हमारे शरीर में नींद आना, भूख, प्यास, छींक, मल निष्कासन, मूत्र निष्काषन, पादना, खांसी, हंसना, रोना, हिचकी आना, डकार आना, जम्हाई लेना इत्यादि 14 प्रकार के वेग हैं | यदि इन वेगो को रोका गया तो अनेक प्रकार की बीमारियां भी पैदा हो जाती हैं |हमारी समझ में यह डाल दिया गया है शायद पाश्चात्य संस्कृति द्वारा की जोर से इन वेगो को निकालना जंगलीपन या असभ्यता की निशानी है | इसलिए आजकल के विशेषकर लड़कियां/स्त्री वर्ग व कुछ आधुनिक कहलाने वाले युवक, कर्मचारी वर्ग छींकते, खांसते समय कम से कम आवाज में व मुख पर रुमाल रख कर ही छींकते हैं | इस प्रकार के वेग शरीर की किसी नाड़ी तंत्र को दुरुस्त करने के लिए है और ये लोग उसके लाभ को 75% नष्ट कर देते हैं |
वेग रोकने का सबसे भयंकर परिणाम निम्न है-
यदि हम मूत्र निष्कासन में देरी करें और पानी कम पीएँ तो हमें गुर्दे की या मूत्राशय की पथरी जैसे रोग हो सकते हैं | इसका वैज्ञानिक कारण इस प्रकार है मूत्राशय में पड़े हुए मूत्र में से पानी भाप बनकर उड़ता रहता है पानी का वाष्पीकरण तो जीरो डिग्री सेल्सियस पर भी होता है जबकि शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहता है | जैसे-जैसे मूत्राशय का पानी उड़ता जाता है वैसे-वैसे मूत्र में मिनरल/ सॉल्ट की सांद्रता बढ़ती जाती है | विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार जब मूत्र में स्थित घुले हुए सॉल्ट की मात्रा एक सीमा के बाहर हो जाए तो यह सॉल्ट स्फीटिक अथवा स्टोन में बदल जाते हैं अर्थात ठोस पदार्थ में बदल जाते हैं |
विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार गुर्दे या मूत्राशय की पथरी में मात्रा से अधिक माँसाहार, हैवी प्रोटींस, सॉल्ट और मिनरल्स के प्रयोग का भी बड़ा योगदान रहता है | यदि मूत्र को रोकने का चक्कर ज्यादा दिन तक चलाया तो गुर्दे या मूत्राशय से संबंधित कैंसर तक हो जाएंगे |
यही हाल मल रोकने का है, यदि कोई व्यक्ति मलत्याग के वेग को रोकता है तो उस पड़े हुए मल से पानी भाप बनकर उड़ता चला जाएगा | शरीर के अन्य भागों की अपेक्षा गुदा का तापमान थोड़ा ज्यादा रहता है इससे पानी और ज्यादा मात्रा में भाप बन कर उड़ता जाता है व परिणाम स्वरुप मल कठोर होता चला जाता है |
जैसे-जैसे मल कठोर होता चला जाएगा वैसे-वैसे उसको शरीर के बाहर निकालना कठिन होता जाएगा व वैसे-वैसे कब्ज का रोग असाध्य होता जाएगा | यह चक्कर यदि ज्यादा दिन चलाया तो मलाशय का कैंसर होना अवश्य भावी है |
एक वेग ओर है जिसके रोकने से बहुत ही भयानक परिणाम होते हैं, वह है नींद- यदि कोई व्यक्ति सदा कम नींद ले तो वह थोड़े ही दिनों में पहले तो बेचैन हो जाएगा फिर अधिक चिड़चिड़ा हो जाएगा, क्रोध बढ़ जाएगा और यहां तक कि उत्पात करने की प्रवृत्ति वाला हो जाएगा |
इसका बढ़िया उदाहरण राजीव दीक्षित भाई ने दिया है कि उम्र के 14 वर्ष तक व्यक्ति कफ प्रकृति के अधीन रहता है इन दिनों में भरपूर नींद व भोजन की आवश्यकता रहती है, अमेरिका के 10% बच्चे जिन्हे स्कूल, कॉलेज में होना चाहिए था वह जेल में कोई अपराध करने के कारण पाए जाते हैं | सर्वेक्षण से यह ज्ञात हुआ कि वह बच्चे कंप्यूटर पर चिपके रहने के कारण बहुत ही कम नींद ले पाते थे व साथ में फास्ट फूड व कोल्ड ड्रिंक का सेवन करते थे जिसके फलस्वरुप वह अपराधी प्रवृत्ति के हो गए |
इसी प्रकार हर वेग को रोकने के भयानक परिणाम होते हैं वह परिणाम स्वरुप दीर्घकालीन कई असाध्य बीमारियां पैदा होती हैं |