Sunday, June 4, 2017

अगर आपके आँखों की रौशनी कम हो रही है तो अपनाएँ ये घरेलू उपाय जल्द ही लाभ मिलेगा!

 

आज से कुछ साल पहले तक केवल यही देखने को मिलता था कि ज्यादा उम्र के लोग ही चश्मा लगा रहे हैं। लेकिन इधर कुछ सालों में छोटी उम्र के लोगों को चश्मा लगाते हुए देखना आम बात हो गई है। इसके कई कारण हैं! जिस तेजी से लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है उसका आँखों पर बहुत बुरा असर हो रहा है। पिछले कुछ सालों में लोगों ने कंप्यूटर,लैपटॉप और टीवी का ज्यादा इस्तेमाल शुरू कर दिया है, जिसका आँखों की रौशनी पर सीधा प्रभाव पड़ता है। लोग कई- कई घंटों तक लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल बिना रुके करते रहते हैं। जिस वजह से आँखों से पानी आना एवं कम दिखना शुरू हो जाता है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं हैं।

आज हम आपके लिए लाये हैं एक ऐसा चमत्कारी घरेलू उपाय जिसे अपनाकर आप अपने आँखों की रौशनी पहले जैसा कर सकते हैं। इसके लिए आपको ज्यादा मेहनत और पैसे की भी जरुरत नहीं है। इस औषधि के इस्तेमाल से आपके आँखों के आस- पास की त्वचा मुलायम और तरोताजा रहती है। इसके उपयोग से आपके आँखों को तो फायदा होता ही है साथ ही साथ आपके बालों की समस्या भी ख़त्म हो जाती है। अगर आपके बाल झड़ रहे हैं तो इससे उनका झड़ना रुक जायेगा और बाल मजबूत और लम्बे भी होंगे।

औषधि तैयार करने के लिए सामग्री (आँखों की रौशनी कम हो रही है तो ):

 

• लहसून की तीन कलियाँ

• 10 चम्मच शुद्ध शहद

• अलसी का तेल 200 ग्राम

• 4 बड़े और ताजे निम्बू

औषधि बनाने की विधि (आँखों की रौशनी कम हो रही है तो ): 

सबसे पहले लहसून को छीलकर उसे अच्छी तरह पिस लें, उसके बाद निम्बू को छीलकर छोटे- छोटे टुकड़े में काट लें। कटे हुए निम्बू को एक कांच के बर्तन में रखे और उसमे लहसून का पेस्ट, शहद और अलसी का तेल डालें। मिश्रण को अच्छी तरह से लकड़ी के चम्मच से मिला दें। अब आपकी औषधि उपयोग के लिए तैयार हैं। एक बात का ध्यान रखना है, इसे जमाना नहीं है। यह औषधि लगाने के लिए नहीं हैं, इसलिए औषधि को चेहरे और अन्य जगहों पर ना लगायें। इसे खाना खाने से पहले दिन में कम से कम 3 बार चम्मच से लें। इस औषधि का लगातार प्रयोग करने से जल्दी ही चमत्कारी परिणाम देखने को मिलेगा। आँखों के साथ- साथ आपकी त्वचा चमकदार और मुलायम होगी।

Saturday, June 3, 2017

वजन बढ़ाने के घरेलू उपचार

भोजन में पौषक तत्वों की कमी  बनी रहने से लोग आहिस्ता-आहिस्ता  कृष काय हो जाते हैं। अधिक दुबले पतले शरीर  मे शक्ति भी कम हो जाती है। नि:शक्त जन अपनी दिनचर्या सही ढंग से संपन्न करने में थकावट मेहसूस करते है।

इस लेख में कतिपय ऐसे उपचारों की चर्चा की जाएगी जिनसे आप अपने शरीर का वजन बढा सकते हैं|

प्लान करें वेट गेन शेड्यूल

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आपके बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई के हिसाब से यह जानने कि कोशिश करें कि आपकी लंबाई और उम्र के हिसाब से आपका वजन क‌ितना होना चाहिए।

बीएमआई आप इंटरनेट पर भी जोड़ सकते हैं या फिर खुद ही इसका हिसाब लगाएं। इसका फार्मूला है-
बीएमआई = वजन (किलोग्राम) / (ऊंचाई X ऊंचाई (मीटर में))

आमतौर पर 18.5 से 24.9 तक बीएमआई आदर्श स्थिति है इसलिए वजन बढ़ाने के क्रम में ध्यान रखें कि आप इसके बीच में ही रहें।

डाइट पर दें ध्यान

वजन बढ़ाने का मतलब यह नहीं कि आप जमकर फास्ट फूड या पैटी डाइट पर टूट पड़ें। यहां समझदारी से काम लेना जरूरी है।

थोड़ी-थोड़ी देर पर डाइट लें और अपने भोजन की मात्रा थोड़ी बढ़ाएं। डाइट में कार्बोहाइड्रेट और हेल्दी फैट्स की मात्रा बढ़ाएं। अध‌िक कैलोरी वाली डाइट जैसे रोटियां,  राजमा, सब्जियां,ऑलिव्स और केले जैसे फल आदि की मात्रा बढ़ाएं।

दिन में कम से कम पांच बार थोड़ी-थोड़ी डाइट लें।

कसरत न छोड़ें

वजन बढ़ाने का मतलब यह नहीं कि आप आलस की चादर ओढ़ लें। शरीर को फिट रखने के लिए हर हाल में कसरत जरूरी है।

प्रतिदिन आधा घंटा भी अगर आप कसरत को देंगे तो आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म अच्छा होगा, भूख अच्छी तरह लगेगी और आप फिट रहेंगे।

कसरत और हेल्दी डाइट का कांबिनेशन वजन घटाने और बढ़ाने, दोनों के लिए जरूरी है। वेट लिफ्टिंग कसरतें इस मामले में मददगार हैं।

तनाव न लें

वजन सेहतमंद तरीके से बढ़ाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसका स्ट्रेस लेने से कोई फायदा नहीं है। कसरत और अच्छी डाइट के साथ-साथ रुटीन में आराम का थोड़ा समय निकालें।

सोने और उठने का समय निर्धारित करें जिससे शरीर तेजी से रिकवर होगा। योग और प्राणायाम के जरिए आप तनाव मुक्त होकर अपने शेड्यूल पर कायम रह सकते हैं।

नाश्ते में बादाम,दूध,मक्खन घी  का पर्याप्त मात्रा में उपयोग करने से आप तंदुरस्त रहेंगे और वजन भी बढेगा।

भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढाएं। दालों में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। बादाम,काजू का नियमित सेवन करें।

बीमारी की अवस्था में,बीमारी के बाद,यात्रा से  या मेहनत  से थके होने पर,,सुबह और शाम के वक्त और उपवास  की अवस्था में अपने पार्टनर से शारीरिक संबंध बनाना हानिकारक है।

अधिक केलोरी वाला भोजन लेते रहें।
च्यवनप्राश वजन बढाने की और स्वस्थ रहने की मशहूर आयुर्वेदिक औषधि है। सुबह -शाम दूध के साथ सेवन करते रहें।

आयुर्वेद में अश्वगंधा और सतावरी  के उपयोग से वजन बढाने का उल्लेख मिलता है।३-३  ग्राम  दोनों रोज सुबह लं का चूर्ण दूध के साथ प्रयोग करें। वसंतकुसुमाकर रस भी काफ़ी असरदार  दवा है।

रोज सुबह ३-४ किलोमीटर  घूमने का नियम बनाएं। ताजा हवा भी मिलेगी और आपका मेटाबोलिस्म  भी ठीक रह्र्गा।
भोजन खूब अच्छी तरह से चबा चबा कर खाना चाहिये। दांत का काम आंत पर डालना उचित नहीं है।

दोनों वक्त शोच निवृत्ति की आदत डालें।

५० ग्राम किश मिश रात को पानी में भिगोदे  सुबह भली प्रकार चबा चबा कर खाएं।  २-३ माह के प्रयोग से वजन बढेगा।
नारियल का दूध – यह आहार तेलों का समृद्ध स्रोत है और भोजन के लिए अच्छा तथा स्वादिस्ट जायके के लिए जाना जाता है। नारियल के दूध में भोजन पकाने से खाने में कैलोरी बढ़ेगी। जिससे आपके वजन में वृधि होगी।

मलाई- मिल्क क्रीम में आवश्यकता से ज्यादा फैटी एसिड होता है। और ज्यादातर खाद्य उत्पादों की तुलना में अधिक कैलोरी की मात्रा होती है। मिल्क क्रीम को पास्ता और सलाद के साथ खाने से वजन तेजी से बढ़ेगा।

अखरोट – अखरोट में आवश्यक मोनोअनसेचुरेटेड फैट होता है जो स्वस्थ कैलोरी को उच्च मात्रा में प्रदान करता है। रोज़ 20 ग्राम अखरोट खाने से वजन तेजी से प्राप्त होगा।

केला- तुरंत वजन बढाना हो तो केला खाइये। रोज़ दो या दो से अधिक केले खाने से आपका पाचन तंत्र भी अच्छा रहेगा।

ब्राउन राइस – ब्राउन राइस कार्बोहाइड्रेट और फाइबर की एक स्वस्थ खुराक का स्रोत है। भूरे रंग के चावल कार्बोहाइड्रेट का भंडार है इसलिए नियमित रूप से इसे खाने से वजन तेजी से हासिल होगा।

आलू-  आलू कार्बोहाइड्रेट और काम्प्लेक्स शुगर का अच्छा स्त्रोत है। ये ज्यादा खाने से शरीर में फैट की मात्रा बढ़ जाती है।

बीन्स : जो लोग शाकाहारी है और नॉनवेज नहीं खाते उनके लिए बीन्स से अच्छा कोई विकल्प नहीं है। बीन्स के एक कटोरी में 300 कैलोरी होती है। यह सिर्फ वजन बढ़ने में ही मदत नहीं करता बल्कि पौष्टिक भी होता है।

मक्खन : मक्खन में सबसे ज्यादा कैलोरी पाई जाती है। मक्खन खाने के स्वाद को सिर्फ बढ़ाता ही नहीं बल्कि वजन बढ़ाने में भी मदद करता है।


देसी घी ना खाने से शरीर को होने वाले नुकसान

स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के अंदर इन दिनों यह सनक पैदा हुई है कि देसी घी स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। लेकिन अगर आप आयुर्वेद की बात करेंगे तो आपको पता चलेगा कि घी में कई बेजोड़ स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जो कि पोषित किया गया है। लेकिन आजकल लोग कोलेस्ट्रॉल के डर से देसी घी से बिल्कुल दूरी बना चूकें हैं। कुछ लोग हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेलों के लिए देसी घी का सेवन करना बंद कर देते हैं, जो उनकी सबसे बड़ी गलती है। देसी घी का सेवन बंद करना एक तरह की बेवकूफी होती है। वैज्ञानिक तथ्यों के अध्ययन के मुताबिक देसी घी का सेवन बंद करना गलत है, देसी घी एक बेहद पौष्टिक भोजन है।

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अगर आप देसी घी को बनाने की प्रक्रिया को जान लेंगे, तो ऐसे में आपको यह बात याद आएगी कि घी बनाने के लिए मक्खन को गर्म किया जाता है। मक्खन में होने वाला पानी गर्म होने पर भाप में बदलकर उड़ जाता है। इसके बाद बढ़ते तापमान के कारण दूध प्रोटीन और नमक जलने लगता है और ब्राउन रंग का हो जाता है। यही कारण है कि घी एक अखरोट का स्वाद होता है। घी दूध से ही प्राप्त किया जाता है और दूध एक जानवर से प्राप्त किया जाता है। इसी कारण घी में संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा होती है।

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लेकिन यहां जानकारी आधी अधूरी है। हर तरह के संतृप्त वसा में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने वाले प्रभाव होते हैं। अगर आप देसी घी की बात करते हैं, तो देसी घी के कुछ ही फैटी एसिड हमारे शरीर पर प्रभाव डालते हैं। देसी घी में 65 प्रतिशत संतृप्त और 32 प्रतिशत वसा है, जिसे एमयूएफए (मोनो असंतृप्त वसीय अम्लों) के नाम दिया गया है। एमयूएफए में अत्यधिक डाइट्री फेट होता है, जो कि ऑलिव ऑयल में भी मिलता है। अगर आप स्कोर पर विचार करें, तो देसी घी इस सूची में सूरजमुखी, कुसुम, मक्का और कॉटन सीड ऑयल्स का तेल सबसे ऊपर होता है।

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जिन लोगों को ऐसा लगता है कि देसी घी में काफी कैलोरी होती हैं, उन्हें यह बता दें कि देसी घी में तेल से काफी कम कैलोरी मौजूद होती है। लेकिन आप देसी घी की अत्यधिक मात्रा का सेवन कर सकते हैं।

इसके अलावा देसी घी में विटामिन ए, विटामिन डी और राइबोफ्लेविन के साथ ही कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम जैसे मिनरल्स भी मौजूद होते हैं। आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि विटामिन ए में विटामिन ए का अच्छा स्रोत होता है, इसी के साथ यह स्वस्थ त्वचा को बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। इसके अलावा यह एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है। शरीर में हड्डियों के स्वास्थ्य और तंत्रिका तंत्र को बनाए रखने के लिए विटामिन डीए कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस की जरूरत होती है। इलेक्ट्रोलाइट संतुलन के लिए पोटेशियम कोशिकाओं की जरूरत होती है और यह दिल की धड़कन को विनियमित करने के लिए आवश्यक होती है।

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उपर्युक्त जानकारी और शोध से यह निष्कर्ष होता है कि देसी घी को पूरी तरह से छोड़ देना हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। ऐसा भी नहीं है कि आप हर तरह के खाने में घी का इस्तेमाल करें, ऐसे में आप एक संयोजन बना सकते हैं। आप देसी घी को तिल के तेल, सरसों के तेल और जैतून का तेल के साथ मिलाकर सेवन कर सकते हैं।

Saturday, May 27, 2017

हार्ट अटैक के बाद अकेले रहना हो सकता है खतरनाक


हार्ट अटैक के बाद अकेले रह रहे मरीज की चार सालों में मौत होने की संभावना 35 प्रतिशत ज्यादा होती है.

हार्ट अटैक के बाद अकेले रहना खतरनाक हो सकता है. इससे अगले चार सालों में मौत का खतरा भी मंडरा सकता है. यह जानकारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल ने दी.

रिसर्च के मुताबिक दिल के दौरे के एक साल बाद मौत होने की संभावना अकेले रह रहे व्यक्ति की भी उतनी ही होती है जितनी किसी के साथ रह रहे पीड़ित की होती है. लेकिन अकेले रह रहे मरीज की चार सालों में मौत होने की संभावना 35 प्रतिशत ज्यादा होती है.

आईएमए के महासचिव डॉ. आरएन टंडन ने बताया कि सामाजिक सहयोग बीमारी पर गहरा असर डालता है. यह न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है. परिवार और दोस्तों का सहयोग ऐसे मरीजों को तंदुरूस्त होने और अच्छी जिंदगी जीने में मदद करता है.

जो लोग अकेले रहते हैं उनके तंदुरुस्त होने में रुकावट आ जाती है, क्योंकि उन्हें दवाइयां लेने, बताए गए एक्सरसाइज करने के लिए प्रोत्साहन और चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाने के लिए जिस साथ की जरूरत होती है, वह उनके पास नहीं होता.

सोर्स: http://hindi.news18.com/news/family-and-welfare/health/living-alone-after-heart-attack-can-cause-health-issues-968640.html

गुणकारी पुदीने का जादुई असर निखारेगा गर्मियों में त्वचा की रंगत


पुदीना अच्छा एंटीबायटिक होने के साथ ही आपकी त्वचा को भी बेमिसाल बनाता है.

खाने का जायका बढ़ाने वाला पुदीना पेट की समस्याओं को दूर करने की औषधि भी है. गर्मियां आते ही बाजार में चारों तरफ सिर्फ पुदीना ही दिखाई देता है. पुदीना लगभग हर घर की रसोई में होता है. इसका एंटी-बैक्टीरियल गुण भी इसके फायदों में इजाफा करने का काम करता है. पुदीने को गुणों की खान माना जाता है.

साधारण-सा दिखने वाला ये पौधा बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी प्रभाव रखता है. इसमें मौजूद फाइबर आपके कॉलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं और इसमें मौजूद मैग्नीशियम हड्डियों को ताकत देता है और इन्हें मजबूत बनाता है. पुदीना अच्छा एंटीबायटिक होने के साथ ही आपकी त्वचा को भी बेमिसाल बनाता है. आज आपको बताते हैं पुदीने के फायदे.

पुदीने की तासीर ठंडी होती है

त्वचा को पोषण देता है

पुदीना अपनी ठंडी तासीर के लिए जाना जाता है. खीरे की तरह ही पुदीना भी त्‍वचा को मॉश्‍चराइज करने के काम आता है. पुदीने की पत्तियों के रस को चेहरे पर लगाने से त्‍वचा को ताजगी और नमी मिलती है. साथ ही पुदीने के रस से त्‍वचा के पोर्स भी खुलते हैं. पुदीने की पत्तियों के रस को दही या शहद के साथ मिलाकर लगाना बहुत फायदेमंद होता है.

दाग-धब्बों से दिलाता है मुक्ति
बढ़ती उम्र का असर चेहरे पर भी दिखाई देता है. जैसै-जैसे उम्र बढ़ती है, त्वचा पर दाग-धब्बे उभरने लग जाते हैं. पुदीने की पत्तियों का पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगाने से ये दाग-धब्बे दूर होते हैं. कुछ ही समय बाद आपको इसका फर्क दिखाई देने लगेगा. इसके अलावा यह पिग्मेंटेशन की समस्या को भी दूर करने का काम करता है.

पुदीने की पत्तियों में सैलीसिलिक एसिड पाया जाता है

कील-मुंहासों दूर करता है
पुदीने की पत्तियों में सैलीसिलिक एसिड पाया जाता है, जो कील-मुंहासों और उनसे होने वाले दाग-धब्बों को दूर करने में मदद करता है. इसके लिए पुदीने की पत्त‍ियों में गुलाब जल मिलाकर पेस्ट की तरह पीस लें और इसे चेहरे पर लगाएं. कुछ ही दिनों में आपको अपनी त्वचा में फर्क नजर आने लगेगा. आप चाहे तो पुदीने की पत्तियों के पेस्ट में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर भी मुंहासों पर लगा सकते हैं.

त्वचा की रंगत निखारता है
बदलते मौसम की वजह से त्वचा का रूखा होना स्वाभाविक है. इस रूखेपन से बचने के लिए रोज के खाने में पुदीना शामिल करें. इससे भरपूर एंटीऑक्सीडेंट मिलेगा और त्वचा का निखार बरकरार रहेगा. इसके अलावा पुदीना न केवल त्वचा की सफाई करने के काम आता है बल्क‍ि इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा की रंगत भी निखरती है. त्‍वचा में निखार लाने के लिए पुदीने की पत्तियों के पेस्ट या फिर इसके रस को नियमित रूप से चेहरे पर लगाएं.

पुदीने में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है

सनबर्न और टैनिंग से बचाता है
गर्मियों में तेज धूप की वजह से हमारी त्‍वचा टैन हो जाती है. त्वचा की टैनिंग दूर करने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत मददगार होता है. टैनिंग दूर करने के लिए त्‍वचा पर पुदीने की ताजा पत्तियों के लेप को लगाने से जल्‍द फायदा मिलता है. इसके अलावा गर्मियों में तेज धूप में सनबर्न की समस्या बेहद आम है. सनबर्न वाली त्वचा पर मुल्तानी मिट्टी में पुदीने का रस या पिपिरमिन्ट ऑयल मिलाकर लगाने से मुक्ति मिलती है.

इन टिप्स से आप भी 9 घंटे काम करते हुए रह सकते हैं एकदम फिट!


नई दिल्लीः आजकल ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों को कई तरह की लाइफस्टाइल डिजीज़ जैसे हाई कॉलेस्ट्रॉल, मोटापा, स्लिप डिस्क, फ्रोजन शोल्डर पेन, यूरिक एसिड प्रॉब्लम, स्टमक प्रॉब्लम, डायबिटीज रहती है. ऐसे में एबीपी न्यूज़ ने डायटिशियन डॉ. अर्चना गुप्ता से इस सिचुएशन पर बात की.

एबीपी न्यूज़ ने जाना कि अगर कोई ऐसा कमर्चारी जिसे हाई कॉलेस्ट्रॉल, मोटापा, स्लिप डिस्क और हाई यूरिक एसिड है. जो घंटों कंप्यूटर पर काम करता है, लॉन्ग ट्रैवल करता है. उसकी फैमिली हिस्ट्री में किसी को डायबिटीज, हार्ट अटैक और थॉयरॉइड जैसी डिजीज़ हैं तो उसका रूटीन क्या होना चाहिए. उसकी डायट क्या होनी चाहिए.

सिचुएशन


जेंडर– पुरुष, उम्र– 30 से 35 साल, वजन– 80 से 85 किलो, खानपान– शाकाहारी (अंडा शामिल है)


वर्किंग आवर्स– 9 घंटे, ऑफिस टाइम– सुबह 10 से शाम 7, टोटल ट्रैवल टाइम– 2 से 3 घंटे


बीमारियां– हाई कॉलेस्ट्रॉल, मोटापा, स्लिप डिस्क और हाई यूरिक एसिड


फैमिली हेल्थ हिस्ट्री– डायबिटीज, हार्ट अटैक, थॉयरॉइड और मोटापा, हाई कॉलेस्ट्रॉल

डॉ. अर्चना का कहना है कि सबसे पहले तो ऐसे कर्मचारियों को लो फैट, लो सॉल्ट और लो शुगर डायट लेनी चाहिए. इसके साथ ही ऑयल कंटेट पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है. इसके अलावा 50 ग्राम डायट में प्रोटीन और 1800 से 2000 कैलोरी इंटेक कुल दिनभर में लेना होगा. इसके बाद फॉलो करना होगा एक‍ रूटीन.

वर्कआउट है बहुत जरूरी- आपको सुबह 7 से 7.30 बजे तक उठना होगा. ताकि आप वॉक, वर्कआउट (स्विमिंग, एरोबिक, रनिंग, साइक्लिंग) या योगा कर सकें. दरअसल, मोटापा सिर्फ कैलोरी कम करने से नहीं जाएगा वर्क आउट करना भी जरूरी है. बॉडी वेट मेंटेन करना बहुत जरूरी है. रोजाना 250 से 400 कैलोरी तक बर्न करना जरूरी है. तभी आप बॉडी वेट भी मेंटेन कर पाएंगे. एक सप्ताह में कम से कम 5 दिन वर्कआउट करें. 30 मिनट तक वर्कआउट के बाद 10 मिनट तक स्लिप डिस्क के लिए स्पेशल एक्सरसाइज जरूर करें. तभी स्लिप डिस्क की प्रॉब्लम ठीक कर पाएंगे. इसके अलावा ऑफिस में भी वॉक, सीढ़ि‍या चढ़ना जैसी एक्टिविटी करते रहें. इससे आसानी से 300-400 तक कैलोरी रोजाना बर्न होगी.

वॉटर- यूरिक एसिड बढ़ा है तो दिनभर में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी या लो सॉल्टेड (काला या सेंधा नमक) शिकंजी या लिक्विड डायट जरूर लें.

ऑयल- दिनभर में कोई एक ऑयल का इस्तेमाल ना करें. दिनभर में 3 टेबल स्पून ऑयल का इस्तेमाल फूड कुकिंग और खाने में करें. 1 स्पू न घी या बटर, 2 स्पून कोई ऑयल जैसे – मस्टर्ड ऑयल, सनफ्लोवर सीड्स ऑयल, ऑलिव ऑयल या पीनट ऑयल ले सकते हैं.

डेली रूटीन-

• सुबह उठते ही एक से तीन गिलास तक पानी पीएं.

• फ्रेश होने के बाद 5 भीगे हुए बादाम और भीगे हुए आधे-आधे दो अखरोट खाएं या एक पूरा अखरोट खाएं.

• 40 मिनट वर्कआउट करें. इन सबसे कॉलेस्ट्रॉल भी कम होगा.

• ऑफ्टर वर्कआउट एक कप चाय लें. ग्रीन टी, लेमन टी, हर्बल टी या मिल्क टी भी हो सकती है. लेकिन मिल्क टी में दूध अलग से उबालें और बाकी चीजें अलग उबालकर बाद में कप में डालकर पीएं.

• चाय के साथ 1 मैरी बिस्कुट, रस्क या हाई फाइबर बिस्कुट जरूर लें.

• ब्रेकफास्ट टाइम में उपमा, पोहा, चिला, बैम्बिनो, दो सफेद अंडे विदआउट यॉक, ओट्स, मिल्क कॉर्नफ्लेक्स, सीरियल्स, जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं. अगर आपका लंच देर से होता है तो दो चपाती, दही या सब्जी का सेवन कर सकते हैं.

• अंडे सप्ताह में दो बार से ज्यादा ना खाएं. जो भी आप खा रहे हैं उसमें 25% स्टार्च, 25% फ्रूट्स, 25% वेजिटेबल्स और 25%प्रोटीन का होना चाहिए.

• ब्रेकफास्ट में जूस और दूध ना लें. बटर मिल्क ले सकते हैं.पास्ता, नूडल्स, मैकरोनी, ब्रेड यानि मैदा से बनी चीजें कम खानी चाहिए. हां, सप्ताह में एकाध बार इन चीजों का सेवन बहुत सारी सब्जियां डालकर किया जाए तो कोई दिक्कत नहीं है.

• होल व्हीट ब्रेड या मल्टी ब्रेड और बन खा सकते हैं. ब्रेड में सब्जी, अंडे या पनीर की स्टफिंग कर सकते हैं.

• आपका ट्रैवल टाइम 1 से 2 घंटे है तो रास्ते में कोई भी सीजनल फ्रूट लें लेकिन यूरिक एसिड की वजह से सिट्रिक फ्रूट्स ना खाएं. काले अंगुर, केला, लीची, चीकू, मैगो कम खाने है या नहीं खाने. सीजनल फ्रूट्स ही खाएं.

• लंच में एक कटोरी दाल, एक कटोरी सब्जी, एक कटोरी दही और दो चपाती या एक बाउल चावल लें.शाम को स्नैक्स में कुछ बॉयल या रॉस्टेड चीजें जैसे-पॉपकर्न, मूंगफली, मुरमुरे, बॉयल कॉर्न, पोहा या डायट नमकीन, सत्तू खा सकते हैं.

• अगर कुछ खाने का मन नहीं है नारियल पानी या एक फ्रूट ही ले लें. काले चने और स्प्राउट्स ना लें. मसाले खा सकते हैं लेकिन ऑयल कम खाएं. या चाय के साथ बिस्कुट ले लीजिए.

• रात में अगर 9 या 9.30 तक घर पहुंच रहे हैं तो सबसे पहले एक बाउल सलाद खाएं इसके कुछ देर बाद डिनर करें. सोने और खाने में दो घंटे का गैप रखें. डिनर में एक से दो चपाती, सब्जियां खाएं. चपाती नहीं भी खाएंगे तो चलेगा. कुछ कॉन्टिनेंट भी ले सकते हैं.

• डिनर के बाद 500 कदम तक टहलें.इसके बाद आप सोने से पहले एक कप विदआउट शुगर मिल्क लें. दूध डबल टोंड या टोंड होना चाहिए.दिनभर में मीडियम साइज का एक ताजा आलू खाया जा सकता है.

इस रूटीन को फॉलो करेंगे तो आप ना सिर्फ बीमारियों से बचेंगे बल्कि चुस्त-दुरूस्त भी रहेंगे.

नोट: आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.

हार्ट अटैक से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय, समय से पहले पहचानें इसके लक्षण!


नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे और फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री रीमा लागू का आज हार्ट अटैक से निधन हो गया. इसी साल जनवरी में बॉलीवुड अभिनेता ओम पुरी का भी हार्ट अटैक से निधन हो गया था. इस तरह अचानक इनके निधन से देशभर में शोक की लहर है. ऐसे में एबीपी न्यू्ज़ ने मैक्स वैशाली के कार्डियोलॉजिस्टि डॉ. असित खन्ना से जाना कि अचानक हार्ट अटैक के क्या कारण है. कैसे हार्ट अटैक से बचा जा सकता है और क्या-क्या एतिहायत बरतें.

सर्दियों में अधिक रहता है हार्ट अटैक का खतरा-
डॉ. असित का कहना है कि गर्मियां हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि हार्ट अटैक पड़ जाएगा. गर्मियों से हार्ट अटैक का कोई लेना-देना नहीं है. मौसम कोई भी हो, हार्ट अटैक के सिम्टम्स एक जैसे ही रहते हैं. हां, गर्मियों के बजाय सर्दियों में हार्ट अटैक ज्यादा पड़ता है.

युवाओं में भी बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा-
डॉ. खन्ना के मुताबिक, आज के लाइफस्टाइल के चलते अब तो 30 से 35 साल की उम्र में भी हार्ट अटैक के मरीज सामने आ रहे हैं. आज के समय में युवा हार्ट डिजीज जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज और हार्ट अटैक के मरीज हैं.

50 की उम्र के बाद हर साल ये चार टेस्ट करवाने है जरूरी-
डॉ. खन्ना के मुताबिक, 50 की उम्र के बाद अगर एलुअल चेकअप करवाया जाता तो शायद रीमा जी की अचानक डेथ नहीं होती. प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप 50 की उम्र के बाद बेहद जरूरी हो जाता है. ईको, टीएमटी, शुगर और कॉलेस्ट्रॉल का टेस्ट हर किसी को 50 की उम्र के बाद हर साल करवाने चाहिए. ऐसे अचानक किसी डिजीज से होने वाली डेथ से बच सकते हैं. टेस्ट करवाने से बीमारी की शुरूआत में ही उसे पकड़ा जा सकता है.

इन चीजों पर करें अमल-

अगर आपकी उम्र 50 साल है या फिर आपके टेस्ट में कोई हार्ट डिजीज आई है तो सबसे पहले डायट पर कंट्रोल करें. लो फैट, लो सॉल्ट डायट लें.किसी भी तरह के नशीले पदार्थ जैसे- तंबाकू, धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन ना करें.रोजाना व्यायाम करें. इसमें आप जॉगिंग, वॉकिंग कर सकते हैं.वजन कंट्रोल करें. लो बॉडी वेट होगा तो आप फिट रहेंगे.50 की उम्र के बाद हर साल बॉडी चेकअप करवाएं. अगर घर में हैरिडिटरी डिजीज हैं तो 30 की उम्र के बाद उन डिजीज का समय-समय पर चेकअप जरूर करवाएं. इनमें मोटापा, डायबिटीज, हार्ट अटैक, थॉयरॉइड, कैंसर जैसी डिजीज शामिल हैं.अगर रिपोर्ट्स ठीक नहीं है और कोई भी गंभीर डिजीज का सिम्टम दिखाई देता है तो तुरंत दवाईंया र्स्टाट करें.आमतौर पर लोग दवाएं एवॉइड करते हैं और अन्य विकल्प चुनते हैं. तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.प्रोपर ट्रीटमेंट लें और डॉक्टर से फॉलोअप लेते रहें.

हार्ट अटैक के सिम्टम्स-

यूं तो हार्ट अटैक के कुछ-कुछ सिम्टम्स दिखाई देने लगते हैं लेकिन कुछ मामलों में हार्ट अटैक के लक्षण बिल्कल नहीं दिखाई देते. रीमा लागू के केस में ऐसा ही था. ऐसे में टेस्ट  करवाना बेस्ट जरिया है.

सिम्टम्स-

चलने में सीना भारी होने लगेगा. पहले जितना चल पाते थे उतना नहीं चल पाएंगे.चलते समय सांस फूलने लगेगी. सीढ़ी चढ़ते हुए जल्दी हांफने लगेंगे.पहले जितनी एक्सरसाइज कर पाते थे उतनी नहीं कर पाएंगे.जरूरत से ज्यादा पसीना आने लगेगा.चक्कर आने लगेगा. ब्लड प्रेशर जो पहले सामान्य रहता था अचानक बढ़ने लगेगा.शुगर जो पहले सामान्य थी या डायबिटीज नहीं थी अचानक डायबिटीज हो जाएगी.

 कुछ मिलाकर कहें कि चेस्ट हैवीनेस, स्वेटिंग, सांस फूलना, चक्कर आना और पैरों में सूजन ये पांच कार्डिएक सिम्टम्स होते हैं. जब भी ये लक्षण दिखाई दें. तुरंत अपना चेकअप करवा लें.

30 की उम्र के बाद चेकअप-

अगर चेकअप के दौरान 30 की उम्रया इससे अधिक उम्र में आपके लिपिड प्रोफाइल की रिपोर्ट्स बहुत खराब आई हैं तो आपको सबसे पहले अपनी डायट पर ध्यान देना चाहिए. सबसे पहले आप बीमारी की रोकथाम करेंगे. अपनी डायट कंट्रोल करें. फैटी फूड्स, सॉल्टी फूड्स, फ्राइड फूड्स, फास्ट फूड्स इन चीजों को एवॉइड करें. लो सॉल्ट, लो फैट डायट को अपनी डायट में शामिल करें.इसके बाद एक्सरसाइज को रूटीन में शामिल करना चाहिए. रोजाना एक्सरसाइज करके बॉडी का वेट मेंटेन करें. सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक रोजाना एक्सरसाइज करें.इसके बाद प्रणायाम, अनुलोम-विलोम, कपालभाति और योग जैसी चीजों को अपने रूटीन में शामिल करें.इन सबके बाद भी आपका कॉलेस्ट्रॉल हाई रहता है तो आपको फिर दवाईंया स्टार्ट कर देनी चाहिए.

कॉलेस्‍ट्रॉल मेडिसिन चलती हैं लाइफटाइम-
लोग ऐसा मानते हैं कि दवा इसलिए शुरू नहीं करेंगे क्योंकि इसे लाइफटाइम लेना पड़ेगा. इस पर डॉ. असित का कहना है कि बेशक कॉलेस्‍ट्रॉल हाई होगा तो मेडिसिन भी लेनी होंगी. उम्र बढ़ने के साथ-साथ कॉलेस्ट्रॉल भी बढ़ेगा. बढ़ती उम्र के साथ बीमारी कंट्रोल में रहे इस वजह से दवाएं लाइफटाइम खाने के लिए कहीं जाती हैं. जैसे बीपी, शुगर, इंसुलिन, थॉयराइड ऐसी बीमारियां हैं जो उम्र के साथ बढ़ती रहती हैं. इसी वजह से इनकी दवाएं लाइफ टाइम चलती हैं.

नोट: आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.