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Wednesday, May 24, 2017

अगर आपको पहले पथरी हो चुकी है तो हो जाएं सावधान !


पूरे जीवन में गुर्दे में पथरी होने की आशंका पुरुषों में 13 प्रतिशत और महिलाओं में मात्र 7 प्रतिशत होती है. एक बात यह भी है कि 35 से 50 प्रतिशत लोग, जिन्हें पहले गुर्दे में पथरी हो चुकी है, उन्हें आने वाले पांच साल में दोबारा हो सकती है.

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, 'पथरी से कोई और समस्या तो नहीं होती, लेकिन इससे दर्द होता है.

गुर्दे में होने वाली पथरी आम तौर पर छोटी होती है और पेशाब के साथ निकल जाती है। हां, कुछ पथरी गुर्दे या पेशाब वाहिनी नली में फंस जाती है और इस वजह से समस्याएं हो सकती हैं.'

उन्होंने बताया कि अटकी हुई पत्थरी को निकालने के कई तरीके हैं. जिन लोगों को एक बार पथरी होती है, उनमें से आधे लोगों को जीवन में दोबारा पथरी जरूर होती है. दिन में काफी मात्रा में पानी पीना ऐसा होने से रोक सकता है.'

डॉ. अग्रवाल कहते हैं, 'जब पथरी गुर्दे या पेशाब वाहिनी नली में फंस जाती हैं, तब दर्द बहुत बढ़ जाता है और मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ सकता है. कई बार पथरी इतनी बड़ी होती है कि यह पेशाब नली को पूरी तरह से बंद कर ही देती है. इससे गुर्दे में संक्रमण या क्षति हो सकती है.एक्स-रे के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है और बड़ी पथरी को निकाला जा सकता है.'

डॉ. अग्रवाल की सलाह :

* पानी पीने की मात्रा इतनी बढ़ा दें कि दिन में कम से कम दो लीटर पेशाब आए. दिनभर में पानी ज्यादा पीने से दोबारा पत्थरी होने का खतरा आधा रह जाता है और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता. लेकिन जो लोग पहले से काफी मात्रा में पानी पीते हैं, ऐसे लोगों को और अधिक पानी नहीं पीना चाहिए.

* प्रमाणों से पता चला है कि सामान्य पानी की बजाय किसी खास ब्रांड का पानी पीने से पथरी की समस्या पर कोई फर्क नहीं पड़ता.

* अगर ज्यादा पानी पीने से गुर्दे में पथरी होना बंद न हो तो थाइजाइड ड्युरेक्टिक, स्रिटेट या एलोप्युरिनोल दवाओं के जरिए मोनोथेरेपी ली जा सकती है. यह दवाएं उन लोगों में कैल्शियम जमा होने से बनने वाली पथरी के दोबारा पैदा होना कम कर देते हैं, जिन्हें पहले दो या ज्यादा बार पत्थरी हो चुकी है।

* कॉम्बिनेशन थेरेपी मोनोथेरेपी से ज्यादा प्रभावशाली नहीं है. इन सभी दवाओं के दुष्प्रभाव देखे गए थे. थाइजाइड्स से ओर्थोस्टासिस, पाचनतंत्र में गड़बड़ी, मर्दाना कमजोरी, कमजोरी और मांसपेशियों में समस्या आदि होती है. स्रिटेट्स से पाचनतंत्र में समस्या और एलोपूरिनोल से रैश, गंभीर गठिया और ल्यूकोपेनिया हो सकता है.

* पीड़ित को कोला और फास्फोरिक एसिड वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए.

* फलों के स्वाद वाले साफ्ट ड्रिंक लिए जा सकते हैं, क्योंकि उनमें स्रिटक एसिड होता है.

मरीज को चॉकलेट, चुकंदर, मूंगफली, रेवाचीनी, पालक, स्ट्रॉबेरी, चाय और व्हीट ब्रान का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें आहारीय ऑक्सालेट मौजूद होता है.

* मरीज को जीवों से मिलने वाले प्रोटीन और प्यूरीन का सेवन कम से कम करना चाहिए और सामान्य आहारीय कैल्शियम लेते रहना चाहिए.