Tuesday, May 9, 2017

क्या बार बार किडनी में पथरी होती हैं! ये कारण..


आजकल पथरी रोग लोगों में एक आम समस्या बनता जा रहा है। इस समस्या के पीछे काफी हद तक जीनवशैली से जुड़ी अनियमितताएं जि़म्मेदार होती हैं जैसे ग़लत खान-पान व जरुरत से कम पानी पीने से भी गुर्दे की पथरी का निर्माण होता है। गुर्दे की पथरी सबसे अधिक होती है, जिसके प्रारंभिक चेतावनी संकेत भी हमें मिलते हैं। इस समस्या से बचने के लिए सबसे ज़रूरी होता है इन संकेतों को पहचानना और समय से इसका उपचार कराना। तो चलिये जानते हैं क्या कारण हैं कि बार-बार किडनी में पथरी बन जाती है-
दरअसल गुर्दे की पथरी एक मूत्रतंत्र रोग है जिसमें गुर्दे के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर जैसी कठोरता बन जाती हैं, जिन्हें पथरी कहा जाता है। आमतौर पर यह ये पथरियां मूत्र के रास्ते शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं। कई लोगों में पथरियां बार-बार बनती हैं और बिना अधिक तकलीफ के निकल भी जाती हैं, लेकिन यदि पथरी बड़ी हो जाए तो मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर देती है। इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय दर्द होता है। मधुमेह रोगियों में गुर्दे की पथरी होने की ज्यादा सम्भावना रहती है।

क्या होती है पथरी

विशेषज्ञों के अनुसार, पथरी का कारण अधिकतर किडनी में कुछ खास तरह के साल्ट्स का जमा हो जाना होता है। इसमें सबसे पहले स्टोन का छोटा खंड (निडस) बनता है, जिसके चारों ओर सॉल्ट जमा होता रहता है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में पथरी होने की आशंका ज़्यादा होती है। इसके कई जेनेटिक कारण, हाइपरटेंशन, मोटापा, मधुमेह और आंतों से जुड़ी कोई अन्य समस्या भी हो सकती हैं।

गुर्दे की पथरी के लक्षण

गुर्दे की पथरी से पीठ या पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द हो सकता है, जो कुछ मिनटो या घंटो तक बना रह सकता है। इसमें दर्द के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी की शिकायत भी हो सकती है। यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण है तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं मूत्र में रक्त भी आ सकता है। चलिये विस्तार से जानें इसके संकेत-

दर्द के साथ पेशाब आना

गुर्दे की पथरी से पीडि़त लोग अक्सर लगातार या दर्द के साथ पेशाब आने की शिकायत करते हैं। ऐसा तब होताहै जब गुर्दे की पथरी मूत्रमार्ग में मूत्राशय से चली जाती है। ये स्थानांतरण बेहद दर्दनाक होता है और यह अक्सर मूत्र पथ के संक्रमण का कारण भी बनता है।

पीठ दर्द

गंभीर दर्द होना गुर्दे की पथरी से पीडि़त लोगों के लिए एक आम समस्या है, विशेषकर कमर और कमर के निचले हिस्से में (ठीक पसलियों के नीचे जहां  गुर्दे स्थित होते हैं)। दर्द पेट के निचले हिस्से से पेट और जांघ के बीच के भाग में जा सकता है। यह दर्द तीव्र होता है और तंरगों की तरह उठता है।

पेशाब में खून

गुर्दे की पथरी से पीडि़त लोगों का मूत्र अक्सर गुलाबी, लाल या भूरे रंग का आने लगता है। जो कि स्टोन के बढऩे और मूत्रमार्ग ब्लॉक हो जाता है, किडनी में पथरी वाले लोगों के मूत्र में रक्त आ सकता हैं।

मतली और उल्टी

पेट में गड़बड़ महसूस करना और मिचली आना किडनी स्टोन का संकेत हो सकता है और इसमें उल्टियां भी हो सकती हैं। उल्टियां दो कारणों से आती हैं, पहला कारण स्टोन के स्थानांतरण के कारण होना वाला तीव्र दर्द तथा दूसरा इ सलिए क्योंकि गुर्दे शरीर के भीतर की गंदगी (टॉक्सिक) को बाहर करने में मदद करते हैं और जब स्टोन के कारण अवरुद्ध हो जाते हैं तो इन टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने के लिए उल्टी ही एकमात्र रास्ता बचता है। ज़रूरत से कम पानी पीने व फैट और कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार अधिक खाने से भी किडनी स्टोन की समस्या होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि गुर्दे में पथरी की समस्या से ग्रसित मरीजों में 30 फीसदी 25 से 35 वर्ष की आयु वाले होते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि युवाओं में खाने के साथ पानी की बजाय सॉफ्ट ड्रिंक लेने का चलन बढ़ा है। जिसका उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है और लोग कम उम्र में ही किडनी स्टोन की समस्या से ग्रसित हो जाते हैं।

पथरी की जांच और उपचार

मरीज के लक्षण के आधार पर जांच का तरीका तय किया जाता है। रेडियोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन्स जैसे एक्सरे, अल्ट्रा-सोनोग्राफी या कम्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सीटी) के जरिए पथरी की पुष्टि की जाती है। इनमें से सीटी स्कैन सबसे मानक माना जाता है। पथरी का उपचार इसके आकार और जगह पर निर्भर करता है। चार एमएम से कम की पथरी अपने आप या कुछ दवाओं के जरिए यूरिन के रास्ते बाहर निकल जाती है। इसके अलावा मूत्र मार्ग में निचली तरफ आ चुके स्टोन के लिए यूरेट्रोस्कॉपी की जाती है। गुर्दे और ऊपर की ओर के स्टोन के लिए लीथोट्राइप्सी को अपनाया जाता है। किडनी का आकार बढऩे पर नेफ्रोलिथोटॉमी को अपनाया जाता है।

विटामिन सी से गुर्दे की पथरी का खतरा

लंदन. एक नए शोध के मुताबिक रोजाना विटामिन सी लेने वालों को गुर्दे में पथरी होने का खतरा दोगुना हो जाता है। इस बात का पता स्वीडन के स्टॉकहोम में स्थित कैरोलिंस्का इंस्टीच्यूट के लूरा थॉमस ने लगाया है। उन्होंने कहा है कि लंबे समय से यह संदेह था कि विटामिन सी की अत्यधिक खुराक गुर्दे की पथरी के खतरे को बढ़ाता है। जेएएमए इंटर्नल मेडिसिन जर्नल में छपी रपट के मुताबिक इसका कारण यह है कि शरीर द्वारा अवशोषित कुछ विटामिन सी ऑक्सलेट के रूप में मुत्र के साथ मिल जाता है। यही गुर्दे में पथरी बनने का एक महत्वपूर्ण अवयव होता है। वे छोटे क्रिस्टल के बने होते हैं, जिसका निर्माण ऑक्सलेट के साथ कैल्सियम के संयोग से हो सकता है। थॉमस ने कहा, "विटामिन सी पौष्टिक आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गुर्दे की पथरी के खतरे पर विटामिन सी का कोई भी प्रभाव खुराक पर और जिस पोषक के साथ इसे लिया जा रहा है उस पर निर्भर करता है।" 22 हजार से अधिक अधेड़ों और बुजुर्गो पर 11 वर्षो तक किए गए अध्ययन में पता चला है कि नियमित रूप से विटामिन सी की अलग से खुराक लेने वाले 3.4 प्रतिशत लोगों में अध्ययन के दौरान पहली बार गुर्दे की पथरी विकसित हुई। इसके मुकाबले बिटामिन सी न लेने वाले 1.8 प्रतिशत लोगों में ही गुर्दे की पथरी विकसित हुई।

सूर्य नमस्कार व इससे होने वाले अद्भुत लाभ

सूर्य नमस्कार के फायदे | Surya Namaskar ke fayde

सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर (विभिन्न आसनो से), मन (मणिपुर चक्र से) और आत्मा ( मंत्रोच्चार से) सबल होते हैं| पृथ्वी पर सूर्य के बिना जीवन संभव नही है| सूर्य नमस्कार, सूर्य के प्रति सम्मान व आभार प्रकट करने की एक प्राचीन विधि है, जो कि पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों का स्रोत है |

सूर्य नमस्कार करने की विधि ही जानना पर्याप्त नहीं है, इस प्राचीन विधि के पीछे का विज्ञान समझना भी आवश्यक है| इस पवित्र व शक्तिशाली योगिक विधि की अच्छी समझ, इस विधि के प्रति उचित सोच व धारणा प्रदान करती है| ये सूर्य नमस्कार की सलाहें आपके अभ्यास को बेहतर बनाती है और सुखकर परिणाम देती है|

सूर्य नमस्कार के पीछे का विज्ञान

TheSciencebehind Surya Namaskar

भारत के प्राचीन ऋषियों के द्वारा) ऐसा कहा जाता है कि शरीर के विभिन्न अंग विभिन्न देवताओं (दिव्य संवेदनाए या दिव्य प्रकाश) के द्वारा संचालित होते है| मणिपुर चक्र (नाभि के पीछे स्थित जो मानव शरीर का केंद्र भी है) सूर्य से संबंधित है| सूर्य नमस्कार के लगातार अभ्यास से मणिपुर चक्र विकसित होता है| जिससे व्यक्ति की रचनात्मकता और अन्तर्ज्ञान बढ़ते हैं| यही कारण था कि प्राचीन ऋषियों ने सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए इतना बल दिया|

मणिपुर चक्र में ही हमारे भाव एकत्रित होते है और यही वो स्थान है जहाँ से अंतःप्रज्ञा विकसित होती है| सामान्यतया मणिपुर चक्र का आकार आँवले के बराबर होता है, लेकिन जो योग ध्यान के अभ्यासी​ उनका मणिपुर चक्र 3 से 4 गुना बड़ा हो जाता है| जितना बड़ा मणिपुर चक्र उतनी ही अच्छी मानसिक स्थिरता और अन्तर्ज्ञान हो जाते हैं|

दिन का प्रारंभ सूर्य नमस्कार से करें |

Start the Day With Surya Namaskar

सूर्य नमस्कार में 12 आसान होते हैं| इसे सुबह के समय करना बेहतर होता है| सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचरण बेहतर होता है, स्वास्थ्य बना रहता है और शरीर रोगमुक्त रहता है| सूर्य नमस्कार से हृदय, यकृत, आँत, पेट, छाती, गला, पैर शरीर के सभी अंगो के लिए बहुत से लाभ हैं| सूर्य नमस्कार सिर से लेकर पैर तक शरीर के सभी अंगो को बहुत लाभान्वित करता है| यही कारण है कि सभी योग विशेषज्ञ इसके अभ्यास पर विशेष बल देते हैं |

सूर्य नमस्कार के आसन हल्के व्यायाम और योगासनो के बीच की कड़ी की तरह है और खाली पेट कभी भी किए जा सकते हैं| हालाँकि सूर्य नमस्कार के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यह मन व शरीर को ऊर्जान्वित कर तरो ताज़ा कर देता है और दिनभर के कामो के लिए तैयार कर देता है| यदि यह दोपहर में किया जाता है तो यह शरीर को तत्काल ऊर्जा से भर देता है, वहीं शाम को करने पर तनाव को कम करने में मदद करता है | यदि सूर्य नमस्कार तेज गति के साथ किया जाए तो बहुत अच्छा व्यायाम साबित हो सकता है और वजन कम करने में मदद कर सकता है|

 

बच्चो को सूर्य नमस्कार क्यों करना चाहिए? |Why Should Children Do Surya Namaskar?

सूर्य नमस्कार मन शांत करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है| आजकल बच्चे महती प्रतिस्पर्धा का सामना करते है| इसलिए उन्हे नित्यप्रति सूर्य नमस्कार करना चाहिए क्योंकि इससे उनकी सहनशक्ति बढ़ती है और परीक्षा के दिनों की चिंता और असहजता कम होती है|

सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर में शक्ति और ओज की वृद्धि होती है| यह मांसपेशियों का सबसे अच्छा व्यायाम है और हमारे भविष्य के खिलाड़ियों के मेरुदण्ड और अंगो के लचीलेपन को बढ़ता है| 5 वर्ष तक के बच्चे नियमित सूर्य नमस्कार करना प्रारंभ कर सकते हैं |

महिलाओं को सूर्य नमस्कार क्यों करना चाहिए? |Why Should Women Do Surya Namaskar?

ऐसा कहा जाता है सूर्य नमस्कार वो कर सकता है, जो महीनो के संतुलित आहार से भी नही हो सकता है| स्वास्थ्य के प्रति सचेत महिलाओं के लिए यह एक वरदान है| इससे आप न केवल अतिरिक्त कैलोरी कम करते है बल्कि पेट की मांसपेशियो के सहज खिचाव से बिना खर्चे सही आकार पा सकते हैं| सूर्य नमस्कार के कई आसन कुछ ग्रंथियो को उत्तेजित कर देते हैं, जैसे की थाईरॉड ग्रंथि (जो हमारे वजन पर ख़ासा असर डालती है) के हॉर्मोने के स्राव को बढ़ाकर पेट की अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करते हैं| सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता को दूर करता है और प्रसव को भी आसान करता है| साथ ही ये चेहरे पर निखार वापस लाने में मदद करता है, झुर्रियों को आने से रोकता है और हमे चिरयुवा और कांतिमान बनाता है|

 

सूर्य नमस्कार से अंतरदृष्टी विकसित करें |Develop Your Sixth Sense with Sun Salutations

सूर्य नमस्कार व ध्यान के नियमित अभ्यास से मणिपुर चक्र बादाम के आकार से बढ़कर हथेली के आकार का हो जाता है| मणिपुर चक्र का यह विकास जो की हमारा दूसरा मस्तिष्क भी कहलाता है, हमारी अंतरदृष्टी विकसित कर हमे अधिक स्पष्ट और केंद्रित बनाता है| मणिपुर चक्र का सिकुड़ना अवसाद और दूसरी नकारात्मक प्रवृत्तियों की ओर ले जाता है|

सूर्य नमस्कार के ढेरों लाभ हमारे शरीर को स्वस्थ और मन को शांत रखते है, इसीलिए सभी योग विशेषज्ञ सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास पर विशेष बल देते हैं|

माइग्रेन दर्द को ठीक करने के लिए रामबाण घरेलु इलाज


सिरदर्द का रोग अर्धकपारी या फिर माइग्रेन एक बडी़ ही आम सी बीमारी है। कई लोग माइग्रेन से हफ्ते में एक या दो बार जरुर जूझते हैं। इसके रोगी वे होते हैं जिनके घरों में यह बीमारी सालों से चली आ रही हो। माइग्रेन का दर्द बड़ा ही तेज होता है जिसमें सिर के एक ही ओर तेज़ दर्द होने लगता है। यह दर्द कई अन्‍य बीमारियों की भी न्‍यौता देता है जैसे, चक्‍कर, उल्‍टी और थकान।

सभी जानते है की माइग्रेन में होने वाला सर दर्द कितना तकलीफ दायक होता है। यह दर्द अचानक ही शुरू होता है और अपने आप ही ठीक भी हो जाता है।

हाथों के स्पर्श से मिलने वाला आराम और प्यार किसी भी दवा से ज्यादा असर करता है। इस दर्द में अगर सर, गर्दन और कंधो की मालिश की जाये तो यह इस दर्द से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकता है। इसके लिए हलकी खुशबू वाले अरोमा तेल का प्रयोग किया जा सकता है।

माइग्रेन के दर्द को ठीक करने के कई तरीके हैं जैसे दवाइयां या फिर कुछ खाघ पदार्थ। क्‍या आप जानते हैं कि ऐसे कई फूड्स हैं जिन्‍हें खा कर आप माइग्रेन के दर्द से तुरंत ही छुटकारा पा सकते हैं। यदि आपको हर समय दवाइयों पर जिन्‍दा नहीं रहना है तो अब खाघ पदार्थ खा कर अपने जीवन की रक्षा करें। इन्‍हें खाने के अलावा थोड़ा आराम करना भी आवश्‍यक है।

माइग्रेन को दूर भागने के घरेलु नुस्खे

 

हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां:
हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां इन सब्‍जियों में मैग्निशियम अधिक होता है। यह रसायन माइग्रेन के दर्द को तुरंत गायब कर देगा। साबुत अनाज, समुंद्री जीव और गेहूं आदि में बहुत मैग्निशियम होता है।

अलसी का बीज:
इसमें भी खूब सारा ओमेगा 3 और फाइबर पाया जाता है। यह बीज सूजन को कम करती हैं।

मछली:
मछली इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन पाया जाता है। ये तत्‍व माइग्रेन का दर्द पैदा करने वाली सनसनाहट को कम करते हैं।

कॉफी:
यह बात बिल्‍कुल सही है कि सिर दर्द में कॉफी पीने से वह गायब हो जाता है, तो माइग्रेन अटैक आने पर कॉफी का सेवन जरुर करें।

अदरक:
आयुर्वेद के अनुसार अदरक आपके सिर दर्द को ठीक कर सकता है। भोजन बनाते वक्‍त उसमें थोड़ा सा अदरक मिला दें और फिर खाएं।

दूध:
दूध वसा रहित दूध या उससे बने प्रोडक्‍ट्स माइग्रेन को ठीक कर सकते हैं। इसमें विटामिन बी होता है जिसे राइबोफ्लेविन बोलते हैं और यह कोशिका को ऊर्जा देती है। यदि सिर में कोशिका को ऊर्जा नहीं मिलेगी तो माइग्रेन दर्द होना शुरु हो जाएगा।

बाजरा:
इसमें फाइबर, एंटीऑक्‍सीडेंट और मिनरल पाये जाते हैं। तो ऐसे में दर्द पड़ने पर साबुत अनाज से बने भोजन का जरुर सेवन करें।

कुछ अन्य नुस्खे जिनकी मदद से आप माइग्रेन की बीमारी को दूर कर सकते है

एक तोलिये को गरम पानी में डुबाकर उस गरम तोलिये से दर्द वाले हिस्सों में मालिश करे। कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गयी इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है। इसके लिए आप बर्फ के टुकड़ो का उपयोग भी कर सकते है।कपूर को घी में मिलकर सर पर हलके हाथों से मालिश करे। मक्खन में मिश्री मिलाकर सेवन करे।नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।रात की नींद अच्छी तरह से ले। ताकि आप अच्छा महसूस कर सकेंगे।कोशिश करे की हर दिन सोने और उठने का एक नियमित समय हो जो लोग अनियमित तरीके से सोते है या फिर जिनके ऑफिस की ड्यूटी हमेशा बदलती रहती है उन्हें इस प्रकार की समस्या अधिक होती है।माइग्रेन के दर्द से बचने के लिए सही आहार का सेवन करे, यह आपके लिए बहुत जरुरी है।

अब होगा कमर दर्द का उपचार


पीठ के निचले भाग में दर्द एक बहुत आम समस्या है. अलग-अलग व्यक्तियों में ये विभिन्न प्रकार से पाया जाता है. इसमें प्रभावित क्षेत्र में अकड़न, जलन या फिर टाँगों और और नितंब के क्षेत्र की तरफ बहुत तीक्ष्ण रूप का दर्द भी हो सकता है. बहुत से लोगों में इस दर्द की वजह से उनके दैनिक कार्य में बाधा उत्पन्न हो जाती है. अनेक कार्यों को करने में उसे रूचि नही रहती और जीवन के अनेक कार्यों में से प्रसन्नता चली जाती है.
वैसे तो यह समस्या अधिक तौर से 45-64 वर्षा के महुष्यों में पाई जाती है परंतु अब बढ़े हुए तनाव और अनियमित जीवनचर्या की वजह से जवान लोगों में भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है. मज़े की बात यह है जिन्हें यह समस्या शुरू होती है, ज़्यादातर लोगों में 1.5 से 3 महीने में स्वतः ही ठीक हो जाती है. परंतु गत 5 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जिनमें यह समस्या नसों के प्रभावित हो जाने के कारण बनी रहती है.

कटीग्राहम के कारण (Causes of Back-ache As Per Ayurveda)

आजकल दौड़ भाग के समय में ना चाहते हुए भी व्यक्ति तनाव ग्रस्त हो जाता है और इससे वात की विकृति आती है. जिस कारण कटीग्राहम अथवा पृष्ठशूल की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

मुख्यतः यह समस्या रीढ़ की हड्डी को झुकाकर बैठने अथवा ग़लत तरीके से उठने बैठने से होती है. यदि व्यक्ति कमर सीधी करके बैठे तो उसे मांसपेशियों, हड्डियों और आंतरिक अंगों पर दबाव भी नही पड़ता और व्यक्ति स्वस्थ भी रहता है.यह समस्या हड्डियों की कमज़ोरी की परिचायक भी हो सकती है.लिगमेंट में मोच अथवा इसके ग़लत रूप से मूड़ जाने के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है.स्त्रीयो में फिबरोमयलगिया की समस्या से या फिर एस्टरोगेन की कमी से भी यह तकलीफ़ हो जाती है.गर्भाशय में ट्यूमर या रसोली से भी कटी में दर्द हो सकता है.बिल्कुल भी व्यायाम ना करने से अथवा ग़लत तरीके से योगाभ्यास अथवा व्यायाम करने से भी पीठ में दर्द उत्पन्न हो जातआ है.बहुत कम या बहुत अधिक वज़न के शरीर में भी यह समस्या उत्पन्न होती है.

योगासन द्वारा उपचार (Yogasanas Helpful In Back-Ache)

इस स्थिति में बहुत कुशल योगाचार्य से एवं उनके निरीक्षण में ही कुछ ख़ास प्रकार के आसनों का अभ्यास करना चाहिए. बैक बेंडिंग (back-bending) के आसन जैसे भुजंगासन, शलभासन, मकरासन, गरुड़ासन, मार्जरि का अभ्यास लाभदायक है.आसन करते समय प्रभावित क्षेत्र में ध्यान अवश्य दें और यह समझना चाहिए की प्रभावित क्षेत्र में प्राण उर्जा का संचार हो रहा है. इस प्रकार धारणा करने से दोगुना लाभ मिलता है.वीरासन में बैठने का अभ्यास भी अत्यंत हितकारी है. इससे कमर की मांसपेशियाँ मजबूत हो जाती ही और कमर सीधी रखने का अभ्यास बनता है. स्वयं को तनाव रहित करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है.

कटीग्राहम का आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment Of Back-Ache)

इस समस्या के निवारण के लिए वैसे तो आंतरिक और बाहिय दोनो हो उपचार किए जाते हैं.

अष्ठवर्ग औषधि का सेवन इस समस्या में किया जाता है,साथ ही साथ अभ्यंग और बस्ती करना इसमें बहुत लाभदायक है. नियमित रूप से विरेचन भी करना चाहिए.
उपचार में लाभदायक आयुर्वेदीय औषधियाँ इस प्रकार हैं- योगराजगुग्गूल, लक्ष्यादि गुग्गुलु, त्रिफला गुग्गूल. आयुर्वेदाचार्य से सलाह अवश्य लें.

कमर दर्द में उपयोगी घरेलू नुस्खे ( Ayurvedic Home Remedies Useful In Back-Ache  Hindi)

नाश्ते में अखरोट और अलसी  का 1-1 चम्मच दूध के साथ सेवन कीजिए.इससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं. सर्दियों में तिल का एक चम्मच खा सकते हैं.रात्रि को 60 ग्राम गेहूँ भिगो कर रखें. प्रातः काल इसमें 2 चम्मच धनिया और 2 चम्मच खसखस पाउडर मिलाइए. इसका पेस्ट बनाएँ और इसी 250 मिलीलीटर दूध में मिलकर 15-20 मिनट पकाएँ. हल्का गर्म होने पर इसका सेवन कर लीजिए.वात को बढ़ाने वाले भोजन का त्याग करें. महनारायण तेल से प्रभावित क्षेत्र में हल्की मालिश रोज़ रात्रि के समय करें.आप लहसुन का तेल बनाकर भी उसका प्रयोग कर सकते हैं. 50 मिलीलीटर नारियल या तिल के तेल में 8-10 लौंग लहसुन के डालें. अब इन्हें हल्का जल जाने तक भूने. इस तेल अब प्रभावित क्षेत्र में हल्की मालिश करें!

Monday, May 8, 2017

कहीं आप की कमर दर्द का कारण, आपकी पिछली पाकेट में रखा पर्स तो नहीं


पुरुष अक्सर अपना पर्स पेंट की पीछे वाली जेब में ही रखते हैं और इसके लिए पेंट या जींस में पीछे एक पॉकेट भी बनाई होती है ! लेकिन अगर डॉक्टर्स की मानें तो ऐसा करने से हम एक गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं ! शायद आप भी यह खबर सुनकर पर्स को पेंट की पीछे वाली जेब में रखना छोड़ देंगे ! डॉक्टर के मुताबिक जो लोग पर्स को पैंट की पिछली जेब में रखते हैं उन्हें पायरी फोर्मिस सिंड्रोम नामक एक बीमारी होने की संभावना बनी रहती है ! इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को असहनीय दर्द शुरू हो जाता है !

यदि हम पेंट की पीछे वाली जेब में पर्स रखकर कई घंटो तक बैठे रहते हैं तो हमारी पायरी फोर्मिस मसल्स दबती है और ऐसे में हमारे पैर में बहुत तेज दर्द होने लगता है ! हमारे देश में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या आए दिन बढ़ रही है ! डॉक्टरों की मानें तो आज के समय में इस बीमारी से ज्यादातर युवा लोग पीड़ित हैं क्योंकि वह घंटों तक कंप्यूटर पर काम करते हैं ! इसके अलावा जिन लोगों की घंटों तक बैठे रहने वाली जॉब है उनको भी यह समस्या ज्यादा होती है !


अगर इस बीमारी का समय रहते उपचार नहीं किया जाए तो फिर अंत में इससे निजात पाने के लिए सर्जरी करवानी पड़ती है और इस बीमारी की सर्जरी काफी महंगी होती है ! तो अगर आप भी अपना पर्स पैंट की पिछली जेब में रखते हैं तो संभल जाएं जहां तक हो सके घंटो तक बैठे रहने की स्थिति में पेंट की पिछली जेब से पर्स को निकालकर कहीं और रखें वरना आप भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं और इससे आपके पैर काफी कमजोर हो सकते हैं !

देखा गया है कि खास तौर पर यह बीमारी सरकारी कर्मचारी जैसे बैंक, रेलवे इत्यादि में काम करने वाले या फिर कंप्यूटर इंजीनियर्स को ज्यादा होती है क्योंकि इन यह लोग दिन में कई घंटों तक बैठे रहते हैं !

इसके अलावा एम्स के ऑर्थोपैडिक डॉ. सीएस यादव के मुताबिक, जहां बैक पॉकेट में पर्स रखा जाता है वहां से हिप्स की साइटिका नस गुजरती है और पर्स के ऊपर बैठने से नस पर लगातार प्रेशर बनता है जो कि बैक और हिप्स पेन का कारण बन सकता है. बैक पॉकेट में पर्स की आदत से 2 से 3% डीप वेन थांब्रोसिस (पैर की नसों में सूजन) की शिकायत भी हो सकती है. एम्स के आर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट द्वारा भी साइटिका पेन का कारण जानने के लिए 2008 में फैटी पर्स पर रिसर्च की गई थी। एक अन्य रिसर्च के मुताबिक, यदि आप तकरीबन 70 ग्राम पर्स को बैक पॉकेट में रखकर बैठते हैं तो आधे घंटे के भीतर आपको बैकपेन फील हो सकता है।

नाभि खिसकना / धरण जाना 

नाभि धरण पिचोटी खुद कैसे ठीक करें – How To Get Naval Back

 नाभि खिसकना या धरण जाना आयुर्वेद और प्राकृतिक उपचार पद्धति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नाभि को मानव शरीर का केंद्र माना जाता

है। नाभि स्थान से शरीर की बहत्तर हजार नाड़ियों जुड़ी होती है। यदि नाभि अपने स्थान से खिसक जाती है तो शरीर में कई प्रकार की समस्या

पैदा हो सकती है। ये समस्या किसी भी प्रकार दवा लेने से ठीक नहीं होती। इसका इलाज नाभि को पुनः अपने स्थान पर लाने से ही होता है।

आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसे नहीं माना जाता है। परंतु आज भी इस पद्धति से हजारों लोग ठीक होकर लाभ प्राप्त कर रहे है।

 

नाभि का अपने स्थान से खिसक जाने को नाभि हटना ( Nabhi Hatna)  , धरण जाना ( Dharan Jana ) , गोला खिसकना

( Gola khisakna ) पिचोटी खिसकना ( Pichoti Khisakna ) , नाभि पलटना ( Nabhi Palatna ) या नाभि चढ़ना

( Nabhi Chadhna ) आदि नामों से भी जाना जाता है।

 

नाभि खिसकने के कारण पेट दर्द , कब्ज , दस्त , अपच आदि होने लगते है। यदि नाभि का उपचार ना किया जाये तो शरीर में कई प्रकार की

अन्य परेशानियाँ पैदा हो सकती है। जैसे दाँत , बाल , आँखें प्रभावित हो सकते है , मानसिक समस्या पैदा हो सकती है। डिप्रेशन हो सकता है।

अतः नाभि का  पुनः अपने स्थान पर आना आवश्यक होता है।

 

नाभि खिसकने का कारण – Reason Of Dharan

Nabhi bar bar talne ka karan

 

यदि पेट की मांसपेशियां कमजोर होती है तो नाभि खिसकने की समस्या ज्यादा होती है । दैनिक जीवन के कार्य करते समय शरीर का संतुलन

सही नहीं रह पाने के कारण नाभि खिसक सकती है। इसके अलावा शरीर की मांस पेशियों पर एक तरफ अधिक भार पड़ने से भी धरण चली

जाती है , गोला सरक जाता है । पेट पर बाहरी या अंदरूनी दबाव नाभि टलने का कारण हो सकता है। सामान्य कारण इस प्रकार है :-

 

असावधानी से दाएं या बाएं झुकना।

 

संतुलित हुए बिना अचानक एक हाथ से वजन उठाना।

 

चलते हुए अचानक ऊंची नीची जगह पर पैर पड़ना।

 

खेलते समय गलत तरीके से उछलना।

 

तेजी से सीढ़ी चढ़ना या उतरना।

 

ऊंचाई से छलांग लगाना।

 

पेट में अधिक गैस बनना।

 

पेट में किसी प्रकार की चोट लगना।

 

स्कूटर या मोटर साइकिल चलाते समय झटका लगना।

 

गर्भावस्था में पेट पर आतंरिक दबाव ।

 

तनाव।

 

बचपन से किसी कारण से नाभि खिसकी हुई हो।

नाभि खिसकने की जाँच – Dharan Kaise Jane

Nabhi Talna kese jane

 

नाभि टलने या खिसकने का पता लगाने के बहुत आसान तरीके होते है। इनको जानकर आप भी नाभि खिसकने या धरण जाने का पता कर

सकते है। थोड़े से अनुभव के बाद तुरंत पता  चल जाता है। अधिकतर पुरुष की नाभि बायीं तरफ तथा स्त्रियों की नाभि दायीं तरफ खिसकती

है।

 

नाभी के खिसकने का पता करने की विधि इस प्रकार है :-

 

( 1 )

सीधे खड़े हो जाएँ। दोनों पैर पास में सीधे रखें। अपने दोनों हाथ सीधे करें। हथेलियां खुली रखकर इस तरह समानांतर रखें की दोनों छोटी

अंगुलीयां  (Little Finger ) पास में रहें। हथेली की रेखा मिलाते हुए छोटी अंगुली  (Little Finger )  की लंबाई चेक करें। यदि छोटी

अंगुलियां की लंबाई में फर्क नजर आता है यानि कनिष्ठा अंगुलियां छोटी बड़ी नजर आती है तो नाभि खिसकी हुई है।

 

( 2 )

पुरुष की नाभि चेक करने के लिए एक धागे से उसकी नाभि और एक छाती के केन्द्रक के बीच की दूरी नापें। अब नाभि से दूसरी छाती के

केन्द्रक की दूरी नापें। यदि नाप अलग अलग आती है तो नाभि खिसकी हुई है।

 

( 3 )

सुबह खाली पेट चटाई पर पीठ के बल लेट जाएँ। हाथ और पैर सीधे रखें। हथेलियाँ जमीन की तरफ रखें।

अब अंगूठे से नाभि पर हल्का दबाव डालकर स्पंदन चेक करें। यदि स्पंदन नाभि पर महसूस होता है तो नाभि सही है।  यदि स्पंदन नाभि के

स्थान पर ना होकर नाभि से  ऊपर , नीचे , दाएं या बाएं महसूस होता है तो नाभि अपने स्थान से खिसकी हुई है। जिस प्रकार कलाई पर अंगूठे

के नीचे नाड़ी देखने पर स्पंदन महसूस होता है। इसी प्रकार का स्पंदन नाभि पर महसूस होता है। 

 

( 4 )

सीधे पीठ के बल लेट जाएँ। दोनों पैर पास में लाएं यदि पैर के अंगूठे ऊपर नीचे दिखाई दें तो नाभि अपने स्थान से हटी हुई है।

 

कृपया ध्यान दें : किसी भी लाल रंग से लिखे शब्द पर क्लिक करके उसके बारे में विस्तार से जान सकते हैं 

नाभि खिसकने से नुकसान – Dharan Jane Ke Nuksan

Nabhi Talne Ke Nuksan

 

यदि नाभि नीचे की ओर खिसक गई है तो दस्त , अतिसार , पेचिश आदि की समस्या हो जाती है।

 

नाभि के ऊपर की तरफ खिसकने पर कब्ज रहने लगती है। गैस अधिक बनती है। इसके कारण लंबी अवधि में फेफड़ों की समस्या , अस्थमा डायबिटीज आदि बीमारियां हो सकती है।

 

बाईं और खिसकने पर सर्दी , जुकाम , खाँसी , कफ आदि की समस्या बार बार हो सकती है।

 

दायीं तरफ खिसकने पर लीवर पर असर पड़ सकता है। एसिडिटी हो सकती है , अपच या अफारा हो सकते है।

 

यदि नाभि अधिक गहराई में महसूस हो तो व्यक्ति कितना भी खाये शरीर कृशकाय ही बना रहता है।

 

नाभि को ठीक करने के उपाय – Dharan Theek Kaise Kare

 

नाभि खिसके या गोला सरके हुए अधिक समय नहीं हुआ हो तो नीचे दिए गए तरीके अपनाने से जल्द वापस अपनी जगह आ जाती है। यदि

समय अधिक हो गया हो तो थोड़ा अधिक प्रयास करना पड़ता है। यदि नीचे दिए गए तरीको से लाभ ना हो तो किसी अनुभवी से नाभि सही

करवानी चाहिए। कुछ लोग खुद का पेट तेल लगा कर मसल कर नाभि सही करने का प्रयास करते है ,जो उचित तरीका नहीं है। पेट को

मसलना नहीं चाहिए।

 

यहाँ जो नाभि ठीक करने के तरीके ( Dharan  theek karne ke tareeke ) दिए गए है उनमे से अपनी शारीरिक अवस्था के अनुसार

नाभि को वापस अपनी जगह ला सकते है।  

 

(1 )

जिस हाथ की छोटी अंगुली की लंबाई कम हो उस हाथ सीधा करें। हथेली ऊपर की तरफ हो।  अब इस हाथ को दुसरे हाथ से कोहनी के जोड़

के पास से पकड़ें। अब पहले वाले हाथ की मुट्ठी कस कर बंद करें। इस मुट्ठी से झटके से अपने इसी तरफ वाले कंधे पर मारने की कोशिश

करें। कोहनी थोड़ी ऊंची रखें।  ऐसा दस बार करें।

 

अब अंगुलियों की लंबाई फिर से चेक करें। लंबाई का फर्क मिट गया होगा। यानि नाभि अपने स्थान पर आ गई है। यही ऐसा नहीं हुआ तो एक

बार फिर से यही क्रिया दोहराएं।

 

( 2 )

सुबह खाली पेट सीधे पीठ के बल चटाई या योगा मेट पर लेट जाएँ। दोनों पैर पास में हो और सीधे हो। हाथ सीधे हो और कलाई जमीन की

तरफ हो। अब धीरे धीरे दोनों पैर एक साथ ऊपर उठायें। इन्हें लगभग 45 ° तक ऊँचे करें। फिर धीरे धीरे नीचे ले आएं। इस तरह तीन बार

करें। नाभि सही स्थान पर आ जाएगी। यह उत्तानपादासन कहलाता है।

 

( 3 )

सुबह खाली पेट योगा मेट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएँ। अब एक पैर को मोड़ें और दोनों हाथों से पैर को पकड़ लें। दूसरा पैर सीधा ही रखें।

जिस प्रकार शिशु अपने पैर को पकड़ कर पैर का अंगूठा मुँह में डाल लेते है उसी प्रकार आप पैर को पकड़ कर अंगूठे को धीरे धीरे अपनी

नाक की तरफ बढ़ाते हुए नाक से अड़ाने की कोशिश करें। सर को थोड़ा ऊपर उठा लें। अब धीरे धीरे पैर सीधा कर लें।यह एक योगासन है

जिसे पादांगुष्ठनासास्पर्शासन कहते है

 

इसी प्रकार दुसरे पैर से यही क्रिया करें। इस प्रकार दोनों पैरों से तीन तीन बार करें। फिर एक बार दोनों पैर एक साथ मोड़ कर यह क्रिया करें।

नाभि अपनी सही जगह आ जाएगी।

 

यदि आपकी मांस पेशियाँ कमजोर है तो बार बार नाभि खिसक सकती है , गोला खिसक सकता है । अतः थोड़ा व्यायाम आदि करके उन्हें

मजबूत करें। पैर के अंगूठे में काला धागा बांधने से नाभि बार बार नहीं खिसकती है।

पेशाब में परेशानी के घरेलु नुस्खे

 पेशाब या मूत्र उत्सर्जन हमारे शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने का एक माध्यम है। प्रकृति ने हमारे शरीर को शुद्ध रखने के लिए कई

तरह की महत्त्वपूर्ण कार्य प्रणाली बनाई है। जिनमे से मूत्र विसर्जन एक है। हमारे शरीर में मौजूद दो गुर्दे ( Kidney ) लगातार खून को साफ

करते रहते है। खून दिन में कई बार गुर्दों से होकर गुजरता है।

 

गुर्दे खून से अवशिष्ट पदार्थ खासकर यूरिया और यूरिक एसिड को बाहर निकालते है। शरीर में पानी की मात्रा संतुलित रखते है। इलेक्ट्रोलाइट

बैलेंस ( सोडियम ,पोटेशियम, कैल्शियम आदि ) बनाए रखते है। इसके अलावा खून की मात्रा और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करते है।

इस प्रक्रिया में मूत्र या पेशाब ( Urine ) बनता है जो मूत्र नलिकाओं से होता हुआ पेशाब की थैली ( Urine Bladder ) में लगातार इकठ्ठा

होता रहता है। ब्लैडर से मूत्र यूरेथ्रा ( Urethra ) से होता हुआ शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। प्रत्येक किडनी में लगभग 10 लाख

न्यूरॉन्स होते है जो छलनी का काम बड़ी मुस्तैदी से करते है। इस प्रक्रिया में पानी बहुत महत्त्वपूर्ण है। पानी की मदद से ये क्रिया आसानी

से चलती रहती है।

इसलिए चाहे सर्दी हो या गर्मी पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत आवश्यक होता है। पानी कितना कब और कैसे पीना चाहिए यह जानने के

लिए  यहाँ क्लिक करें। गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखने के लिए स्किन के माध्यम से भी बहुत सारा पानी निकल जाता है। यदि गर्मी में

अधिक पानी नहीं पीते है तो ये कार्य प्रणाली गड़बड़ा जाती है और कई तरह  परेशानी पैदा हो जाती है। जैसे पेशाब में जलन होना , पेशाब

रुक रुक कर आना , पेशाब का रंग पीला होना आदि। पेशाब में परेशानी के दूसरे कारण भी हो सकते है।

 

इसके अलावा कई बार पेशाब सम्बन्धी दूसरी तकलीफें हो जाती है । जैसे पेशाब बार बार आना। पेशाब के साथ वीर्य आना। जिसे पेशाब के

साथ धातु जाना भी कहते है। पेशाब के साथ खून या मवाद आना आदि। पेशाब लाल या गुलाबी रंग का आना। पेशाब में इन सभी तरह

की समस्याओं में  घरेलु नुस्खों से आराम आ जाता है। ये पेशाब में परेशानी के घरेलु उपचार उपयोग में लेकर परेशानी से मुक्ति पाई जा 

सकती है। समस्या अधिक गम्भीर हो तो चेकअप जरूर कराना चाहिए।

 

कृपया ध्यान दें : किसी भी लाल अक्षर वाले शब्द पर क्लीक करके उस शब्द के बारे में विस्तार से जान सकते है। 

 

मूत्र रोगों के घरेलु उपाय – Mutra Rog Gharelu Upay

Peshab Me Taklif Ke Gharelu Nuskhe

 

पेशाब में जलन – Peshab Me Jalan

 

—  रात को एक गिलास पानी में 10 -12 मुनक्का भिगो दें। सुबह मुनक्का उसी पानी के साथ पीस लें। इसे छानकर इसमें थोड़ा भुना पिसा

जीरा मिलाकर पीये। इससे पेशाब की जलन मिट जाती है और पेशाब खुलकर आता है।

 

—  एक गिलास पानी में दो चम्मच साबुत धनिया और एक चम्मच पिसा हुआ आंवला रात को भिगो दें। सुबह उसी पानी में मसल कर छान

कर पी लें। ऐसा ही पानी शाम को भी पिएँ। 5 -7 दिन इस पानी को सुबह शाम पीने से पेशाब में जलन मिट जाती है।

 

—  रात को एक गिलास पानी  में दो देसी गुलाब के फूल की पत्तियां डालकर रख दें। सुबह हल्का सा मसल कर छान लें। एक चम्मच पिसी

हुई मिश्री मिलाकर पी लें। ये पानी कुछ दिन लगातार पीने से पेशाब की जलन मिट जाती है।

—  एक बताशे में 3 -4 बूँद शुद्ध चन्दन का तेल डालकर खा लें। सप्ताह भर लें।  पेशाब की हर तरह की जलन मिटाने के लिए ये प्रयोग

उत्तम है।

 

—  एक कप खीरे का रस कुछ दिन लगातार पीने से पेशाब में जलन शांत होती है।

 

—  एक गिलास लौकी का रस सुबह शाम रोजाना पीने से पेशाब की जलन में बहुत आराम आ जाता है।

 

—  250 ग्राम बथुआ लगभग तीन ग्लास पानी में उबाल लें। ठंडा होने पर छान लें। इस पानी में स्वाद के अनुसार सेंधा नमक , नींबू  का रस

और काली मिर्च मिलाकर पी लें। दिन में तीन बार ये पानी पीने से पेशाब में जलन ,पेशाब के बाद दर्द आदि ठीक हो जाते है।

 

—  आधा गिलास चावल के मांड में चीनी मिलाकर पीने से पेशाब की जलन मिटती है।

 

—  साबुत धनिये की गिरी पिसी हुई और कुंजा मिश्री पिसी हुई दोनों समान मात्रा में लेकर मिला लें। इसे सुबह शाम खाली पेट एक एक

चम्मच ठन्डे पानी से फांक लें। पेशाब में जलन अवश्य दूर हो जाएगी।

 

—  बील की 8 -10 पत्तियां  बारीक पीस कर एक गिलास पानी में घोलकर पी लें। ये उपाय सुबह शाम तीन दिन में पेशाब की जलन मिटा देगा।

 

पेशाब में रूकावट – Peshab me rukawat

 

—  आधे ग्लास पानी में आधा गिलास लौकी का रस , चार चम्मच पिसी मिश्री और एक ग्राम कलमी शोरा मिलाकर पीने से पेशाब की

रूकावट दूर होकर पेशाब आना शुरू हो जाता है। एक खुराक काफी होती है। अगर असर नहीं हो तो एक घंटे बाद एक खुराक और

लेनी चाहिए।

 

—  एक गिलास पानी में भुट्टे के सुनहरे बाल लगभग ३० ग्राम डालकर उबालें। एक तिहाई रह जाये तब छान कर पी लें। इसमें कुछ भी ना

मिलाएं। इससे पेशाब साफ़ और खुलकर आता है। रुक रुक कर बूँद बूँद आना बंद  होता है। सुबह शाम ये पानी पीने से छोटी

गुर्दे की पथरी भी निकल जाती है।

 

 

—  नारियल पानी में समान मात्रा में पालक का रस मिलाकर पीने से पेशाब की रूकावट ठीक होती है।

 

बार बार पेशाब आना – Bar Bar Peshab Aana

 

—  यह डायबिटीज के कारण हो सकता है। पेशाब की और खून की जाँच करानी चाहिए। यदि इनमे शक्कर की मात्रा ज्यादा आये तो

डायबिटीज का इलाज लेना चाहिए। डायबिटीज के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

 

—  शाम के समय भुने हुए चने आधी कटोरी छिलके सहित अच्छे से चबा चबा खाकर ऊपर से थोड़ा गुड़ खा लें। फिर थोड़ा पानी पी लें।

इस तरह 10 -12 दिन लगातार चने खाने से ज्यादा और बार बार पेशाब आना बंद हो जाता है।

 

—  सर्दी के मौसम में सुबह शाम तिल और गुड़ का लडडू  खाने से बार बार  पेशाब आना कम होता है।

 

—  रात को बार बार पेशाब आता हो तो शाम को पालक किसी भी रूप में खाने से फायदा होता है।

 

—  लंच के बाद दो पके हुए हुए केले खाने से ज्यादा और बार बार पेशाब आना ठीक हो जाता है।

 

—  अंगूर खाने या अंगूर का रस पीने से गुर्दों को ताकत मिलती है बार बार पेशाब आना बंद होता है।

 

—  जामुन की गुठली और काले तिल पीस कर समान मात्रा में लेकर मिला लें। मिश्रण सुबह शाम दो चम्मच पानी के साथ लेने से बिस्तर में

पेशाब आना और वृद्धजनो का बार बार पेशाब आना बंद हो जाता है।

 

—  पिसी हुई अजवायन आधा चम्मच और गुड़ आधा चम्मच दोनों को मिलाकर खाने से मूत्र अधिक मात्रा में आना बंद हो जाता है।

 

पेशाब के साथ वीर्य या धातू जाना – Peshab Ke Sath Veery Dhatu Jana

 

—  एक कटोरी साबुत गेहुँ रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इसी पानी के साथ इसे बारीक पीस ले। इसमें एक चम्मच मिश्री

मिलाकर पी लें। इसे एक सप्ताह तक लगातार पीने से पेशाब के साथ वीर्य जाना बंद होता है।

 

—  दो चम्मच आंवले का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर कुछ दिन लगातार पीने से पेशाब के साथ वीर्य या धातू जाना बंद होता है।