ॐ मंत्र से तो हम सभी परिचित हैं, लेकिन क्या इसके लाभ भी जानते हैं? मुझे इस लेख को प्रारम्भ करने की अनुमति दीजिए। यह अकेला ऐसा मंत्र है जिसका उच्चारण एक मूक भी कर सकता है। सचमुच ये हैरान कर देने वाली बात है। आप इसे अपनी जीभ हिलाये बिना ॐ का उच्चारण करने का प्रयास करिए। ॐ के तीन तत्व अ, उ और म हैं, जिन्हें वेद से लिया गया है। यह तीन वर्ण परम ब्रह्म को दर्शाते हैं।
यदि आप ध्वनि की प्रकृति पर ध्यान दें तो आपको पता चलेगा कि यह तभी उत्पन्न होती है जब कोई दो वस्तुएँ आपस में टकराती हैं। उदाहरण के लिए – धनुष और प्रत्यंचा, ढोलक और हाथ, दो मुख ग्रंथियाँ, तट से समुद्र की लहर, पत्तियों से हवा, सड़क पर गाड़ी के पहिए इत्यादि। संक्षेप में कहा जाए तो हमारे आप पास की सभी ध्वनियाँ दृश्य और अदृश्य वस्तुओं द्वारा उत्पन्न की जाती हैं, उनके आपस में लड़ने या एक साथ कम्पन करने से वायु के कणों की तरंगें उत्पन्न जिनसे ध्वनि का जन्म होता है।
ॐ का रहस्य
परन्तु ॐ मंत्र की ध्वनि इससे अलग है, यह स्वयं उत्पन्न होती है। ॐ मंत्र की ध्वनि ही पहली ध्वनि है और इसी में सभी ध्वनियाँ निहित हैं।
ॐ मंत्र के उच्चारण से चिकित्सीय, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं। भले ही आप ॐ मंत्र का अर्थ नहीं जानते हैं या आपकी शब्द में आस्था नहीं है लेकिन तब भी आप इसके लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
ॐ के उच्चारण से जो ध्वनि उत्पन्न होती है, वही इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति के समय प्रथम ध्वनि थी। ॐ की ध्वनि को प्रणव भी कहते हैं, क्योंकि यह जीवन और श्वास की गति को बनाए रखती है।
विज्ञान ने भी ॐ के उच्चारण और उसके लाभ को प्रमाणित किया है। यह धीमी, सामान्य और पूरी साँस छोड़ने में सहायता करती है। यह हमारे श्वसन तंत्र को विश्राम देता है और नियंत्रित करता है। साथ ही यह हमारे मन-मस्तिष्क को शांत करने में भी लाभप्रद है।
ॐ मंत्र के उच्चारण के लाभ
ॐ का ओ; अ और उ से मिलकर बनता है। यह ध्वनि वक्ष पिंजर _ Thoracic Cage को कंपित करती है, जो हमारे फेफड़े में भरी हवा के साथ सम्पर्क में आता है जिससे ऐलवीलस की मेम्ब्रेन की कंपन करने लगती है। यह प्रक्रिया फेफड़े की कोशिकाओं _ Pulmonary Cells को उत्तेजित करती है, जिससे फेफड़े में श्वास उचित मात्रा में आती जाती रहती है। नई रिसर्च से यह भी सामने आया है कि यह कंपन अंत: स्रावी ग्रंथियों _ Endocrine Glands को प्रभावित करता है, जिससे चिकित्सा में इसका अद्भुत महत्व है। अउ की ध्वनि से विशेषकर पेट के अंगों और वक्ष पिंजर को आंतरिक मसाज _ Internal Massage मिलता है, जबकि म के कंपन से हमारे कपाल की नसों में कंपन होता है।
ॐ मंत्र के चिकित्सीय लाभ
ॐ हमारे जीवन को स्वस्थ बनाने का सबसे उत्तम मार्ग है।
1. नियमित ॐ का मनन करने से पूरे शरीर को विश्राम मिलता है और हार्मोन तंत्र नियंत्रित होता है
2. ॐ के अतिरिक्त चिंता और क्रोध पर नियंत्रण पाने का इससे सरल मार्ग दूसरा नहीं है
3. ॐ का उच्चारण प्रदूषित वातावरण में यह पूरे शरीर को विष मुक्त करता है
4. ॐ का मनन हृदय और रक्त संचार प्रणाली को सुदृढ़ करता है
5. ॐ के उच्चारण से यौवन और चेहरे पर कांति आती है
6. ॐ के जप से पाचन तंत्र सुदृढ़ होता है
7. थकान के बाद ॐ का मनन आपको नई ऊर्जा से भर देता है
8. अनिद्रा रोग से छुटकारा पाने में ॐ का बहुत महत्व है। सोते समय इसका नियमित मनन करें।
9. थोड़े से प्रयास में ॐ की शक्ति आपके फेफड़ों और श्वसन तंत्र को सुदृढ़ बनाना है।
ॐ मंत्र के मनोवैज्ञानिक चिकित्सा में लाभ
1. ॐ की शक्ति आपको दुनिया का सामना करने की शक्ति देती है।
2. ॐ का नियमित मनन करने से आप क्रोध और हताशा से बचे रहते हैं।
3. ॐ की गूंज आपको स्वयं को नियंत्रित करने में सक्षम बनाती है। आप स्वयं में नया उत्साह महसूस करते हैं।
4. ॐ की ध्वनि से आपके पारस्परिक सम्बंध सुधरते हैं। आपके व्यक्तित्व में आने वाला बदलाव लोगों को आकर्षित करता है और लोग आपसे ईष्या करना छोड़ देते हैं।
5. आप अपने जीवन के उद्देश्य और उसकी प्राप्ति की ओर अग्रसर होते हैं और आपके चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है।
6. नई उमंग और स्फूर्ति आती है। आप में सजगता और सर्तकता बढ़ती है।
ॐ मंत्र के मनन के अन्य लाभ
1. ॐ मंत्र आपको सांसरिकता से अलगकर करके आपको स्वयं से जोड़ता है।
2. अवसाद के समय ॐ मंत्र का जाप करने से आपको मन की शांति मिलती है और शक्ति संचार होता है। इससे आप शुद्ध हो जाते हैं, साथ साथ आपमें सर्वव्यापी प्रकाश और चेतना का संचार होता है।
3. जो लोग ॐ का उच्चारण करते हैं उनकी वाणी मधुर होती है। आप टहलते हुए भी ॐ मंत्र का जाप कर सकते हैं। आप ॐ मंत्र को गा और गुनागुना भी सकते हैं।
4. ॐ मंत्र गुनगुनाने से आप मन शांत और एकाग्र रहता है, जो आध्यत्मिक रूप से आपको स्वयं से जोड़ता है।
5. जो लोग प्रतिदिन ॐ मंत्र का मेडिटेशन करते हैं, उनके चेहरे और आंखों में अनोखी चमक होती है।
ॐ मंत्र का जाप श्वास छोड़ते समय किया जाता है, जिससे यह धीमी, सामान्य और सम्पूर्ण होती है। अउ ध्वनि का प्रसार मृत वायु को कम स्थान देता है, और धीमे सांस लेने के कई लाभ होते है, जिन्हें आप योगियों से जान सकते हैं।
जानिए ओम (ॐ) शब्द के शारीरिक लाभ
ओ३म् ॐ शब्द का अर्थ
इलाज से पहले दवा के बारे में जानना जरूरी है। दरअसल ॐ शब्द, अ, उ और म अक्षर से मिलकर बना है। जिनमें “अ” का अर्थ है उत्पन्न होना, “उ” का तात्पर्य है उठना तथा उड़ना अर्थात् विकास एवं “म” का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् “ब्रह्मलीन” हो जाना। इसका असर भी मानसिक स्तर पर आप महसूस कर सकतें हैं।
ॐ और थायरॉयड
ॐ का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो कि थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
ॐ और घबराहट
अगर आपको घबराहट महसूस होती है तो आप आंखें बंद करके 5 बार गहरी सांसे लेते हुए ॐ का उच्चारण करें। ओम का उच्चारण आपके मन और आत्मा को बिल्कुल शांत कर देता है, जिससे घबराहट अपने आप ही चली जाती है।
ॐ और तनाव
मानसिक रोगों के लिए तो ओम का उच्चारण करना कमाल का असर करता है। कुछ समय तक लगातार ओम का उच्चारण करने पर आप पाएंगे कि आपका तनाव बिलकुल ख़त्म हो चुका है।
ॐ और खून का प्रवाह
ओम का उच्चारण करना आपके रक्त संचार को सही करता है एवं संतुलन बनाए रखता है। इस तरह से आपको उच्च व निम्न रक्तचाप संबंधी समस्याएं नहीं होती। ॐ का उच्चारण हार्ट को चुस्त-दुरूस्त रखता है और खून का प्रवाह अच्छा करता है।
ॐ और पाचन
ॐ शब्द के उच्चारण से पाचन शक्ति बढ़िया होती है। ओम की शक्ति केवल मानसिक रोगों को ठीक करने तक ही सीमित नहीं है। यह आंतरिक परेशानियों खास तौर से पाचन क्रिया पर सकारात्मक असर डालता है, और पाचन तंत्र को सुचारु बनाए रखता है।
ॐ और स्फूर्ति
ॐ शब्द शरीर में युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार करता है। जी हां आलस्य को दूर कर ओम का उच्चारण मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से आपको ताजगी देता है और स्फूर्ति का संचार करता है। इस तरह से आप चुस्त-दुरुस्त भी रह सकते हैं।
ॐ और थकान
थकान को मिटाने के लिए इससे अच्छा उपाय कोई नहीं। अगर आप किसी भी प्रकार के काम से थकान महसूस कर रहे हैं, तो आपके लिए ओम का उच्चारण दवा का काम करेगा। बस कुछ देर आंखें बंद करके किजिए ओम का उच्चारण और आप महसूस करेंगे थकान से आजादी।
ॐ और नींद
अगर आपको नींद नहीं आने की समस्या से परेशान हैं तो ओम का उच्चारण शुरू कीजिए इससे कुछ समय में ही दूर हो जाती है। इसलिए बेड पर जाते ही इंसान को ॐ का उच्चारण करना चाहिए।
ॐ और फेफड़े
ॐ के उच्चारण से फेफड़े दुरूस्त होते हैं। प्रतिदिन ओम का उच्चारण करना उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो सांस संबंधी तकलीफों से परेशान होते हैं। इससे आपके फेफड़े स्वस्थ व मजबूत होंगे और आप भी।
ॐ और रीढ़ की हड्डी
ॐ ओम का उच्चारण करने से उत्पन्न कंपन शरीर के आंतरिक अंगों को स्वस्थ रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह रीढ़ की हड्डी को भी मजबूत बनाता है, और तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए सहायक होता है|
ॐ और नयी सेल
अनेक बार ओ३म् का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनावरहित हो जाता है|कुछ ही महीनो में पुरे शरीर में चमत्कारिक बदलाव होने लगते है हर पेशी /सेल नयी तरीके से जाग उठते है|
ॐ और साहस
जीवन जीने की शक्ति और दुनिया की चुनौतियों का सामना करने का अपूर्व साहस मिलता है
आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ शब्द का उच्चारण जरुर करेंगे। साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फिक्र है|
ॐ मंत्र का जाप
इसलिए आज से ही ॐ मंत्र का जाप प्रारम्भ करके इसके लाभ प्राप्त करिए।
आरम्भ करने के लिए इन टिप्स को फ़ॉलो करें –
1. शांत स्थान पर आरामदायक स्थिति में बैठिए।
2. आंखें बंद करके शरीर और नसों में ढीला छोड़िए।
3. कुछ लम्बी सांसें लीजिए।
4. ॐ मंत्र का जाप करिए और इसके कंपन महसूस कीजिए।
5. आराम महसूस होने तक ॐ मंत्र का जाप करते रहिए।
6. चित्त के पूरी तरह शांत होने पर अपनी आंखें खोलिए।
ॐ मंत्र का जाप वह सीढ़ी है जो आपको समाधि और आध्यात्मिक ऊँचाइयों पर ले जाती है।