Wednesday, April 18, 2018

You Will Never Throw Away Watermelon Rinds After Reading This // आप यह पढ़ने के बाद तरबूज के​ छिलकों को कभी नहीं फेंका करेंगे।

According to some scientists, even 95% of the nutritional value of watermelon is contained in the husk.

The watermelon peel is part of this fruit that is high in citrulline, an essential amino acid for the health of your muscles. With the help of citrulline, you can gain muscle mass very quickly and with little effort. In addition to that, libido and fiber present in this part of the fruit will stimulate weight loss.

Studies proved that another benefit of citrulline is reducing of anxiety, making you feel satisfied for longer period of time. This substance possesses diuretic properties and in same time eliminates excess fluid from the body. In addition to that, by ingesting the shell of this fruit you can increase the defenses of your immune system.

Probably many of you are aware of the fact that this part of the watermelon has no taste. Our suggestion is to chop it into small pieces and add it to salads. For example, you can combine it with tuna or turkey breast. You can prepare an infusion with these rinds and take it two times a day.

In fact, the white, hard and tasteless part of the peel of watermelon is even more powerful and beneficial for the health than the watermelon’s own flesh. In today’s article we are going to explain you all the details about it. Once you read how powerful the shell is and how it is beneficial for your health, probably you would never again throw it away.

In certain countries such as South Asia and the United States, people are consuming this part of the watermelon by adding it in various salads, and the reason for that are numerous health benefits it offers.

Well, the watermelon shell offers so many benefits and you should not keep wasting some of the most nutritious part of watermelons.

हिंदी में ( ट्रांसलेटेड​)

कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, तरबूज से मिलने वाले पोषण का 95% इसके छिलके में शामिल है।

तरबूज का छिलका इस फल का हिस्सा है जो कि आपकी मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक अमीनो एसिड है। सीट्रूलाइन की सहायता से, आप मांसपेशियों को बहुत जल्दी और थोड़े प्रयास के साथ हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा, फलों के इस हिस्से में मौजूद कामेच्छा और फाइबर वजन घटाने को प्रोत्साहित करेगा।

अध्ययनों से साबित हुआ कि सीट्रूलाइन का एक अन्य लाभ चिंता का कम हो रहा है, जिससे आप लंबे समय तक संतुष्ट महसूस कर सकते हैं। इस पदार्थ में मूत्रवर्धक गुण होते हैं और एक ही समय में शरीर से अतिरिक्त द्रव समाप्त होता है। इसके अलावा, इस फल के खोलने से आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षा बढ़ा सकते हैं।

शायद आप में से कई इस तथ्य से अवगत हैं कि तरबूज के इस हिस्से में कोई स्वाद नहीं है। हमारा सुझाव है कि इसे छोटे टुकड़ों में काट लें और इसे सलादों में जोड़ें। उदाहरण के लिए, आप इसे चिकन या वैज सलाद के साथ जोड़ सकते हैं आप इन छिलकों के साथ एक Detox Water भी तैयार कर सकते हैं और दिन में दो बार इसे ले सकते हैं।

वास्तव में, तरबूज के छील का सफेद, कठोर और बेस्वाद हिस्सा तरबूज के अपने लाल गूददे की तुलना में अधिक शक्तिशाली और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। आज के लेख में हम आपको इसके बारे में सभी विवरण समझायेंगे। एक बार जब आप पढ़ते हैं कि शैल कितनी शक्तिशाली है और यह आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद क्यों है, शायद आप इसे फिर कभी नहीं फेंकेंगे।

कुछ देशों जैसे दक्षिण एशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में, लोग इसे विभिन्न सलादों में जोड़कर तरबूज के इस हिस्से का उपभोग कर रहे हैं, और इसका कारण यह कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

खैर, तरबूज खोल बहुत लाभ प्रदान करता है और आपको​ तरबूज का सबसे पौष्टिक हिस्सा बर्बाद नहीं करना चाहिए।

Monday, April 9, 2018

बासी प्याज हो सकता हैं जानलेवा...

बासी प्याज का न करें सेवन क्योंकि...

अक्सर महिलाएं अपना समय बचाने के लिए खाने की तैयारी पहले से ही कर लेती है। कुछ तो अगले दिन खाना बनाने के लिए एक दिन पहले ही सब्जिया काट लेती है। यानि एक दिन पहले ही प्याज, टमाटर, लहसुन और अदरक आदि काट कर रख लेती है लेकिन उन्हें शायद यह नहीं पता कि प्याज का अगले दिन इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। जी हां यह बिल्कुल सच है कि कटे हुए प्याज का अगले दिन प्रयोग करना आपके लिए जानलेवा हो सकता है।

एक शोध के दौरान इस बात को सामने लाया गया है कि कटे हुए प्याज का अगले दिन इस्तेमाल आपकी जान भी ले सकता है। दरअसल 10 घंटे से ज्यादा प्याज काट कर रखने से उसमें खतरनाक बैक्टीरिया उत्पन हो जाते है। खाना बनाने पर भी यह बैक्टीरिया नरने की बजाए और भी बढ़ जाते है।

कटा हुआ प्याज बीमारियों के लिए चुबंक की तरह काम करता है। जिससे आपको  पेट की खतरनाक बीमारियां हो जाती है और ऐसे में आपकी जान भी जा सकती है। इस बीमारी का डॉक्टर्स को उस समय पता चला जब एक गांव में फ्लू फैलने के कारण बहुत से लोगों को मौत हो गई। जब उनके खाने की जांच की गई तो पता चला कि ऐसा कटे हुआ प्याज खाने के कारण हुआ है।

इसके अलावा प्याज को काट कर फ्रिज में रखना भी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। प्याज को काट कर बाहर या फ्रिज में रखने से उसमें टॉक्सिक नाम के विषैले पदार्थ उत्पन हो जाते है जोकि आपको धीरे-धीरे बीमार करके जान भी ले सकते है। इसलिए एक दिन पहले प्याज काट कर रखने से पहले जरुर सोच लें कहीं समय बचाने के चक्कर में आपकी जान न चली जाएं।

Thursday, March 29, 2018

क्यों हैरान करता है इंसान का शरीर, वैज्ञानिकों को... अद्भुत है इंसान का शरीर

जबरदस्त फेफड़े
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.


ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.

लाखों किलोमीटर की यात्रा
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.

धड़कन, धड़कन
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.

सारे कैमरे और दूरबीनें फेल
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.

नाक में एंयर कंडीशनर
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.

400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.

जबरदस्त मिश्रण
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.

बेजोड़ झींक
झींकते समय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर झींक मारना नामुमकिन है.

बैक्टीरिया का गोदाम
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं.

ईएनटी की विचित्र दुनिया
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.

दांत संभाल के
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.

मुंह में नमी
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.

झपकती पलकें
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.

नाखून भी कमाल के
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.

तेज रफ्तार दाढ़ी
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.

खाने का अंबार
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.

बाल गिरने से परेशान
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं.

सपनों की दुनिया
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.

नींद का महत्व
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं।

Sunday, February 11, 2018

सावधान !! सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक है अगरबत्ती का धुअां…ये है सबूत

आज हर घर में धूपबत्ती और अगरबत्ती का प्रयोग बहुत आम है. जहां हिन्दू घरों में इसका इस्तेमाल पूजा में होता है वहीँ मुस्लिम घरों में इसका इसका घर इस्तेमाल महक के लिए किया जाता है. लोगों का मानना होता है कि इससे घर में पोसिटिव एनर्जी का वास होता है।

हाल ही एक शोध में बताया गया है कि अगरबत्ती का धुआं सिगरेट के धुएं से भी ज्यादा खतरनाक है. अगर आप अपने घर में इसका यूज़ करतें हैं तो थोडा सम्भल जाएं। क्योंकि अगरबत्ती में नुकसान दायक होती हैं इसकी लकड़ी जो कि बांस से बनी होती हैं।

वैज्ञानीक तथ्य:

बांस में लेड व  हेवी मेटल प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। लेड जलने पर लेड ऑक्साइड बनाता है जो कि एक खतरनाक नीरो टॉक्सिक है हेवी मेटल भी जलने पर ऑक्साइड्स बनाते हैं। लेकिन जिस बांस की लकड़ी को जलाना शास्त्रों में वर्जित है यहां तक कि चिता मे भी नही जला सकते, उस बांस की लकड़ी को हमलोग रोज़ अगरबत्ती में जलाते हैं। अगरबत्ती के जलने से उतपन्न हुई सुगन्ध के प्रसार के लिए फेथलेट नाम के विशिष्ट केमिकल का प्रयोग किया जाता है। यह एक फेथलिक एसिड का ईस्टर होता है जो कि श्वांस के साथ शरीर में प्रवेश करता है, इस प्रकार अगरबत्ती की तथाकथित सुगन्ध न्यूरोटॉक्सिक एवम हेप्टोटोक्सिक को भी स्वांस के साथ शरीर मे पहुंचाती है।

इसकी लेश मात्र उपस्थिति केन्सर अथवा मष्तिष्क आघात का कारण बन सकती है। हेप्टो टॉक्सिक की थोड़ी सी मात्रा लीवर को नष्ट करने के लिए पर्याप्त है। शास्त्रो में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नही मिलता सब जगह धूप ही लिखा है हर स्थान पर धूप, दीप, नैवेद्य का ही वर्णन है। अगरबत्ती का प्रयोग भारतवर्ष में इस्लाम के आगमन के साथ ही शुरू हुआ है। इस्लाम मे ईश्वर की आराधना जीवंत स्वरूप में नही होती, परंतु हमारे यंहा होती है। मुस्लिम लोग अगरबत्ती मज़ारों में जलाते है, उनके यंहा ईश्वर का मूर्त रूप नही पूजा जाता। हम हमेशा अंधानुकरण ही करते है और अपने धर्म को कम आंकते है। जब कि हमारे धर्म की हर एक बातें वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार मानवमात्र के कल्याण के लिए ही बनी है। अतः कृपया सामर्थ्य अनुसार स्वच्छ धूप का ही उपयोग करें।

दरअसल, इसमें पाए जाने वाले पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन अस्थमा, कैंसर, सरदर्द और खांसी जैसी बीमारियों का कारण बन सकते है. इससे सांस की समस्याओं के साथ कई और समस्याएं हो सकती है. आइए जानते है अगरबत्ती का धुआं किन बीमारियों का कारण बन सकता है.

अस्थमा की समस्या :-

इसमें मौजूद नाइट्रोजन और सल्फर डाईऑक्साइड गैस सेहत के लिए हानिकारक होती है. इससे सांस लेने में तकलीफ के साथ अस्थमा की समस्या भी हो सकती है.

आंखो के लिए हानिकारक :-

धुएं में मौजूद हानिकारक केमिलक आंखों में खुजली, जलन और स्किन एलर्जी का कारण बन सकते है. इसके धुएं के कारण आंखों की रोशनी खराब होने का डर भी रहता है.

फेफड़े के रोग:-

अगरबत्ती के धुएं से निकलने वाली कार्बनमोनो ऑक्साइड शरीर में जाकर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है. इसके वजह से फेफड़ों के रोग के साथ जुकाम और कफ की समस्या भी हो जाती है.

हार्ट अटैक का खतरा :-

इसके धुएं में लगातार सांस लेने से दिल की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती है. लगातार ऐसा होने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

श्वसन कैंसर का खतरा :-

ज्यादा समय तक इसका धुआं शरीर में जाने से श्वसन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. धूम्रपान के साथ-साथ अगरबत्ती का धुआं भी इस कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।

Tuesday, November 14, 2017

उंगलियों में तांबे की अंगूठी पहनने से होते हैं ये स्वास्थ्य लाभ !

 तांबा, पीतल, सोना और चांदी जैसे कई धातु हैं जिनका अपना एक अलग महत्व बताया गया है. इन धातुओं में कॉपर यानी तांबा एक ऐसी प्राचीन धातु है जिसका इस्तेमाल कई सालों से होता आ रहा है।

तांबे में पानी के कीटाणुओं को खत्म करने का एक विशेष गुण है इसलिए ताबें के बर्तन में रखे हुए पानी को पीने की सलाह भी दी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तांबे से बनी हर चीज मानव जीवन के लिए उपयोगी और फायदेमंद है.

इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं तांबे से बनी अंगूठी को उंगलियों में धारण करने से होनेवाले फायदों के बारे में.


1 – ब्लड सर्कुलेशन में आता सुधार

उंगलियों में तांबे की अंगूठी धारण करने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है. इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन की कमी से होनेवाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है.

2 – इम्युनिटी होती है मजबूत

कई प्रकार की धातुओं में तांबा एकमात्र ऐसी धातु है जो सबसे प्राचीन मानी जाती है. तांबे की अंगूठी पहनने से रक्त की अशुद्धियां दूर होती है और शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत होता है.

3 – तन और मन को रखता है शांत

तांबे की अंगूठी शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करता है. इसे पहनने से शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है. इसके साथ ही गुस्से पर नियंत्रण होता है. ये अंगूठी तन और मन दोनों को शांत रखने में मदद करता है.

4 – ब्लड प्रेशर को करता है नियंत्रित

तांबे की अंगूठी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है. ये हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. इसके अलावा इस अंगूठी को पहनकर आप शरीर के सूजन को भी कम कर सकते हैं.

5 – पेट की समस्याओं में फायदेमंद

तांबे की अंगूठी पेट से संबंधित सभी समस्याओं में काफी फायदेमंद है. यह पेट दर्द, पाचन में गड़बड़ी और एसिडिटी की समस्याओं में फायदा पहुंचाती है. इसके अलावा अगर आप पेचिश की समस्या से परेशान हैं तो तांबे की अंगूठी इस समस्या में आपकी काफी मदद कर सकती है.

6 – नाखून और त्वचा की समस्या में फायदेमंद

तांबे की अंगूठी को ना सिर्फ स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है बल्कि नाखून और त्वचा से संबंधित समस्याओं के उपचार में भी यह फायदेमंद है.

7 – सूर्य से संबंधित रोगों में कारगर

सूर्य से संबंधित परेशानियों के लिए तांबे को काफी फायदेमंद माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक एक तांबे की अंगूठी पहनकर आप सूर्य से संबंधित सभी रोगों से काफी हद तक निजात पा सकते हैं.

गौरतलब है कि तांबे की अंगूठी के ये सारे स्वास्थ्य लाभ आपको तभी मिलेंगे जब आप ये अंगूठी शुद्ध तांबे की बनी हो. जरा सोचिए अगर एक छोटी सी अंगूठी आपको इतने सारे फायदे पहुंचा सकती है तो फिर आप इसे धारण करने में देरी क्यों कर रहे हैं।

Thursday, November 2, 2017

बदलते मौसम के साथ आती है मौसमी एलर्जी, बचने के लिए अपनाए ये उपाय

एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है।

नई दिल्ली। चाहे गर्मी से सर्दी में बदलता मौसम हो या सर्दी से गर्मी, बदलते मौसम के साथ नाक बहना, आंखों में जलन और छाती जमना आम बात होती है। यह एलर्जी बहुत परेशान करने वाली होती है और अगर तुरंत इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। ऐसे में बचाव के लिए सतर्कता जरूरी है।

एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है। इन कणों के प्रतिरोध की वजह से शरीर में हेस्टामाइन निकलता है जो तेजी से फैल कर एलर्जी के जलन वाले लक्षण पैदा करता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि एलर्जी के लक्षणों में जुकाम, आंखों में जलन, गला खराब होना, बहती या बंद नाक, कमजोरी और बुखार प्रमुख है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह हल्की एलर्जी साइनस संक्रमण, लिम्फ नोड संक्रमण और अस्थमा जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।

इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपको किस चीज से एलर्जी है। तभी आप एलर्जी से बच सकते हैं और होने पर इलाज भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि एलर्जी की पहचान करने के लिए कई किस्म के टेस्ट किए जाते हैं। एलर्जी स्किन टेस्टिंग जांच का सबसे ज्यादा संवेदनशील तरीका है, जिसके परिणाम भी तुरंत आते हैं। जब स्किन टेस्ट से सही परिणाम न मिलें, तब सेरम स्पैस्फिक एलजीई एंटी बॉडी टेस्टिंग जैसे ब्लड टेस्ट भी तब किए जा सकते हैं।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि एलर्जी का सबसे बेहतर इलाज यही है कि जितना हो सके एलर्जी वाली चीजों से बचें। मौसमी एलर्जी बच्चों से लेकर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन 6 से 18 साल के बच्चों को इससे प्रभावित होने की ज्यादा संभावना होती है।

ऐसे करें बचाव :

1. एलर्जी से बचने के लिए फ्लैक्स के बीज से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक फैटी एसिड काफी मददगार साबित होते हैं। रेशा बनाने वाले पदार्थ जैसे कि दूध, दही, प्रोसेस्ड गेहूं और चीनी से परहेज करें। अदरक, लहसुन, शहद और तुलसी एलर्जी से बचाव करते हैं।

2. अगर आपको धूलकणों या धागे के रेशों से एलर्जी है तो अपनी नाक को अंदर से खुश्क न होने दें इससे बचने के लिए सरसों के तेल से चूपड़ के रखें। व हाईपो एलर्जिक बिस्तर खरीदें।

3. आसपास का माहौल धूल और प्रदूषण मुक्त रखें।

4. सीलन भरे कोनों में फफूंद और परागकणों को साफ करें।

5. बंद नाक और साइनस से आराम के लिए स्टीम इनहेलर का प्रयोग करें।

Wednesday, October 25, 2017

आइए जानें, चाय के ऐसे ही 7 प्रकार से जो आपको वजन कम करने में मदद करेंगे...

चाय पीना अगर आपकी आदत में शामिल है तो क्यों इसे हेल्दी हैबिट बना लिया जाए. वजन बढ़ने की समस्या से हर तीसरा इंसान परेशान है और ऐसा हमारी बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण होता है. चाय की कुछ वैराइटी ऐसी होती हैं जिन्हें पीने से आपका वजन नियंत्रित रहता है और इन्हें आसानी से घर में बनाया जा सकता है।

1. दालचीनी की चाय 
वजन कम करने के लिए बहुत से लोग ग्रीन टी पर भरोसा करते हैं. इसे शहद और दालचीनी के साथ मिलकार पीने से इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं. आप हर रोज इसे खाली पेट ले सकते हैं।

2. अजवाइन की चाय 
अजवाइन में राइबोफ्लेविन नामक तत्व होते हैं जो फैट बर्न करने में मदद करते हैं. गर्म पानी में अजवाइन, सौंफ, इलायची और अदरक डालकर पांच मिनट तक उबाल लें और फिर इस चाय को पिएं. नतीजे आपको जल्द ही नजर आने लगेंगे।

3. जिंजर टी 
अदरक का चाय में इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद होता है. अदरक का पूरा फायदा लेने के लिए सबसे सबसे अदरक के एक इंच के टुकड़े को छिलकर काट लें. इन टुकड़ों को गैस पर उबल रहे पानी में डालकर ढक दें. 10 मिनट तक इस पानी को उबलने दें. फिर इसे छन्नी की मदद से छान लें और कुछ बूंद नींबू का रस मिला लें. मीठे के लिए बेहतर रहेगा कि आप शहद का इस्तेमाल करें।

4. लेमन टी 
लेमन टी ज्यदातर लोगों को पसंद होती है. वजन कम करने के लिए यह चाय काफी लाभदायक है. लेमन टी में आप शुगर की जगह शहद का इस्तेमाल करेंगे तो इसके फायदे और भी बढ़ जाएंगे।

5. ग्रीन टी 
ग्रीन टी पीना, कॉफी पीने की तुलना में कहीं अधिक फायदेमंद होता है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो हमारे शरीर को डिटॉक्स करके वजन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।

6. ब्लैक टी 
ब्लैक टी एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है. जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करती है. इसी वजह से यह शरीर में एक्स्ट्रा फैट को बर्न करके वजन को नियंत्रित करने का काम करती है।

7. काली मिर्च की चाय 
काली मिर्च में मौजूद पाइपेरिन फैट बर्न करने में मदद करता है. कालीमिर्च और अदरक को गर्म पानी में पांच मिनट तक उबाल लें और फिर इसे  छान लें. अब इसमें शहद या नींबू का रस मिलाकर इसे पीना वजन घटाने में मदद करता है।