Monday, May 8, 2017

सुबह-सुबह खाली पेट सिर्फ एक मुट्ठी भीगे हुए चने का सेवन आपको देगा अनगिनत स्वास्थ्य लाभ, जाने कैसे

चना (Gram) :

आज हम आपको चने के अनगिनत ऐसे अद्भुत फायदे बताएँगे जो आज से पहले आपने ना पढ़े होंगे ना सुने होंगे। आयुर्वेद में चने की दाल और चने को शरीर के लिए स्वास्थवर्धक बताया गया है। चने के सेवने से कई रोग ठीक हो जाते हैं। क्योंकि इसमें प्रोटीन, नमी, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, कैल्शियम और विटामिन्स पाये जाते हैं। चना दूसरी दालों के मुकाबले सस्ता होता है और सेहत के लिए भी यह दूसरी दालों से पौष्टिक आहार है। चना शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। साथ ही यह दिमाग को तेज और चेहरे को सुंदर बनाता है। चने के सबसे अधिक फायदे इन्हे अंकुरित करके खाने से होते है। चना शरीर में ताकत लाने वाला और भोजन में रुचि पैदा करने वाला होता है। सूखे भुने हुए चने बहुत रूक्ष और वात तथा कुष्ठ को नष्ट करने वाले होते हैं। उबले हुए चने कोमल, रुचिकारक, पित्त, शुक्रनाशक, शीतल, कषैले, वातकारक, ग्राही, हल्के, कफ तथा पित्त नाशक होते हैं। चना शरीर को चुस्त-दुरुस्त करता है। खून में जोश पैदा करता है। यकृत (जिगर) और प्लीहा के लिए लाभकारी होता है। तबियत को नर्म करता है। खून को साफ करता है। धातु को बढ़ाता है। आवाज को साफ करता है। रक्त सम्बन्धी बीमारियों और वादी में लाभदायक होता है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है। इसको पानी में भिगोकर चबाने से शरीर में ताकत आती है।

वैसे तो चने को आप खाने में जरूर इस्तेमाल करें। यह किसी दवा से कम नहीं है। चने खाने से एक नहीं कई फायदे मिलते हैं तो क्यों नहीं अंकुरित चनों का इस्तेमाल रोज किया जा सकता है। हमारा प्रयास है आपके स्वास्थ के लिए हर जरूरी चीज को आप तक पहुंचाना जो आप और आपके परिवार के लिए जरूरी और फायदेमंद है। चना विशेषकर किशोरों, जवानों तथा शारीरिक मेहनत करने वालों के लिए पौष्टिक नाश्ता होता है। इसके लिए एक मुट्ठी काले चने लेकर अच्छी तरह से साफ कर लें। मोटे पुष्ट चने को लेकर साफ-सुथरे, कीडे़ या डंक लगे व टूटे चने निकालकर फेंक देते हैं। शाम के समय इन चनों को लगभग 125 ग्राम पानी में भिगोकर रख देते हैं। सुबह के समय शौचादि से निवृत्त होकर एवं व्यायाम के बाद चने को अच्छी तरह से चबाकर खाएं और ऊपर से चने का पानी वैसे ही अथवा उसमें 1-2 चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं। देखने में यह प्रयोग एकदम साधारण लगता है किन्तु यह शरीर को बहुत ही स्फूर्तिवान और शक्तिशाली बनाता है। चने की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाई जा सकती है।

भीगे हुए चने खाने के बाद दूध पीने से वी*र्य पुष्ट होता है। व्यायाम के बाद रात के भीगे हुए चने, चने का पानी के साथ पीने से स्वास्थय अच्छा बना रहता है। जिसकी पाचक शक्ति (भोजन पचाने की शक्ति) कमजोर हो, या चना खाने से पेट में गैस होता है तो उन्हें चने का सेवन नहीं करना चाहिए।

➡ अंकुरित चना :

अंकुरित चने खाना बहुत ही लाभप्रद होता है। अंकुरित चना धातु को पुष्ट, मांसपेशियों को सुदृढ़ व शरीर को वज्र के समान बना देता है तथा यह सभी चर्म रोगों को नष्ट करता है। विटामिन-सी की अधिकता वाला यह वजन को बढ़ाता है। खून में वृद्धि करता है और उसे साफ करता है। इसके अतिरिक्त अंकुरित चने का सेवन करने से फेफड़े मजबूत होते हैं। यह रक्त में कोलेस्ट्राल को कम करता है और दिल की बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है।


➡ चने अंकुरित करने की विधि :

अंकुरित करने के लिए चने को अच्छी तरह पानी में साफ करके इतने पानी में भिगोएं कि उतना पानी चना सोख ले। इसे सुबह के समय पानी में भिगो दो और रात में साफ, मोटे, गीले कपडे़ या उसकी थैली में बांधकर लटका देते हैं। गर्मी में 12 घंटे और सर्दी के मौसम में 18 से 24 घंटों के बाद भिगोकर गीले कपड़ों में बांधने से दूसरे, तीसरे दिन उसमें अंकुर निकल आते हैं। गर्मी में थैली में आवश्यकतानुसार पानी छिड़कते रहना चाहिए। इस प्रकार चने अंकुरित हो जाएंगे। अंकुरित चनों का नाश्ता एक उत्तम टॉनिक है। अंकुरित चनों में कुछ व्यक्ति स्वाद के लिए कालीमिर्च , सेंधानमक, अदरक की कुछ कतरन एवं नींबू के रस की कुछ बून्दे भी मिलाते हैं परन्तु यदि अंकुरित चने को बिना किसी मिलावट के साथ खाएं तो यह बहुत अधिक उत्तम होता है।

➡ चने खाने के अद्भुत फायदे :

शरीर को सबसे ज्यादा पोषण काले चनों से मिलता है। काले चने अंकुरित होने चाहिए। क्योंकि इन अंकुरित चनों में सारे विटामिन्स और क्लोरोफिल के साथ फास्फोरस आदि मिनरल्स होते हैं जिन्हें खाने से शरीर को कोई बीमारी नहीं लगती है। काले चनों को रातभर भिगोकर रख लें और हर दिन सुबह दो मुट्ठी खाएं। कुछ ही दिनों में र्फक दिखने लगेगा।रातभर भिगे हुए चनों से पानी को अलग कर उसमें अदरक, जीरा और नमक को मिक्स कर खाने से कब्ज और पेट दर्द से राहत मिलती है।शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए अंकुरित चनों में नींबू, अदरक के टुकड़े, हल्का नमक और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं। आपको पूरे दिन की एनर्जी मिलेगी।

• चने का सत्तू : चने का सत्तू भी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद औषघि है। शरीर की क्षमता और ताकत को बढ़ाने के लिए गर्मीयों में आप चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलकार पी सकते हैं। यह भूख को भी शांत रखता है।

• पथरी की समस्या में चना : पथरी की समस्या अब आम हो गई है। दूषित पानी और दूषित खाना खाने से पथरी की समस्या बढ़ रही है। गाल ब्लैडर और किड़नी में पथरी की समस्या सबसे अधिक हो रही है। एैसे में रातभर भिगोए चनों में थोड़ा शहद मिलाकर रोज सेवन करें। नियमित इन चनों का सेवन करने से पथरी आसानी से निकल जाती है। इसके अलावा आप आटे और चने का सत्तू को मिलाकर बनी रोटियां भी खा सकते हो।

• शरीर की गंदगी साफ करना : काला चना शरीर के अंदर की गंदगी को अच्छे से साफ करता है। जिससे डायबिटीज, एनीमिया आदि की परेशानियां दूर होती हैं। और यह बुखार आदि में भी राहत देता है।डायबिटीज के मरीजों के लिए : चना ताकतवर होता है। यह शरीर में ज्यादा मात्रा में ग्लूकोज को कम करता है जिससे डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलता है। इसलिए अंकुरित चनों को सेवन डायबिटीज के रोगियों को सुबह-सुबह करना चाहिए।

• मूत्र संबंधी रोग : मूत्र से संबंधित किसी भी रोग में भुने हुए चनों का सवेन करना चाहिए। इससे बार-बार पेशाब आने की दिक्कत दूर होती है। भुने हुए चनों में गुड मिलाकर खाने से यूरीन की किसी भी तरह समस्या में राहत मिलती है।

• पुरूषों की कमजोरी दूर करना : अधिक काम और तनाव की वजह से पुरूषों में कमजोरी होने लगती है। एैसे में अंकुरित चना किसी वरदान से कम नहीं है। पुरूषों को अंकुरित चनों को चबा-चबाकर खाने से कई फायदे मिलते हैं। इससे पुरूषों की कमजोरी दूर होती है। भीगे हुए चनों के पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से पौरूषत्व बढ़ता है। और नपुंसकता दूर होती है।

• पीलिया के रोग में : पीलिया की बीमारी में चने की 100 ग्राम दाल में दो गिलास पानी डालकर अच्छे से चनों को कुछ घंटों के लिए भिगो लें और दाल से पानी को अलग कर लें अब उस दाल में 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4 से 5 दिन तक रोगी को देते रहें। पीलिया से लाभ जरूरी मिलेगा। पीलिया रोग में रोगी को चने की दाल का सेवन करना चाहिए।

• मुंह का सौंदर्य : चना के बेसन में नमक मिलाकर अच्छी तरह गौन्दकर लेप बना लें। इस लेप को चेहरे पर मलने से त्वचा में झुर्रियां नहीं आती हैं और चेहरा सुन्दर रहता है।

• प्रदर रोग : भठ्ठी पर भूने हुऐ चने के छिलके उतारकर उसे पीसकर चूर्ण बना लें। उसमें बराबर की मात्रा में मिश्री का चूर्ण मिलाकर 6-6 ग्राम की मात्रा में ठंडे पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में रोग लाभ मिलता है।चने के सत्तू में मिश्री डालकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से ‘वेत प्रदर में लाभ होता है।

• मोच : मोच के स्थान पर चने बांधकर उन्हें पानी से भिगोते रहें-जैसे-जैसे चने फूलेंगे मोच अपने आप ही दूर हो जायेगी। 

• पथरी : गुर्दे या मूत्राशय में पथरी हो तो रात को एक मुट्ठी चने की दाल को भिगो देते हैं। सुबह के समय इस दाल को शहद मिलाकर खाने से लाभ मिलता है।

• अम्लपित्त : काले चनों और कालीमिर्च को मिलाकर पीसकर चटनी की तरह सेवन करने से अम्लपित्त शांत हो जाती है।चने की सब्जी खाने से गले की जलन कम हो जाती है।

• दर्द व सूजन : कमर, हाथ, पैर या कहीं भी दर्द हो वहां बेसन डालकर रोजाना मालिश करें। इस तरह मालिश करने से दर्द और सूजन ठीक हो जाती है।शीतपित्त : चने से बने मोतिया लड्डुओं पर कालीमिर्च डालकर खाने से पित्ती ठीक हो जाती है।

• मधुमेह के रोग : चने और जौ के आटे की रोटी खाने से मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है।7 दिनों तक केवल चने की रोटी खायें। गूलर के पत्तों को उबालकर उसी पानी से नहायें। थोड़ा-थोड़ा पानी पीयें। पेशाब में शक्कर (चीनी) आना बंद हो जायेगी और मधुमेह में लाभ होगा।रात को लगभग 30 ग्राम काले चने दूध में भिगो दें और सुबह उठते ही खा लें। चने और जौ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसके आटे की रोटी सुबह-शाम खायें। केवल चने (बेसन) की रोटी ही 10 दिन तक खाते रहने से पेशाब में शक्कर आना बंद हो जाता है।25-30 ग्राम काले चनों को दूध में भिगो दें। सुबह इसका सेवन करें। चने और जौ को बराबर मात्रा में पीसकर उसकी रोटी खायें। इससे पेशाब में शक्कर आना कम हो जाता है।

•गिल्टी (ट्यूमर) : चने का आटा गूगल में मिलाकर, टिकिया बनाकर गिल्टी (ट्यूमर) पर रखें। इससे गिल्टी (ट्यूमर) की सूजन दूर होती है।

• सभी प्रकार के दर्द होने पर : भुने हुऐ चनों को खाने से `अन्नद्रव शूल´ यानी अनाज के कारण होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।

• चेहरे की झांई के लिए : 2 बड़े चम्मच चने की दाल को आधा कप दूध में रात को भिगोकर रख दें। सुबह दाल को पीसकर उसी दूध में मिला लें। फिर इसमें एक चुटकी हल्दी और 6 बूंदे नींबू की मिलाकर चेहरे पर लगाकर रखें। सूखने पर चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। इस पैक को सप्ताह में तीन बार लगाने से चेहरे की झाईयां दूर हो जाती हैं।

•खाज-खुजली : बिना नमक के चने के आटे की रोटी को लगातार 64 दिन तक खाने से दाद, खुजली आदि रोग मिट जाते हैं।

• घबराहट या बेचैनी : लगभग 50 ग्राम चना और 25 दाने किशमिश को रोजाना रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट चने और किशमिश खाने से घबराहट दूर हो जाती है।

• दिल के रोग : दिल के रोगियों को काले चने उबालकर उसमें सेंधानमक डालकर खाना चाहिए।त्वचा के रोग के लिए : चने की रोटी खाने से या अंकुर फूटे हुए चने खाने से हर प्रकार के त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं।

• निम्नरक्तचाप : 20 ग्राम काला चना और 25 दाने किशमिश या मुनक्का रात को ठण्डे पानी में भिगो दें। सुबह रोजाना खाली पेट खाने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) में लाभ होगा और साथ ही साथ चेहरे की चमक बढ़ जाती है।

• दाद : 64 दिन तक लगातार बिना नमक के चने के आटे की रोटी खाने से दाद, खुजली और खून की खराबी दूर हो जाती है।

• पीलिया का रोग : जौ के सत्तू की तरह चना का सत्तू भी पीलिया रोग में लाभदायक है।1 मुट्ठी चने की दाल को 2 गिलास पानी में भिगो दें। फिर दाल को निकालकर बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 3 दिन तक खाना चाहिए। प्यास लगने पर दाल का वहीं पानी पीना चाहिए। इससे पीलिया रोग नष्ट हो जाता है।

• मानसिक उन्माद (पागलपन) : पित्त (गर्मी) के कारण पागलपन हो तो शाम को 50 ग्राम चने की दाल पानी में भिगो देते हैं। सुबह के समय पीसकर चीनी और पानी मिलाकर 1 गिलास भरकर पीने से पागलपन के रोग में लाभ होता है।चने की दाल को भिगोकर उसका पानी पिलाने से उन्माद (मानसिक पागलपन) और उल्टी ठीक हो जाती है।

• सौन्दर्यवर्द्धक : चावल, जौ, चना, मसूर और मटर को बराबर की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसमें से थोड़ा-थोड़ा चूर्ण लेकर लेप बना लें और चेहरे पर लगायें। थोड़े दिनों तक यह लेप रोजाना चेहरे पर लगाने से चेहरा चमक उठेगा।बेसन से चेहरा धोने से चेहरे के धब्बे, झांई मिट जाती हैं। चेहरा सुन्दर निकलता है। तेज धूप, गर्मी, लू से त्वचा की रक्षा के लिए बेसन को दूध या दही में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इसे सुबह-शाम आधा घंटे चेहरे पर लगा रहने दें। इससे रूप निखर जाता है।

• शरीर की जलन : 2 मुट्ठी भर चने का छिलका लें। फिर 2 गिलास पानी लेकर एक मिट्टी के बर्तन में डाल दें और चने का छिलका उसमें भिगो दें। सुबह उठने पर इस पानी को छानकर पी जायें इससे शरीर की जलन बिल्कुल मिट जाती है!

• सदमा : 20 ग्राम काले चने और 25 दाने किशमिश या मुनक्कों को ठण्डे पानी में शाम को भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इनको खाली पेट खाने से सदमे आना बंद हो जाता है।

• बालरोग : चने के आटे को खूब बारीक पीसकर पानी में मिलाकर गर्म करके बच्चे के पेट पर मालिश करने से आराम आता है।जलने पर : चने को दही के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से तुरन्त आराम आ जाता है।

• सफेद दाग : मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। कम से कम 12 घंटों के बाद इन चनों को मोटे कपड़े में बांधकर रख दें और बचा हुआ पानी कपडे़ की पोटली के ऊपर डाल दें। फिर 24 घंटे के बाद पोटली को खोल दें अब तक इन चनों में से अंकुर निकल आयेंगे। यदि किसी मौसम में अंकुर न भी निकले तो चनों को ऐसे ही खा लें। इस तरह से अंकुरित चनों को चबा-चबाकर लगातार 6 हफ्तों खाने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं!

• सिर का दर्द : सिर में दर्द होने पर कच्चे चनों का जूस बनाकर पीने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा नजला-जुकाम भी ठीक हो जाता है।100 ग्राम नुकती, दाने या मोतीचूर के लड्डू पर आधा चम्मच घी और 10 पिसी हुई कालीमिर्च डालकर खाने से कमजोरी से होने वाला सिर दर्द समाप्त हो जाता है।

• त्वचा का मुलायम और चमकदार होना : चने के बेसन को गुलाबजल में घोलकर चेहरे और पूरे शरीर पर मल लें। 10 मिनट के बाद नहा लें। इससे त्वचा में जो चिकनाई होती है वह निकल जाती है।

• शरीर को मोटा और शक्तिशाली बनाना : लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर शाम को 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। अब इस दाल को सुबह उठकर किशमिश और मिश्री में मिलाकर अच्छी तरह से चबाकर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है और मनुष्य का वीर्य बल भी बढ़ता है।रात को सोते समय थोड़े से देशी चने लेकर उनको पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर गुड़ के साथ इन चनों को रोजाना खूब चबाकर खाने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है। चनों की मात्रा शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार बढ़ानी चाहिए। इन चनों को 2-3 तीन महीने तक खाना चाहिए।

• जुकाम : 50 ग्राम भुने हुए चनों को एक कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। इस पोटली को हल्का सा गर्म करके नाक पर लगाकर सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और सांस लेने में परेशानी नहीं होती है! गर्म-गर्म चने को किसी रूमाल में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है। चने को पानी में उबालकर इसके पानी को पी जायें और चने को खा लें। चने में स्वाद के लिए कालीमिर्च और थोड़ा-सा नमक डाल लें। चने का सेवन करना जुकाम में बहुत लाभ करता है।

• खूनी बवासीर : सेंके हुए गर्म-गर्म चने खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता हैवी*र्य का पतलापन : 1 मुट्ठी सेंके हुए चने या भीगे हुए चने और 5 बादाम खाकर दूध पीने से वी*र्य का पतलापन दूर होकर वी*र्य गाढ़ा हो जाता है।

• कब्ज : 1 या 2 मुट्ठी चनों को धोकर रात को भिगो दें। सुबह जीरा और सोंठ को पीसकर चनों पर डालकर खाएं। घंटे भर बाद चने भिगोये हुए पानी को भी पीने से कब्ज दूर होती है।अंकुरित चना, अंजीर और शहद को मिलाकर या गेहूं के आटे में चने को मिलाकर इसकी रोटी खाने से कब्ज मिट जाती हैं।रात को लगभग 50 ग्राम चने भिगो दें। सुबह इन चनों को जीरा तथा नमक के साथ खाने से कब्ज दूर हो जाती है।

• रूसी : 4 बड़े चम्मच चने का बेसन एक बड़े गिलास पानी में घोलकर बालों पर लगायें। इसके बाद सिर को धो लें। इससे सिर की फरास या रूसी दूर हो जाती है।श्वास नली के रोग : रात को सोते समय एक मुट्ठी भुने या सेंके हुए चने खाकर ऊपर से एक गिलास दूध पीने से श्वास नली (सांस की नली) में जमा हुआ बलगम निकल जाता है।

• जलोदर : 40 ग्राम चने को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें, जब पानी आधा रह जाये, तब इसको ठंडा करके रोगी को पिलाने से जलोदर रोग (पेट में पानी भरना) मिट जाता है।50 ग्राम चने की दाल को थूहर के दूध में भिगोकर सुखा दें, ऐसा लगभग 3 बार करें। फिर सुखाकर कुछ दिन तक लगतार 2 दाने दाल खाने से दस्त आकर जलोदर ठीक हो जाता है।

• शरीर में दर्द : कमर, हाथ-पैर जहां कहीं भी दर्द हो, उस जगह पर बेसन डालकर रोजाना मालिश करें। एक बार मालिश किये हुए बेसन को दुबारा मालिश के काम में ला सकते हैं। इस तरह से मालिश करने से दर्द ठीक हो जाता है।

• धातु पुष्टि : भीगी हुई चने की दाल में शक्कर मिलाकर रात को सोते समय खाएं। इससे धा*तु पुष्ट होती है। इसे खाकर पानी न पिये।दाद-खुजली : चने के आटे की रोटी बिना नमक की लगभग 2 महीने तक लगातार खाने से दाद, खुजली और रक्तविकार (खून के रोग) नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ घी भी ले सकते हैं।

• त्वचा का कालापन : लगभग 12 चम्मच बेसन, 3 चम्मच दही या दूध, थोड़ा सा पानी सभी को मिलाकर पेस्ट सा बनाकर पहले चेहरे पर मले और फिर सारे शरीर पर मलने के लगभग 10 मिनट बाद स्नान करें तथा स्नान में साबुन का उपयोग न करें। इस प्रकार का उबटन करते रहने से त्वचा का कालापन दूर हो जाएगा।

• तेलीय त्वचा : यदि चिकनी त्वचा है तो बेसन में गुलाबजल मिलाकर चेहरे व शरीर पर लगाएं। इससे त्वचा का तैलीयपन हट जाता है।

• चेहरे का सौंदर्यवर्धक : चने की भीगी हुई दाल को पीसकर उसमें हल्दी तथा कुछ बूंदे किसी तेल की डालकर उबटन बनाएं। यह बहुत ही लाभकारी होता है।

• उल्टी : रात को एक मुट्ठी चने को एक गिलास पानी में भिगो देते हैं। सुबह इसके पानी को छानकर पी लेते हैं। यदि गर्भवती स्त्री को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू का सेवन कराना चाहिए। इससे गर्भवती स्त्री की उल्टी बंद हो जाती है।

• सफेद दाग : मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125 मिलीलीटर पानी में भिगो देते हैं। 24 घंटे बाद अंकुर निकलने पर इन चनों को चबा-चबाकर लगातार कुछ महीने तक खाते रहने से सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं। 

• माताओं के दूध में वृद्धि : यदि माता अपने बच्चे को दूध पिलाने में दूध की कमी प्रतीत कर रही हो तो उसे लगभग 50 ग्राम काबुली चने रात को दूध भिगोकर सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। सुबह दूध को छानकर अलग कर लेते हैं। इन चनों को चबा-चबाकर खाएं। ऊपर से इसी दूध को गर्म करके पी लेते हैं। ऐसा करने से स्त*नों में दूध बढ़ जाता है।

• श्वेतप्रदर : सेंके हुए चने पीसकर उसमें खाण्ड मिलाकर खाएं। ऊपर से दूध में देशी घी मिलाकर पियें। इससे श्वेतप्र*दर गिरना बंद हो जाता है।

• गर्भपात : यदि किसी भी औरत को गर्भपात का भय हो उसे चनों का काढ़ा पिलाना चाहिए इससे गर्भपात होने की संभावना समाप्त हो जाती है।

• मधुमेह : रात को 50 ग्राम काले चने दूध में भिगो देते हैं और सुबह के समय खाते हैं। चने और जौ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसके आटे की रोटी पहले सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।केवल बेसन (चने का) की रोटी ही 10 दिन तक लगातार खाते रहने से पेशाब में शक्कर का आना बंद हो जाता है।

• पित्ती : 100 ग्राम चने के बेसन से बने मोतिया लड्डुओं के साथ 10 पिसी कालीमिर्च मिलाकर खाने से पित्ती की गर्मी में लाभ मिलता है।पेशाब का बार-बार आना : 25 से 50 ग्राम की मात्रा में भुने हुए चने खूब चबाकर खायें बाद में ऊपर से थोड़ा गुड़ खाकर पानी पी लें। आधा महीने तक यह प्रयोग लगातार आधा पेट खाना खाने के बाद करें यदि पाचन क्रिया खराब हो तो इसे न लें।

• नपुंसकता : भीगे हुए चने सुबह-शाम चबाकर खाने से ऊपर से बादाम की गिरी खाने से मैथुन-शक्ति बढ़ती है और नंपु*सकता खत्म होती है।

• श्वास या दमा का रोग : भुने हुए चने रात में खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से सांस की नली का बलगम निकल जाता है।लगभग 150 ग्राम सेंके हुए चने व 150 ग्राम खेरी गोन्द को अलग-अलग पीसकर चूर्ण बनाकर दोनों को मिला देते हैं। दिन में 3-4 बार 2-3 चुटकी चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) में लाभ मिलता है।अण्डकोष के एक सिरे का बढ़ना : चने के बेसन को पानी और शहद में मिलाकर अण्डकोष की सूजन पर लगाने से लाभ होता है।

• खांसी : चने का जूस बनाकर पीने से जुकाम और कफज-बुखार में लाभ मिलता है।

• गैस्ट्रिक अल्सर : चने का सत्तू बनाकर पीने से गैस्ट्रिक के मरीज को लाभ होता है।

• स्तनों में दूध की वृद्धि: लगभग 50-60 मिलीलीटर की मात्रा में काबुली चने रात को दूध में भिगो देते हैं। सुबह के समय दूध को छानकर अलग कर लेते हैं। इसके बाद इन चनों को खूब चबा-चबाकर खाना चाहिए। ऊपर से इसी दूध को गर्म करके पीने से स्त्रियों के दूध में पर्याप्त मात्रा में वृद्धि होती है।

• अतिक्षुधा भस्मक रोग (भूख अधिक लगना) : चने को पानी में भिगोकर रातभर रख दें। सुबह इसका पानी पीने से भस्मक-रोग (बार-बार भूख लगना) मिट जाता है।

• वमन (उल्टी) : चनों को रात को पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसका पानी पी लें। अगर किसी गर्भवती औरत को उल्टी हो रही हो तो भुने हुए चने का सत्तू (जूस) बनाकर पिलायें।कच्चे चनों को पानी में भिगोकर रख दें। फिर कुछ समय बाद उसी पानी को छानकर पीने से उल्टी होना बंद जाती है।

• हिचकी का रोग : चने की भूसी चिलम में रखकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।चना और अरहर की भूसी चिलम में रखकर पीने से हिचकी नहीं आती है।कुष्ठ रोग में चना : कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसान यदि तीन साल तक अंकुरित चने खाएं। तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।

• गर्भवती महिला को यदि मितली या उल्टी की समस्या बार-बार होती हो। तो उसे चने का सत्तू पिलाना चाहिए।

• अस्थमा रोग में : अस्थमा से पीडि़त इंसान को चने के आटे का हलवा खाना चाहिए। इस उपाय से अस्थमा रोग ठीक होता है!

• त्वचा की समस्या में : चने के आटे का नियमित रूप से सेवन करने से थोड़े ही दिनों में खाज, खुजली और दाद जैसी त्वचा से संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं।

• लंबे समय से चली आ रही कफ की परेशानी में भुने हुए चनों को रात में सोते समय अच्छे से चबाकर खाएं और इसके बाद दूध पी लें। यह कफ और सांस की नली से संबंधित रोगों को ठीक कर देता है।

• चेहरे की चमक के लिए चना : चेहरे की रंगत को बढ़ाने के लिए नियमित अंकुरित चनों का सेवन करना चाहिए। साथ ही आप चने का फेस पैक भी घर पर बनाकर इस्तेमाल कर सकेत हो। चने के आटे में हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा मुलायम होती है। महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड जरूर खाना चाहिए।

• दाद खाज और खुजली : एक महीने तक चने के आटे की रोटी का सेवन करने से त्वचा की बीमारियां जैसे खुजली, दाद और खाज खत्म हो जाती हैं।

• धातु पुष्ट : दस ग्राम शक्कर और दस ग्राम चने की भीगी हुई दाल को मिलाकर कम से कम एक महीने तक खाने से धा*तु पुष्ट होती है।50 ग्राम चने की दाल को थूहर के दूध में भिगोकर सुखा दें, ऐसा लगभग 3 बार करें। फिर सुखाकर कुछ दिन तक लगतार 2 दाने दाल खाने से दस्त आकर जलोदर ठीक हो जाता है।

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Sunday, May 7, 2017

सुबह खाली पेट चाय पीने के हैं ये 9 नुकसान

आज हम आपको मोर्निंग हेल्थ टिप्स में बतायेंगे कि सुबह खाली पेट चाय पीने के हैं ये 9 नुकसान

चाय भारतीय समाज का एक अभिन्‍न अंग बन चुकी है, जिसे हम चाह कर भी नज़र अंदाज नहीं कर सकते। जिस दिन चाय ना पियों तो ऐसा लगता है मानों दिन की शुरुआत ही नहीं हुई है। भारत में लगभग 90 प्रतिशत लोग सुबह नाश्‍ते से पहले चाय जरुर पीते हैं। क्‍या आपको लगता है कि यह एक अच्‍छी आदत है? रिसर्च के अनुसार सुबह खाली पेट चाय पीना काफी नुकसानदायक हो सकता है, खासतौर पर गर्मियों में।

चाय में कैफीन और टैनिन होते हैं

जो कि शरीर में ऊर्जा भर देते हैं। काली चाय में अगर दूध मिला कर पिया जाए तो इससे एंटीऑक्‍सीडेंट खतम हो जाता है और फिर वह उतनी असरदार नहीं होती।

क्‍या आप का चाय पिये बिना काम नहीं चलता

अगर ऐसा है तो चाय के बारे में कुछ जरुरी जानकारी है जो हम आपके साथ आज शेयर कर रहे हैं। अगर आप खाली पेट या फिर अधिक चाय पीते हैं तो आपको इसके नुकसान के बारे में जरुर पता होना चाहिये।

क्‍या चाय पी कर मतली आती है

चाय में ढेर सारा एसिड होता है जिसे खाली पेट सुबह पीने से पेट के रस पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिये कई लोगों को सुबह चाय पीनी अच्‍छी नहीं लगती।

क्‍या ब्‍लैक टी नुकसानदेह है

अगर चाय में दूध ना मिलाया जाए तो वह काफी फायदा पहुंचाती है, जैसे मोटापा कम करना। पर अगर अधिक ब्‍लैक टी का सेवन किया जाए तो वह सीधे पेट पर असर करती है।

दूध की चाय पीने के नुकसान

अध्‍यन के अनुसार पाया गया है कि जो लोग खाली पेट बहुत अधिक दूध वाली चाय पीते हैं, उन्‍हें थकान का एहसास होता है। चाय में दूध मिलाने से एंटीऑक्‍सीडेंट का असर खतम हो जाता है।

कड़ी चाय पीने के प्रभाव

खाली पेट कड़ी चाय पीन से पेट को सीधा नुकसान पहुंच सकता है। कड़ी चाय से पेट में अल्‍सर और एसिडिटी हो सकती है।

दो अलग-अलग चाय मिला कर पीने का नुकसान

अध्‍यन के अनुसार पता चला है कि अगर आप दो अलग अलग ब्रैंड की चाय एक साथ मिला कर पियेंगे तो उसका असर काफी तेज़ होगा और आपको ऐसा महसूस होगा कि आप नशा चढ़ चुका है।

चाय के साथ बिस्‍कुट खाने से क्‍या होता है

चाय के साथ बिस्‍कुट या अन्‍य चीज़ें खाने से पेट दृारा चाय अच्‍छी तरह से पचा ली जाती है। दूसरी ओर चाय के साथ नमकीन या मीठा खाने से शरीर को सोडियम की प्राप्‍ती होती है, जिससे अल्‍सर नहीं होता।

चाय पीने की गंदी आदत

क्‍या है चाय में टैनिन होता है, खासतौर पर गहरे रंग वाली चाय में। ऐसे में वह आपके खाने में मौजूद आयरन के साथ रिएक्‍ट कर सकती है इसलिये दोपहर में खाना खाने के बाद चाय ना पियें।

प्रोस्‍टेट कैंसर का खतरा

बढ़ता है जो पुरुष दिन में 5- कप चाय पीते हैं, उन्‍हे प्रोस्‍टेट कैंसर का खतरा बढ़ता है, ऐसी बात एक अध्‍यन में आई है। इससे पहले कई शोधो में दावा किया गया है कि चाय पीने से कैंसर का खतरा टलता है।

ज्‍यादा गर्म चाय पीने का नुकसान

ब्रिटिश मैडिकल जर्नल में छपे नए अध्‍यन के मुताबिक ज्‍यादा गर्म चाय पीने से खाने की नली या गले का कैंसर होने का खतरा आठ गुना तक बढ़ जाता है। तेज गर्म चाय गले की टिशू को नुकसान पहुंचाती है।

खाना बनाने के लिए कौन-सा तेल है बेहतर?

खाना बनाने के लिए सरसों या मूंगफली का तेल, कौन-सा है बेहतर?

आप खाना बनाने के लिए कौन-से तेल का इस्तेमाल करते​ है?

मुझे ये जानना है कि खाना बनाने के लिए सरसों का तेल या मूंगफली के तेल, कौन-से तेल का इस्तेमाल करना सेहत के नजरिये से अच्छा होता है? क्या एक ही तेल में हमेशा खाना पकाना अच्छा होता है?

आहार विशेषज्ञ नेहा चांदना के अनुसार दोनों तेल ही सेहत के नजरिये से हेल्दी है लेकिन सरसों के तेल का इसका इस्तेमाल ज्यादा करना ठीक नहीं है। क्योंकि इसमें यूरोसिस एसिड (erucic acid) होता है जो शरीर में टॉक्सिक की मात्रा को बढ़ाता है। सच बात तो ये हैं आप खाना बनाने के लिए हमेशा हर एक-दो महीने के बाद खाना बनाने का तेल बदलते रहिये। इससे आप तेल को हेल्दी तरीके से बिना किसी साइड इफेक्ट के इस्तेमाल कर सकते हैं।

वैसे तो भारतीय ज्यादातर पकवान तेज आंच में ही पकाया जाता है जहां तेल का स्मिोकिंग प्वाइंट हाई रहता है। हाई स्मोकिंग प्वाइंट हाई होने के कारण ये टूटता नहीं है। सनफ्लावर, सोयाबीन, राईस ब्रान, मूंगफली, तिल, सरसों और कैनॉला ऑयल जैसे तेलों में हाई स्मोकिंग प्वाइंट होता है। सिर्फ ऑलिव ऑयल का स्मोकिंग प्वाइंट लो होने के कारण ये सलाद बनाने या सौते (sautéing) करने के लिए अच्छा होता है।
दो तेलों को मिलाने का तरीका

राईस ब्रान और ऑलिव ऑयल तथा राईस ब्रान और सनफ्लावर को मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। या तो आप दो तेलों को मिलाकर इसका इस्तेमाल करें या दो महीने में एक बार तेल को बदलें। इस तरह आप हेल्दी तरीके से खाना पका पायेंगे।

तलने का तेल कौनसा लें – Suitable Oils​ For Deep Frying

खाना बनाने  के तेल – Cooking Oil

 
बाजार में कई प्रकार के खाने के तेल मिलते है। मूंगफली , सोयाबीन , सूरजमुखी , जैतून , सरसों , तिल , राइस ब्रान आदि। उसमे भी फिल्टर्ड

और  रिफाइंड टाइप के तेल होते है।  बड़ी दुविधा रहती है कौनसा तेल खाना बनाने में यूज़ करना चाहिए।  सब्जी कौनसे तेल में बनायें , तलने

का तेल कौनसा लें । पराठे किस तेल से बनायें।

 

 

तेल और घी का उपयोग बहुत जरुरी होता है। ये सिर्फ स्वाद नहीं बढ़ाते  , इनसे  एनर्जी मिलती है। कई प्रकार के विटामिन फैट में घुलकर

ही शरीर मे पहुँचते है।  फैट मे घुलनशील  विटामिन  A , विटामिन  D , विटामिन  E , विटामिन  K  आदि के अवशोषण के लिए तेल या

घी आवश्यक होता है। फैट की मदद से ही प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की ऊर्जा शरीर को मिलती है। ये पाचन में भी मदद  करते है। शरीर

के तापमान को बनाये रखने मे भी इनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।अतः तेल और घी बंद नहीं किये जा सकते।

 

ये भी पता होता है की अधिक घी तेल नुकसान करते है। । इसलिए परिवार की सेहत की चिंता बनी रहती है। कुछ परिवारो में वर्षो तक एक

ही प्रकार का तेल हर काम में प्रयोग किया जाता है। चाहे तलने का तेल हो या सब्जी बनाने का या तवे पर सिकाई का तेल । क्या यह उचित

होता है ?  क्या तेल बदलना चाहिए  ?  आइये देखें।

 

रिफाइंड तेल और फिल्टर्ड तेल का अंतर

Refined filtered oil me kya fark he

 

रिफाइण्ड तेल प्रोसेस किया हुआ तेल होता है। इसमें तेल में कई प्रकार के ब्लीच और केमिकल डाले जाते है। इससे  तेल के वास्तविक गुण

खत्म हो जाते है। तेल का रंग , स्वाद और खुशबू चले जाते है। इसके साथ ही तेल में लाभदायक तत्व भी कम हो जाते है। विशेष कर बीटा

केरोटीन और विटामिन E  की कमी हो जाती है। लेकिन इससे बना खाना ओरिजिनल टेस्ट देता है।

 

फिल्टर्ड तेल में पोषक तत्व अधिक होते है। फिल्टर्ड तेल के स्ट्रॉन्ग स्वाद और खुशबु के कारण खाने का ओरिजिनल टेस्ट दब जाता है।

फिल्टर्ड तेल की शेल्फ लाइफ रिफाइण्ड की अपेक्षा कम होती है। फ़िल्टर तेल से किसी किसी को एलर्जी हो सकती है।

 

लेकिन फिर भी पोषक तत्व अधिक होने के कारण फिल्टर्ड तेल लेना ज्यादा अच्छा होता है।

 

तलने का तेल कौनसा अच्छा – Talne Ka Tel Konsa Le

 

तेल और घी में फैटी एसिड  होते है। इनमे से कुछ फायदेमंद होते है और कुछ नुकसान देह होते है। ये फैटी एसिड चार प्रकार के होते है।

 

सैचुरेटेड फैटी एसिड ( SFA )

मोनो अनसैचुरेटेड फैट ( MUFA )

पॉली अनसैचुरेटेड फैट ( PUFA )

ट्रांस फैटी एसिड ( TFA )

 

हमारे लिए वह तेल अच्छा होता है जिसमे  SFA कम हो तथा  MUFA और  PUFA अधिक हो ।  सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट नुकसान अधिक

करते है। इनके कारण दिल की बीमारी होने की सम्भावना बढ़ जाती है।  इनसे रक्त में  LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है जो नुकसान करता है । ये

धमनियों  को अवरुद्ध कर सकते है। अतः ये  तेल में कम होने चाहिए।

 

अनसैचुरेटेड फैट शरीर के लिए फायदेमंद होते है। ये  HDL कोलेस्ट्रॉल कोबढ़ाने में सहायक होते है जो फायदेमंद होता है । ये  LDL  को

कम भी करते है। अतः इनकी  तेल में अधिक मात्रा होनी चाहिए। इन फैट की मात्रा पैकिंग पर देख लेनी चाहिए । 

 

इसके अलावा हर तेल का एक स्मोक पॉइंट होता है। ये वह तापमान है जिससे अधिक गर्म होने पर तेल से नुकसान देह तत्व निकलने शुरू हो

जाते है। अतः तलने का तेल या पराठे आदि बनाने के लिए अधिक स्मोक पॉइंट वाला तेल सही रहता है।

 

 

सब्जी बनाने में तेल बहुत अधिक देर तक तेज गर्म नहीं होता। अतः सब्जी बनाने में कम स्मोक पॉइंट वाला तेल ले सकते है। आजकल

कई प्रकार के सलाद ट्रेंड में है। सलाद में तेल को ठंडा ही डाला जाता है। सलाद में डालने के लिए जैतून का तेल ( Olive oil ) अच्छा रहता है। 

रिफाइण्ड तेल प्रोसेस किये हुए होते है। ऐसा करके उनका स्मोक पॉइंट बढ़ा दिया जाता है।

मूंगफली , सरसों , राइस ब्रान , सोयाबीन ,सूरजमुखी का तेल अधिक स्मोक पॉइंट वाले तेल है। घी का स्मोक पॉइंट भी अधिक होता है। इन्हें

तलने का तेल में या पराठे बनाने में काम ले सकते है। जिस तेल का स्मोक पॉइंट कम हो उस तेल को तलने आदि में काम नहीं लेना चाहिए।

जैतून के तेल , नारियल का तेल , तिल का तेल , बटर का स्मोक पॉइंट कम होता है। इसलिए इन्हें तलने में काम नहीं लेना चाहिए।

 

तेल को जितनी बार और जितनी ज्यादा देर तक गर्म करते है उसमे फैटी एसिड की मात्रा बढ़ती चली जाती है तथा उसका स्मोक पॉइंट कम

होता जाता है। इसलिए दो बार से ज्यादा बार तलने का तेल गर्म किया गया है तो उसे  काम नहीं लेना चाहिए । फैट हमें दूध , अनाज ,

दाल , सब्जी आदि से भी मिलते है। अतः तेल और घी का अधिक यूज़ नहीं करना चाहिए।
 

खाने के लिए अलग अलग तेल के अलग फायदे और नुकसान होते है। सभी तरह के पोषक तत्व शरीर को मिलें उसके लिए एक ही प्रकार के

तेल को हर जगह काम लेने के बजाय तेल को बदल बदल कर काम मे लेना अच्छा रहता है। हर दो महीने में तेल बदल लेना ठीक होता है।

इससे दिल की बीमारियां, मोटापा, शुगर व तेल के कारण होने वाली अन्य बीमारियों की आशंका कम हो जाती है।

फ्लैट टमी पाना चाहती है तो ना करें यह गलतियां

अच्छा फिगर पाना हर लड़की का सपना होता है। लड़कियां अपने टमी(पेट) को फ्लैट रखने के लिए जिम, डाइटिंग, योग, एक्सरसाइज जैसे कई उपाय करती है। इसके साथ ही वह खाने से भी दूरी बनाने लगती है। पेट के फैट कम करने से पहले अक्सर लड़कियां ऐसी गलतियां कर बैठती हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगते हैं। आज हम आपको फ्लैट टमी पाने की राह में महिलाओं के द्वारा की जाने वाली आम गलतियां के बारे में बताने जा रहें हैं….

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1. पौष्टिक आहारों सेवन ना करना

पौष्टिक आहारों का सेवन करने से हमारा शरीर कई बीमारियों से दूर रहता है। शहद का सेवन हमारे शरीर के मोटोपे को कम करने के लिए फायदेमंद होता है। अगर रोजाना सुबह खाली पेट शहद की थोड़ी सी मात्रा गुनगुने पानी के साथ सेवन कर ली जाए, तो इससे आप अपने मोटापे को आसानी से कम कर सकती है। इसके अलावा मोटापा कम करने के लिए आपको जंकफूड से भी दूर बनानी होगी, जिससे कुछ ही दिनों में आप अपने पेट और शरीर में जमा चर्बी से मुक्ति पा सकती है।

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2. हाई प्रोटीन का डाइट ना लेना

शरीर को प्रोटीन की आवश्यकता होती है। अपने पेट की चर्बी को कम करने वाली महिलाओं को इसकी खासतौर जरूरत होती है। इसके लिए हमें सप्ताह में कम से कम तीन बार तो स्टीम की हुई सब्जियों का सेवन करना ही चाहिए। दूध, सेब, दही, पनीर और हरी सब्जियों में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इनका नियमित सेवन करने से पेट की चर्बी जल्द ही बर्न हो जाती है।

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3. सोडियम का अधिक सेवन

पेट की चर्बी को कम करने के लिए सोडियम का सेवन कम मात्रा में करें। शरीर में सोडियम की मात्रा ठीक बनाए रखने के लिए हमें पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। इसके लिए हमें दिनभर में 10 से 12 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पेट की चर्बी को कम करने का यह एक सरह उपाय है।

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4. सुबह के नाश्ते को छोड़ना

बेशक आप फ्लैट टमी और वजन कम करने के बारे में सोच रहीं हों पर फिर भी आपको सुबह का नाश्ता नहीं छोड़ना चाहिए। इससे मैटॉबोलिज्म सिस्टम खराब होने से आपका वजन कम होने के बजाय बढ़ भी सकता है। सुबह और शाम तो सैर करने से शरीर दुरुस्त रहता है और इससे हमारे शरीर की चर्बी भी कम हो जाती।

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5. फलों के जूस का कम सेवन करना

आप अपने पेट की चर्बी को कम करने के लिए फलों के जूस का सेवन कर सकती हैं। फल हमारे शरीर को चुस्ती-फुर्ती देता है और साथ ही हमारी पाचन शक्ति को भी ठीक रखता है। पाचन क्रिया ठीक रहने से हमारा शरीर ठीक रहता है और चर्बी जमा नहीं हो पाती।

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6. खाना चबा चबाकर ना खाना

आज के आधुनिक युग में लोगों के पास समय का आभाव है, जिस वजह से अक्सर महिलाएं भोजन को अच्छी तरह से चबाएं बिना ही खा लेती है। इससे उनके शरीर में कई विकार उत्पन्न होने लगते हैं। पेट की चर्बी बढ़ने का यह भी एक मुख्य कारण है।

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सेहत के लिए कच्चे आम के 12 फायदे


सेहत के लिए कच्चे आम के 12 फायदे

गर्मियों के आते ही बाजारों में आम की बाहार आ जाती है। गर्मियों में फल का राजा आम हर जगह ही देखा जाता है। पक्के आम के साथ ही इस दौरान कच्चे आम का भी प्रयोग बहुत किया जाता है। पक्के आम का स्वाद जहां लोगों को बहुत ही भाता है वहीं कच्चा आम सेहत के लिए वरदान साबित होता है। इन कच्चे आम के फायदे के बारे में हम आप को आज बता रहे है।

1 एसिडिटी को दूर करें
हमारे अनियमित भोजन की आदतों के कारण पेट में अक्सर एसिडिटी की शिकायत हो जाती है। आज के दौर में एसीडिटी एक आम समस्या बन गई है। लेकिन इस समस्या का समाधान है कच्चा आम। इससे एसिडिटी को आसानी से दूर किया जा सकता है।

2 पानी की कमी से बचाव
गर्मियों के दौरान शरीर में पानी की कमी हो जाती है। हमारे शरीर से पानी पसीने के माध्यम से तेजी से बाहर आता है। पानी की इस कमी से बचने के लिए हमें थोड़े से नमक के साथ कच्चे आम का सेवन करना चाहिए और ये बेहद ही आसान तरीका है। इससे शरीर में पानी की कमी को पूरा किया जा सकता हैं।

3 पेट के रोगों से छुटकारा
गर्मियों के दौरान पेट की समस्या होना आम बात है। दरअसल गर्मियों के दौरान पेट संवेदनशील हो जाता है। ऐसे में पेट जल्द ही खराब हो जाता है। लेकिन कच्चे आम की सहायता से इन समस्याओं से आसानी से बचा जा सकता है। साथ ही इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है।

4 वजन कम करने में सहायक
आमों में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जो हमारे शरीर से अतिरिक्त वसा को दूर करता है। साथ ही आम को खाने से आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती है।

5 मसूड़ो से खून को रोकता है
कच्चे आम में विटामिन सी पाया जाता है। विटामिन सी स्कर्वी और मसूड़ों से खून को बहने से रोकने में मदद करता है। अगर आप भी इस तरह की समस्या से पीडित है तो आपको भी इस कच्चे आम को खाना चाहिए। जिससे आसानी से इस समस्या से बचा जा सकता है।

6 दांतो का स्वस्थ बनाता है
कच्चा आम न सिर्फ मसूड़ों की समस्या में कारगार उपाय है। बल्कि आपके लिए यह दांतो की सफाई का भी एक सरल तरीका साबित होता है। कच्चे आम से दांत लंबे समय तक मजबूत रहते है। साथ ही इससे सांसों की र्दुगंध की समस्या भी नहीं होती है।

7 गर्भवती महिलाओं के लिए बेहतर
सुबह के समय में गर्भवती महिलाओं को जी मचलाने की समस्या होने लगती है। इस समस्या से बचने के लिए कच्चे आम का प्रयोग किया जा सकता है। इस समस्या से बचने के लिए कच्चे आम में थोड़ा सा नमक मिलाकर लेने से गर्भवती महिला का जी मचलाना बंद हो जाता है।

8 दृष्टि बढ़ाता है
कच्चे आम में बीटा कैरोटीन, अल्फा कैरोटीन और विटामिन ए ये सभी पोषक तत्व पाए जाते है। यह आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं। साथ ही इससे दृष्टि भी तेज होती है।

9 लीवर के लिए फायदेमंद
कच्चे आम से लीवर की समस्या में सुधार किया जा सकता है। यह लीवर को ठीक करने का एक प्राकृतिक उपाय है। लीवर में पित्त और एसिड बढ़ने से कई सारी समस्याएं शुरू हो जाती है। आपको बता दें कि कच्चा आम आंतों में होने वाले संक्रमण को भी दूर करता है।

10 लू से बचाता है
तेज गर्मी के कारण लू लग जाती है। कच्चा आम लू लगने की समस्या से भी निजात दिलाता है। साथ ही गर्मियों में जब त्वचा में लाल रंग के दाने होने लगते है तो कच्चा आम त्वचा की सभी समस्याओं से शरीर को दूर रखता है और शरीर को शीतलता प्रदान करने में सहायक साबित होता है।

11 पसीने को कम करना
गर्मियों में पसीना आने की समस्या आम बात है। कच्चे आम का रस पीने से पसीने का निकलना नियंत्रित हो जाता है। ज्यादा पसीने बहने से आयरन और सोडियम क्लोराइड के नुकसान होने से भी आम का रस बचाता है।

12 रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है
कच्चा आम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही हमे रोग से लड़ने की क्षमता भी प्रदान करता है।

महिलाओं को क्यों खानी चाहिए कसूरी मेथी...


हर घर में किचन के जरूरी मसालों में मेथी जरूर होती है. मेथी की खास बात ये हैं कि इसके पौधे से लेकर बीज तक का इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के काम आता है. मेथी के अलावा इसकी एक और वेराइटी होती है जिसे हम कसूरी मेथी के नाम से जानते हैं. 

कसूरी मेथी खाने की खूशबू बढ़ाने के काम आती है ये बात तो ज्यादातर लोग जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कसूरी मेथी हमारी सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. 

आयुर्वेद में भी कसूरी मेथी को औषधि माना गया है और इसका उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है.

आइए जानें, कसूरी मेथी के पांच बड़े फायदों के बारे में...

1. एनीमिया 
महिलाओं में खून की कमी यानि एनीमिया की बीमारी को अक्सर ही देखा जाता है. इसी समस्या को घर पर ही सही डाइट की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है. मेथी को अपने खाने का हिस्सा बनाएं. मेथी का साग खाने से एनीमिया की बीमारी में लाभ मिलता है.

2. ब्रेस्टफीड कराने वाली मांओं के लिए 
ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं के लिए भी कसूरी मेथी काफी फायदेमंद रहती है. कसूरी मेथी में पाया जाने वाल एक तरह का कंपाउंड, स्‍तनपान करवाने वाली महिलाओं के ब्रेस्‍ट मिल्‍क को बढ़ाने में मदद करता है. 

3. हार्मोनल चेंज को कंट्रोल करने में 
कसूरी मेथी महिलाओं में होने वाली सबसे बड़ी समस्याओं में से एक मेनोपॉज में होने वाली परेशानी में भी बचाता है. कसूरी मेथी में phytoestrogen काफी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो मेनोपॉज के दौरान हो रहे हार्मोनल चेंज को कंट्रोल करता है. 
 

4. ब्‍लड शुगर से बचाव 
स्‍वाद में थोड़ी कड़वी मेथी लोगों को डायबिटीज से बचाने के भी काम आती है. एक छोटे चम्मच मेथी दाना को रोज सुबह एक ग्लास पानी के साथ लेने से डायबिटीज में राहत मिलती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि कसूरी मेथी टाइप 2 डायबिटीज में ब्लड में शुगर के स्तर को कम करती है.

5. पेट के इंफेक्‍शन से बचाए 
पेट की बीमारियों से बचना चाहते हैं तो इसे अपने खाने का हिस्सा बनाएं. इसी के साथ यह हार्ट, गैस्ट्रिक और आंतों की समस्‍याओं को भी ठीक करती है.

इस जूस से सिर्फ 45 दिनों में ख़त्म होगा कैंसर, अब तक 42000 लोग हो चुके है पूरी तरह ठीक। शेयर जरूर करे


एक विशेष भोजन की मौजूदा जो 45 दिनों के लिए रहता है का आविष्कार किया। रुडोल्फ सिफारिश की है कि सभी लोगों को सिर्फ चाय और इस सब्जी का रस पीना चाहिए।इस अद्भुत घर का बना रस में मुख्य घटक चुकंदर है । उनका दावा है कि इस चक्र के दौरान , कैंसर की कोशिका मर जाते हैं।

नोट : सुनिश्चित करें कि आप जैविक या स्थानीय उगाई सब्जियों का उपयोग करते हैं। आप निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी :

चुकंदर (55 %),
गाजर (20 %),
अजवाइन रूट (20 %),
आलू (3%),
मूली (2 %)

[इनका जूस बनाएं, अपने ड्रिंक का आनंद लें।]

नोटइस जुस को जादा मात्रा में न पिये, अपने शारीरिक आवश्यकता के अनुसार ही पिये।

ऑस्ट्रिया के Rudolf Breuss ने कैंसर के लिए सबसे अच्छा प्राकृतिक इलाज खोजने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया है।

Rudolf Breuss ने बताया के कैंसर ठोस भोजन पर ही जिंदा रहता है , कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता है अगर कैंसर का मरीज़ 42 दिन तक सिर्फ सब्जिओं का रस और चाय ही ले |

Rudolf Breuss ने एक ख़ास जूस तयार किया जिसके बहुत ही शानदार नतीजे देखने को मिले , उन्होंने इस तरीके से 45,000 से भी ज़यादा लोग जिन्हें कैंसर या कई इसी लाइलाज बीमारियाँ थी को ठीक किया | ब्रोज्स का कहना था के कैंसर सिर्फ प्रोटीन पर ही जिंदा रहता है!