Wednesday, June 21, 2017

क्यों नहीं पीना चाहिए खड़े होकर पानी


पानी! यह एक ऐसा प्राकृतिक संसाधन है जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. इसीलिए पानी को धरती का अमृत कहा गया हैं. पानी मानव शरीर के लिए अनिवार्य और आवश्यक तत्वों में से एक है. मानव शरीर पाँच तत्वों से निर्मित जीव है जिसमें 70% हिस्सा पानी से बना हुआ है. इसलिए 7-8 गिलास पानी का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए. इससे पाचन तंत्र, बाल व त्वचा स्वस्थ रहते है. पानी शरीर से बेकार पदार्थ को बाहर निकालता है और खून को साफ रखने में मदद करता है. पीने का पानी स्वच्छ और ताजा हो, बासी पानी में कुछ ऐसे जीवाणु पैदा हो जाते है जिसे पीने से वात, कफ और पित्त बढ़ता है. आगे हम अपने लेख में यह भी बताएंगे खड़े होकर पानी पीने के क्या-क्या शारीरिक नुकसान है. लेकिन उससे पहले पानी की महत्वता को देखते हुए आइये, जानें पानी किस स्थिति में, कब और कैसे पिये.

कुछ ऐसी स्थिति और बीमारी में पर्याप्त पानी पीना चाहिए.

जैसे – बुखार, बाल झड़ने पर, पथरी, तनाव, झुरियाँ, हैजा, पानी की कमी होने पर, यूरिन इन्फेक्शन, अधिक वर्कआउट की स्थिति में, अधिक गर्म मौसम में आदि ऐसी कई परिस्थितियाँ आने पर पानी भरपूर पीना चाहिए.

शारीरिक दृष्टि से पानी पीने का सही समय क्या है?

* 2-3 गिलास पानी सुबह खाली पेट पीने से शरीर की आंतरिक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है. सुबह खाली पेट पानी पीने की मात्रा आप अपने शरीर की क्षमतानुसार बढ़ा या घटा सकते है. लेकिन दो गिलास पानी पीने की कोशिश अवश्य करे.

* एक गिलास पानी स्नान के पश्चात पीने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है.

* दो गिलास पानी भोजन के आधे घंटे पहले पीने से हाजमा दुरुस्त रहता है.

* आधा गिलास पानी सोने से ठीक पहले पीने से हार्ट अटैक से बचाता है.

* प्यास लगने पर घुट-घुट पानी कभी भी पिया जा सकता है. इससे पानी की कमी नहीं होगी.

खड़े होकर पानी पीने के शारीरिक नुकसान –

इस अनियमित जीवनशैली में आजकल किसी के पास स्वयं के लिए भी समय नहीं है. जिसका घातक परिणाम शरीर को भुगतना पड़ता है. आज अधिकांश लोग जल्दबाजी में खड़े होकर पानी का सेवन करते है जिसका गलत प्रभाव शरीर पर जरूर पड़ता है.

* पाचन तंत्र – खड़े होकर पानी पीने से यह आसानी से प्रवाह हो जाता है और एक बड़ी मात्रा में नीचे खाद्य नलिका के द्वारा निचले पेट की दीवार पर गिरता है. इससे पेट की दीवार और आसपास के अंगों को क्षति पहुँचती है. एक दो बार इस तरह से पानी पीने से ऐसा नहीं होता. लेकिन लंबे समय तक ऐसा होने से पाचन तंत्र, दिल और किडनी में समस्या की संभावना बढ़ जाती है.

* ऑर्थराइटिस – खड़े होकर पानी पीने की आदत से घुटनों पर दबाव पड़ता है और इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है. इस आदत से जोड़ों में हमेशा दर्द रहने लगता है. इसलिए पानी का सेवन बैठकर करे और आराम से धीरे-धीरे पिए.

* गठिया – खड़े होकर पानी पीने से शरीर के अन्य द्रव्य पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है. जिससे हड्डियों के जोड़ वाले भागों में आवश्यक तरल पदार्थों की कमी होने लगती है और हड्डियाँ कमजोर होने लगती है. कमजोर हड्डियों के कारण जोड़ों में दर्द और गठिया जैसी समस्या पैदा हो जाती है. यह समस्या अन्य कई बीमारियों का भी कारण बनती है.

* किडनी – खड़े होकर पानी पीने के दौरान पानी तेज़ी से गुर्दे के माध्यम से होते हुए बिना ज्यादा छने गुजर जाता है. जिसके कारण खून में गंदगी जमा होने लगती है. इस गंदगी के कारण मूत्राशय, गुर्दे (किडनी) और दिल की बीमारियां होने की संभावना अधिक हो जाती हैं.

* पेट की समस्या – खड़े होकर पानी पीने से पानी की मात्रा शरीर में जरूरत से ज्यादा चली जाती है. शरीर में मौजूद वह पाचन रस काम करना बंद कर देता है, जिससे खाना पचता है. अधिक पानी की वजह से खाना देर से पचने लगता है और कई बार खाना पूरी तरह से डाइजेस्ट भी नहीं होता. जिसके परिणाम स्वरूप अपच, गैस, अल्सर आदि पेट की समस्या उत्पन्न हो जाती है. पानी हमेशा बैठकर ही पिए. कभी भी लेटकर या खड़े होकर पानी का सेवन ना करे.

अति करे क्षति, इस बात से सभी वाकिफ है. पानी अच्छी सेहत के लिए अनिवार्य है इसमें कोई मतभेद नहीं, लेकिन अनुचित तरीका और अनुचित मात्रा अच्छी सेहत को कब खराब कर दे पता भी नहीं चलता. जब भी प्यास लगे बैठकर पानी पीने का संकल्प ले. यह संकल्प आपकी सेहत को दुरुस्त बना के रखेगा. एक बात का विशेष ध्यान रखे, भोजन के पश्चात ठंडा पानी पीने से नुकसान होता है. दरअसल, गर्म खाने पर ठंडा पानी पीने से खाया हुआ ऑयली खाना जमने लगता है. जो धीरे-धीरे बाद में फैट में बदल जाता है. इससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. इसलिए भोजन के आधे घंटे पश्चात गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है. इस बात की पुष्टि हेल्थ विशेषज्ञों के द्वारा भी हुई है.

स्वच्छ और ताजा पानी सेहत की लिहाज से दवा का काम करता है. अगर आप इसका सेवन सही तरीके से करते है तो यह आपको कई बीमारियों से बचा के रखेगा. इस लेख से आपको यह महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी की कभी भी खड़े होकर पानी का सेवन नहीं करना चाहिए. यह आदत शरीर की सेहत के लिए घातक है. आदत छोटी सी है लेकिन इसके परिणाम बहुत खतरनाक है. अगर आप किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित है तो उचित होगा आप अपने डॉक्टर से संपर्क करे. क्योंकि कई ऐसी भी समस्या होती है जिसमें कुछ मामलों में कम पानी पीने की सलाह दी जाती है.

हमने आपसे सिर्फ ज्ञानवर्धक जानकारी साझा की है. अपनी सूझ-बुझ का इस्तेमाल हमेशा करे. सदैव खुश रहे और स्वस्थ रहे.

संगीत से मानव शरीर को अद्भुत फायदे


अगर आप संगीत सुनने के शौकीन है तो यह आपके लिए बहुत बड़ी खुश-खबरी है क्योंकि संगीत सुनने से तन और मन दोनों ही बहुत स्वस्थ होते हैं. रिसर्च यह बताती है अगर आप अपने पसंद का म्यूज़िक सुनते है तो आपका मूड खुश-मिजाज़ रहता है और सोचने-समझने की शक्ति भी बढ़ती है. इतना ही नहीं अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित है तो वो समस्या भी धीरे-धीरे सुधरने लगती हैं. संगीत यानी गीत का संग! रोजाना 20-30 मिनट संगीत के संग बिताने से हमारा अकेलापन व तनाव भी दूर होता हैं. लाइफ हैक मैगज़ीन के मुताबिक, महान भौतिक शास्त्री अल्बर्ट आइंस्टीन भी म्यूजिक सुनना बहुत पसंद करते थे. उनका मानना था कि अगर वह भौतिक शास्त्री नहीं होते, तो जरूर म्यूजिशियन बनते.

विलियम जेम्स, अमेरिकी दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक का कहना था- ”मैं इसलिए नहीं गाता, क्योंकि मैं खुश हूँ. बल्कि मैं गाता हूं इसलिए खुश हूँ.”

संगीत का असर हमारे तन और मन दोनों पर पड़ता है. इसलिए जब भी समय मिले संगीत जरूर सुने. इससे आप बुढ़ापे में भी अपने आपको फ्रेश महसूस करेंगे. उम्र के साथ आपका दिमाग तेज ही होगा क्योंकि संगीत से दिमाग की कसरत होती हैं. इसी वजह से आजकल अस्पतालों में भी संगीत का सहारा लिया जा रहा है क्योंकि देखा गया है जिन मरीजों को संगीत सुनाया जाता है उनके स्वस्थ होने में समय भी कम लगता हैं. संगीत अपने आपमें एक जादू है. इसलिए इसका चयन भी अच्छा ही होना चाहिए. क्योंकि हम जैसा म्यूज़िक सुनते है हमारा मूड भी वैसा ही हो जाता है. इसलिए जिस संगीत को हम पसंद नहीं करते उसे नहीं सुनना चाहिए. नहीं तो हम तनाव, उदासी, बेरूख़ी और बीती यादों में चले जाते है जो किसी भी लिहाज से हमारे मन-मस्तिष्क के लिए अच्छा नहीं हैं. हर व्यक्ति को अलग-अलग तरह का संगीत सुकून देता हैं. इसलिए जब हम अपनी पसंद का संगीत सुनते है तो वो हमारा मनोरंजन ही करता है. संगीत हमारी आत्मा को एक अनोखा सुकून देता है. संगीत सुनने से हम बच्चे की तरह शांत, खुश और निश्चिंत महसूस करते है.

म्यूजिक-न्यूरोसाइंस पर रिसर्च कर रहे साइकोलॉजिस्ट डेनियल जे. लेविटिन यह बताते है कि मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के मामले में संगीत चिकित्सा के नतीजे बेहद ही रोचक और सुखद हैं. इस रिसर्च से यह भी सामने आया की इससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर पॉज़िटिव असर पड़ता हैं. तनाव वाले हार्मोन कम होते है. इतना ही नहीं माँ की लोरी को भी महत्वपूर्ण माना गया हैं. क्योंकि लोरी सुनने की आदत से बच्चा शांत व सजग रहता है. बच्चे को नींद भी अच्छी आती है और वह बार-बार रोता भी नहीं. संगीत थैरेपी से गर्भावस्था के समय महिलाओं में भी तनाव को कम पाया गया.

संगीत सुनने की आदत आत्मा और शरीर के लिए एक दवा का काम करता हैं. कई रोगों में जहाँ दवा काम नहीं करती वहाँ संगीत अपना जादुई असर दिखाता हैं. क्योंकि संगीत इंसान में जीने की भावना को जन्म देता हैं. इस बात को कोई नहीं नकार सकता की संगीत हजारों सालों से हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा रहा है. पृथ्वी पर संगीत को हर संस्कृति में पूजा जाता है क्योंकि संगीत से ही हर संस्कृति की पहचान हैं. आइये जानें म्यूज़िक सुनने के शारारिक और मानसिक फायदे और कौन-कौन से हैं.

1. तनाव और चिंता दूर करे- संगीत सुनने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता हैं. कोर्टीसोल के स्तर को कम करके यह तनावग्रस्त मांसपेशियों के आराम को बढ़ावा देता है. जिससे आप पहले की तुलना में अधिक आशावादी और सकारात्मक महसूस करते हैं. कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है की म्यूज़िक सुनने से दिमाग रिलैक्स मोड़ में चला जाता है जिससे मसल्स को आराम मिलता है. हाल ही में टोक्यो में हुई एक रिसर्च के मुताबिक अगर इंसान संगीत का सहारा ले तो चिंता, डिप्रेशन, टेंशन के लेवल को कम कर सकता हैं. क्लासिकल म्यूजिक इसमें ज्यादा फायदेमंद हैं. रेग्युलर म्यूजिक सुनने से ब्रेन फंक्शन बेहतर होते हैं….इससे क्रिएटिविटी बढ़ती है.

2. दर्द कम करे- दर्द चाहे तन का हो या मन का, संगीत दोनों में ही अपनी छाप छोड़ता हैं. इस समस्या से निपटने के लिए संगीत में गजब की क्षमता होती हैं. एक अध्यन में पाया गया की असहनीय दर्द में जब रोगी को संगीत सुनाया गया तो वह अपने दर्द की प्रतिक्रिया देना भूल ही गया. क्योंकि दर्द और चिंता से पीड़ित लोग बहुत जल्दी संगीत में अवशोषित हो जाते हैं और दर्द से तुरंत राहत महसूस करते हैं. अलबर्टा यूनिवर्सिटी में 3-11 साल की उम्र के 42 बच्चों पर शौध किया गया. जिन बच्चों को अच्छा संगीत सुनाया गया, उन्हें इंजेक्शन लगाने के दौरान कम दर्द हुआ.

3. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता हैं- संगीत से आपके शरीर में इम्मुनोग्लोबुलिन ए में वृद्धि होती हैं. यह एंटीबॉडी श्लेष्म प्रणाली में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और कोशिकाओं को स्वस्थ रखती है. जिससे आपका इम्यून सिस्टम मजबूत बनता हैं. संक्रामक बीमारियों से पीड़ित रोगियों के उपचार के दौरान संगीत का असर प्रतिरक्षा प्रणाली पर सकारात्मक पड़ता हैं. अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और बार-बार बीमार होने से अपने आपको रोकने के लिए पसंदीदा म्यूज़िक सुनना जल्द शुरू करें.

4. बैक पेन को कम करे- ओटोनोमिक, नर्वस सिस्टम का एक पार्ट होता हैं. जो उच्च-रक्तचाप, दिल की धड़कन और दिमाग की कार्य-प्रणाली को कंट्रोल करता हैं. संगीत का सबसे ज्यादा असर भी इसी भाग पर पड़ता है वो भी सकारात्मक. जब कोई धीमा संगीत सुना जाता है तो उच्च-रक्तचाप और दिल की धड़कन भी धीमी हो जाती है. जिस वजह से हम आराम से और बेहतर सांस ले पाते हैं. बेहतर और पर्याप्त सांस लेने की वजह से पेट, कंधे, गले और बैक में मांसपेशियों का खिचाव कम हो जाता है जिससे हम गंभीर बैकपैन यानी पीठ दर्द से बच जाते हैं.
ऑस्ट्रीया में हुई एक रिसर्च में यह पाया गया की जिन लोगों को बैक सर्जरी के बाद म्यूज़िक थैरेपी दी गई उन्हें सर्जरी के बाद बैकपैन में बहुत राहत मिली. यह रिसर्च 21 से 28 साल के व्यक्तियों पर की गई थी.

5. वर्कआउट बेहतर होता है- संगीत आपकी थकान को दूर करके साइकोलॉजिकल उत्तेजना में वृद्धि करता है जिससे व्यायाम में सहायता मिलती है. ब्रूनल विश्वविधयालय में हुई रिसर्च के अनुसार संगीत और हृदय का व्यायाम के दौरान एक गहरा संबंध रहता है. इसलिए व्यायाम के वक्त उत्साहित संगीत सुनना ना भूले. एक्सपर्ट्स का मानना है वर्कआउट के समय संगीत सुनने से हमारी endurance में वृद्धि होती है जिससे कसरत के वक्त मूड अच्छा रहता हैं और हमें लंबे समय तक व्यायाम करने को प्रेरित करता हैं. इसलिए ही जिम में स्लो म्यूज़िक को प्ले किया जाता हैं.

6. मेमोरी तेज होती है- कुछ भी पढ़ते वक्त अगर आप अपनी पसंद का स्लो म्यूज़िक सुनते है तो पढ़ा हुआ बेहतर याद रहता है. संगीत सीखने की गति को तेज करता है क्योंकि संगीत डोपामाइन रिहाई को बढ़ाता है जो सीखने में मदद करता है. संगीत दिमागी रोगों से पीड़ित लोगों की भी मदद करता हैं. पसंदीदा म्यूज़िक सुनने से स्ट्रोक का खतरा कम होता है और ध्यान में भी एकाग्रता लाता है. कमजोर याददास्त वाले लोग शब्द भले ही भूल जायें लेकिन संगीत नहीं भूलते. ऐसा इसलिए होता है दिमाग का जो पार्ट संगीत प्रोसेस करता है ठीक उसके पास वाला पार्ट ही याददास्त से जुड़ा होता है. इसलिए मेमोरी का संगीत से अटूट संबंध हैं.

7. बच्चे निडर बनते हैं- अगर किसी बच्चे की सर्जरी होनी है और उसे इस दौरान म्यूज़िक सुनाया जायें तो बच्चे की मसल्स रिलैक्स मोड़ में चली जाती है और बच्चा पहले की तुलना में ज्यादा निडर महसूस करता है. म्यूज़िक के दौरान बच्चों को बीमारी में दर्द का अहसास भी कम होता है. जो बच्चे म्यूज़िक नहीं सुनते उनकी तुलना में म्यूज़िक सुनने वाले बच्चों के मस्तिष्क का विकास और मेमोरी भी बेहतर होती है.

8. नींद अच्छी आती है- अगर आप अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे है तो सोते समय सुखदायक संगीत सुनना शुरू कर दीजिए. रॉक या रेट्रो म्यूज़िक से रात को दूर रहे, नहीं तो परिणाम विपरीत भी आ सकते है. सोने से कुछ समय पहले शास्त्रीय संगीत को सुने. क्योंकि शास्त्रीय संगीत सहानुभूति तंत्रिका तंत्र की गतिविधि को कम करके चिंता को घटाता है, मांसपेशियों को आराम देता हैं और उन विचारों की व्याकुलता को दूर करता है जो आपके सोने में बाधक हैं. एक सुखद नींद के लिए सोने से पहले 30-45 मिनट का संगीत सुनने की आदत अवश्य डालें.

9. संगीत कम खाने में मददगार है- भोजन के दौरान अगर सॉफ्ट म्यूज़िक सुना जायें तो खाना खाने वाले का पेट जल्दी भरता है. संगीत ऐसे लोगों को जागरूक बनाता है की आपका पेट भर चुका है. एक शौध से यह सामने आया है की संगीत कैलोरी के सेवन को कम करके संयमी बनाने में मदद करता हैं. चिंता में व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट और वसा युक्त भोजन को खाने की ज्यादा इच्छा रखता है. जैसा की आप जानते है संगीत से चिंता भी दूर होती है और इससे आपको स्वस्थ खाने में मदद मिल सकती हैं.

10. रक्त वाहिका की कार्य प्रणाली को रखे दुरुस्त- जब आप खुशनुमा संगीत सुनते है तो आप अच्छा और खुश महसूस करते है. संगीत सुनते वक्त आपके दिल और रक्तवाहिका के कार्य पर पॉज़िटिव असर पड़ता है. संगीत से शरीर में Endothelium Functionality पर असर पड़ता है जिससे रक्त कोशिकाओं की परत बनती है. अच्छा म्यूज़िक सुनने से पैदा होने वाली भावनाओं का रक्तवाहिका के कार्य पर पॉज़िटिव असर पड़ता हैं. संगीत की आदत से नाइट्रिक ऑक्साइड बढ़ता है जिससे रक्तवाहिकाओं के विस्तार में मदद मिलती है. इससे रक्तवाहिकाएँ स्वस्थ और लचकदार बनती है.

11. हाई ब्लड-प्रेशर और स्ट्रोक में सुधार- रोजाना सुबह-शाम कुछ मिनटों तक संगीत सुनने से उच्च-रक्तचाप का स्तर सुधरता है. लाइट म्यूज़िक की आदत से स्ट्रोक की समस्या भी दूर होती है. संगीत हृदय की रिकवरी कर उसे मजबूत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता हैं. रिसर्च बताती है की संगीत में तीन तंत्रिका तंत्र होते है जिससे दिमाग रिलैक्स करता है और जिन मरीजों को स्ट्रोक की समस्या है उनकी भी रिकवरी में संगीत सहायक है. स्ट्रोक की समस्या अगर आ भी गई है तो भी बिस्तर पर स्लो म्यूज़िक सुने, इससे आराम तो मिलेगा ही साथ ही तनाव कम होगा और रिकवरी फास्ट होगी. संगीत दिमाग के क्षतिग्रस्त हिस्सों की रिकवरी उत्तेजित करता हैं. जिससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में बहुत सुधार आता है.

हर किसी के लिए संगीत कैसे है फायदेमंद

* पुरुष- शौध के अनुसार जो पुरुष रोजाना संगीत सुनते है वे दूसरों के मुकाबले में अधिक सकारात्मक होते है. जिससे उनकी निजी और कामकाजी जिंदगी सुखद होती है.

* औरत- अमेरिकन स्टडी यह दावा करती है जो महिला गर्भावस्था के समय संगीत को सुनती है उन्हें दर्द का सामना कम करना पड़ता है और डिलीवरी की भी कम चिंता करती है.

* बच्चे- हांगकांग की रिसर्च के अनुसार जो बच्चे संगीत की शिक्षा लेते है वे पढ़ाई में भी अव्वल रहते है. एक दूसरी रिसर्च यह भी कहती है ऐसे बच्चे अधिक मिलनसार, मददगार और एकाग्र होते है.

* वृद्ध- शौध के अनुसार जो व्यक्ति शुरू से ही संगीत का रियाज़ या सीखने में लीन रहते है वें बुढ़ापे में भी बेहतर तरीके से काम करते है. म्यूज़िक से दिमाग जवा रहता है इस कारण वे बुजुर्ग होने के बाद भी दिमाग से बेहतर सोच व समझ पाते हैं.

इतना ही नहीं संगीत से किसी भी प्रकार की सूजन कम होती है, रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है, सिरदर्द की प्रॉब्लम दूर होती हैं, ऐथलेटिक पर्फारमेंस अच्छी होती है, रक्त संबंधी और हृदय संबंधी रोगों से भी मुक्ति मिलती है. एंग्जाइटी में संगीत उतना ही लाभ देता है जितना दो घंटे की मसाज लेने से होता है. संगीत बेहतरीन मूड-एलीवेटर भी है. किसी भी तरह की सर्जरी के बाद अपना पसंदीदा पॉप, जैज या क्लासिकल म्यूजिक सुनने से मरीज के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है. फिनलैंड में हुई एक शौध के अनुसार इस तथ्य को बताया जाता है. विदेशों में संगीत थेरेपी का चलन बहुत ही आम है. लेकिन वर्तमान में लोगों की जीवनशैली बहुत से तनाव और परेशानियों से घिरी हुई है. हर किसी के पास काम तो बहुत है पर समय नहीं और इसी उधेड़बुन में संगीत तो क्या तनाव के बारे में भी सोचने का किसी के पास वक्त नहीं.

जिस तरह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक खाने की आवश्यकता पड़ती है ठीक उसी तरह हमारी आत्मा को स्वस्थ और सकारात्मक रखने के लिए संगीत की आवश्यकता पड़ती है. इसमें भारतीय रागा आपकी बहुत मदद कर सकता है क्योंकि रागा से हृदय गति में सबसे ज़्यादा सुधार आता है. आप चाहें कितने भी व्यस्त क्यों ना हो हम यही कहेंगे कुछ समय अपने लिए भी निकालिए और संगीत का संग अपनाइए. क्योंकि कई शौध यही बताती है संगीत का असर हमारे शरीर और मन दोनों पर पड़ता है.

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बर्फ के आश्चर्यचकित कर देने वाले 15 फायदे, जरूर पढ़ें

बर्फ के आश्चर्यचकित कर देने वाले 15 फायदे, जरूर पढ़ें

बर्फ को यूँ तो हम कई तरह से काम में लेते हैं चाहे जूस, शरबत या कोल्ड ड्रिंक आदि में डालनी हो या कोई चीज़ ठंडी करनी हो, लेकिन बर्फ के इनके अलावा भी कई ऐसे इस्तेमाल और फायदे होते हैं जिनके बारे में आपने पहले कभी नहीं सुना होगा ! तो आइये आपको भी बताते हैं बर्फ के कुछ ऐसे ही अलग फायदे जिन्हें जानकर आप भी चौंक जायेंगे !

1. कड़वी दवाई खाने के बाद हमारा मुँह का स्वाद खराब हो जाता है लेकिन अगर दवाई खाने से पहले मुँह में बर्फ का टुकड़ा रख लिया जाये तो फिर दवाई की कड़वाहट महसूस नहीं होती !

2. कई बार हम भरपेट खाना खा लेते हैं तो अपच की समस्या हो जाती है लेकिन अगर ऐसे में थोड़ी बर्फ खा ली जाये तो खाना जल्दी पच जाता है !

3. बर्फ के जरिये हम अपने चेहरे को भी निखार सकते हैं, अगर आपकी त्वचा में ढीलापन आने लगा है और चेहरे की चमक कम होने लगी है तो एक कपडे में बर्फ लेकर उसे चेहरे पर लगाएं इससे चेहरे की स्किन फिर से टाइट होगी और चेहरा चमकने लगेगा !

4. सिरदर्द से छुटकारा दिलाने में भी बर्फ बहुत उपयोगी है, जब भी सिर में दर्द हो रहा हो तो प्लास्टिक में बर्फ लेकर सिर पर रखें सिरदर्द तुरंत ठीक हो जायेगा !

5. चोट लग जाने पर उस जगह से खून बहने लगता है लेकिन अगर उस पर बर्फ लगाई जाये खून बहना तुरंत बन हो जाता है !

6. कांटा चुभ जाने पर काफी दर्द होता है और काँटा आसानी से नहीं निकलता लेकिन अगर उस जगह बर्फ लगाई जाये तो वो जगह सुन्न और नरम हो जाती है जिससे दर्द का एहसास कम होता है और इससे कांटा आसानी से निकल जाता है !

7. कोई अंदरूनी चोट लग जाने पर वहां खून जम जाता है और दर्द होता है लेकिन उस जगह बाहर बर्फ लगाई जाये तो दर्द कम हो जाता है और खून नहीं जमता !

8. नाक से खून निकलने पर नाक पर कपडे में लपेटकर बर्फ लगाने से खून निकलना बंद हो जाता है और दर्द कम होता है !

9. उल्टी आने पर अगर बर्फ का टुकड़ा चूसने से मन अच्छा होता है और उल्टी बन हो जाती है !

10. कई बार पैरों की एड़ियों में दर्द होता है लेकिन एड़ी पर बर्फ मलने से दर्द कम हो जाता है !

11. कई देर तक कंप्यूटर या मोबाइल पर काम करने से ऑंखें दर्द करने लगती हैं लेकिन ऐसी स्थिति में बर्फ के टुकड़े को कुछ देर आँखों पर रखने से आँखों की जलन और दर्द कम होता है ! साथ ही आँखों के काले घेरे दूर करने के लिए खीरे के रस और गुलाब जल को मिलाकर उसकी बर्फ जमा लें और फिर उस बर्फ से आँखों पर मालिश करें काले घेरे कम होने लगेंगे !

12. आइब्रो बनाते समय दर्द होता है लेकिन अगर उस जगह थोड़ी देर बर्फ लगाई जाये तो वो हिस्सा सुन्न हो जाता है और दर्द का एहसास कम होता है !

13. अगर आपके गले में खराश है तो गले पर बर्फ का टुकड़ा रगड़ें इससे गले की खराश दूर होती है !

14. शरीर का कोई अंग अगर जल जाये तो उस जगह तेज जलन और दर्द होता है और छाले भी पड़ जाते हैं लेकिन उस जगह तुरंत बर्फ लगाने से इन सभी समस्याओं में राहत मिलती है और दाग भी गहरा नहीं पड़ता !

15. पैर में मोच आने या इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द, सूजन और खुजली होने लगती है लेकिन उस जगह बर्फ मलने पर काफी आराम मिलता है !

Monday, June 19, 2017

अगर झड़ते बालो का इलाज चाहिए तो करें ये..

अगर झड़ते बालो का इलाज चाहिए तो करें ये

क्या आप बालो के झड़ने की समस्या से परेशां है तो यह नुस्खे आजमाए

आज के समय में बाल झड़ना सफ़ेद होना एक आम बीमारी है बच्चे से लेकर बड़ो तक यहाँ तक की महिलाओ के बाल भी झड़ रहे है यह बड़ी समस्या है क्यों की यह परेशानी जिसको होती है वह मेंटली तौर डिप्रेशन का शिकार हो जाता है बिना बालो के आदमी अपनी उम्र से ज्यादा का दिखता है और कई बार अपनी उम्र के लोगो के बीच ही शर्मिंदगी का एहसास होता है एक बात में आपको यहा साफ़ कर दू की इस बीमारी का अभी तक कोई परमानेनेट इलाज नहीं है आप चाहे तो हेयर ट्रांसप्लांट या क्लोनिंग का सहारा ले सकते है काफी अच्छा खर्च करने के बाद भी कोई स्थाई समाधान नहीं मिलता है बाजार में कई तरीके के तेल है है जो दावा करते है की वह हेयर फॉल रोक देंगे पर दावों में कितनी सचाई है यह आपको ही पता है।

क्या है इलाज ?
अगर इलाज की बात करे तो आप यहाँ कुछ घरेलू नुस्खे बता रहा हूँ जो आप इस्तेमाल कर सकते है

प्याज का जूस :- कुछ प्याज ले उनको पीस कर जूस निकाल ले फिर उसको बालो की जड़ो पर लगाए और 15 मिनट बाद धो ले पर शैम्पू 1 घंटे बाद इस्तेमाल करे यह एक पुराना नुस्खा है इसेज्यादातर लोग इस्तेमाल करते है |

नारियल का दूध :- ज्यादातर लोगो को पता है की नारियल बालो के लिए अच्छा होता है आप एक ताज़ा नारियल ले उसके गुदे को लेकर मिक्सी में पीस ले और उसको फ़िल्टर कर ले आपको दूध के रंग का पानी मिलेगा इसे अपने बालो पर लगाए यह बालो को मजबूती देता है पर यह नुस्खा आप सिर्फ गर्मियों में ही आजमाए

सेब का सिरका :- आप इसका इस्तेमाल सर की सफाई के लिए कर सकते है जो की स्कल को अचे से साफ़ करता है जिसके बाद आप कुछ भी सर अप्लाई करेंगे उसके पोषक तत्व बालो की जड़ो को मिलेंगे 15ml विनेगर में एक कप गुनगुना पानी मिलाये फिर सर को धो ले

एलोवेरा :- एलोवेरा कुदरत का एक चमत्कार है यह स्किन को चमकदार बनता है बालो की जड़ो को मजबूती देता है एलोवेरा को काट कर उसके पल्प को बालो की जड़ो पर लगाए |

इंडियन गूस बेरी ( अमला ) :- आमला बालो के लिए बहुत अच्छा होता है इसे खाने में इस्तेमाल करे यह आपके बालो को पोषक तत्व देगा व अमला का तेल्ल बालो पर इस्तेमाल करे | मेथी :- मेथी के कुछ बीज उन्हें रात में भिगो  दे सुबहे इसे छान ले फिर इसके पानी को सर पर इस्तेमाल करे 

क्या न करे ?

ज्यादा तनाव में न रहे |
सर की हलकी मालिश जरूर करे |
बालो को ज्यादा न रगड़े |
दुसरो की चीज़े बालो पर न इस्तेमाल करे |
तेल या शैम्पू ज्यादा न बदले |

किससे बनता है कैप्सूल का ऊपरी हिस्सा, जानकर बहुत से लोगों को घिन आ सकती है


फोटोःरॉयटर्स

मैं दवाई खाने में बड़ा कच्चा रहा हूं हमेशा. गोली खाने में अड़ जाता था. लेकिन मेरी मम्मी कभी हार नहीं मानती थीं. कभी गोली के दो टुकड़े कर के खिलातीं, कभी गोली को पीस कर चम्मच में घोल के. एक हाथ से मेरी नाक बंद करती थीं, दूसरे से मेरे मुंह में चम्मच घुसेड़ देती थीं. जो गोली कुछ कड़वी लगनी होती, वो घुल कर गले से उतरते हुए पूरा मुंह बेस्वाद करती जाती थी. इसलिए मैं हमेशा मनाता था कि डॉक्टर दवा लिखे, तो कैप्सूल वाली लिख दे. वो निगली भी आसानी से जा सकती है और कड़वी भी नहीं होती.

लेकिन अपनी फेवरेट गोली को लेकर मेरे मन में हमेशा सवाल रहता कि ये प्लास्टिक जैसा है क्या. और अगर प्लास्टिक है तो शरीर के अंदर घुलता कैसे है. यही आपमें से कई लोगों का डाउट होगा. तो आज इस ‘प्लास्टिक’ के बारे में जानेंगे जो शरीर में घुल जाता है और तबीयत भी ठीक हो जाती है.

ये टैबलेट है. कैप्सूल की तरह इसमें दवा पर कोई परत नहीं होती. (फोटोःरॉयटर्स)

कैप्सूल – जिसका आपके ठीक होने में अपना कोई रोल नहीं होता

कैप्सूल अपने आप में दवा नहीं होती. ये एक तरह की डिब्बी है. दवा अंदर होती है. इतना आप जानते ही हैं. अब जानिए कैप्सूल माने कि उस दवा के ऊपर वाला छिलका किससे बनता है:

सॉफ्ट कैप्सूल : नाम की तरह ही ये सॉफ्ट होती है. हाथ से दबाएंगे तो दबने लगती है. ये एक तरह का जेल (वो जेल नहीं, जिसमें कैदी रहते हैं, बल्कि जेल पेन टाइप का जेल) होता है. दवा इस जेल के लेयर के अंदर होती है. ये जेल कई तरह से बन सकता है, लेकिन आमतौर पर कॉड लिवर ऑयल इस्तेमाल होता है. कॉड मछली की एक प्रजाति है, तो कॉड लिवर ऑयल हुआ मच्छी का तेल.

हार्ड जिलेटिन कैप्सूलः यही वो कैप्सूल है, जो लोगों को कंफ्यूज़ करता है कि प्लास्टिक खा रहे हैं. इस कैप्सूल में लगने वाला मैटेरियल जिलेटिन होता है. ये एक तरह का पॉलिमर ही है, लेकिन प्लास्टिक से अलग (इसलिए प्लास्टिक जैसा लगता भी है.) जिलेटिन एक तरह का प्रोटीन होता है. वही प्रोटीन जो आपके शरीर में भी है. अब आपके शरीर से निकला प्रोटीन तो कैप्सूल बनाने के लिए इस्तेमाल किया नहीं जा सकता. तो कैप्सूल में काम आने वाला प्रोटीन जानवरों के शरीर से निकाला जाता है. मरने के बाद जानवरों की हड्डियों और चमड़ी को डीहाइड्रेट करने पर जिलेटिन मिलता है.

हार्ड जिलेटिन कैप्सूल (फोटोःरॉयटर्स)

सॉफ्ट जिलेटिन कैप्सूलः ये वो सॉफ्ट कैप्सूल होते हैं, जिनमें जेल के लिए जिलेटिन का इस्तेमाल होता है.

मीट और बीफ के कारखानों में हड्डियां और चमड़ी एक बाय-प्रॉडक्ट के तौर पर निकलती हैं. इसलिए जिलेटिन के लिए कच्चा माल आसानी से मिल जाता है और ये सस्ता होता है.

कैप्सूल का सबसे आम फायदा तो उसे खाने में होने वाली आसानी ही है. दूसरा फायदा ये है कि एक कवच में बंद रहने से दवा की शुद्धता बनी रहती है. दुनिया भर में कैप्सूल की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है.

‘वेज’ कैप्सूल

हार्ड जिलेटिन कैप्सूल पूरी तरह से सुरक्षित होता है. लेकिन कुछ वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि एनिमल प्रोटीन होने की वजह से कैप्सूल उतना स्टेबल नहीं रहता. इसकी जगह HPMC (hydroxyl propyl methyl cellulose) को इस्तेमाल किया जा सकता है. ये सेल्यूलोस पेड़-पौधों में पाया जाता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये कौड़ियों के भाव मिलता है. HPMC कैप्सूल जिलेटिन वाले कैप्सूल के मुकाबले 2 से 3 गुना महंगा होता है. इन्हें बनाने की तकनीक सबके पास नहीं है और फिलहाल इनका बड़े पैमाने पर निर्माण शुरू ही हुआ है.

HPMC कैप्सूल (Capsugel)

तो क्या कैप्सूल में वेज-नॉन वेज की बहस है?

कैप्सूल में लगने वाले कच्चे माल के आधार पर इस तरह की छवि बनती है कि एक तरह का कैप्सूल नॉन-वेज हुआ और दूसरा वेज. लेकिन ये पूरी तरह सही नहीं है. अव्वल तो HPMC कैप्सूल सेल्यूलोस पड़ने के बावजूद एक सिंथेटिक मैटेरियल है, इसलिए उसे वेजिटेरियन कहना पूरी तरह से सही नहीं होता, कम से कम उन अर्थों में जिनमें हम खाने-पीने की चीज़ों को वेजिटेरियन मानते हैं. तो आप जिलेटिन को ‘नॉन-वेज’ कहने की लाख ज़िद कर लें, आपके पास उसका ‘वेज’ पर्याय नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस की रपट के मुताबिक पिछले साल भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सुझाव दिया था कि HPMC कैप्सूल के पत्तों पर ‘वेजिटेरियन’ दर्शाने वाला हरा डॉट लगाया जाए. लेकिन ड्रग टेक्निकल एडवाइज़री बोर्ड ने इसे गैरज़रूरी माना. बोर्ड की राय में दवाइयों को वेज-नॉनवेज में बांटना ठीक नहीं समझा गया.

सॉफ्ट जिलेटिन कैप्सूल  (फोटोःइंडिया मार्ट)

फिर भी केंद्र में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी भारत में HPMC कैप्सूल का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए लगातार स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखती रही हैं. सरकार इस पर एक्शन भी ले रही है और आने वाले समय में हो सकता है कि भारत में सभी कैप्सूल ‘वेजिटेरियन’ हो जाएं. इस पर माथा-पच्ची करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक एक्सपर्ट कमिटी बना भी दी है. अंतिम फैसले में अभी वक्त है. यदि HPMC कैप्सूल का बड़े इस्तेमाल होना भी हुआ, तो उसके लिए नियम बनाने होंगे और उन्हें इंडियन फार्मोकॉपी (भारत में दवाओं से संबंधित नियम) में शामिल करना होगा. एक मुद्दा ये भी होगा कि HPMC के चलते बढ़ने वाली दवाओं की कीमत अदा किस के हिस्से से होगी – निर्माता या उपभोक्ता.

इस सब में बस एक चीज़ का खतरा है. वो ये कि वेज-नॉनवेज की बहस भारत में बहुत जल्दी असल संदर्भ खो देती है. बात कहीं से कहीं निकल जाती है. मरीज़ों की सेहत से जुड़े इस मामले में ऐसा न हो तो बेहतर है. दवाओं को दवा ही रहने देना बेहतर है. चाहे उनमें जो भी पड़ता हो.

जहऱ हैं अजीनोमोटो , जानिए क्या-क्या हैं इसके नुकसान ??

Ajinomoto and its side effects in hindi अजीनोमोटो को हम इसके व्यापारिक नाम मोनो सोडियम ग्लूटामेट के नाम से भी जानते है. इसको संक्षिप्त में हम एमएसजी नाम से भी जानते है. अजीनोमोटो की कंपनी का मुख्य कार्यालय चोओ, टोक्यो में स्थित है. यह 26 देशों में काम करता है. 2013 के वित्तीय वर्ष में इसका वार्षिक राजस्व करीब 12 अरब अमेरिकी डॉलर है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर चीन की खाद्य पदार्थो में खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. पहले हम अधिकांशतः घर पर बने खाने को खाते थे, लेकिन अब लोग चिप्स, पिज्ज़ा और मैगी जैसे खाने को ज्यादा पसंद करने लगे है जिनमे अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है. इसका इस्तेमाल कई डिब्बाबंद फ़ास्ट फ़ूड सोया सॉस, टोमेटो सॉस, संरक्षित मछली जैसे सभी संरक्षित खाद्य उत्पादों में किया जाता है!

अजीनोमोटो का इतिहास (What is Ajinomoto history)

अजीनोमोटो को पहली बार 1909 में जापानी जैव रसायनज्ञ किकुनाए इकेडा के द्वारा खोजा गया था. उन्होने इसके स्वाद को मामी के रूप में पहचाना जिसका अर्थ होता है सुखद स्वाद. कई जापानी सूप में इसका इस्तेमाल होता है. इसका स्वाद थोडा नमक के जैसा होता है. देखने में यह चमकीले छोटे क्रिस्टल के जैसा होता है. इसमें प्राकृतिक रूप से एमिनो एसिड पाया जाता है.          

अजीनोमोटो का उपयोग (Ajinomoto uses)

अजीनोमोटो 1908 में एक ब्रांड के रूप में व्यावसायिक तौर पर आया, किन्तु आज दुनिया के हर कुक खाने में स्वाद को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते है.एमएसजी का इस्तेमाल सुरक्षित माना गया है, लेकिन इसको लेकर कुछ ग़लतफ़हमी भी है जो कि वैज्ञानिक रूप से अभी प्रमाणित नहीं हुई है इसका इस्तेमाल सब्जियों के मसाले में किया जाता है.इसका उपयोग विशेष रूप से चायनीज़ खाने में किया जाता है. यदि किसी सामान्य या चायनीज़ खाने को स्वादिष्ट बनाना है तो लोग इसका इस्तेमाल करते है.चायनीज़ खाने जैसे नूडल्स, सूप आदि कई प्रकार के खाने के व्यंजन में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

अजीनोमोटो के लाभ (Ajinomoto benefit)

कुछ खाद्य पदार्थो में प्राकृतिक रूप से ग्लूटामेट पाया जाता है जैसे टमाटर, समुद्री मछलियों, पनीर और मशरूम में ये प्रचुर मात्रा में पाए जाते है, जिससे इसमें अलग से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता और यह हानिकारक भी नहीं होता है. इसलिए अगर कोई व्यक्ति स्वस्थ है और उसको इसे खाने से कोई समस्या नहीं है तो उसे इसका सेवन करने में कोई परेशानी नहीं होगी. यू. एस. फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने एमएसजी के सेवन को सामान्य रूप से सुरक्षित माना है.                

अजीनोमोटो के नुकसान (Ajinomoto side effects)

एमएसजी का इस्तेमाल पहले चीन की रसोई में होता था, लेकिन अब ये धीरे धीरे हमारे भी घरों की रसोई में अपना पैठ बना चूका है. अपने समय को बचाने के लिए जो हम 2 मिनट में नुडल्स को तैयार कर ग्रहण करते है इस तरह के अधिकांशतः खाद्य पदार्थो में यह पाया जाता है जो धीरे धीरे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते है.

यह एक प्रकार से नशे की लत जैसा होता है अगर आप एक बार अजीनोमोटो युक्त भोजन को ग्रहण कर लेते है, तो आप उस भोजन को नियमित खाने की इच्छा रखने लगेंगे.इसके सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है. जब आप एमएसजी मिले पदार्थो का सेवन करते है, तो रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है. जिस वजह से इसका शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.एमएसजी को एक धीमा हत्यारा भी कहा जा सकता है. यह आँखों की रेटिना को नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह थायराईड और कैंसर जैसे रोगों के लक्षण पैदा कर सकता है.   

अजीनोमोटो का इस्तेमाल हानिकारक है (Ajinomoto harmful effects)

अजीनोमोटो के इस्तेमाल को जहाँ सुरक्षित माना गया है वही इसको खाने से कुछ हानिकारक प्रभाव भी पड़ते हैं जैसे कि –

बाँझपन – गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योकि ये महिला और बच्चे के बीच भोजन आपूर्ति में बाधक बन सकता है. साथ ही यह मस्तिष्क के नयूरोंस पर भी बुरा प्रभाव डालता है यह शरीर में सोडियम की मात्रा को बढ़ा देता है जिस वजह से रक्तचाप बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही पैरों में सूजन की भी समस्या होने लगती है.

माइग्रेन – अजीनोमोटो से युक्त खाद्य पदार्थो का अगर नियमित सेवन किया जाये तो यह माइग्रेन पैदा कर सकता है जिसको हम अधकपाली भी कहते है. इस बीमारी में आधे सिर में हल्का हल्का दर्द होते रहता है.

सीने में दर्द – अजीनोमोटो का सेवन करने से अचानक सीने में दर्द, धड़कन का बढ़ जाना और ह्रदय की मांसपेशियों में खिचाव होने लगता है.

तंत्रिका पर प्रभाव – एमएसजी तंत्रिका को प्रेरित कर उसमे असंतुलन पैदा कर सकती है इस वजह से गर्दन में अकडन या खिचाव के साथ शरीर में झुनझुनी पैदा होने लगती है. इसके सेवन से अल्झाइमर, हन्तिन्ग्तिओन और पार्किन्सन, मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस जैसी लक्षण पैदा होने लगते है. अजीनोमोटो एक नयूरोत्रन्स्मित्टर है जो अनिंद्रा जैसे विकारों के भी लक्षण पैदा कर सकते है.

मोटापा बढ़ना – एमएसजी के अधिक सेवन से मोटापे के बढ़ने का खतरा हमेशा बना रहता है हमारे शरीर में मौजूद लेप्टिन हॉर्मोन, हमे भोजन के अधिक सेवन को रोकने के लिए हमारे मस्तिष्क को संकेत देते है. अजीनोमोटो के सेवन से ये प्रभावित हो सकता है जिस वजह से हम ज्यादा भोजन कर जल्द ही मोटापे से ग्रस्त हो सकते है.

बच्चो के लिए हानिकारक : एमएसजी यानि अजीनोमोटो युक्त खाद्य पदार्थो को बच्चों को बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए. अजीनोमोटो का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर अलग अलग होता है अगर किसी भी व्यक्ति को इसको खाने के बाद इस तरह के कोई भी लक्षण न दिखे, तो उनके लिए इसका सेवन सुरक्षित है और वो इससे बने खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते है.

अजीनोमोटो के लिए निष्कर्ष (Ajinomoto conclusion)

किसी भी चीज का अधिक सेवन हमे लाभ पहुंचाने के बदले नुकसान ही पहुंचाते है. अजीनोमोटो का भी जरुरत से ज्यादा या लगातार इस्तेमाल किसी अति संवेदनशील व्यक्ति को नुकसान पंहुचा सकता है. इसलिए जब भी आप इसका सेवन करे ऊपर वर्णित लक्षण दिखने पर इसका सेवन बंद कर दे और डॉ. से परामर्श ले.

चेहरे पर काले दाग, धब्बे, मुँहासे के निशान के इलाज के लिए घरेलू उपाय

क्या चेहरे के दाग धब्बे, मुँहासे के निशान और त्वचा का रंग भी, मुहासे होने का कारण आपको शर्मिंदा कर रहा है किसी समूह का सदस्य बनने से!! क्या आप सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग करते करते तक गए है! तो एक नज़र डालिए घर मे बने हुए मिश्रण पर जो सारे दाग धब्बे निकाल देगा।काले दाग (black spots) धब्बे होने के कई कारण है जिनमे से मुख्य कारण कील, मुहासे, काले सिरे (ब्लैक हेड्स), फुडिया होते है। मुहासे से छुटकारा, सूरज की तेज किरण के कारण चेहरे के गड्ढे, दाग धब्बे ओर भी बढ़ जाते है जो चेहरे के सावले होने का कारण बनती है। इसके लिए आप जब भी बाहर जाए तो सन क्रीम लगा कर जाए और नीचे कुछ विधिया दी गई है मुहांसे के कारण जो दाग धब्बे से निजात दिलाने मे आपकी मदद करेगे।

पिम्पल्स का इलाज के लिए रसायनिक पदार्थ का उपयोग करने से बेहतर होगा की आप प्राकृतिक उत्पादो का उपयोग करे। घरेलू उत्पाद बहुत सस्ते होते है और इनका कोई बुरा असर भी नही पड़ता। चेहरे पर दाने के उपाय, त्वचा की देखरेख करना वो भी सुंदरता के साथ यह बहुत ज़रूरी है। कुछ घरेलू उपचार की सूची नीचे दी गई है जो काले दाग (black spots) धब्बे, मुँहासे के निशान से दूर रहने मे आपकी मदद करेगे।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए टमाटर (Tomato for erasing dark spots)

पिम्पल्स का इलाज के लिए एक मध्यम आकार का टमाटर ले, उसका रस निकले और उसमे एक चम्मच नीबू का रस मिलाए। फिर पूरे चेहरे मे लगाए और 20 मिनिट के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो ले।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए एलोवेरा (Aloe Vera to treat black spots)

एलोवेरा का रस निकले और 5 मिनिट तक बाहर रखे, फिर उसमे नीबू के रस की कुछ बूंदे मिलाए और चेहरे पर लगाए और 15 मिनिट के बाद धो दे। चेहरे के गड्ढे, आपको इसके बेहतर परिणाम मिलेगे।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए प्याज (Onions to lighten acne marks)

चेहरे के काले दाग धब्बे, प्याज मे क्रत्रिम प्रतिरोधक गुण होते है जो की मुहसो के दाग धब्बे दूर करने मे आपकी मदद करेगे। तो शांतीपूवर्क इस विधि का उपयोग करे। प्याज ले और उसका रस निकल कर चेहरे के संक्रमित स्थान पर लगाए और कुछ मिनिट तक रहने दे फिर साधारण पानी से धो दे।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए चंदन (Sandalwood for erasing pimple scars and dark spots)

2 चम्मच चंदन पाउडर ले, उसमे कुछ बूंदे गुलाबजल की मिलाए फिर दाग पर और पूरे चेहरे पर लगा ले और सूखने के बाद धो ले।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए हल्दी और नीबू के रस (Turmeric and lemon juice for acne marks)

चुटकी भर हल्दी पाउडर ले, उसमे कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाए फिर दाग पर या पूरे चेहरे पर लगाए। कुछ ही हफ़्तो के अंदर दाग दूर हो जाएगे और त्वचा चमकने लगेगी।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए आलू और शहद (Potato juice and honey for pimple ka ilaj hindi me)

एक आलू ले और उसे कद्दूकस कर ले और उसमे सही मात्रा मे शहद मिलाए फिर चेहरे पर लगाए और 15 मिनिट के बाद धो दे। या आलू के टुकड़े को भी आप चेहरे पर रगड़ सकते है जो की काले धब्बे दूर कर देगे।

दाग धब्बे के लिए घर मे हाथ से बनाए कुछ उपाय (A handy homemade concoction to remove scars & dark spots from the skin)

एक चम्मच प्याज का रस, एक चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच सिरका इन तीनो को मिला ले और दाग पर लगा कर कुछ मिनिट तक मालिश करे फिर 20 मिनिट के बाद ठंडा पानी ले कर धो ले। यह बहुत सरल और उपयोगी है। प्याज मे गंधक (सल्फर), विटामिन और अदरक मे आलीसिन नामक पदार्थ होता है जो त्वचा को कोमल बनाती है और त्वचा से कीटाणु को निकाल देती है।

मुहासे का उपचार के लिए नीबू का रस (Lemon juice for erasing dark spots)

कील मुंहासे का इलाज, नीबू मे स्तम्मक(अस्ट्रिंजेंट), विटामिन सी होता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकल देता है तो जब भी आप दाग धब्बे का इलाज करे तो नीबू का इस्तेमाल करे। नीबू का रस निकल कर कॉटन की सहयता से दाग पर लगाए। अच्छे परिणाम के लिए हर दूसरे दिन इस विधि का उपयोग करे।

मुँहासे के निशान से दूर करने के लिए खीरा और दूध (Cucumber & milk for treating dark marks)

मुहासे के निशान, एक खीरा ले उसे कद्दूकस करे उसमे तोड़ा दूध, कुछ बूंदे नीबू की मिलाए और चेहरे पर लगाए। यह बहुत ही सरल और उपयोगी विधि है।

पपीता (Papaya a sure shot remedy for dark spots)

पपीता मे एंज़ाइम होते है जो की चेहरे के दाग कम करते है। इसके लिए पके पपीते का उपयोग करे, पपीते का गुदा निकाल कर 15 मिनिट तक चेहरे पर लगा कर रखे फिर ठंडा पानी से धो दे।

छाछ (Buttermilk for fading marks and spots)

छाछ मे लॅकटिक एसिड होता है जो की अल्फा हाइड्रॉक्सिल एसिड की तरह काम करता है। यह एक प्रकार का प्रकतिक एसिड है जो चेहरे की मृत त्वचा, धूल और तेल को निकालता है। एक कटोरी मे छाछ ले और रूई की मदद से दाग पर लगाए और अगर मुमकिन है तो आधी मात्रा मे नीबू का रस भी मिला कर मास्क की तरह भी उपयोग सकते है।

विटामिन ई तेल (Vitamin E oil for skin marks and spots)

यह एक बेहतर एंटीऑक्सीडेंट है जो की चेहरे के गड्ढे, घाव भरने मे सहयता करता है। विटामिन ई तेल मे केवड़ा का तेल(केस्टर आयिल) मिलाए और दाग पर लगाए और परिणाम देखे।

जई(ओट्स) (Oats for treating those black spots)

कील मुंहासे का इलाज, जई सिर्फ़ सर्वोत्तम आहार के रूप मे ही नही बल्कि औषधि के रूप मे भी उपयोग होता है जो की चेहरे के दाग, धब्बे , मुहासे ठीक करता है। मुहासे की दवा, काले दाग (black spot), धब्बे और मुहासे के निशान से छुटकारा पाने के लिए चेहरे पर ज़ई के आटे का मुखौटा(मास्क) लगाए। ज़ई के आटे मे नीबू का रस मिलाए और गाढ़ा घोल बना कर मास्क की तरह चेहरे पर लगाए और कुछ देर तक मले फिर गर्म पानी से धो ले। तुरंत आराम के लिए इस विधि का उपयोग हफ्ते मे दो बार करे।

पानी (Drink lots of water to fade the spots quickly)

अधिक मात्रा मे पानी पीने से भी दाग,धब्बे,मुहासे ठीक होते है। रोजाना 6 से 8 गिलास तक पानी पीए जो की शरीर से विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को निकाल कर त्वचा मे नमी बनाए रखता है और दाग को हल्का करता है।

मुहासे का उपचार – दूध (Raw milk to lighten spots)

दूध चेहरे की रंगत बढ़ाता है, दूध मे लॅकटिक अम्ल होता है जो त्वचा को कोमल और सुंदर बनाता है। इसके लिए कच्चे दूध का उपयोग करे। दूध मे रूई भिगोकर पूरे चेहरे पर लगाए फिर 15 मिनिट के बाद गर्म पानी से धो ले,रोज सुबह इस विधि का उपयोग करे।

दाग धब्बों को हल्का करने के लिए दूध और केसर (Milk and kesar for spot lightening)

केसर के कुछ दानों को 2 चम्मच दूध में रातभर भिगोकर रख दें। इस पात्र को फ्रिज (fridge) में रखें, जिससे कि ये खराब ना हो जाए। सुबह केसर के दानों को दूध में मसल लें और इसका प्रयोग चेहरे पर करें। खासकर काले धब्बों और एक्ने (acne) के निशानों पर इसे लगाएं। इसे पूरी तरह सूखने दें और फिर सादे पानी से धो लें। इस उपचार का प्रयोग रोजाना करने से आपको 1 हफ्ते में फर्क दिखने लगेगा।

एक्ने के दाग दूर करने के लिए लाल मसूर की दाल और दूध (Red lentils and milk for acne mark removal)

दाग धब्बों को दूर करने के लिए लाल मसूर की दाल और दूध का भी पैक बनाया जा सकता है। 1 चम्मच साफ़ और धुली लाल मसूर की दाल को कच्चे दूध में भिगोकर रखें। सुबह इसे दूध के साथ पीसकर एक दानेदार पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर हलके हाथों से रगडें। इसे 20 मिनट के लिए छोड़ दें और इसके बाद कुछ देर तक दोबारा अपने चेहरे को रगड़कर इसे गुनगुने पानी से धो लें। हफ्ते में इसका 2 बार प्रयोग करने पर आपको 15 दिनों में फर्क दिखने लगेगा।

दही और शहद से काले धब्बे दूर करें (Yogurt with honey for erasing dark spots)

दही में ऐसे एंजाइम (enzymes) होते हैं जो किसी भी दाग धब्बे को दूर कर सकते हैं, और शहद प्राकृतिक रूप से आपकी रंगत को निखारता है। 1 चम्मच दही को 2 चम्मच शहद के साथ मिश्रित करें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं और काले धब्बों पर खासकर ध्यान केन्द्रित करें। इस पैक को 20 मिनट तक अपने चेहरे पर रहने दें और फिर इसे हाथों से रगड़कर पानी से साफ़ कर लें। अच्छे परिणामों के लिए इस उपचार का प्रयोग रोजाना करें।

चेहरे के दागों को हल्का करने के लिए कैस्टर ऑइल (Castor oil for lightening marks on the face)

कैस्टर ऑइल में त्वचा की मरम्मत के गुण होते हैं और यह काले धब्बे दूर करने में आपकी काफी सहायता करता है। प्रभावित भाग को अच्छे से साफ कर लें तथा इसके बाद अपनी त्वचा पर कैस्टर ऑइल से 5 मिनट तक मालिश करें। इसे 20 मिनट के लिए छोड़ दें और एक गीले कपड़े से इसे पोंछ लेने से पहले चेहरे पर 5 मिनट तक दोबारा मालिश करें। अंत में इसे पानी से धो लें। इस उपचार का प्रयोग दिन में 2 बार करके एक महीने में अच्छे परिणाम प्राप्त करें।

काले धब्बे दूर करने के लिए हॉर्सरेडिश (Horseradish for removing those dark spots)

हॉर्सरेडिश आपके चेहरे से काले धब्बे और अन्य दाग दूर करने में काफी प्रभावशाली साबित होता है। हॉर्सरेडिश लेकर इसे किस लें और इससे एक महीन पेस्ट तैयार कर लें तथा अपने चेहरे के प्रभावित भागों पर लगाएं। इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर पानी से धो लें। इस उपचार का प्रयोग दिन में कम से कम 2 बार करें और एक महीने में आपको काफी प्रभाव दिखेगा।

काले धब्बे दूर करने के लिए रेडकरंट और शहद (Redcurrant and honey for erasing black spots)

रेडकरंट आंवला परिवार का सदस्य है और यह काले धब्बों पर जमे मेलेनिन (melanin) को हल्का करता है। कुछ रेडकरंट लें और इन्हें पीसकर 1 चम्मच शहद के साथ मिश्रित करें। इस पैक को अपने चेहरे पर लाएं और काले धब्बों पर ध्यान केन्द्रित करें। इसे 20 मिनट के लिए छोड़कर पानी से धो लें। अच्छे परिणामों के लिए इस उपचार का प्रयोग रोजाना करें।

त्वचा के दागों को हल्का करने के लिए मुल्तानी मिट्टी और नींबू का रस (Fuller’s earth with lemon juice for lightening skin spots)

मुल्तानी मिट्टी में कई प्राकृतिक खनिज होते हैं और इसमें त्वचा का रंग साफ करने के भी गुण होते हैं। मुल्तानी मिट्टी और पानी को मिश्रित करके एक पेस्ट तैयार करें। इसमें नींबू के रस की कुछ बूँदें मिलाएं और अपने चेहरे के दाग धब्बों पर लगाएं। इसे सूखने तक अपने चेहरे पर छोड़ दें। अगर आप अपने पूरे चेहरे पर यह पैक लगा रहे हैं तो इसे पूरी तरह सूखने ना दें। अपने चेहरे को दोनों हाथों से रगड़कर काफी मात्रा में पानी से इसे धो लें।

चेहरे के दागों को कम करने के लिए अंगूर और सेब (Grapes and apple for facial spot reduction)

अंगूर और सेब दोनों में ही कई प्रकार के पोषक पदार्थ मौजूद होते हैं। इनकी मदद से आपकी त्वचा में गोरापन आता है। सेब का एक छोटा टुकड़ा लें और इसे पीसकर दो हरे अंगूरों के साथ मिश्रित करें। इनकी त्वचा को ना छीलें। इस पैक को अपनी त्वचा पर लगाएं और दाग धब्बों पर ध्यान केन्द्रित करें। आप इससे अपनी त्वचा की हलके से मालिश कर सकते हैं। इसे 10 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर पानी से धो लें। रोजाना इस पैक का प्रयोग करने से आपको 1 महीने में परिणाम दिखने शुरू हो जाएंगे।

चेहरे के काले दाग हटाने के लिए मुलैठी (Liquorice for erasing dark spot on the skin)

मुलैठी त्वचा से मेलेनिन दूर करने की अपनी खूबी की वजह से जानी जाती है। मुलैठी की जडें किसी भी काले धब्बे को दूर करने में काफी कारगर साबित होती हैं। मुलैठी की जड़ों का एक पेस्ट तैयार करें और इसमें शहद की कुछ बूँदें मिश्रित करें। इस पेस्ट को चेहरे के काले धब्बों पर लगाएं और 15 मिनट रखने के बाद पानी से धो लें। रोजाना इस विधि का प्रयोग करने पर आपको 1 से 2 हफ़्तों में अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे। चेहरे पर मुलैठी का प्रयोग करने से पहले एक पैच टेस्ट (patch test) करवा लें।

कुछ टिप्स चेहरे पर काले दाग, धब्बे, मुँहासे के निशान के इलाज के लिए घरेलू उपाय (Some tips for using home remedies to treat marks and spots on the skin)

चेहरे के किसी भी दाग धब्बे और अन्य किसी भी तरह के निशान को आसानी से घरेलू नुस्खों की मदद से ठीक किया जा सकता है, पर ये उपचार तभी प्रभाव दिखाते हैं जब इन्हें जल्दी शुरू किया जाए। अतः अगर आपके चेहरे पर हाल में ही मुहांसे के निशान आए हैं तो इसके सूखने के साथ ही ऊपर बतायी गयी घरेलू विधियों में से किसी एक का इस्तेमाल शुरू कर दें। इससे यह बात सुनिश्चित होगी कि आपको 1 हफ्ते के अंदर ही मुहांसों के दाग से छुटकारा प्राप्त हो जाएगा।चन्दन, मुलैठी और हल्दी जैसे घरेलू नुस्खे त्वचा के पुराने दाग धब्बों के निशानों को भी हल्का करने की क्षमता रखते हैं। हालांकि काफी अच्छी तरह से इनका इस्तेमाल करने पर भी इस बात की काफी संभावना होती है कि इनका असर काफी महीनों में दिखे।घरेलू नुस्खों के कार्य करने की क्षमता काफी हद तक आपकी त्वचा के प्रकार और आपकी उम्र पर भी निर्भर करती है। त्वचा की नयी कोशिकाएं पैदा करने की क्षमता उम्र के साथ घटने लगती है और इसी वजह से दाग धब्बों के हल्के होने की प्रक्रिया जवान उम्र के लोगों के मुकाबले बुज़ुर्ग लोगों में काफी धीमी गति से होती है।घरेलू नुस्खे चेहरे के किसी भी दाग धब्बों के निशानों को हल्का करने की क्षमता रखते हैं। इनका सही और ज़्यादा से ज़्यादा लाभ उठाने के लिए इनका प्रयोग निरंतर रूप से और बताये गए नुस्खे के अनुसार लंबे समय तक करें। इससे आपको बेहतरीन परिणाम मिलेंगे।घरेलू नुस्खों की सबसे अच्छी बात यह होती है कि इनके कोई साइड इफेक्ट्स (side effects) नहीं होते और ये काफी किफायती भी साबित होते हैं।त्वचा की रंजकता (pigmentation), दाग और धब्बे दूर करने के घरेलू नुस्खों का निर्माण इनके उपयोग से तुरंत पहले करें। ताज़ा उत्पादों से आपको ज़्यादा अच्छा प्रभाव दिखेगा।दाग और धब्बे हटाने के कुछ नुस्खे जैसे मुलैठी त्वचा की संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं। अतः जब आप दाग धब्बे हटाने के लिए किसी घरेलू नुस्खे का प्रयोग कर रहे हैं तो धूप में बाहर निकलने से पहले सही सनस्क्रीन (sunscreen) का प्रयोग अवश्य करें।