Thursday, June 15, 2017

पेशाब अगर बंद हो या कम हो, खुलकर पेशाब लाने वाले 11 अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे

जब किसी कारण से मूत्राशय में पेशाब एकत्रित हो जाता है या मूत्रनली में किसी रुकावट के कारण पेशाब नहीं आता है तो उसे मूत्र न आना रोग कहते हैं परन्तु जब किसी कारण से मूत्राशय में पेशाब नहीं आता है या नहीं बनता तो उसे मूत्र-नाश (सुप्रेशनस ऑफ यूरेन) कहते हैं। पेशाब रुकने पर पेट का निचला भाग फूल जाता है और मूत्र-नाश में पेट का नीचे का भाग नहीं फूलता है। मूत्र-नाश रोग में जब शरीर के अन्दर के दूषित पदार्थ नहीं निकल पाता है तो कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जैसे- रोगी को सुस्ती आना, पूरे दिन ऊंघते रहना, मोह पैदा होना, बेहोशी उत्पन्न होना आदि।


कारण :-

★ मूत्र-नाश रोग बुखार व हैजा के कारण उत्पन्न होता है।
★ यह रोग सुजाक में एकाएक पीब आना बंद हो जाने पर और मूत्रग्रन्थि में जलन या मूत्रस्थली में लकवा मार जाने या किसी तरह के चोट लगने के कारण भी उत्पन्न होता है।

आयुर्वेदिक घरेलु उपचार :

1. अजवायन: ठंडी प्रकृति वाले रोगी को आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन को शहद के साथ और गर्म प्रकृति वाले को आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन सिरके के साथ देने से बंद पेशाब( pesab ) आने लग जाता है।

2. राई: 1-1 ग्राम राई और कलमीशोरा को पीसकर इसमें 2 ग्राम खांड को मिलाकर हर 2-2 घंटे के बाद 2-2 ग्राम की मात्रा में पीने से बंद पेशाब खुल जाता है।

3. पीपल: 5-5 ग्राम पीपल, कालीमिर्च, छोटी इलायची और सेंधानमक को पीसकर और छानकर इसमे से आधा चम्मच चूर्ण को शहद में मिलाकर रोगी को देने से पेशाब बंद होने का रोग दूर हो जाता है।

4. एरंड: 1 छोटा चम्मच एरंड का तेल बच्चे को पिलाने से बच्चे का बंद पेशाब खुल जाता है।

5. सज्जीखार: 4 ग्राम सज्जीखार को पीसकर छाछ में मिलाकर पीने से बंद पेशाब( pesab ) खुल जाता है।

6. शोराकलमी: 2-2 ग्राम शोराकलमी, जवाखार, रेवन्दचीनी और सौंफ को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 8 ग्राम खांड को मिलाकर आधे गिलास पानी के साथ लेने से पेशाब बंद होने के रोग मे लाभ होता है।

7. गोपी चन्दन: गोपी चन्दन को पीसकर नाभि पर लेप करने से पेशाब( pesab ) बंद होने का रोग दूर हो जाता है।

8. कपूर: लिंग के छेद के अन्दर थोड़ा सा कपूर डालने से बंद पेशाब के रोग में आराम आ जाता है।

9. जौखार: 5 ग्राम जौखार को 2 गिलास छाछ के साथ मिलाकर पीने से पेशाब बंद होने का रोग ठीक हो जाता है।

10. कांच: आधा ग्राम कांच को पीसकर ज्यादा पानी के साथ रोगी को देने से पेशाब बंद होने का रोग ठीक हो जाता है।

11. ढाक: ढाक के फूलों को काफी गर्म पानी में डालकर निकाल लें। इस गर्म-गर्म ही नाभि के नीचे बांधने से पेशाब खुलकर आने लगता है।

Wednesday, June 14, 2017

आँखों की देखभाल के लिए घरेलू नुस्खे

आँखों की देखभाल बहुत जरुरी होती है क्योंकि आखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है| ऐसा कहा गया है की सभी इंद्रियों में आंखें ही श्रेष्ठ हैं। आंखों की उचित देखभाल के करने के लिए हम आपको बताएँगे खास टिप्स साथ ही साथ कुछ घरेलू नुस्खे जिनकी सहायता से आप पाएंगे स्वस्थ और सुंदर आँखें


आँखों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

आंखों में जब भी थकान का अनुभव हो तो ठंडे पानी से छींटें मारने चाहिए, जिससे आँखें तरोताजा बनी रहे ।कभी भी अंधेरे में, कम रोशनी में, तेज रोशनी में, तेज धूप में या ज्यादा झुककर व लेटकर लिखने-पढ़ने की आदत न डालें।प्रतिदिन प्रात:काल अपनी आखों पर ठंडे व ताजे पानी से छींटें मारने चाहिए।सर्दियों के दिनों में प्रात:काल ओस की बूंदों को लेकर अपनी आंखों पर लगाना चाहिए।धूप में निकलते समय सदैव धूप का चश्मा लगाना चाहिए।अगर आप प्रतिदिन अपनी आंखों में काजल या सुरमा लगाते हों तो आँखों की देखभाल के लिए धीरे-धीरे छोड़ दें, क्योंकि काजल कभी-कभार ही लगाना अच्छा रहता है |आंखों के लिए यदि संभव हो तो कृत्रिम प्रसाधनों की अपेक्षा प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधन ही काम में लें।आँखों की देखभाल करने के लिए आँखों के नीचे बादाम के तेल की मालिश फायदेमंद रहती है।यदि ककड़ी का रस लगाया जाए तो आंखों को काफी फायदा होता है।खीरे के दो गोल टुकड़े थोड़ी देर आंखों पर रखें।यदि आंखें लाल हों तो टी-बैग लगाकर थोड़ी देर सो जाएं।

आंखों की देखभाल के लिए प्रतिदिन कुछ सेकंड के लिए अपनी आंखों के कोनों, माथे पर दबाव डालें। इससे आपको आराम महसूस होगा। आँखों की देखभाल के लिए यह अच्छा व्यायाम है |आंखों की देखभाल के लिए भोजन में विटामिन ‘ए’ युक्त पदार्थ लेने चाहिए, जैसे हरी पतेदार सब्जियां, गाजर, पपीता, दूध। शरीर में प्राकृतिक रूप से विटामिन ‘ए’ की पूर्ति होने से आंखों की रोशनी कम नहीं होती है।आंखों में धूल गिरने पर आंखों को मलें नहीं, बल्कि ठंडे पानी के छींटे मारने चाहिए।आंखों को मसलने से आंखों पर दबाव पड़ता है। यह दबाव आंखों के लिए नुक्सान दायक होता है क्योंकि ऑंखें हमारे शरीर का बहुत कोमल अंग होती है |आंखों को धुएं से बचाएं। लंबे समय तक आंखों में निरंतर धुआं पड़ना नुकसानदेह है। धुएं वाले स्थान पर कार्य करना पड़े तो चश्मा लगाना चाहिए।आंखों की देखभाल के लिए किसी दूसरे का रुमाल उपयोग में न लाएं। किसी दुसरे के रूमाल का उपयोग करने से संक्रमण की आशंका रहती है।एक ही डिब्बी में रखे हुए काजल का उपयोग कई लोगों द्वारा करने पर भी संक्रमण की आशंका रहती है।गंदे कपड़े से आंख पोंछना एवं अस्वच्छ पानी से आंख धोना उचित नहीं।गर्म पानी से आँखों को धोना या सिर पर गर्म पानी डालकर नहाना भी आँखों के लिए हानिप्रद है।लंबे समय का तनाव तथा अनिद्रा आंखों के लिए नुकसानदायक है।आंखों की सुरक्षा के लिए तनाव से बचना चाहिए तथा गहरी नींद सोने का पूरा प्रयास करना चाहिए।

आँखों की देखभाल के लिए कुछ घरेलू नुस्खे  

कुनकुने (हल्के गर्म) दूध में रुई का फोहा भिगोकर यदि आंखों पर कुछ देर रखा जाए तो कभी भी आँखों के नीचे काले धब्बे नहीं पड़ेंगे।आंखों को स्वस्थ रखने के लिए बेहद सरल उपाय यह है कि रात्रि में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण भिगोकर प्रातः उस पानी को छानकर उससे आंखें धोये यह आँखों की रोशनी व खूबसूरती बढ़ा देगा।कपूर का इस्तेमाल भी आंखों के लिए फायदेमंद है। इसके प्रयोग के दो तरीके हैं, एक तो कपूर काजल और दूसरा कपूर का लेप ।कपूर जलाकर उसके धुएं को एक छोटी-सी डिबिया में रख लें और हर रोज लगाएं।एक छोटी कटोरी में एक चम्मच-भर असली घी गरम कर लें और इसमें एक या दो कपूर डालकर इतना गरम करें कि कपूर और घी मिल जाएं। इसे रोज आंखों में लगाएं। आंखों की देखभाल के लिए यह एक अच्छा घरलू उपाय है |आलू के पतले गोल टुकड़े काटकर आंखों के नीचे मलें तो आंखों का कालापन दूर हो जायेगा।आंखों में जलन हो तो गुलाब जल से धोना चाहिए। प्रात:काल स्वच्छ ठंडे पानी से आँखों को धोना ताजगी प्रदान करता है।कच्ची गाजर या बादाम की 5-6 गिरियां प्रातः छिलका उतारकर खूब पीसकर एक गिलास गर्म मीठे दूध के साथ 21 दिन पीते रहें। आंखों के चारों ओर का कालापन जाता रहेगा।पलकों को घना और काला करने के लिए सप्ताह में 2-3 बार रात्रि को सोने से पहले अरंडी के तेल की पलकों पर मालिश करें और सो जाएं।आंखों में चमक लाने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में छोटा चम्मच शहद मिलाकर पानी ठंडा होने पर दिन में तीन-चार बार आँखों को धोएं। इससे आँखों में ताजगी आएगी।जब कभी आंखों में पीलापन दिखाई दे, तो तांबे के बरतन में रखा हुआ पानी सवेरे, कुछ भी खाने के पहले पी लें। तांबे का असर इसमें फायदा करता है। इसके अलावा फिटकरी और आंवले का पानी भी इस्तेमाल करें।आंखों में चमक लाने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में छोटा चम्मच शहद मिलाकर पानी ठंडा होने पर दिन में तीन-चार बार आँखों को धोएं। इससे आँखों में ताजगी आएगी।दो-तीन (Amla) आंवलों को एक गिलास पानी में रात को भिगो दें। सवेरे आंवले निकाल दें और उस पानी से आँखों को छींटें दें। ऐसा करीब दो हफ्ते करें। पीलापन, जलन, खुजली दूर हो जाएगी।रात को सोने से पहले गुलाबजल की कुछ बूंदें आंखों में डालें। इससे आंखों की दिन-भर की थकान दूर हो जाती है और आंखें हल्कापन महसूस करती हैं।आंखों के चारों ओर कालापन होने पर लाल पके हुए टमाटरों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।

आँखों की सुन्दरता के लिए सुझाव

अपनी पलकों को सुंदर, आकर्षक व घनी करने के लिए उनकी पर्मिंग भी कराई जा सकती है। पर्मिंग पूर्ण रूप से सुरक्षित है तथा इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। दरअसल, पर्मिंग कराने से आपको मसकारा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पर्मिंग किसी भी अच्छे ब्यूटी पार्लर में जाकर करवाई जा सकती है।यदि प्रकृति ने आपकी आंखें छोटी, बड़ी, उभरी व धंसी हुई बनाई हैं तो वह अपने वश में नहीं है, लेकिन यदि आप उचित रूप से अपनी आंखों का रख-रखाव और मेकअप करें तो आप उन्हें आकर्षक बना सकते हैं।आंखों की सुंदरता बहुत कुछ हमारी भौंहों (Eyebrows) के आकार पर निर्भर करती है। यदि आपकी आंखें छोटी हैं तो भौंहों को पतला आकार न दें। घनी भौंहों से आंखें बड़ी लगेंगी। भौंहों को धनुषाकार रूप न देकर बादाम का आकार दें। इससे आँखें बड़ी-बड़ी और खिली-खिली रहेंगी।यदि कम आयु में ही आंखों के चारों ओर काले घेरे या निशान बन जाते हैं तो भोजन में हरी सब्जियों का व दूध का भरपूर इस्तेमाल करें।

Tuesday, June 13, 2017

मांस खाने से हानि (HARM BY TAKING MEAT)

परिचय-

मनुष्य मांसाहारी जीव नहीं है। मनुष्य के दांतों का आकार, उसके मुंह की रस ग्रंथियां,छोटी आन्त एवं पाचनतंत्र में से कोई भी मांसाहारी जीवों की तरह के नहीं होते।

Introduction

            The human is not non-nonvegetarian creature. Teeth shape, juice glands of his mouth, small enlargement, digestive system etc. any part of human is not like non-vegetarian creatures.


जानकारी-

Knowledge-

मनुष्य बिना मांस खाये सारा जीवन बिता सकता है लेकिन केवल मांस के सहारे अपना पूरा जीवन नहीं बिता सकता है।

The human can live his whole life without eating meat but he also cannot live his life on the meat.

मांस खाने वाले व्यक्ति की उम्र कम हो जाती है। जबकि शाकाहारी की उम्र लंबी होती है।

The age of non-vegetarian person is reduced whenever vegetarian person has long age.

मांस खाने वाले व्यक्ति शक्तिशाली और स्वस्थ नहीं रहते। बल्कि रोगी और कमजोर हो जाते हैं। मांस खाने वाले व्यक्ति जल्द ही थक जाते हैं और शाकाहारी व्यक्ति देरी से थकते हैं।

Non-vegetarian people are not stayed strong and healthy rather they become patient and weak. These types of people feel tiredness soon and vegetarian person feels tiredness from delay.

फल खाने वाले व्यक्ति के शरीर में जितनी फुर्ती, कार्य करने की इच्छा, लगन, और निष्ठा रहती है। उतने मांस खाने वाले व्यक्ति में संभव नहीं होती है। मांस अम्लधर्मी (खट्टापन बढ़ाने वाला) होता है। इससे रोगों से लड़ने की शक्ति में कमी आ जाती है। जिससे कई तरह के रोग हो जाते हैं।

As much energy, desire of work, inclination and loyalty stay in the vegetarian person as strength is not stayed in non-vegetarian person. The meat is about to increase sourness. Resistant power is reduced by it and many types of diseases take birth.

मांसाहार में यूरिक एसिड अधिक पाया जाता है। जो हमारे शरीर के अन्दर जमा होकर गठिया आदि कई रोगों को पैदा करता है।

Uric acid is found in the non-vegetarian food, which generates rheumatismetc. many types of diseases after gathering in the body.

मांसाहारी व्यक्ति को दिल के रोग और कैंसर के रोग होने के ज्यादा चांस होते हैं।

The person, who takes meat, can suffer from heart problems and cancer.

एक सर्वेक्षण के द्वारा पता चला है कि अपराधियों में मांस खाने वालों की संख्या अधिक पाई गई है। मांसाहारी व्यक्तियों में अधिक रोग पाए जाते हैं। उसकी सहनशक्ति कम हो जाती है, उसके अन्दर गुस्सा व चिड़चिड़ापन ज्यादा बढ़ जाता है, वासना और उत्तेजना की सोच बढ़ जाती है। मनुष्य क्रूर व निर्दयी हो जाता है,उसकी अपराधिक सोच बढ़ जाती है। मांस गलत सोच को जन्म देता है जिससे समाज में आपसी मनमुटाव, घर का तनाव, लड़ाई झगड़े, लूटमार, आदि की वारदातें बढ़ जाती हैं।

It has found by a survey that more numbers about to eat meat have found in culpable. Many types of diseases are found in non-vegetarian person. His tolerating power is reduced by which anger and irritation increase in this person. His passion and excitement thinking are increased. The human becomes ruthless and his criminal thinking is increased. Meat gives birth to wrong thinking by which house depression, altercation, snatching etc. crimes are increased.

अंडा भी मांसाहार है। इसमें कोलेस्ट्राल बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह बहुत ही नुकसानदायक होता है। इससे दिल के रोग होने की ज्यादा संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

The egg is also non-vegetarian food. It contains more quantity of cholesterol, which is more harmful. The possibility of heart diseases is also increased.

मांस या अंडा किसी का हो यह आपके शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक है।

Egg or meat of any animal is very harmful for our body.

पश्चिमी देशों के मांसाहारी लोग अब दुबारा शाकाहारी हो रहे हैं।
The people of western countries keep on becoming vegetarian again.

डायबिटीज से जुड़े भ्रम –30 Myths About Diabetes

डायबिटीज के बारे में कई मिथक हैं और इस बीमारी से ग्रसित लोगों के खान-पान के बारे में भी कई मिथक हैं। डायबिटीज की बीमारी में मरीज को अपना विशेष ध्यान हमेशा रखना पड़ता है, जिसके कारण लोग ज्यादा गौर करने लगते हैं जो गैरजरुरी है |

क्या आप जानते हैं कि भारत में 6 करोड़ से अधिक लोग और अमेरिका में 2.5 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं, ऐसा हाल ही में हुई एक रिसर्च से पता चला है। इतनी भारी संख्या में लोग इस बीमारी से घिरे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद इस बीमारी के बारे में कई मिथक बने हुए  हैं। इसमें कोई शक नहीं है की डायबिटीज के रोगी को कार्बोहाइड्रेट के सेवन से बचना चाहिए और संतुलित खुराक का सेवन करना चाहिए। डायबिटीज -रोगियों के लिये संतुलित आहार और नियमित रूप से शुगर के स्तर की जांच करवाना जरूरी है और समस्या बढ़ने पर डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

डायबिटीज रोग से जुडी 30 आम गलतफहमियां और भ्रम :

Top 30 Myths busted About Diabetes

मिथ: डाइबिटीज होने पर दवाइयों का सेवन करना ही काफी है। कुछ और करने की जरुरत नहीं है |

सच: ऐसा कतई नहीं है, डाइबिटीज़ होने पर आपको परहेज भी रखना पड़ता है। इलाज से ज्यादा परहेज रखने से बीमारी के दुष्प्रभावों से आराम मिलता है। खासतौर पर सही खानपान और नियमित लाइफ स्टाइल का ख्याल रखना चाहिए |


मिथ: इन्सुलिन का इंजेक्शन सेहत के लिए ठीक नहीं होता है | यह बेहद नुकसानदायक इंजेक्शन होता है।

सच: यह धारणा सही नहीं है वैसे तो सभी दवाइयों के कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स तो होते है पर इन्सुलिन का इंजेक्शन शरीर में ब्लड-शुगर स्तर को नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त और कोई उपाय भी नही होता है |

मिथ: डायबिटीज है तो ब्लड डोनेट नहीं कर सकते।

सच: अमेरिकन रेड क्रॉस के अनुसार डायबिटीज के मरीज एक स्वस्थ इंसान की तरह रक्तदान कर सकते हैं बशर्ते कुछ मानकों को पूरा करते हों।

मिथ: शुगर फ्री गोलियां या उससे बनी मिठाइयाँ कितनी भी खाई जा सकती है |

सच: शुगर फ्री का मतलब कैलरी फ्री नहीं है। शुगर फ्री के नाम पर जमकर मिठाइयां खाना नुकसानदेय हो सकता है। आप शुगर-फ्री बिस्किट, और मिठाइयां आसानी से खा सकते हैं। लेकिन अगर उन प्रोडक्ट्स में शुगर न हो पर कार्बोहाइड्रेट तो भरपूर मात्रा में होता ही है ना | शुगर फ्री होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि इससे भी ब्लड-शुगर का स्तर बढ़ेगा ही। इसके आलावा खोए से बनी मिठाइयो में क्रीम आदि की कैलरी भी शामिल होती हैं, जो शुगर अनियंत्रित कर सकती है।

मिथ: डाइबिटीज़ में शरीर को ज्यादा थकान अनुभव नही करवाना चाहिए |

सच : डाइबिटीज़ की बीमारी में ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहिए, ताकि शरीर से ज्यादा केलारी बर्न हो, ब्लड-शुगर का स्तर कम हो। पर हमेशा अपने दिल की धड़कन को मॉनिटर करें और आवश्यक मात्रा में ही शारीरिक मेहनत करें।मिथ: डायबिटीज हो तो फल खाना बंद कर दें।

सच: डायबिटीज़ होने पर खान-पान के बारे में सबसे मिथक फैलते हैं। इसी तरह कई लोग मानते हैं कि फलों में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिससे ब्लड-शुगर का स्तर बढ़ जाता है। ऐसा सिर्फ फल के जीआई इंडेक्स पर निर्भर करता है। सामान्यत: फलों में कम जीआई इंडेक्स होता है, इसलिए डाइबिटीज़ की बीमारी में फलों का सेवन आराम से किया जा सकता है। डायबिटीज में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल जरूर खाने चाहिए। इनमें सेब, संतरा, मौसमी, अमरूद और पपीता खाएं। चीकू, केला और अंगूर जैसे फल न लें। फल खाएं पर जूस न लें |

मिथ: डायबिटीज रोग मीठा खाने से होता है 

सच: मीठे से डायबिटीज होने का कोई संबंध नहीं है। इसके लिए वंशानुगत और अन्य कारण जिम्मेदार होते हैं। हालांकि डायबिटीज हो जाने के बाद मीठा खाने से शुगर और भी ज्यादा बढ़ जाती है।

मिथ: डायबिटीज में अल्कोहल पीने से कोई फर्क नहीं पड़ता है |

सच: नियमित तौर पर अल्कोहल के इस्तेमाल से शरीर में यूरिक एसिड और ट्राइग्लिसरॉइड बढ़ते हैं। साथ ही शुगर भी अनियंत्रित हो जाता है।

मिथ: डायबिटीज के लिए स्पेशल खाना होता है।

सचः डायबिटीज में संतुलित आहार की जरूरत होती है, जिसमें 50-60 पर्सेंट कार्बोहाइड्रेट, 15-20 पर्सेंट प्रोटीन और 20-25 पर्सेंट फैट और दूसरे तत्व शामिल हों।

मिथ: ड्राई फ्रूट्स खाने से परहेज करना चाहिए।

सच: बादाम और अखरोट जैसे सूखे मेवों से शरीर में अच्छा यानी एच.डी.एल कॉलेस्ट्रॉल बढ़ता है जो हार्ट अटैक के खतरे को कम करता है, इसलिए मेवे जरुर खाने चाहिए |

मिथ: डायबिटीज हो तो कम भोजन खाना चाहिए 

सच: कम खाना खाना सही नहीं है। थोड़ा-थोड़ा, बार-बार खाएं। न तो ज्यादा देर भूखे रहें और न ही एक बार में ढेर सारा खाना खाएं।

मिथ: बार-बार खाने से क्या लाभ होगा एक ही बार भरपेट भोजन खाना चाहिए |

सच : लंबे समय तक खाली पेट रहने से अगर आपके खून में शक्कर का स्तर अचानक गिर जाए तो आपको मिचली आ घेरेगी, कम्पन पैदा होगा, कमजोरी के अलावा सिर-दर्द और दूसरे लक्षण भी प्रकट हो सकते हैं। पसीना छूटने के साथ हाथ-पैर ठंडे पड़ सकते हैं। थोड़ा-थोड़ा करके हरेक दो से तीन घंटे बाद खाइए, ताकि खून में शक्कर का स्तर मान्य स्तरों पर कायम रहे। यह बचाव का एक ऐसा इलाज है, जो डॉक्टर के नहीं, आपके हाथ में है। स्वास्थ्यकर नाश्ता अपने साथ हरदम रखिए, ताकि जब जरूरत हो खाया, जा सके।

मिथ: डायबिटीज कोई गंभीर बीमारी नहीं है | इसलिए ज्यादा सावधानी की आवश्यकता नहीं होती है |

सच : डायबिटीज यानी डायबिटीज को हलके में नहीं लेना चाहिए, यह एक गंभीर बीमारी होती है। इसकी सबसे बड़ी समस्या है कि लोग इसे गम्भीरता से नहीं लेते हैं और आम बीमारी समझते हैं। वास्तव में, डाइबिटीज़ होने पर शरीर के इम्यून-सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है। कई बार इस बीमारी से किडनी और अन्य अंगों के फेल और खराब होने का डर रहता है। शरीर के रोगों से लड़ने की नेचुरल शक्ति कम होने की वजह से  मधुमेह रोगियों के कोई भी छोटी-मोटी बीमारी बड़ी मुसीबत बन सकती है जैसे चोट लग जाना |

मिथ : गर्भावस्था में होने वाला मधुमेह स्थाई होता है |

सच : बिलकुल नहीं, गर्भवस्था में होने वाला डायबिटीज अक्सर Pregnancy के बाद बिलकुल ठीक हो जाता है |

मिथ: डाइबिटीज़ के सभी रोगियों को इंस्युलिन इंजेक्शन जरूरी होते हैं : ऐसा लगभग सभी लोग मानते हैं कि मधुमेह होने पर इंस्युलिन इंजेक्शन का उपयोग जरूरी होता है।

सच : यह सच है उन लोगों में, जिनको टाइप-1 डाइबिटीज होती है और दवाइयों से जिनका उपचार नहीं किया जा सकता, ऐसे लोगों को इंस्युलिन इंजेक्शन देना जरुरी होता है। पर टाइप-2 डाइबिटीज़ में गोलियां ही असरदार होती है |

मिथ: डायबिटीज में खास आहार ही लेना चाहिए |

सच: अच्छा आहार वही है जिसमें 40-60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 20 प्रतिशत प्रोटीन और 30 प्रतिशत या उससे कम वसा है। खाने में शाक-सब्जी व फल की अच्छी मात्रा जरूरी है। खाना नियमित अंतराल पर लें।

मिथ: टाइप 2 डायबिटीज टाइप 1 की तरह खतरनाक नहीं है।

सच: रोकथाम न हो तो डायबिटीज के दोनों रूप समस्याओं को जन्म देते हैं। दोनों मामलों में सही दवा के साथ स्वस्थ जीवनशैली जरूरी है। एक को खतरनाक बता कर दूसरे को कम नहीं आंका जा सकता।

मिथ: डायबिटीज एक उम्र के बाद ही होता है।

सच: नवजात और छोटे बच्चों में भी यह समस्या दिखती है। उम्र बढ़ने के साथ टाइप 2 डायबिटीज की शिकायत बढ़ती है।

मिथ : डायबिटीज़ में एक्सरसाइज़ नही करनी चाहिए |

सच : डायबिटीज के बारे में एक मिथक यह भी है कि डाइबिटीज़-मरीज को एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। ऐसा कतई नहीं है, आपको एक्सरसाइज करनी चाहिए और नियमित रूप से करनी चाहिए। इससे आपका वजन संतुलित रहेगा और ब्लड-शुगर स्तर कट्रोल में रहेगा।

मिथ : प्राय सभी मधुमेह रोगियों का डाइट चार्ट एक जैसा होता है |

सच: डायबिटीज-रोगी का डाइट चार्ट ऐसा होना चाहिए, जो रक्त-ग्लूकोज़ को बढ़ने से रोके एवं रोग पर अनुकूल प्रभाव डाले। भोजन पौष्टिक होना चाहिए, जिसमें कार्बोहाइड्रेट एवं रेशे प्रचुर मात्रा में हों। भोजन की मात्रा भी शारीरिक श्रम, उम्र, मधुमेह की अवस्था और कैलोरी की जरुरत के अनुसार नियंत्रित होनी चाहिए।

मिथ : मधुमेह रोग में दवाओं की क्या जरुरत है?

सच : डायबिटीज रोग शरीर में इन्सुलिन की कमी के कारण होता है, अतः यदि किसी प्रकार इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाई जा सके, तो इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। रोगी को सीधे इन्सुलिन दिया जा सकता है, किन्तु यह केवल सूई के रूप में ही उपलब्ध है। इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाने का दूसरा तरीका खाने की दवायें हैं।

मिथ: कई लोगों का ऐसा मानना होता है कि मोटापा बढ़ने के कारण डाइबिटीज हो जाती है।

सच: वैसे यह बात ठीक है कि मोटे लोगों में इन्सुलिन -प्रतिरोध की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि मोटापा ही डाइबिटीज़ की वजह है। कई बार दुबले-पतले लोगों को भी डायबिटीज का रोग हो जाता है। इसलिए डायबिटीज किसी को भी हो सकती है, वह चाहे मोटा हो या पतला।

मिथः डायबिटीज का मरीज भारी भरकम काम नही कर सकता जैसे जिम जाना वजन उठाना।

सच: ऐसे लोगों की मिसालें हैं जो डायबिटीज के बावजूद खेल-कूद में एक मकाम हासिल कर चुके हैं, जैसे ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट तैराक गैरी हॉल, क्रिकेट खिलाड़ी वसीम अकरम।

मिथ: डायबिटीज मरीज महिला को गर्भधारण नहीं करना चाहिए।

सच: मां बनने से परहेज करने की कोई जरूरत नहीं है। एक्सपर्ट की देखरेख में संतुलित जीवनशैली अपनाना जरूरी है। गर्भधारण से पहले, गर्भावस्था के दौरान और आगे भी सही शुगर लेवल मेनटेन रखें।

मिथ: डायबिटीज के मरीज की उम्र कम हो जाती है।

सच: शुगर लेवल सही रखा जाए और जीवन शैली सही हो तो डायबिटीज के मरीज की भी उम्र लंबी हो सकती है।

मिथ: दवा ले रहे हों तो कुछ भी खा सकते हैं।

सचः डायबिटीज के मरीज को खाने में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और सैचुरेटेड फैट से परहेज करने की सलाह दी जाती है। नियमित एक्सरसाइज, समय पर आहार और सही दवा जरूरी है। 

सवाल : क्या डायबिटीज की दवा जिंदगी भर लेनी पडती है |जवाब : जी हाँ, डायबिटीज के हर रोगी को जीवनभर दवा लेने की आवश्यकता होती हैं। आधुनिक मेडिकल साइंस के अनुसार डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता हैं पर उसे जड़ से मिटा देना फिलहाल मुमकिन नहीं हैं | हालंकि आयुर्वेद इसके निवारण का दावा जरुर करता है |

मिथ: मधुमेह एक संक्रामक रोग है।

सचः डायबिटीज एक संक्रामक रोग नहीं है। मधुमेह एक अंतःस्रावी ग्रंथि से जुड़ी बीमारी है जो अग्न्याशय में बीटा कोशिकाओं द्वारा निर्मित अधिक इंसुलिन के कारण जन्म लेती है। डायबिटीज पीढ़ी दर पीढ़ी फैलने वाली एक बीमारी है।

मिथ: मधुमेह के रोगी कभी मीठा नहीं खा सकते।

सचः डायबिटीज के रोगियों को कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मुश्किल होती है, जिसका प्रभाव उनके पूरे शरीर पर पड़ता है। डायबिटीज के रोगियों को मीठे का सेवन बहुत नियमित रुप से करना चाहिए तथा उन्हें सही समय पर दवा लेने की एवं कसरत करने की आवश्यकता है। इससे आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और उसमें शुगर का स्तर भी बना रहेगा तथा आप इस बीमारी के बढने से भी बचे रहेंगे।

मिथ: डायबिटीज थोड़ा सा कंट्रोल करने पर आपको चेकअप की जरूरत नहीं पड़ेगी।

सचः डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है। इसे काबू में करने के लिए आपको नियमित आहार व कसरत के साथ-साथ दवा लेने की भी जरूरत है। आप भले ही शुगर के स्तर को बनाए रखने में सफल हो जाएं लेकिन रेगुलर चेकअप करवाने पड़ते है |

डायबिटीज में क्या खाए और क्या नहीं: 31 टिप्स – Diabetic Diet

Diabetic Diet Plan शुगर को बढ़ने से रोकने तथा नियंत्रण और यहां तक कि काफी हद तक पूरी तरह से ठीक करने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है | एक Diabetic Patient को अपने भोजन को चुनने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए,जैसे कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट कम से कम लेना चाहिए |

इसलिए हम आपको बता रहे है एक आदर्श Diabetic Diet Plan जिसमे यह बताया गया है की मधुमेह से पीड़ित रोगी क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए | साथ ही साथ इससे उन लोगो को भी लाभ मिलेगा जो इस बीमारी से बचना चाहते है, क्योंकि “क्या न खाए” भाग में जिन चीजो को रखा गया है उनकी मात्रा आज ही अपनी थाली से कम करे , क्योंकि एक सही डायबिटीज डाइट इस रोग को काबू करने में काफी मदद करती है | वैसे भी रोगों से बचाव ही सबसे अच्छा उपचार होता है |

मधुमेह का एक संक्षिप्त परिचय -> शरीर में Pancreas Gland से इन्सुलिन न बनने के कारण मधुमेह रोग उत्पन्न होता है। यह हार्मोन शरीर में सेवन की गई चीनी का पाचन कर उसे ऊर्जा में परिवर्तित करता है और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा एक निश्चित स्तर से अधिक नहीं बढ़ने देता। बाकि बची हुई फालतू शुगर की मात्रा इंसुलिन द्वारा ही ग्लाइकोजन में परिवर्तित करके पेट और मांसपेशियों में एकत्रित कर दी जाती है। आमतौर पर खाली पेट में रक्त की शुगर का स्तर 80 से 120 मिली ग्राम प्रति 100 सी.सी. के बीच होता है और खाना खाने के बाद यह स्तर 100 से 140 मिलीग्राम हो जाता है। अकसर यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में, गरीबों की अपेक्षा अमीरों में तथा 35 से 60 वर्ष की आयु वालों में अधिक होता है। वैसे वंशानुगत (Hereditary Disease) की श्रेणी में आने कारण से यह रोग किसी भी आयु में हो सकता है। यानि जिनके माता-पिता या दादा-दादी को मधुमेह रोग रहा हो तो उन्हें तो बचपन से ही इस रोग के प्रति जागरूक हो जाना चाहिए और समय-समय पर अपनी जाँच करवाते रहना चाहिए |

Diabetic Diet Plan के अनुसार क्या खाना चाहिए 

डायबिटीज में क्या खाएं

Diabetic Diet में ज्यादा फाइबर युक्त भोजन -जैसे छिलके सहित पूरी तरह से बनी हुई गेहूं की रोटी, जई इत्यादि जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट शामिल होनी चाहिए, क्योंकि वे खून के प्रवाह में धीरे-धीरे मिल जाते हैं। इस प्रकार Insulin उत्पादित Glucose का बेहतर ढंग से सामना कर सकती है।

गेहूं और जौ 2-2 किलो की मात्रा में लेकर एक किलो चने के साथ पिसवा लें। ऐसे चोकर सहित आटे की बनी चपातियां भोजन में खाएं। इसे अपने Diabetic Diet में अवश्य शामिल करें |

मधुमेह रोगियों के लिए आहार के अंतर्गत सब्जियों में करेला, मेथी, सहजन , पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी , broccoli , टमाटर , बंदगोभी , Tofu, सोयाबीन की मंगौड़ी, जौ, बंगाली चना, काला चना, दालचीनी,  पत्तेदार सब्ज़ियां शामिल करें तथा इन सब्जियों से बने पतले सूपों का जितना चाहें उतना सेवन करें।

मधुमेह में फल (Fruit For Diabetes Patient )- फलों में जामुन, नीबू , आंवला  टमाटर, पपीता , खरबूजा , कच्चा अमरुद, संतरा, मौसमी, ककड़ी ,चुकन्दर , मीठा नीम, बेल का फल, जायफल , नाशपाती को शामिल करें। आम ,पका केला ,सेब, खजूर तथा अंगूर में शुगर होता है, लेकिन क्योंकि फलों में फाइबर ज्यादा होता है इसलिए ये अच्छे शुगर की केटेगरी में आते है |

जिनको हाई लेवल मधुमेह नहीं है वो इनको कम मात्रा में ले सकते है| इनका जूस बिल्कुल ना पियें क्योंकि उससे फाइबर निकल जाते है |

मेथी दाना (बीज) 25 से 100 ग्राम तक प्रतिदिन सुबह खाली पेट या सब्जी बनाकर, आटे में मिलाकर अथवा दाल के साथ नियमित रूप से खाएं।

मक्खन एवं पनीर के बजाय नमक के पानी में डिब्बाबंद मशरूम, Salmon Fish के साथ उबले आलू का उपयोग करें।खाने से पहले एक कटोरी सलाद जरुर लें।

Diabetic Diet में बादाम , लहसुन , प्याज, अंकुरित दाले , अंकुरित छिलके वाला चना , सत्तू,  बाजरा आदि शामिल करे |

कमजोरी दूर करने के लिए हरा कच्चा नारियल, अखरोट, मूंगफली के दाने, काजू, सोयाबीन, मटन का सूप, दही, छाछ का सेवन करें।

इंसुलिन के बनने में क्रोमियम की कमी से रुकावट आती है। इसलिए इसकी कमी को पूरी करने के लिए फूलगोभी, मशरूम, चोकर सहित खड़े अनाज, खमीर, सूखे मेवे यानि ड्राई फ्रूट्स अधिक खाएं और दालचीनी (cinnamon), अजमोद का भी सेवन करें।

फलों का ताज़ा जूस न पीए इसकी बजाय फल खाएं क्योकि उसमे ज्यादा फाइबर होता है !

मधुमेह से ग्रस्त रोगियों को अधिकतर ताजी, हरी सब्जियां खानी चाहिए । प्रत्येक भोजन के साथ सलाद जरुर लेना चाहिए । खाने में आधिक मात्रा में फल एवं सब्जियां लेने से शरीर में अधिक पानी पहुंचता है।

पानी की भरपूर मात्रा गुर्दों एवं यूरिन उत्सर्जन तंत्र के लिए आवश्यक है ।

आहार प्रबंधन और Diabetic Diet के माध्यम से अपना वज़न पर नियंत्रित रखें। एक संतुलित आहार का मुख्य गुण यह है कि उसमे भोजन की प्रकृति व्यक्ति विशेष की जरुरत के हिसाब से बदल जाती है ।

भोजन एक बार में न कर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में 4-5 बार करें।किसी भी समय का भोजन न छोड़ें तीन बार बराबर-बराबर भोजन ले और यदि आवश्यकता हो तो शाम को हल्का नाश्ता ले |चीनी रहित चाय, कॉफी, दूध का सेवन करें। मिठास के लिए “Artificial Sweeteners” या शूगर फ्री गोलियां उपयोग में लें सकते है।

भोजन ठीक से चबा चबाकर खाएं, फ़ूड विशेषज्ञ इस बात की सलाह देते हैं कि , प्रत्येक खाने का ग्रास पंद्रह बार चबाया जाना चाहिए |

ख़ाली पेट न रहें और लिए जाने वाले भोजन की कुल मात्रा में कमी लाएं एवं नियमित रूप से व्यायाम करें।

यदि आप अपनी सीमा से ज़्यादा खा लेते हैं तो अगले समय के भोजन में थोडा कम खाए |

आप Diabetic Diet में शहद और गाजर को कम मात्रा में शामिल कर सकते है क्योकि ये “Good Sugar Substitutes” श्रेणी में आते है | लेकिन इसके लिए अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें क्योंकि यह Diabetes के विभिन्न Types पर निर्भर करता है |ठीक इसी प्रकार मधुमेह में गुड़ को लेकर अक्सर लोगो में शंका बनी रहती है |

डायबिटीज में गुड खाने की सलाह नहीं दी जाती है लेकिन glycemic index के अनुसार गुड निश्चित रूप से refined sugar यानि चीनी से बेहतर होता है | लेकिन इसको आप अपनी डाइट में कितनी मात्रा शामिल कर सकते हैं ? या शामिल कर भी सकते हैं या नही ? यह आपके शुगर लेवल, डाइट चार्ट और आपकी कैलोरी की जरुरत पर निर्भर करता है | जो निश्चित रूप से सभी के लिए अलग- अलग होता है | वैसे आपके डॉक्टर आपको गुड लेने की सलाह दें तो तिल और गुड मिलाकर खाना बेहतर होता है |

मधुमेह से पीड़ित रोगियों को क्या नहीं खाना चाहिए 

Diabetic Diet प्लान में से घी और नारियल का तेल आदि चिकनाई युक्त चीजो को निकाल देना चाहिए।

पूरी, कचौड़ी, समोसा, पकौड़े आदि खाने से भी बचना चाहिए।गुड़, शक्कर, मिश्री, चीनी, शर्बत, मुरब्बा, शहद, पिज़्ज़ा ,बर्गर आइसक्रीम तथा ठंडे पेय पदार्थ इस्तेमाल नहीं करने चाहिए |

Diabetes नियंत्रण करने वाली औषधियों के प्रयोग के दौरान Diabetic Patient को भोजन नहीं छोड़ना चाहिए |

चिकन Leg piece को खाने से बचें ।चावल और आलू का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। खासतौर पर नए चावल न खाएं |

मैदे से बनी सफ़ेद रोटी (नान, तंदूरी रोटी ), नूडल्स, नाश्ते में अनाज, मीठे बिस्कुट, केक, परांठे, मैदे से बनी सफेद डबलरोटी एवं पेस्ट्री, कचौरी, चाट भी न खाएं।चाशनी में डिब्बाबंद फल न खाएं।

शराब, बियर आदि मादक पदार्थो का सेवन न करे |

मकई का आटा, सूजी, ज्यादा वसायुक्त पनीर, sauce, cheese, अचार, मुरब्बा , सीताफल , पेठा जैसे भोजन का सेवन न करें।

सुनहरी चाशनी, च्यूइंगम, मीठे पेय, डब्बा बंद जूस, सोडा , मिठाइयाँ,  Energy drinks, कोला एवं चीनी से बने जैम का सेवन न करें।

रक्त परीक्षण (Blood Test) और मूत्र परीक्षण (Urinal Test) हर दूसरे-तीसरे महीने करवाते रहना चाहिए। इससे आपको Blood Sugar level की जानकारी रहेगी तथा आप सजग और सतर्क रहेंगे ।

नियमित रूप से सुबह शाम सैर (Morning Evening Walk) करें और एक जगह बैठकर मानसिक परिश्रम कम से कम करें |

मधुमेह कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय  – साभार { पतंजलि आयुर्वेद }

खीरा, करेला और टमाटर एक-एक की संख्या में लेकर इसका जूस निकालकर, सुबह खाली पेट पीने से Diabetes में लाभ होता हैजामुन की गुठली का पाउडर करके, एक-एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी के साथ लेने से Diabetes नियंत्रित होती है।

नीम के 7 पत्ते सुबह खाली पेट चबाकर अथवा पीसकर पानी के साथ लेने पर Diabetes में लाभ मिलता हैसदाबहार के 7 फूलों को खाली पेट पानी के साथ चबाकर सेवन करने से भी Diabetes में लाभ मिलता है।

गिलोय , जामुन , कुटकी निम्ब पत्र , चिरायत, काल मेघ, सूखा करेला, काली जीरी, मेथी, इनको समान मात्र में लेकर पीस लें। फिर यह पिसा हुआ पाउडर  1-1 चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी के साथ लेने  से Diabetes में विशेष लाभ मिलता है।

करंजबीज पाउडर को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में    सुबह –शाम गुन-गुने पानी के साथ सेवन करने से Diabetes में लाभ मिलता है।

तेजपत्ता के सेहत से जुड़े फायदे व नुकसान | Tej Patta Health benefits side effects in hindi

तेजपत्ता का एक लम्बा इतिहास रहा है. प्राचीन रोम तथा मिस्र में इसकी सहायता से लोग अपने महान और आदरणीय लोगों को पहनाने के लिये मुकुट बनाया करते थे. ये महान लोग मुख्यतः राजा, योद्धा अथवा बड़े ज्ञानी होते थे. भारत में तेज़ पत्ते का प्रयोग खाने में मसाले के रूप में तथा आयुर्वेदिक औशधि के रूप में भी होता है. सूखे हुए अच्छे तेज़ पत्ते का प्रयोग खाने को सुगन्धित बनाने के लिए होता है. इसके प्रयोग के पहले पत्ते को तोड़ दिया जाता है. ऐसे व्यंजन जिसे बनने में एक लम्बा समय लगता है, तेज़ पत्ते का प्रयोग किया जाता है. एक बार व्यंजन तैयार हो जाने पर परोसने के पहले तेज़ पत्ते को निकाल दिया जाता है. तेज़ पत्ते से आने वाली सुगंध इसके स्वाद से अधिक महत्वपूर्ण होती है.

तेजपत्ता के सेहत से जुड़े फायदे व नुकसान

Tej Patta health benefits side effects in hindi

तेज़ पत्ता पाया जाने वाला क्षेत्र (Tej patta plant)

तेज़ पत्ता एशिया के कई क्षेत्रों में पाया जाता है. इसके लिए गर्म जलवायु वाली जगह उत्तम है, अतः एशिया के मेडिटरेनीयन क्षेत्रों में इसकी बहुलता देखी जाती है. भौगोलिक रूप से इसे ‘मेडिटरेनीयन बे लीफ’ कहा जाता है. तेज़ पत्ते का पेड़ सदाबहार होता है, जिसकी ऊंचाई अधिकतम 12 मीटर की होती है. मूल रूप से तैयार एक तेज़ पत्ते का आकार 5 सेमी चौड़ा तथा 10 सेमी तक लम्बा होता है. इस पेड़ के अलावा कई और पेड़ है, जिनसे तेज़ पत्ता प्राप्त किया जाता है. स्थान के अनुसार इसे ‘कैलिफ़ोर्नियन बे लीफ’, ‘इन्डोनेशियाई बे लीफ’, ‘वेस्ट इंडियन बे लीफ़’, ‘इंडियन बे लीफ’ आदि कहा जाता है.

तेज़ पत्ते से स्वास्थ सम्बन्धी लाभ (Tej patta health benefits)

तेज़ पत्ते के कई स्वस्थ सम्बंधित लाभ है. प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग लीवर, आंत और किडनी के इलाज में होता रहा है. कई बार इसका इस्तेमाल मधुमक्खि के काट लेने पर ज़ख्म के स्थान पर किया जाता है. इन दिनों कई लोग इसका इस्तेमाल कई छोटी बड़ी रोगों के निवारण के लिए कर रहे हैं.

सर्दी और बुखार से राहत : सर्दी अथवा बुखार होने पर तेज पत्ते को पानी के साथ उबाल लीजिये. इसके बाद इस उबले हुए पानी से एक साफ़ कपडा भिंगो कर रोगी के सर तथा छाती को सेंकने से उसे सर्दी- खांसी और छाती इन्फेक्शन से राहत मिलता है.

दर्द निवारण के लिए : तेज पत्ते के तेल का इस्तेमाल दर्द वाली जगह पर किया जा सकता है. इसके तेल में दर्द निवारक गुण है. इसके तेल के इस्तेमाल से सूजन, आमवती तथा अर्थराइटिक दर्द से आराम मिलता है.

बुखार से राहत : तेज पत्ते के असाव से पसीना आता है. यदि किसी को बुखार हो तो रोगी को इसका जल दिया जा सकता है. इससे पसीना आता है और रोगी का बुखार उतरने लगता है.

पाचन में सहायक : तेज़ पत्ते के सेवन से पाचन तंत्र विकारों का इलाज हो सकता है. खाने में इसके इस्तेमाल से पेट फूलने से राहत मिलती है.

डायबिटीज 2 में राहत : तेज़ पत्ते का स्वाद कड़वा होता है. इसमें एक तरह का एंटी ओक्सिडेंट पाया जाता है, जो शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढाने तथा ग्लूकोज़ लेवल को नियमित रखने के लिए खूब आवश्यक होता है. डायबिटीज के मरीजों को दवा लेने के बाद इससे बने चाय का सेवन बहुत फायदा पहुंचाता है.

विटामिन ए का अच्छा स्त्रोत : तेज़ पता विटामिन ए का बहुत अच्छा स्त्रोत है. इससे आँख का रेटिना स्वस्थ रहता है और आँख कई बीमारियों से बच जाती है. क्योंकि इसमें एंटी ओक्सीडेंट पाया जाता है अतः इसका सेवन त्वचा को क्षति से बचाता है और त्वचा स्वस्थ रहती है.

तंत्रिका तंत्र के नियमन में सहायक : इसमें बी काम्प्लेक्स ग्रुप के लगभग सभी विटामिन मसलन नियासिन पायरीडॉक्साईन, पैन्टोथेनिक अम्ल, राइबोफ्लेविन आदि मौजूद है. अतः इससे बने हर्बल चाय के सेवन से तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से चलने में मदद मिलती है.

इम्युनिटी में सहायक : फ्रेश तेज़ पत्ते में विटामिन सी मौजूद होता है. ये विटामिन सी मानव शरीर से जीवाणुओं को नष्ट करता है. साथ ही इसमें बहुत अच्छे मात्रा में लौह तत्व पाया जाता है. इन लौह तत्वों से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण होता है और इम्युनिटी बनी रहती है.

रक्त दाब का नियंत्रण : तेज़ पत्ते में पोटैशियम पाया जाता है. ये तत्व मानव शरीर रक्त प्रवाह के नियमन में सहायक है. अतः इससे बने चाय के सेवन से रक्त चाप के नियमन और नियंत्रण में सहायता मिलती है.

ह्रदय स्वास्थ : इसमें कैफफ़िक अम्ल, सैलीसिलेट आदि तत्व पाए जाते हैं. ये सभी तत्व ह्रदय स्वास्थ को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसमे पाए जाने वाले रूटीन ह्रदय के कैपिलरी वाल को स्वस्थ रखता है. साथ ही केफिक अम्ल शरीर से अनावश्यक कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करता है.

वजन घटाने में सहायक : इसका सेवन शरीर में मेटाबोलिक दर को बढ़ा देता है. बीएमआर का स्तर बढ़ने से मोटापे को घटाने में सहायता मिलती है.

तेज़ पत्ते में पाए जाने वाले आवश्यक तत्व (Tej patta nutrition)

तेज पत्ते का इस्तेमाल मुख्यतः उसे सुखाकर किया जाता है. इस पत्ते में गहरी खुशबू तथा इसका स्वाद कड़वा होता है.

इसमें ‘यूकेलिप्टोल’ नामक आवश्यक तैलीय पदार्थ पाया जाता है. एक अध्ययन के अनुसार ये तत्व रसोईघर से कीड़े तथा तिलचट्टों को दूर रखने के लिए अतिउत्तम है.तेज़ पत्ते के तेल में लगभग 81 विभिन्न तत्व पाए जाते हैं, जो किसी न किसी तरह से स्वास्थ को लाभ पहुंचाता है.पोलीफिनोल नाम का एक सक्रीय तत्व इस पत्ते में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है.इसमें पाया जाने वाला इन विट्रो नामक तत्व जल में घुलनशील पदार्थ है.

इसके अतिरिक्त प्रति सौ ग्राम तेज़ पत्ते में उपस्थित आवशयक तत्वों की मात्रा इस प्रकार है-

ऊर्जा 313 किलो कैलोरी 

कार्बो हाइड्रेट 74.97 ग्राम 

प्रोटीन 7.61 मिलीग्राम 

फैट 8.36 मिलीग्राम 

कोलेस्ट्रोल 0 मिलीग्राम 

फोलेट 180 एमसीजी

नियासिन 2.005 मिलीग्राम 

पायरीडॉक्सिन 1.740 मिलीग्राम 

विटामिन ए 6185 आई यू 

विटामिन सी 46.5 मिलीग्राम 

सोडियम 23 मिलीग्राम 

पोटैशियम 529 मिलीग्राम 

कैल्शियम 834 मिलीग्राम 

आयरन 43 मिलीग्राम 

मैंगनीज 8.167 मिलीग्राम 

फॉस्फोरस 113 मिलीग्राम 

जिंक 3.70 मिलीग्राम

तेज़ पत्ते के पेड़ का औषधीय रूप (Tej patta tree for medicinal use)

हरा या सूखा किसी भी तरह का तेज़ पत्ता औषधीय रूप तथा रसोई घर दोनों में ही बहुत अच्छे से प्रयोग किया जाता है. इसके फल से प्राप्त तेल का इस्तेमाल मुख्यतः साबुन बनाने में किया जाता है. इसके पत्ते से प्राप्त तेल का इस्तेमाल कई तरह के रोग निवारण तथा खाना बनाने के लिए किया जाता है.

तेज़ पत्ते का रसोई में प्रयोग (Tej patta uses in kitchen)

यद्यपि गहरे हरे रंग के तेज़ पत्ते का इस्तेमाल भी रसोई के लिए किया जा सकता है, किन्तु इसे कुछ दिन रख देने से इसका कडवापन कम होता जाता है. यदि खाना बनाते समय इसका इस्तेमाल किया गया है, तो परोसने के पहले इसे खाने से निकाल देना चाहिए. नीचे इसके प्रयोग के कुछ विशेष वर्णन दिए जा रहे हैं.

इसका इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जा सकता है. मसाले में इसके प्रयोग से सब्ज़ियाँ या अन्य व्यंजन बहुत ही शानदार सुगंध से भर जाते है.विभिन्न तरह के व्यंजनों मसलन सीफ़ूड, पोल्ट्री, मांस, पुलाव आदि में इसका विशेष रूप से प्रयोग होता है.ब्रेड सौस, टोमेटो सौस आदि बनाने के लिए भी इसका प्रयोग होता है.‘कोर्ट बुलियन’ नामक एक पेय बनाने के लिए भी इसका प्रयोग होता है. ‘कोर्ट बुलियन’ दरअसल वाइट वाइन, प्याज, अजवायन, पानी आदि मिलाकर बनाया जाता है.इन सबके अलावा कई मीठे व्यंजन जैसे स्वीटब्रेड, क्रीम आदि बनाने के लिए भी इसका प्रयोग होता है.

तेज पत्ते से नुकसान (Tej patta side effects)

यद्यपि तेज़पत्ते का इस्तेमाल बहुत लाभकारी होता है किन्तु अवश्यकता से अधिक इसके सेवन से कुछ परेशानियाँ ज़रूर होने लगती हैं.

तेजपत्ते का अत्यधिक सेवन करने से डायरिया अथवा वोमिटिंग होने की सम्भावना होती है.गर्भावस्था में हर्बल चाय में इसे प्रयोग में लाने के पहले एक बार डॉक्टर से मशविरा लेना बहुत ज़रूरी होता है.   

तेज पत्ते की सेवन विधि (How to eat Tej patta)

इस पत्ते को पानी के साथ उबाल कर उस उबले हुए पानी का इस्तेमाल कई तरह के औषधीय रूप में किया जाता है.इसका इस्तेमाल हर्बल चाय बनाने में होता है.इसके फल तथा पत्तों से आवश्यक तेल प्राप्त होता है. जिसका इस्तेमाल सरदर्द, जोड़ों का दर्द, आर्थराइटिस, सूजन आदि से राहत पाने के लिए किया जाता है.तेज़ पत्ते का कैप्सूल्स भी बाज़ार में उपलब्ध हो गया है, जिसके लगातार सेवन से स्वास्थ बेहतर सकता है.

Monday, June 12, 2017

अगर आप भी दूध पीते है तो यह पोस्ट आपके लिए है - दूध पीने के सही नियम | Rajiv Dixit

आज की  यह पोस्ट स्वर्गीय श्री राजीव दीक्षित जी के द्वारा बताये गए , दूध पिने के सही नियमो का संकलन है |
 राजीव दीक्षित को किसी सज्जन ने एक सभा में पूछा की "आयुर्वेदाचार्य वाग्भट जी ने कहा है  की खाना खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए क्योकि इससे जठराग्नि शांत होती है और इससे कई उदर रोग पनप सकते है तो दूध , मट्ठा ( छाछ ) ,फलो का रस आदि में भी तो पानी होता है  तो क्या इन्हें भी खाने के बाद नहीं पीना चाहिए |"


अब पढ़िए राजीव दीक्षित जी ने इसका क्या उत्तर दिया और दूध पिने के क्या नियम बताये |

राजीव जी के शब्दों में " यह प्रश्न आपने बहुत अच्छा पूछा मैं भी सोच रहा था की कोई यह प्रश्न उठाये तो मैं इसका सही व्यख्यान दूँ | यह सही है की दूध , छाछ , दही , जूस आदि में 95% पानी होता है लेकिन वाग्भट जी ने इसका बहुर ही सुन्दर एक्स्प्लानेसन (व्याख्या ) दिया है | वो कहते है की पानी को जो गुण है वो अपना कुछ नहीं , पानी को जिस पात्र में रखा है या जिस में पानी को मिलाया है उसी का गुण वो धारण कर लेता है |
आपने एक पुराना गाना भी सुना होगा - पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जिस में मिला दो उस जैसा | तो आपने पानी को मिलाया दही में तो अब वह पानी का गुण नहीं अब वह दही का गुण धारण करेगा , किसी फल के जूस में आपने पानी मिलाया तो वह जूस का गुण धारण कर लेगा अर्थात फल के गुण पानी में आ जायेंगे और पानी है दूध में तो दूध के सारे गुण वो धारण कर लेगा | इस लिए खाना खाने के साथ या बाद में मट्ठा पिने की खुली छुट है जी भर के पियो | दूध भी पेट भर कर पियो | बस पीना नहीं है तो वो है सादा पानी | क्योकि अकेला पानी अग्नि को शांत करता है |

बिच में ही किसी ने पूछा की राजीव भाई आइसक्रीम खाने के बाद हम चाय या कॉफ़ी पी सकते है ?

 राजीव दीक्षित जी ने कहा की " सवा सत्यानाश इसका उत्तर बताऊंगा परसों | कभी भी आप गरम खाना खाते है जैसे गरम दूध पिया , गरम चाय पी , गरम कॉफ़ी पिया तो पेट फिर वही काम पे लग जाता है अब वह काम क्या है ? पहले ज्यादा गरम खाने को पेट अपने तापमान पर लाता है | पेट का तापमान वही है जो आपके मुंह का तापमान है अर्थात 38 से 39 डिग्री है , अगर आपके गरम खाने या चाय का तापमान 55 या 60 के आस - पास है तो पेट पहले उसे 38 डिग्री तक लायेगा फिर अचानक आपने कोई ठंडा खाना खा लिया तो अब पेट सोचेगा की गरम को ठंडा करू या ठन्डे को गरम | अब इससे कई प्रकार की समस्याएँ हो जाएँगी और शरीर में सर्द और गर्म वाली शिकायत हो जाएगी रोगों से जकड जाओगे | इसलिये कभी भी ठंडी आइसक्रीम के बाद गरम चाय या कॉफ़ी का सेवन न करे |

अब वापिस पहले प्रश्न पर आते है - इन्होने बहुत ही अच्छा प्रशन पूछा है की वाग्भट जी ने कहा है की दूध को शाम के समय ही पीना है और दूध में या चाय में पानी होता है तो क्या ये सही है ?

देखिये वाग्भट जी के शब्द कोष में चाय या काफी का जिक्र नहीं है क्यों की वाग्भट जी 3500 साल पहले हुए और चाय या काफी तो सिर्फ 250 साल पुरानी है | लेकिन हाँ उन्होंने काढ़े का जिक्र किया है, वो ये कहते है की जो काढ़ा आपके वातको कम करे , आपके कफ को कम करे और आपके पित्त को कम करे एसा कोई भी काढ़ा दूध के साथ मिला कर सेवन कर सकते है |

अत: जब भी आप दूध पिए तो इसे गुनगुना कर के अधिक गरम दूध भी न पीवे, रात के खाने के बाद आप दूध ग्रहण कर सकते है इससे कोई समस्या नहीं होगी बल्कि रात में खाना खाने के बाद दूध पिने से नींद भी अच्छी आती है और सुबह पेट भी अच्छी तरह से साफ़ होता है - हाँ याद रखे रात के समय कभी भी छाछ या दही का इस्तेमाल न करे | दोपहर के खाने के साथ आप मट्ठा ले सकते है यह आपकी जठराग्नि को शांत नहीं करेगा , बल्कि आपकी पाचन क्रिया को सही करेगा | सुबह के नाश्ते में आप दही का प्रयोग करे जो आपको कई रोगों से बचाता है | नियमित दही सेवन से पेट का कैंसर , अल्सर , गैस  और अन्य उदर रोगों से बचाता है |

धन्यवाद |