Sunday, June 25, 2017

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के कारण, संकेत, लक्षण एवं उपचार

जब उपास्थियों (नरम हड्डी) और गर्दन की हड्डियों में घिसावट होती है तब सर्वाइकल की समस्या उठेगी। इसे गर्दन के अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राय: वृद्धावस्था में उठता है। सर्विकल स्पॉन्डलाइसिस के अन्य दूसरे नाम सर्वाइकल ऑस्टियोआर्थराइटिस, नेक आर्थराइटिस और क्रॉनिक नेक पेन के नाम से जाना जाता है।


सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस गर्दन के जोड़ों में होने वाले अपक्षय से सम्बंधित है जो उम्र के बढ़ने के साथ बढ़ता है। 60 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों में प्राय: यह पाया जाता है। इसके कारण अक्षमता या अशक्तता हो जाती है।

बच्चों और युवाओं की तुलना में बूढ़े लोगो में पानी की मात्रा कम होती है जो डिस्क को सूखा और बाद में कमजोर बनाता है। इस समस्या के कारण डिस्क के बीच की जगह गड़बड़ हो जाती है और डिस्क की ऊंचाई में कमी लाता है। ठीक इसी प्रकार गर्दन पर भी बढ़ते दबाव के कारण जोड़ों और या गर्दन का आर्थराइटस होगा।

घुटने के जोड़ की सुरक्षा करने वाली उपास्थियों का यदि क्षय हो जाता है तो हड्डियों में घर्षण होगा। उपास्थियों के कट जाने के बाद कशेरुका को बचाने के लिये हमारा शरीर इन जोड़ों पर नई हड्डियों को बना लेता है। यही बढ़ी हुई हड्डियां अक्सर समस्या खड़ी करती हैं।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण (Causes of the cervical spondylosis – cervical spondylosis ka karan)

सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस के होने के खतरों की सूची में कई सारे कारक शामिल हैं। नीचे कुछ प्रमुख कारण बताये गये है कोई गम्भीर चोट या सदमा गर्दन के दर्द को बढ़ा सकता है।धूम्रपान भी एक महत्तवपूर्ण कारक है।यह आनुवांशिक रूप से हो सकता है।निराशा और चिंता जैसी समस्याओं के कारण हो सकता है।अगर आप ऐसा कोई काम करते है जिसमे आपको गर्दन या सिर को बारबार घुमाना पड़ता हो।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के लक्षण (Symptoms of cervical spondylosis)

कई बार गर्दन का दर्द हल्के से लेकर ज्यादा हो सकता है। ऐसा अक्सर ऊपर या नीचे अधिक बार देखने के कारण या गाड़ी चलाने, किताबें पढ़ने के कारण यह दर्द हो सकता है। पर्याप्त आराम और कुछ देर के लिये लेट जाना, काफी फायदेमंद होगा।गर्दन में दर्द और गर्दन में कड़ापन स्थिति को गम्भीर करने वाले मुख्य लक्षण है।सिर का दर्द, मुख्य रूप से पीछे का दर्द इसका लक्षण है।गर्दन को हिलाने पर प्राय:गर्दन में पिसने जैसी आवाज़ का आना।हाथ, भुजा और उंगलियों में कमजोरियां या सुन्नता।व्यक्ति को हाथ और पैरों में कमजोरी के कारण चलने में समस्या होना और अपना संतुलन खो देना।गर्दन और कंधों पर अकड़न या अंगसंकोच होना।रात में या खड़े होने के बाद या बैठने के बाद,खांसते, छींकते या हंसते समय और कुछ दूर चलने के बाद या जब आप गर्दन को पीछे की तरफ मोड़ते हैं तो दर्द में वृद्धि हो जाना।

गर्दन के पीछे दर्द – गर्दन दर्द की पहचान करने के परीक्षण (Diagnosis tests)

गर्दन या मेरूदण्ड का एक्स-रे, आर्थराइटिस और दूसरे अन्य मेरूदण्ड में होने वाले को जांचने में किया जाता है।जब व्यक्ति को गर्दन या भुजा में अत्यधिक दर्द होता तो एमआरआई करवाना होगा। अगर आपको हाथ और भुजा में कमजोरी होती है तो भी एमआरआई करना होगा।गर्दन के पीछे दर्द, तंत्रिका जड़ की कार्यप्रणाली को पता लगाने के लिये ईएमजी, तंत्रिका चालन वेग परीक्षण कराना होगा।

गर्दन में दर्द का इलाज – गर्दन दर्द के उपाय (Treatment)


गर्दन दर्द का उपचार, आपका डॉक्टर किसी फिज़ियोथेरेपिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकता है। यह भौतिक उपचार आपके दर्द में कमी लायेगा।गर्दन दर्द का उपचार, आप किसी मसाज़ चिकित्सक से भी मिला सकते हैं जो एक्यूपंक्चर और कशेरुका को सही करने का जानकार हो। कुछ ही बार इसका प्रयोग आपको आराम पहुंचायेगा।गरदन का दर्द, ठण्डे और गर्म पैक से चिकित्सा दर्द में कमी लयेगा।

सर्वाइकल पेन – गर्दन के दर्द का इलाज (cervical spondylosis ka upchar)

सर्वाइकल पेन, पानी का ठण्डा पैकेट दर्द करने वाले क्षेत्र पर रखें।आपने तंत्रिका तंत्र को हमेशा नम रखें।गर्दन की नसों को मजबूत करने के लिये गर्दन का व्यायाम करें।अपनी गाड़ी को सड़क पर मिलने वाले गड्ढ़ों पर न चलायें। यह दर्द को बढ़ा देगा।गर्दन दर्द का इलाज, कम्प्यूटर पर अधिक देर तक न बैठें।अगर आपको हाथों और उंगलियों पर सुन्नता होती है तो तुरन्त चिकित्सक से मिलें।सर्वाइकल पेन, विटामिन बी और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करें।गर्दन दर्द का इलाज, पीठ के बल बिना तकिया के सोयें। पेट के बल न सोयें।

दर्द जिन्हें आपको अनदेखा नहीं करना चाहिये

शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द और पीड़ा होना जीवन का अंग है। दर्द के प्रकार, लोग इन दर्दों से मुक्ति के लिये विभिन्न उपाय करते हैं। चिकित्सा विज्ञान में इनसे मुक्ति के कई उपाय ढूढ़े गये है लेकिन कुछ लोग इस दर्द को जानबूझकर अनदेखा करते हैं। कुछ दर्द इस प्रकार के होते है कि जिन्हे अंदेखा नहीं करना चाहिये। यह शुरूआती हो सकता है जो बाद में भयानक हो जायेगा। दर्द के घरेलू उपाय, अगर कोई दर्द नियमित तकलीफ दे रहा है तो तुरंत सतर्क हो जायें।

दर्द के कुछ प्रकार (Some of the types of aches)

बिजली की कड़क जैसा दर्द (Thunderclap headache)

यह सभी को होने वाला सामान्य दर्द है। कुछ ही घण्टों में यह खत्म हो जाता है। इस स्थिति में बाम का प्रयोग होता है अगर लम्बे समय तक रुकता है तो नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पर सम्पर्क करें।

दांत दर्द (Tooth ache)

आजकल कई लोग दांतों की समस्या से परेशान होते हैं। आपके दांतों को उखाड़ने की प्रक्रिया तब पूरी की जानी चाहिए जब आपका दांत बिल्कुल भी काम ना कर रहा हो और इसे बदलना आवश्यक हो। सबसे पहले अपने दन्त चिकित्सक से संपर्क करें और इसके बाद ही दांत निकलवाने की सोचें।

दांतों से चबाने के दौरान हो रही समस्या का भी ख्याल रखा जाना काफी ज़रूरी है। अगर आप अपने दांतों का अच्छे से ख्याल नहीं रखेंगे तो दांतों का दर्द बढ़ेगा और आपको रात में चैन से नींद नहीं आएगी। बिना किसी समस्या के स्वस्थ दांत पाने के लिए अपने दन्त चिकित्सक से नियमित रूप से जांच करवाएं।

दांत के दर्द को अंदेखा नहीं किया जाना चाहिये। कभी कभी दांत दर्द के कारण आपके पूरे मुंह में सूजन आ जाती है। इसके कारण सुरक्षा करने वाले एनैमल भी खत्म हो जाता है और दांत जड़ से  टूट जाता है। इस समस्या का पता केवल दंत चिकित्सक के पास जाने से होगा।

मासिक धर्म ऐंठन (Menstrual cramp)

नियमित रजोधर्म में सभी लड़कियों और महिलाओं में यह प्राकृतिक दर्द सामान्य(dard ke karan) है। किंतु असहनीय दर्द गर्भाशय के असामान्य वृद्धि के कारण हो सकता है। इससे एंडोमेट्रिऑसिस का खतरा उत्पन्न हो सकता है जो जनन क्षमता को प्रभावित करता है। डॉक्टर आपको कुछ दवाइयां उपलब्ध करा देगा अगर आप ऐसी शारीरीक परिस्थिति को बताते हैं।

अगर यह दर्द असहनीय हो जाए तो आपको दवाई की आवश्यकता होती है। कई बार गर्भाशय के अपनी सामान्य जगह से अलग दूसरी जगह बढ़ने से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। शोध के अनुसार 40% से ज़्यादा महिलाएं जिन्हें मासिक धर्म की दर्दभरे ऐंठन का शिकार होना पड़ता है, इस खतरनाक समस्या से ही पीड़ित होती हैं। आप चाहें तो शल्य क्रिया के दौरान यह कोशिका निकाली जा सकती है।

कंधों पर तेज़ दर्द (Sharp pain across the shoulder blades)

यह बात सही है कि दिल का दौरा आने से पहले लोगों की छाती में दर्द होता है। पर करीब 30% लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें छाती में दर्द हुए बिना ही ह्रदय का दौरा पड़ जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि उन्हें दिल के दौरे के कोई भी लक्षण पता नहीं चलते।

कंधों पर उठने वाले दर्द को प्राय: लोग तनाव का कारण बतलाते हैं। लेकिन यह विपत्तीयों को आने का मौका देती है। शोधों में यह पाया गया है कि ये हृदय आघात होने का कारण हो सकते हैं। दर्द का इलाज, महिलाओं में भी कंधों का दर्द प्राय: पाया जाता है। इसके साथ चक्कर, जबड़ों में दर्द हो सकता है। अगर आपको ऐसे कुछ लक्षण है तो तुरंत देखभाल आवश्यक होगी।

निचले पेट में दर्द (Stomach pain in lower abdomen)

पेट दर्द के शुरू होने के कई कारण हो सकते है जो आंतों की अनियमित गति से लेकर किडनी की पथरियों के कारण हो सकता है। किसी भी पेट दर्द को हल्का नही समझना चाहिये, कुछ विशेष पेट दर्द के लिये चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होती है। अगर आपको निचले पेट के दाहिनी तरफ दोहरा दर्द हो तो यह अपेंडिक्स की समस्या हो सकती है। अगर आप प्रारम्भिक स्तर पर ध्यान नहीं देते है तो अपेंडिक्स फटने का मौका हो जायेगा। इससे आपका खून भी प्रभावित हो सकता है।

दर्द के कारण, अपेंडिक्स का पता पेट के नीचले हिस्से को दबाने या घुटने को सिर के पास लाने पर दर्द होने के द्वारा चलता है।


बुखार के साथ पीठ दर्द (Back pain with fever)

अगर आपको बुखरा के साथ पीठ दर्द हो रहा है तो यह समय इस बात का अनुमान लगाने का है कि आप किडनी के संक्रमण से पीड़ित है। इसके अन्य लक्षण चक्कर आना है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब बैक्टीरिया व्यक्तियों की पेशाब नली में चला जाता है और संक्रमण को और भयंकर बना देता है। दर्द से राहत, आपको पेशाब करते समय  बहुत दर्द की अनुभूति होती है। अगर ऐसा दर्द होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाकर इलाज़ के लिये पूछना चाहिये।

पिंडलियों पर टहलने वाला दर्द (Tender spots on calf)

अगर आपको पैरों की पिंडलियों की मांसपेशियों पर बार बार दर्द हो रहा है तो यह डीवीटी या डीप वेन थ्रोम्बॉसिस बिमारी का लक्षण हो सकता है। ऐसा तब होता है जब आपकी नसों में खून के थक्के उपस्थित हो जाते हैं। अगर आपको लाल निशान के साथ गर्म स्पर्श मह्सूस होता है तो यह ऐसा होने का एक कारण हो सकता है। ऐसा देखा गया है कि डीवीटी ऐसे लोगों के ऊपर प्रभाव छोड़ता है जिन्होंने हाल ही में हवाई सफर, जन्म को नियंत्रित करने वाली गोलियों का उपभोग या एक लम्बी कार यात्रा किया हो। दर्द से छुटकारा (dard ke upay), लेकिन, आप एक या दो दिनों तक रूक सकते है जब तक कि आपका पैर बहुत अधिक सूजे और हिलाने पर लगातार दर्द बना रहे। लेकिन अगर आपको लगातार दर्द बना रहे तो यह समय डॉक्टर से तुरंत मिलने का है। अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो इससे थक्के का आकार बढ़ सकता है और एवं यह फट भी सकता है।

Thursday, June 22, 2017

कभी सुना है कान में लहसुन का कौर डालें और कान की समस्याओं से छुटकारा पाएं

• लहुसन के कौर से कान में हुए इन्फेक्शन से लड़ा जा सकता है।
• लहसुन के कौर से कान दर्द से तुरंत आराम मिलता है।
• लहसुन के कौर से कान में हो रही जलन से मुक्ति मिलती है।क्या कभी आपने कान में लहसुन डाला है? शायद ज्यादातर लोग इस घरेलु समाधान से अवगत नहीं है। लेकिन तथ्य यह है कि लहसुन के कौर को कान में डालने से असंख्य लाभ हासिल होते हैं। साथ ही कई किस्म की बीमारियों से भी पार पाना हो तो लहसुन का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि कान में लहसुन का कौर डालने से क्या होता है? आइए जानते हैं।

कान में दर्द होना
यदि आपके कान में दर्द है, तो लहसुन के कौर कान में डाले रखने से दर्द में राहत मिलती है। इसके लिए आपको किसी प्रकार की मेहनत करने की जरूरत नहीं है। कान में लहसुन डालने से सबसे पहले कान गर्म होने का एहसास होता है। इसके बाद धीरे धीरे दर्द से राहत मिलती है। ऐसा नहीं है कि आप दवा का इस्तेमाल नहीं कर सकते, लेकिन लहसुन का कोई साइड इफेक्ट या नकारात्म्क प्रभाव नहीं है। लहसुन के कौर वैसे सामान्यतः रात को सोते समय कान में लगाना लाभकारी होता है।

इन्फेक्शन
यदि आपके कान में दर्द किसी इन्फेक्शन के कारण है, तो भी लहसुन का एक कौर आपकी मदद कर सकता है। दरअसल इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायर प्रोपर्टीज होते हैं, जो कि इन्फेक्शन में मदद कर सकते हैं। लेकिन हां, आपको यह बताते चलें कि यदि दर्द बहुत ज्यादा है और वजह पता नहीं है, तो बिना देरी किए डाक्टर से संपर्क करें। क्योंकि हो सकता है कि कान में जो दर्द है, वह इन्फेक्शन के कारण न हो। वैसे इन्फेक्शन में भी लहसुन काफी फायदेमंद है।

इसे भी पढ़ेंः कई गुणों की खान लहसुन कैंसर जैसी बीमारी से बचाने में भी करता है मदद

फ्लू
लहसुन खाने में बहुत गर्म होता है। यही कारण है कि तमाम विशेष लहसुन के एक कौर को सर्दियों में प्रत्येक सुबह पानी के साथ खाने को कहते हैं। लेकिन यदि आप लहसुन खाना पसंद नहीं करते जैसा कि सामान्यतः हर कोई नापसंद करता है। इसके पीछे वजह इससे आ रही बदबू है। बहरहाल यदि आप भी इसे खाने से परहेज करते हैं, तो इसे अपने कामन में लगा सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो फ्लू के कारण कई दफा कान में दर्द का एहसास होता है। ऐसे में आप चाहें तो कान में लहसुन का कौर लगा सकते हैं। इससे जल्द आराम मिलता है। दवाई पर आश्रित रहने की आवश्यकता भी नहीं होती।

सूजन:
यदि आपके कान में सूजन है, जिस कारण लगातार कान में खुजली हो रही है, तो ऐसी स्थिति में भी कान में कान में लहसुन के कौर का उपयोग किया जा सकता है। इससे कान की सूजन कम होती है। साथ ही सूजन के कारण कान में आई लालिमा भी कम होती है। खुजली में कमी आती है। यदि सूजन के कारण किसी प्रकार की कान में जलन हो, तो उससे भी लहसुन के कौर कारण कमी आती है।

जर्म्स:
लहसुन में जैसा कि पहले ही जिक्र किया गया है कि एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल प्रोपर्टीज होती हैं। अतः यदि आपके कान में जम्र्स के कारण दर्द हो रहा है, तो लहसुन में मौजूद ये प्रोपर्टीज आपके कान को राहत देने में मददगार साबित हो सकते हैं। वैसे भी लहुसन का एक कौर से आप भविष्य में होने वाली कान की समस्या से भी लड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप लहसुन के कौर का उपयोग करते हैं, तो भविष्य में होने वाली कान से संबंधित समस्याओं में गिरावट आती है।

इसे भी पढ़ेंः कच्चे लहसुन खाने के हानिकारक प्रभाव

बेहतरीन तत्व:

लहसुन में कई किस्म के बेहतरीन तत्व है। इसमें विटामिन सी, और बी6, फाइबर, पोटाशियम, कैल्शियम आदि मौजूद है। अतः विशेषज्ञ इसे कान में लगाने के साथ साथ खाने की सलाह भी देते हैं। इसे आप काटकर किसी अन्य मिश्रण के साथ मिलाने की बजाय बेहतर है कि पूरा एक कौर पानी के साथ पीएं।

Wednesday, June 21, 2017

क्यों नहीं पीना चाहिए खड़े होकर पानी


पानी! यह एक ऐसा प्राकृतिक संसाधन है जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. इसीलिए पानी को धरती का अमृत कहा गया हैं. पानी मानव शरीर के लिए अनिवार्य और आवश्यक तत्वों में से एक है. मानव शरीर पाँच तत्वों से निर्मित जीव है जिसमें 70% हिस्सा पानी से बना हुआ है. इसलिए 7-8 गिलास पानी का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए. इससे पाचन तंत्र, बाल व त्वचा स्वस्थ रहते है. पानी शरीर से बेकार पदार्थ को बाहर निकालता है और खून को साफ रखने में मदद करता है. पीने का पानी स्वच्छ और ताजा हो, बासी पानी में कुछ ऐसे जीवाणु पैदा हो जाते है जिसे पीने से वात, कफ और पित्त बढ़ता है. आगे हम अपने लेख में यह भी बताएंगे खड़े होकर पानी पीने के क्या-क्या शारीरिक नुकसान है. लेकिन उससे पहले पानी की महत्वता को देखते हुए आइये, जानें पानी किस स्थिति में, कब और कैसे पिये.

कुछ ऐसी स्थिति और बीमारी में पर्याप्त पानी पीना चाहिए.

जैसे – बुखार, बाल झड़ने पर, पथरी, तनाव, झुरियाँ, हैजा, पानी की कमी होने पर, यूरिन इन्फेक्शन, अधिक वर्कआउट की स्थिति में, अधिक गर्म मौसम में आदि ऐसी कई परिस्थितियाँ आने पर पानी भरपूर पीना चाहिए.

शारीरिक दृष्टि से पानी पीने का सही समय क्या है?

* 2-3 गिलास पानी सुबह खाली पेट पीने से शरीर की आंतरिक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है. सुबह खाली पेट पानी पीने की मात्रा आप अपने शरीर की क्षमतानुसार बढ़ा या घटा सकते है. लेकिन दो गिलास पानी पीने की कोशिश अवश्य करे.

* एक गिलास पानी स्नान के पश्चात पीने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है.

* दो गिलास पानी भोजन के आधे घंटे पहले पीने से हाजमा दुरुस्त रहता है.

* आधा गिलास पानी सोने से ठीक पहले पीने से हार्ट अटैक से बचाता है.

* प्यास लगने पर घुट-घुट पानी कभी भी पिया जा सकता है. इससे पानी की कमी नहीं होगी.

खड़े होकर पानी पीने के शारीरिक नुकसान –

इस अनियमित जीवनशैली में आजकल किसी के पास स्वयं के लिए भी समय नहीं है. जिसका घातक परिणाम शरीर को भुगतना पड़ता है. आज अधिकांश लोग जल्दबाजी में खड़े होकर पानी का सेवन करते है जिसका गलत प्रभाव शरीर पर जरूर पड़ता है.

* पाचन तंत्र – खड़े होकर पानी पीने से यह आसानी से प्रवाह हो जाता है और एक बड़ी मात्रा में नीचे खाद्य नलिका के द्वारा निचले पेट की दीवार पर गिरता है. इससे पेट की दीवार और आसपास के अंगों को क्षति पहुँचती है. एक दो बार इस तरह से पानी पीने से ऐसा नहीं होता. लेकिन लंबे समय तक ऐसा होने से पाचन तंत्र, दिल और किडनी में समस्या की संभावना बढ़ जाती है.

* ऑर्थराइटिस – खड़े होकर पानी पीने की आदत से घुटनों पर दबाव पड़ता है और इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है. इस आदत से जोड़ों में हमेशा दर्द रहने लगता है. इसलिए पानी का सेवन बैठकर करे और आराम से धीरे-धीरे पिए.

* गठिया – खड़े होकर पानी पीने से शरीर के अन्य द्रव्य पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है. जिससे हड्डियों के जोड़ वाले भागों में आवश्यक तरल पदार्थों की कमी होने लगती है और हड्डियाँ कमजोर होने लगती है. कमजोर हड्डियों के कारण जोड़ों में दर्द और गठिया जैसी समस्या पैदा हो जाती है. यह समस्या अन्य कई बीमारियों का भी कारण बनती है.

* किडनी – खड़े होकर पानी पीने के दौरान पानी तेज़ी से गुर्दे के माध्यम से होते हुए बिना ज्यादा छने गुजर जाता है. जिसके कारण खून में गंदगी जमा होने लगती है. इस गंदगी के कारण मूत्राशय, गुर्दे (किडनी) और दिल की बीमारियां होने की संभावना अधिक हो जाती हैं.

* पेट की समस्या – खड़े होकर पानी पीने से पानी की मात्रा शरीर में जरूरत से ज्यादा चली जाती है. शरीर में मौजूद वह पाचन रस काम करना बंद कर देता है, जिससे खाना पचता है. अधिक पानी की वजह से खाना देर से पचने लगता है और कई बार खाना पूरी तरह से डाइजेस्ट भी नहीं होता. जिसके परिणाम स्वरूप अपच, गैस, अल्सर आदि पेट की समस्या उत्पन्न हो जाती है. पानी हमेशा बैठकर ही पिए. कभी भी लेटकर या खड़े होकर पानी का सेवन ना करे.

अति करे क्षति, इस बात से सभी वाकिफ है. पानी अच्छी सेहत के लिए अनिवार्य है इसमें कोई मतभेद नहीं, लेकिन अनुचित तरीका और अनुचित मात्रा अच्छी सेहत को कब खराब कर दे पता भी नहीं चलता. जब भी प्यास लगे बैठकर पानी पीने का संकल्प ले. यह संकल्प आपकी सेहत को दुरुस्त बना के रखेगा. एक बात का विशेष ध्यान रखे, भोजन के पश्चात ठंडा पानी पीने से नुकसान होता है. दरअसल, गर्म खाने पर ठंडा पानी पीने से खाया हुआ ऑयली खाना जमने लगता है. जो धीरे-धीरे बाद में फैट में बदल जाता है. इससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. इसलिए भोजन के आधे घंटे पश्चात गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है. इस बात की पुष्टि हेल्थ विशेषज्ञों के द्वारा भी हुई है.

स्वच्छ और ताजा पानी सेहत की लिहाज से दवा का काम करता है. अगर आप इसका सेवन सही तरीके से करते है तो यह आपको कई बीमारियों से बचा के रखेगा. इस लेख से आपको यह महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी की कभी भी खड़े होकर पानी का सेवन नहीं करना चाहिए. यह आदत शरीर की सेहत के लिए घातक है. आदत छोटी सी है लेकिन इसके परिणाम बहुत खतरनाक है. अगर आप किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित है तो उचित होगा आप अपने डॉक्टर से संपर्क करे. क्योंकि कई ऐसी भी समस्या होती है जिसमें कुछ मामलों में कम पानी पीने की सलाह दी जाती है.

हमने आपसे सिर्फ ज्ञानवर्धक जानकारी साझा की है. अपनी सूझ-बुझ का इस्तेमाल हमेशा करे. सदैव खुश रहे और स्वस्थ रहे.

संगीत से मानव शरीर को अद्भुत फायदे


अगर आप संगीत सुनने के शौकीन है तो यह आपके लिए बहुत बड़ी खुश-खबरी है क्योंकि संगीत सुनने से तन और मन दोनों ही बहुत स्वस्थ होते हैं. रिसर्च यह बताती है अगर आप अपने पसंद का म्यूज़िक सुनते है तो आपका मूड खुश-मिजाज़ रहता है और सोचने-समझने की शक्ति भी बढ़ती है. इतना ही नहीं अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित है तो वो समस्या भी धीरे-धीरे सुधरने लगती हैं. संगीत यानी गीत का संग! रोजाना 20-30 मिनट संगीत के संग बिताने से हमारा अकेलापन व तनाव भी दूर होता हैं. लाइफ हैक मैगज़ीन के मुताबिक, महान भौतिक शास्त्री अल्बर्ट आइंस्टीन भी म्यूजिक सुनना बहुत पसंद करते थे. उनका मानना था कि अगर वह भौतिक शास्त्री नहीं होते, तो जरूर म्यूजिशियन बनते.

विलियम जेम्स, अमेरिकी दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक का कहना था- ”मैं इसलिए नहीं गाता, क्योंकि मैं खुश हूँ. बल्कि मैं गाता हूं इसलिए खुश हूँ.”

संगीत का असर हमारे तन और मन दोनों पर पड़ता है. इसलिए जब भी समय मिले संगीत जरूर सुने. इससे आप बुढ़ापे में भी अपने आपको फ्रेश महसूस करेंगे. उम्र के साथ आपका दिमाग तेज ही होगा क्योंकि संगीत से दिमाग की कसरत होती हैं. इसी वजह से आजकल अस्पतालों में भी संगीत का सहारा लिया जा रहा है क्योंकि देखा गया है जिन मरीजों को संगीत सुनाया जाता है उनके स्वस्थ होने में समय भी कम लगता हैं. संगीत अपने आपमें एक जादू है. इसलिए इसका चयन भी अच्छा ही होना चाहिए. क्योंकि हम जैसा म्यूज़िक सुनते है हमारा मूड भी वैसा ही हो जाता है. इसलिए जिस संगीत को हम पसंद नहीं करते उसे नहीं सुनना चाहिए. नहीं तो हम तनाव, उदासी, बेरूख़ी और बीती यादों में चले जाते है जो किसी भी लिहाज से हमारे मन-मस्तिष्क के लिए अच्छा नहीं हैं. हर व्यक्ति को अलग-अलग तरह का संगीत सुकून देता हैं. इसलिए जब हम अपनी पसंद का संगीत सुनते है तो वो हमारा मनोरंजन ही करता है. संगीत हमारी आत्मा को एक अनोखा सुकून देता है. संगीत सुनने से हम बच्चे की तरह शांत, खुश और निश्चिंत महसूस करते है.

म्यूजिक-न्यूरोसाइंस पर रिसर्च कर रहे साइकोलॉजिस्ट डेनियल जे. लेविटिन यह बताते है कि मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के मामले में संगीत चिकित्सा के नतीजे बेहद ही रोचक और सुखद हैं. इस रिसर्च से यह भी सामने आया की इससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर पॉज़िटिव असर पड़ता हैं. तनाव वाले हार्मोन कम होते है. इतना ही नहीं माँ की लोरी को भी महत्वपूर्ण माना गया हैं. क्योंकि लोरी सुनने की आदत से बच्चा शांत व सजग रहता है. बच्चे को नींद भी अच्छी आती है और वह बार-बार रोता भी नहीं. संगीत थैरेपी से गर्भावस्था के समय महिलाओं में भी तनाव को कम पाया गया.

संगीत सुनने की आदत आत्मा और शरीर के लिए एक दवा का काम करता हैं. कई रोगों में जहाँ दवा काम नहीं करती वहाँ संगीत अपना जादुई असर दिखाता हैं. क्योंकि संगीत इंसान में जीने की भावना को जन्म देता हैं. इस बात को कोई नहीं नकार सकता की संगीत हजारों सालों से हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा रहा है. पृथ्वी पर संगीत को हर संस्कृति में पूजा जाता है क्योंकि संगीत से ही हर संस्कृति की पहचान हैं. आइये जानें म्यूज़िक सुनने के शारारिक और मानसिक फायदे और कौन-कौन से हैं.

1. तनाव और चिंता दूर करे- संगीत सुनने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता हैं. कोर्टीसोल के स्तर को कम करके यह तनावग्रस्त मांसपेशियों के आराम को बढ़ावा देता है. जिससे आप पहले की तुलना में अधिक आशावादी और सकारात्मक महसूस करते हैं. कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है की म्यूज़िक सुनने से दिमाग रिलैक्स मोड़ में चला जाता है जिससे मसल्स को आराम मिलता है. हाल ही में टोक्यो में हुई एक रिसर्च के मुताबिक अगर इंसान संगीत का सहारा ले तो चिंता, डिप्रेशन, टेंशन के लेवल को कम कर सकता हैं. क्लासिकल म्यूजिक इसमें ज्यादा फायदेमंद हैं. रेग्युलर म्यूजिक सुनने से ब्रेन फंक्शन बेहतर होते हैं….इससे क्रिएटिविटी बढ़ती है.

2. दर्द कम करे- दर्द चाहे तन का हो या मन का, संगीत दोनों में ही अपनी छाप छोड़ता हैं. इस समस्या से निपटने के लिए संगीत में गजब की क्षमता होती हैं. एक अध्यन में पाया गया की असहनीय दर्द में जब रोगी को संगीत सुनाया गया तो वह अपने दर्द की प्रतिक्रिया देना भूल ही गया. क्योंकि दर्द और चिंता से पीड़ित लोग बहुत जल्दी संगीत में अवशोषित हो जाते हैं और दर्द से तुरंत राहत महसूस करते हैं. अलबर्टा यूनिवर्सिटी में 3-11 साल की उम्र के 42 बच्चों पर शौध किया गया. जिन बच्चों को अच्छा संगीत सुनाया गया, उन्हें इंजेक्शन लगाने के दौरान कम दर्द हुआ.

3. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता हैं- संगीत से आपके शरीर में इम्मुनोग्लोबुलिन ए में वृद्धि होती हैं. यह एंटीबॉडी श्लेष्म प्रणाली में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और कोशिकाओं को स्वस्थ रखती है. जिससे आपका इम्यून सिस्टम मजबूत बनता हैं. संक्रामक बीमारियों से पीड़ित रोगियों के उपचार के दौरान संगीत का असर प्रतिरक्षा प्रणाली पर सकारात्मक पड़ता हैं. अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और बार-बार बीमार होने से अपने आपको रोकने के लिए पसंदीदा म्यूज़िक सुनना जल्द शुरू करें.

4. बैक पेन को कम करे- ओटोनोमिक, नर्वस सिस्टम का एक पार्ट होता हैं. जो उच्च-रक्तचाप, दिल की धड़कन और दिमाग की कार्य-प्रणाली को कंट्रोल करता हैं. संगीत का सबसे ज्यादा असर भी इसी भाग पर पड़ता है वो भी सकारात्मक. जब कोई धीमा संगीत सुना जाता है तो उच्च-रक्तचाप और दिल की धड़कन भी धीमी हो जाती है. जिस वजह से हम आराम से और बेहतर सांस ले पाते हैं. बेहतर और पर्याप्त सांस लेने की वजह से पेट, कंधे, गले और बैक में मांसपेशियों का खिचाव कम हो जाता है जिससे हम गंभीर बैकपैन यानी पीठ दर्द से बच जाते हैं.
ऑस्ट्रीया में हुई एक रिसर्च में यह पाया गया की जिन लोगों को बैक सर्जरी के बाद म्यूज़िक थैरेपी दी गई उन्हें सर्जरी के बाद बैकपैन में बहुत राहत मिली. यह रिसर्च 21 से 28 साल के व्यक्तियों पर की गई थी.

5. वर्कआउट बेहतर होता है- संगीत आपकी थकान को दूर करके साइकोलॉजिकल उत्तेजना में वृद्धि करता है जिससे व्यायाम में सहायता मिलती है. ब्रूनल विश्वविधयालय में हुई रिसर्च के अनुसार संगीत और हृदय का व्यायाम के दौरान एक गहरा संबंध रहता है. इसलिए व्यायाम के वक्त उत्साहित संगीत सुनना ना भूले. एक्सपर्ट्स का मानना है वर्कआउट के समय संगीत सुनने से हमारी endurance में वृद्धि होती है जिससे कसरत के वक्त मूड अच्छा रहता हैं और हमें लंबे समय तक व्यायाम करने को प्रेरित करता हैं. इसलिए ही जिम में स्लो म्यूज़िक को प्ले किया जाता हैं.

6. मेमोरी तेज होती है- कुछ भी पढ़ते वक्त अगर आप अपनी पसंद का स्लो म्यूज़िक सुनते है तो पढ़ा हुआ बेहतर याद रहता है. संगीत सीखने की गति को तेज करता है क्योंकि संगीत डोपामाइन रिहाई को बढ़ाता है जो सीखने में मदद करता है. संगीत दिमागी रोगों से पीड़ित लोगों की भी मदद करता हैं. पसंदीदा म्यूज़िक सुनने से स्ट्रोक का खतरा कम होता है और ध्यान में भी एकाग्रता लाता है. कमजोर याददास्त वाले लोग शब्द भले ही भूल जायें लेकिन संगीत नहीं भूलते. ऐसा इसलिए होता है दिमाग का जो पार्ट संगीत प्रोसेस करता है ठीक उसके पास वाला पार्ट ही याददास्त से जुड़ा होता है. इसलिए मेमोरी का संगीत से अटूट संबंध हैं.

7. बच्चे निडर बनते हैं- अगर किसी बच्चे की सर्जरी होनी है और उसे इस दौरान म्यूज़िक सुनाया जायें तो बच्चे की मसल्स रिलैक्स मोड़ में चली जाती है और बच्चा पहले की तुलना में ज्यादा निडर महसूस करता है. म्यूज़िक के दौरान बच्चों को बीमारी में दर्द का अहसास भी कम होता है. जो बच्चे म्यूज़िक नहीं सुनते उनकी तुलना में म्यूज़िक सुनने वाले बच्चों के मस्तिष्क का विकास और मेमोरी भी बेहतर होती है.

8. नींद अच्छी आती है- अगर आप अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे है तो सोते समय सुखदायक संगीत सुनना शुरू कर दीजिए. रॉक या रेट्रो म्यूज़िक से रात को दूर रहे, नहीं तो परिणाम विपरीत भी आ सकते है. सोने से कुछ समय पहले शास्त्रीय संगीत को सुने. क्योंकि शास्त्रीय संगीत सहानुभूति तंत्रिका तंत्र की गतिविधि को कम करके चिंता को घटाता है, मांसपेशियों को आराम देता हैं और उन विचारों की व्याकुलता को दूर करता है जो आपके सोने में बाधक हैं. एक सुखद नींद के लिए सोने से पहले 30-45 मिनट का संगीत सुनने की आदत अवश्य डालें.

9. संगीत कम खाने में मददगार है- भोजन के दौरान अगर सॉफ्ट म्यूज़िक सुना जायें तो खाना खाने वाले का पेट जल्दी भरता है. संगीत ऐसे लोगों को जागरूक बनाता है की आपका पेट भर चुका है. एक शौध से यह सामने आया है की संगीत कैलोरी के सेवन को कम करके संयमी बनाने में मदद करता हैं. चिंता में व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट और वसा युक्त भोजन को खाने की ज्यादा इच्छा रखता है. जैसा की आप जानते है संगीत से चिंता भी दूर होती है और इससे आपको स्वस्थ खाने में मदद मिल सकती हैं.

10. रक्त वाहिका की कार्य प्रणाली को रखे दुरुस्त- जब आप खुशनुमा संगीत सुनते है तो आप अच्छा और खुश महसूस करते है. संगीत सुनते वक्त आपके दिल और रक्तवाहिका के कार्य पर पॉज़िटिव असर पड़ता है. संगीत से शरीर में Endothelium Functionality पर असर पड़ता है जिससे रक्त कोशिकाओं की परत बनती है. अच्छा म्यूज़िक सुनने से पैदा होने वाली भावनाओं का रक्तवाहिका के कार्य पर पॉज़िटिव असर पड़ता हैं. संगीत की आदत से नाइट्रिक ऑक्साइड बढ़ता है जिससे रक्तवाहिकाओं के विस्तार में मदद मिलती है. इससे रक्तवाहिकाएँ स्वस्थ और लचकदार बनती है.

11. हाई ब्लड-प्रेशर और स्ट्रोक में सुधार- रोजाना सुबह-शाम कुछ मिनटों तक संगीत सुनने से उच्च-रक्तचाप का स्तर सुधरता है. लाइट म्यूज़िक की आदत से स्ट्रोक की समस्या भी दूर होती है. संगीत हृदय की रिकवरी कर उसे मजबूत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता हैं. रिसर्च बताती है की संगीत में तीन तंत्रिका तंत्र होते है जिससे दिमाग रिलैक्स करता है और जिन मरीजों को स्ट्रोक की समस्या है उनकी भी रिकवरी में संगीत सहायक है. स्ट्रोक की समस्या अगर आ भी गई है तो भी बिस्तर पर स्लो म्यूज़िक सुने, इससे आराम तो मिलेगा ही साथ ही तनाव कम होगा और रिकवरी फास्ट होगी. संगीत दिमाग के क्षतिग्रस्त हिस्सों की रिकवरी उत्तेजित करता हैं. जिससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में बहुत सुधार आता है.

हर किसी के लिए संगीत कैसे है फायदेमंद

* पुरुष- शौध के अनुसार जो पुरुष रोजाना संगीत सुनते है वे दूसरों के मुकाबले में अधिक सकारात्मक होते है. जिससे उनकी निजी और कामकाजी जिंदगी सुखद होती है.

* औरत- अमेरिकन स्टडी यह दावा करती है जो महिला गर्भावस्था के समय संगीत को सुनती है उन्हें दर्द का सामना कम करना पड़ता है और डिलीवरी की भी कम चिंता करती है.

* बच्चे- हांगकांग की रिसर्च के अनुसार जो बच्चे संगीत की शिक्षा लेते है वे पढ़ाई में भी अव्वल रहते है. एक दूसरी रिसर्च यह भी कहती है ऐसे बच्चे अधिक मिलनसार, मददगार और एकाग्र होते है.

* वृद्ध- शौध के अनुसार जो व्यक्ति शुरू से ही संगीत का रियाज़ या सीखने में लीन रहते है वें बुढ़ापे में भी बेहतर तरीके से काम करते है. म्यूज़िक से दिमाग जवा रहता है इस कारण वे बुजुर्ग होने के बाद भी दिमाग से बेहतर सोच व समझ पाते हैं.

इतना ही नहीं संगीत से किसी भी प्रकार की सूजन कम होती है, रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है, सिरदर्द की प्रॉब्लम दूर होती हैं, ऐथलेटिक पर्फारमेंस अच्छी होती है, रक्त संबंधी और हृदय संबंधी रोगों से भी मुक्ति मिलती है. एंग्जाइटी में संगीत उतना ही लाभ देता है जितना दो घंटे की मसाज लेने से होता है. संगीत बेहतरीन मूड-एलीवेटर भी है. किसी भी तरह की सर्जरी के बाद अपना पसंदीदा पॉप, जैज या क्लासिकल म्यूजिक सुनने से मरीज के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है. फिनलैंड में हुई एक शौध के अनुसार इस तथ्य को बताया जाता है. विदेशों में संगीत थेरेपी का चलन बहुत ही आम है. लेकिन वर्तमान में लोगों की जीवनशैली बहुत से तनाव और परेशानियों से घिरी हुई है. हर किसी के पास काम तो बहुत है पर समय नहीं और इसी उधेड़बुन में संगीत तो क्या तनाव के बारे में भी सोचने का किसी के पास वक्त नहीं.

जिस तरह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक खाने की आवश्यकता पड़ती है ठीक उसी तरह हमारी आत्मा को स्वस्थ और सकारात्मक रखने के लिए संगीत की आवश्यकता पड़ती है. इसमें भारतीय रागा आपकी बहुत मदद कर सकता है क्योंकि रागा से हृदय गति में सबसे ज़्यादा सुधार आता है. आप चाहें कितने भी व्यस्त क्यों ना हो हम यही कहेंगे कुछ समय अपने लिए भी निकालिए और संगीत का संग अपनाइए. क्योंकि कई शौध यही बताती है संगीत का असर हमारे शरीर और मन दोनों पर पड़ता है.

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बर्फ के आश्चर्यचकित कर देने वाले 15 फायदे, जरूर पढ़ें

बर्फ के आश्चर्यचकित कर देने वाले 15 फायदे, जरूर पढ़ें

बर्फ को यूँ तो हम कई तरह से काम में लेते हैं चाहे जूस, शरबत या कोल्ड ड्रिंक आदि में डालनी हो या कोई चीज़ ठंडी करनी हो, लेकिन बर्फ के इनके अलावा भी कई ऐसे इस्तेमाल और फायदे होते हैं जिनके बारे में आपने पहले कभी नहीं सुना होगा ! तो आइये आपको भी बताते हैं बर्फ के कुछ ऐसे ही अलग फायदे जिन्हें जानकर आप भी चौंक जायेंगे !

1. कड़वी दवाई खाने के बाद हमारा मुँह का स्वाद खराब हो जाता है लेकिन अगर दवाई खाने से पहले मुँह में बर्फ का टुकड़ा रख लिया जाये तो फिर दवाई की कड़वाहट महसूस नहीं होती !

2. कई बार हम भरपेट खाना खा लेते हैं तो अपच की समस्या हो जाती है लेकिन अगर ऐसे में थोड़ी बर्फ खा ली जाये तो खाना जल्दी पच जाता है !

3. बर्फ के जरिये हम अपने चेहरे को भी निखार सकते हैं, अगर आपकी त्वचा में ढीलापन आने लगा है और चेहरे की चमक कम होने लगी है तो एक कपडे में बर्फ लेकर उसे चेहरे पर लगाएं इससे चेहरे की स्किन फिर से टाइट होगी और चेहरा चमकने लगेगा !

4. सिरदर्द से छुटकारा दिलाने में भी बर्फ बहुत उपयोगी है, जब भी सिर में दर्द हो रहा हो तो प्लास्टिक में बर्फ लेकर सिर पर रखें सिरदर्द तुरंत ठीक हो जायेगा !

5. चोट लग जाने पर उस जगह से खून बहने लगता है लेकिन अगर उस पर बर्फ लगाई जाये खून बहना तुरंत बन हो जाता है !

6. कांटा चुभ जाने पर काफी दर्द होता है और काँटा आसानी से नहीं निकलता लेकिन अगर उस जगह बर्फ लगाई जाये तो वो जगह सुन्न और नरम हो जाती है जिससे दर्द का एहसास कम होता है और इससे कांटा आसानी से निकल जाता है !

7. कोई अंदरूनी चोट लग जाने पर वहां खून जम जाता है और दर्द होता है लेकिन उस जगह बाहर बर्फ लगाई जाये तो दर्द कम हो जाता है और खून नहीं जमता !

8. नाक से खून निकलने पर नाक पर कपडे में लपेटकर बर्फ लगाने से खून निकलना बंद हो जाता है और दर्द कम होता है !

9. उल्टी आने पर अगर बर्फ का टुकड़ा चूसने से मन अच्छा होता है और उल्टी बन हो जाती है !

10. कई बार पैरों की एड़ियों में दर्द होता है लेकिन एड़ी पर बर्फ मलने से दर्द कम हो जाता है !

11. कई देर तक कंप्यूटर या मोबाइल पर काम करने से ऑंखें दर्द करने लगती हैं लेकिन ऐसी स्थिति में बर्फ के टुकड़े को कुछ देर आँखों पर रखने से आँखों की जलन और दर्द कम होता है ! साथ ही आँखों के काले घेरे दूर करने के लिए खीरे के रस और गुलाब जल को मिलाकर उसकी बर्फ जमा लें और फिर उस बर्फ से आँखों पर मालिश करें काले घेरे कम होने लगेंगे !

12. आइब्रो बनाते समय दर्द होता है लेकिन अगर उस जगह थोड़ी देर बर्फ लगाई जाये तो वो हिस्सा सुन्न हो जाता है और दर्द का एहसास कम होता है !

13. अगर आपके गले में खराश है तो गले पर बर्फ का टुकड़ा रगड़ें इससे गले की खराश दूर होती है !

14. शरीर का कोई अंग अगर जल जाये तो उस जगह तेज जलन और दर्द होता है और छाले भी पड़ जाते हैं लेकिन उस जगह तुरंत बर्फ लगाने से इन सभी समस्याओं में राहत मिलती है और दाग भी गहरा नहीं पड़ता !

15. पैर में मोच आने या इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द, सूजन और खुजली होने लगती है लेकिन उस जगह बर्फ मलने पर काफी आराम मिलता है !

Monday, June 19, 2017

अगर झड़ते बालो का इलाज चाहिए तो करें ये..

अगर झड़ते बालो का इलाज चाहिए तो करें ये

क्या आप बालो के झड़ने की समस्या से परेशां है तो यह नुस्खे आजमाए

आज के समय में बाल झड़ना सफ़ेद होना एक आम बीमारी है बच्चे से लेकर बड़ो तक यहाँ तक की महिलाओ के बाल भी झड़ रहे है यह बड़ी समस्या है क्यों की यह परेशानी जिसको होती है वह मेंटली तौर डिप्रेशन का शिकार हो जाता है बिना बालो के आदमी अपनी उम्र से ज्यादा का दिखता है और कई बार अपनी उम्र के लोगो के बीच ही शर्मिंदगी का एहसास होता है एक बात में आपको यहा साफ़ कर दू की इस बीमारी का अभी तक कोई परमानेनेट इलाज नहीं है आप चाहे तो हेयर ट्रांसप्लांट या क्लोनिंग का सहारा ले सकते है काफी अच्छा खर्च करने के बाद भी कोई स्थाई समाधान नहीं मिलता है बाजार में कई तरीके के तेल है है जो दावा करते है की वह हेयर फॉल रोक देंगे पर दावों में कितनी सचाई है यह आपको ही पता है।

क्या है इलाज ?
अगर इलाज की बात करे तो आप यहाँ कुछ घरेलू नुस्खे बता रहा हूँ जो आप इस्तेमाल कर सकते है

प्याज का जूस :- कुछ प्याज ले उनको पीस कर जूस निकाल ले फिर उसको बालो की जड़ो पर लगाए और 15 मिनट बाद धो ले पर शैम्पू 1 घंटे बाद इस्तेमाल करे यह एक पुराना नुस्खा है इसेज्यादातर लोग इस्तेमाल करते है |

नारियल का दूध :- ज्यादातर लोगो को पता है की नारियल बालो के लिए अच्छा होता है आप एक ताज़ा नारियल ले उसके गुदे को लेकर मिक्सी में पीस ले और उसको फ़िल्टर कर ले आपको दूध के रंग का पानी मिलेगा इसे अपने बालो पर लगाए यह बालो को मजबूती देता है पर यह नुस्खा आप सिर्फ गर्मियों में ही आजमाए

सेब का सिरका :- आप इसका इस्तेमाल सर की सफाई के लिए कर सकते है जो की स्कल को अचे से साफ़ करता है जिसके बाद आप कुछ भी सर अप्लाई करेंगे उसके पोषक तत्व बालो की जड़ो को मिलेंगे 15ml विनेगर में एक कप गुनगुना पानी मिलाये फिर सर को धो ले

एलोवेरा :- एलोवेरा कुदरत का एक चमत्कार है यह स्किन को चमकदार बनता है बालो की जड़ो को मजबूती देता है एलोवेरा को काट कर उसके पल्प को बालो की जड़ो पर लगाए |

इंडियन गूस बेरी ( अमला ) :- आमला बालो के लिए बहुत अच्छा होता है इसे खाने में इस्तेमाल करे यह आपके बालो को पोषक तत्व देगा व अमला का तेल्ल बालो पर इस्तेमाल करे | मेथी :- मेथी के कुछ बीज उन्हें रात में भिगो  दे सुबहे इसे छान ले फिर इसके पानी को सर पर इस्तेमाल करे 

क्या न करे ?

ज्यादा तनाव में न रहे |
सर की हलकी मालिश जरूर करे |
बालो को ज्यादा न रगड़े |
दुसरो की चीज़े बालो पर न इस्तेमाल करे |
तेल या शैम्पू ज्यादा न बदले |