Saturday, June 17, 2017

बेकिंग सोडा का उपयोग, लाभ एवं नुकसान | Baking Soda uses health benefits and side effects

Baking Soda uses, benefits and side effects in hindi बेकिंग सोडा एक शुद्ध पदार्थ है, यह क्षारीय होने के साथ ही थोडा नमकीन स्वाद लिए भी होता है. इसको सोडियम बाइकार्बोनेट के नाम से भी जाना जाता है. इसका रसायनिक नाम NaHCO3 है. बहुत से लोग इसे नमक के रूप में कई नामों जैसे ब्रेड सोडा, कुकिंग सोडा से इसे जानते है. इसका इस्तेमाल हम खाने के साथ ही कपड़ो और घर के फर्नीचर की साफ़ सफाई में भी करते है. साथ ही इसका इस्तेमाल त्वचा की देखरेख के लिए भी किया जाता है. इसमें प्राकृतिक रूप से नाकोंलाइट पाया जाता है, जो कि एक खनिज नाट्रन होता है. यूरोपीय संघ ने इसे एक खाद्य योजक के रूप में चिन्हित किया.   

बेकिंग सोडा का इतिहास (Baking Soda history)

1791 में एक फ्रेंच रसायनशास्त्र के वैज्ञानिक निकोलस लेब्लांस ने सोडियम बाईकार्बोनेट अर्थात बेकिंग सोडा की खोज की. 1846 में पहली बार इसकी फैक्ट्री की स्थापना न्यू यॉर्क के दो बेकर्स जॉन डवाइट और ऑस्टिन चर्च ने कर सोडियम बाईकार्बोनेट और कार्बन डाईऑक्साइड के रूप इसको विकसित की. रुडयार्ड किपलिंग ने अपने उपन्यास में इसको एक यौगिक के रूप में संदर्भित करते हुए बताया है कि सन 1800 में वाणिज्यक रूप से इसका इस्तेमाल मछलियों को सड़ने से बचाने के लिए होता था.   

बेकिंग सोडा से नुकसान (Baking Soda side effects)

बेकिंग सोडा का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करना चाहिए, क्योकि इससे इलेक्ट्रोलाइट और एसिड में असंतुलन का खतरा बढ जाता है, जोकि शरीर को गंभीर नुकसान पंहुचा सकता है.अतिसवेदंशील त्वचा पर भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. साथ ही आँखों के आस पास भी इसका उपयोग नहीं करना चाहिए. कटे तथा चोट के निशान पर भी इसको नहीं लगाना चाहिए, अन्यथा ये त्वचा में खुजली जैसी समस्या को बढ़ा सकता है.  अगर आप किसी भी तरह के दवा का सेवन कर रहे है, तो दवा खाने के 2 घंटे पहले और बाद तक बेकिंग सोडा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योकि ये दवा के प्रभाव को प्रभावित कर सकता है. 6 साल से कम उम्र के बच्चों को इसका सेवन कराने से पहले डॉ. से सलाह ले लेना चाहिए.इसके ज्यादा इस्तेमाल से उल्टी जैसा महसूस होता है, सिर दर्द, चिडचिडापन, मांसपेशियों में कमजोरी, जोड़ों में दर्द जैसी शारीरिक लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉ. से सम्पर्क करना चाहिये. उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को इसका सेवन नहीं करना चाहिए.        

बेकिंग सोडा का इस्तेमाल (Baking Soda uses)

बेकिंग सोडा का इस्तेमाल बेकिंग अर्थात खाने को पकाने, मामूली चोटों, मुंह के दुर्गन्ध को दूर भागने, कीड़ों के डंक के जहर को कम करने में भी किया जाता है.इसके इस्तेमाल से कड़ी सब्जियों को नरम बनाया जा सकता है. एशियाई और लैटिन अमेरिका के व्यंजनों में मांस को पकाने में अभी भी इसका उपयोग होता है.बेकिंग सोडा को भोज्य पदार्थ में मिलाने से विटामिन सी मिलता है. यह अम्लीय घटकों के साथ प्रतिक्रिया करके कार्बन डाईऑक्साइड बनाता है, जोकि खाद्य पदार्थो को नरम बना कर स्वाद में बढ़ोतरी करता है.इसका इस्तेमाल केक, ब्रेड, पेंकेक्स के साथ ही तले हुए भोज्य पदार्थ में भी होता है.कीड़े मकोड़े खासकर तेलचटा को मारने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, इसमें मौजूद गैस की वजह से कीड़ों के अंग क्षतिग्रस्त हो जाते है.सोडियम बाई कार्बोनेट के इस्तेमाल को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा जैव कीटनाशक के रूप में पंजीकृत कर लिया गया है.

शरीर में एलर्जी के प्रभाव को भी कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.इसका इस्तेमाल पेंट और जंग को हटाने में भी होता है.पीएच अर्थात क्षारीय गुण होने की वजह से यह तालाबों और बगीचों की भी साफ सफाई में उपयुक्त है. साथ ही इसका इस्तेमाल चांदी को साफ़ करने में भी किया जाता है और कपड़ों पर पड़े चाय या किसी भी तरह के पुराने दागों को हटाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.सोडियम बाईकार्बोनेट का इस्तेमाल पटाखों, बारूद बनाने के लिए भी होता है, इसमें कार्बन डाईऑक्साइड होने की वजह से यह दहन के प्रभाव को बढ़ा देता है.इसमें संक्रमण को रोकने की क्षमता होती है. कुछ जीवाणु के खिलाफ जैसे कि अगर किताबों में दीमक लग जाने की वजह से वो खराब हो जाते है, तो ऐसे कवक नाशक के रूप में यह बहुत ही प्रभावी हो सकता है.              

बेकिंग सोडा का त्वचा के लिए उपयोग (BakingSoda uses for skin)

त्वचा के लिए बेकिंग सोडा को निम्न प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है-

त्वचा को गोरा बनाने के लिए : त्वचा के ऊपर से मृत त्वचा को हटाने के लिए एक बड़े चम्मच पानी के साथ दो चम्मच बेकिंग सोडा को मिलाकर पेस्ट बना ले, और प्रभावित त्वचा पर लगा कर धीरे धीरे गोल घुमा कर मालिस करे और उसे थोड़ी देर के लिए छोड़ दे. सूखने के बाद हल्के गुनगुने पानी से इसे साफ़ करने के बाद त्वचा को सुखा ले. इस प्रक्रिया को आप चाहे तो हफ्ते में 3 से 4 बार अपना सकते है. इसके अलावा आप चाहे तो बेकिंग सोडा को पानी के अलावा छाछ, बादाम का दूध या गुलाबजल में भी मिला कर लगा सकते है. साथ ही आप अपने क्लीनर में भी इसको मिला कर इस्तेमाल कर सकते है. इसको करने से आपकी त्वचा तरोताजा दिखेंगी.

त्वचा को नमी युक्त रखने के लिए : आप बेकिंग सोडा को शहद के साथ मिलाकर लगा सकते है. शहद में बैक्ट्रिया से लड़ने का गुण होता है, साथ ही यह सनबर्न के नुकसान से भी बचाता है. इसका उपयोग करने के लिए आप 1 चम्मच बेकिंग सोडा और 2 चम्मच शहद को मिला कर इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगाये और 15 मिनट के लिए सूखने के लिए छोड़ दे फिर इसे ठंडे पानी से धो ले. आप चाहे तो 1 चम्मच बेकिंग सोडा को जैतून का तेल और आधा चम्मच शहद इन सबको मिला कर गोल गोल घुमाते हुए मसाज करके 10 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो ले. इस प्रक्रिया को आप हफ्ते में एक बार अपना सकते है.

त्वचा को स्क्रब करने के लिए : दलिया या जई के आटे के साथ बेकिंग सोडा का इस्तेमाल आपके त्वचा को स्क्रब कर साफ़ करते हुए त्वचा की कोशिकाओ को सक्रीय करने में मदद करता है. इसके लिए आप एक चम्मच बेकिंग सोडा के साथ पानी और दो चम्मच जई का आटा मिला कर त्वचा पर लगाये, और हलके हाथों से स्क्रब करके 2 से 3 मिनट के बाद धो ले. इसके अलावा आप चाहे तो इसमें शहद भी मिला कर 15 मिनट तक पेस्ट को चेहरे और गले की त्वचा पर लगा कर सुखाने के बाद धो ले.

शरीर की सफाई के लिए : बेकिंग सोडा से नहाने के बाद शरीर सभी विषाक्त पदार्थों से बच जाता है, और उसे आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते है. इसके लिए आप 2 कप एप्सोम नमक और 1 कप बेकिंग सोडा अगर आप चाहे तो इसमें मक्के का स्टार्च भी मिला सकते है, आप इसको अपने पुरे शरीर की सफाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है. यदि आप चाहे तो सिर्फ बेकिंग सोडा को ही अपने बाथ टब में डाल कर उस पानी में अपने को 10 मिनट तक भिगो कर स्नान कर सकते है. इस प्रक्रिया से बदन की सारी गन्दगी साफ़ हो जाएगी.

ब्लीचिंग एजेंट के लिए : बेकिंग सोडा को नींबू के साथ त्वचा पर लगाने से यह ब्लीचिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है. इस मिश्रण में विटामिन सी मौजूद होता है. इसके लिए आप आधा कप बेकिंग सोडा के साथ नींबू का रस और चाहे तो इस मिश्रण में शहद या किसी भी तेल की कुछ बुँदे भी मिला सकते है. सबको अच्छे से मिश्रित करके हलके हाथों से रगड़े और फिर इसे साफ़ कर ले. इसके अलावा आप 2 चम्मच गरम पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा और नींबू के रस को मिला कर रुई की मदद से अपनी त्वचा पर लगाये, इस प्रक्रिया को आप नियमित रूप से कर सकती है इससे त्वचा गोरी रंगत में बदलते हुए कांतिमय दिखने लगती है. आप चाहे तो नींबू की रस की जगह अंगूर या संतरे के पल्प का भी उपयोग कर सकते है.

त्वचा की गहराई से सफाई के लिए : त्वचा की गहराई से सफाई करने के लिए बेकिंग सोडा के साथ सेव के सिरके का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए 2 चम्मच बेकिंग सोडा और 3 बड़े चम्मच सेव के सिरके को मिलाकर पेस्ट बनाकर त्वचा के ऊपर लगाकर 15 मिनट तक सुखाने के बाद हल्के गुनगुने पानी से धो दे. फिर त्वचा को सुखाने के बाद इस पर मॉइस्चराइजर लगा ले. इस प्रक्रिया को आप सप्ताह में एक या दो बार कर सकते है. अगर आप की त्वचा संवेदनशील है तो आप इस पेस्ट में नींबू के साथ पानी का भी इस्तेमाल जरुर करे.

त्वचा से काले धब्बे हटाने के लिए : त्वचा पर पिगमेंटेसन की वजह से काले धब्बे पड़ जाते है, इनको ठीक करने के लिए बेकिंग सोडा, नारियल का तेल, नींबू का रस और चाय के पेड़ का तेल लगाने से ये धब्बे ठीक हो जाते है. साथ ही त्वचा पर असमय जो झुरियां पड़ जाती है, रोम छिद्र बड़े हो जाते है वो सभी को इनके इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है. क्योकि नारियल के तेल के उपयोग से त्वचा की जलन को कम किया जाता है साथ ही चाय के पेड़ के तेल में एंटी फंगल और एंटीसेप्टिक गुण होते है जोकि त्वचा के लिए काफ़ी फायदेमंद होते है. इसका इस्तेमाल करने के लिए आप आधा चम्मच ताजे नींबू के रस, एक चम्मच बेकिंग सोडा, 2 चम्मच नारियल का तेल और 2 से 4 बूंद चाय का तेल इन सब को मिलाकर इसका पेस्ट तैयार करके प्रभावित त्वचा पर लगाये इस प्रक्रिया को आप हफ्ते में एक से दो बार आजमा सकती है. इसका प्रभाव आपको त्वचा संबंधी सारी समस्याओं से मुक्ति दिलाने में दर्शित होगा. इसके साथ ही जब भी धुप में निकले चेहरे पर सनस्क्रीम का इस्तेमाल जरुर करे.

दमकती त्वचा के लिए : बेकिंग सोडा को हाइड्रोजन पेरोक्साइड के साथ मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा प्राकृतिक रूप से रसायनिक प्रतिक्रिया करके त्वचा की पीलिंग का कार्य करती है जिस वजह से त्वचा दमकती हुई दिखाती है. इस पेस्ट को अतिसंवेदनशील त्वचा पर नहीं लगाना चाहिए. दो चम्मच नींबू का रस, एक चौथाई चम्मच दही, एक अंडा और एक चम्मच बेकिंग सोडा को मिला कर इसका पेस्ट तैयार कर ले, फिर इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर 15 से 20 मिनट तक लगाये और इसे पहले गुनगुने पानी से धो कर फिर ठंडे पानी से धो ले. इसके बाद त्वचा पर मॉइस्चराइजर लगा ले. इस प्रक्रिया को आप सप्ताह में दो बार कर सकती है. यह पेस्ट एक बहुत अच्छे क्लींजर का काम करता है.

त्वचा की अन्य समस्याओं से बचने के लिए : बेकिंग सोडा को स्ट्राबेरी के साथ मिलाकर लगाने से यह त्वचा पर मौजूद अतिरिक्त गंदगी को साफ़ करते हुए यह त्वचा की अन्य समस्याओं से बचाता है. साथ ही यह त्वचा को गोरा करने के साथ ही मेलानिन के स्तर को भी नियंत्रित रखता है. इसके लिए आप 1 स्ट्राबेरी को अच्छे से मैश करके उसमे 1 चम्मच बेकिंग सोडा को मिला कर चेहरे और गर्दन पर लगाकर 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दे, फिर इसे हलके हाथों से रगड़ते हुए हटा दे और ठंडे पानी से धो ले.

त्वचा को चमकदार बनाने के लिए : बेकिंग सोडा का इस्तेमाल अगर टमाटर के रस के साथ किया जाये तो यह तुरंत ही त्वचा को चमकता हुआ और कांतिमय बनाने में सहायक है. इसके लिए एक मध्यम आकार के टमाटर के रस को निचोड़ ले, फिर उसमे एक छोटा चम्मच बेकिंग सोडा को मिलाकर पेस्ट बनाये और इसे चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगा कर सुखा ले, फिर इसे ठन्डे पानी से धो ले. आप चाहे तो इस प्रक्रिया को प्रतिदिन आजमां सकते है. एक चम्मच कॉर्न फ्लोर, एक चम्मच हल्दी, थोडा सा नींबू के रस के साथ गुलाबजल और बेकिंग सोडा को मिला कर लगाने से भी यह चेहरे पर ब्लीच पैक की तरह कार्य करते हुए त्वचा के गहरे दाग जले और कटे के निशान को हल्का करने में मदद करता है.

नोट : यह हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि जब भी आप बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किसी भी रूप में त्वचा पर कर रहे हो, तो तुरंत साफ़ करने और सुखाने के बाद मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल जरुर करे. साथ ही इस्तेमाल करने से पहले आप त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह ले लें. 

बेकिंग सोडा का त्वचा के लिए लाभ (Baking Soda benefits for skin in hindi)

बहुत से लोग कई तरह की त्वचा सम्बन्धी अनचाही बीमारियों से ग्रसित रहते है, जैसे कि रैसेज, पिगमेंटेशन, एकने, त्वचा की एलर्जी, चकत्ते इत्यादि परेशानियों से जूझते रहते है. लेकिन इन सभी समस्यायों को बहुत ही कम लागत में बेकिंग सोडा का इस्तेमाल कर इसका समाधान निकाला जा सकता है.इसके अलावा यह त्वचा को गोरा बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. चुकि बेकिंग सोडा पीएच तटस्थता और सोडियम से बना होता है जो कि त्वचा के मृत कोशिकाओं को हटा देती है.बेकिंग सोडा का नियमित रूप से इस्तेमाल करने से त्वचा सफ़ेद, मुलायम और चमकदार बनेगी, क्योकिं बेकिंग सोडा में एंटी बैक्टीरिया, एंटी फंगल, एंटीसेप्टिक और एंटी इंफ्लेमेटरी जैसे संक्रमण को रोकने वाले गुण मौजूद रहते है. जिस वजह से ये त्वचा पर मौजूद तेल को साफ करके उसके रोमछिद्र को पोषित करते हुए बढ़ने से रोकता है यह अतिरिक्त तेल को सोख कर या अवशोषित कर त्वचा को गहराई से साफ़ करता है.

बेकिंग सोडा का बालों के लिए लाभ (Baking Soda benefits for hair)

बेकिंग सोडा त्वचा के साथ साथ बालों के लिए भी लाभदायक है. बालों में ग्रोथ लाने के लिए शैम्पू की जगह इसका इस्तेमाल भी किया जा सकता है, यह सुरक्षित और सस्ता उत्पादन है जो प्राकृतिक रूप से बालों को साफ़ करता है.

कई बार बालों में शैम्पू करने के बाद हमे यह लगता है कि हमारे बाल अच्छे से धुले नहीं है, इस स्थिति में बेकिंग सोडा हमारे लिए सहायक होता है. बेकिंग सोडा युक्त पानी से बाल धोने पर वह शैम्पू या कंडिशनर के अवशेषों को हमारे बाल से पूरी तरह से निकाल कर उसे साफ़ और चमकता हुआ बनाता है.जो भी व्यक्ति तैराकी करते है, उन्हें अपने बालों को सुरक्षित रकने के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करना चाहिए. क्योकि यह बालों से क्लोरिन हटाता है, क्लोरिन बालों को नुकसान पहुंचाता है. इसके प्रभाव से बालों के रंग भी बदल सकते है. बेकिंग सोडा युक्त पानी बालों के नुकसान होने से हमारी सुरक्षा करते है.बेकिंग सोडा से आपके बाल शैम्पू की अपेक्षा ज्यादा अच्छी तरह से साफ़ होते है, अच्छे से साफ होने की वजह से आपके बाल लम्बे और मजबूत होने के साथ बढ़ते भी बहुत तेजी में है. इसके लिए आप एक चम्मच बेकिंग सोडा और 6 चम्मच सेव साइडर विनेगर को पानी में मिला कर इसका इस्तेमाल करें.   

बेकिंग सोडा का दांतों के लिए लाभ (Baking Soda benefits for teeth)

अगर आप दांतों को चमकता हुआ देखना चाहते है तो बेकिंग सोडा इसमें सहायक हो सकता है. इसके लिए आप नींबू की कुछ बूंदों के साथ बेकिंग सोडा आधा चम्मच तक मिलाकर इसका पेस्ट तैयार कर ले, फिर इसे ब्रश या उँगलियों की सहायता से गंदे दांतों पर लगा कर 2 मिनट के लिए स्क्रब करे फिर इसे सादे पानी से धो ले. यह प्रक्रिया आप हर एक दिन बाद आजमां सकती है.आप अगर चाहे तो जो भी आप टूथ पेस्ट का इस्तेमाल करते है हर रोज उस पेस्ट के साथ अगर थोड़े से बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करे, और सामन्यतः आप जैसे ब्रश करते है वैसे ही करे तो भी यह दांतों को साफ़ करने में कारगर होगा. इस प्रक्रिया को कम से कम दो हफ़्तों तक अपनाने के बाद आपको खुद दांतों की सफेदी में अंतर दिखने लगेंगे.नियमित रूप से ब्रश करने से यह दांतों पर जमें कैविटी को ख़त्म कर देता है साथ ही ब्रश करने से दांतों से जो खून निकलने लगता है उसे ये रोकने में मदद करता है. इसके अलावा ये मुंह से आने वाली बदबू को भी खतम कर देता है.बेकिंग सोडा को अगर सीधे तौर पर लिया जाये तो इसका स्वाद उतना अच्छा नहीं होता है, इसलिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल दांतों पर करने से पहले ये सुनिश्चित कर ले कि आपका टूथ ब्रश नरम हो साथ ही दांतों पर ज्यादा जोर देने वाला न हो.आप कभी भी 2 मिनट से ज्यादा ब्रश नहीं करे, क्योकिं बेकिंग सोडा एक हल्का अपघर्षक है जो दांतों के ऊपरी परत को नुकसान पंहुचा सकते है.बेकिंग सोडा को अगर आप इस्तेमाल करना चाहते है तो पहले आप अपने दांत के डॉ. से अपने दांतों को दिखा कर परामर्श ले कि आप के दांत इसके उपयोग के लिए उपयोगी है या नहीं.     

बेकिंग सोडा का स्वास्थ्य के लिए लाभ (BakingSoda benefits for health)

डॉ. मर्कोला के अनुसार 1930 के दशक में बेकिंग सोडा को एक चिकित्सा एजेंट के रूप में प्रमाणित कर दिया गया है. यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है.

यदि आप किसी भी तरह के दुर्गन्ध जैसे कि डीयोदेरेंट या एंटीपेर्स्पिरंट्स से बचना चाहते है, तो इसके लिए थोडा सा बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर इसका उपयोग करे तो यह दुर्गन्ध को दूर करने में सहायक होता है.कीड़े के काटने पर अगर खुजली या जहर का अंदेशा हो तो बेकिंग सोडा को पानी में मिलकर प्रभावित स्थान पर धोने से राहत मिलती है. आप चाहे तो इसे त्वचा पर सूखे रूप में भी रगड़ सकते है यह जहर को काटने में मदद करेगा.अल्सर के दर्द और अपच होने पर भी इसका उपयोग अगर किया जाये तो यह राहत देता है. इसका उपयोग करने के लिए आधे चम्मच बेकिंग सोडा को आधे ग्लास पानी में मिलाकर हर दो घंटे में लेने से गैस या अपच में राहत मिलेगी.पैरों को साफ़ रखने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, यह एक्स्फोलीअटर के रूप में त्वचा की साफ़ सफाई करता है. एक पानी से भरे टब में आप बेकिंग सोडा तीन बड़े चम्मच डाल कर उसमे पैरो को डुबों कर थोड़ी देर के लिए रखे, फिर इसे रगड़ कर साफ़ कर ले. इससे पांव साफ़, मुलायम और कोमल हो जायेंगे. इसके साथ ही बेकिंग सोडा को नालियों और नहाने वाले टब को भी साफ़ करने में भी इस्तेमाल किया जाता है.

बेकिंग सोडा का सेवन किस तरह से करें (How toeat Baking Soda)  

बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर अगर इसको पिया जाये, तो यह लम्बे समय से जकड़ी इस समस्या से जैसे गठिया, अपच, संक्रमण और गैस से मुक्ति दिला कर यह शरीर में क्षारीयता को बढ़ावा दे कर रोग को कम करने में सहायक है.बेकिंग सोडा को खाना बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है, पूड़ियों के लिए तैयार किये जाने वाले आटे में इसका उपयोग होता है. अगर आप काबुली चने की सब्जी या छोले बना रहे है, तो उसे जल्दी पकाने के लिए भी सब्जी में आधे छोटे चम्मच बेकिंग सोडा डाल कर इसका उपयोग किया जाता है.बेकिंग सोडा को आमतौर पर एंटीसिड भी कहा जाता है जिसका अर्थ है एसिड को निष्क्रिय कर देने वाला, इस वजह से पेट से सम्बंधित समस्यायां दूर हो जाती है. इसके सेवन से गुर्दे में पथरी की समस्या से निजात पाई जा सकती है, साथ ही मूत्र रोग और रक्त को साफ़ करने में भी सहायक होता है.खेल में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए पानी के साथ बेकिंग सोडा को मिलाकर खिलाडियों द्वारा ग्रहण किया जाता है, क्योकि इसमें लैक्टिक एसिड को बढ़ाने की क्षमता होती है जिस वजह से खिलाडियों के मांसपेशियों में खिचाव नहीं होता है और वो थकते भी जल्दी नहीं है.

Friday, June 16, 2017

कद्दू के बीज फेंकिए मत, लाभ इतने हैं कि गिनते थक जाएंगे आप!


कद्दू की सब्जी बनाते समय इसे काटने के बाद अन्दर से जो बीज निकलते हैं, आपके घर में भी उन्हें फेंक ही दिया जाता होगा। लेकिन अगर हम कहें कि कद्दू के बीजों में कद्दू से कहीं ज्यादा पोषक तत्व होते हैं तो..। ..तो शायद आप अगली बार कद्दू के बीज फेंकेंगे नहीं। कद्दू के बीजों में मैंगनीज़, मैग्नीशियम, तांबा, जस्ता और विटामिन जैसे पोषक तत्वों से भरे हुए हैं।

एक शोध के अनुसार कद्दू के बीज में सामान्य तौर पर 44% जिंक, 22% तांबा, 42% मैग्नेशियम, 16% मैंगनीज, 17% पोटेशियम और लगभग 17% लौह तत्व पाए जाते हैं।

Image : Google

पहले जानिए, क्या हैं इन तत्वों के लाभ

मैंगनीज के फायदे

मैंगनीज का मुख्य काम शरीर के मेटाबोलिज़म को नियंत्रित करना होता है। हड्डियों के पूर्ण विकास के लिए भी मैंगनीज बहुत जरूरी होता है।

जिंक (Zinc) के फायदे

ज़िंक दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में सहायक होता है।

तांबे (Copper) के फायदे

गठिया के रोग को दूर करने में तांबा काफी फायदेमंद होता है।

मैग्नीशियम (Magnesium) के फायदे

मैग्नीशियम सर दर्द, अनिद्रा और अस्थमा जैसी बीमारियों में काफी फायदेमंद होता है।

पोटेशियम (Potassium) के फायदे

पोटेशियम ब्लड शुगर को नियंत्रित और माँसपेशियों को दुरुस्त रखता है।

उपरोक्त जानकारी आपको ये बताने के काफी है कद्दू के बीजों में बेहद पोषक तत्व समाहित होते हैं। तो चलिए आगे हम आपको बताते हैं कि कद्दू के बीजों से आपको क्या-क्या लाभ होते हैं-

मधुमेह यानि शुगर का खतरा कम करने में

साल 2010 में जर्नल ऑफ़ डायबिटीज एंड इट्स कॉम्प्लीकेशन्स (Journal of Diabetes and its Complications) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कद्दू का बीज इंसुलिन को नियमित करता है। इसके अलावा कद्दू बीज के तेल में मौजूद फाइटोकेमिकल्स यौगिक डायबिटिक नेफ्रोपैथी (Diabetic Nephropathy) को रोकने में मदद करता है। शुगर के रोगी को रोजाना नाश्ते में 2 बड़े चम्मच कद्दू के भुने हुए बीज का सेवन करना चाहिए।

प्रोस्टेट वृद्धि को रोकने में

साल 2008 में यूरोलोजिया इंटरनेशनलिस (Urologia Internationalis) नामक जर्नल में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के अनुसार कद्दू के बीजों के तेल से प्रोस्टेट वृद्धि कम होती है। इससे परेशान रोगी को रोजाना कम से कम 4-5 ग्राम बीजों का सेवन जरूर करना चाहिए।

इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में

कद्दू के बीजों में मौजूद जिंक (जस्ता) इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को दुरुस्त रखता है और वायरल, सर्दी-खांसी-जुकाम जैसे संक्रमणों से शरीर को सुरक्षित रखता है।

रजोनिवृति और उससे जुड़ी समस्याएं

वर्ष 2008 में प्रकाशित जर्नल फाईटोथेरापी रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार जिन महिलाओं को 12 सप्ताह तक कद्दू के बीजों के तेल (2 मिली) का सेवन कराया गया उनमें रजोनिवृति पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं जैसे ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्राल का बढ़ना तथा हारमोंस की कमी आदि में काफी सुधार देखा गया।

जोड़ों के दर्द यानि गठिया के इलाज में

कद्दू के बीज के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-Inflammatory) गुण पाया जाता है जो गठिया के इलाज में फायदेमंद होता है।

इसके अलावा कद्दू के बीज पथरी, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा तथा तनाव आदि समस्याओं में भी काफी फायेमंद होते हैं। तो अब कद्दू के बीजों को फेंकना है या नहीं ये आपकी मर्जी।

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तरबूज खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए! कितनी सच्चाई है इसमें?


इन्फोपत्रिका, हेल्थ डेस्क।

हम आपको पिछले आर्टिकल में बता चुके हैं कि गर्मियों के लिए कुदरत का वरदान है तरबूत, तो इसे अपनी डाइट में शामिल किया जाना चाहिए।

तरबूज को लेकर समाज में कई तरह की धारणाएं हैं। कुछ लोग कहते हैं कि तरबूज खाने या इसका रस पीने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। इस बात में कितनी सच्चाई है, ये हम आपको आज बताने जा रहे हैं-

नहीं पीना चाहिये पानी के पीछे का लॉजिक


चूंकि तरबूज में 96 प्रतिशत मात्रा पानी की होती है तो कुछ लोग कहते हैं इसे खाने के बाद पानी की कोई ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि तरबूज खाने के बाद पानी पीने से शरीर में पानी की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाएगी। शरीर में पानी की मात्रा बढ़ने से पाचन तंत्र पर असर होगा।

कुछ लोग मानते हैं कि इससे पेट का इन्फेक्शन हो सकता है। क्योंकि तरबूज में बहुत अधिक मात्रा में पानी और शुगर होती है तो ऊपर से और पानी पीने से पेट में इन्फेक्शन हो सकता है।

तरबूज के बाद पानी हानिकारक


आयुर्वेद में भी कुछ चीजों को अकेले खाए जाने और अकेले पचाने की सलाह दी गई है। जैसे कि तरबूज। कहा गया है कि तरबूज खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए। आहार विशेषज्ञों की राय है कि इससे हमारी जठरआंत (पेट और आंत से जुड़ा एक भाग) प्रभावित होती है और हमें गैस की समस्या हो सकती है।

ऐसा करके बैक्टीरिया को बढ़ने न दें

तरबूज में पहले से ही बहुत पानी के साथ-साथ शुगर और फाइबर जैसे तत्व होते हैं। लॉजिक ये भी है कि बैक्टीरिया को फैलने के लिए पानी और शुगर दोनों की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। ऐसे में तरबूज खाने के बाद यदि पानी पी लिया जाए तो बैक्टीरिया को पलने-बढ़ने का अच्छा मौका मिल जाता है। ये बैक्टीरिया पूरे पाचन-तंत्र में फैलकर बहुत सारी समस्याओं को जन्म देता है।

ठोस भोजन के साथ खाएं तरबूज


आपने सुना होगा कि ठोस भोजन के साथ पानी नहीं पीना चाहिए। बिलकुल यही बात भोजन के साथ तरबूज खाने पर भी लागू होती है। चूंकि तरबूज में 96 प्रतिशत पानी होता है तो भोजन के साथ इसे खाने पर पाचन-तंत्र अपना कार्य सही से नहीं कर पाता।

यह कहा जा सकता है कि पाचन तंत्र धीरे कार्य करता है और पेट में गैस बनती है। वैसे तो किसी भी फल के साथ पानी नहीं पीना चाहिए, मगर तरबूज के साथ विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

खाली पेट लीची खाना मौत को बुलावा देने जैसा: रिपोर्ट में खुलासा


सुबह उठकर खाली पेट यदि लीची का फल खा लिया जाए तो ये मौत का कारण भी बन सकता है। ये किसी व्यक्ति का कहना नहीं है, बल्कि विज्ञानिकों की एक रिपोर्ट का दावा है।

रात को भूखे सोये और सुबह लीची खाई

मामला भारत से ही जुड़ा हुआ है। बिहार के मुजफ्फरपुर में 2014 से पहले तक हर साल लगभग 100 लोग इसी बीमारी की वजह से मर जाते थे। इसके बाद भारत और अमेरिका के विज्ञानितों ने एक शोध किया, जिसमें ये पता चला कि ये बीमारी खाली पेट लीची खाने से होती थी। मरने वालों में ज्यादा लोग ऐसे थे, जो रात में भूखे सोये थे और सुबह उठकर लीची खा ली थी।

दिमाग संबंधी बीमारी भी

मुजफ्फरपुर में रहस्यमयी तरीके से फैली ये बीमारी मष्तिष्क से जुड़ी हुई थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि शाम का खाना न खाने से रात को हाइपोग्लाइसीमिया या लो-ब्लड शुगर की समस्या हो जाती है। खासकर उन बच्चों को ये समस्या होती है, जिनके लिवर और मसल्स में ग्लाइकोजन-ग्लूकोज का स्टोरेज बहुत कम होता है। इससे फैटी ऐसिड्स जो शरीर में एनर्जी पैदा करते हैं और ग्लूकोज बनाते हैं, का ऑक्सीकरण हो जाता है।

लीची में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले विषाक्त पदार्थ जिन्हें hypoglycin A और methylenecyclopropylglycine (MPCG) कहा जाता है, शरीर में फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़्म बनने में रुकावट पैदा करते हैं। इसकी वजह से ही ब्लड- शुगर लो लेवल में चला जाता है और मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं और दौरे पड़ने लगते हैं।

रिसर्चर्स की यह खोज ‘द लैनसेट’ नाम की मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है। 2013 में नैशनल सेंटर ऑफ डिज़ीज़ कंट्रोल (NCDC) और यूएस सेंटर ऑफ डिज़ीज़ कंट्रोल ने इस मामले में एक साझा शोध किया।

122 बच्चों की हुई थी मौत

नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुज्जफरपुर के श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और कृष्णादेवी देवीप्रसाद केजरीवाल मैटरनिटी हॉस्पिटल में 15 साल से कम के 350 बच्चे मस्तिष्क संबंधी बीमारियों की वजह से भर्ती कराए गए थे, जिनमें से 122 बच्चों की मौत हो गई।

इनमें से 204 बच्चों का ब्लड-ग्लूकोज लेवल कम था। इनमें से ज्यादातर बच्चों ने लीची खाई थी और उनके माता-पिता ने बताया था कि उन्होंने रात में खाना नहीं खाया था। जिन गांवों में यह बीमारी तेजी से असर दिखा रही थी वहां के लोगों ने बताया कि बच्चे मई और जून के महीनों में बगीचों में चले जाते हैं और सारा दिन लीची खाते हैं। वे शाम को घर लौटते हैं और खाना खाए बिना ही सो जाते हैं। बता दें कि मुजफ्फरपुर लीची की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है।

सोर्स:BBC NEWS.                                     शेयर करें:

Thursday, June 15, 2017

पेशाब अगर बंद हो या कम हो, खुलकर पेशाब लाने वाले 11 अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे

जब किसी कारण से मूत्राशय में पेशाब एकत्रित हो जाता है या मूत्रनली में किसी रुकावट के कारण पेशाब नहीं आता है तो उसे मूत्र न आना रोग कहते हैं परन्तु जब किसी कारण से मूत्राशय में पेशाब नहीं आता है या नहीं बनता तो उसे मूत्र-नाश (सुप्रेशनस ऑफ यूरेन) कहते हैं। पेशाब रुकने पर पेट का निचला भाग फूल जाता है और मूत्र-नाश में पेट का नीचे का भाग नहीं फूलता है। मूत्र-नाश रोग में जब शरीर के अन्दर के दूषित पदार्थ नहीं निकल पाता है तो कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जैसे- रोगी को सुस्ती आना, पूरे दिन ऊंघते रहना, मोह पैदा होना, बेहोशी उत्पन्न होना आदि।


कारण :-

★ मूत्र-नाश रोग बुखार व हैजा के कारण उत्पन्न होता है।
★ यह रोग सुजाक में एकाएक पीब आना बंद हो जाने पर और मूत्रग्रन्थि में जलन या मूत्रस्थली में लकवा मार जाने या किसी तरह के चोट लगने के कारण भी उत्पन्न होता है।

आयुर्वेदिक घरेलु उपचार :

1. अजवायन: ठंडी प्रकृति वाले रोगी को आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन को शहद के साथ और गर्म प्रकृति वाले को आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन सिरके के साथ देने से बंद पेशाब( pesab ) आने लग जाता है।

2. राई: 1-1 ग्राम राई और कलमीशोरा को पीसकर इसमें 2 ग्राम खांड को मिलाकर हर 2-2 घंटे के बाद 2-2 ग्राम की मात्रा में पीने से बंद पेशाब खुल जाता है।

3. पीपल: 5-5 ग्राम पीपल, कालीमिर्च, छोटी इलायची और सेंधानमक को पीसकर और छानकर इसमे से आधा चम्मच चूर्ण को शहद में मिलाकर रोगी को देने से पेशाब बंद होने का रोग दूर हो जाता है।

4. एरंड: 1 छोटा चम्मच एरंड का तेल बच्चे को पिलाने से बच्चे का बंद पेशाब खुल जाता है।

5. सज्जीखार: 4 ग्राम सज्जीखार को पीसकर छाछ में मिलाकर पीने से बंद पेशाब( pesab ) खुल जाता है।

6. शोराकलमी: 2-2 ग्राम शोराकलमी, जवाखार, रेवन्दचीनी और सौंफ को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 8 ग्राम खांड को मिलाकर आधे गिलास पानी के साथ लेने से पेशाब बंद होने के रोग मे लाभ होता है।

7. गोपी चन्दन: गोपी चन्दन को पीसकर नाभि पर लेप करने से पेशाब( pesab ) बंद होने का रोग दूर हो जाता है।

8. कपूर: लिंग के छेद के अन्दर थोड़ा सा कपूर डालने से बंद पेशाब के रोग में आराम आ जाता है।

9. जौखार: 5 ग्राम जौखार को 2 गिलास छाछ के साथ मिलाकर पीने से पेशाब बंद होने का रोग ठीक हो जाता है।

10. कांच: आधा ग्राम कांच को पीसकर ज्यादा पानी के साथ रोगी को देने से पेशाब बंद होने का रोग ठीक हो जाता है।

11. ढाक: ढाक के फूलों को काफी गर्म पानी में डालकर निकाल लें। इस गर्म-गर्म ही नाभि के नीचे बांधने से पेशाब खुलकर आने लगता है।

Wednesday, June 14, 2017

आँखों की देखभाल के लिए घरेलू नुस्खे

आँखों की देखभाल बहुत जरुरी होती है क्योंकि आखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है| ऐसा कहा गया है की सभी इंद्रियों में आंखें ही श्रेष्ठ हैं। आंखों की उचित देखभाल के करने के लिए हम आपको बताएँगे खास टिप्स साथ ही साथ कुछ घरेलू नुस्खे जिनकी सहायता से आप पाएंगे स्वस्थ और सुंदर आँखें


आँखों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

आंखों में जब भी थकान का अनुभव हो तो ठंडे पानी से छींटें मारने चाहिए, जिससे आँखें तरोताजा बनी रहे ।कभी भी अंधेरे में, कम रोशनी में, तेज रोशनी में, तेज धूप में या ज्यादा झुककर व लेटकर लिखने-पढ़ने की आदत न डालें।प्रतिदिन प्रात:काल अपनी आखों पर ठंडे व ताजे पानी से छींटें मारने चाहिए।सर्दियों के दिनों में प्रात:काल ओस की बूंदों को लेकर अपनी आंखों पर लगाना चाहिए।धूप में निकलते समय सदैव धूप का चश्मा लगाना चाहिए।अगर आप प्रतिदिन अपनी आंखों में काजल या सुरमा लगाते हों तो आँखों की देखभाल के लिए धीरे-धीरे छोड़ दें, क्योंकि काजल कभी-कभार ही लगाना अच्छा रहता है |आंखों के लिए यदि संभव हो तो कृत्रिम प्रसाधनों की अपेक्षा प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधन ही काम में लें।आँखों की देखभाल करने के लिए आँखों के नीचे बादाम के तेल की मालिश फायदेमंद रहती है।यदि ककड़ी का रस लगाया जाए तो आंखों को काफी फायदा होता है।खीरे के दो गोल टुकड़े थोड़ी देर आंखों पर रखें।यदि आंखें लाल हों तो टी-बैग लगाकर थोड़ी देर सो जाएं।

आंखों की देखभाल के लिए प्रतिदिन कुछ सेकंड के लिए अपनी आंखों के कोनों, माथे पर दबाव डालें। इससे आपको आराम महसूस होगा। आँखों की देखभाल के लिए यह अच्छा व्यायाम है |आंखों की देखभाल के लिए भोजन में विटामिन ‘ए’ युक्त पदार्थ लेने चाहिए, जैसे हरी पतेदार सब्जियां, गाजर, पपीता, दूध। शरीर में प्राकृतिक रूप से विटामिन ‘ए’ की पूर्ति होने से आंखों की रोशनी कम नहीं होती है।आंखों में धूल गिरने पर आंखों को मलें नहीं, बल्कि ठंडे पानी के छींटे मारने चाहिए।आंखों को मसलने से आंखों पर दबाव पड़ता है। यह दबाव आंखों के लिए नुक्सान दायक होता है क्योंकि ऑंखें हमारे शरीर का बहुत कोमल अंग होती है |आंखों को धुएं से बचाएं। लंबे समय तक आंखों में निरंतर धुआं पड़ना नुकसानदेह है। धुएं वाले स्थान पर कार्य करना पड़े तो चश्मा लगाना चाहिए।आंखों की देखभाल के लिए किसी दूसरे का रुमाल उपयोग में न लाएं। किसी दुसरे के रूमाल का उपयोग करने से संक्रमण की आशंका रहती है।एक ही डिब्बी में रखे हुए काजल का उपयोग कई लोगों द्वारा करने पर भी संक्रमण की आशंका रहती है।गंदे कपड़े से आंख पोंछना एवं अस्वच्छ पानी से आंख धोना उचित नहीं।गर्म पानी से आँखों को धोना या सिर पर गर्म पानी डालकर नहाना भी आँखों के लिए हानिप्रद है।लंबे समय का तनाव तथा अनिद्रा आंखों के लिए नुकसानदायक है।आंखों की सुरक्षा के लिए तनाव से बचना चाहिए तथा गहरी नींद सोने का पूरा प्रयास करना चाहिए।

आँखों की देखभाल के लिए कुछ घरेलू नुस्खे  

कुनकुने (हल्के गर्म) दूध में रुई का फोहा भिगोकर यदि आंखों पर कुछ देर रखा जाए तो कभी भी आँखों के नीचे काले धब्बे नहीं पड़ेंगे।आंखों को स्वस्थ रखने के लिए बेहद सरल उपाय यह है कि रात्रि में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण भिगोकर प्रातः उस पानी को छानकर उससे आंखें धोये यह आँखों की रोशनी व खूबसूरती बढ़ा देगा।कपूर का इस्तेमाल भी आंखों के लिए फायदेमंद है। इसके प्रयोग के दो तरीके हैं, एक तो कपूर काजल और दूसरा कपूर का लेप ।कपूर जलाकर उसके धुएं को एक छोटी-सी डिबिया में रख लें और हर रोज लगाएं।एक छोटी कटोरी में एक चम्मच-भर असली घी गरम कर लें और इसमें एक या दो कपूर डालकर इतना गरम करें कि कपूर और घी मिल जाएं। इसे रोज आंखों में लगाएं। आंखों की देखभाल के लिए यह एक अच्छा घरलू उपाय है |आलू के पतले गोल टुकड़े काटकर आंखों के नीचे मलें तो आंखों का कालापन दूर हो जायेगा।आंखों में जलन हो तो गुलाब जल से धोना चाहिए। प्रात:काल स्वच्छ ठंडे पानी से आँखों को धोना ताजगी प्रदान करता है।कच्ची गाजर या बादाम की 5-6 गिरियां प्रातः छिलका उतारकर खूब पीसकर एक गिलास गर्म मीठे दूध के साथ 21 दिन पीते रहें। आंखों के चारों ओर का कालापन जाता रहेगा।पलकों को घना और काला करने के लिए सप्ताह में 2-3 बार रात्रि को सोने से पहले अरंडी के तेल की पलकों पर मालिश करें और सो जाएं।आंखों में चमक लाने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में छोटा चम्मच शहद मिलाकर पानी ठंडा होने पर दिन में तीन-चार बार आँखों को धोएं। इससे आँखों में ताजगी आएगी।जब कभी आंखों में पीलापन दिखाई दे, तो तांबे के बरतन में रखा हुआ पानी सवेरे, कुछ भी खाने के पहले पी लें। तांबे का असर इसमें फायदा करता है। इसके अलावा फिटकरी और आंवले का पानी भी इस्तेमाल करें।आंखों में चमक लाने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में छोटा चम्मच शहद मिलाकर पानी ठंडा होने पर दिन में तीन-चार बार आँखों को धोएं। इससे आँखों में ताजगी आएगी।दो-तीन (Amla) आंवलों को एक गिलास पानी में रात को भिगो दें। सवेरे आंवले निकाल दें और उस पानी से आँखों को छींटें दें। ऐसा करीब दो हफ्ते करें। पीलापन, जलन, खुजली दूर हो जाएगी।रात को सोने से पहले गुलाबजल की कुछ बूंदें आंखों में डालें। इससे आंखों की दिन-भर की थकान दूर हो जाती है और आंखें हल्कापन महसूस करती हैं।आंखों के चारों ओर कालापन होने पर लाल पके हुए टमाटरों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।

आँखों की सुन्दरता के लिए सुझाव

अपनी पलकों को सुंदर, आकर्षक व घनी करने के लिए उनकी पर्मिंग भी कराई जा सकती है। पर्मिंग पूर्ण रूप से सुरक्षित है तथा इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। दरअसल, पर्मिंग कराने से आपको मसकारा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पर्मिंग किसी भी अच्छे ब्यूटी पार्लर में जाकर करवाई जा सकती है।यदि प्रकृति ने आपकी आंखें छोटी, बड़ी, उभरी व धंसी हुई बनाई हैं तो वह अपने वश में नहीं है, लेकिन यदि आप उचित रूप से अपनी आंखों का रख-रखाव और मेकअप करें तो आप उन्हें आकर्षक बना सकते हैं।आंखों की सुंदरता बहुत कुछ हमारी भौंहों (Eyebrows) के आकार पर निर्भर करती है। यदि आपकी आंखें छोटी हैं तो भौंहों को पतला आकार न दें। घनी भौंहों से आंखें बड़ी लगेंगी। भौंहों को धनुषाकार रूप न देकर बादाम का आकार दें। इससे आँखें बड़ी-बड़ी और खिली-खिली रहेंगी।यदि कम आयु में ही आंखों के चारों ओर काले घेरे या निशान बन जाते हैं तो भोजन में हरी सब्जियों का व दूध का भरपूर इस्तेमाल करें।

Tuesday, June 13, 2017

मांस खाने से हानि (HARM BY TAKING MEAT)

परिचय-

मनुष्य मांसाहारी जीव नहीं है। मनुष्य के दांतों का आकार, उसके मुंह की रस ग्रंथियां,छोटी आन्त एवं पाचनतंत्र में से कोई भी मांसाहारी जीवों की तरह के नहीं होते।

Introduction

            The human is not non-nonvegetarian creature. Teeth shape, juice glands of his mouth, small enlargement, digestive system etc. any part of human is not like non-vegetarian creatures.


जानकारी-

Knowledge-

मनुष्य बिना मांस खाये सारा जीवन बिता सकता है लेकिन केवल मांस के सहारे अपना पूरा जीवन नहीं बिता सकता है।

The human can live his whole life without eating meat but he also cannot live his life on the meat.

मांस खाने वाले व्यक्ति की उम्र कम हो जाती है। जबकि शाकाहारी की उम्र लंबी होती है।

The age of non-vegetarian person is reduced whenever vegetarian person has long age.

मांस खाने वाले व्यक्ति शक्तिशाली और स्वस्थ नहीं रहते। बल्कि रोगी और कमजोर हो जाते हैं। मांस खाने वाले व्यक्ति जल्द ही थक जाते हैं और शाकाहारी व्यक्ति देरी से थकते हैं।

Non-vegetarian people are not stayed strong and healthy rather they become patient and weak. These types of people feel tiredness soon and vegetarian person feels tiredness from delay.

फल खाने वाले व्यक्ति के शरीर में जितनी फुर्ती, कार्य करने की इच्छा, लगन, और निष्ठा रहती है। उतने मांस खाने वाले व्यक्ति में संभव नहीं होती है। मांस अम्लधर्मी (खट्टापन बढ़ाने वाला) होता है। इससे रोगों से लड़ने की शक्ति में कमी आ जाती है। जिससे कई तरह के रोग हो जाते हैं।

As much energy, desire of work, inclination and loyalty stay in the vegetarian person as strength is not stayed in non-vegetarian person. The meat is about to increase sourness. Resistant power is reduced by it and many types of diseases take birth.

मांसाहार में यूरिक एसिड अधिक पाया जाता है। जो हमारे शरीर के अन्दर जमा होकर गठिया आदि कई रोगों को पैदा करता है।

Uric acid is found in the non-vegetarian food, which generates rheumatismetc. many types of diseases after gathering in the body.

मांसाहारी व्यक्ति को दिल के रोग और कैंसर के रोग होने के ज्यादा चांस होते हैं।

The person, who takes meat, can suffer from heart problems and cancer.

एक सर्वेक्षण के द्वारा पता चला है कि अपराधियों में मांस खाने वालों की संख्या अधिक पाई गई है। मांसाहारी व्यक्तियों में अधिक रोग पाए जाते हैं। उसकी सहनशक्ति कम हो जाती है, उसके अन्दर गुस्सा व चिड़चिड़ापन ज्यादा बढ़ जाता है, वासना और उत्तेजना की सोच बढ़ जाती है। मनुष्य क्रूर व निर्दयी हो जाता है,उसकी अपराधिक सोच बढ़ जाती है। मांस गलत सोच को जन्म देता है जिससे समाज में आपसी मनमुटाव, घर का तनाव, लड़ाई झगड़े, लूटमार, आदि की वारदातें बढ़ जाती हैं।

It has found by a survey that more numbers about to eat meat have found in culpable. Many types of diseases are found in non-vegetarian person. His tolerating power is reduced by which anger and irritation increase in this person. His passion and excitement thinking are increased. The human becomes ruthless and his criminal thinking is increased. Meat gives birth to wrong thinking by which house depression, altercation, snatching etc. crimes are increased.

अंडा भी मांसाहार है। इसमें कोलेस्ट्राल बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह बहुत ही नुकसानदायक होता है। इससे दिल के रोग होने की ज्यादा संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

The egg is also non-vegetarian food. It contains more quantity of cholesterol, which is more harmful. The possibility of heart diseases is also increased.

मांस या अंडा किसी का हो यह आपके शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक है।

Egg or meat of any animal is very harmful for our body.

पश्चिमी देशों के मांसाहारी लोग अब दुबारा शाकाहारी हो रहे हैं।
The people of western countries keep on becoming vegetarian again.