Monday, August 28, 2017
घरेलू उपाय: बढ़ती उम्र में जवान रखने की आयुर्वेदिक दवाई
लोग जवान बने रहने के लिए कई तरह के कॉस्मेटिक्स का उपयोग करते हैं। लेकिन कॉस्मेटिक्स त्वचा को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं जिसके कारण समय से पहले ही अधिक उम्र दिखाई देने लगती है दरअसल उम्र पर असली असर खान-पान का पड़ता है कास्मेटिक्स का नहीं। इसीलिए हमेशा जवान बने रहने के लिए जवानी को फिर पाने के लिए या हमेशा जवान बने रहने के लिए आयुर्वेद में अनेक जड़ीबूटियों के नाम हैं जिनसे बुढ़ापा दूर रहता है।
- ऐन्द्री, ब्राह्मी, आरकाकोली, क्षारपुष्पी, मण्डी, महामुण्डी, शतावरी, विदारीकंद, जीवन्ती, पुनर्नवा, नागबला, शालपर्णी, वचा, छत्रा अतिछत्रा, मेदा, महामेदा और जीवनीय द्रव्यों को दूध के साथ छ: महीने तक सेवन करने से उम्र लंबी होती है और बुढ़ापे के रोग शरीर से दूर रहते हैं।
- वृद्धों को शक्ति वर्धक चीजें जैसे बादाम किशमिश, सेब, अमरूद, केला, टमाटर लौंग, मुनक्का, आवंला, संतरा, छुआरे, खजूर, अंजीर, अखरोट, घी, दूध, आदि का यथासंभव सेवन करना चाहिए।
- ऐसा आहार करना चाहिए जो मीठा व रस युक्त हो। सुबह दूध, दिन के खाने में दाल, चौकर युक्त रोटी, गाय के दूध से लें। रात में गाय के दूध का सेवन करें।
- सुबह खाली पेट हरड़ खाएं। शाम को दूध जरुर पीएं। रोजाना हरड़ लेते रहने से आंवले का प्रयोग करते रहने से, दूध घी लेते रहने से, आंवले
का प्रयोग करते रहने से भी बुढ़ापा सताएगा नहीं और यौवन हमेशा बना रहेगा।
- रोजाना त्रिफला का सेवन मौसम अनुसार आयुर्वेदिक विधि से करें।
- भृंगराजचूर्ण 1 भाग, आमल की चूर्ण आधा भाग, तिल आधा भाग, इन तीनों को मिलाकर इनमें गुड़ मिलाकर इसका सेवन 10 से 12 ग्राम मात्रा में करें। इस आयुर्वेदिक योग का सेवन बूढ़े को भी जवान बना देगा।
क्या कहता हैं आपका सिरदर्द ?? आपकी सेहत का हाल।
बात यह है कि कैसे सिरदर्द प्रकट होता है और आपके स्वास्थ्य के साथ क्या गलत है और समस्या को स्वाभाविक रूप से ठीक करने के लिए क्या करें।
सभी ने सिर दर्द का अनुभव किया है पीड़ा को कम करने के लिए सबसे ज्यादा जाने-माने तकनीक, बहुत पानी पीना है। हो सकता है कि ऐसा हो कि फायदा मिलें परन्तु ये हमेशा प्रभावी नहीं लगता है यह आधार पर सिर के अधिकांश भाग के लिए है आप जानते हैं की सिरदर्द के कुछ प्रकार होते हैं, जिसके लिए सामान्य इलाज से कोई फर्क नहीं पड़ता।
1.साइनस (Cinus) सिरदर्द
साइनस सूजन सिर दर्द का कारण बनती है आप अपने गाल, आंखों और कपाल पर वजन महसूस कर सकते हैं। एक साइनस सिरदर्द इसी तरह बुखार द्वारा वर्णित है।
उपचार: बहुत सारे तरल पदार्थ पीने से बेहतर गर्म पानी बहुत मूल्यवान है क्योंकि यह जलन को कम करता है और साइनस को खोलता है। इसके अलावा, आपको विटामिन C में समृद्ध फल निरंतर खायें, क्योंकि विटामिन Cell रीनिफोर्समेंट में सहायता कर संदूषणों से लड़ने में शरीर को मदद करता है।
2. तनाव (Tension) सिरदर्द
इस प्रकार के सिरदर्द के साथ, आपको अपने सिर के आसपास पीड़ा या वजन, विशेष रूप से सिर के पीछे, या क कपालो पर महसूस होगा। आपको उल्टी भी महसूस हो सकती हैं।
उपचार: अदरक की चाय और पेपरमिंट ऑयल का मिश्रण पीने से आपको पीड़ा को कम करने में मदद मिलेगी। सिर और सिर की मांसपेशियों को खोलने की उम्मीद के साथ शीतलन सनसनी लाने के लिए हेयरलाइन में कुछ पेपरमिंट ऑयल लागू करें। इसके अलावा, अदरक की चाय से जलन कम हो जाएगी।
3. क्लस्टर( Cluster) सिरदर्द
इस प्रकार की सिरदर्द महिलाओं में अधिकतर होता है और एक आंख से अधिक दिखाई देता है जिसके परिणामस्वरूप आपके सिर के एक तरफ एक तीव्र यातना होती है। यह नियमित रूप से बहते नाक, नाक अवरोध या आंख से पानी के लक्षण दर्शाता हैं हालांकि इसका कारण स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, मस्तिष्क के आधार पर एक विशिष्ट तंत्रिका पथ सक्रिय हो जाने पर यह अक्सर होता है।
उपचार: आपकी नाक के लिए कुछ कैप्सैसिइन क्रीम लगाएं। यह पीड़ा तंत्रिका के संकेतों को रोकने में सहायता कर सकता हैं।
4. माइग्रेन ( Migraine)
ये सिरदर्द किसी को भी प्रभावित कर सकता है, अधिकतर यह लगभग 25 और 55 की उम्र के आसपास के लोगों को होता हैं। माइग्रेन बहुत रहस्यमयी होते हैं क्योंकि वे कई अन्य विशिष्ट न्यूरोलॉजिकल अभिव्यक्तियां प्रदर्शित करते हैं। ये सिर के एक तरफ ही ज्यादा परेशान करते देखें गये हैं ।
माइग्रेन के विभिन्न साइड इफेक्ट्स में बीमारी, चक्कर आना, स्पर्श, ध्वनि, दृश्य असंतोषजनक प्रभाव, और आपके चेहरे पर कम्पन या Deadness की क्षमता को प्रभावित करती है। ये अभिव्यक्तियां सामान्यतया सिर के ऊपर से नीचे की तरफ निकलती हैं
उपचार: अध्ययन ने यह दर्शाया है कि मैग्नीशियम, विटामिन बी 12 और ओमेगा -3 वसा, माइग्रेन को कम करने में शक्तिशाली हैं। इसके अलावा, एक हालिया रिपोर्ट में पता चला है कि एरोबिक व्यायाम करना इस दर्द को दूर रखने में बेहद सफल हो सकता है। इसलिए, एक सामान्य कसरत दवाओं स्थान लें सकती हैं।
Sunday, August 27, 2017
आपके घर में ही छुपे हैं कैंसर के कारण, जानिए क्या-क्या ??
यदि आप समय-समय पर निगरानी रखने के लिए समय लेते हैं कि आप क्या खाते हैं और आप कितना व्यायाम करते हैं, तो यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि आप इन आदतों को अपने घर की देखभाल में नियमित रूप से बढ़ाने के लिए न भूलें। इसका कारण यह है कि आपके घर में अनगिनत चीजें कठोर रसायनों से दूषित होती हैं जो धीरे-धीरे आपके ऊतकों में जमा होती हैं और जहरीले अधिभार पैदा करती हैं। ये प्रोडक्ट्स संभावित रूप से कैंसर पैदा कर सकते हैं ।
यद्यपि केवल जैविक होममेड या पारंपरिक उत्पादों को खरीदने के लिए सबसे अच्छा है, यहां कुछ संभावित कैंसर उत्पाद हैं जिनका प्रयोग आपको जितनी जल्दी हो सके छोड़ दें या बदल देना चाहिए।
1. शैम्पू:
सम्मानित अकादमिक और वैज्ञानिक डेविड सुज़ुकी की रिपोर्ट अनुसार 80% आम घरेलू उत्पाद में कम से कम 12 सबसे अधिक जहरीले रसायन जिसमें कार्सिनोजेन्स और अंतर्गैविक disruptors जैसे parabens, सोडियम लौरीथ सल्फेट, formaldehyde releasing परिरक्षकों और पी-फेनिलैलेडायमिन (1) शामिल हैं
जब शैम्पू की बात आती है, तो parabens, खुशबू, रंग और कोकामाइड डायथेनोलमाइन सबसे खराब अवयवों में हैं। लेकिन ये रसायन सिर्फ शैम्पू में नहीं हैं: यह अनुमान लगाया गया है कि निजी देखभाल उत्पादों में उपयोग किए गए 82,000 से 8000 में से 1 में औद्योगिक रसायनों, जिनमें कार्सिनोजेन्स, कीटनाशक, प्रजनन विषाक्त पदार्थ, और हार्मोन डिस्प्टर्स शामिल हैं। यहां तक कि कुछ "कार्बनिक" या "प्राकृतिक" शैम्पू ब्रांडों में कठोर रसायनों की भरमार है।
क्या करें
इसके बजाय सिर्फ अपनी खुद की होम मेड शैम्पू तैयार करें।
2. मोमबत्तियाँ:
हालांकि उन्हें "समर ब्रिज़" या "स्ट्रॉबेरी शॉर्टकट" जैसे नाम दिए जा सकते हैं, सुगंधित मोमबत्तियां प्राकृतिक से दूर हैं वास्तव में, अधिकांश मोमबत्तियों, यहां तक कि अनसब्सक्राइव वाले फ़ार्मल डाइहाइड, एक अविश्वसनीय रूप से हानिकारक रासायनिक होते हैं जो विषाक्त धुएं को दोषपूर्ण बनाते हैं।
आंखों, नाक, गले और त्वचा की जलन और श्वसन संकट, मितली और कैंसर (3,4,5) के रूप में फ़ार्मलाडेहाइड भी जाना जाता है
क्या करें
इसके बजाय अपने घर को उजागर करने के लिए कपास-बाती के साथ सभी प्राकृतिक मोम मोमबत्तियाँ का उपयोग करें
3. एयर फ्रेशनर:
एयर फ्रेशनर और इत्र में खुशबू होती है, जो एक विशेष गंध को बनाने के लिए 3,000 रसायनों का इस्तेमाल करती है। ये न्यूरोलॉजिकल समस्याएं, खराब इम्युनिटी, ऑटोइम्यून विकार, जिल्द की सूजन, श्वसन संकट, अस्थमा, आंखों की जलन, कैंसर, एलर्जी, बांझपन, गर्भपात, और बहुत कुछ कर सकते हैं।
इससे भी बदतर, सामग्री को उत्पादों पर सूचीबद्ध करने की आवश्यकता नहीं है, जिसका अर्थ है कि आप वास्तव में कभी नहीं जानते हैं कि आप किन में साँस ले रहे हैं।
इसके बजाय 2 औस स्प्रे बोतल में पानी, एक चम्मच बादाम का तेल और अपने पसंदीदा जरूरी तेल की 20 बूंदों के साथ अपना खुद का कमरा स्प्रे करें।
4. शावर पर्दे
जब यह पर्दे स्नान करने की बात आती है, तो पीवीसी और vinyl कुछ वर्षों सेे लोकप्रिय हो गए हैं, लेकिन इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता सबूत है जो दिखाती है कि इनमें से एक सामग्री सुरक्षित नहीं है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पीवीसी शॉवर पर्दे खतरनाक वायु प्रदूषण (6) के ईपीए की सूची में हैं, जिसमें 7 सहित, 108 वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों तक जारी कर सकते हैं।
हर बार जब आप बौछार करते हैं, तो आप इन यौगिकों में साँस लेते हैं। लंबे समय तक उजागर हुए जिगर, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, श्वसन प्रणाली, प्रजनन प्रणाली की क्षति से जुड़ा हुआ है और विकास संबंधी क्षति में योगदान दे सकता है।
क्या करें
इसके बजाय, कार्बनिक कपास या इस खस-खस के पर्दे खरीदें और मोल्ड को रोकने के लिए उन्हें अक्सर लोहे और लोहे का ढक लेना।
5. कला आपूर्तियाँ
शिल्प (क्राफ्ट) समय के दौरान आपके बच्चों द्वारा गोंद, पेंट और स्थायी मार्कर जैसी कला की आपूर्ति नहीं की जानी चाहिए वास्तव में, उत्पाद सिरदर्द, मितली, जलन, श्वास समस्याओं, फेफड़े और गुर्दे की क्षति के साथ-साथ कैंसर के कारण के लिए भी जाने जाते है।
यही कारण है कि इतने सारे शिल्प उत्पादों में चेतावनी वाले लेबल होते हैं जो चेतावनी देते हैं कि उत्पाद को साँस (मुंह के पास) या त्वचा पर नहीं रखा जाना चाहिए।
क्या करें:
इसके बजाय, उन उत्पादों पर AP या CP मार्क को देखें जो आप बच्चों को देते हैं, जो साबित करता है कि वे गैर विषैले हैं
बेहतर अभी तक, पानी और मसाले जैसे सरसों या हल्दी के साथ पानी की जगह, लकड़ी का कोयला के साथ मार्करों की जगह या आटा और पानी का उपयोग कर घर का बना गोंद बनाने के लिए।
6. कीटनाशक और कीटनाशक
ये उत्पाद सिर्फ बग्स को नहीं मारते, वे धीरे-धीरे अपने परिवार को भी जहर देते हैं! ये उत्पाद न्यूरोटॉक्सिन का उपयोग करके काम करते हैं, जैसे कि पिरेथोइड, जो कि मनुष्यों में पार्किंसंस की बीमारी का कारण बन सकता है। ये उत्पाद विशेष रूप से हानिकारक हैं, जो बच्चों को पर्यावरण के विषाक्त पदार्थों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और यहां तक कि घरेलू पालतू जानवर की बीमारियों और मौत के कारण भी बन सकते हैं।
क्या करें
इसके बजाय, अपने स्वयं के जैविक कीटनाशकों को सामान्य रसोई सामग्री का उपयोग करें।
7. एंटीपीर्सिपार्टर्स (Deodorant)
अब तक, आपने शायद सुना है कि एंटी एंटीपर्सिफायर और डिओडोरेंट्स में अक्सर आपके बगल को सूखा रखने के लिए एल्यूमीनियम होते हैं इन उत्पादों के उपयोग को अल्जाइमर रोग और स्तन कैंसर की शुरुआत से जोड़ा गया है क्योंकि आपके शरीर से एल्यूमीनियम निकालना कठिन है और यें मस्तिष्क और स्तन के ऊतकों में जमा होता है। वास्तव में आप लंबे समय तक डियोड्रेंट प्रयोग करके खुद को बदतर बदबूदार बना रहे हैं।
क्या करें:
इसके बजाय, नारियल तेल का उपयोग करके अपने खुद का डियोड्रेंट बनायें और बदबू दूर करें।
Saturday, August 26, 2017
क्या आप जानते हैं कैंसर से जुड़े इन तथ्यों को ??
कर्क रोग या कैंसर दुनिया में फैली हुई एक ऐसी भयवाह बीमारी है जिससे लोग बहुत अधिक डरते हैं। आपको बता दूं की कैंसर के बारे में कुछ एक आध ऐसी बातें हैं जो हमे जानना बहुत जरुरी है ताकि हम अपनी और किसी और की भी मदद कर पाएं।
आज आपको ऐसी कुछ बातों के बारे में बताना चाहतें है।
क्या है कैंसर?
आमतौर पर कैंसर सेल या कैंसर की कोशिकाएं हम सभी के शरीर में होती हैं। हमारे शरीर में सभी कोशिकाएं निरंतर बनती और खत्म होती रहती हैं पर यूँ ही किसी कोशिका का अचानक तेज़ी से अनियंत्रित तौर पर बढ़ना और एक ट्यूमर में रूप में बन जाना ही कैंसर है। इसे कार्सिनोमा (carcinoma),नियोप्लास्म (neoplasm) और मेलेगनंसी (malignancy) भी कहते हैं।
100 प्रकार के कैंसर
लगभग 100 प्रकार के कैंसर होते हैं, और सभी के लक्षण अलग-अलग होते हैं। एक अंग में कैंसर होने पर ये दूसरे अंगो में भी फैलने लगता हैं लेकिन सभी ट्यूमर कैंसर नहीं होते। ऐसे में जानकारी ही बचाव है।
क्या होते हैं इसके लक्षण
• असामान्य गाँठ होना (tumour)
• रक्त-स्त्राव (bleeding) होना
• वजन घटना(बिना कारण के)
• भूख कम लगना
• थकान होना
• रात को बहुत पसीना आना
• खून की कमी होना (anaemia)
• खांसी आना
• हड्डियों में दर्द होना
• निगलने में तकलीफ होना
• मुंह और गले के छाले जो ठीक न हो
• यूरिन में तकलीफ होना,
• ब्लड आना
• गले में खराश रहना
ये हो सकते हैं सम्भावित कारण
तम्बाकू या पान मसाला के कारणशराब के कारणमेहनत न करने के कारणहेपटाइटिस B और C के कारणअनुवांशिक कारणकिसी प्रकार के इन्फेक्शन के कारणकिसी दवा के कारणआधुनिक जीवन-शैली के कारण
स्टेज के आधार पर ये होतें है प्रकार
ग्रेड द्वारा पता किया जाता हैं कि ट्यूमर सेल्स नॉर्मल सेल्स से कितनी अलग हैं।
कैंसर की ग्रेड निम्न प्रकार की होती हैं
ग्रेड 1- इसमें कैंसर सेल नार्मल सेल के समान दिखती है, और यह धीरे-धीरे बढ़ता है।ग्रेड 2- इसमें भी नॉर्मल सेल के समान होता है, परन्तु यह बहुत तेजी से बढ़ती हैं।ग्रेड 3...इसमें कैंसर सेल बहुत तेजी से बढती हैं, और एब्नार्मल दिखती हैं।
महिलायों के खास लक्षण जिन्हें अनदेखा न करें
ब्रेस्ट में किसी भी प्रकार का बदलाव आना। निप्पल का अन्दर की और मुड़ना या निपल से किसी प्रकार का डिस्चार्ज होना। किसी भी प्रकार की गठान या scar होना। थकान, ब्लीडिंग, बिना किसी कारण के वजन कम होना। दर्द होना। लिम्फ-नोड में बदलाव होना।
कुछ जानने योग्य बातें
☣ व्यक्ति के जीवन में शरीर में कम से कम छ: बार कैंसर की कोशिकाओं के निर्माण होता है।
☣ जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है तो कैंसर के सेल अपने आप खत्म हो जाते हैं।
☣ कैंसर होते ही शरीर में कई कमियाँ हो जाती हैं चाहे वो जेनेटिक हो या भोजन सम्बन्धित या पर्यावरण सम्बन्धित हो या फिर जीवन शैली के कारण, जिससे उभरने के लिए अच्छी डाइट का होना ज़रूरी है।
☣ निदान के समय की गयी कीमोथेरेपी वास्तव में तेज़ी से बढने वाले इन सेल्स को ज़हरीले पदार्थ से खत्म करने की प्रक्रिया होती है जो उसी समय शरीर के स्वस्थ सेल्स को भी नष्ट करती है।
☣ इस ट्रीटमेंट से लीवर;किडनी; हृदय; फेफड़े और अन्य अंगों को नुकसान होने की काफी आशंका होती है।
☣ चीनी से कैंसर के सेल्स को ताकत मिलती है। इसलिए आमतौर पे चीनी का कम इस्तेमाल करके हम कैंसर के सेल्स को बढने से रोक सकते हैं।चीनी के बाजारू विकल्प और भी अधिक हानिकारक होते हैं ऐसे में अधिक ज़रूरत पड़ने पर बहुत ही कम मात्रा में शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है।
☣ दूध भी हानिकारक साबित हो सकता है। इससे बनने वाला म्यूकस कैंसर सेल्स का भोजन होता है। इसकी जगह हम सोया मिल्क का प्रयोग कर सकते हैं।
☣ मांसाहारी भोजन भी कैंसर सेल्स को तेज़ी से बढने में मदद करता है क्योंकि इनमे एसिड्स होते हैं जो इन सेल्स को जल्दी ही कई गुना होने का माहौल बना कर देते हैं।
☣ हरी सब्जियां; कुछ फल; होल ग्रेन; बीज; नट्स और जूस शरीर को ताकत देते हैं। एंजाइमस को बढ़ाने के लिए दिन में २ से ३ बार ताज़ी सब्जियों का जूस पीने या उन्हें कच्चे तौर पर खाने से लाभ होता है।
☣ ग्रीन टी एक बेहतरीन विल्कप है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से कैंसर सेल्स को बनने का माहौल नहीं मिलता है इलसिए नियमित तौर पर व्यायाम करें।
☣ सुबह ताज़ी हवा में सैर करें और अपने आप को हमेशा सकारात्मक रखें। इस बीमारी से जीतना बहुत मुश्किल काम नही बस अपने अंदर की जिजीविषा बनाये रखिये।
हम सभी को हमारे ब्लड ग्रुप के बारे में इन 10 बातों को जानना चाहिए!
जैसा कि आप शायद पहले से ही जानते हैं, चार अलग-अलग ब्लड ग्रुप हैं ये है, ब्लड ग्रुप A, B, AB, और O.
सबका ब्लड ग्रुप जन्म से निर्धारित होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रत्येक ब्लड ग्रुप में अलग-अलग विशेषताएं हैं। अर्थात किसी के ब्लड ग्रुप के द्वारा उसकी उसके स्वभाव के कई पहलु जान सकते हैं तो, आइए देखें:
रक्त के प्रकार और पोषण
विभिन्न ब्लड ग्रुपस को अलग-अलग खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है, जिनमें से वे सबसे अधिक लाभान्वित होंगे। एक उदाहरण के रूप में, A ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को मांसाहार से बचना चाहिए और इसके अतिरिक्त अधिक veggies शामिल करना, इसके O ब्लड ग्रुप वाले लोगों के लिए अधिक प्रोटीनों की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें अधिक मांस और मछली खाने चाहिए। AB ब्लड ग्रुप वाले लोगों को Lean meat और Sea Food का उपभोग करना चाहिए, जबकि टाइप B वाले व्यक्तियों को चिकन मांस से बचने और अधिक लाल मांस खाने की सलाह दी जाती है।
ब्लड ग्रुप और बीमारियां
प्रत्येक ब्लड ग्रुप अलग-अलग बीमारी या स्थिति से कम या अधिक प्रभावित होता है। इसलिए, अपने रक्त समूह की मदद से अपने जोखिम का पता लगाएं।
रक्त के प्रकार और व्यक्तित्व
यह माना जाता है कि O ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति आत्मविश्वासी, रचनात्मक, सामाजिक और निवर्तमान हैं। इसके अलावा, ब्लड ग्रुप A वाले लोग आम तौर पर शांतिपूर्ण, कलात्मक और भरोसेमंद होते हैं, जबकि ब्लड ग्रुप B वाले लोग स्वतंत्र, मजबूत और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समर्पित होते हैं। और आखिर में AB वाले व्यक्ति शर्मीले, जिम्मेदार, विश्वसनीय हैं, और वे दूसरों की देखभाल करना पसंद करते हैं।
ब्लड ग्रुप और गर्भावस्था
एक मेडिकल पहलू से, कुछ ब्लड ग्रुप दूसरों की तुलना में आसान अवधारणा में योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए, ब्लड ग्रुप AB के साथ महिलाओं में कूप उत्तेजक हार्मोन का कम उत्पादन होता है जिससे शरीर को आसानी से गर्भ धारण करने की अनुमति मिलती है।
ब्लड ग्रुप और तनाव
ब्लड ग्रुप O वाले लोग गुस्से में बहुत उत्तेजित हो सकते हैं क्योंकि उनके स्तर के एड्रेनालाईन उच्च होते हैं और तनावपूर्ण स्थिति के बाद उन्हें शांत करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है।
ब्लड एंटीजन
खून में न केवल रक्त एंटीजन अन्यत्र प्रस्तुत किए जा सकते हैं उदाहरण के लिए, वे पाचन तंत्र में मौजूद होते हैं, मुंह से बृहदान्त्र तक, और नाक और फेफड़ों में।
ब्लड ग्रुप और वजन की समस्याओं
मानो या न मानो, आपका ब्लड ग्रुप यह निर्धारित कर सकता है कि आपके पेट में वसा होगा या नहीं। अर्थात्, रक्त के प्रकार वाले लोग शायद ही कभी पेट में वसा की समस्याओं का सामना करते हैं, जबकि ब्लड ग्रुप O व्यक्ति इसे अधिक प्रवण होते हैं।
ब्लड ग्रुप और संतान
आरएच कारक के अनुसार, लगभग 85% लोग आरएच पॉजिटिव हैं हालांकि, अगर महिला आरएच नकारात्मक है और जिस व्यक्ति के साथ वह गर्भवती है वह आरएच पॉजिटिव है, तो कुछ स्वास्थ्य समस्या विकसित करने का बच्चा का खतरा अधिक है।
ब्लड ग्रुप और कसरत
जैसे कि ब्लड ग्रुप के लोगों के साथ दूसरों की तुलना में तनाव में अधिक प्रवण होता है, उन्हें योग और ध्यान जैसे विश्राम व्यायाम करना चाहिए। ब्लड ग्रुप बी वाले व्यक्ति अपने जीवन में चुनौतियों की तरह चुनते हैं, इसलिए उन्हें उन क्रियाकलापों का अभ्यास करना चाहिए जो उनके शरीर और आत्मा को संतुलित करेंगे। उदाहरण के लिए, वे टेनिस, पर्वतारोहण, और मार्शल आर्ट से बहुत लाभ ले सकते हैं।
ब्लड ग्रुप और आपातकालीन
यद्यपि ज्यादातर लोग यह भूल जाते हैं, आप को हमेशा आप में अपने ब्लड टाइप के बारे में कुछ व्यक्तिगत सूचनाएं लेना चाहिए, जिसमें आपको आपरेटिंग के मामले में अपने बटुए, बैग, जेब, आदि में रखना चाहिए, क्योंकि आपको रक्त आधान की आवश्यकता होती है और समय बर्बाद हो सकता है आपके रक्त के प्रकार को पता लगाना हानिकारक हो सकता है।
Friday, August 25, 2017
मोटापा दूर करने के लिए, इसके बाद कुछ नहीं बचा बताने के लिए
मोटापा दूर करने के लिए..
पहला प्रयोगः केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है।
तीसरा प्रयोगः चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से 'डनलप' जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा।
चौथा प्रयोगः आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए।
पाँचवाँ प्रयोगः एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है।
1 : नींबू
25 ग्राम नींबू के रस में 25 ग्राम शहद मिलाकर 100 ग्राम गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है।
एक नींबू का रस प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से मोटापे की बीमारी दूर होती है।।
1 नींबू का रस 250 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 1-2 महीने तक पीएं। इससे मोटापा दूर होता है।
नींबू का 25 ग्राम रस और करेला का रस 15 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है।
250 ग्राम पानी में 25 ग्राम नींबू का रस और 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 से 3 महीने तक सेवन करने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
1-1 कप गर्म पीनी प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। इसके सेवन से चर्बी कम होने के साथ-साथ गैस, कब्ज, कोलाइटिस (आंतों की सूजन) एमोबाइसिस और कीड़े भी नष्ट होते हैं।
2 : सेब और गाजर
सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुद नहीं खाना चाहिए।
3 : मूली
मूली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
मूली के 100-150 ग्राम रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम और ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है।
6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने और लगभग 20 ग्राम शहद का शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के चूर्ण में शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
4 : मिश्री
मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।
5 : चूना
बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।
6 : सहजन
सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।
7 : विजयसार
विजयसार के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
8 : अर्जुन
अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
9 : भृंगराज
भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।
10 : शहद
120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।
11 : विडंग
विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।
12 : तुलसी
तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है।
तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।
तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।
13 : बेर
बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।
14 : टमाटर
टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।
15 : त्रिफला
रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें।
त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।
2 चम्मच त्रिफला को 1 गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
त्रिफला का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से पेट का बढ़ना कम होता है।
16 : हरड़
हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।
हरड़ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और इसे नहाने से पहले पूरे शरीर पर लगाकर नहाएं। इससे पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सरसों का तेल और सेंधानमक को एक साथ पीसकर 6 महीने तक लगातार सेवन करने से मोटापा, कफ और वायु रोग समाप्त होता है।
17 : सोंठ
सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।
18 : गिलोय
गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।
गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।
19 : जौ
जौ का रस व शहद को त्रिफले के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
जौ को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर सूखा लें और इसका छिलका उतारकर पीसकर एक कप दूध में खीर बनाकर प्रतिदिन सुबह कुछ दिनों तक खाने से कमजोरी दूर होती है।
20 : गुग्गुल
गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।
1 से 2 ग्राम शुद्ध गुग्गुल को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से अधिक मोटापा कम होता है।
21 तिल
तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।
22 : सरसो
सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।
23 : दही
दही को खाने से मोटापा कम होता है।
24 छाछ
छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
25 आलू
आलू को तलकर तीखे मसाले और घी में मिलाकर खाने से चिकनाई वाले पदार्थो के सेवन से उत्पन्न मोटापा दूर होता है।
आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है।
26 : अपामार्ग
अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।
27 : कुल्थी
100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।
28 : पीपल
4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
29 : पालक
पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
30 : पानी
भोजन से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीने से भूख का अधिक लगना कम होता है और शरीर की चर्बी घटने लगती है।
बासी ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा में लाभ मिलता है।
250 ग्राम गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए। इससे अधिक चर्बी घटती है और त्वचा का ढीलापन दूर होता है।
31 डिकामाली
डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।
32 कूठ
कूठ को गुलाब जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट की बढ़ती हुई अवस्था में लाभ होता है। इसका लेप हाथ, पांव पर लेप करने से सूजन कम होती है।
33 : माधवी
माधवी के फूल की जड़ 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से कमर पतली व सुडौल होता है।
34 बरना
बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
35 : एरण्ड
एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
36 : पिप्पली
पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।
पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।
37 जौखार
जौखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है।
जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
38 लुके मगसूल
50 ग्राम लुके मगसूल को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ सेवन करें। इससे मोटापा दूर होता है।
39 माजून मुहज्जिल
माजून मुहज्जिल 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ रात को सोते समय पीने से पेट का बढ़ना कम होता है।
40 बबूल
बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर करने से त्वचा का ढीलापन दूर होकर मोटापा कम होता है।
41 : सुगन्धबाला
सुगन्धबाला, नागकेशर और मोतिया के पत्तों को बारीक पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
42 : चित्रक
चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।
43 : बेल
बेल के पत्तों के रस में शंख का चूर्ण मिलाकर लेप करने से शरीर के अन्दर से आने वाली बदबू कम हो जाती है।
बेल के पत्ते, काली अगर, खस, सुगन्धवाला और चंदन मिलाकर पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की बदबू मिटती है।
बेल के पत्ते और हरड़ बारीक पीसकर लगाने से मोटापा दूर होता है।
44 : परवल
परवल और चीते का काढ़ा बनाकर सौंफ और हींग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
45 : समुद्रफेन
समुद्रिफेन को ब्राह्मी के रस में पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने की बदबू समाप्त होती है।
46 : हल्दी
हल्दी को दूध में मिलाकर शरीर पर लेप करने से लाभ होता है।
47 : असगंध
असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम और काली मूसली 50 की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और 10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापे की बीमारी समाप्त होती है।
48 : अजवायन
अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम और कालीमिर्च 20 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।
49 : फलालैन
फलालैन का कपड़ा ढीला करके गले पर लपेटकर रखने से गले की अधिक चर्बी कम होती है।
50 : चावल
चावल का गर्म-गर्म मांड लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
51 : करेला
करेले के रस में 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है।
52 : चाय
चाय में पोदीना डालकर पीने से मोटापा कम होता है।
53 : दालचीनी
एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी का चूर्ण डालकर उबालतें और इसमें एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोते समय खाएं। इससे शरीर का अधिक वनज कम होता है और मोटापा दूर होता है।
54 : रस
फलों का रस बहुत उपयोगी है। मोटापा कम करने के लिए 6 से 8 महीने तक फलों का रस लेना लाभदायक होता है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता। फलों का रस कैलोरी को कम करता है जिससे स्वभाविक रूप से वसा कम हो जाती है। इससे शरीर का वजन और मोटापा कम होता है। गाजर, ककड़ी, पत्तागोभी, टमाटर, तरबूज, सेब व प्याज का रस फायदेमंद होता है।
55 : धनिया
सूखा धनिया 10 ग्राम, गुलाब के सूखे फूल 20 ग्राम और मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह 2-2 चुटकी सुबह-शाम दूध के साथ लेने से चर्बी नष्ट होती है और मोटापा दूर होता है।
56 : छाछ
मोटापे से परेशान व्यक्ति को प्रतिदिन छाछ पीना चाहिए।
57 : ईसबगोल
ईसबगोल के नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्राल नियंत्रित होता है और शरीर में अधिक चर्बी नहीं बनती।
58 : अनन्नास
प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है।
मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय::
धनिया- इससे मोटापा कम होता है और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। अदरक- इसमें जलन कम करने वाला यौगिक ओल्डेरोसिन होता है जो पाचनतंत्र की मांसपेशियों के लिए लाभदायक होता है। गुड़- गुड़ कैल्शियम का मुख्य स्रोत है।
मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं।
मालिश की भूमिका ::
सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझा देना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो।
देखा गया है कि मालिश में दलना, मरोड़ना, मांसपेशियों को मसलना, झकझोरना, खड़ी थपकी देना, तेज मुक्की देना और थपथपाना आदि विधियों के प्रयोग से शरीर की फालतू की चर्बी समाप्त हो जाती है।
ये क्रियाएं चर्बी कम करने में महत्त्वपूर्ण साबित होती है। इसके अलावा रोगी को प्रतिदिन 20 मिनट का कटि-स्नान तथा सप्ताह में 2 बार पूरी चादर का लपेट करना चाहिए (इसमें सारे शरीर को गीली चादर में लपेटकर फिर कंबलों से लपेटा जाता है।) इसके अलावा रोगी को कभी-कभी वाष्प-स्नान और `एपसम साल्ट बाथ´ देना चाहिए।
रोगी को उबली हुई सब्जियां, क्रीम निकला हुआ दूध, संतरा, नींबू आदि खट्टे फल तथा 1-2 चपाती नियमित रूप से कई महीने तक लेनी चाहिए। रोगी को तली और भुनी हुई चीजों को अपने भोजन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। उपचार के दौरान रोगी को बीच-बीच में 1-2 दिन का उपवास भी रखना चाहिए। उपवास के दिनों में केवल नींबू पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इस प्रकार के भोजन व उपचार से कुछ दिनों तक तो रोगी को कमजोरी महसूस होगी, परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास से जब शरीर इसका आदि हो जाएगा, तब रोगी अपने को अच्छा महसूस करने लगेगा।
जिन लोगों को मोटापा थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण हो गया हो, उन्हें मोटापा दूर करने के लिए क्रीम निकले दूध के स्थान पर गाय का दूध पीना चाहिए, इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होगा। रोगी के लिए आवश्यक यह है कि वह एक समय में ही भोजन करे और सुबह और शाम 250 ग्राम से 300 ग्राम दूध के साथ कुछ फल भी ले, इससे रोगी को जल्दी लाभ होगा।
मोटापा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
1. इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने भोजन करने की आदत पर संतुलन करना चाहिए और इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
2. शारीरिक रूप से नियमित व्यायाम करने से काफी हद तक इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
3. भूख से ज्यादा भोजन कभी नहीं करना चाहिए तथा शर्करा और चर्बी वाले पदार्थो का भोजन नहीं खाना चाहिए।
4. जहां तक हो सके तो भोजन में नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए। यदि नमक खाना भी है तो सेंधानमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
5. अपने भोजन में साग-भाजी तथा हरी सब्जियों का रस ज्यादा लें। अंकुरित दालों का सेवन भी करते रहना चाहिए। अधिकतर गेहूं या चावल से बने पदार्थ ही खाएं। अपने आहार की मात्रा को घटाते रहना चाहिए, इससे चर्बी का बनना रुक जाता है।
6. वैसे कहा जाए तो उतना ही भोजन सेवन करना चाहिए जितनी की शरीर को आवश्यकता हो। प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट स्वास्थ्य पेय या पानी में शहद व नीबू डालकर हल्का गर्म पानी पीएं। इससे कुछ दिनों में ही रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7. तांबा-चांदी-सोना के बर्तन में पानी रखकर उसे गरम या गुनगुना करके पीने से शरीर की फालतू चर्बी कम हो जाती है।
8. मोटापा रोग से पीड़ित रोगी को एक गिलास पानी में तुलसी का रस मिलाकर पीना चाहिए तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी तथा इसके कुछ देर बाद पेट पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को भी साफ करना चाहिए।
9. रोगी व्यक्ति को कुंजल क्रिया करके उसके बाद भाप स्नान करना चाहिए और सप्ताह में एक बार गीली लपेट का शरीर पर प्रयोग करना चाहिए तथा शंख प्रक्षालन, सूर्यस्नान, गर्म पादस्नान तथा सूखा घर्षण करना चाहिए। इससे मोटापा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
10. सूर्यतप्त नांरगी बोतल का पानी प्रतिदिन पीने तथा गहरी सांस लेते हुए सैर पर जाने और प्रतिदिन 2 मिनट तक ठहाके लगाकर हंसने से मोटापे का रोग ठीक होने लगता है।
11. मोटापे रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिसको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन इस प्रकार हैं- भुजंगासन, शलभासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन, उडि्डयान बंध, मूलबंध तथा सूर्य नमस्कार आदि।
12. रोगी व्यक्ति को रात को सोते समय तांबे के लोटे में पानी रखना चाहिए। इस पानी को सुबह के समय में पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।