आज हर घर में धूपबत्ती और अगरबत्ती का प्रयोग बहुत आम है. जहां हिन्दू घरों में इसका इस्तेमाल पूजा में होता है वहीँ मुस्लिम घरों में इसका इसका घर इस्तेमाल महक के लिए किया जाता है. लोगों का मानना होता है कि इससे घर में पोसिटिव एनर्जी का वास होता है।
हाल ही एक शोध में बताया गया है कि अगरबत्ती का धुआं सिगरेट के धुएं से भी ज्यादा खतरनाक है. अगर आप अपने घर में इसका यूज़ करतें हैं तो थोडा सम्भल जाएं। क्योंकि अगरबत्ती में नुकसान दायक होती हैं इसकी लकड़ी जो कि बांस से बनी होती हैं।
वैज्ञानीक तथ्य:
बांस में लेड व हेवी मेटल प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। लेड जलने पर लेड ऑक्साइड बनाता है जो कि एक खतरनाक नीरो टॉक्सिक है हेवी मेटल भी जलने पर ऑक्साइड्स बनाते हैं। लेकिन जिस बांस की लकड़ी को जलाना शास्त्रों में वर्जित है यहां तक कि चिता मे भी नही जला सकते, उस बांस की लकड़ी को हमलोग रोज़ अगरबत्ती में जलाते हैं। अगरबत्ती के जलने से उतपन्न हुई सुगन्ध के प्रसार के लिए फेथलेट नाम के विशिष्ट केमिकल का प्रयोग किया जाता है। यह एक फेथलिक एसिड का ईस्टर होता है जो कि श्वांस के साथ शरीर में प्रवेश करता है, इस प्रकार अगरबत्ती की तथाकथित सुगन्ध न्यूरोटॉक्सिक एवम हेप्टोटोक्सिक को भी स्वांस के साथ शरीर मे पहुंचाती है।
इसकी लेश मात्र उपस्थिति केन्सर अथवा मष्तिष्क आघात का कारण बन सकती है। हेप्टो टॉक्सिक की थोड़ी सी मात्रा लीवर को नष्ट करने के लिए पर्याप्त है। शास्त्रो में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नही मिलता सब जगह धूप ही लिखा है हर स्थान पर धूप, दीप, नैवेद्य का ही वर्णन है। अगरबत्ती का प्रयोग भारतवर्ष में इस्लाम के आगमन के साथ ही शुरू हुआ है। इस्लाम मे ईश्वर की आराधना जीवंत स्वरूप में नही होती, परंतु हमारे यंहा होती है। मुस्लिम लोग अगरबत्ती मज़ारों में जलाते है, उनके यंहा ईश्वर का मूर्त रूप नही पूजा जाता। हम हमेशा अंधानुकरण ही करते है और अपने धर्म को कम आंकते है। जब कि हमारे धर्म की हर एक बातें वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार मानवमात्र के कल्याण के लिए ही बनी है। अतः कृपया सामर्थ्य अनुसार स्वच्छ धूप का ही उपयोग करें।
दरअसल, इसमें पाए जाने वाले पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन अस्थमा, कैंसर, सरदर्द और खांसी जैसी बीमारियों का कारण बन सकते है. इससे सांस की समस्याओं के साथ कई और समस्याएं हो सकती है. आइए जानते है अगरबत्ती का धुआं किन बीमारियों का कारण बन सकता है.
अस्थमा की समस्या :-
इसमें मौजूद नाइट्रोजन और सल्फर डाईऑक्साइड गैस सेहत के लिए हानिकारक होती है. इससे सांस लेने में तकलीफ के साथ अस्थमा की समस्या भी हो सकती है.
आंखो के लिए हानिकारक :-
धुएं में मौजूद हानिकारक केमिलक आंखों में खुजली, जलन और स्किन एलर्जी का कारण बन सकते है. इसके धुएं के कारण आंखों की रोशनी खराब होने का डर भी रहता है.
फेफड़े के रोग:-
अगरबत्ती के धुएं से निकलने वाली कार्बनमोनो ऑक्साइड शरीर में जाकर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है. इसके वजह से फेफड़ों के रोग के साथ जुकाम और कफ की समस्या भी हो जाती है.
हार्ट अटैक का खतरा :-
इसके धुएं में लगातार सांस लेने से दिल की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती है. लगातार ऐसा होने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
श्वसन कैंसर का खतरा :-
ज्यादा समय तक इसका धुआं शरीर में जाने से श्वसन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. धूम्रपान के साथ-साथ अगरबत्ती का धुआं भी इस कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
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