Tuesday, November 14, 2017

उंगलियों में तांबे की अंगूठी पहनने से होते हैं ये स्वास्थ्य लाभ !

 तांबा, पीतल, सोना और चांदी जैसे कई धातु हैं जिनका अपना एक अलग महत्व बताया गया है. इन धातुओं में कॉपर यानी तांबा एक ऐसी प्राचीन धातु है जिसका इस्तेमाल कई सालों से होता आ रहा है।

तांबे में पानी के कीटाणुओं को खत्म करने का एक विशेष गुण है इसलिए ताबें के बर्तन में रखे हुए पानी को पीने की सलाह भी दी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तांबे से बनी हर चीज मानव जीवन के लिए उपयोगी और फायदेमंद है.

इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं तांबे से बनी अंगूठी को उंगलियों में धारण करने से होनेवाले फायदों के बारे में.


1 – ब्लड सर्कुलेशन में आता सुधार

उंगलियों में तांबे की अंगूठी धारण करने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है. इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन की कमी से होनेवाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है.

2 – इम्युनिटी होती है मजबूत

कई प्रकार की धातुओं में तांबा एकमात्र ऐसी धातु है जो सबसे प्राचीन मानी जाती है. तांबे की अंगूठी पहनने से रक्त की अशुद्धियां दूर होती है और शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत होता है.

3 – तन और मन को रखता है शांत

तांबे की अंगूठी शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करता है. इसे पहनने से शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है. इसके साथ ही गुस्से पर नियंत्रण होता है. ये अंगूठी तन और मन दोनों को शांत रखने में मदद करता है.

4 – ब्लड प्रेशर को करता है नियंत्रित

तांबे की अंगूठी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है. ये हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. इसके अलावा इस अंगूठी को पहनकर आप शरीर के सूजन को भी कम कर सकते हैं.

5 – पेट की समस्याओं में फायदेमंद

तांबे की अंगूठी पेट से संबंधित सभी समस्याओं में काफी फायदेमंद है. यह पेट दर्द, पाचन में गड़बड़ी और एसिडिटी की समस्याओं में फायदा पहुंचाती है. इसके अलावा अगर आप पेचिश की समस्या से परेशान हैं तो तांबे की अंगूठी इस समस्या में आपकी काफी मदद कर सकती है.

6 – नाखून और त्वचा की समस्या में फायदेमंद

तांबे की अंगूठी को ना सिर्फ स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है बल्कि नाखून और त्वचा से संबंधित समस्याओं के उपचार में भी यह फायदेमंद है.

7 – सूर्य से संबंधित रोगों में कारगर

सूर्य से संबंधित परेशानियों के लिए तांबे को काफी फायदेमंद माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक एक तांबे की अंगूठी पहनकर आप सूर्य से संबंधित सभी रोगों से काफी हद तक निजात पा सकते हैं.

गौरतलब है कि तांबे की अंगूठी के ये सारे स्वास्थ्य लाभ आपको तभी मिलेंगे जब आप ये अंगूठी शुद्ध तांबे की बनी हो. जरा सोचिए अगर एक छोटी सी अंगूठी आपको इतने सारे फायदे पहुंचा सकती है तो फिर आप इसे धारण करने में देरी क्यों कर रहे हैं।

Thursday, November 2, 2017

बदलते मौसम के साथ आती है मौसमी एलर्जी, बचने के लिए अपनाए ये उपाय

एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है।

नई दिल्ली। चाहे गर्मी से सर्दी में बदलता मौसम हो या सर्दी से गर्मी, बदलते मौसम के साथ नाक बहना, आंखों में जलन और छाती जमना आम बात होती है। यह एलर्जी बहुत परेशान करने वाली होती है और अगर तुरंत इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। ऐसे में बचाव के लिए सतर्कता जरूरी है।

एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है। इन कणों के प्रतिरोध की वजह से शरीर में हेस्टामाइन निकलता है जो तेजी से फैल कर एलर्जी के जलन वाले लक्षण पैदा करता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि एलर्जी के लक्षणों में जुकाम, आंखों में जलन, गला खराब होना, बहती या बंद नाक, कमजोरी और बुखार प्रमुख है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह हल्की एलर्जी साइनस संक्रमण, लिम्फ नोड संक्रमण और अस्थमा जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।

इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपको किस चीज से एलर्जी है। तभी आप एलर्जी से बच सकते हैं और होने पर इलाज भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि एलर्जी की पहचान करने के लिए कई किस्म के टेस्ट किए जाते हैं। एलर्जी स्किन टेस्टिंग जांच का सबसे ज्यादा संवेदनशील तरीका है, जिसके परिणाम भी तुरंत आते हैं। जब स्किन टेस्ट से सही परिणाम न मिलें, तब सेरम स्पैस्फिक एलजीई एंटी बॉडी टेस्टिंग जैसे ब्लड टेस्ट भी तब किए जा सकते हैं।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि एलर्जी का सबसे बेहतर इलाज यही है कि जितना हो सके एलर्जी वाली चीजों से बचें। मौसमी एलर्जी बच्चों से लेकर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन 6 से 18 साल के बच्चों को इससे प्रभावित होने की ज्यादा संभावना होती है।

ऐसे करें बचाव :

1. एलर्जी से बचने के लिए फ्लैक्स के बीज से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक फैटी एसिड काफी मददगार साबित होते हैं। रेशा बनाने वाले पदार्थ जैसे कि दूध, दही, प्रोसेस्ड गेहूं और चीनी से परहेज करें। अदरक, लहसुन, शहद और तुलसी एलर्जी से बचाव करते हैं।

2. अगर आपको धूलकणों या धागे के रेशों से एलर्जी है तो अपनी नाक को अंदर से खुश्क न होने दें इससे बचने के लिए सरसों के तेल से चूपड़ के रखें। व हाईपो एलर्जिक बिस्तर खरीदें।

3. आसपास का माहौल धूल और प्रदूषण मुक्त रखें।

4. सीलन भरे कोनों में फफूंद और परागकणों को साफ करें।

5. बंद नाक और साइनस से आराम के लिए स्टीम इनहेलर का प्रयोग करें।

Wednesday, October 25, 2017

आइए जानें, चाय के ऐसे ही 7 प्रकार से जो आपको वजन कम करने में मदद करेंगे...

चाय पीना अगर आपकी आदत में शामिल है तो क्यों इसे हेल्दी हैबिट बना लिया जाए. वजन बढ़ने की समस्या से हर तीसरा इंसान परेशान है और ऐसा हमारी बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण होता है. चाय की कुछ वैराइटी ऐसी होती हैं जिन्हें पीने से आपका वजन नियंत्रित रहता है और इन्हें आसानी से घर में बनाया जा सकता है।

1. दालचीनी की चाय 
वजन कम करने के लिए बहुत से लोग ग्रीन टी पर भरोसा करते हैं. इसे शहद और दालचीनी के साथ मिलकार पीने से इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं. आप हर रोज इसे खाली पेट ले सकते हैं।

2. अजवाइन की चाय 
अजवाइन में राइबोफ्लेविन नामक तत्व होते हैं जो फैट बर्न करने में मदद करते हैं. गर्म पानी में अजवाइन, सौंफ, इलायची और अदरक डालकर पांच मिनट तक उबाल लें और फिर इस चाय को पिएं. नतीजे आपको जल्द ही नजर आने लगेंगे।

3. जिंजर टी 
अदरक का चाय में इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद होता है. अदरक का पूरा फायदा लेने के लिए सबसे सबसे अदरक के एक इंच के टुकड़े को छिलकर काट लें. इन टुकड़ों को गैस पर उबल रहे पानी में डालकर ढक दें. 10 मिनट तक इस पानी को उबलने दें. फिर इसे छन्नी की मदद से छान लें और कुछ बूंद नींबू का रस मिला लें. मीठे के लिए बेहतर रहेगा कि आप शहद का इस्तेमाल करें।

4. लेमन टी 
लेमन टी ज्यदातर लोगों को पसंद होती है. वजन कम करने के लिए यह चाय काफी लाभदायक है. लेमन टी में आप शुगर की जगह शहद का इस्तेमाल करेंगे तो इसके फायदे और भी बढ़ जाएंगे।

5. ग्रीन टी 
ग्रीन टी पीना, कॉफी पीने की तुलना में कहीं अधिक फायदेमंद होता है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो हमारे शरीर को डिटॉक्स करके वजन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।

6. ब्लैक टी 
ब्लैक टी एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है. जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करती है. इसी वजह से यह शरीर में एक्स्ट्रा फैट को बर्न करके वजन को नियंत्रित करने का काम करती है।

7. काली मिर्च की चाय 
काली मिर्च में मौजूद पाइपेरिन फैट बर्न करने में मदद करता है. कालीमिर्च और अदरक को गर्म पानी में पांच मिनट तक उबाल लें और फिर इसे  छान लें. अब इसमें शहद या नींबू का रस मिलाकर इसे पीना वजन घटाने में मदद करता है।

Monday, October 23, 2017

मोटापा और शुगर नाशक दलिया।

दलिया यानी सेहत का खजाना। आमतौर पर सुबह के नाश्ते में खाया जाने वाला दलिया विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होता है। इसके अलावा इसमें लो कैलोरी और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इस कारण दलिया एक ऐसा आहार है जो आपके शरीर में सभी पोषक तत्वों की मात्रा को पूरा करता है।


आइए जानते हैं कि कैसे बनाएं:

1 kg    गेहूं
1 kg    चावल
1 kg    बाजरा
1 kg     साबुत मूंग (जिसकी दाल बनती है )

इन सभी को भून कर मिक्सर में डाल कर दरदरा कर लें।

इसमें

50 ग्राम      अजवाइन
100 ग्राम      सफ़ेद तिल

मिला कर रख लें।

रोज सुबह 50 ग्राम दलिया 2 गिलास पानी में पकाएं, इसमें स्वाद के अनुसार सब्जियां और सेंधा नमक मिला लें।
*समुद्री नमक जो आयोडीन नमक के नाम से उल्लू बना कर बेंचा जाता है उसे कभी नही लेना है*

इस दलिये के नियमित सेवन से 15 दिन में शुगर नार्मल हो जायेगी,
हार्ट पेसेंट और मोटापे से परेशान लोग इसके प्रयोग से बड़ी आसानी से बिना किसी दवा के अपना वजन कम कर सकते हैं।

Friday, October 20, 2017

रसोई में स्वास्थ्य - हैल्थ टिप्स


🍌 नमक केवल सेन्धा प्रयोग करें। थायराइड, बी पी, पेट ठीक होगा।

🍎 कुकर स्टील का ही काम में लें। एल्युमिनियम में मिले lead से होने वाले नुकसानों से बचेंगे।

🌽 तेल कोई भी रिफाइंड न खाकर, केवल तिल्ली, सरसों, मूंगफली, नारियल प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं।

🍒 सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।

🥑 रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।

🍎 काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।

🍍 देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।

🍂 ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।

🌶 ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।

🍌 भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा।
भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।

🧀 नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन, फाइबर मिलेंगें।

🥒 चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।

🥝 चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लें।

🍳 छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।

☕ चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे।

🛢 डस्ट बिन एक रसोई में एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।

🥗 रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।

🥕 करेले, मैथी, मूली याने कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।

🍋 पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।

🍊 रसोई में घुसते ही थोड़े ड्राई फ्रूट (काजू की जगह तरबूज के बीज) खायें, एनर्जी बनी रहेगी।

🍐 प्लास्टिक, एल्युमिनियम रसोई से हटाये, केन्सर कारक हैं।

🍏 माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग केन्सर कारक है।

🍉 खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।

🍑 तली चीजें शाम के बाद ना खाएं, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।

🥕 मैदा, बेसन, छौले, राजमां, उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।

🥒 अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।

🧀 बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।

🍑  रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें।

🍫 रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर eye wash cup में डाल कर आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छान कर जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।( 2 layer बारीक सूती कपड़े की लेके छाने, छानने में कोई भी कण त्रिफला का पानी मे नही आना चाहिए )

🍆.सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी। (बस सुबह-दिन भर नही)

🍌 रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।

🍆 एक्यू प्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारी शरीर से निकल जायेगी।

🍈 चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।

🍯 रसोई के मसालों से बना चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।

🍑 सर्दियों में नाखून बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।

🌶 सर्दी में बाहर जाते समय, 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा।

🍩  रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रखकर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा।

🌯 कभी कभी नमक में, हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।

🍑 बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।

🥝 सूरज डूबने के बाद दही या दही से बनी कोई चीज न खाएं, ज्यादा उम्र में दमा हो सकता है।

🍛 दही-बड़े सिर्फ मूंग की दाल के बनने चहिये, उड़द के नुकसान करते हैं।

Monday, October 16, 2017

फैटी लिवर के घरेलू उपचार

नई दिल्ली: यकृत या फिर जिगर की खराबी आने पर आप अक्सर डॉक्टरों के पास चक्कर लगाते हैं और ऐलोपैथी इलाज शुरू कर देते हैं। मगर अंग्रेजी दवाएं खाने से आपको साइड इफेक्ट का ख़तरा भी बना रहता है। ऐसे में आप कुछ करेलू नुस्खे आज़माकर फैटी लिवर जैसी समस्या का रामबाण इलाज कर सकते हैं।

अगर आपका लिवर छोटा, कठोर या फिर सूजा हुआ है तो घबराएं नहीं। आप आयुर्वेद के कुछ रामबाण इलाज से खुद को फिट कर सकते हैं। केजीएमयू के चिकित्सक अभिजीत चंद्रा ने बताया की तली हुई चीज़ें खाना, व्याव्याम न करने और खान पान में बरती जाने वाली असावधानियां ही फैटी लिवर की समस्या पैदा करती है। इस समस्या से उबरने के लिए एलोपैथी ट्रीटमेंट के साथ ही अगर आयुर्वेदिक नुस्खे का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

कागजी नींबू का प्रयोग
एक कागज़ी नींबू लेकर उसके दो टुकड़े कर लें। फिर बीज निकालकर आधे नींबू के बिना काटे चार भाग कर लें। ध्यान रहे की टुकड़े अलग न हों। इसके बाद नींबू के एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला नमक, तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण भर कर रख दें। रात भर यह प्लेट में रखे रहे। सुबह भोजन के एक घंटे पहले नींबू की फांक को धीमी आंच पर या फिर तवे पर रख कर गर्म करें और चूस लें।

इस प्रयोग से होने वाले लाभ
-आवश्यकतानुसार सात दिन से इक्कीस दिन लेने से लिवर सही होगा
-इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ पेट दर्द और मुंह का जायका ठीक होगा
-यकृत के कठोर और छोटा होने के रोग में चूक है

इसलिए होता है यकृत रोग
पुराना मलेरिया, ज्वर, अधिक मिठाई खाना, अमेबिक पेचिश के रोगाणु का यकृत में प्रवेश करने से यकृत रोगों की उत्पत्ति होती है। बुखार ठीक होने के बाद भी यकृत की बीमारी बनी रहती है। यकृत कठोर और पहले से बड़ा हो जाता है। रोग के घातक रूप ले लेने से यकृत का संकोचन होता है।

यकृत रोगों के लक्षण
यकृत रोगों में आंख व् चेहरा रक्तहीन हो जाते हैं, जीभ सफ़ेद, रक्ताल्पता, नीली नसें, कमज़ोरी, कब्ज़, गैस , बिगड़ा स्वाद, दाहिने कंधे के बीचे दर्द, सौंच आंवयुक्त कीचड़ जैसा होना यह लक्षण हैं।

यह बरतें सावधानी
दो सप्ताह तक चीनी और मीठा इस्तेमाल न करें
दूध मीठा पीते हो तो चीनी की जगह दूध में मुनक्का दाल कर मीठा कर लें
रोटी भी कम खाएं
सब्जियों और फल से गुजारा करें
सब्जी में मसाला न डालें
टमाटर, पालक, गाजर, बथुआ, करेला, लौकी, पपीता, आंवला, जामुन, सेब, आलूबुखारा, लीची खाएं
छांछ का अधिक से अधिक प्रयोग करें
तली भुनी चीज़ें बंद कर दें
(ऐसा करने से 15 दिन में लिवर की समस्या ठीक हो जायेगी)

यह उपचार भी करें
- दिन में दो बार प्याज खाएं
-दोपहर में खाना खाने के बाद हींग का बगैर देकर, जीरा, कालीमिर्च और नमक मिलकर छांछ का सेवन करें
-आंवला का रस या फिर सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर पानी के साथ लें, दिन में तीन बार इस चूर्ण का इस्तेमाल करके 15-20 दिन में यकृत रोग ठीक हो सकता है।

Sunday, October 15, 2017

क्या कारण हैं क्यूं नहीं घट रहा आपका वजन ??

टों वॉक की, जिम गए, पसीना बहाया, एक्सरसाइज, डाइटिंग की, मगर वजन था कि टस से मस न हुआ..। आखिर 2-3 किलो वजन घटाना भी इतना मुश्किल कैसे हो जाता है?


स्लिम-ट्रिम होना किसे नहीं भाता! लेकिन छरहरापन अब नॉस्टैल्जिया बन चुका है। वो भी क्या दिन थे जब दुबले हुआ करते थे! 40 की उम्र पार करते ही28 इंची कमर को कमरा बनते देर नहीं लगती, सैल्युलाइट अपनी परतें दिखा-दिखा कर चिढाने को उतावला रहता है और वेइंग मशीन की सुई आगे बढती जाती है। क्यों होता है ऐसा? कहां गलती करते हैं हम? आइए जानें वे कौन से सवाल हैं जो वजन घटाने की प्रक्रिया में हमारे मन में उठते हैं और इनके सही जवाब क्या हैं।

सवाल 1

घटता नहीं वजन

डाइटिंग के शुरुआती दौर में तात्कालिक लाभ होता है। वजन घटता है तो खुशी का आलम नहीं रहता, लेकिन यह इसी पर टिका नहीं रहता। थोडी हेर-फेर होते ही यह फिर बढ जाता है। इसका एक कारण यह है कि डाइटिंग के दौरान लोग अकसर कैलरीज बहुत घटा देते हैं और इससे तुरंत वजन घटता है। शुरुआत में यह फूड रिजेक्शन अच्छा लगता है, लेकिन जल्दी ही शरीर में किसी न किसी तत्व की कमी होने लगती है, जिसका नतीजा होता है डिप्रेशन, थकान या फटीग। आखिर व्यक्ति को फिर से अपने पुराने शेड्यूल में वापस लौटना पडता है। वजन घटाने में विफल होने पर इसका भावनात्मक प्रभाव भी गहरा होता है। यह इमोशनल मेंटल स्टेज व्यक्ति को ज्यादा खाने को प्रेरित करती है, व्यक्ति जाने-अनजाने अधिक खाता है और फिर से अपने पुराने बॉडी शेप में वापस आ जाता है।

सवाल 2

कैलरीज का मेल

कितनी कैलरीज ठीक हैं.., यह सवाल हर डाइटिंग करने वाले के मन में उठता है। सामान्य तौर पर एक वयस्क पुरुष के लिए 1800 और स्त्रियों के लिए 1500 कैलरीज ठीक समझी जाती हैं। डाइटिंग के दौरान लगभग 500 कैलरीज तक घटा दी जाती हैं।

शोध बताते हैं कि डाइटिंग में आमतौर पर लोग जिमिंग या एक्सरसाइजिंग के दौरान बर्न की गई कैलरीज की गलत गणना करते हैं। जैसे, लोग मान लेते हैं कि जंक फूड से भरे संडे की शाम एक घंटा जिम में पसीना बहा लेना काफी है, जबकि ऐसा नहीं होता।

सवाल 3

कार्बोहाइड्रेट्स का खेल

शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए कार्ब जरूरी है। 55 से 65 प्रतिशत कुल कैलरीज हमें कार्बोहाइड्रेट्स से ही मिलती हैं। ये शरीर के लिए ईधन की तरह हैं। डाइटिंग के दौरान कार्ब कम करने से ग्लाइकोजन स्तर घट जाता है और शरीर ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत अमीनो एसिड की तरफ बढता है। इससे मसल टिश्यू को हानि पहुंचती है। कार्ब कम करने से ज्यादा जरूरी मसल्स टिश्यूज को बचाना है। मेटाबॉलिज्म के लिए भी कार्ब अनिवार्य है। लैप्टिन और अन्य फैट बर्निग हॉर्मोस बॉडी फैट से सीधे जुडे हैं। कार्ब बढने पर लैप्टिन का स्तर बढता है और शरीर का मेटाबॉलिज्म बढता है। शरीर को कार्ब की उतनी ही जरूरत है, जितनी किसी भी अन्य न्यूट्रिएंट्स की। इसलिए डाइटिंग में कार्ब को पूरी तरह कट न करें, लेकिन अपनी डाइट में रिफाइंड कार्ब जैसे मैदा और इसके प्रोडक्ट्स, शुगर, सफेद चावल के बजाय फ्रूट्स, वेजटेबल्स की मात्रा बढाएं ताकि कार्बोहाइड्रेट्स पर्याप्त मात्रा में मिलते रहें।

सवाल 4

फैट्स की मार

वजन घटाने का नियम यह है कि जितनी कैलरीज बर्न कर सकते हैं, उससे कम कैलरीज लें। अगर दो किलो वजन घटाना हो तो लगभग 500 कैलरीज घटानी होंगी या इतना व्यायाम बढाना होगा कि 500 कैलरीज बर्न कर सकें। डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थो को को प्राथमिकता दें, जिनसे कैलरीज तो घटें लेकिन सेहत पर नकारात्मक असर न पडे। अच्छे और बुरे फैट के अंतर को समझना भी जरूरी है। रेड मीट के बजाय बींस, फैट-फ्री मिल्क प्रोडक्ट्स लेने से सैच्युरेटेड फैट कम होगा। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स के लिए फिश, वॉलनट्स, सोयाबीन ऑयल का प्रयोग दिन में एक बार जरूर करें। भोजन में ताजी हरी सब्जियां और फ्रूट्स की मात्रा बढा दें।

डाइट से चार फूड ग्रुप सीआरएपी कट करें। ये हैं कैफीन, रिफाइंड शुगर, एल्कोहॉल और प्रोसेस्ड फूड्स।

डाइट ऐक्शन प्लान

1. कोई भी मील स्किप न करें, खासतौर पर ब्रेकफस्ट। सुबह के नाश्ते में भरपूट प्रोटीन लें। नए शोध बताते हैं कि प्रोटीनयुक्त नाश्ते से फूड क्रेविंग कम होती है और वजन भी घटता है। ब्रेकफस्ट में अंडे, स्प्राउट्स, सीरियल्स, दही और ग्रीन टी शामिल करें।

2. छोटे-छोटे कई मील लें। ज्यादा देर तक पेट खाली होने से गैस की समस्या होती है। इससे व्यक्ति को लगता है मानो पेट बहुत भरा है, जबकि शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी होने लगती है। ठीक से ब्रेकफस्ट न करने से व्यक्ति ब्रंच या लंच में ज्यादा खा लेता है।

3. मुख्य भोजन से 30 मिनट पहले फ्रूट्स खाएं, इससे वे आसानी से पचेंगे। खाली पेट फ्रूट्स खाने से सिस्टम डिटॉक्सीफाई होता है, साथ ही शरीर को ऊर्जा भी मिलती है।

3. दिन भर में 8 से 10 ग्लास पानी पीना जरूरी है। खाने के बीच में पानी पीने से पाचन क्रिया सुस्त हो जाती है, इसलिए भोजन के बीच में पानी पीने से बचें। जरूरी हो तो छोटे-छोटे सिप लें। खाने से कम से कम 15 मिनट पहले या बाद में पानी पिएं।

4. भोजन को अच्छी तरह चबाएं। शोध बताते हैं कि भोजन को चबाने में जितना अधिक समय लगाएंगे, उतना ही कम कैलरीज लेंगे। देर तक चबाने से ब्रेन को यह संदेश जाता है कि पेट भर चुका है। खाने के हर कौर को 35 से 50 बार तक चबाएं।

5. भोजन करते हुए इधर-उधर ध्यान न दें। याद है, जब मां खाते समय पढने या टीवी देखने से मना करती थीं! मल्टीटास्किंग का खयाल खाने के समय छोड दें। इससे खाने से ध्यान हटता है और ज्यादा भी खा लेते हैं।

6. रात 8 बजे के बाद भारी भोजन से बचें। भारतीय जीवनशैली में अब यह मुश्किल काम है, लिहाजा डिनर को लिक्विड फॉर्म में रखें और कम कैलरीज वाले खाद्य पदार्थ चुनें।

फिटनेस ऐक्शन प्लान

1. रोज वॉक करें, लेकिन वॉक करते समय बातचीत से बचें। एक बार में कम से कम 25 मिनट तक लगातार ब्रिस्क वॉक करें, तभी अपेक्षित नतीजे मिलेंगे। 10 मिनट में कम से कम एक किलोमीटर तक चलें।

2. एक जैसे व्यायाम रोज करने से शरीर को फायदा हो सकता है, लेकिन वजन पर खास फर्क नहीं पडता। बेहतर है वजन के लिए अपने ट्रेनर या विशेषज्ञ से अलग व्यायाम सीखें और इन्हें बदल-बदल कर करें।

3. लगातार एक समान ट्रैक पर वॉकिंग या जॉगिंग से बचें। अपने पार्क में कुछ असमतल जगह तलाशें और वहां भी चलें।

4. लोअर बैली एक्सरसाइजेज करें, लेकिन इसके लिए विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। सर्जरी, प्रेग्नेंसी या पीरियड्स के दौरान कई तरह के व्यायाम वर्जित होते हैं, इन्हें न करें।

5. एक बार में 30 मिनट तक एक्सरसाइज के लिए समय न हो तो दिन में दो से तीन बार 10-10 मिनट की एक्सरसाइज करें। हार्ड नहीं, स्मार्ट एक्सरसाइज करें।

चेकलिस्ट

-नतीजे देखें-परखें और अपने फीडबैक से सीखें। देखें कि एक हफ्ते में ऐसी कौन सी गलती की जिससे वजन बढा या किस तरह की डाइट से वजन घटा।

-एक-दो महीने में पांच-दस किलो वजन घटाने का सपना न देखें। ऐसा लक्ष्य बनाएं-जिसे हासिल कर सकें। पिछले दस वर्षो में वजन बढने की प्रक्रिया के बारे में सोचें। हर साल कितने किलो वजन बढा? जीवनशैली में आए बदलावों पर भी गौर करें। शारीरिक गतिविधियां बढाने के बारे में सोचें। लंबे समय तक एक स्थिति में बैठ कर काम न करें। तनाव और दबाव घटाएं।

-30 की उम्र के बाद नियमित वजन चेक करें। जैसे ही यह 1-2 किलो बढे, तुरंत उसे संतुलित करने के प्रयास में जुट जाएं।

-डाइटिंग के बजाय सेंसेबिल ईटिंग प्लान के बारे में सोचे। इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। एक सी ईटिंग हैबिट्स रखें।

-डायरी नोट्स लिखें। अगर डार्क चॉकलेट का एक बडा पीस मुंह में डाला है तो अगले मील में कितनी कैलरी घटानी हैं, इसे भी ध्यान में रखें।