Sunday, October 15, 2017

क्या कारण हैं क्यूं नहीं घट रहा आपका वजन ??

टों वॉक की, जिम गए, पसीना बहाया, एक्सरसाइज, डाइटिंग की, मगर वजन था कि टस से मस न हुआ..। आखिर 2-3 किलो वजन घटाना भी इतना मुश्किल कैसे हो जाता है?


स्लिम-ट्रिम होना किसे नहीं भाता! लेकिन छरहरापन अब नॉस्टैल्जिया बन चुका है। वो भी क्या दिन थे जब दुबले हुआ करते थे! 40 की उम्र पार करते ही28 इंची कमर को कमरा बनते देर नहीं लगती, सैल्युलाइट अपनी परतें दिखा-दिखा कर चिढाने को उतावला रहता है और वेइंग मशीन की सुई आगे बढती जाती है। क्यों होता है ऐसा? कहां गलती करते हैं हम? आइए जानें वे कौन से सवाल हैं जो वजन घटाने की प्रक्रिया में हमारे मन में उठते हैं और इनके सही जवाब क्या हैं।

सवाल 1

घटता नहीं वजन

डाइटिंग के शुरुआती दौर में तात्कालिक लाभ होता है। वजन घटता है तो खुशी का आलम नहीं रहता, लेकिन यह इसी पर टिका नहीं रहता। थोडी हेर-फेर होते ही यह फिर बढ जाता है। इसका एक कारण यह है कि डाइटिंग के दौरान लोग अकसर कैलरीज बहुत घटा देते हैं और इससे तुरंत वजन घटता है। शुरुआत में यह फूड रिजेक्शन अच्छा लगता है, लेकिन जल्दी ही शरीर में किसी न किसी तत्व की कमी होने लगती है, जिसका नतीजा होता है डिप्रेशन, थकान या फटीग। आखिर व्यक्ति को फिर से अपने पुराने शेड्यूल में वापस लौटना पडता है। वजन घटाने में विफल होने पर इसका भावनात्मक प्रभाव भी गहरा होता है। यह इमोशनल मेंटल स्टेज व्यक्ति को ज्यादा खाने को प्रेरित करती है, व्यक्ति जाने-अनजाने अधिक खाता है और फिर से अपने पुराने बॉडी शेप में वापस आ जाता है।

सवाल 2

कैलरीज का मेल

कितनी कैलरीज ठीक हैं.., यह सवाल हर डाइटिंग करने वाले के मन में उठता है। सामान्य तौर पर एक वयस्क पुरुष के लिए 1800 और स्त्रियों के लिए 1500 कैलरीज ठीक समझी जाती हैं। डाइटिंग के दौरान लगभग 500 कैलरीज तक घटा दी जाती हैं।

शोध बताते हैं कि डाइटिंग में आमतौर पर लोग जिमिंग या एक्सरसाइजिंग के दौरान बर्न की गई कैलरीज की गलत गणना करते हैं। जैसे, लोग मान लेते हैं कि जंक फूड से भरे संडे की शाम एक घंटा जिम में पसीना बहा लेना काफी है, जबकि ऐसा नहीं होता।

सवाल 3

कार्बोहाइड्रेट्स का खेल

शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए कार्ब जरूरी है। 55 से 65 प्रतिशत कुल कैलरीज हमें कार्बोहाइड्रेट्स से ही मिलती हैं। ये शरीर के लिए ईधन की तरह हैं। डाइटिंग के दौरान कार्ब कम करने से ग्लाइकोजन स्तर घट जाता है और शरीर ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत अमीनो एसिड की तरफ बढता है। इससे मसल टिश्यू को हानि पहुंचती है। कार्ब कम करने से ज्यादा जरूरी मसल्स टिश्यूज को बचाना है। मेटाबॉलिज्म के लिए भी कार्ब अनिवार्य है। लैप्टिन और अन्य फैट बर्निग हॉर्मोस बॉडी फैट से सीधे जुडे हैं। कार्ब बढने पर लैप्टिन का स्तर बढता है और शरीर का मेटाबॉलिज्म बढता है। शरीर को कार्ब की उतनी ही जरूरत है, जितनी किसी भी अन्य न्यूट्रिएंट्स की। इसलिए डाइटिंग में कार्ब को पूरी तरह कट न करें, लेकिन अपनी डाइट में रिफाइंड कार्ब जैसे मैदा और इसके प्रोडक्ट्स, शुगर, सफेद चावल के बजाय फ्रूट्स, वेजटेबल्स की मात्रा बढाएं ताकि कार्बोहाइड्रेट्स पर्याप्त मात्रा में मिलते रहें।

सवाल 4

फैट्स की मार

वजन घटाने का नियम यह है कि जितनी कैलरीज बर्न कर सकते हैं, उससे कम कैलरीज लें। अगर दो किलो वजन घटाना हो तो लगभग 500 कैलरीज घटानी होंगी या इतना व्यायाम बढाना होगा कि 500 कैलरीज बर्न कर सकें। डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थो को को प्राथमिकता दें, जिनसे कैलरीज तो घटें लेकिन सेहत पर नकारात्मक असर न पडे। अच्छे और बुरे फैट के अंतर को समझना भी जरूरी है। रेड मीट के बजाय बींस, फैट-फ्री मिल्क प्रोडक्ट्स लेने से सैच्युरेटेड फैट कम होगा। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स के लिए फिश, वॉलनट्स, सोयाबीन ऑयल का प्रयोग दिन में एक बार जरूर करें। भोजन में ताजी हरी सब्जियां और फ्रूट्स की मात्रा बढा दें।

डाइट से चार फूड ग्रुप सीआरएपी कट करें। ये हैं कैफीन, रिफाइंड शुगर, एल्कोहॉल और प्रोसेस्ड फूड्स।

डाइट ऐक्शन प्लान

1. कोई भी मील स्किप न करें, खासतौर पर ब्रेकफस्ट। सुबह के नाश्ते में भरपूट प्रोटीन लें। नए शोध बताते हैं कि प्रोटीनयुक्त नाश्ते से फूड क्रेविंग कम होती है और वजन भी घटता है। ब्रेकफस्ट में अंडे, स्प्राउट्स, सीरियल्स, दही और ग्रीन टी शामिल करें।

2. छोटे-छोटे कई मील लें। ज्यादा देर तक पेट खाली होने से गैस की समस्या होती है। इससे व्यक्ति को लगता है मानो पेट बहुत भरा है, जबकि शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी होने लगती है। ठीक से ब्रेकफस्ट न करने से व्यक्ति ब्रंच या लंच में ज्यादा खा लेता है।

3. मुख्य भोजन से 30 मिनट पहले फ्रूट्स खाएं, इससे वे आसानी से पचेंगे। खाली पेट फ्रूट्स खाने से सिस्टम डिटॉक्सीफाई होता है, साथ ही शरीर को ऊर्जा भी मिलती है।

3. दिन भर में 8 से 10 ग्लास पानी पीना जरूरी है। खाने के बीच में पानी पीने से पाचन क्रिया सुस्त हो जाती है, इसलिए भोजन के बीच में पानी पीने से बचें। जरूरी हो तो छोटे-छोटे सिप लें। खाने से कम से कम 15 मिनट पहले या बाद में पानी पिएं।

4. भोजन को अच्छी तरह चबाएं। शोध बताते हैं कि भोजन को चबाने में जितना अधिक समय लगाएंगे, उतना ही कम कैलरीज लेंगे। देर तक चबाने से ब्रेन को यह संदेश जाता है कि पेट भर चुका है। खाने के हर कौर को 35 से 50 बार तक चबाएं।

5. भोजन करते हुए इधर-उधर ध्यान न दें। याद है, जब मां खाते समय पढने या टीवी देखने से मना करती थीं! मल्टीटास्किंग का खयाल खाने के समय छोड दें। इससे खाने से ध्यान हटता है और ज्यादा भी खा लेते हैं।

6. रात 8 बजे के बाद भारी भोजन से बचें। भारतीय जीवनशैली में अब यह मुश्किल काम है, लिहाजा डिनर को लिक्विड फॉर्म में रखें और कम कैलरीज वाले खाद्य पदार्थ चुनें।

फिटनेस ऐक्शन प्लान

1. रोज वॉक करें, लेकिन वॉक करते समय बातचीत से बचें। एक बार में कम से कम 25 मिनट तक लगातार ब्रिस्क वॉक करें, तभी अपेक्षित नतीजे मिलेंगे। 10 मिनट में कम से कम एक किलोमीटर तक चलें।

2. एक जैसे व्यायाम रोज करने से शरीर को फायदा हो सकता है, लेकिन वजन पर खास फर्क नहीं पडता। बेहतर है वजन के लिए अपने ट्रेनर या विशेषज्ञ से अलग व्यायाम सीखें और इन्हें बदल-बदल कर करें।

3. लगातार एक समान ट्रैक पर वॉकिंग या जॉगिंग से बचें। अपने पार्क में कुछ असमतल जगह तलाशें और वहां भी चलें।

4. लोअर बैली एक्सरसाइजेज करें, लेकिन इसके लिए विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। सर्जरी, प्रेग्नेंसी या पीरियड्स के दौरान कई तरह के व्यायाम वर्जित होते हैं, इन्हें न करें।

5. एक बार में 30 मिनट तक एक्सरसाइज के लिए समय न हो तो दिन में दो से तीन बार 10-10 मिनट की एक्सरसाइज करें। हार्ड नहीं, स्मार्ट एक्सरसाइज करें।

चेकलिस्ट

-नतीजे देखें-परखें और अपने फीडबैक से सीखें। देखें कि एक हफ्ते में ऐसी कौन सी गलती की जिससे वजन बढा या किस तरह की डाइट से वजन घटा।

-एक-दो महीने में पांच-दस किलो वजन घटाने का सपना न देखें। ऐसा लक्ष्य बनाएं-जिसे हासिल कर सकें। पिछले दस वर्षो में वजन बढने की प्रक्रिया के बारे में सोचें। हर साल कितने किलो वजन बढा? जीवनशैली में आए बदलावों पर भी गौर करें। शारीरिक गतिविधियां बढाने के बारे में सोचें। लंबे समय तक एक स्थिति में बैठ कर काम न करें। तनाव और दबाव घटाएं।

-30 की उम्र के बाद नियमित वजन चेक करें। जैसे ही यह 1-2 किलो बढे, तुरंत उसे संतुलित करने के प्रयास में जुट जाएं।

-डाइटिंग के बजाय सेंसेबिल ईटिंग प्लान के बारे में सोचे। इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। एक सी ईटिंग हैबिट्स रखें।

-डायरी नोट्स लिखें। अगर डार्क चॉकलेट का एक बडा पीस मुंह में डाला है तो अगले मील में कितनी कैलरी घटानी हैं, इसे भी ध्यान में रखें।

क्या घी Health के लिए हानिकारक नहीं है ? - Dr Rajshree

घी के लिए बहुत बडी गलत फहमी है कि ये फेट बढाता है।पर सही में जाने तो शुध्द देशी घी हाटँ प्रोब्लम का जोखिम घटाता है। और उसमें काफी मात्रा में विटामिन A,D,E,K होता है और अच्छी वाली' चरबी होती है।


(1) घी हार्ट डिज़ीज का रिस्क कम करता है।

उसमें जो अच्छी वाली चरबी है वो हमें कैंसर​, डायबिटीज, से बचाती है और खुन की नलिकाओं​ में खुन जमने नहीं देती। पर वो शुध्द देशी घी होना चाहिए। भारत में एक सवेँ में पाया गया था कि शहरों में रहने वाले जो घी खाते हैं उसकी तुलना में गांव वाले ज्यादा शुध्द घी खाते हैं उसकी वजह से वहां के लोगों में हार्ट डिज़ीज , कैंसर जैसी बिमारियां कम पायी गई।

(2) गर्भवती महिलाओं के लिए शुध्द देशी घी बहुत अच्छा।

अमरीका के,NGO के सवेँ के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित रूप से मर्यादित मात्रा में घी खाने से होने वाले बच्चे के दांत तंदुरुस्त आते है, मुंह का आकार भी सप्रमाण होने से बच्चा beautiful and cute पैदा होता है। उसकी वजह जो घी में बहुत बडी मात्रा में विटामिन K2 होता है वो है।

(3) घी खाने से पाचनतंत्र को फायदा होता है।

क्योंकि घी के अंदर जो एक केमिकल होता है वो अंतडिय़ों के सेल्स को पोषण देता है, खुराक को पाचन योग्य बनाता है और अंतडिय़ों की दिवारों को मजबूत बनाता है।

(4) घी आपको weight loss में मदद कर सकता है।

घी के अंदर जो CLA नामक तत्व है जो Heart disease का जोखिम भी कम करता है, ये वजन बढऩे पे रोक लगाता है, और वजन कम भी करता है।
घी बनाते समय हम मखख्न को बहुत गरम करते है और छलनी से छान लेते हैं।जिससे उसका fatty contents बहुत ही ज्यादा कम हो जाता है।

Western world  में रूटीन ओइल generally olive oil and खोपरेल तेल सबसे ज्यादा हेल्दी माना जाता है, वहां पे भी हमारे traditional indian घी का महत्व बढता जा रहा है। वे लोग भी ब्रैड, केक, सलाड और खाना सौंते करने में घी का उपयोग करने पे जोर दे रहे है।
97% जो Native Americans है, जो डैरी प्रोडकट्स मे lactose होता है वो टोलरेट नहीं कर पाते है। और हमारे शुध्द देशी घी में lactose नहीं होता जो.native Americans के लिए good news साबित हुआ है।

शुध्द देशी घी में casein भी नहीं होता जो दुध और दूध से बनी products की एलर्जी की वजह होता है। इस लिए जिनको दूध की एलर्जी हो वो भी  traditional तरीक़े से बना शुध्द देशी घी खा सकते है।शुध्द देशी घी हमारी आंखों को भी तंदुरुस्त बनाता है।

मेरे पूरे लेख में शुध्द traditional घी के योग्य मात्रा में उपयोग के फायदे बताये गये है।

तो इसी बात पर हो जाए आप सब के मुंह में घी शक्कर!!

DR★ राjશ્રી

किचन में ही बनाएं वजन कम करने के लिए ये लाजवाब फैट कटर ड्रिंक

क्या आप भी उनमें से एक हैं जो कि दिन या रात को सोने से पहले अपनी पुरानी ड्रेस ट्राई करती हैं और आप उसे पहन नहीं पाती, क्योंकि वह अब आपके शरीर में अब फिट नहीं आ पाती है। अगर आप हल्के सी ओवरवेट हैं और शेप में आना चाहती हैं, तो ऐसे में आप इस ड्रिंक का इस्तेमाल करना कभी ना भूलें। इस ड्रिंक के साथ अगर आप एक प्रॉपर डाइट और रूटीन अपनाती हैं तो ऐसे में आपका वजन आसानी से कम हो जाएगा। आइए जानते हैं किस तरह से बनाया जाता है पेट की चर्बी कम करने वाला यह ड्रिंक।

Image Source:

मैजिक ड्रिंक बनाने के लिए आपको इन सामग्री की जरूरत होगी

1 चम्मच शहद
1 चम्मच अदरक का पाउडर
1 चम्मच नींबू का रस
2 से 3 चम्मच ऐलोवेरा जूस
1 गिलास पानी

इस ड्रिंक को कैसे बनाएं?

 एक गिलास में पानी ले लें और फिर इसमें ऐलोवेरा का जूस डाल लें। अब इसमें शहद और पानी को मिक्स करके डालें। इसके बाद अदरक का पाउडर और नींबू का रस डालकर अच्छी तरह से मिला लें। इसके बाद इस काढ़े को रोजाना सुबह के समय खाली पेट पीएं।

Image Source:

शहद पेट की चर्बी को बर्न करके हमारे शरीर को एनर्जी देता है। अदरक फैट को कम करने के साथ ही शरीर के मेटाबोलिजम को बूस्ट करता है। नींबू हमारे शरीर में विटामिन सी की कमी को दूर करता है। ऐलोवेरा हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थों को छुटकारा दिलाकर हमारे शरीर को डिटोक्सिफाई करती है। आप बेहतर परिणाम के लिए रोजाना इस ड्रिंक का सेवन कर सकती हैं। इसी के साथ खूब सारा पानी भी पिएं ताकि आप अपने वजन को आसानी से कम कर दें।

Saturday, October 14, 2017

सेब का सिरका कम करेगा चर्बी और शुगर, जानिए और भी फायदे

सेब का सिरका सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है

नई दिल्ली। स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए प्रकृ​ति ने हमें कई सारी चीजें दी हैं। हम यहां आपको बता रहे हैं सेब के सिरके के फायदों के बारे में जो भूरे रंग का द्रव होता और खमीर उठने से बनता है। सेब के सिरके को आयुर्वेद में इसे औषधि की तरह बताया गया है। इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया बेहतर होकर चर्बी कम होने समेत अवसाद, गठिया, हाई ब्लड प्रेशर आदि बीमारियां दूर होती है।


वजन कम करने के लिए- भले ही इसकी डोज हर व्यक्ति के लिए अलग हो, लेकिन 2:3 के अनुपात में लिया गया ये घोल सबके लिए उपयुक्त है। इसका मतलब आप 2 चम्मच सेब का सिरके को 3 चम्मच गुनगुने पानी के साथ मिला कर दिन में दो बार खाने के बाद सेवन करें।

कछ जानकार इसे रात को​ सोते समय लेने की भी सलाह देते​है। परन्तु​ आपके लिए कौन​ सा समय सही है ये​ आपके डाइटीशियन ज्यादा बेहतर बता सकते हैं।

डायबिटीज के लिए- हालांकि शुगर के इलाज के लिए सेब का सिरका बहुत प्रभावी है इस पर बहुत ज्यादा रिसर्च नहीं है। डॉक्टर शरण के अनुसार, यह इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाता है और खून में ग्लूकोज के लेवल को कम करने में मदद करता है। सेब का सिरका कॉमप्लेक्स कार्बोहाइड्रेट के पचाने में भी मदद करता है जो कि शुगर के मरीज के लिए आवश्यक है।

आपको दिन में दो बार खाने के बाद मुख्य रूप से नाश्ते और रात के खाने के बाद सेब के सिरके का सेवन करना चाहिए। फिर भी इसका डोज हर व्यक्ति के लिए उसके खून में इन्सुलिन की मात्रा और खून में ग्लूकोज लेवल के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। तो अगर आप शुगर के इलाज के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं, तो ज्यादा अच्छा होगा कि आप एक डॉक्टर की सलाह लें।

शुगर की मात्रा होती है नियंत्रित
सेब के सिरके के सेवन से खून में शुगर के स्तर को कंट्रोल रहता है। क्योंकि सेब के सिरके का स्टार्च और कार्बोहाइड्रेट्स के पाचन के दौरान खून में शुगर के अवशोषण को घटा देता है। इस वजह से खून में शुगर का स्तर स्थिर हो जाता है। इसमें एसीटिक अम्ल होता है जिससे यह मंद पाचन में सहायक होता है। वहीं, इसमें पाया जाने वाला एसीटिक अम्ल डाइबिटिज के रोगियों के लिए लाभदायक होता है।

एडिस रिफ्लक्स के लिए- जीईआरडी यानि एसिडिटी संबंधी परेशानी के इलाज के लिए सेब के सिरके को 1:5 के अनुपात में मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए।

साइड इफेक्ट

सेब का सिरका सेफ है लेकिन डॉक्टर शरण दिन में दो बार से ज्यादा इसके प्रयोग पर चेतावनी देते हैं। यदि ज्यादा मात्रा में दिन में दो बार से ज्यादा इसका सेवन करते हैं, तो इससे एसिडिटी, त्वचा पर दाने पड़ना और पेट में जलन महसूस हो सकती है।

सेब के सिरके के कुछ और भी दुष्‍प्रभाव होते हैं - ऊतकों का टूटना, दांतों में पीलापन आना, शरीर में पौटेशियम के स्‍तर में कमी आदि। कुछ मामलों में लोगों को जलन आदि की समस्‍या भी हो जाती है।

साथ ही इन साइड इफेक्ट्स के इलाज में भी ज्यादा वक्त लगता है। इसलिए ज्यादा अच्छा यह है कि इसका उपयोग किसी डॉक्टर या न्यूट्रीनिश्ट के निर्देश के अनुसार ही करें।

दवाओं के सेवन करने पर न लें - अगर आपको कोई शारीरिक समस्‍या है और आपके द्वारा उसके लिए किसी प्रकार की दवा का सेवन किया जा रहा है तो डॉक्‍टर से सेब का सिरका इस्‍तेमाल करने से पूर्व पूछ लें। अन्‍यथा अापको समस्‍या हो सकती है।

अगर सेब के सिरके का सेवन सही मात्रा में नियमित रूप से किया जाता है तो वजन में कमी आ सकती है। बस दृढ इच्‍छा की कमी नहीं होनी चाहिए।

Thursday, October 12, 2017

भारत सुप - आंते साफ करने की स्पैशल Recipe : by Dr Rajshree

मेरी खुद की बनाई गई ये हेल्दी रेसिपी (Try for 2 days in dinner ये सुप एक मीडियम साइझ बौल, दो फुल्का रोटी और ऐक कप दहीं के साथ और कुछ नहीं लेना है. डिनर में) to clean your intestine before Diwali festivities food.

भारत सुप


Ingredients:-

1 मीडियम साइज लौकी
5 सहजन की स्टीक्स (Drumsticks)
एक कप बारीक कटी हुई पत्ता गोभी,
एक कप बारीक कटी हुई पालख,
एक कप कसा हुआ गाजर
आधा चम्मच नींबू का रस
एक चम्मच कसा हुआ अदरक
आधा चम्मच काली मिचँ पावडर
नमक आधा चम्मच

बनाने की विधि:-

लौकी और सहजन के बडे बडे पीस कर के बोइल कर लिजीये,ठंडा होने पर लौकी को मेश कर दिजिये और सहजन में से पुरा पल्प नीकाल लिजिये। अब एक बडे पेन मे ये डाल दिजिये और 4गिलास पानी डालिये और.कप्स में तैयार रखी
दुसरी सब्जियां भी उस मे डाल दिजिये। अब ये पूरा मिश्रण पांच मिनट्स तक उबालिए, बीच में हिलाते रहे। अब नमक आधे चम्मच से ज्यादा नहीं परन्तु ज्यादा तीखा पसंद करते हो तो काली मिर्च पाउडर अपनी मरजी से डाल सकते हैं।
परोंसते वक्त नींबू का रस नीचोडे। ......

DR★राjશ્રી...

जोड़ों के दर्द का सबसे अच्छा उपचार हैं नींबू का छिलका

नई दिल्ली : जैसे- जैसे लोगो का उम्र बढ़ता हैं वैसे-वैसे लोगों को सेहत संबंधित कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर देखा जाए तो सबसे पहले लोगों में जोड़ों का दर्द सामने आता हैं. यू कहे तो जोड़ों का दर्द आजकल आम बीमारी हो चुकी हैं और अब यह हर उम्र के लोगों में होने लगा हैं. जिसकी खास वजह हैं अनहैल्दी खाना जो कोई ध्यान नही देता और अपनी सेहत बिगड़ लेता है. जिसका सीधा बूरा असर आपके जोड़ो पर होता है.

ऐसे में आप घर पर बैठे ही जोड़ों के दर्द के लिए घरेलु टिप्स इस्तेमाल कर सकते हो जो आपको दर्द के राहत दिलाएगा और इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का साइड इफ़ेक्ट नही होगा. वो हैं नींबू का छिलका, जो जोड़ों के दर्द के लिए बहुत ही फायदेमंद है.

नींबू के छिलके का इस्तेमाल करके आप अपने जोड़ों के दर्द को आसानी से ठीक कर सकते हो. तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप नींबू के छिलकों का इस्तेमाल करके जोड़ों के दर्द से राहत पा सकते है.

सामग्री :

इसके लिए आपको 3 चीजों जरूरत होगी नींबू के छिलके, ऑलिव ऑयल और बैडेंज.

ऐसे करें इस्तेमाल :

# सबसे पहले नींबू के कद्दूकस किए गए छिलकों को​ एक एयरटाइट जार में डालकर थोड़ा सा ऑलिव ऑयल मिलाएं और जार अच्छे से बंद करें.

# इस मिक्सर को दो हफ्तों के लिए छोड़ दें.

# दो हफ्तों के बाद इसे रेशमी कपड़े में लेकर दर्द वाली जगह पर लगाएं.

# इसे बैडेंज का इस्तेमाल कर अच्छे से कवर करके चौबीस घंटे के लिए छोड़ दें.

# इससे हड्डियां मजबूत होगी और जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलेगी.

Wednesday, October 11, 2017

डार्क सर्कल्स - कारण व सरल घरेलू उपचार जो आपकी त्वचा निखार देंगे।

आँखें चेहरे का अभिन्न अंग हैं। स्वस्थ और सुंदर आँखें चेहरे की ख़ूबसूरती को चार चाँद लगा देती हैं। पर कुछ लोगों के आँखों के नीचे की त्वचा का रंग बदल जाता है और कालापन आ जाता है। इसे आँखों का काला घेरा या dark circles कहते हैं।

उम्र के किसी ना किसी पड़ाव पर सबको इस समस्या से रूबरू होना पड़ता है। और अधिकतर इन काले घेरों पर ध्यान तब जाता है, जब बहुत गहरा जाते हैं और साफ़-साफ़ नज़र आने लगते हैं। आज हम जानेंगे कि ये काले घेरे होते क्यूँ हैं? 

बहुत से लोगों का मानना है कि नींद पूरी ना होने की वजह से या कम नींद लेने की वजह से आँखों के नीचे काले घेरे होते हैं, पर ये पूर्ण सत्य नहीं है। नींद पूरी ना होना अकेली वजह नहीं है आँखों के नीचे काले घेरे होने की, और भी बहुत सी वजहें हैं। आँख के नीचे होने वाले काले घेरों की वजह जानने के लिए, पहले आपको बहुत ध्यान से उनके रंग को पहचानना होगा। 

अगर आँख के नीचे के इन घेरों का रंग थोड़ा नीला या हरा है, तो ये आपकी आँख के नीचे की स्किन यानि चमड़ी के पतला पड़ जाने की वजह से हैं। समय के साथ-साथ या फिर आनुवंशिक कारणों से, आँखों के नीचे की चमड़ी पतली पड़ जाती है या पारदर्शी हो जाती है। चमड़ी के पारदर्शी होने की वजह से आँखों के नीचे की रक्तवाहिका नज़र आने लगती हैं और इसकी वजह से आँखों के नीचे नीले या हरे रंग के घेरे नज़र आने लगते हैं। इन्हें ही हम डार्क सर्कल कहते हैं। 

अगर आँख के नीचे के ये घेरे भूरे या काले रंग के हैं,  तो ये hyperpigmentation का नतीजा है। hyperpigmentation यानि की त्वचा में melanin की बढ़ी हुई मात्रा।hyperpigmentation होने के कई कारण होते हैं, जैसे कि सूर्य की रोशनी में ज़्यादा देर तक रहना या आनुवंशिक कारण या फिर हमारा life style यानि कि रहन सहन। 

क्यूँ होते हैं डार्क सर्कल – डार्क सर्कल यानि काले घेरे होने के बहुत से कारण हैं, जैसे – 

अत्यधिक तनाव में रहना थकावट होना, पर्याप्त नींद और आराम ना मिल पाना Iron की कमी सही खानपान ना होना धूप व प्रदूषण में ज़्यादा रहना किसी क्रीम, cosmetic या दवाई से ऐलर्जी होना आनुवंशिक अनियमित दिनचर्या होना उम्र बढ़ना भारी फ़्रेम वाले चश्मे पहनना आँखों को ज़्यादा मलते रहना 

कैसे करें काले घेरे दूर? 

अपनी त्वचा का ख़ास ख़्याल रखें – सूर्य की हानिकारक किरणें हर तरह से हमारी त्वचा को नुक़सान पहुँचती हैं। बहुत ज़्यादा धूप में रहने से सूर्य की UV किरणें हमारी त्वचा में पाए जाने वालेfolate (विटामिन B) को नष्ट कर देती हैं, जिसका असर cell division पर पड़ता है। Melanocytes के ज़्यादा सक्रिय हो जाने से त्वचा में pigmentation की समस्या होने लगती है और इसी से आँखो के नीचे काले घेरे बनते हैं। इसलिए जितना हो सके कड़ी धूप में जाने से बचें या फिर बाहर जाने से पहले कम से कम तीस spf वाला सनस्क्रीन ज़रूर लगाएँ। यहाँ spf का मतलब है sun protection factor, जितना अधिक spf उतनी ही अधिक pigmentation, सनबर्न और टैनिंग से सुरक्षा। 

-> पर्याप्त नींद लें – नींद पूरी न होने से आपकी त्वचा कांतिहीन नज़र आती है व आँखों के नीचे काले घेरे बन जाते हैं। इससे त्वचा कुरूप व काली नज़र आने लगती है। इसका उपाय है कि आप रोज़ाना आठ घंटे की नींद ज़रूर लें। अगर आपको सुबह जल्दी उठना पड़ता है तो कोशिश करें कि रात को सोएँ भी जल्दी। अगर आपकी दिनचर्या ऐसी है कि रात को सोते भी लेट हैं और सुबह उठना भी जल्दी पड़ता है तो कोशिश करें कि दिन में कुछ समय निकाल कर सो जाएँ व अपनी नींद पूरी कर लें। कुछ लोगों को समय की नहीं बल्कि नींद की समस्या होती है, ऐसे लोगों के लिए प्राणायाम काफ़ी लाभदायक साबित हो सकता है। 

-> संतुलित भोजन – त्वचा को क़ुदरती तौर पर सुंदर, स्वस्थ रखने के लिए व काले घेरों से छुटकारा पाने  लिए, सबसे पहले अधिक नमक युक्त, तले हुए, जंक फ़ूड और मसालेदार भोजन से दूरी बना लें। अपने भोजन में ऐसी चीज़ों को शामिल करें जिनमें विटामिन और antioxidants की मात्रा अधिक हो, जैसे ताज़े फल व रेशेदार सब्ज़ियाँ। ऐसे फल अधिक खाएँ जिनमे विटामिन सी अधिक होता है, जैसे आँवला, संतरा, मोसंबी, निम्बू, अमरूद इत्यादि। विटामिन सी चेहरे के दाग़ धब्बों को दूर करता है और त्वचा की रंगत के साथ साथ काले घेरों को हल्का करता है। antioxidants त्वचा की कोशिकाओं की मरम्मत कर, त्वचा को स्वस्थ बनाए रखते हैं। 

-> पानी अधिक पिएँ – दिन में कम से कम आठ से दस गिलास पानी ज़रूर पिएँ। पानी अधिक पीने से, त्वचा में नमी बनी रहती है और शरीर में मौजूद हानिकारक और विषैले तत्वों को पानी बाहर निकाल देता है। नारियल पानी में भी कई सारे पोषक तत्व होते हैं, जो त्वचा को सुंदर और स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। इसलिए दिन में एक बार नारियल पानी ज़रूर पिएँ। 

काले घेरे दूर करने के घरेलू उपाय – 

1. टमाटर – डार्क सर्कल दूर करने के लिए टमाटर सबसे कारगर उपाय है। ये प्राकृतिक तरीके से आँखों के नीचे के काले घेरे को खत्म करने का काम करता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से त्वचा भी कोमल और फ्रेश बनी रहती है। टमाटर के रस को नींबू की कुछ बूंदों के साथ मिलाकर लगाने से जल्दी फायदा होता है। 

2.टी-बैग – ठंडे टी-बैग्स के इस्तेमाल से भी डार्क सर्कल को दूर किया जा सकता है। टी-बैग को कुछ देर पानी में डुबोकर रख दें। उसके बाद इसे फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दें। कुछ देर बाद इसे निकालकर आंखों पर रखकर लेट जाएं। दस मिनट तक रोज ऐसा करने से आँखों के नीचे के काले घेरे दूर होने लगेंगे। 

3.कच्चा दूध  ठंडे दूध के लेप से भी आंखों के नीचे का कालापन दूर हो जाता है। कच्चे दूध को ठंडा होने के लिए फ़्रिज में रख दें। उसके बाद रुई की मदद से उसे आंखों के नीचे लगाएँ। रात को सोने से पहले व सुबह नहाने से पहले रोज़ाना ये उपाय करें, आपको ज़रूर फ़ायदा होगा। 

4.आलू – एक आलू लेकर उसे बीच से काट दें और उसे आँखों के नीचे रगड़ें, चाहें तो पूरे चेहरे पर भी रगड़ सकते हैं। आधे घंटे बाद चेहरा धो दें। हफ़्ते में एक दो या तीन बार ये उपाय ज़रूर करें, काले घेरे कम होंगे व चेहरा निखर उठेगा। इसके अलावा आलू के रस को नींबू की कुछ बूंदों के साथ मिला कर मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण को रूई की सहायता से आंखों के नीचे लगाएँ, इससे काले घेरे धीरे धीरे ख़त्म हो जाते हैं। 

5.चंदन – थोड़ा सा चंदन पाउडर लें, उसमें संतरे का रस मिला कर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आँखों के नीचे काले घेरों पर लगाएँ। आधे घंटे बाद साफ़ पानी से धो दें। हफ़्ते में दो या तीन बार ये उपाय करने से निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। 

6.खीरा – खीरे के टुकड़े काट कर आँखों के ऊपर रखें। कुछ देर तक आँखे बंद करके रखें, फिर धीरे धीरे हल्के हाथ से काले घेरों पर घुमाएँ। इससे काले घेरे हल्के होंगे व आँखों को आराम मिलेगा। इसके अलावा खीरे के रस में निम्बू के रस की कुछ बूँदें मिला कर लगाने से भी लाभ मिलेगा। 

अपनी दिनचर्या को नियमित रख कर, खानपान का ध्यान रख कर, व्यायाम व योग को अपना कर हम दाग़-धब्बों व काले घेरों से मुक्त चमकती दमकती हुई त्वचा पा सकते हैं।