आयुर्वेद में मालिश को अभ्यंग कहा जाता है | आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में प्राचीन समय से ही अभ्यंग का इस्तेमाल किया जाता रहा है | सामान्य शब्दों में कहे तो मालिश एक प्राकृतिक भेंट है जो मनुष्य , जानवर और वनस्पतियों सभी के लिए फायदेमंद होती है | मालिश को आप प्रकृति में विभिन्न रूपों में देख सकते है , जैसे वनस्पतियों में हवा के स्पर्श से पेड़ - पौधे, पते, पुष्प आदि की मालिश की जाती है तो जानवरों में जैसे गाय आदि अपने नवजात बछड़े की मालिश अपनी जीभ द्वारा चाट कर करते है | उसी प्रकार माताएं अपने नवजात को सहलाना , सिर पर हाथ फेरना , मलना आदि जो क्रियाएँ करती है वो सभी मालिश में ही मानी जा सकती है |
वैसे तो शरीर पर तेल आदि औषध स्नेह लगाकर रगड़ लेना भी एक प्रकार की मालिश ही है लेकिन वास्तव में मालिश का भी एक वैज्ञानिक प्रारूप होता है जिसके अनुसार अगर आप मालिश करवाते है तो बहुत से रोगों में आपको फायदा पंहुचता है |
मालिश करने का सही तरीका
मालिश करने से पहले ये जान ले की अपने द्वरा की गई मालिश उतना फायदा नहीं देती जीतना आप किसी निपुण व्यक्ति से मालिश करवाते है , क्योकि दुसरे व्यक्ति से मालिश करवाने पर उस व्यक्ति की ऊष्मा और शक्ति हमारे शरीर में पंहुचती है अगर मालिश करने वाला कोई निपुण व्यक्ति है तो उसके हाथो के कम्पन और घर्षण से उस व्यक्ति की शक्ति उसके हाथो से होती हुई हमारे शरीर में प्रविष्ट करती है जिससे हम उर्जावान और तरोताजा महसूस करते है और बहुत से रोगों में हमें लाभ मिलता है |
अगर अन्य किसी से मालिश करवाने का समय आपके पास नहीं है तो आप घर पर भी मालिश कर सकते है लेकिन ध्यान दे विधिपूर्वक की गई मालिश ही सम्पूर्ण लाभ देती है अत: सबसे पहले मालिश की शुरुआत अपने सिर से करे | सबसे पहले औषध युक्त तेल या कोई सामान्य तेल जैसे - सरसों का तेल , तील तेल , नारियल तेल , जैतून तेल आदि को हल्का गरम करले |
सिर पर हल्का गुनगुना तेल लगा कर अपनी अंगुलियों के पोरों से मालिश करे | सिर की कनपटी , कानों के आगे और पीछे एवं माथे पर हलके दबाव के साथ मालिश करते रहे | अब अपने गर्दन की मालिश ऊपर से निचे की तरफ करे और दबाव हल्का बनाये रखे | चहरे पर मालिश करे तो पहले तेल चहरे पर लगा ले और अपने दोनों हाथो की अंगुलियों से बांयी तरफ और दांयी तरफ घुमा - घुमा कर या ऊपर से निचे की और मालिश करे | सीने और पेट की मालिश ऊपर से निचे की तरफ करे |हाथो की मालिश गोलाई में या ऊपर से निचे की तरफ दोनों तरीको से कर सकते है , दबाव भी बनाये रखे |पैरो की मालिश करते समय भी हमेशा ऊपर से निचे की तरफ करे | जंघाओं पर आप गोलाकार एवं दबाव के साथ मालिश कर सकते है |पैरो के तलुओ पर मालिश करते समय अपने दोनों हाथो की अंगुलियों का इस्तेमाल करे एवं बीच - बीच में चम्पी भी करते रहे या हाथों के अंगूठो से दबाव देते रहे |
मालिश के शारीरिक लाभ
• मालिश करने से शरीर की कोशिकाओ में रक्त संचार ठीक होता है जिसके कारण रोगों से व्यक्ति दूर रहता है |
• मालिश से सम्पूर्ण मांसपेशियों में स्थिलता आती है एवं शरीर तारो ताजा एवं स्फूर्तिवान बनता है |
• नित्य मालिश से आपकी आँखों की रौशनी बढती है,आयुर्वेद में मालिश को द्रष्टिप्रसादकर माना जाता है |
• मालिश करने से शरीर की सभी धातुओ का संवर्धन होता है जिससे शरीर पुष्ट बनता है।
• नित्य मालिश हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम को बल देती है जिससे शरीर की सभी क्रियाएं ठीक ढंग से होती है |
• नित्य मालिश करने से हमारे दोष शरीर से छूटकर कोष्ठों में चले जाते है जन्हा से वे मल-मूत्र या पसीने के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते है एवं शरीर स्वस्थ रहता है |
• मालिश करने से त्वचा कोमल और दृढ बनती है जिसके कारण त्वचा विकारो में भी उत्तम लाभ मिलता है |
• संधिवात , गठिया , लकवा , स्नायु के रोगों में मालिश फायदेमंद होती है |
मालिश करने से इन रोगों में लाभ मिलता है |
• मालिश करने से पाचन तंत्र , यकृत और छोटी अंत आदि को बल मिलता है जिससे शरीर में इनकी कार्यशीलता बढती है |
• मालिश से त्वचा शुद्ध होती जिससे मनुष्य का रंग निखर आता है एवं बल बढ़ता है |
• मालिश करने से शरीर में आई थकान मिट जाती है यह सम्पूर्ण शरीर को शांति प्रदान करती है |
• कफ और वात प्रक्रति वाले व्यक्तियों के लिए मालिश अच्छा विकल्प है |
• मालिश आपके बढे हुए कफ और वात को संतुलित करती है।
• नित्य मालिश से शरीर मजबूत बनता है एवं जल्दी ही रोगों की चपेट में नहीं आता |
• जिन्हें अनिद्रा की शिकायत रहती हो उनके लिए मालिश बहुत कारगर होती है | मालिश करने से अच्छी नींद आती है |
• नित्य मालिश करने से बुढ़ापा देरी से आता है |
• नित्य मालिश 15 से 30 मिनट तक करनी चाहिए | वैसे मालिश का सही अवधि 45 मिनट से 1 घंटे तक की होती है | लेकिन अगर आप नित्य मालिश को अपनी दिन्चारिया में शामिल करते है तो 15 मिनट की मालिश भी ठीक रहती है |
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