Friday, August 25, 2017

एक अद्भुत औषधि ईसबगोल, फायदे गिनते रह जाएंगे

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में ईसबगोल को बहुत अधिक महत्त्व प्राप्त है। संस्कृत में इसे स्निग्धबीजम् नाम दिया गया है। विश्व की लगभग हर प्रकार की चिकित्सा पद्धति में ‘ईसबगोल’ का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। अरबी और फारसी चिकित्सकों द्वारा इसके इस्तेमाल के प्रमाण मिलते हैं। दसवीं सदी के फारस के मशहूर हकीम अलहेरवी और अरबी हकीम अविसेन्ना ने ‘ईसबगोल’ द्वारा चिकित्सा के संबंध में व्यापक प्रयोग व अनुसंधान किए। ‘ईसबगोल’ मूलतः फारसी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- ‘पेट ठंडा करनेवाला पदार्थ’, गुजराती में ‘उठनुंजीरू’ कहा जाता है। लेटिन भाषा में यह ‘प्लेंटेगो ओवेटा’ नाम से जाना जाता है। इसका वनस्पति शास्त्रीय नाम ‘प्लेटेगा इंडिका’ है तथा यह ‘प्लेटो जिनेली’ समूह का पौधा है।


ईसबगोल की भूसी में थोड़ा-सा लुवाब होता है| यह पेट के सभी रोगों में काम आती है| इसका लुवाब अंतड़ियों में पहुंचकर उनकी क्रिया को तीव्र कर देता है| इसके फलस्वरूप आंतों में जमा पुराना मल सरलता से शौच के समय बाहर निकल जाता है| इसमें लेस होता है जो आंव (पेचिश) तथा मरोड़ को धो डालता है| ईसबगोल बलवर्द्धक, पौष्टिक तथा नपुंसकता को दूर करता है| इसके नियमित सेवन से व्यक्ति में पौरुष शक्ति बनी रहती है| आइए, देखें कि ईसबगोल की भूसी हमारे लिए कितनी उपयोगी है –

आंव (पेचिश)
एक चम्मच ईसबगोल की भूसी को आधा किलो मीठे दूध में भिगो दें| थोड़ी देर बाद जब वह फूल जाए तो रात को सोने से पूर्व उसका सेवन करें| सुबह के समय इसे दही और सेंधा नमक के साथ खाएं| चार-पांच दिनों तक नियमित रूप से इसका सेवन करने पर आंव साफ हो जाएगी|

संग्रहणी (Dysentery)-
दो चम्मच ईसबगोल की भूसी, दो हर्र और थोड़ा-सा बेल का सूखा गूदा-तीनों चीजों को पीसकर दो खुराक कर लें| फिर सुबह-शाम इसे दूध से खाएं| इसके प्रयोग से संग्रहणी रोग चला जाता है|

बवासीर-
रात को दूध में भिगोकर कुछ दिनों तक ईसबगोल की भूसी का प्रयोग करें| बवासीर से शर्तिया छुटकारा मिल जाएगा|

पेशाब में जलन-
तीन चम्मच ईसबगोल की भूसी को एक गिलास पानी में भिगो दें| उसमें एक चम्मच कच्ची खांड़ मिला लें| इसे दिन में दो बार सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है|

दमा -
प्रतिदिन दो बार दो-दो चम्मच ईसबगोल की भूसी को पानी में भिगोकर सेवन करें| 40 दिनों तक उपयोग करने पर दमा का रोग चला जाएगा|

अतिसार – पेट दर्द, आंव, दस्त व खूनी अतिसार में भी ईसबगोल बहुत जल्दी असर करता है, और आपकी तकलीफ को कम कर देता है। बस एक चम्मच ईसबगोल की भूसी की फंकी लगाकर ऊपर से पानी पी लें।

पाचन तंत्र – यदि आपको पाचन संबंधित समस्या बनी रहती है, तो ईसबगोल आपको इस समस्या से निजात दिलाता है। प्रतिदिन (everyday) भोजन के पहले गर्म दूध के साथ ईसबगोल का सेवन पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है।

दर्द भगाने का यह तरीका जानकर आप आजमाएं बिना नहीं रह पाएंगे

ह अतुल्य दर्द राहत पद्धति आपके कान पर एक कपड़े के रूप में डाल के रूप में सरल है 

हम लोग इस प्रकार के नहीं है जो हर बार जब थोड़ा बहुत दर्द महसूस करते है तो डॉक्टर के पास चलें जातें है।

जब मैं सोचता हूं कि दर्द सबके जीवन का एक हिस्सा हैं। तो मुझे लगता है कि मेरे अपने शरीर पर थोड़ा अधिक नियंत्रण कर लेता हूं।, जैसे जब मैं इन दर्द से राहत का प्रयास करता हूं तो मैं अपनी कुर्सी छोड़े बिना क्या कर सकता हूं ??

इसलिए जब मैंने अपने कानों के माध्यम से मामूली दर्द से राहत देने के लिए यह विशिष्ट तरीका देखा, तो मैं स्पष्ट रूप से उलझन में था, लेकिन उत्सुक भी था।

मैं हमेशा अपने आफिस के बीच में हिस्सों नहीं कर सकता, और मुझे पता है कि डॉक्टर हमेशा मामूली दर्द के साथ मदद नहीं कर सकता है - लेकिन कुछ के रूप में मेरे कान पर एक clothe's pin (कपड़ों की चिमटी) डाल के रूप में सरल?

खैर, यह अजीब​ लग रहा है, लेकिन यह समझने वाली बात है।

हालांकि इस पद्धति को चिकित्सा सलाह की जगह नहीं लेनी चाहिए, लेकिन मैं निश्चित रूप से यह कान रिफ्लेक्सोलॉजी पद्धति का प्रयास करूँगा - चाहे कपड़े की चिमटी या मेरी उंगलियों के साथ

क्या यह कान रिफ्लेक्सोलॉजी विचार आपके लिए काम करता है? हमें कमेंट में बताएं।

कान के इन 6 अलग-अलग बिंदुओं को शरीर के किसी विशेष भाग में दर्द और पीड़ा से जुड़ा होता है। प्रत्येक स्थान पर दबाव डालने से, आप उन दर्द को दूर कर सकते हैं

शरीर के उस अंग को खोजने के लिए स्क्रॉल करें जो आपको बीमार कर रहे हैं!

कान का ऊपरी भाग सीधे-सीधे​ आपके पीठ और कंधों से जुड़ा हुआ है लगभग एक मिनट के लिए एक कपड़ों को लागू करना, बिल्ट-अप तनाव कम करने के लिए लंबा रास्ता तय करना चाहिए। इस पीठ और कंधे के दर्द को कम करने के लिए एक दिन में कई बार कोशिश करें


कान पर अगले स्थान नीचे है जो शरीर के आंतरीक अंगों (Organs) से जुड़ा होता है। जाहिर है, अगर आपको गंभीर दर्द हो, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। लेकिन मामूली आंतरिक भारीपन या बेचैनी के लिए, इस जगह पर एक कपड़ों की चिमटी या अपनी उंगलियों का उपयोग करें यह प्रयोग आपको आंतरिक राहत प्रदान कर सकता है जिसे आप ढूंढ रहे हैं।


कान के ऊपरी-मध्य भाग का वह हिस्सा है जो जोड़ों में दर्द और कठोरता से सीधे-सीधे​ जुड़ा हुआ है। कपड़े की चिमटी या अपनी उंगलियों के साथ दबाव डालने से बहुत राहत हो सकती है क्रोनिक समस्याओं को डॉक्टर को ही दिखाना चाहिए, लेकिन पहले इस सरल विधि की कोशिश क्यों नहीं करें?


कान का निचला मध्य हिस्सा वह है जो साइनस और गले से जुड़ा होता है। ठंड या साइनस संक्रमण से राहत के समय, इस स्थान पर दबाव डालने से तनाव कम करने में मदद मिल सकती है। एक कपड़ों की चिमटी से गले दर्द की पीड़ा की यह व्यथा व परेशानी दूर हो जाएंगी​।


कान के लोब के ठीक ऊपर एक जगह सबसे अधिक पाचन के साथ जुड़ा हुआ है। दबाव लागू करने के लिए एक कपड़ों की चिमटी का उपयोग करके पाचन संबंधी मुद्दों और छोटी मोटी पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है। और अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जो अक्सर पाचन असुविधा महसूस करते हैं, तो आप इस पद्धति का उपयोग बचाव करने में प्रयोग कर सकते हैं।


कान पर सबसे कम जगह - लोब - वह स्थान है जो शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से दो से जुड़ा हुआ है: सिर और दिल। कान की लोब के लिए दबाव लागू करने से हृदय को बढ़ावा देने और सिर में अवांछित दबाव को दूर करने के लिए काम किया जा सकता है।


यह कान रिफ्लेक्सोलॉजी इतनी आसान है और आपको जरूरत पड़ने पर बहुत बड़ा फर्क दिला सकता है!

क्या आप इनमें से किसी एक को प्रयास करेंगे? हमें बताएं कि टिप्पणी में कौन सी चीजें हैं

मित्रों और परिवार के साथ इस महत्वपूर्ण दर्द से राहत विधि को साझा करें।

Thursday, August 24, 2017

पित्त की पथरी को जड़ से खत्म करने के कारगर घरेलू उपचार

आमतौर पर यह देखा जाता है कि हम बिना सोचे समझे कुछ भी खा  लेते है। जिसका नकारात्मक प्रभाव हमारे शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। आज कल पथरी एक बहुत ही आम समस्या बन गयी है। यह कई तरह की होती है। अगर समय पर इसका इलाज करवा लिया जाये तो यह ठीक हो सकता है। आज हम आपको गाल ब्लैडर स्टोन यानी पित्त की पथरी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां देने वाले है।


आज पूरी दुनिया में हजारों-लाखों लोग ऐसे है जिन्हें गाल ब्लैडर स्टोन की समस्या है। यह बहुत ही कष्ट दयाक होती है। इस तरह के स्टोन में पित्ताशय के दो तरफ पथरी बनती है। जिसमे पहली पथरी कोलेस्ट्रोल से तथा दूसरी पिग्मेंट से बनती है। यह रोग किसी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस रोग की सम्भावना बहुत कम होती है।

पित्त की थैली में पथरी होने पर डॉक्टर हमेशा सर्जरी की सलाह देते है। इस सर्जरी में पित्त की थैली को शरीर से बाहर निकल दिया जाता है। इसमें पैसा तो अधिक लगता है ही साथ ही साइड इफेक्ट्स होने के चान्सेस भी होते है। इन सभी दुविधाओं से आपको बचने के लिए यहाँ हम आपको कुछ घरेलु उपचार बता रहे है। जो आपके शरीर में मौजूद पथरी को जड़ से खत्म कर देंगे। तो आइये अब हम जानते है 

जानें इसके लक्षण और उपचार

गुडहल का पाउडर

गुडहल के फूल को तो आप पहचानते ही होंगे। आप इसके फूलों की पंखुड़ियों को तोड़कर धुप में सूखा लें और पीसकर इसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को रात में सोने से पहले तथा खाना-खाने के 1-2 घंटे बाद पानी से ले लें। यह थोड़ा कड़वा हो सकता है, लेकिन ध्यान रखें, इसे लेने के बाद आपको कुछ खाना नहीं है।

हल्दी का प्रयोग

हर घर में हल्दी का प्रयोग खाना बनाते समय जरूर होता है। यह बहुत अच्छी बात है, क्योंकि पित्ताशय की पथरी को ठीक करने में हल्दी पाउडर की बहुत अहम् भूमिका होती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पथरी को शरीर के अंदर ही अंदर गला देते है। अगर आप नियमित रूप से एक चम्मच हल्दी पाउडर का प्रयोग करते है तो यह शरीर में मौजूद पथरी को 80% तक गलाने का काम करती है।

नाशपाती का रस

आधा गिलास नाशपाती का रस लें और उसमें आधा गिलास गर्म पानी तथा 1 चम्मच शहद मिलकर दिन में 2 से 3 बार पियें। दरअसल पित्ताशय की पथरी के बढ़ने का मुख्य कारण कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना होता है। नाशपाती में पाया जाने वाला पेक्टिन इसे बढ़ने से रोकता है। इसलिए नाशपाती का यह प्रयोग बहुत हद तक कारगर साबित होता है।

पुदीना

पित्ताशय की पथरी को गलाकर बाहर निकालने में पुदीना का रास भी बहुत सहायक होता है। इसमें टेपरिन नामक तत्व होता है जो कि पथरी को गलाने का काम करता है। पुदीने की पत्तियों को पानी में अच्छी तरह उबाल लें और इसके पानी को छलनी से छानकर अलग कर लें। अब इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर मियमित पिए।

खीर, गाजर और चुकंदर का रस 

खीर, गाजर और चुकंदर को बराबर मात्रा में लेकर, इनका रस निकल लें और दिन में 2 बार पिए। इसके सेवन से पित्ताशय की पथरी होने के चांसेस भी बहुत कम हो जाते है।

Wednesday, August 23, 2017

ये​ हैं वो संकेत जिनसे पता चलता है आप खा रहे हैं अधिक चीनी


पास्ता, ब्रेड और डायट सोडा जैसी सभी चीजों में शुगर की मात्रा अधिक होती है। भले ही आप दोपहर में डेजर्ट या शाम को कुकीज नहीं खाते हों लेकिन अनजाने में शुगर का अधिक सेवन कर लेते हैं। हम आपको कुछ संकेत बता रहे हैं, जिनसे मालूम होता है कि आप शुगर का अधिक सेवन कर रहे हैं।

बार-बार भूख लगना- शरीर में हाई ब्लड शुगर ग्लूकोज को सेल्स में जाने से रोकता है, जिससे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती है और इसलिए आपको बार-बार भूख लगती है।

थकावट- वैसे तो ये माना जाता है कि मीठा खाने से आपको​तुरंत शक्ति मिलती है परंतु वह सिर्फ कुछ ही समय में क्षीण हो जाती हैं। अगर आप ज्यादा मीठे खाने के शौकीन हैं और आपको अक्सर थकान महसूस होती हैं तो आपको मीठा खाना ​कम कर देना चाहिए।

कैविटीज- जर्नल बीएमसी ओरल हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जब बैक्टीरिया आपके मुंह में शुगर को पचाते हैं, तो वे एक एसिड का उत्पादन करते हैं, जो प्लेक के रूप में आपकी लार के साथ जुड़ा होता है, इससे आपको कैविटी का खतरा होता है।

वजन बढ़ना- अगर आप अधिक मात्रा में सोडा जैसी चीजों का सेवन करते हैं, तो आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, शुगर वाले ब्रेवरेज़ पीने से आपकी कमर के आसपास मोटापा बढ़ सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल- जर्नल मेडिसन फूड में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, शुगर का अधिक सेवन शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है और गुड कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है।


अक्सर सर्दी-जुकाम या वायरस होना- अगर आपको लगता कि आपको अक्सर सर्दी-जुकाम या वायरस हों जाता हैं, तो इसका कारण आपका ज्यादा मीठे का सेवन भी हो सकता हैं। अक्सर फैलने वालें वायरस की चपेट में आसानी से आ जातें हैं तो इसका कारण भी आप की मीठे को दी गई प्राथमिकता हो सकती हैं। अत्यधिक मात्रा में मीठा खाने से आप का शरीर वायरस, बैक्टीरिया और  पुरानी श्वसन रोग से लड़ने में सक्षम नहीं होता।

स्किन व पैरों में प्रॉब्लम्स - जब चीनी का सेवन होता है, यह शरीर में विभिन्न संक्रमणों का कारण बनता है, लेकिन अक्सर लोग त्वचा की सूजन की शिकायत करते हैं। यदि लगातार सूखापन, एक्जिमा, मुँहासे और फुंसियो से पीड़ित हो, चीनी इसका कारण हो सकता है अपने आहार से चीनी कम कर के आपकी त्वचा की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। अमेरिका में प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ ने पाया कि चीनी के पैर पर एक भयानक प्रभाव है। पैर के नीचे, एड़ी, और पूरे पैर में चलने वाले ऊतक के मोटी परतों में दर्द का कारण बनने के लिए यह पैर के तल में फैल सकता है। शर्करा के अत्यधिक उपयोग से अधिवृक्क ग्रंथियों की समस्याएं हो सकती हैं, और माना जाता है कि शरीर में बड़ी मात्रा में चीनी की शुरूआत के कारण आंखों के आसपास काले घेरे होते हैं।

1 चम्मच जैतून के तेल में 1 नींबू निचोड़ लें, सिर्फ 1 बार उपयोग के बाद आप इसका उपयोग करना कभी बंद नहीं करेंगे !!!

हम एक अत्यंत लाभदायक डिटॉक्स उपचार का नुस्खा बता रहे हैं जो आपके शरीर को शुद्ध करेगा, और थकान और ऊर्जा की कमी जैसी समस्या को हल करेंगे।इसे तैयार करने के लिए "जैतून का तेल" और "नींबू" की ज़रूरत है, और एक बार जब आप इसे आज़माते हैं, तो आप थके हुए और हर समय एक निराश महसूस नहीं करेंगे। यह आपके शरीर को उत्साहित करेगा और आपको ताजा और स्वस्थ होने में मदद करेगा।

विशेषज्ञों का दावा है कि यह उपाय सदियों से कई स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया है। नींबू और जैतून का तेल का संयोजन कई स्वास्थ्य और सौंदर्य उपचारों के लिए उपयोग किया गया है, लेकिन यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का भी इलाज करता है और रोकता है।

इसके कई स्वास्थ्य गुणों के कारण, यूनानियों और रोमियों ने तरल सोने के रूप में जैतून का तेल का उल्लेख किया इसकी निष्कर्षण प्रक्रिया के दौरान, Extra Virgin जैतून के तेल को निकालने​ के लिए कम से कम देखरेख व संभाल की आवश्यकता​ होती है, इसलिए यह अपने पोषक तत्वों, विटामिन, और खनिजों को रखता है।

दूसरी ओर, नींबू ग्रह पर स्वास्थ्यप्रद फलों में से एक है, कई पोषक तत्व, एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन प्रदान करता है, जो स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और विभिन्न स्थितियों और रोगों को रोकता है।

नींबू विटामिन सी और बी, फास्फोरस, प्रोटीन, पोटेशियम, और कार्बोहाइड्रेट के साथ-साथ फ्लैनोनोइड युक्त होता है, जो शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं!

इस सब के कारण, इन दो सामग्रियों का मिश्रण वास्तव में शक्तिशाली होता है जो कई बीमारियों का इलाज करता है और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को रोकता है।

तरीका

एक कटोरी में एक बड़ा चम्मच Extra Virgin जैतून का तेल लें, अब इसमें एक नींबू का रस निचोड़ लें। और अब इससे अच्छे से मिक्स कर लें, जब तक यह एक सा मिक्स न बन जाएं। इस मिश्रण को सुबह नाश्ते से एक घंटे पहले लीजिए।

बस इस मिश्रण का 1 चम्मच आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों(टॉक्सिन्स) को ख़त्म कर सकता है लेकिन इसका केवल ये एक ही लाभ नहीं है. इसके कई अन्य लाभ हैं जो नीचे दिए गए हैं-

1. गठिया ( रूमैटिज़म )

इस संयोजन में शक्तिशाली एंटी-इनफ्लमेटरी गुण होता है, जो गठिया के मामले में बेहद फायदेमंद हैं. इस उपाय के नियमित उपयोग से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है.

2. हृदय की समस्यायें (कार्डियोवॅस्क्युलर समस्या)

यह उपाय अपनी उच्च फैटी एसिड की वजह से दिल से संबंधित समस्याओं से बचाता है और इलाज भी करता है. यह खराब कोलेस्ट्रॉल को काबू मे रखता है और रक्त परिसंचरण में सुधार लाता है.

3. यह गुर्दे, लिवर और पित्ताशय की थैली को बेहतर बनाता है

कई विशेषज्ञों के मुताबिक, रोज़ सुबह खाली पेट इस मिक्स्चर को पीने से पित्त में पथरी बनने में बचाव होता है. नाश्ते से पहले इसे एक गिलास पानी के साथ पीने से यह गुर्दे, लिवर और पित्ताशय की थैली को साफ़ करता है, जिससे उनके कार्य में सुधार आता है। लीवर की सफाई के लिए यह मिश्रण रात को सोते समय लेने से ज्यादा लाभ होगा।

4. कब्ज से राहत मिलती है

जैतून के तेल में लेक्सेटिव प्रभाव होता है, यही कारण है कि कई लोगों का मानना है कि यह कब्ज से राहत दिलाता है. जब इसे नींबू के रस के साथ मिला दिया जाता है तो यह शरीर से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकाल कर शरीर की सफाई कर देता है और पाचन को बेहतर बनाता है!

ना धुआं, ना स्प्रे और ना ही कोई लिक्विड, यह विटामिन खाओ और मच्छर​ भगाओ!!!

विटामिन की इस गोली को खाने से शरीर से एक गंध निकलती है, जो मच्छरों को करीब नहीं आने देगी।


नई दिल्ली। इन्सान ने बड़ी-बड़ी समस्याओं से छुटकारा पा लिया, लेकिन मच्छरों का पुख्ता तोड़ अब तक नहीं मिला है। कहीं कोई क्रीम लगाने को कहता है तो कोई कहता है कि लहसुन खाने से मच्छर पास नहीं आते।

अब विटामिन की एक गोली बाजार में आई है। कहा जा रहा है कि इस गोली को खाने से शरीर से एक गंध निकलती है, जो मच्छरों को करीब नहीं आने देगी। खास बात यह भी है कि कोई दूसरा इन्सान इस गंध को महसूस नहीं कर पाएगा।

यह गोली विटामिन बी-1 की है। इसे थैमाइन भी कहा जाता है। दावा है कि यह मच्छर भगाने का कारगर तरीका है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 25 से 50 एमजी की गोली दिन में तीन बार खाना होगी। बाजार में इस विटामिन के सप्लिमेंट भी उपलब्ध हैं।

एक अन्य तरीका यह भी है कि जिन खाद्य पदार्थों में विटाामिन बी-1 पाया जाता है, उन्हें खाने से मच्छरों से बचा जा सकता है। जैसे- फूलगोभी, सूरजमुखी के बीज, सेम, अनाज और खमीर।

इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है जबकि मच्छरों को भगाने के लिए बाजार में उपलब्ध स्प्रे में कई तरह के केमिकल होते हैं।

जानें बी-1 को लेकर क्या कहता है विज्ञान

जैविक तथ्यों के अनुसार, तंत्रिका तंत्र की मजबूती के साथ ही स्वस्थ्य त्वचा, बाल, आंख, मुंह और लिवर के लिए विटामिन की भूमिका बेहद अहम है। यह विटामिन तनाव कम करता है।

शरीर में शुगर को ऊर्जा में तब्दील करने में बी-1 की भूमिका बेहद अहम है। यह एक मजबूत एंटीऑक्सिडेंट का काम करता है। विटामिन बी-1 के सेवन से व्यक्ति जल्दी बूढ़ा नहीं होता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी यह उपयोगी है।

Tuesday, August 22, 2017

फिटकरी: घर में हमेशा रखिए अनगिनत हैं फायदे

परिचय :


★ फिटकरी (fitkari)को संस्कृत में स्फटिका, हिंदी में फिटकरी, इंग्लिश में पोटाश एलम कहते है।
★ फिटकरी सफेद, पीले, लाल और काली रंग की हो सकती है। सफ़ेद रंग की फिटकरी को सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है।
★ फिटकरी (fitkari)के बारे में भारतीयों को जानकारी बहुत ही प्राचीन समय से थी।
★ भारत में चिकित्सा के लिए इसका प्रयोग आयुर्वेद में किया जाता रहा है।
★ चरक संहिता में भी इसके प्रयोग का वर्णन पाया जाता है।
★ रत्न समुच्चय ग्रन्थ में इसे तुवरी कहा गया है। रसतरंगिणी में इसे पित्त-कफ नाशक, ज्वरनाशक, आँखों के रोगों में लाभप्रद, खूनके बहने को रोकने वाली, मुख के रोगों, कान रोगों और नाक से खून बहने से रोकने वाली माना गया है।
★ चिकित्सा के लिए फिटकरी(fitkari) का प्रयोग खून के बहने / रक्तस्राव को रोकने के लिए किया जाता है। शुद्ध फिटकरी या इसकी भस्म को सुजाक, रक्तप्रदर, खांसी, निमोनिया, खून की उलटी, विष विकार, मूत्रकृच्छ, त्रिदोष के रोगों, घाव, कोढ़ आदि में आंतरिक प्रयोग भी किया जाता है।
★ इसे पानी को साफ करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे रंग पक्का करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
Alum Information, Benefits and 20 Medicinal Uses in Hindi

प्रकार: अकार्बनिक खनिज, क्रिस्टलीय

रासयनिक सूत्र Molecular formula: KAl(SO4)2·12H2O हाइड्रेट पोटैशियम एल्युमीनियम सल्फेट

आंतरिक प्रयोग के लिए मात्रा: 250 mg- 1 gram

फिटकरी के स्थानीय नाम:

★ संस्कृत: कांक्षी, तुवरी, स्फटिका, सौराष्ट्री, शुभ्रा, स्फुटिका, स्फटी, रंगदा, दृढरंगा
★ लैटिन: एल्युमीनियम सल्फस
★ हिंदी, बंगाली: फिटकिरी Phitkari
★ मराठी: तुरटी
★ गुजराती: फटकड़ी
★ तमिल: Patikaram, Padikharam, Shinacarum
★ तेलुगु: Pattikaramu
★ कन्नड़: Phatikara
★ फारसी: जाक सफ़ेद Zak safed, Zamah
★ अरब: शवेयमानी Shibe yamani, Zaj abyaz
★ इंग्लिश: एलम Sulphate of Alumina and Potash, Sulphate of Aluminium and Ammonium, Aluminous Sulphate
★ उर्दू: फिटकिरी Phitkari
★ सिन्धी: पटकी
★ तमिल: Patikaram, Padikharam, Shinacarum

फिटकरी के गुण :

★ यह कसैली है।

★ यह वातपित्त, कफ, घाव, कोढ़, और विसर्प नाशक है।
★ यह तासीर में गर्म है।
★ यह रक्तस्राव को रोकती है।
★ यह एसट्रिनजेंट / संकोचक है।
★ फिटकरी की भस्म का सेवन छाती में जमे कफ को निकालती है।
★ यह विष नाशक है। सांप काटने पर तुरंत ही, फिटकरी की भस्म (1 gram) को घी (60 gram) में मिलाकर लेने से ज़हर का आगे बढ़ना रुक जाता है।आइये जाने fitkari ke fayde in hindi

फिटकरी के चिकित्सीय प्रयोग :

★ फिटकरी को बाहरी तथा आंतरिक दोनों तरह से प्रयोग किया जाता है। बाहरी रूप से पानी में डुबा कर खून बहने वाली जगह पर मल लेने से खून का बहना रुक जाता है। फिटकरी को लगाने से संक्रमण भी नहीं होता।

★ खाने या आंतरिक प्रयोग के लिए फिटकरी की बहुत कम मात्रा प्रयोग की जाती है। आंतरिक प्रयोग के लिए हमेशा शुद्ध फिटकरी ही प्रयोग की जानी चाहिए। आग में फुला देने से फिटकरी शुद्ध हो जाती है। इसे तवे पर रख कर फुला कर, खील बना कर, महीन पीस लेने के बाद आंतरिक प्रयोग में ला सकते हैं।

१. नाक से खून आना nose bleed, naksir :

★ गाय के दूध में थोड़ी सी फिटकरी घोल कर नाक में कुछ बूंदे टपकाने से नाक से खून बहना रुकता है।

२. चोट लगने से खून बहना, कटने से खून बहना Bleeding from cut

★ फिटकरी का टुकड़ा या चूरा प्रभावित जगह पर लगायें।

३. योनि की शिथिलता, फ़ैल जाना slackness of vagina

★ २ ग्राम फिटकरी को पानी में १०० मिलीलीटर पानी में घुला कर, रोज़ योनि माग का प्रक्षालन करने से योनि मार्ग को सिकोड़ने में मदद होती है।

४. रक्तपित्त bleeding disorders

★ फिटकरी को १२५ मिलीग्राम की मात्रा में ३ ग्राम चीनी के साथ मिला कर खाने से लाभ होता है।

५. आँखों से पानी आना, लाली, कीचड़, पकना, दुखना, सूजन diseases of eyes
★ 50 ml गुलाब जल में 500-600 mg, फिटकरी घोलकर रख लें। इसे कुछ बूंदों में आँखों में डालने से लाभ होता है।

६. मजबूत दांत strengthening teeth
★ फिटकरी के चूरे को मौलश्री छल के चूर्ण में मिलाकर दांतों पर मलने से दांत मजबूत होते हैं।

७. दांत दर्द, दांत में मवाद, मुंह में लिसलिसापन tooth ache, stickiness in mouth
★ सेंधा नमक और फिटकरी के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर दांतों पर रगड़ने से दांत मजबूत होते है, दांत दर्द से राहत मिलती है।

८. दांतों के रोग dental diseases
★ सरसों तेल में फिटकरी चूर्ण मिलाकर दांतों की मालिश करें।

९. दन्त मंजन tooth powder
★ दन्त मंजन बनाने के लिए फुलाई हुई फिटकरी + हल्दी + सेंधा नमक + त्रिफला + नीम की पत्तियां + बबूल की छाल (प्रत्येक 100 gram) तथा 20 ग्राम लौंग का पाउडर मिला लें। इसे दिन में दो बार प्रयोग करने से पायरिया, मुंह की दुर्गध, दांतों का दर्द, कमजोरी, सेंसिटिवटी आदि दूर होते हैं।

१०. शीतपित्त urticaria
★ शुद्ध फिटकरी का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में दूध या पानी के साथ लें।

११. दाढ़ी बनाते समय कट जाना cut in shaving
★ फिटकरी को कट पर पानी लगाकर लगाने से कट से खून निकलना बंद होता है।

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१२. बवासीर में मस्से hemorrhoids
★ बवासीर के मस्सों पर फिटकरी का लेप लगाने से लाभ होता है।

१३. अंदरूनी चोट के लिए internal injuries
★ एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच शुद्ध फिटकरी का चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है।

१४. पेशाब में खून जाना, गुदा से खून जाना blood in urine
★ आधा चम्मच शुद्ध फिटकरी का चूर्ण, आधा चम्मच मिश्री के साथ मिलाकर लें।

१५. विषम ज्वर, मलेरिया का बुखार intermittent fever
★ चौथाई या आधा चम्मच फिटकरी भस्म, समभाग मिश्री के साथ, २-४ घंटे के अंतराल पर लेना चाहिए।

१६. पेचिश, अतिसार, खूनी बवासीर, रक्त प्रदर loose motions, dysentery, bleeding piles, abnormal uterine bleeding
★ फिटकरी भस्म आधा चम्मच की मात्रा में मुनक्के / दही के साथ लें।

१७. मुंह / जीभ पर छाले, टांसिल mouth blisters, tonsillitis
★ फिटकरी के पानी से कुल्ला करें।

१८. जहरीले कीटों (बर्रे, मधुमक्खी), बिच्छु, आदि के काटने पर insect stings
★ गर्म पानी के साथ फिटकरी पीस कर, प्रभावित जगह पर लगाएं।

१९. मूत्रकृच्छ painful urination
★ गर्म करके फुलाई और पीसी हुई फिटकरी १ ग्राम की मात्रा में फंकी की तरह लेने से और फिर दूध पीने से पेशाब में दर्द आदि दूर होता है।

२०. खांसी, कुक्कुर खांसी whooping cough
★ फुलाई फिटकरी को 500 mg-1 gram की मात्रा में दिन में तीन बार लेने से कफ, खांसी दूर होते हैं।

२१.खुजली
★ महिलाओं को श्वेत प्रदर या गुप्तांग में खुजली , जलन आदि हो तो ऐसे में फिटकरी घुले पानी से योनि को दिन ने तीन चार बार धोने से बहुत आराम मिलता है। योनि में यदि ढीलापन हो तो वो खत्म होता है।

२२. जुएँ
★ सिर में जुएँ हो गई हों तो फिटकरी मिले पानी से कुछ दिन सिर धोने से जुएँ खत्म हो जाएँगी।

विशेष : फिटकरी को आमतौर पर बाहरी प्रयोग के लिए ही प्रयोग किया जाता है। बाहरी प्रयोग से किसी भी तरह की हानि नहीं है। लेकिन आंतरिक प्रयोग में सावधानी रखने की ज़रूरत है। आंतरिक प्रयोग के लिए केवल उपयुक्त फिटकरी (शुद्ध या भस्म) ही प्रयोग की जानी चाहिए और वो भी बहुत ही कम मात्रा में। अधिक मात्रा में प्रयोग फेफड़े, आँतों और पेट के लिए नुकसानदायक है।