Saturday, August 26, 2017

क्या आप जानते हैं कैंसर से जुड़े इन तथ्यों को ??

कर्क रोग या कैंसर दुनिया में फैली हुई एक ऐसी भयवाह बीमारी है जिससे लोग बहुत अधिक डरते हैं। आपको बता दूं की कैंसर के बारे में कुछ एक आध ऐसी बातें हैं जो हमे जानना बहुत जरुरी है ताकि हम अपनी और किसी और की भी मदद कर पाएं।


आज आपको ऐसी कुछ बातों के बारे में बताना चाहतें​ है।

क्या है कैंसर?

आमतौर पर कैंसर सेल या कैंसर की कोशिकाएं हम सभी के शरीर में होती हैं। हमारे शरीर में सभी कोशिकाएं निरंतर बनती और खत्म होती रहती हैं पर यूँ ही किसी कोशिका का अचानक तेज़ी से अनियंत्रित तौर पर बढ़ना और एक ट्यूमर में रूप में बन जाना ही कैंसर है। इसे कार्सिनोमा (carcinoma),नियोप्लास्म (neoplasm) और मेलेगनंसी (malignancy) भी कहते हैं।

100 प्रकार के कैंसर

लगभग 100 प्रकार के कैंसर होते हैं, और सभी के लक्षण अलग-अलग होते हैं। एक अंग में कैंसर होने पर ये दूसरे अंगो में भी फैलने लगता हैं लेकिन सभी ट्यूमर कैंसर नहीं होते। ऐसे में जानकारी ही बचाव है।

क्या होते हैं इसके लक्षण

• असामान्य गाँठ होना (tumour)

• रक्त-स्त्राव (bleeding) होना 

• वजन घटना(बिना कारण के)

• भूख कम लगना 

• थकान होना 

• रात को बहुत पसीना आना 

• खून की कमी होना (anaemia) 

• खांसी आना 

• हड्डियों में दर्द होना 

• निगलने में तकलीफ होना 

• मुंह और गले के छाले जो ठीक न हो 

• यूरिन में तकलीफ होना,

• ब्लड आना

• गले में खराश रहना

ये हो सकते हैं सम्भावित कारण

तम्बाकू या पान मसाला के कारणशराब के कारणमेहनत न करने के कारणहेपटाइटिस B और C के कारणअनुवांशिक कारणकिसी प्रकार के इन्फेक्शन के कारणकिसी दवा के कारणआधुनिक जीवन-शैली के कारण

स्टेज के आधार पर ये होतें है प्रकार

ग्रेड द्वारा पता किया जाता हैं कि ट्यूमर सेल्स नॉर्मल सेल्स से कितनी अलग हैं।

कैंसर की ग्रेड निम्न प्रकार की होती हैं

ग्रेड 1- इसमें कैंसर सेल नार्मल सेल के समान दिखती है, और यह धीरे-धीरे बढ़ता है।ग्रेड 2- इसमें भी नॉर्मल सेल के समान होता है, परन्तु यह बहुत तेजी से बढ़ती हैं।ग्रेड 3...इसमें कैंसर सेल बहुत तेजी से बढती हैं, और एब्नार्मल दिखती हैं।

महिलायों के खास लक्षण जिन्हें अनदेखा न करें

ब्रेस्ट में किसी भी प्रकार का बदलाव आना। निप्पल का अन्दर की और मुड़ना या निपल से किसी प्रकार का डिस्चार्ज होना। किसी भी प्रकार की गठान या scar होना। थकान, ब्लीडिंग, बिना किसी कारण के वजन कम होना। दर्द होना। लिम्फ-नोड में बदलाव होना।

कुछ जानने योग्य बातें

☣ व्यक्ति के जीवन में शरीर में कम से कम छ: बार कैंसर की कोशिकाओं के निर्माण होता है।

☣ जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है तो कैंसर के सेल अपने आप खत्म हो जाते हैं।

  कैंसर होते ही शरीर में कई कमियाँ हो जाती हैं चाहे वो जेनेटिक हो या भोजन सम्बन्धित या पर्यावरण सम्बन्धित हो या फिर जीवन शैली के कारण, जिससे उभरने के लिए अच्छी डाइट का होना ज़रूरी है।

 निदान के समय की गयी कीमोथेरेपी वास्तव में तेज़ी से बढने वाले इन सेल्स को ज़हरीले पदार्थ से खत्म करने की प्रक्रिया होती है जो उसी समय शरीर के स्वस्थ सेल्स को भी नष्ट करती है।

 इस ट्रीटमेंट से लीवर;किडनी; हृदय; फेफड़े और अन्य अंगों को नुकसान होने की काफी आशंका होती है।

 चीनी से कैंसर के सेल्स को ताकत मिलती है। इसलिए आमतौर पे चीनी का कम इस्तेमाल करके हम कैंसर के सेल्स को बढने से रोक सकते हैं।चीनी के बाजारू विकल्प और भी अधिक हानिकारक होते हैं ऐसे में अधिक ज़रूरत पड़ने पर बहुत ही कम मात्रा में शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है।

 दूध भी हानिकारक साबित हो सकता है। इससे बनने वाला म्यूकस कैंसर सेल्स का भोजन होता है। इसकी जगह हम सोया मिल्क का प्रयोग कर सकते हैं।

 मांसाहारी भोजन भी कैंसर सेल्स को तेज़ी से बढने में मदद करता है क्योंकि इनमे एसिड्स होते हैं जो इन सेल्स को जल्दी ही कई गुना होने का माहौल बना कर देते हैं।

 हरी सब्जियां; कुछ फल; होल ग्रेन; बीज; नट्स और जूस शरीर को ताकत देते हैं। एंजाइमस को बढ़ाने के लिए दिन में २ से ३ बार ताज़ी सब्जियों का जूस पीने या उन्हें कच्चे तौर पर खाने से लाभ होता है।

 ग्रीन टी एक बेहतरीन विल्कप है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से कैंसर सेल्स को बनने का माहौल नहीं मिलता है इलसिए नियमित तौर पर व्यायाम करें।

  सुबह ताज़ी हवा में सैर करें और अपने आप को हमेशा सकारात्मक रखें। इस बीमारी से जीतना बहुत मुश्किल काम नही बस अपने अंदर की जिजीविषा बनाये रखिये।

हम सभी को हमारे ब्लड ग्रुप के बारे में इन 10 बातों को जानना चाहिए!

जैसा कि आप शायद पहले से ही जानते हैं, चार अलग-अलग ब्लड ग्रुप हैं ये है, ब्लड ग्रुप A, B, AB, और O.


सबका ब्लड ग्रुप जन्म से निर्धारित होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रत्येक ब्लड ग्रुप में अलग-अलग विशेषताएं हैं। अर्थात किसी के ब्लड ग्रुप के द्वारा उसकी उसके स्वभाव के कई पहलु जान सकते हैं तो, आइए देखें:

रक्त के प्रकार और पोषण

विभिन्न ब्लड ग्रुपस को अलग-अलग खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है, जिनमें से वे सबसे अधिक लाभान्वित होंगे। एक उदाहरण के रूप में, A ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को मांसाहार​ से बचना चाहिए और  इसके अतिरिक्त अधिक veggies शामिल करना​, इसके O ब्लड ग्रुप वाले लोगों के लिए अधिक प्रोटीनों की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें अधिक मांस और मछली खाने चाहिए। AB ब्लड ग्रुप वाले लोगों को Lean meat और Sea Food का उपभोग करना चाहिए, जबकि टाइप B वाले व्यक्तियों को चिकन मांस से बचने और अधिक लाल मांस खाने की सलाह दी जाती है।

ब्लड ग्रुप और बीमारियां

प्रत्येक ब्लड ग्रुप अलग-अलग​ बीमारी या स्थिति से कम या अधिक प्रभावित होता है। इसलिए, अपने रक्त समूह की मदद से अपने जोखिम का पता लगाएं।

रक्त के प्रकार और व्यक्तित्व

यह माना जाता है कि O ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति आत्मविश्वासी​, रचनात्मक, सामाजिक और निवर्तमान हैं। इसके अलावा, ब्लड ग्रुप A वाले लोग आम तौर पर शांतिपूर्ण, कलात्मक और भरोसेमंद होते हैं, जबकि ब्लड ग्रुप B वाले लोग स्वतंत्र, मजबूत और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समर्पित होते हैं। और आखिर में AB वाले व्यक्ति शर्मीले, जिम्मेदार, विश्वसनीय हैं, और वे दूसरों की देखभाल करना पसंद करते हैं।

ब्लड ग्रुप और गर्भावस्था

एक मेडिकल पहलू से, कुछ ब्लड ग्रुप दूसरों की तुलना में आसान अवधारणा में योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए, ब्लड ग्रुप AB के साथ महिलाओं में कूप उत्तेजक हार्मोन का कम उत्पादन होता है जिससे शरीर को आसानी से गर्भ धारण करने की अनुमति मिलती है।

ब्लड ग्रुप और तनाव

ब्लड ग्रुप O वाले लोग गुस्से में बहुत उत्तेजित हो सकते हैं क्योंकि उनके स्तर के एड्रेनालाईन उच्च होते हैं और तनावपूर्ण स्थिति के बाद उन्हें शांत करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है।

ब्लड एंटीजन

खून में न केवल रक्त एंटीजन अन्यत्र प्रस्तुत किए जा सकते हैं उदाहरण के लिए, वे पाचन तंत्र में मौजूद होते हैं, मुंह से बृहदान्त्र तक, और नाक और फेफड़ों में।

ब्लड ग्रुप और वजन की समस्याओं

मानो या न मानो, आपका ब्लड ग्रुप यह निर्धारित कर सकता है कि आपके पेट में वसा होगा या नहीं। अर्थात्, रक्त के प्रकार वाले लोग शायद ही कभी पेट में वसा की समस्याओं का सामना करते हैं, जबकि ब्लड ग्रुप O व्यक्ति इसे अधिक प्रवण होते हैं।

ब्लड ग्रुप और संतान

आरएच कारक के अनुसार, लगभग 85% लोग आरएच पॉजिटिव हैं हालांकि, अगर महिला आरएच नकारात्मक है और जिस व्यक्ति के साथ वह गर्भवती है वह आरएच पॉजिटिव है, तो कुछ स्वास्थ्य समस्या विकसित करने का बच्चा का खतरा अधिक है।

ब्लड ग्रुप और कसरत

जैसे कि ब्लड ग्रुप के लोगों के साथ दूसरों की तुलना में तनाव में अधिक प्रवण होता है, उन्हें योग और ध्यान जैसे विश्राम व्यायाम करना चाहिए। ब्लड ग्रुप बी वाले व्यक्ति अपने जीवन में चुनौतियों की तरह चुनते हैं, इसलिए उन्हें उन क्रियाकलापों का अभ्यास करना चाहिए जो उनके शरीर और आत्मा को संतुलित करेंगे। उदाहरण के लिए, वे टेनिस, पर्वतारोहण, और मार्शल आर्ट से बहुत लाभ ले सकते हैं।

ब्लड ग्रुप और आपातकालीन

यद्यपि ज्यादातर लोग यह भूल जाते हैं, आप को हमेशा आप में अपने ब्लड टाइप के बारे में कुछ व्यक्तिगत सूचनाएं लेना चाहिए, जिसमें आपको आपरेटिंग के मामले में अपने बटुए, बैग, जेब, आदि में रखना चाहिए, क्योंकि आपको रक्त आधान की आवश्यकता होती है और समय बर्बाद हो सकता है आपके रक्त के प्रकार को पता लगाना हानिकारक हो सकता है।

Friday, August 25, 2017

मोटापा दूर करने के लिए, इस​के बाद कुछ नहीं बचा बताने के लिए

मोटापा दूर करने के लिए..

पहला प्रयोगः केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है।

तीसरा प्रयोगः चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से 'डनलप' जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा।

चौथा प्रयोगः आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए।

पाँचवाँ प्रयोगः एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है।


1 : नींबू
25 ग्राम नींबू के रस में 25 ग्राम शहद मिलाकर 100 ग्राम गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है।
एक नींबू का रस प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से मोटापे की बीमारी दूर होती है।।
1 नींबू का रस 250 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 1-2 महीने तक पीएं। इससे मोटापा दूर होता है।
नींबू का 25 ग्राम रस और करेला का रस 15 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है।
250 ग्राम पानी में 25 ग्राम नींबू का रस और 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 से 3 महीने तक सेवन करने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
1-1 कप गर्म पीनी प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। इसके सेवन से चर्बी कम होने के साथ-साथ गैस, कब्ज, कोलाइटिस (आंतों की सूजन) एमोबाइसिस और कीड़े भी नष्ट होते हैं।

2 : सेब और गाजर
सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुद नहीं खाना चाहिए।

3 : मूली
मूली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
मूली के 100-150 ग्राम रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम और ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है।
6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने और लगभग 20 ग्राम शहद का शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के चूर्ण में शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

4 : मिश्री
मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।

5 : चूना
बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।

6 : सहजन
सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।

7 : विजयसार
विजयसार के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

8 : अर्जुन
अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।

9 : भृंगराज
भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।

10 : शहद
120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।

11 : विडंग
विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।

12 : तुलसी
तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है।
तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।
तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।

13 : बेर
बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।

14 : टमाटर
टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।

15 : त्रिफला
रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें।
त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।
2 चम्मच त्रिफला को 1 गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
त्रिफला का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से पेट का बढ़ना कम होता है।

16 : हरड़
हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।
हरड़ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और इसे नहाने से पहले पूरे शरीर पर लगाकर नहाएं। इससे पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सरसों का तेल और सेंधानमक को एक साथ पीसकर 6 महीने तक लगातार सेवन करने से मोटापा, कफ और वायु रोग समाप्त होता है।

17 : सोंठ
सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।

18 : गिलोय
गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।
गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।

19 : जौ
जौ का रस व शहद को त्रिफले के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
जौ को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर सूखा लें और इसका छिलका उतारकर पीसकर एक कप दूध में खीर बनाकर प्रतिदिन सुबह कुछ दिनों तक खाने से कमजोरी दूर होती है।

20 : गुग्गुल
गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।
1 से 2 ग्राम शुद्ध गुग्गुल को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से अधिक मोटापा कम होता है।

21 तिल
तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।

22 : सरसो
सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।

23 : दही
दही को खाने से मोटापा कम होता है।

24 छाछ
छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

25 आलू
आलू को तलकर तीखे मसाले और घी में मिलाकर खाने से चिकनाई वाले पदार्थो के सेवन से उत्पन्न मोटापा दूर होता है।
आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है।

26 : अपामार्ग
अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।

27 : कुल्थी
100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।

28 : पीपल
4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।

29 : पालक
पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।

30 : पानी
भोजन से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीने से भूख का अधिक लगना कम होता है और शरीर की चर्बी घटने लगती है।
बासी ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा में लाभ मिलता है।
250 ग्राम गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए। इससे अधिक चर्बी घटती है और त्वचा का ढीलापन दूर होता है।

31 डिकामाली
डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।

32 कूठ
कूठ को गुलाब जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट की बढ़ती हुई अवस्था में लाभ होता है। इसका लेप हाथ, पांव पर लेप करने से सूजन कम होती है।

33 : माधवी
माधवी के फूल की जड़ 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से कमर पतली व सुडौल होता है।

34 बरना
बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

35 : एरण्ड
एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।

36 : पिप्पली
पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।
पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।

37 जौखार
जौखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है।
जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

38 लुके मगसूल
50 ग्राम लुके मगसूल को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ सेवन करें। इससे मोटापा दूर होता है।

39 माजून मुहज्जिल
माजून मुहज्जिल 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ रात को सोते समय पीने से पेट का बढ़ना कम होता है।

40 बबूल
बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर करने से त्वचा का ढीलापन दूर होकर मोटापा कम होता है।

41 : सुगन्धबाला
सुगन्धबाला, नागकेशर और मोतिया के पत्तों को बारीक पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।

42 : चित्रक
चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।

43 : बेल
बेल के पत्तों के रस में शंख का चूर्ण मिलाकर लेप करने से शरीर के अन्दर से आने वाली बदबू कम हो जाती है।
बेल के पत्ते, काली अगर, खस, सुगन्धवाला और चंदन मिलाकर पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की बदबू मिटती है।
बेल के पत्ते और हरड़ बारीक पीसकर लगाने से मोटापा दूर होता है।

44 : परवल
परवल और चीते का काढ़ा बनाकर सौंफ और हींग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।

45 : समुद्रफेन
समुद्रिफेन को ब्राह्मी के रस में पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने की बदबू समाप्त होती है।

46 : हल्दी
हल्दी को दूध में मिलाकर शरीर पर लेप करने से लाभ होता है।

47 : असगंध
असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम और काली मूसली 50 की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और 10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापे की बीमारी समाप्त होती है।

48 : अजवायन
अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम और कालीमिर्च 20 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।

49 : फलालैन
फलालैन का कपड़ा ढीला करके गले पर लपेटकर रखने से गले की अधिक चर्बी कम होती है।

50 : चावल
चावल का गर्म-गर्म मांड लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

51 : करेला
करेले के रस में 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है।

52 : चाय
चाय में पोदीना डालकर पीने से मोटापा कम होता है।

53 : दालचीनी
एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी का चूर्ण डालकर उबालतें और इसमें एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोते समय खाएं। इससे शरीर का अधिक वनज कम होता है और मोटापा दूर होता है।

54 : रस
फलों का रस बहुत उपयोगी है। मोटापा कम करने के लिए 6 से 8 महीने तक फलों का रस लेना लाभदायक होता है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता। फलों का रस कैलोरी को कम करता है जिससे स्वभाविक रूप से वसा कम हो जाती है। इससे शरीर का वजन और मोटापा कम होता है। गाजर, ककड़ी, पत्तागोभी, टमाटर, तरबूज, सेब व प्याज का रस फायदेमंद होता है।

55 : धनिया
सूखा धनिया 10 ग्राम, गुलाब के सूखे फूल 20 ग्राम और मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह 2-2 चुटकी सुबह-शाम दूध के साथ लेने से चर्बी नष्ट होती है और मोटापा दूर होता है।

56 : छाछ
मोटापे से परेशान व्यक्ति को प्रतिदिन छाछ पीना चाहिए।

57 : ईसबगोल
ईसबगोल के नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्राल नियंत्रित होता है और शरीर में अधिक चर्बी नहीं बनती।

58 : अनन्नास
प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है।

मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय::

धनिया- इससे मोटापा कम होता है और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। अदरक- इसमें जलन कम करने वाला यौगिक ओल्डेरोसिन होता है जो पाचनतंत्र की मांसपेशियों के लिए लाभदायक होता है। गुड़- गुड़ कैल्शियम का मुख्य स्रोत है।
मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं।

मालिश की भूमिका ::

सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझा देना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो।

देखा गया है कि मालिश में दलना, मरोड़ना, मांसपेशियों को मसलना, झकझोरना, खड़ी थपकी देना, तेज मुक्की देना और थपथपाना आदि विधियों के प्रयोग से शरीर की फालतू की चर्बी समाप्त हो जाती है।
ये क्रियाएं चर्बी कम करने में महत्त्वपूर्ण साबित होती है। इसके अलावा रोगी को प्रतिदिन 20 मिनट का कटि-स्नान तथा सप्ताह में 2 बार पूरी चादर का लपेट करना चाहिए (इसमें सारे शरीर को गीली चादर में लपेटकर फिर कंबलों से लपेटा जाता है।) इसके अलावा रोगी को कभी-कभी वाष्प-स्नान और `एपसम साल्ट बाथ´ देना चाहिए।

रोगी को उबली हुई सब्जियां, क्रीम निकला हुआ दूध, संतरा, नींबू आदि खट्टे फल तथा 1-2 चपाती नियमित रूप से कई महीने तक लेनी चाहिए। रोगी को तली और भुनी हुई चीजों को अपने भोजन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। उपचार के दौरान रोगी को बीच-बीच में 1-2 दिन का उपवास भी रखना चाहिए। उपवास के दिनों में केवल नींबू पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इस प्रकार के भोजन व उपचार से कुछ दिनों तक तो रोगी को कमजोरी महसूस होगी, परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास से जब शरीर इसका आदि हो जाएगा, तब रोगी अपने को अच्छा महसूस करने लगेगा।

जिन लोगों को मोटापा थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण हो गया हो, उन्हें मोटापा दूर करने के लिए क्रीम निकले दूध के स्थान पर गाय का दूध पीना चाहिए, इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होगा। रोगी के लिए आवश्यक यह है कि वह एक समय में ही भोजन करे और सुबह और शाम 250 ग्राम से 300 ग्राम दूध के साथ कुछ फल भी ले, इससे रोगी को जल्दी लाभ होगा।

मोटापा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
1. इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने भोजन करने की आदत पर संतुलन करना चाहिए और इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
2. शारीरिक रूप से नियमित व्यायाम करने से काफी हद तक इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
3. भूख से ज्यादा भोजन कभी नहीं करना चाहिए तथा शर्करा और चर्बी वाले पदार्थो का भोजन नहीं खाना चाहिए।
4. जहां तक हो सके तो भोजन में नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए। यदि नमक खाना भी है तो सेंधानमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
5. अपने भोजन में साग-भाजी तथा हरी सब्जियों का रस ज्यादा लें। अंकुरित दालों का सेवन भी करते रहना चाहिए। अधिकतर गेहूं या चावल से बने पदार्थ ही खाएं। अपने आहार की मात्रा को घटाते रहना चाहिए, इससे चर्बी का बनना रुक जाता है।
6. वैसे कहा जाए तो उतना ही भोजन सेवन करना चाहिए जितनी की शरीर को आवश्यकता हो। प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट स्वास्थ्य पेय या पानी में शहद व नीबू डालकर हल्का गर्म पानी पीएं। इससे कुछ दिनों में ही रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7. तांबा-चांदी-सोना के बर्तन में पानी रखकर उसे गरम या गुनगुना करके पीने से शरीर की फालतू चर्बी कम हो जाती है।
8. मोटापा रोग से पीड़ित रोगी को एक गिलास पानी में तुलसी का रस मिलाकर पीना चाहिए तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी तथा इसके कुछ देर बाद पेट पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को भी साफ करना चाहिए।
9. रोगी व्यक्ति को कुंजल क्रिया करके उसके बाद भाप स्नान करना चाहिए और सप्ताह में एक बार गीली लपेट का शरीर पर प्रयोग करना चाहिए तथा शंख प्रक्षालन, सूर्यस्नान, गर्म पादस्नान तथा सूखा घर्षण करना चाहिए। इससे मोटापा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
10. सूर्यतप्त नांरगी बोतल का पानी प्रतिदिन पीने तथा गहरी सांस लेते हुए सैर पर जाने और प्रतिदिन 2 मिनट तक ठहाके लगाकर हंसने से मोटापे का रोग ठीक होने लगता है।
11. मोटापे रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिसको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन इस प्रकार हैं- भुजंगासन, शलभासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन, उडि्डयान बंध, मूलबंध तथा सूर्य नमस्कार आदि।
12. रोगी व्यक्ति को रात को सोते समय तांबे के लोटे में पानी रखना चाहिए। इस पानी को सुबह के समय में पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

एक अद्भुत औषधि ईसबगोल, फायदे गिनते रह जाएंगे

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में ईसबगोल को बहुत अधिक महत्त्व प्राप्त है। संस्कृत में इसे स्निग्धबीजम् नाम दिया गया है। विश्व की लगभग हर प्रकार की चिकित्सा पद्धति में ‘ईसबगोल’ का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। अरबी और फारसी चिकित्सकों द्वारा इसके इस्तेमाल के प्रमाण मिलते हैं। दसवीं सदी के फारस के मशहूर हकीम अलहेरवी और अरबी हकीम अविसेन्ना ने ‘ईसबगोल’ द्वारा चिकित्सा के संबंध में व्यापक प्रयोग व अनुसंधान किए। ‘ईसबगोल’ मूलतः फारसी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- ‘पेट ठंडा करनेवाला पदार्थ’, गुजराती में ‘उठनुंजीरू’ कहा जाता है। लेटिन भाषा में यह ‘प्लेंटेगो ओवेटा’ नाम से जाना जाता है। इसका वनस्पति शास्त्रीय नाम ‘प्लेटेगा इंडिका’ है तथा यह ‘प्लेटो जिनेली’ समूह का पौधा है।


ईसबगोल की भूसी में थोड़ा-सा लुवाब होता है| यह पेट के सभी रोगों में काम आती है| इसका लुवाब अंतड़ियों में पहुंचकर उनकी क्रिया को तीव्र कर देता है| इसके फलस्वरूप आंतों में जमा पुराना मल सरलता से शौच के समय बाहर निकल जाता है| इसमें लेस होता है जो आंव (पेचिश) तथा मरोड़ को धो डालता है| ईसबगोल बलवर्द्धक, पौष्टिक तथा नपुंसकता को दूर करता है| इसके नियमित सेवन से व्यक्ति में पौरुष शक्ति बनी रहती है| आइए, देखें कि ईसबगोल की भूसी हमारे लिए कितनी उपयोगी है –

आंव (पेचिश)
एक चम्मच ईसबगोल की भूसी को आधा किलो मीठे दूध में भिगो दें| थोड़ी देर बाद जब वह फूल जाए तो रात को सोने से पूर्व उसका सेवन करें| सुबह के समय इसे दही और सेंधा नमक के साथ खाएं| चार-पांच दिनों तक नियमित रूप से इसका सेवन करने पर आंव साफ हो जाएगी|

संग्रहणी (Dysentery)-
दो चम्मच ईसबगोल की भूसी, दो हर्र और थोड़ा-सा बेल का सूखा गूदा-तीनों चीजों को पीसकर दो खुराक कर लें| फिर सुबह-शाम इसे दूध से खाएं| इसके प्रयोग से संग्रहणी रोग चला जाता है|

बवासीर-
रात को दूध में भिगोकर कुछ दिनों तक ईसबगोल की भूसी का प्रयोग करें| बवासीर से शर्तिया छुटकारा मिल जाएगा|

पेशाब में जलन-
तीन चम्मच ईसबगोल की भूसी को एक गिलास पानी में भिगो दें| उसमें एक चम्मच कच्ची खांड़ मिला लें| इसे दिन में दो बार सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है|

दमा -
प्रतिदिन दो बार दो-दो चम्मच ईसबगोल की भूसी को पानी में भिगोकर सेवन करें| 40 दिनों तक उपयोग करने पर दमा का रोग चला जाएगा|

अतिसार – पेट दर्द, आंव, दस्त व खूनी अतिसार में भी ईसबगोल बहुत जल्दी असर करता है, और आपकी तकलीफ को कम कर देता है। बस एक चम्मच ईसबगोल की भूसी की फंकी लगाकर ऊपर से पानी पी लें।

पाचन तंत्र – यदि आपको पाचन संबंधित समस्या बनी रहती है, तो ईसबगोल आपको इस समस्या से निजात दिलाता है। प्रतिदिन (everyday) भोजन के पहले गर्म दूध के साथ ईसबगोल का सेवन पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है।

दर्द भगाने का यह तरीका जानकर आप आजमाएं बिना नहीं रह पाएंगे

ह अतुल्य दर्द राहत पद्धति आपके कान पर एक कपड़े के रूप में डाल के रूप में सरल है 

हम लोग इस प्रकार के नहीं है जो हर बार जब थोड़ा बहुत दर्द महसूस करते है तो डॉक्टर के पास चलें जातें है।

जब मैं सोचता हूं कि दर्द सबके जीवन का एक हिस्सा हैं। तो मुझे लगता है कि मेरे अपने शरीर पर थोड़ा अधिक नियंत्रण कर लेता हूं।, जैसे जब मैं इन दर्द से राहत का प्रयास करता हूं तो मैं अपनी कुर्सी छोड़े बिना क्या कर सकता हूं ??

इसलिए जब मैंने अपने कानों के माध्यम से मामूली दर्द से राहत देने के लिए यह विशिष्ट तरीका देखा, तो मैं स्पष्ट रूप से उलझन में था, लेकिन उत्सुक भी था।

मैं हमेशा अपने आफिस के बीच में हिस्सों नहीं कर सकता, और मुझे पता है कि डॉक्टर हमेशा मामूली दर्द के साथ मदद नहीं कर सकता है - लेकिन कुछ के रूप में मेरे कान पर एक clothe's pin (कपड़ों की चिमटी) डाल के रूप में सरल?

खैर, यह अजीब​ लग रहा है, लेकिन यह समझने वाली बात है।

हालांकि इस पद्धति को चिकित्सा सलाह की जगह नहीं लेनी चाहिए, लेकिन मैं निश्चित रूप से यह कान रिफ्लेक्सोलॉजी पद्धति का प्रयास करूँगा - चाहे कपड़े की चिमटी या मेरी उंगलियों के साथ

क्या यह कान रिफ्लेक्सोलॉजी विचार आपके लिए काम करता है? हमें कमेंट में बताएं।

कान के इन 6 अलग-अलग बिंदुओं को शरीर के किसी विशेष भाग में दर्द और पीड़ा से जुड़ा होता है। प्रत्येक स्थान पर दबाव डालने से, आप उन दर्द को दूर कर सकते हैं

शरीर के उस अंग को खोजने के लिए स्क्रॉल करें जो आपको बीमार कर रहे हैं!

कान का ऊपरी भाग सीधे-सीधे​ आपके पीठ और कंधों से जुड़ा हुआ है लगभग एक मिनट के लिए एक कपड़ों को लागू करना, बिल्ट-अप तनाव कम करने के लिए लंबा रास्ता तय करना चाहिए। इस पीठ और कंधे के दर्द को कम करने के लिए एक दिन में कई बार कोशिश करें


कान पर अगले स्थान नीचे है जो शरीर के आंतरीक अंगों (Organs) से जुड़ा होता है। जाहिर है, अगर आपको गंभीर दर्द हो, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। लेकिन मामूली आंतरिक भारीपन या बेचैनी के लिए, इस जगह पर एक कपड़ों की चिमटी या अपनी उंगलियों का उपयोग करें यह प्रयोग आपको आंतरिक राहत प्रदान कर सकता है जिसे आप ढूंढ रहे हैं।


कान के ऊपरी-मध्य भाग का वह हिस्सा है जो जोड़ों में दर्द और कठोरता से सीधे-सीधे​ जुड़ा हुआ है। कपड़े की चिमटी या अपनी उंगलियों के साथ दबाव डालने से बहुत राहत हो सकती है क्रोनिक समस्याओं को डॉक्टर को ही दिखाना चाहिए, लेकिन पहले इस सरल विधि की कोशिश क्यों नहीं करें?


कान का निचला मध्य हिस्सा वह है जो साइनस और गले से जुड़ा होता है। ठंड या साइनस संक्रमण से राहत के समय, इस स्थान पर दबाव डालने से तनाव कम करने में मदद मिल सकती है। एक कपड़ों की चिमटी से गले दर्द की पीड़ा की यह व्यथा व परेशानी दूर हो जाएंगी​।


कान के लोब के ठीक ऊपर एक जगह सबसे अधिक पाचन के साथ जुड़ा हुआ है। दबाव लागू करने के लिए एक कपड़ों की चिमटी का उपयोग करके पाचन संबंधी मुद्दों और छोटी मोटी पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है। और अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जो अक्सर पाचन असुविधा महसूस करते हैं, तो आप इस पद्धति का उपयोग बचाव करने में प्रयोग कर सकते हैं।


कान पर सबसे कम जगह - लोब - वह स्थान है जो शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से दो से जुड़ा हुआ है: सिर और दिल। कान की लोब के लिए दबाव लागू करने से हृदय को बढ़ावा देने और सिर में अवांछित दबाव को दूर करने के लिए काम किया जा सकता है।


यह कान रिफ्लेक्सोलॉजी इतनी आसान है और आपको जरूरत पड़ने पर बहुत बड़ा फर्क दिला सकता है!

क्या आप इनमें से किसी एक को प्रयास करेंगे? हमें बताएं कि टिप्पणी में कौन सी चीजें हैं

मित्रों और परिवार के साथ इस महत्वपूर्ण दर्द से राहत विधि को साझा करें।

Thursday, August 24, 2017

पित्त की पथरी को जड़ से खत्म करने के कारगर घरेलू उपचार

आमतौर पर यह देखा जाता है कि हम बिना सोचे समझे कुछ भी खा  लेते है। जिसका नकारात्मक प्रभाव हमारे शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। आज कल पथरी एक बहुत ही आम समस्या बन गयी है। यह कई तरह की होती है। अगर समय पर इसका इलाज करवा लिया जाये तो यह ठीक हो सकता है। आज हम आपको गाल ब्लैडर स्टोन यानी पित्त की पथरी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां देने वाले है।


आज पूरी दुनिया में हजारों-लाखों लोग ऐसे है जिन्हें गाल ब्लैडर स्टोन की समस्या है। यह बहुत ही कष्ट दयाक होती है। इस तरह के स्टोन में पित्ताशय के दो तरफ पथरी बनती है। जिसमे पहली पथरी कोलेस्ट्रोल से तथा दूसरी पिग्मेंट से बनती है। यह रोग किसी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस रोग की सम्भावना बहुत कम होती है।

पित्त की थैली में पथरी होने पर डॉक्टर हमेशा सर्जरी की सलाह देते है। इस सर्जरी में पित्त की थैली को शरीर से बाहर निकल दिया जाता है। इसमें पैसा तो अधिक लगता है ही साथ ही साइड इफेक्ट्स होने के चान्सेस भी होते है। इन सभी दुविधाओं से आपको बचने के लिए यहाँ हम आपको कुछ घरेलु उपचार बता रहे है। जो आपके शरीर में मौजूद पथरी को जड़ से खत्म कर देंगे। तो आइये अब हम जानते है 

जानें इसके लक्षण और उपचार

गुडहल का पाउडर

गुडहल के फूल को तो आप पहचानते ही होंगे। आप इसके फूलों की पंखुड़ियों को तोड़कर धुप में सूखा लें और पीसकर इसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को रात में सोने से पहले तथा खाना-खाने के 1-2 घंटे बाद पानी से ले लें। यह थोड़ा कड़वा हो सकता है, लेकिन ध्यान रखें, इसे लेने के बाद आपको कुछ खाना नहीं है।

हल्दी का प्रयोग

हर घर में हल्दी का प्रयोग खाना बनाते समय जरूर होता है। यह बहुत अच्छी बात है, क्योंकि पित्ताशय की पथरी को ठीक करने में हल्दी पाउडर की बहुत अहम् भूमिका होती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पथरी को शरीर के अंदर ही अंदर गला देते है। अगर आप नियमित रूप से एक चम्मच हल्दी पाउडर का प्रयोग करते है तो यह शरीर में मौजूद पथरी को 80% तक गलाने का काम करती है।

नाशपाती का रस

आधा गिलास नाशपाती का रस लें और उसमें आधा गिलास गर्म पानी तथा 1 चम्मच शहद मिलकर दिन में 2 से 3 बार पियें। दरअसल पित्ताशय की पथरी के बढ़ने का मुख्य कारण कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना होता है। नाशपाती में पाया जाने वाला पेक्टिन इसे बढ़ने से रोकता है। इसलिए नाशपाती का यह प्रयोग बहुत हद तक कारगर साबित होता है।

पुदीना

पित्ताशय की पथरी को गलाकर बाहर निकालने में पुदीना का रास भी बहुत सहायक होता है। इसमें टेपरिन नामक तत्व होता है जो कि पथरी को गलाने का काम करता है। पुदीने की पत्तियों को पानी में अच्छी तरह उबाल लें और इसके पानी को छलनी से छानकर अलग कर लें। अब इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर मियमित पिए।

खीर, गाजर और चुकंदर का रस 

खीर, गाजर और चुकंदर को बराबर मात्रा में लेकर, इनका रस निकल लें और दिन में 2 बार पिए। इसके सेवन से पित्ताशय की पथरी होने के चांसेस भी बहुत कम हो जाते है।

Wednesday, August 23, 2017

ये​ हैं वो संकेत जिनसे पता चलता है आप खा रहे हैं अधिक चीनी


पास्ता, ब्रेड और डायट सोडा जैसी सभी चीजों में शुगर की मात्रा अधिक होती है। भले ही आप दोपहर में डेजर्ट या शाम को कुकीज नहीं खाते हों लेकिन अनजाने में शुगर का अधिक सेवन कर लेते हैं। हम आपको कुछ संकेत बता रहे हैं, जिनसे मालूम होता है कि आप शुगर का अधिक सेवन कर रहे हैं।

बार-बार भूख लगना- शरीर में हाई ब्लड शुगर ग्लूकोज को सेल्स में जाने से रोकता है, जिससे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती है और इसलिए आपको बार-बार भूख लगती है।

थकावट- वैसे तो ये माना जाता है कि मीठा खाने से आपको​तुरंत शक्ति मिलती है परंतु वह सिर्फ कुछ ही समय में क्षीण हो जाती हैं। अगर आप ज्यादा मीठे खाने के शौकीन हैं और आपको अक्सर थकान महसूस होती हैं तो आपको मीठा खाना ​कम कर देना चाहिए।

कैविटीज- जर्नल बीएमसी ओरल हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जब बैक्टीरिया आपके मुंह में शुगर को पचाते हैं, तो वे एक एसिड का उत्पादन करते हैं, जो प्लेक के रूप में आपकी लार के साथ जुड़ा होता है, इससे आपको कैविटी का खतरा होता है।

वजन बढ़ना- अगर आप अधिक मात्रा में सोडा जैसी चीजों का सेवन करते हैं, तो आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, शुगर वाले ब्रेवरेज़ पीने से आपकी कमर के आसपास मोटापा बढ़ सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल- जर्नल मेडिसन फूड में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, शुगर का अधिक सेवन शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है और गुड कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है।


अक्सर सर्दी-जुकाम या वायरस होना- अगर आपको लगता कि आपको अक्सर सर्दी-जुकाम या वायरस हों जाता हैं, तो इसका कारण आपका ज्यादा मीठे का सेवन भी हो सकता हैं। अक्सर फैलने वालें वायरस की चपेट में आसानी से आ जातें हैं तो इसका कारण भी आप की मीठे को दी गई प्राथमिकता हो सकती हैं। अत्यधिक मात्रा में मीठा खाने से आप का शरीर वायरस, बैक्टीरिया और  पुरानी श्वसन रोग से लड़ने में सक्षम नहीं होता।

स्किन व पैरों में प्रॉब्लम्स - जब चीनी का सेवन होता है, यह शरीर में विभिन्न संक्रमणों का कारण बनता है, लेकिन अक्सर लोग त्वचा की सूजन की शिकायत करते हैं। यदि लगातार सूखापन, एक्जिमा, मुँहासे और फुंसियो से पीड़ित हो, चीनी इसका कारण हो सकता है अपने आहार से चीनी कम कर के आपकी त्वचा की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। अमेरिका में प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ ने पाया कि चीनी के पैर पर एक भयानक प्रभाव है। पैर के नीचे, एड़ी, और पूरे पैर में चलने वाले ऊतक के मोटी परतों में दर्द का कारण बनने के लिए यह पैर के तल में फैल सकता है। शर्करा के अत्यधिक उपयोग से अधिवृक्क ग्रंथियों की समस्याएं हो सकती हैं, और माना जाता है कि शरीर में बड़ी मात्रा में चीनी की शुरूआत के कारण आंखों के आसपास काले घेरे होते हैं।