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Wednesday, May 24, 2017

हेल्‍थ टिप्‍स: कपूर के इस्‍तेमाल से कुछ इस तरह करें बीमारियों का इलाज

कपूर का इस्तेमाल आमतौर पर हर घर में पूजा-पाठ के लिए होता है. मगर हम आपको बता दें कि कपूर सौंदर्य समस्याओं को दूर करने के लिए भी काफी कारगर उपाय माना जाता है!

कपूर का इस्तेमाल आमतौर पर हर घर में पूजा-पाठ के लिए होता है. मगर हम आपको बता दें कि कपूर सौंदर्य समस्याओं को दूर करने के लिए भी काफी कारगर उपाय माना जाता है. स्किन के साथ-साथ हम आपको ऐसी कई समस्याओं के बारे में बता रहे हैं है जिनमें कपूर का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है-

 जलने पर- अगर आग से कोई हिस्सा जल गया है तो कपूर बेहद फायदेमंद साबित होता है. कपूर के तेल को आग से जली हुई जगह पर लगाने से जलन से राहत मिलती है.

खुजली के लिए - गर्मियों के मौसम में खुजली की समस्या ज्यादा होती है. अगर खुजली हो रही हो तो अपनी स्किन पर कपूर को घिसें. इससे खुजली बहुत हद तक खत्म हो जाएगी.

पेट का दर्द : पेट दर्द होने पर कपूर बहुत फायदेमंद होता है. आप अजवायनए, पुदिना और कपूर को मिलाकर इसका शर्बत बनाएं और इसका सेवन करें पेट के दर्द में आराम मिलेगा.

टेंशन और सिर दर्द -  अगर बेवजह के तनाव से दिमाग में परेशानी हो रही हो तो अपने सिर में कपूर के तेल की मालिश करें. कपूर के तेल की मालिश से तनाव धीरे-धीरे खत्म होने लगता है. साथ ही सिर का दर्द भी दूर होता है.

जुकाम- सर्दी जुकाम में आपको कपूर को सूंघने से राहत मिलेगी.

 गठिया - जो लोग गठिया के दर्द से परेशान हैं वो कपूर के तेल से गठिया वाली जगह पर मालिश करें. इससे तुरंत आराम मिलता है.

बालों का झड़ना-  अगर बाल लगातार झड़ रहें हो तो नरियल के तेल में कपूर के तेल को मिलाकर इसको बालों पर लगाएं. कुछ ही दिनों में आपके बाल झड़ना रूक जाएगें.

क्या है कपूर: कपूर के वृक्ष भारत में देहरादून, कर्नाटक, सहारनपुर, मैसूर और नीलगिरी के पर्वत श्रंखलाओ में पाए जाते है | इसके आलावा ये चीन, सुमात्रा और जापान में बहुतायत से पाए जाते है | कपूर चीन और जापान का ही मुख्य वृक्ष है, लेकिन इसके उत्पादन एक लिए इसे बाद में अन्य देशो में भी उगाया जाने लगा | कपूर के वृक्ष 60 से 70 फीट ऊँचे एवं घने होते है | इनके पते चिकने , मुलायम , अंडाकार, हरे रंग के लेकिन हल्का पीलापन लिए रहते है | कपूर के फुल सफ़ेद गुच्छो में लगते है जिन पर बाद में मटर के आकार के फल लगते है | कपूर की प्राप्ति भी इन्ही के निर्यास से की जाती है अर्थात disttilation ( काष्ठ आसवन) की विधि से कपूर को तैयार किया जाता है | यह गौंद की तरह होता है इसका रंग सफ़ेद तथा पारदरशी होता है | कपूर में एक तरह का उड़नशील तेल मिलता है | आयुर्वेद में इसी कपूर का इस्तेमाल औषध निर्माण में किया जाता है |