यायाम की गतिशीलता को प्रभावित करेगा ।
7 :- माताओं बहनों को रस्सी कूदने से पहले वक्षों पर अच्छी क्वालिटी के अधोःवस्त्र जरूर पहनने चाहिये क्योंकि रस्सी कूदते समय महिलाओं को शरीर के उस हिस्से पर ज्यादा हरकत होती है और उचित वस्त्र ना होने के कारण माँसपेशियों में दर्द अथवा चोट की समस्या हो सकती है ।
8 :- रस्सी कूदने में बहुत ज्यादा ऊर्जा लगती है अतः रस्सी कूदना शुरु करने से पहले थोड़ा सा वॉर्मअप जरूर करें । वॉर्मअप के लिये थोड़ी स्ट्रेचिंग और एक ही जगह पर खड़े होकर जॉगिंग भी कर सकते हैं ।
9 :- इसके अतिरिक्त आप तेज कदमों से चलने का अभ्यास भी कर सकते हैं । रस्सी कूदते समय अगर पेट खाली हो अथवा ज्यादा भरा हुआ ना हो तो यह बहुत अच्छा रहता है । सुबह को शौच जाने के बाद ही आप रस्सी को कूदें ।
रस्सी कूदने का व्यायाम हमारी समझ में पूरी तरह से हानिरहित है फिर भी आपके चिकित्सक के परामर्श के बाद ही रस्सी कूदने की शुरुआत करने की हम आपको सलाह देते हैं । ध्यान रखें कि आपका चिकित्सक ही आपके स्वास्थय को सबसे बेहतर समझता है और उसके परामर्श का कोई विकल्प नही होता है ।

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ये 5 लक्षण बताते हैं कि आँते कमजोर हैं, कही आपके साथ भी तो कमजोर आँतों की समस्या नही है ?

एक स्वस्थ पेट एक स्वस्थ शरीर और मन को बनाए रखने का रहस्य है!
आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए एक व्यवस्थित कार्यशील पाचन तंत्र आवश्यक है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में बहुत से बैक्टीरिया पाये जाते है, जो कई महत्वपूर्ण कार्यों को करने में सहायता करते है। ये अच्छे बैक्टीरिया शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं, अच्छा महसूस करवाने वाले सेरेरोटोनिन का मस्तिष्क में उत्पादन करते हैं, भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, और शरीर से हानिकारक पदार्थों और विषाक्त पदार्थों को नष्ट करते हैं । किंतु यदि जठरांत्र संबंधी मार्ग में अच्छे जीवाणुओं की तुलना में खराब जीवाणु अधिक हो जाते है, तो समस्यायें पैदा होने लगती हैं । आंत में बैक्टीरिया के असंतुलन से संभावित रूप से अन्य अंगों और शारीरिक प्रणालियों के सुचारू रूप से काम करने पर भी प्रभाव पड़ता है । वास्तव में, आँत में बैक्टिरिया के असंतुलन से हार्मोनल असंतुलन, ऑटोइम्यून बीमारिया, मधुमेह, लगातार बनी रहने वाली थकान, फाइब्रोमायलजिआ, चिंता, अवसाद, एक्जिमा, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं भी पैदा हो जाती है । अधिकांश लोगों को यह भी पता नहीं चलता है कि उनके पेट में जीवाणुओं का असन्तुलन हो रहा है अतः समस्या का उपचार भी नही हो पाता है। अस्वास्थ्य आंत के संकेतों को जानने से आपको इस समस्या को पहचानने और उसका समाधान करने में सहायता मिलेगी ।

1. पाचन समस्या

अफारा, गैस, दस्त या अनियमित शौच पेट में बैक्टीरिया के असंतुलन का एक स्पष्ट संकेत हैं आपके पेट के बैक्टीरिया भोजन को पचाने और तोड़ने के लिए काम करते हैं, यह सामान्य है कि इस प्रक्रिया में गैसों पैदा हो । लेकिन गंभीर गैस, सूजन या फटना असंतुलित पाचन तंत्र के कारण हो सकती है। खराब खाद्य पदार्थों की वजह से अत्यधिक गैस गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में एकत्रित हो सकती हैं, जो बड़े आंत में बैक्टीरिया की वजह से उत्पन्न होती हैं जहां गैस का उत्पादन होता है। कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन खाने के बाद पाचन असुविधाएं विशेष रूप से गंभीर हो सकती हैं एसिड रिफ्लक्स, सूजन, संग्रहणी रोग और बड़ी आँत की सूजन, ये सभी रोग पेट में बैक्टिरिया के असंतुलन से जुड़े हुए होते हैं।

2. विटामिन और खनिज की कमी

पाचन तंत्र की प्राथमिक भूमिका यह है कि आपके द्वारा खाये जाने वाले भोजन को तोड़कर शरीर की सभी कोशिकाओं में पोषक तत्वों की आपूर्ति करें। इन पोषक तत्वों का शरीर के विकास, मरम्मत और ऊर्जा के लिए कोशिकाओं द्वारा उपयोग किया जाता है जब पेट में बैक्टीरिया के असंतुलन के कारण पाचन प्रक्रिया सुचारू नही होती है, तो पोषक तत्वों का शरीर द्वारा अवशोषण कम होता है। समय के साथ, यह पोषण संबंधी बीमारियों को पैदा कर सकता है एक अस्वास्थ्य आंत के कारण आने वाली कमियों में विटामिन डी, के, बी 12 और बी 7 के साथ-साथ मैग्नीशियम के अपर्याप्त स्तर शामिल हैं।
आपका चिकित्सक यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि क्या आप के शरीर में किसी भी पोषक तत्व की कमी है और क्या यह एक अस्वास्थ्य आंत या कुछ अन्य सम्बंधित कारण से हो सकता है।

3. शारीरिक ऊर्जा में कमी

यदि आपको पूरे दिन नींद आती रहती है और ऐसा इसके बावजूद होता है कि आपने रात में पर्याप्त नींद ली है और भोजन भी समुचित पोषक किया है तो यह एक अस्वस्थ पेट का संकेत हो सकता है चयापचय एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए ईंधन के लिए भोजन के रासायनिक रूप से टूटने की आवश्यकता होती है, जो आंतों में जीवाणुओं द्वारा किया जाता है। आंत के जीवाणुओं का असंतुलन आपके शरीर को पोषक तत्वों को अवशोषित करने से रोक सकता है, जिससे आपको हर समय थकान महसूस हो रही है। इसके अलावा, ऐसा होने से टॉक्सिन पदार्थ आँतों से होते हुये पूरे शरीर में पहुँच जाते हैं जिसके कारण ऊर्जा का स्तर प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, अस्वास्थ्य आंत के कारण सूजन बढाने वाले कुछ यौगिकों में वृद्धि हो सकती है जिन्हें साइटोकिन्स कहा जाता है, इनका सीधा सीधा सम्बंध थकान के साथ जुड़ा होता हैं।

4. ऑटोइम्यून (प्रतिरक्षा तंत्र सम्बन्धि) रोगों से संबंधित सूजन

ऑटोम्यूमिन रोगों जैसे रयूमेटोइड आर्थाराइटिस, क्रोहन रोग और ल्यूपस आदि का सम्बंध भी आँतों से जुड़ा हुआ है। आंत में मौजूद अच्छे और खराब बैक्टीरिया में असंतुलन, शरीर की प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया को उत्तेजित कर सकता है जो स्वप्रतिरक्षी बीमारियों वाले लोगों में सूजन पैदा कर सकता है।

5. त्वचा की समस्याएं

मुँहासे, एक्जिमा और परतदार त्वचा (सोराइसिस) जैसे त्वचा के रोग पेट के खराब स्वास्थ्य से संबंधित हो सकते हैं। वास्तव में, विशेषज्ञों ने आंत-मस्तिष्क-त्वचा के आपसी सम्बन्ध को पहचान लिया है जो यह बताता है कि कैसे पेट का स्वास्थ्य पूरे शरीर के अंगों में सूजन को प्रभावित करती है, जिसमें त्वचा भी शामिल है। सूजन त्वचा के कई रोगों में देखने को आती है, विशेषकर मुँहासे और सोराइसिस के रोगों में । यदि आप अचानक मुँहासे, चर्मरोग,सोराइसिस, एक्जिमा आदि रोगों से ग्रसित हो गये हैं तो यह आँत में बैक्टिरिया के असन्तुलन का एक स्पष्ट संकेत हो सकता है ।
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यदि आप इन में किसी एक या अधिक लक्षणों को अपने अन्दर महसूस कर रअहे हैं तो यह आपकी आँतों की सेहत के दुरुस्त ना होने का लक्षण हो सकता है । इस दशा में आपको अपने चिकित्सक से जरूर परामर्श करना चाहिये ।
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जामुन 51 रोगों की रामबाण औषिधि है चाहे मधुमेह, लिवर या कोई सा भी गुप्त रोग हो ये इन सब का काल है


★ जामुन 51 रोगों की रामबाण औषिधि है चाहे मधुमेह, लिवर या कोई सा भी गुप्त रोग हो ये इन सब का काल है ★

जामुन का पेड़ आम के पेड़ की तरह काफी बड़ा लगभग 20 से 25 मीटर ऊंचा होता है और इसके पत्ते 2 से 6 इंच तक लम्बे व 2 से 3 इंच तक चौड़े होते हैं। जामुन के पेड़ की छाल का रंग सफेद भूरा होता है। इसके पत्ते आम और मौलसिरी के पत्तों के जैसे होते हैं। जामुन के फूल अप्रैल के महीने में लगते हैं और जुलाई से अगस्त तक जामुन (फल) पक जाते हैं। इसके कच्चे फल का रंग हरा और पका फल बैगनी, नीला, काला और अन्दर से गाढ़ा गुलाबी होता है। खाने में जामुन का स्वाद कषैला, मीठा व खट्टा होता है। इसमें एक बीज होता है। जामुन छोटी व बड़ी दो प्रकार की मिलती है।

बड़ी जामुन का पेड़ : यह मधुर, गर्म प्रकृति की, फीका और मलस्तम्भक होता है तथा श्वास, सूजन,थकान,अतिसार, कफ और ऊर्ध्वरस को नाश करता है।

जामुन का फल : यह मीठा, खट्टा, मीठा, रुचिकर, शीतल व वायु का नाश करने वाला होता है।

जामुन में पाये जाने वाले कुछ तत्त्व :

तत्त्व                   मात्रा

प्रोटीन            0.7 प्रतिशत।

वसा               0.1 प्रतिशत।

कार्बोहाइड्रेट  19.7 प्रतिशत।

पानी             78.0 प्रतिशत।

विटमिन बी    थोड़ी मात्रा में।

फांलिक         थोड़ी मात्रा में।

कैल्शियम     0.02 प्रतिशत।

फास्फोरस     0.01 प्रतिशत।

लौह      1.00 मि.ग्रा./100 ग्राम।

विटमिन सी      थोड़ी मात्रा में।

वैज्ञानिकों के अनुसार : जामुन में लौह और फास्फोरस काफी मात्रा में होता है। जामुन में कोलीन तथा फोलिक एसिड भी होता है। जामुन के बीच में ग्लुकोसाइड, जम्बोलिन, फेनोलयुक्त पदार्थ, पीलापल लिए सुगन्धित तेल काफी मात्रा में उपलब्ध होता है। जामुन मधुमेह (डायबिटीज), पथरी, लीवर, तिल्ली और खून की गंदगी को दूर करता है। यह मूत्राशय में जमी पथरी को निकालता है। जामुन और उसके बीज पाचक और स्तम्भक होते हैं।

विभिन्न भाषाओं में जामुन के नाम :

हिन्दीजामुन।अंग्रेजीजाम्बुल ट्री।लैटिनयुजेनिया जाम्बोलेना।संस्कृतराजजम्बू।मराठीजाम्भुल।गुजरातीजांबू।बंगालीबड़जाम, कालजाम।

हानिकारक प्रभाव : जामुन का अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस, बुखार, सीने का दर्द, कफवृद्धि व इससे उत्पन्न रोग, वात विकारों के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इसके रस को दूध के साथ सेवन न करें।

विशेष :

1. जामुन को हमेशा खाना खाने के बाद ही खाना चाहिए।

2. जामुन खाने के तुरन्त बाद दूध नहीं खाना चाहिए।

दोषों को दूर करने वाला : कालानमक, कालीमिर्च औरसोंठ का चूर्ण छिड़ककर खाने से उसके सारे दोषों दूर हो जाते हैं। साथ ही आम खाने से वह शीघ्र पच जाता है। www.allayurvedic.org

विभिन्न रोगों में उपयोग :

1. रक्तातिसार:

जामुन के पेड़ की छाल को दूध में पीसकर शहद के साथ पीना चाहिए या जामुन के पत्तों के रस में शहद, घी और दूध मिलाकर लेना चाहिए।जामुन का रस गुलाब के रस में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलायें। इससे जल्द लाभ नज़र आयेगा।

2. गर्मी की फुंसियां: जामुन की गुठली को घिसकर लगाना चाहिए।

3. बिच्छू के दंश पर: जामुन के पत्तों का रस लगाना चाहिए। इससे बिच्छू का दंश ठीक हो जाता है।

4. पित्त पर: 10 मिलीलीटर जामुन के रस में 10 ग्राम गुड़ मिलाकर आग पर तपायें। तपाकर उसके भाप को पीना चाहिए।

5. गर्भवती स्त्री का दस्त: ऐसे समय में जामुन खिलाना चाहिए या जामुन की छाल के काढ़े में धान और जौ का 10-10 ग्राम आटा डालकर चटाना चाहिए।

6. मुंह के रोग:

जामुन, बबूल, बेर और मौलसिरी में से किसी भी पेड़ की छाल का ठण्डा पानी निकालकर कुल्ला करना चाहिए और इसकी दातून से रोज दांतों को साफ करना चाहिए इससे दांत मजबूत होते हैं और मुंह के रोग भी ठीक हो जाते हैं।जामुन की गुठली को 1 ग्राम चूरन के पानी के साथ लेना चाहिए। चार-चार घंटे के बाद यह औषधि लेनी चाहिए। लगभग 3 दिन के बाद इसका असर दिखाई देने लगेगा।

7. वमन (उल्टी): जामुन के पेड़ की छाल को आग में जलाकर उसकी राख को शहद के साथ खिलाने से खट्टी उल्टी आना बंद हो जाती है।

8. विसूचिका (हैजा): हैजा से पीड़ित रोगी को 5 ग्राम जामुन के सिरके में चौगुना पानी डालकर 1-1 घण्टे के अन्तर से देना चाहिए। पेट के दर्द में भी सुबह-शाम इस सिरके का उपयोग करना चाहिए।

9. मुंहासे: जामुन की गुठली घिसकर लगाना चाहिए। इससे मुंहासे नष्ट हो जाते हैं।

10. पसीना ज्यादा आना: जामुन के पत्तों को पानी में उबालकर नहाने से पसीना अधिक आना बंद हो जायेगा।

11. जलना: जामुन की छाल को नारियल के तेल में पीसकर जले हिस्से पर 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है।

12. पैरों के छाले: टाईट, नया जूता पहनने या ज्यादा चलने से पैरों में छाले और घाव बन जाते हैं। ऐसे में जामुन की गुठली पानी में घिसकर 2-3 बार बराबर लगायें। इससे पैरों के छाले मिट जाते हैं।

13. स्वप्नदोष: 4 जामुन की गुठली का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ खाने से स्वप्नदोष ठीक हो जाता है।

14. वीर्य का पतलापन: वीर्य का पतलापन हो, जरा सी उत्तेजना से ही वीर्य निकल जाता हो तो ऐसे में 5 ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण रोज शाम को गर्म दूध से लें। इससे वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है तथा वीर्य भी बढ़ जाता है।

15. पेशाब का बार-बार आना: 15 ग्राम जामुन की गुठली को पीसकर 1-1 ग्राम पानी से सुबह और शाम पानी से लेने से बहुमूत्र (बार-बार पेशाब आना) के रोग में लाभ होता है।

16. नपुंसकता: जामुन की गुठली का चूर्ण रोज गर्म दूध के साथ खाने से नपुंसकता दूर होती है।

17. दांतों का दर्द: जामुन, मौलश्री अथवा कचनार की लकड़ी को जलाकर उसके कोयले को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इसे प्रतिदिन दांतों व मसूढ़ों पर मालिश करने से मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है।

18. बुखार: जामुन को सिरके में भिगोकर सुबह और शाम रोजाना खाने से पित्ती शांत हो जाती है।

19. दांत मजबूत करना: जामुन की छाल को पानी में डालकर उबाल लें तथा छानकर उसके पानी से रोजाना सुबह-शाम कुल्ला करें। इससे दांत मजबूत होते हैं।

20. पायरिया: जामुन के पेड़ की छाल को आग में जलाकर तथा उसमें थोड़ा-सा सेंधानमक व फिटकरी मिलाकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। इससे रोजाना मंजन करने से पायरिया रोग ठीक होता है। www.allayurvedic.org

21. कांच निकलना (गुदाभ्रंश): जामुन, पीपल, बड़ और बहेड़ा 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर 500 ग्राम जल में मिलाकर उबाल लें। रोजाना शौच के बाद मलद्वार को स्वच्छ (साफ) कर बनाये हुए काढ़ा को छानकर मलद्वार को धोएं। इससे गुदाभ्रंश ठीक होता है।

22. मुंह के छाले:

मुंह में घाव, छाले आदि होने पर जामुन की छाल का काढ़ा बनाकर गरारे करने से लाभ होता है।जामुन के पत्ते 50 ग्राम को जल के साथ पीसकर 300 मिलीलीटर जल में मिला लें। फिर इसके पानी को छानकर कुल्ला करें। इससे छाले नष्ट होते हैं।

23. दस्त:

जामुन की गिरी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी बने चूर्ण को छाछ के साथ मिलाकर प्रयोग करने से टट्टी का लगातार आना बंद हो जाता है।जामुन के ताजे रस को बकरी के दूध के साथ इस्तेमाल करने से दस्त में आराम मिलता है।जामुन की गिरी (गुठली) और आम की गुठली को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसे भुनी हुई हरड़ के साथ सेवन करने से दस्त में काफी लाभ मिलता है।जामुन का सिरका 40 ग्राम से लेकर 80 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से अतिसार में लाभ मिलता है।जामुन का शर्बत बनाकर पीने से दस्त का आना समाप्त हो जाता हैं।जामुन के रस में कालानमक और थोड़ी-सी चीनी को मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।जामुन को पीसने के बाद प्राप्त हुए रस को 2 चम्मच की मात्रा में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।जामुन की गुठलियों को पीसकर चूर्ण बनाकर चीनी के साथ मिलाकर सेवन करने से दस्त का आना बंद हो जाता है।जामुन की 4 पत्तियां को पीसकर उसमें सेंधानमक मिलाकर चाटने से लाभ मिलता है।जामुन के 3 पत्तियों को सेंधानमक के साथ पीसकर छोटी-छोटी सी गोलियां बना लें। इसे 1-1 गोली के रूप में रोजाना सुबह सेवन करने से लूज मोशन (दस्त) का आना ठीक हो जाता हैं।जामुन के पेड़ की छाल का काढ़ा शहद के साथ पीने से दस्त और पेचिश दूर हो जाती है।

24. गर्भवती की उल्टी: जामुन और आम की छाल को बराबर की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पीने से पित्त के कारण होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।

25. कान का दर्द: कान में दर्द होने पर जामुन का तेल डालने से लाभ होता है।

26. कान का बहना: जामुन और आम के मुलायम हरे पत्तों के रस में शहद मिलाकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान में से मवाद बहना बंद हो जाता है।

27. कान के कीड़े: जामुन और कैथ के ताजे पत्तों और कपास के ताजे फलों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर निचोड़ कर इसका रस निकाल लें। इस रस में इतना ही शहद मिलाकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना और कान का दर्द ठीक हो जाता है।

28. मूत्ररोग: पकी हुई जामुन खाने से मूत्र की पथरी में लाभ होता है। इसकी गुठली को चूर्णकर दही के साथ खाना भी इस बीमारी में लाभदायक है। इसकी गुठली का चूर्ण 1-2 चम्मच ठण्डे पानी के साथ रोज खाने से पेशाब के धातु आना बंद हो जाता है।

29. बवासीर (अर्श):

जामुन की गुठली और आम की गुठली के भीतर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ पीने से बवसीर ठीक होती है तथा बवासीर में खून का गिरना बंद हो जाता है।जामुन के पेड़ की छाल का रस निकालकर उसके 10 ग्राम रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है तथा खून साफ होता है।जामुन के पेड़ की जड़ की छाल का रस 2 चम्मच और छोटी मधुमक्खी का शहद 2 चम्मच मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर में खून का गिरना रुक जाता है।जामुन की कोमल पत्तियों का 20 ग्राम रस निकालकर उसमें थोड़ा बूरा मिलाकर पीयें। इससे खूनी बवासीर ठीक होती है।

30. खूनी अतिसार:

जामुन के पत्तों के रस का सेवन करने से रक्तातिसार के रोगी को लाभ मिलता है।20 ग्राम जामुन की गुठली को पानी में पीसकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग मिट जाता है।

31. आंव रक्त (पेचिश होने पर): 10 ग्राम जामुन के रस को प्रतिदिन तीन बार सेवन करने से पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।

32. प्रदर रोग:

जामुन की ताजी छाल को छाया में सुखाकर कूट-पीस छान लें। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में दूध या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर में आराम मिलता है।जामुन के पत्ते का रस 10 से 20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर नष्ट होता है। इसके बीजों का चूर्ण मधुमेह में लाभकारी होता है।छाया में सुखाई जामुन की छाल का चूरन 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में ही श्वेतप्रदर का रोग नष्ट हो जाता है।

33. अपच: जामुन का सिरका 1 चम्मच को पानी में मिलाकर पीने से अपच में लाभ होता है।

34. जिगर का रोग:

जामुन के पत्तों का रस (अर्क) निकालकर 5 ग्राम की मात्रा में 4-5 दिन सेवन करने से यकृत वृद्धि मिट जाती है।200-300 ग्राम बढ़िया पके जामुन रोजाना खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर होती है।

35. घाव: जामुन की छाल के काढ़े से घाव को धोना फायदेमंद माना गया है।

36. पथरी:

जामुन की गुठलियों को सुखा लें तथा पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ सुबह-शाम लें। इससे गुर्दे की पथरी ठीक हो जाती है।पका हुआ जामुन खाने से पथरी रोग में आराम होता है। गुठली का चूर्ण दही के साथ खाएं। इससे पथरी नष्ट हो जाती है।रोज जामुन खाने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे खत्म होती है।

37. अम्लपित्त: जामुन के 1 चम्मच रस को थोड़े-से गुड़ के साथ लेने से अम्लपित्त में लाभ मिलता है।

38. यकृत का बढ़ना:

5 ग्राम की मात्रा में जामुन के कोमल पत्तों का रस निकालकर उसको कुछ दिनों तक पीते रहने से यकृत वृद्धि से छुटकारा मिलता है।आधा चम्मच जामुन का सिरका पानी में घोलकर देने से यकृत वृद्धि से आराम मिलता है।

39. प्यास अधिक लगना:

जामुन के पत्तों का रस निकालकर 7 से 14 मिलीलीटर पीने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।जामुन के सूखे पत्तों का काढ़ा बनाकर 14 से 28 मिलीलीटर काढ़े में 5 से 10 ग्राम चीनी मिलाकर दिन में 3 बार पीने से बुखार में प्यास का लगना कम हो जाता है।जामुन का मीठा गूदा खाने से या उसका रस पीने से अधिक आराम मिलता है।

40. बच्चों का मधुमेह रोग: जामुन के मौसम में मधुमेह के रोगी बच्चे को जामुन खिलाने से मधुमेह में लाभ होता है।

41. मधुमेह के रोग:

जामुन की सूखी गुठलियों को 5-6 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ दिन में दो या तीन बार सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।30 ग्राम जामुन की नई कोपलें (पत्तियां) और 5 काली मिर्च, पानी के साथ पीसकर सुबह-शाम पीने से मधुमेह में लाभ होता है।जामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।जामुन की गुठली का चूर्ण और सूखे करेले का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। 3 ग्राम चूर्ण रोजाना सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोग में फायदा होता है।जामुन की भीतरी छाल को जलाकर भस्म (राख) बनाकर रख लें। इसे रोजाना 2 ग्राम पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शर्करा कम होता है।10-10 ग्राम जामुन का रस दिन में तीन बार लेने से मधुमेह मिट जाता है।12 ग्राम जामुन की गुठली और 1 ग्राम अफीम को पानी के साथ मिलाकर 32 गोलियां बना लें। फिर इसे छाया में सुखाकर बोतल में भर लें। 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ खायें। खाने में जौ की रोटी और हरी सब्जी खाएं। चीनी बिल्कुल न खायें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।60 ग्राम जामुन की गुठली की गिरी पीस लें। इसे 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी से सुबह-शाम सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।8-10 जामुन के फलों को 1 कप पानी में उबालें। फिर पानी को ठण्डा करके उसमें जामुन को मथ लें। इस पानी को सुबह-शाम पीयें। यह मूत्र में शूगर को कम करता है।1 चम्मच जामुन का रस और 1 चम्मच पके आम का रस मिलाकर रोजाना सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।जामुन के 4-5 पत्तों को सुबह के समय थोडे़-से सेंधा नमक के साथ चबाकर खाने से कुछ दिनों में ही मधुमेह का रोग मिट जाता है।जामुन के 4 हरे और नर्म पत्ते खूब बारीक कर 60 मिलीलीटर पानी में मिलाकर छान लें। इसे सुबह के समय 10 दिनों तक लगातार पीयें। इसके बाद इसे हर दो महीने बाद 10 दिन तक लें। जामुन के पत्तों का यह रस मूत्र में शक्कर जाने की परेशानी से बचाता है।मधुमेह रोग के शुरुआत में ही जामुन के 4-4 पत्ते सुबह-शाम चबाकर खाने से तीसरे ही दिन मधुमेह में लाभ होगा।60 ग्राम अच्छे पके जामुन को लेकर 300 मिलीलीटर उबले पानी में डाल दें। आधा घंटे बाद मसलकर छान लें। इसके तीन भाग करके एक-एक मात्रा दिन में तीन बार पीने से मधुमेह के रोगी के मूत्र में शर्करा आना बहुत कम हो जाता है, नियमानुसार जामुन के फलों के मौसम में कुछ समय तक सेवन करने से रोगी सही हो जाता है।जामुन की गुठली को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रोजाना सुबह-शाम 3 ग्राम ताजे पानी के साथ लेते रहने से मधुमेह दूर होता है और मूत्र घटता है। इसे करीब 21 दिनों तक लेने से लाभ होगा।जामुन की गुठली और करेले को सुखाकर समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ फंकी लें। इससे मधुमेह मिट जायेगा।125 ग्राम जामुन रोजाना खाने से शुगर नियन्त्रित हो जाता है।

42. पेट में दर्द:

जामुन का रस 10 मिलीलीटर, सिरके का रस 50 मिलीलीटर पानी में घोलकर पीने से पेट की पीड़ा में लाभ होता है।जामुन के रस में सेंधानमक खाने से पेट का दर्द, दस्त लगना, अग्निमान्द्य (भूख का न लगना) आदि बीमारियों में लाभ होता है।पके हुए जामुन के रस में थोड़ा-सी मात्रा में काला नमक मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।जामुन में सेंधानमक मिलाकर खाने से भी पेट की पीड़ा से राहत मिलती है।पेट की बीमारियों में जामुन खाना लाभदायक है। इसमें दस्त बांधने की खास शक्ति है।

43. योनि का संकोचन: जामुन की जड़ की छाल, लोध्र और धाय के फूल को बराबर मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर योनि की मालिश करने से योनि संकुचित हो जाती है।

44. बिस्तर पर पेशाब करना: जामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस 2-2 ग्राम चूर्ण को दिन में 2 बार पानी के साथ खाने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं। www.allayurvedic.org

45. त्वचा के रोग: जामुन के बीजों को पानी में घिसकर लगाने से चेहरे के मुंहासे मिट जाते हैं।

46. पीलिया का रोग: जामुन के रस में जितना सम्भव हो, उतना सेंधानमक डालकर एक मजबूत कार्क की शीशी में भरकर 40 दिन तक रखा रहने दें। इसके बाद आधा चम्मच पियें। इससे पीलिया में लाभ होगा।

47. फोड़े-फुंसियां: जामुन की गुठलियों को पीसकर फुंसियों पर लगाने से ये जल्दी ठीक हो जाती हैं।

48. बच्चों का अतिसार और रक्तातिसार:

आम्रातक, जामुन फल और आम के गूदे के चूर्ण को बराबर मात्रा में शहद के दिन में 3 बार लेना चाहिए।बच्चों का अतिसार (दस्त) में जामुन की छाल का रस 10 से 20 ग्राम सुबह और शाम बकरी के दूध के साथ देने से लाभ होता है।

49. बच्चों की हिचकी: जामुन, तेन्दू के फल और फूल को पीसकर घी और शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों की हिचकी बंद हो जाती है। 

नोट: जहां घी और शहद एक साथ लेने हो, वहां इनको बराबर मात्रा में न लेकर एक की मात्रा कम और एक की ज्यादा होनी चाहिए।

50. गले की आवाज बैठना:

जामुन की गुठलियों को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियां बना लें। रोजाना 4 बार 2-2 गोलियां चूसें। इससे बैठा हुआ गला खुल जाता है। भारी आवाज भी ठीक हो जाती है और ज्यादा दिन तक सेवन करने से बिगड़ी हुई आवाज भी ठीक हो जाती है जो लोग गाना गाते हैं उनके लिये यह बहुत ही उपयोगी है।जामुन की गुठलियों को बिल्कुल बारीक पीसकर शहद के साथ खाने से गला खुल जाता है और आवाज का भारीपन भी दूर होता है।

51. गले की सूजन: जामुन की गुठलियों को सुखाकर बारीक-बारीक पीस लें। फिर इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें। इससे गले की सूजन नष्ट हो जाती है।

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घंटों कुर्सी पर बैठकर काम करने और अस्त-व्यस्त दिनचर्या का हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है लेकिन इसका सबसे अधिक असर हमारे पेट पर दिखाई देता है. आप अपने आस-पास ऐसे कई लोगों को देखते होंगे, जिनके पेट ने बेडौल आकार ले लिया है.जरा सोचिए, अगर ये आपको इतना अजीब लगता है तो बेडौल शरीर वाले उसे शख्स को खुद कितना बुरा लगता होगा. कई बार ये बेडौल पेट लोगों के बीच इंबैरेसमेंट की वजह भी बन जाता है. अगर आपके घर में भी कोई ऐसा शख्स है और आप उसे फिट बनाना चाहती हैं तो इन चीजों को अपनी डाइट में अपनाकर देखिए. एक ओर जहां इन उपायों का कोई नुकसान नहीं है वही घर में उपलब्ध होने के कारण आप आसानी से इन्हें अपना भी सकती हैं.

जूस बनाने के लिये जरूरी सामग्री :-

1 :- खीरे 2

2 :- नीम्बू का रस 10 मिलीलीटर

3 :- पोदीने की ताजी हरी पत्तियॉ 5

4 :- सेंधा नमक 3 ग्राम

5 :- अजवायन चूर्ण 3 ग्राम

6 :- काला जीरा चूर्ण 3 ग्राम

बनाने की विधी :-

जूसर में डालकर 2 खीरे का जूस निकाल लें और साथ ही पोदीने की 5 पत्तियॉ भी डाल लें । जब जूस तैयार हो जाये तो उसमें 3 ग्राम सेंधा नमक मिला दें और अजवायन और काला जीरा को भूनकर उसमें मिला दें । अच्छे से चला दें । बस आपके लिये पेट की चर्बी को कम करने में मदद करने वाला जूस तैयार है ।

सेवन विधी :- 

इस जूस को रोज सुबह खाली पेट पीना है और हल्का व्यायाम करना है । यह जूस रोज पीने सए शरीर का मेटॉबोलिज़्म ठीक करता है ।