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Tuesday, June 13, 2017

डायबिटीज से जुड़े भ्रम –30 Myths About Diabetes

डायबिटीज के बारे में कई मिथक हैं और इस बीमारी से ग्रसित लोगों के खान-पान के बारे में भी कई मिथक हैं। डायबिटीज की बीमारी में मरीज को अपना विशेष ध्यान हमेशा रखना पड़ता है, जिसके कारण लोग ज्यादा गौर करने लगते हैं जो गैरजरुरी है |

क्या आप जानते हैं कि भारत में 6 करोड़ से अधिक लोग और अमेरिका में 2.5 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं, ऐसा हाल ही में हुई एक रिसर्च से पता चला है। इतनी भारी संख्या में लोग इस बीमारी से घिरे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद इस बीमारी के बारे में कई मिथक बने हुए  हैं। इसमें कोई शक नहीं है की डायबिटीज के रोगी को कार्बोहाइड्रेट के सेवन से बचना चाहिए और संतुलित खुराक का सेवन करना चाहिए। डायबिटीज -रोगियों के लिये संतुलित आहार और नियमित रूप से शुगर के स्तर की जांच करवाना जरूरी है और समस्या बढ़ने पर डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

डायबिटीज रोग से जुडी 30 आम गलतफहमियां और भ्रम :

Top 30 Myths busted About Diabetes

मिथ: डाइबिटीज होने पर दवाइयों का सेवन करना ही काफी है। कुछ और करने की जरुरत नहीं है |

सच: ऐसा कतई नहीं है, डाइबिटीज़ होने पर आपको परहेज भी रखना पड़ता है। इलाज से ज्यादा परहेज रखने से बीमारी के दुष्प्रभावों से आराम मिलता है। खासतौर पर सही खानपान और नियमित लाइफ स्टाइल का ख्याल रखना चाहिए |


मिथ: इन्सुलिन का इंजेक्शन सेहत के लिए ठीक नहीं होता है | यह बेहद नुकसानदायक इंजेक्शन होता है।

सच: यह धारणा सही नहीं है वैसे तो सभी दवाइयों के कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स तो होते है पर इन्सुलिन का इंजेक्शन शरीर में ब्लड-शुगर स्तर को नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त और कोई उपाय भी नही होता है |

मिथ: डायबिटीज है तो ब्लड डोनेट नहीं कर सकते।

सच: अमेरिकन रेड क्रॉस के अनुसार डायबिटीज के मरीज एक स्वस्थ इंसान की तरह रक्तदान कर सकते हैं बशर्ते कुछ मानकों को पूरा करते हों।

मिथ: शुगर फ्री गोलियां या उससे बनी मिठाइयाँ कितनी भी खाई जा सकती है |

सच: शुगर फ्री का मतलब कैलरी फ्री नहीं है। शुगर फ्री के नाम पर जमकर मिठाइयां खाना नुकसानदेय हो सकता है। आप शुगर-फ्री बिस्किट, और मिठाइयां आसानी से खा सकते हैं। लेकिन अगर उन प्रोडक्ट्स में शुगर न हो पर कार्बोहाइड्रेट तो भरपूर मात्रा में होता ही है ना | शुगर फ्री होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि इससे भी ब्लड-शुगर का स्तर बढ़ेगा ही। इसके आलावा खोए से बनी मिठाइयो में क्रीम आदि की कैलरी भी शामिल होती हैं, जो शुगर अनियंत्रित कर सकती है।

मिथ: डाइबिटीज़ में शरीर को ज्यादा थकान अनुभव नही करवाना चाहिए |

सच : डाइबिटीज़ की बीमारी में ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहिए, ताकि शरीर से ज्यादा केलारी बर्न हो, ब्लड-शुगर का स्तर कम हो। पर हमेशा अपने दिल की धड़कन को मॉनिटर करें और आवश्यक मात्रा में ही शारीरिक मेहनत करें।मिथ: डायबिटीज हो तो फल खाना बंद कर दें।

सच: डायबिटीज़ होने पर खान-पान के बारे में सबसे मिथक फैलते हैं। इसी तरह कई लोग मानते हैं कि फलों में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिससे ब्लड-शुगर का स्तर बढ़ जाता है। ऐसा सिर्फ फल के जीआई इंडेक्स पर निर्भर करता है। सामान्यत: फलों में कम जीआई इंडेक्स होता है, इसलिए डाइबिटीज़ की बीमारी में फलों का सेवन आराम से किया जा सकता है। डायबिटीज में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल जरूर खाने चाहिए। इनमें सेब, संतरा, मौसमी, अमरूद और पपीता खाएं। चीकू, केला और अंगूर जैसे फल न लें। फल खाएं पर जूस न लें |

मिथ: डायबिटीज रोग मीठा खाने से होता है 

सच: मीठे से डायबिटीज होने का कोई संबंध नहीं है। इसके लिए वंशानुगत और अन्य कारण जिम्मेदार होते हैं। हालांकि डायबिटीज हो जाने के बाद मीठा खाने से शुगर और भी ज्यादा बढ़ जाती है।

मिथ: डायबिटीज में अल्कोहल पीने से कोई फर्क नहीं पड़ता है |

सच: नियमित तौर पर अल्कोहल के इस्तेमाल से शरीर में यूरिक एसिड और ट्राइग्लिसरॉइड बढ़ते हैं। साथ ही शुगर भी अनियंत्रित हो जाता है।

मिथ: डायबिटीज के लिए स्पेशल खाना होता है।

सचः डायबिटीज में संतुलित आहार की जरूरत होती है, जिसमें 50-60 पर्सेंट कार्बोहाइड्रेट, 15-20 पर्सेंट प्रोटीन और 20-25 पर्सेंट फैट और दूसरे तत्व शामिल हों।

मिथ: ड्राई फ्रूट्स खाने से परहेज करना चाहिए।

सच: बादाम और अखरोट जैसे सूखे मेवों से शरीर में अच्छा यानी एच.डी.एल कॉलेस्ट्रॉल बढ़ता है जो हार्ट अटैक के खतरे को कम करता है, इसलिए मेवे जरुर खाने चाहिए |

मिथ: डायबिटीज हो तो कम भोजन खाना चाहिए 

सच: कम खाना खाना सही नहीं है। थोड़ा-थोड़ा, बार-बार खाएं। न तो ज्यादा देर भूखे रहें और न ही एक बार में ढेर सारा खाना खाएं।

मिथ: बार-बार खाने से क्या लाभ होगा एक ही बार भरपेट भोजन खाना चाहिए |

सच : लंबे समय तक खाली पेट रहने से अगर आपके खून में शक्कर का स्तर अचानक गिर जाए तो आपको मिचली आ घेरेगी, कम्पन पैदा होगा, कमजोरी के अलावा सिर-दर्द और दूसरे लक्षण भी प्रकट हो सकते हैं। पसीना छूटने के साथ हाथ-पैर ठंडे पड़ सकते हैं। थोड़ा-थोड़ा करके हरेक दो से तीन घंटे बाद खाइए, ताकि खून में शक्कर का स्तर मान्य स्तरों पर कायम रहे। यह बचाव का एक ऐसा इलाज है, जो डॉक्टर के नहीं, आपके हाथ में है। स्वास्थ्यकर नाश्ता अपने साथ हरदम रखिए, ताकि जब जरूरत हो खाया, जा सके।

मिथ: डायबिटीज कोई गंभीर बीमारी नहीं है | इसलिए ज्यादा सावधानी की आवश्यकता नहीं होती है |

सच : डायबिटीज यानी डायबिटीज को हलके में नहीं लेना चाहिए, यह एक गंभीर बीमारी होती है। इसकी सबसे बड़ी समस्या है कि लोग इसे गम्भीरता से नहीं लेते हैं और आम बीमारी समझते हैं। वास्तव में, डाइबिटीज़ होने पर शरीर के इम्यून-सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है। कई बार इस बीमारी से किडनी और अन्य अंगों के फेल और खराब होने का डर रहता है। शरीर के रोगों से लड़ने की नेचुरल शक्ति कम होने की वजह से  मधुमेह रोगियों के कोई भी छोटी-मोटी बीमारी बड़ी मुसीबत बन सकती है जैसे चोट लग जाना |

मिथ : गर्भावस्था में होने वाला मधुमेह स्थाई होता है |

सच : बिलकुल नहीं, गर्भवस्था में होने वाला डायबिटीज अक्सर Pregnancy के बाद बिलकुल ठीक हो जाता है |

मिथ: डाइबिटीज़ के सभी रोगियों को इंस्युलिन इंजेक्शन जरूरी होते हैं : ऐसा लगभग सभी लोग मानते हैं कि मधुमेह होने पर इंस्युलिन इंजेक्शन का उपयोग जरूरी होता है।

सच : यह सच है उन लोगों में, जिनको टाइप-1 डाइबिटीज होती है और दवाइयों से जिनका उपचार नहीं किया जा सकता, ऐसे लोगों को इंस्युलिन इंजेक्शन देना जरुरी होता है। पर टाइप-2 डाइबिटीज़ में गोलियां ही असरदार होती है |

मिथ: डायबिटीज में खास आहार ही लेना चाहिए |

सच: अच्छा आहार वही है जिसमें 40-60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 20 प्रतिशत प्रोटीन और 30 प्रतिशत या उससे कम वसा है। खाने में शाक-सब्जी व फल की अच्छी मात्रा जरूरी है। खाना नियमित अंतराल पर लें।

मिथ: टाइप 2 डायबिटीज टाइप 1 की तरह खतरनाक नहीं है।

सच: रोकथाम न हो तो डायबिटीज के दोनों रूप समस्याओं को जन्म देते हैं। दोनों मामलों में सही दवा के साथ स्वस्थ जीवनशैली जरूरी है। एक को खतरनाक बता कर दूसरे को कम नहीं आंका जा सकता।

मिथ: डायबिटीज एक उम्र के बाद ही होता है।

सच: नवजात और छोटे बच्चों में भी यह समस्या दिखती है। उम्र बढ़ने के साथ टाइप 2 डायबिटीज की शिकायत बढ़ती है।

मिथ : डायबिटीज़ में एक्सरसाइज़ नही करनी चाहिए |

सच : डायबिटीज के बारे में एक मिथक यह भी है कि डाइबिटीज़-मरीज को एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। ऐसा कतई नहीं है, आपको एक्सरसाइज करनी चाहिए और नियमित रूप से करनी चाहिए। इससे आपका वजन संतुलित रहेगा और ब्लड-शुगर स्तर कट्रोल में रहेगा।

मिथ : प्राय सभी मधुमेह रोगियों का डाइट चार्ट एक जैसा होता है |

सच: डायबिटीज-रोगी का डाइट चार्ट ऐसा होना चाहिए, जो रक्त-ग्लूकोज़ को बढ़ने से रोके एवं रोग पर अनुकूल प्रभाव डाले। भोजन पौष्टिक होना चाहिए, जिसमें कार्बोहाइड्रेट एवं रेशे प्रचुर मात्रा में हों। भोजन की मात्रा भी शारीरिक श्रम, उम्र, मधुमेह की अवस्था और कैलोरी की जरुरत के अनुसार नियंत्रित होनी चाहिए।

मिथ : मधुमेह रोग में दवाओं की क्या जरुरत है?

सच : डायबिटीज रोग शरीर में इन्सुलिन की कमी के कारण होता है, अतः यदि किसी प्रकार इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाई जा सके, तो इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। रोगी को सीधे इन्सुलिन दिया जा सकता है, किन्तु यह केवल सूई के रूप में ही उपलब्ध है। इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाने का दूसरा तरीका खाने की दवायें हैं।

मिथ: कई लोगों का ऐसा मानना होता है कि मोटापा बढ़ने के कारण डाइबिटीज हो जाती है।

सच: वैसे यह बात ठीक है कि मोटे लोगों में इन्सुलिन -प्रतिरोध की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि मोटापा ही डाइबिटीज़ की वजह है। कई बार दुबले-पतले लोगों को भी डायबिटीज का रोग हो जाता है। इसलिए डायबिटीज किसी को भी हो सकती है, वह चाहे मोटा हो या पतला।

मिथः डायबिटीज का मरीज भारी भरकम काम नही कर सकता जैसे जिम जाना वजन उठाना।

सच: ऐसे लोगों की मिसालें हैं जो डायबिटीज के बावजूद खेल-कूद में एक मकाम हासिल कर चुके हैं, जैसे ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट तैराक गैरी हॉल, क्रिकेट खिलाड़ी वसीम अकरम।

मिथ: डायबिटीज मरीज महिला को गर्भधारण नहीं करना चाहिए।

सच: मां बनने से परहेज करने की कोई जरूरत नहीं है। एक्सपर्ट की देखरेख में संतुलित जीवनशैली अपनाना जरूरी है। गर्भधारण से पहले, गर्भावस्था के दौरान और आगे भी सही शुगर लेवल मेनटेन रखें।

मिथ: डायबिटीज के मरीज की उम्र कम हो जाती है।

सच: शुगर लेवल सही रखा जाए और जीवन शैली सही हो तो डायबिटीज के मरीज की भी उम्र लंबी हो सकती है।

मिथ: दवा ले रहे हों तो कुछ भी खा सकते हैं।

सचः डायबिटीज के मरीज को खाने में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और सैचुरेटेड फैट से परहेज करने की सलाह दी जाती है। नियमित एक्सरसाइज, समय पर आहार और सही दवा जरूरी है। 

सवाल : क्या डायबिटीज की दवा जिंदगी भर लेनी पडती है |जवाब : जी हाँ, डायबिटीज के हर रोगी को जीवनभर दवा लेने की आवश्यकता होती हैं। आधुनिक मेडिकल साइंस के अनुसार डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता हैं पर उसे जड़ से मिटा देना फिलहाल मुमकिन नहीं हैं | हालंकि आयुर्वेद इसके निवारण का दावा जरुर करता है |

मिथ: मधुमेह एक संक्रामक रोग है।

सचः डायबिटीज एक संक्रामक रोग नहीं है। मधुमेह एक अंतःस्रावी ग्रंथि से जुड़ी बीमारी है जो अग्न्याशय में बीटा कोशिकाओं द्वारा निर्मित अधिक इंसुलिन के कारण जन्म लेती है। डायबिटीज पीढ़ी दर पीढ़ी फैलने वाली एक बीमारी है।

मिथ: मधुमेह के रोगी कभी मीठा नहीं खा सकते।

सचः डायबिटीज के रोगियों को कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मुश्किल होती है, जिसका प्रभाव उनके पूरे शरीर पर पड़ता है। डायबिटीज के रोगियों को मीठे का सेवन बहुत नियमित रुप से करना चाहिए तथा उन्हें सही समय पर दवा लेने की एवं कसरत करने की आवश्यकता है। इससे आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और उसमें शुगर का स्तर भी बना रहेगा तथा आप इस बीमारी के बढने से भी बचे रहेंगे।

मिथ: डायबिटीज थोड़ा सा कंट्रोल करने पर आपको चेकअप की जरूरत नहीं पड़ेगी।

सचः डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है। इसे काबू में करने के लिए आपको नियमित आहार व कसरत के साथ-साथ दवा लेने की भी जरूरत है। आप भले ही शुगर के स्तर को बनाए रखने में सफल हो जाएं लेकिन रेगुलर चेकअप करवाने पड़ते है |