आयुर्वेद आचार्य सुश्रुतानुसार Leech Therapy -जोंक विधि का इस्तेमाल पित्त दुष्टि में किया जाता है | साधारण भाषा में अगर कहे तो जोंक थेरेपी का इस्तेमाल रक्त में उपस्थित अशुद्धियो को दूर करने के लिए किया जाता है | इस विधि में शरीर में स्थित ख़राब खून को जलोका (जोंक) के माध्यम से शरीर से बाहर निकलवाया जाता है |कैसे की जाती है Leech Therapy ?
जलौका (जौंक) विधि या Leech Therapy के लिए सबसे पहले आपकी प्रक्रति और उपस्थित दोषों के बारे में पता किया जाता है | इसी के आधार पर जलौका का निर्धारण किया जाता है | मुख्यतया रक्त विकारो में सावरिका जलौंका (जौंक) को प्रयोग में लिया जाता है जिसमे विष नहीं होता | सावरिका जौंक की लार में 100 से अधिक ऐसे तत्व होते है जो खून में जाकर इसे शुद्ध और पतला करने का कार्य करते है, इसी लिए यह हार्ट के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होती है | अब शरीर में जौंक को रोगानुसार जिस जगह पर आपके रोग का प्रधान स्थान है उस जगह को पहले थोडा रुक्ष करते है और फिर जौंक को रक्तपान के लिए छोड़ देते है | शुरुआत में रोगी को थोडा अजीब महसूस होता है लेकिन फिर सब सामान्य हो जाता है | जौंक को तब तक रुग्ण के शरीर पर लगाया रखा जाता है जब तक की वह अशुद्ध रक्त को नहीं चूस लेती | शुद्ध रक्त को चूसने पर रोगी को हल्की खुजली महसूस होती है उस समय उसे रोगी के शरीर से अलग कर दिया जाता है | Leech Therapy में एक जौंक या एक से अधिक जौंक का इस्तेमाल भी किया जा सकता है |
Leech Therapy के स्वास्थ्य लाभ
1. बालों के झड़ने में Leech Therapy का उपयोग
बालों के झड़ने की समस्या में जौंक थेरेपी का प्रयोग किया जाता है यह सिर की त्वचा में स्थित दूषित रक्त को चूस लेती है जिससे बालों मे शुद्ध रक्त का प्रवाह बढ़ता है जो बालों के गिरने को कम करता है | बालों में होने वाली अन्य सम्स्याई जैसे - फंगस , दंदृफ्फ़ आदि में भी लाभकारी होती है |
2. गठिया रोग में Leech Therapy का प्रयोग
गठिया रोग में भी जौंक थेरेपी बहुत उपयोगी है | इसका मुख्य कारण जौंक की लार में उपस्थित एक प्राक्रतिक एंजाइम होता है जो रोगी के खून में मिल कर शरीर में प्राकृतिक अनेस्थेसिया का काम करता है, जिसके कारण संधि शोथ और संधि शूल में आराम मिलता है | गठिया रोग का मुख्य कारण ही रक्त में अशुद्धि होता है अत: जौंक के इस्तेमाल से यह अशुद्ध रक्त बाहर निकल जाता है और रोगी स्वस्थ महसूस करता है |
3. मधुमेह में Leech Therapy के लाभ
मधुमेह रोग में भी रक्त की अशुद्धि मुख्य वजह होती है | मधुमेह में जौंक का इस्तेमाल करने से शरीर में रक्त का घनत्व संतुलित होता है जिसके कारण रोगी को स्वास्थ्य लाभ मिलता है | जौंक की लार में हिरुदीन नामक तत्व होता है जो खून को पतला करता है और शरीर में खून को जमने नहीं देता | इसलिए मधुमेह के रोगियों को Leech Therapy जरुर करवानी चाहिए |
अन्य भी बहुत से रोग है जिनमे जौंक थेरेपी का इस्तेमाल कर सकते है जैसे - पीलिया , कुष्ठ , पीडिका , रक्तपित, मुख्पाक, गुदपाक, आँखों के रोग , प्रमेह, अग्निमंध्य, गुल्म, चर्म रोग, संताप , अरुचि, शारीर दोर्गंध्य, कंदु, अर्श रोग, विदाह आदि रोगों में इसका उपचार लिया जा सकता है |
रखा जाता है खास ख्याल
इंफेक्शन न हो, इसके लिए एक जोंक का एक ही मरीज के लिए प्रयोग किया जाता है। दूषित रक्त चूसने के बाद इनको उल्टी कराई जाती है, ताकि ये अपने मुंह से दूषित रक्त निकाल दें।
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