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Monday, July 3, 2017

जानिए, क्यों शास्त्रों में वर्जित है बांस की लकड़ी को जलाना

शास्त्रों के अनुसार बांस जलाने से पितृ दोष लगता है।

शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित है. किसी भी हवन अथवा पूजन विधि में बांस को नही जलाते हैं. यहां तक कि चिता में भी बांस की लकड़ी का प्रयोग वर्जित है. अर्थी के लिए बांस की लकड़ी का उपयोग होता है लेकिन उसे भी नही जलाते.

नई दिल्ली: शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित है. किसी भी हवन अथवा पूजन विधि में बांस को नही जलाते हैं. यहां तक कि चिता में भी बांस की लकड़ी का प्रयोग वर्जित है. अर्थी के लिए बांस की लकड़ी का उपयोग होता है लेकिन उसे भी नही जलाते.

शास्त्रों के अनुसार बांस जलाने से पितृ दोष लगता है. क्या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है? बांस में लेड व हेवी मेटल प्रचुर मात्रा में होते हैं. लेड जलने पर लेड आक्साइड बनाता है जो कि एक खतरनाक नीरो टॉक्सिक है. हेवी मेटल भी जलने पर ऑक्साइड्स बनाते हैं, लेकिन जिस बांस की लकड़ी को जलाना शास्त्रों में वर्जित है यहां तक कि चिता मे भी नहीं जला सकते, उस बांस की लकड़ी को हम लोग रोज अगरबत्ती में जलाते हैं. 

अगरबत्ती के जलने से उतपन्न हुई सुगन्ध के प्रसार के लिए फेथलेट नाम के विशिष्ट केमिकल का प्रयोग किया जाता है. यह एक फेथलिक एसिड का ईस्टर होता है. यह भी श्वास के साथ शरीर मे प्रवेश करता है. इस प्रकार अगरबत्ती की तथाकथित सुगन्ध न्यूरोटॉक्सिक व हेप्टोटोक्सिक को भी श्वास के साथ शरीर मे पहुंचाती है. इसकी लेश मात्र उपस्थिति केंसर अथवा मस्तिष्क आघात का कारण बन सकती है. हेप्टो टॉक्सिक की थोड़ी सी मात्रा लीवर को नष्ट करने के लिए पर्याप्त है. शास्त्रों में पूजन विधान में कहीं भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता सब जगह धूप ही लिखा है।

Wednesday, May 17, 2017

जानिए, आपकी जीभ का रंग कैसे खोलता है, आपके स्वास्थ्य के कई अनदेखे राज़ !

वैसे तो हम रोज़ सुबह अपने दांतों को बड़ी मेहनत करके चमकाते हैं, लेकिन दांतों को चमकाते वक्त हम अपनी जीभ पर ध्यान देना भूल ही जाते है. हालांकि कुछ लोग जीभ की सफाई तो करते हैं, लेकिन इसके रंग और बनावट पर कभी ध्यान नहीं देते है. इसलिए आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे कि आपकी जीभ का रंग आपके स्वास्थ्य के बारे में बहुत सी बातें बताता है.

वैसे जीभ के रंग के इलावा जीभ का आकार भी आपके व्यक्तित्व के बारे में कई बातें उजागर करता है . इन बातों को जानने के बाद आप अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को भी आसानी से समझ पाएंगे.

१. एक स्वस्थ व्यक्ति की जीभ का रंग होता है गुलाबी.. गौरतलब है, कि आमतौर पर किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति की जीभ का रंग गुलाबी होता है और उस पर हल्के सफ़ेद रंग की परत भी होती है . ऐसे व्यक्ति की जीभ का आकर भी मध्यम मोटा होता है और इस पर दरारें, अल्सर्स या दाँतों के निशान नहीं बने होते हैं .

 

२.लाल रंग.. अगर आपकी जीभ का रंग लाल है, तो इसका मतलब ये हुआ कि आप में पौषक तत्वों, ख़ास तौर से लौह तत्वों और विटामिन बी की कमी है . दरअसल इन तत्वों की कमी से शरीर में ऊर्जा का स्तर कम होना, कोशिकाओं की वृद्धि में बाधा उत्पन्न होना और नर्वस सिस्टम का सही तरीके से काम न करना जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है .

३. जीभ का रंग फीका हो जाना.. यदि आपकी जीभ पेल या फीके लाल रंग की हो तो इसका मतलब ये है, कि आपके खून में हीमोग्लोबिन की कमी है . गौरतलब है, कि हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन को डिलीवर करने लिए जिम्मेदार होता है और इसकी कमी होने से शरीर में भी कमजोरी बनी रहती है . इसके इलावा जीभ का रंग फीका होना आपकी जीभ पर जीवाणुओं, डेड सेल्स और डेब्रिस का होना भी दर्शाता है .

४.जीभ का रंग पर्पल होना.. जीभ का रंग पर्पल होने का अर्थ ये है, कि आपके शरीर में तरल पदार्थ और खून सही तरीके से सर्क्युलेट नहीं हो पा रहा है. जिस वजह से सुस्ती बनी रहती है और व्यक्ति भावनात्मक रूप से भी कमजोर हो जाता है. वहीं कुछ मामलों में तो बात डिप्रेशन तक भी पहुँच जाती है. इसके इलावा इन लोगों में कोलेस्ट्रॉल भी अधिक मात्रा में होता है और हृदय संबंधी रोग होते हैं . इसलिए उनकी जीभ पर्पल रंग की होती है.


५. जीभ का रंग काला और जीभ का बालदार होना.. वैसे सामान्य तौर पर किसी भी व्यक्ति की जीभ का रंग काला नहीं होता. अगर काला रंग हो भी जाये यह कुछ समय के लिए ही रहता है और यह नुकसानदायक भी नहीं होता. दरअसल जीभ का रंग काला होने के पीछे जीभ पर बैक्टीरिया और अन्य प्रकार की गन्दगी जमने जैसे कारण होते हैं . गौरतलब है, कि पुअर ओरल हाइजीन, तम्बाकू का सेवन, एंटीबायोटिक्स और पेट संबंधी रोगों की दवाइयां लेने से मुंह में ज्यादा मात्रा में बैक्टीरिया पनपने लगते है . जिससे यह समस्या होता है .

६. जीभ का रंग पीला होना.. इसके इलावा पीली जीभ भी बैक्टीरिया की ही निशानी है. आपको बता दे कि जीभ पर बने छोटे छोटे दानों पर डिहाइड्रेशन, मुँह से सांस लेने, स्मोकिंग करने और बुखार होने पर सूजन आ जाती है . इसलिए यह समस्या होती है .

७. जीभ का रंग सफ़ेद होना.. वैसे जीभ का रंग सफ़ेद होने के पीछे मुख्य कारण डिहाइड्रेशन, मुँह के छाले, और ओरल ल्यूकोप्लेकिया होते हैं . दरअसल ओरल ल्यूकोप्लेकिया की स्थिति स्मोकिंग करने और अन्य टंग इर्रिटेन्ट्स की वजह से उत्पन्न होती है .

८. जीभ का रंग ब्राउन होना.. आपको बता दे कि ब्राउन जीभ को मेलेनोमा का संकेत माना जाता है . इसलिए अगर आपको अपनी जीभ पर इस रंग की परत दिखाई दे तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करे .