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Wednesday, May 17, 2017

अलसी मोटापा घटाने में व अन्य औषधीय गुण तथा विभिन्न बीमारियों में उपयोग व फायदे

अक्सर लोग फ्लैक्स सीड्स को कॉलेस्ट्रॉल कम करने के लिए खाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं फ्लैक्स सीड्स यानि अलसी के बीज को वजन कम करने के लिए खाया जा सकता है. चलिए जानते हैं फ्लैक्स सीड्स को खाने से कैसे वजन कम किया जा सकता है.



इस तरह फ्लैक्स सीड्स से घटता है वजन-


फ्लैक्स सीड्स को पीस कर खाया जाता है क्योंकि उन्हें बिना पीसे खाना बहुत मुश्किल होता है. अगर फ्लैक्स सीड्स को पीसा ना जाए तो इन्हें डायजेस्ट भी नहीं किया जा सकता. तो चलिए जानते हैं फ्लैक्स सीड्स से कैसे घटता है वजन.


फाइबर- फ्लैक्स सीड्स में फाइबर बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है. ये लंबे समय तक फाइबर की कमी नहीं होने देता. ये ओवरईटिंग से बचाता है. ऐसे में वजन कम होना स्वाभाविक है.


आमेगा 3 एसिड- फ्लैक्स सीड्स में पाया जाने वाला आमेगा 3 एसिड पेट को शांत करता है और क्रेविंग को खत्म करता है. इतना ही नहीं, इससे बढ़ती भूख शांत होती है. साथ ही ये ब्लड से बैड फैट को एब्जॉर्व करता है.


एंटीऑक्सीडेंट्स- फ्लैक्स सीड्स में लिग्नैन (Lignan) नामक एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है जिसका सीधा सा संबंध वेट लॉस से है. ये बॉडी से फैट बर्न करता है और न्यूट्रिशनल सपोर्ट करता है.


लो कार्ब- फ्लैक्स से लो एनर्जी यूज होती है. ये शुगर और स्टार्च लो होता है. इसमें कम कैलोरी होती है. यहां तक की फ्लैक्स में पाए जाने वाला कार्बोहाइड्रेट फाइबर ही है.


प्रोटीन- फ्लैक्स सीड्स में 20 पर्सेंट प्रोटीन होता है जो कि वजन कम करने में मदद करता है. इसके सेवन से आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती.


फ्लैक्स सीड्स के अन्य फायदे-


  • • कॉलेस्ट्रॉल फ्री फ्लैक्स सीड्स हार्ट के लिए तो अच्छा होता है. इसमें मौजूद फाइबर कंटेट डायजेशन के लिए भी अच्छा होता है और ये कब्ज से भी बचाता है.

  • • फ्लैक्स सीड्स में प्रोटीन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, ओमेगा 3 एल्फा लिनोलेनिक एसिड भी होता है.

  •  • रोजाना फ्लैक्स सीड्स खाने से स्किन अच्छी होती है. ये कैंसर से बचाता है और वजन भी कम करता है.

  • • ये महिलाओं की हेल्थ के लिए बहुत अच्छा है. इसके खाने से महिलाओं के हार्मोंस का बैंलेस बना रहता है.

  • • फ्लैक्स सीड्स मीनोपोज के सिम्ट‍म्स को कम करता है.
  • जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की समस्या है उन्हें भी फ्लैक्स सीड्स खाना चाहिए.

  • • स्ट्रेस और हार्मोंस के इंबैलेंस की वजह से होने वाले हेयर फॉल से निजात मिलती है और बाल हेल्दी रहते हैं.
  • ये हाइपरटेंशन को भी कम करता है.

  • • ये बैड कॉलेस्ट्रॉल को गुड कॉलेस्ट्रॉल में बदल देता है.

Source: abpnews

जटिल समस्या के लिए अचूक औषधि है अलसी 

अलसी असरकारी ऊर्जा, स्फूर्ति व जीवटता प्रदान करता है। अलसी, तीसी, अतसी, कॉमन फ्लेक्स और वानस्पतिक लिनभयूसिटेटिसिमनम नाम से विख्यात तिलहन अलसी के पौधे बागों और खेतों में खरपतवार के रूप में तो उगते ही हैं, इसकी खेती भी की जाती है। इसका पौधा दो से चार फुट तक ऊंचा, जड़ चार से आठ इंच तक लंबी, पत्ते एक से तीन इंच लंबे, फूल नीले रंग के गोल, आधा से एक इंच व्यास के होते हैं। इसके बीज और बीजों का तेल औषधि के रूप में उपयोगी है। अलसी रस में मधुर, पाक में कटु (चरपरी), पित्तनाशक, वीर्यनाशक, वात एवं कफ वर्घक व खांसी मिटाने वाली है। इसके बीज चिकनाई व मृदुता उत्पादक, बलवर्घक, शूल शामक और मूत्रल हैं। इसका तेल विरेचक (दस्तावर) और व्रण पूरक होता है।

अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है। इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है। एंटी फ्लोजेस्टिन नामक इसका प्लास्टर डॉक्टर भी उपयोग में लेते हैं। चरक संहिता में इसे जीवाणु नाशक माना गया है। यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है।

इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है। यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है। अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है। यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है। अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है। उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं।

तनाव के क्षणों में शांत व स्थिर बनाए रखने में सहायक है। कैंसर रोधी हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाता है। अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है।

कुछ शोध से ये बात सामने आई कि इससे दिल की बीमारी, कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इस छोटे से बीच से होने वाले फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है,​​ जिसका इस्तेमाल सदियों से लोग करते आए हैं। इसके रेशे पाचन को सुगम बनाते हैं, इस कारण वजन नियंत्रण करने में अलसी सहायक है। रक्त में शर्करा तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। जोड़ों का कड़ापन कम करता है।

प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रखता है। हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करता है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है। त्वचा को स्वस्थ रखता है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा आदि से बचाता है। बालों व नाखून की वृद्धि कर उन्हें स्वस्थ व चमकदार बनाता है।

 इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियों से राहत प्रदान करता है। मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम कर गर्भाशय को स्वस्थ रखता है। अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है। अलसी का सेवन भोजन के पहले या भोजन के साथ करने से पेट भरने का एहसास होकर भूख कम लगती है। प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रख कब्ज से मुक्ति दिलाता है।

अलसी कैसे काम करती है

अलसी आधुनिक युग में स्त्रियों की यौन-इच्छा, कामोत्तेजना, चरम-आनंद विकार, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की महान औषधि है। स्त्रियों की सभी लैंगिक समस्याओं के सारे उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। (व्हाई वी लव और ऐनाटॉमी ऑफ लव) की महान लेखिका, शोधकर्ता और चिंतक हेलन फिशर भी अलसी को प्रेम, काम-पिपासा और लैंगिक संसर्ग के लिए आवश्यक सभी रसायनों जैसे डोपामीन, नाइट्रिक ऑक्साइड, नोरइपिनेफ्रीन, ऑक्सिटोसिन, सीरोटोनिन, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स का प्रमुख घटक मानती है।


सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे। अलसी आपकी देह को ऊर्जावान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा। अलसी में ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन, लिगनेन, सेलेनियम, जिंक और मेगनीशियम होते हैं जो स्त्री हार्मोन्स, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स (आकर्षण के हार्मोन) के निर्माण के मूलभूत घटक हैं। टेस्टोस्टिरोन आपकी कामेच्छा को चरम स्तर पर रखता है।

अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट और लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे कामोत्तेजना बढ़ती है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करती हैं जिससे मस्तिष्क और जननेन्द्रियों के बीच सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है। नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, दिव्य सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर शिव और उमा की रति-क्रीड़ा का उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है। 

रिसर्च और वैज्ञानिक आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों के रहस्य को जानने और मानने लगे हैं। अलसी के बीज के चमत्कारों का हाल ही में खुलासा हुआ है कि इनमें 27 प्रकार के कैंसररोधी तत्व खोजे जा चुके हैं। अलसी में पाए जाने वाले ये तत्व कैंसररोधी हार्मोन्स को प्रभावी बनाते हैं, विशेषकर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर व महिलाओं में स्तन कैंसर की रोकथाम में अलसी का सेवन कारगर है। दूसरा महत्वपूर्ण खुलासा यह है कि अलसी के बीज सेवन से महिलाओं में सेक्स करने की इच्छा तीव्रतर होती है। यह गनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा के उपचार में उपयोगी है। 

सेवन का तरीका

अलसी को धीमी आँच पर हल्का भून लें। फिर मिक्सर में पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख लें। रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच पावडर पानी के साथ लें। इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह खराब होने लगती है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखें।

अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए। इसमें फायबर अधिक होता है, जो पानी ज्यादा माँगता है।हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये, 30 ग्राम आदर्श मात्रा है।

अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये.

डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें।कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।

अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है।पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है।

अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें। स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा।


अलसी के लाभ

आपका हर्बल चिकित्सक आपकी सारी सेक्स सम्बंधी समस्याएं अलसी खिला कर ही दुरुस्त कर देगा क्योंकि अलसी आधुनिक युग में स्तंभनदोष के साथ साथ शीघ्रस्खलन, दुर्बल कामेच्छा, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की भी महान औषधि है।

सेक्स संबन्धी समस्याओं के अन्य सभी उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। बस 30 ग्राम रोज लेनी है।सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे।

अलसी में ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाने का गुण पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन कैंसर से बचाता है। यह हार्मोन के प्रति संवेदनशील होता है और ब्रेस्ट कैंसर के ड्रग टामॉक्सीफेन पर असर नहीं डालता है।

अलसी आपकी देह को ऊर्जावान, बलवान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा।अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, जिंक और मेगनीशियम आपके शरीर में पर्याप्त टेस्टोस्टिरोन हार्मोन और उत्कृष्ट श्रेणी के फेरोमोन ( आकर्षण के हार्मोन) स्रावित होंगे। टेस्टोस्टिरोन से आपकी कामेच्छा चरम स्तर पर होगी। आपके साथी से आपका प्रेम, अनुराग और परस्पर आकर्षण बढ़ेगा। आपका मनभावन व्यक्तित्व, मादक मुस्कान और शटबंध उदर देख कर आपके साथी की कामाग्नि भी भड़क उठेगी।

अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन एवं लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे शक्तिशाली स्तंभन तो होता ही है साथ ही उत्कृष्ट और गतिशील शुक्राणुओं का निर्माण होता है।

इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करते हैं जिससे सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है। नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

ओमेगा-3 फैट के अलावा सेलेनियम और जिंक प्रोस्टेट के रखरखाव, स्खलन पर नियंत्रण, टेस्टोस्टिरोन और शुक्राणुओं के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक हैं। कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार अलसी लिंग की लंबाई और मोटाई भी बढ़ाती है।अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।पुरूष को कामदेव तो स्त्रियों को रति बनाती है अलसी।

अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है। अर्थात स्त्री-पुरुष की समस्त लैंगिक समस्याओं का एक-सूत्रीय समाधान है।इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, जबर्दस्त अश्वतुल्य स्तंभन होता है, जब तक मन न भरे सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर एक आध्यात्मिक उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है। 

तेल तड़का छोड़ कर, नित घूमन को जाय।

मधुमेह का नाश हो, जो जन अलसी खाय।।

नित भोजन के संग में, मुट्ठी अलसी खाय।

अपच मिटे, भोजन पचे, कब्जियत मिट जाये।।

घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी।

दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी।।

धातुवर्धक, बल-कारक, जो प्रिय पूछो मोय।

अलसी समान त्रिलोक में, और न औषध कोय।।

जो नित अलसी खात है, प्रात पियत है पानी।

कबहुं न मिलिहैं वैद्यराज से, कबहुँ न जाई जवानी।।

अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय।

रक्त धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाय।।

अलसी खाने के फायदे और नुकसान

सेक्स समस्या के लिए अचूक औषधि है अलसी  - अलसी में पाए जाने वाले ये तत्व कैंसररोधी हार्मोन्स को प्रभावी बनाते हैं, विशेषकर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर व महिलाओं में स्तन कैंसर की रोकथाम में अलसी का सेवन कारगर है।

अस्थमा वालों के लिए लाजवाब - सर्दी, खांसी, जुकाम में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। अस्थमा में यह चाय विशेष उपयोगी है। अस्थमा वालों के लिए एक और नुस्खा भी है।अलसी का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है।

इसमें ओमे-3 एसिड पाया जाता है, जो कि दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। एक चम्मच अलसी में 1.8 ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है। इसके प्रयोग से जुड़ें फायदों और नुकसान भी है।कैंसर से बचाव - एक अध्ययन से यह बात साबित हो चुकी है कि अलसी के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाव करता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन हार्माेन के प्रति संवेदनशील होता है।

हृदय से जुड़ी बीमारियां - अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा-3 जलन को कम करता है और हृदय गति को सामान्य रखने में मददगार होता है। ओमेगा-3 युक्त भोजन से धमनियां सख्त नहीं होती है। साथ ही यह व्हाइट ब्लड सेल्स को ब्लड धमनियों की आंतरिक परत पर चिपका देता है।

मधुमेह को नियंत्रित रखता है - अलसी का सेवन मधुमेह के स्तर को नियंत्रित रखता है। अमेरिका में डायबिटीज से ग्रस्त लोगों पर रिसर्च से यह सामने आया है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।

कफ पिघलाने में मददगार - अलसी के बीजों का मिक्सी में तैयार किया गया दरदरा चूर्ण 15 ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री 20 ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए 300 ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। इस रस को तीन घंटे बाद छानकर पिएं। इससे गले व श्वास नली में जमा कफ पिघल कर बाहर निकल जाएगा।

पेट की समस्याएं - अलसी या कोई भी फ्लैक्सीड्स अधिक मात्रा में खाना आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसी तरह अलसी में मौजूद लैक्सेटिव दस्त, सीने में जलन और बदहजमी जैसी पेट की समस्याएं भी बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप प्रतिदिन 30 ग्राम अलसी से ज्यादा सेवन न करें।

घाव भरने में देरी - यदि आप अलसी का सेवन करते हैं और आपको कोई चोट लग जाती है तो अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा -3 खून जमने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। ऐसे में आपके कोई चोट लगने पर खून बहना रुक नहीं नहीं पाता।

गैस की समस्या बढ़ जाती है - अलसी में फाइबर ज्यादा मात्रा में पाये जाने के कारण कई बार यह पेट में गैस या ऐंठन जैसी समस्या होने का भी कारण होती है। कई बार इसे बिना तरल पदार्थ के लेने से कब्ज की भी समस्या हो जाती है।

एलर्जी का कारण - अलसी का अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक प्रतिकूल प्रभाव का कारण भी बन सकता है। इसके कारण पेट दर्द, मितली आना और उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं, अलसी को खाने से सांस लेने में समस्या और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है।

सेक्स संबन्धी समस्याओं के उपचारों में सर्वश्रेष्ठ है अलसी
हर्बल चिकित्सक में सेक्स सम्बंधी सारी समस्याएं अलसी दुरुस्त कर देगा क्योंकि अलसी आधुनिक युग में स्तंभनदोष के साथ साथ शीघ्रस्खलन, दुर्बल कामेच्छा, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की भी महान औषधि है।

सेक्स संबन्धी समस्याओं के अन्य सभी उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। बस 30 ग्राम रोज लेनी है।अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन एवं लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे शक्तिशाली स्तंभन तो होता ही है साथ ही उत्कृष्ट और गतिशील शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करते हैं जिससे सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है।

नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ओमेगा-3 फैट के अलावा सेलेनियम और जिंक प्रोस्टेट के रखरखाव, स्खलन पर नियंत्रण, टेस्टोस्टिरोन और शुक्राणुओं के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक हैं।

कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार अलसी लिंग की लंबाई और मोटाई भी बढ़ाती है।अलसी के सेवन से प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, जबर्दस्त अश्वतुल्य स्तंभन होता है, जब तक मन न भरे सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर एक आध्यात्मिक उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।

अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।महिलाओं में योनि शुष्कता की समस्या आम होती है। यह समस्या साधारणतः रजोनिवृत्ति के समय शुरू होती है। इस समस्या के कारण शारीरिक संबंध स्थापित करने में दर्द होता है या पूर्ण संतुष्टि नहीं मिल पाती है। वैसे तो इसके लिए बाजार में कई तरह के लेपमिल जाते हैं। लेकिन प्राकृतिक उपचार करना ही सबसे सुरक्षित उपाय होता है। अलसी का बीज योनि शुष्कता की समस्या से निजात दिलाने में बहुत मदद करती है।

अलसी का बीज फाइटोएस्ट्रोजेन और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का मूल स्रोत होता है। जिसके कारण यह शरीर में एस्ट्रोजेन के स्तर को बढ़ाने और योनि के शुष्कता को कम करने में बहुत मदद करती है।अलसी के नियमित सेवन से स्त्रियों के स्तनों में वृद्धि होती है। गर्भवती स्त्री के स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए भी इसे खाने की सलाह दी जाती है। साथ ही अलसी के बीज महिलाओं में सेक्स के प्रति दिलचस्प‍ी जाग्रत करते हैं। 

यौनांगों में जलन और योनि संकुचन जैसी बीमारियों के लिए तो इसे अचूक औषधि माना गया है। इसके अलावा मासिक धर्म से संबंधित परेशानियों में भी इसके द्वारा इलाज किया जाता है।

अलसी के लगातार सेवन से चेहरे पर भी कांति आती है।

संक्षेप में हम कह सकते है कि अलसी महिलाओं में सेक्स की इच्छा जगाती है, अलसी सेक्स संबन्धी समस्याओं में सर्वश्रेष्ठ है, अलसी सेक्स संबन्धी समस्याओं के उपचारों में सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है, अलसी शीघ्र पतन को दूर करने सावधिक असरदार है, गुप्त रोगो क़ी चमत्कारी दवा है भी अलसी है, सेक्स संबन्धी समस्याओं के उपचारों अलसी से अंत में अलसी सेक्स की हर समस्या का अंत करने में सहायक है।