Thursday, May 25, 2017

हाई ब्लड प्रेशर को काबू में कैसे करें और हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाना चाहिए

आज कल की इस तेज रफ्तार से चलती दुनिया में हम लोगो को अपने शारीर का खयाल रखने के बारे में बहुत ही कम समय मिलता है जिसके चलते हमारे शारीर में अलग- अलग तरहां की बीमारियाँ उत्पन हो जाती है| जिसमे से एक है Blood Pressure की बीमारी जिसे High Blood Pressure और Low Blood Pressure कहते है| ब्लड प्रेशर की बीमारी अनुमन देश के 100 में से 90% लोगों को होती है| तो आज हम आपको हाई ब्लड प्रेशर के उपायों के बारे में बताने जा रहें है, तो आइये सबसे पहले यह जान लेते हैं कि लो ब्‍लड प्रेशर क्‍या होता है। नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे होने से कोई फर्क नही पड़ता लेकिन 90 से कम हो जाए तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते है और यही 130 के ऊपर हो जाये तो इसे हाई  ब्लड प्रेशर कहते है

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण

ज़्यादातर लोगो में कोई खास लक्षण नहीं होते है। कुछ लोगो में ज्यादा Blood Pressure बढ़ जाने पर सरदर्द होना, ज़्यादा तनाव, सीने में दर्द या भारीपन, सांस लेने में परेशानी, अचानक घबराहट, समझने या बोलने में कठिनाई, चहरे, बांह या पैरो में अचानक सुन्नपन, झुनझुनी या कमजोरी महसूस होना या धुंदला दिखाई देना जैसे लक्षण दिखाई देते है

हाई ब्लड प्रेशर किन व्यक्ति को हो सकता है?

मोटापा- शोध एवं अनुसंधानो से स्पष्ट हो चुका है की मोटापा उच्च रक्त चाप का बहुत बढ़ा कारण है। एक मोटे व्यक्ति मे उच्च रक्त चाप का खतरा एक समान्य व्यक्ति की तुलना मे बहुत बढ़ जाता है।

व्यायाम की कमी- खेल-कूद, व्यायाम, एवं शारीरिक क्रियाओ मे भाग न लेने से भी उच्च रक्त चाप का खतरा बढ़ जाता है।

विभिन्न बीमारियां- हृदयघात, हृदय की बीमारियाँ, गुर्दो का फ़ेल होना, रक्त वाहिकाओ का कमजोर होना आदि बीमारियो के कारण उच्च रक्त चाप हो जाता है।

ज्यदा खाने से- मैदा से बने खाद्य, चीनी, मसाले, तेल-घी अचार, मिठाईयां, मांस, चाय, सिगरेट व शराब आदि का ज्यदा सेवन करने से

आयु- जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है रक्त वाहिकाओ मे दिवारे कमजोर होती जाती है जिससे उच्च रक्त चाप की समस्या पैदा हो जाती है।

इन कारणो के अलावा अधिक नमक का सेवन और अत्यधिक मात्रा मे अल्कोहल, धूम्रपान अवम कॉफी का सेवन करने से उच्च रक्त चाप की समस्या पैदा हो सकती है।

हाई ब्लड प्रेशर को कम/काबू करने के लिए क्या करना चाहिए

अगर हाई ब्लड प्रेशर होने तक इसकी रोकथाम के लिए कोई कदम न उठाया जाए, तो यह बहुत बड़ी गलती होगी। कम उम्र से ही हमें अपनी सेहत का अच्छा खयाल रखना चाहिए। अगर आज हमने खुद की अच्छी देखभाल की, तो भविष्य में एक बेहतरीन ज़िंदगी जी पाएँगे।

तरबुज का सेवन- कभी आपने सोचा की तरबुज हमारे शरीर के उच्चरक्त चाप को नियंत्रित करने मे भी कारगर हो सकता है। तरबुज मे एक यौगिक मौजुद होता है। जिसका नाम कुकुरबोकिटरीन होता है यह हमारे शरीर मे मौजुद रक्त कोषिकाओं का चौड़ा करने मे मदद करता है। जिससे उच्च रक्त चाप धीरे-धीरे नियंत्रित होने लगता है। तरबुतज का एक और फायदा है। यह हमारे शरीर के गुर्दे की कार्य प्रणाली मे भी सुधार लाता है।

मोटापे को नियंत्रित करें-  नियमित व्यायाम करें गहरी नींद लेने, तनाव मुक्त रहने और उचित आहार लेने से उच्च रक्त चाप को नियंत्रित किया जा सकता है।

लहसुन का सेवन – लहसुन ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकता है लहसुन न केवल खाद्य पदार्थो के स्वाद को बढाने के लिए प्रयोग मे लिया जाता है अपितु लहसुन का आयुर्वेद के अनुसार कई उपयोग होते है जिनमे से एक होता है उच्च रक्त चाप, उच्च रक्त चाप को नियंत्रित करने मे लहसुन एक काफी फायदे मंद घरेलु उपचार है। लहसुन मे मौजुद नाइटिक आॅक्साइड और हाइडोजन जो हमारी रक्त वाहिकाओं को आराम पहुॅचाता है।

अदरक का सेवन- प्याज और लहसुन की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। इनसे धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।

फाइबर का सेवन- फाइबर आपके सिस्टम को साफ़ करते हैं और पाचन को नियमित करके ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने में मदद करते हैं | कई फलों, नट्स और फलियों जैसे बीन्स और मटर में समग्र अनाज के उत्पादों के समान फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है |

सौंफ, जीरा, शक्‍कर का सेवन- सौंफ, जीरा, शक्‍कर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।

अजवाइन का सेवन- आप प्रतिदिन एक ग्लास पानी मे साथ अजवाइन को सेवन कर सकते है। आप चाहे, तो दिन मे दो या तिन बार अजवाइन को खा भी सकते है। इससे भी आपके उच्च रक्तचाप को फायदा होगा।

काली मिर्च का सेवन- जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गर्म पानी में काली मिर्च पाउडर एक चम्मच घोलकर 2-2 घंटे के अंतराल पर पीते रहें।

नींबू का सेवन- बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें।

आंवले और शहद का सेवन- एक बडा चम्मच आंवले का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।

हरी घास-  नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।

हर इंसान को 30 साल की उम्र के बाद साल में कम से कम एक बार अपने Blood Pressure की जांच जरूर करानी चाहिए। जिन लोगो की family में Blood Pressure का ईतिहास हैं उन्हे 20 साल की उम्र के बाद सेही हर साल Blood Pressure की जांच कराना चाहिए।

लो ब्लड प्रेशर में क्या खाना चाहिए और क्यों

आज कल की इस तेज रफ्तार से चलती दुनिया में हम लोगो को अपने शारीर के बारे में सोचने का समय बहुत ही कम मिलता है जिस की चलते हमे अलग- २ तरहां की बीमारियाँ हो जाती है| जिसमे से एक है लो ब्लडप्रेशर की बीमारी जो अनुमन 100 में से 90% लोगों को होती है| तो आइये सबसे पहले यह जान लेते हैं कि लो ब्‍लड प्रेशर क्‍या होता है। नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे होने से कोई फर्क नही पड़ता लेकिन 90 से कम हो जाए तो उसे लो ब्लड प्रेशर, निम्न रक्तचाप कहते हैं।

लो ब्लडप्रेशर के लंक्षण 

यदि आप को लो ब्‍लड प्रेशर की जानकारी नहीं है और आपको इसके लंक्षण के बारे में नहीं पता है तो हम आप को बतातें है अगर आपको अक्सर चक्कर आते हैं, कमजोरी महसूस होती है, हाथ पैरों में थरथराहट होने लगती है या फिर दिल जोर जोर से धड़कने लगता है तो आप उसी समय अपना BP जाँच करवाये।

लो ब्लड प्रेशर में क्या खाना चाहिए

अगर आपको लो ब्लड प्रेशर की समस्या है तो आपको कुछ एसी चीजें खानी चाहिए जिससे आपका ब्लड प्रेशर  नार्मल हो जाए और आप एक स्वस्थ जीवन असानी से जी सकें|

खाने में नमक की मात्रा बढाएं – लो ब्लड प्रेशर हो तो ज्यादा नमक लें, नमक में सोडियम मौजूद होता है, जो ब्‍लड प्रेशर बढ़ाता है। कम ब्लड प्रेशर में एक गिलास पानी में 1 चम्मच नमक मिलाकर पीने से फायदा मिलता है।

कॉफी का सेवन करें – ब्लड प्रेशर को नार्मल करने के लिए कॉफी बहुत फायदेमंद होती है, इसके सेवन के लिए पहले यह जांच ले कि ब्‍लड प्रेशर कम ही हो। आपको रोजाना सुबह एक कप कॉफी पीना चाहिए।

बादाम का सेवन करें –  रात को बादाम की तीन-चार गिरी जल में डालकर रखें। प्रातः उठकर गिरी को पीसकर मिस्री और मक्खन के साथ खायें और ऊपर से दूध पीने से निम्न रक्तचाप नष्ट होता

किशमिश के सेवन करें – 10-15 किशमिश के दाने रात में भिगो दें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। जिस पानी में किशमिश भिगोई थी आप उस पानी को भी पी सकते हैं।

छुहारे और खजूर का सेवन करें – रात्रि में 2-3 छुहारे दूध में उबालकर पीने या खजूर खाकर दूध पीते रहने से निम्न रक्तचाप में सुधार होता है।

खट्टे फलों का सेवन करे – लो ब्लड प्रेशर में आप संतरे, मोसमी जैसे फलों का सेवन करे और लेमन जूस में हल्का सा नमक और चीनी डालकर पीने से लो ब्लड प्रेशर में काफी फायदा होता है। इससे शरीर को एनर्जी तो मिलती ही है साथ ही लीवर भी सही काम करता है।

आंवले और शहद को मिलाकर सेवन करें – आंवले के 2 ग्राम रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर कुछ दिन प्रातःकाल सेवन करने से लो ब्लड प्रेशर दूर करने में मदद मिलती है।

लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए पैदल चलना, साइकिल चलाना और तैरना जैसी कसरतें बेहद फायदेमंद साबित होती हैं। इन सबके अलावा सबसे जरूरी यह है कि व्यक्ति तनाव और काम की अधिकता से बचें।

गैस और कब्ज के घरेलू उपचार

आज की इस तेज चलती जिन्दगी में हम लोग अपने शरीर पर ज्यदा ध्यान नहीं दे पाते है जिस के चलते हम में से अधिक्तर लोगों को पेट में गैस और कब्ज रहती है| पेट में गेस और कब्ज होने के कई अलग अलग कारण होते है और हम लोग को जब कभी गैस, कब्ज होती है तो हम अधिकतर डॉक्टर से या मेडिकल की दुकान से गैस की दवा ला कर खा लेतें है पर उससे हमारे शरीर को फायदा कम नुकसान ज्यदा होता है| और इसका उल्टा की हमारे घर पर ही कई ऐसी चीजें मोजूद होती है जिनसे हम असानी से अपनी गैस की समस्या से अराम पा सकतें है| तो आज हम आपको बताने जा रहें है पेट में गैस और कब्ज के कुछ घरेलू उपचार


पेट में गैस और कब्ज से राहत के उपाये

नींबू का रस – नींबू के रस में अदरक का रस मिलाकर और थोड़ी सी शक्कर मिलाकर पीने से पेट दर्द में राहत मिलती है।

काला नमक – काला नमक गर्म पानी में थोड़ी मात्र में काले नमक को मिलकर आप अपनी पेट की तकलीफ से आराम पा सकते है |

गर्म पानी – गर्म पानी में नींबू का रस रात्रि में लेने से कब्ज दूर होती है।

मेथी पानी – मेथी पानी और मेथी के बीजो से तैयार काढ़ा आपके पेट की गैस की तकलीफ को काफी हद तक कम कर सकता है। इसलिए इसका इस्तेमाल भी आप कर सकते है |

अदरक – अदरक के छोटे छोटे टुकड़े कर उस पर नमक डालकर दिन मे कई बार उसका सेवन करे गैस की परेशानी से छुटकारा मिलेगा, शरीर हल्का होगा और भूख भी खुलकर लगेगी

अदरक – अदरक का एक छोटा सा टुकड़ा दातों से अच्छे से चबाये और उसके बाद गर्म पानी का एक ग्लास पियें या इसके अलावा आप अदरक को पानी में उबाल कर भी पी सकते है |

सलाद – सलाद भोजन के साथ सलाद के रूप मे टमाटर,मुली,खीरे पर काला नमक डालकर खाने से पेट की गैस खत्म होती है। और पेट साफ भी रहता है।

लहसुन – एक लहसुन की फाक को छिलकर सुबह शाम खाली पेट या खाना खाने के बाद चबाकर निगल जाए यह पेट की गैस मे काफी लाभकारी माना जाता है।

पानी और मेथी – पानी और मेथी के बीजो से तैयार काढ़ा आपके पेट की गैस की तकलीफ को काफी हद तक कम कर सकता है इसलिए इसका इस्तेमाल भी आप कर सकते है |

हिंग – हिंग चूरन एक गिलास पानी के साथ 5 gm हिंग का चूरन खाने से सभी प्रकार के वायु विकार (Gas) की बीमारी दूर हो जाती है।

नींबू का रस – नींबू का रस एक नींबू को निचोड़कर उसका रस निकल ले इसमें आधा चम्मच बेकिंग सोडा  तथा एक कप पानी मिश्रित करें। इसे तब तक हिलाएं जब तक बेकिंग सोडा पानी में अच्छे से ना घुल जाए। इसे पी लें तथा गैस की समस्या से मुक्त हो जाएं।

मूली – मूली सबसे पहले मुली का juice निकाल ले और इसमें एक चुटकी हिंग और काली मिलाकर इसका सेवन करे यह एक बहुत ही फायदेमंद घरेलू नुस्खा है।

दालचीनी – पेट की गैस मे दालचीनी का उपयोग पेट की गैस दूर करने के लिए आधा चमच्च दालचीनी का पाउडर गुनगुने पानी के साथ ले यह गैस दूर करने का कामयाब Aurvedic घरेलू नुस्खा है।

हल्दी – हल्दी एक गुणकारी औषदी के रूप मे उपयोग होती है। हल्दी को पिस कर उसमे सेंध नमक मिलाकर पानी के साथ लेना इस बीमारी मे लाभकारी होता है।

पानी – पानी गैस की समस्या होने पर दिन मे कई बार ज्यादा से ज्यादा पानी पिए क्योकि पानी ज्यादा पीने से पेट साफ रहता है। तथा गैस होने से भी रोकता है।

पेट में गैस बनने के कुछ मुख्य कारण

चाय और कॉफ़ी से गैस- यह हमारी पेट में गैस बनने की समस्या का मूल कारण है क्योंकि चाय और कॉफ़ी का सेवन अगर संतुलित हो तो इतनी परेशानी नहीं होती है लेकिन आज के खानपान के अनुसार काम की भार अधिक होने पर हम काफी दबाव महसूस करते है और खुद को अधिक देर तक तरोताजा बनाये रखने के लिए हम अक्सर चाय और कॉफ़ी का अधिक सेवन करते है कभी कभी हम यह देर रात तक जागने के लिए भी करते है | चूँकि कॉफी अम्लीय होती है इसलिए यह हमारे पेट में गैस की समस्या को बहुत बढ़ा देती है |

खाली पेट होने से गैस- चूँकि हमारे पेट की आंते और अन्य पाचन के अंग तब भी काम करते है जब हमे भूख लगती है और हम समय पर कुछ नहीं खा पाते और क्योंकि भोजन पचाने के लिए हमारे पेट में कई तरह के अम्ल बनते है इसी वजह से लम्बे समय तक भूखे रहने से हमारे पेट में (Acidity) बढ़ जाती है और हम पेट की गैस के शिकार हो जाते है |

पेट में गैस पैदा करने वाले भोज्य पदार्थो- राजमा, सफेद चने, फूल गोभी भारी दालें और देर से पचने वाले भोजन को खाने से भी पेट की परेशानियो से हमे दो चार होना पड़ता है |

गलत भोज्य पदार्थो के मिश्रण से गैस- हम जब भी खाना खाते है तो ध्यान रखने की जरुरत है कि कुछ भी ऐसा नहीं खाएं जो भोजन की प्रकृति के अनुसार बेमेल हो जैसे कि खाने के बाद तरबूज का सेवन हमारे पेट में गैस बनाता है इसलिए इस तरह के बेमेल खाद्य पदार्थो के सेवन से जितना हो सके बचे | जल्दी जल्दी और बिना चबा कर किया गया भोजन भी पेट में गैस पैदा करता है ।

जाने अरीठा/रीठा से हमारे शरीर को कितने फायदे

आज हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसा फल जिस के बारे में आप सबने सुना तो होगा पर उसके अनेको गुणों से अनभिज्ञ है. जीहाँ अरीठा या रीठा एक ऐसा फल जिसके सेवन से आपकी सेहत में बहुत लाभ पहुचता है.

अरीठे के वृक्ष भारतवर्ष में अधिकतर सभी जगह होते हैं। यह वृक्ष बहुत बड़ा होता है, इसके पत्ते गूलर से भी बड़े होते हैं। अरीठे के वृक्ष को साधारण समझना केवल भ्रम है। अरीठे को पीसकर नहाते समय सिर पर डाल लेने से साबुन की आवश्यकता ही नहीं रहती है।

कहाँ – कहाँ इस्तेमाल होता है अरीठा

अरीठा या रीठा के फल में सैपोनिन, शर्करा और पेक्टिन नामक कफनाशक पदार्थ पाया जाता है। इसके बीज में 30 प्रतिशत चर्बी होती है। जिसका उपयोग साबुन बनाने में किया जाता है। यह त्रिदोषनाशक और ग्रहों को दूर भगाता है। रीठा का उपयोग उल्टी लाने , दस्तावर, हानिकारक कीटाणु और कफनाशक, गर्भाशय विशेषकर अफीम का जहर दूर करने में किया जाता है। इसका विशेष प्रयोग कफवात रोगों में किया जाता है।

अरीठा के अनेको फायदे

अरीठे के इस्तेमाल से हम अनेको बिमारियों से अपने शरीर को बचा सकतें है

बवासीर (अर्श) : रीठा के पीसे हुए छिलके को दूध में मिलाकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली नमक तथा छाछ के साथ लेने से बवासीर के रोग में आराम आता है।

रीठा के छिलके : रीठा के छिलके को जलाकर उसके 10 ग्राम भस्म (राख) में 10 ग्राम सफेद कत्था मिलाकर पीस लें। इस आधे से 1 ग्राम चूर्ण को रोजाना सुबह पानी के साथ लेने से बवासीर के रोग में आराम आता है।

संग्रहणी : 4 ग्राम रीठा को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर गर्म करें। जब तक झाग न उठ जायें। तब तक गर्म करते रहें। उसके बाद इसे हल्का गर्म-गर्म पीने से संग्रहणी अतिसार (बार-बार दस्त आना) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।

माहवारी सम्बंधी परेशानियां : रीठे का छिलका निकालकर उसे धूप में सुखा लें। फिर उसमें रीठा का 2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ सेवन करते हैं। यह माहवारी सम्बंधी रोगों की सबसे बड़ी कारगर दवा है।

कान में मैल जमना : रीठे के पानी को किसी छोटी सी पिचकारी या सिरिंज (वह चीज जिससे किसी चीज को कान में डाला जाये) में भरकर कान में डाल दें। इससे कान के अंदर मैल या जो कुछ भी होगा वह मुलायम हो जायेगा फिर किसी रूई की मदद से इसे निकाल लें।

जुकाम : रीठे के छिलके और कायफल को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सूंघने से जुकाम दूर हो जाता है।

नजला, नया जुकाम : 10-10 ग्राम रीठा का छिलका, कश्मीरी पत्ता और धनिया को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को नाक से सूंघने से जुकाम में लाभ होता है।

उपदंश (सिफलिश) : रीठे का छिलका पिसा हुआ पानी में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 गोली दही में लपेटकर सुबह के समय खायें। थोड़ी दही ऊपर से खाने से उपदंश रोग में लाभ मिलता है। परहेज में नमक और गर्म चीजें न खायें।

मुर्च्छा (बेहोशी) : पानी में रीठे को पीसकर 2-3 बूंदे पानी नाक में डालने से बेहोश रोगी जल्द ही होश में आ जाता है।

गठिया रोग : गठिया के दर्द को दूर करने के लिए रीठा का लेप करने से लाभ मिलता है।

रतौंधी : रीठे को पानी के साथ पीसकर रोजाना 2 से 3 बार आंखों में लगाने से रतौंधी (रात मे न दिखाई देना) रोग में लाभ होता है।

रात में न दिखाई देना: रीठे के छिलके को पीसकर पानी में मिलाकर सुबह सूरज उगने से पहले नाक में डालने से रतौंधी (रात में न दिखाई देना) का रोग दूर हो जाता है।

उल्टी कराने वाली औषधियां : 3.50 मिलीलीटर से 7 मिलीलीटर तक रीठे का चूर्ण रोगी को पिलाने से उल्टी होना शुरू हो जाती है।

दस्त : 1 रीठे को आधा लीटर पानी में पकाकर ठंडा करके फिर उस पानी को आधे कप की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम पीने से दस्त आना बंद हो जाता है।

दर्द :अरीठा या रीठा का चूर्ण नाक से सूंघने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द खत्म हो जाता है।

बच्चों के विभिन्न रोग : रीठे के छिलके को पीसकर इसका चूर्ण बना लें। यह चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में शहद में मिलाकर बच्चे को पिलायें। इससे दस्त के साथ कफ (बलगम) बाहर निकल जाएगा और डब्बा रोग (पसली का चलना) समाप्त हो जायेगा। मूंग के बराबर मात्रा में अभ्रक दूध में घोलकर पिला दें। इससे कफ (बलगम) शीतांग होना, दूध न पीना, मसूढ़े जकड़ जाना आदि रोग दूर हो जाएंगें। इससे पसलियों का दर्द भी दूर हो जायेगा। पसलियों में सरसों का तेल, हींग और लहसुन पकाकर मालिश कर लें। पर छाती मे मालिश न करें।

गंजापन : अगर सिर में गंज (किसी स्थान से बाल उड़ गये हो) तो रीठे के पत्तों से सिर को धोयें और करंज का तेल, नींबू का रस और कड़वे कैथ के बीजों का तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है।

गले का दर्द : रीठे के छिलके को पीसकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शहद में मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से गले का दर्द दूर हो जाता है।

गले के रोग : 10 ग्राम रीठे के छिलके को पीसकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुबह और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शाम को पान के साथ या शहद में मिलाकर रोजाना लेने से गले के रोगों में आराम मिलता है।

आधे सिर का दर्द : रीठे के फल को 1-2 कालीमिर्च के साथ घिसकर नाक में 4-5 बूंद टपकाने से आधे सिर का दर्द जल्द ही खत्म हो जाता है।

नाक का दर्द : रात को रीठे की छाल को पानी में डालकर रख दें और सुबह उसको मसलकर कपड़े द्वारा छानकर इसके पानी की 1-1 बूंद नाक में डालने पर आधे सिर का दर्द दूर हो जाता है।

सिर का दर्द : रीठा का चूर्ण नाक से सूंघने से आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द खत्म हो जाता है।

आंखों के रोग : आंखों के रोगों में रीठे के फल को पानी में उबालकर इस पानी को पलकों के नीचे रखने से लाभ होता है।

दांतों के रोग : रीठे के बीजों को तवे पर भून-पीसकर इसमें बराबर मात्रा में पिसी हुई फिटकरी मिलाकर दांतों पर मालिश करने से दांतों के हर तरह के रोग दूर हो जाते हैं।

अनन्त वायु : मासिकस्राव के बाद वायु का प्रकोप होने से स्त्रियों का मस्तिष्क शून्य (सुन्न) हो जाता है। आंखों के आगे अंधकार छा जाता है। दांत आपस में मिल जाते हैं। इस समय रीठे को पानी में घिसकर झाग (फेन) बनाकर आंखों में अंजन (काजल की तरह) लगाने से तुरन्त वायु (गैस) का असर दूर होकर स्त्री स्वस्थ हो जाती है।

रूसी : रीठा से बालों को धोने से बाल चमकदार, काले, घने तथा मुलायम होते हैं और बालों की फारस (रूसी) दूर होती है। रीठा के पानी से सिर को धोने से रूसी दूर हो जाती है।

बालों का मुलायम होना : 100 ग्राम कपूर कचरी, 100 ग्राम नागरमोथा और 40-40 ग्राम कपूर तथा रीठे के फल की गिरी, 250 ग्राम शिकाकाई, 200 ग्राम आंवला। सभी को एक साथ लेकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में पानी मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को बालों पर लगायें। इसके पश्चात बालों को गर्म पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अंदर की जूं-लींके मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं। रीठा, आंवला, शिकाकाई को मिलाने के बाद बाल धोने से बाल सिल्की, चमकदार, रूसी-रहित और घने हो जाते हैं।

श्वास या दमा का रोग : श्वास कास (दमा) में कफ निकालने के लिए रीठे का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से 1.20 ग्राम देते हैं। इससे उल्टी होकर कफ निकल जाता है।

दमा: रीठे के महीन चूर्ण का नस्य देने से भी श्वास रोग (दमा) में आराम मिलता है।

बालों को काला करना : 250-250 ग्राम रीठा और सूखा आंवला पिसा हुआ और 25-25 ग्राम शिकाकाई की फली, मेंहदी की सूखी पत्तियां तथा नागरमोथा को मिलाकर एक साथ पीस लें। शैम्पू तैयार है। इसका एक बड़ा चम्मच पानी में उबालकर इससे सिर को धोयें। इससे सफेद बालों में कालापन आ जाएगा।

पायरिया : 250 ग्राम रीठा के छिलके को भूनकर और बारीक पीसकर मंजन बना लें। रोजाना चौथाई चम्मच रीठे की राख में 5 बूंद सरसों का तेल मिलाकर मंजन करें। इससे लगातार 2 महीने तक मंजन करने से पायरिया रोग ठीक हो जाता है

फोड़ा : सिर के फोड़े पर रीठा का लेप करने से उसकी सूजन और दर्द ठीक हो जाता है।

दाद : 50 ग्राम रीठा की छाल, सड़ा हुआ गोला, नारियल, सड़ी गली सुपारी और 100 मिलीलीटर तिल का तेल और 400 मिलीलीटर पानी के साथ घोलकर और पानी में ही मिलाकर हल्की आग पर पकाने के लिए रख दें। जब पानी जल जाये और केवल तेल बाकी रह जाये तो इसे उतारकर छान लें। इस तेल को लगाने से छाजन, दाद, खुजली, चकते, फोड़े-फुन्सी आदि सारे त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं।

गुल्यवायु हिस्टीरिया : 4 या 5 रीठा को पीसकर 1 कप पानी में खूब मसल लें, फिर उससे निकले झाग को एक साफ कपड़े में भिगोकर रोगी को सुंघाने से हिस्टीरिया रोग की बेहोशी दूर हो जाती है।

कामला (पीलिया रोग) : 15 ग्राम रीठे का छिलका और 10 ग्राम गावजवां को रात में 250 मिलीलीटर पानी में भिगों दें। सुबह उठकर ऊपर का पानी पी जाएं। 7 दिनों तक यह पानी पीने से भयंकर पीलिया रोग (पीलिया) पीलिया मिट जाता है।

पीलिया रोग : रीठा के छिलके को पीसकर रात को पानी में भिगोयें। सुबह ये पानी नाक में रोजाना 3 बार 2-2 बूंद टपकाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

कुष्ठ (कोढ़) : रीठा को पीसकर कुष्ठ रोगी (कोढ़ के रोगी) के जख्मों पर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाते हैं।

खाज-खुजली : कण्डू और खाज-खुजली होने पर रीठा का लेप करने से लाभ होता है।

सिर का दर्द : पानी में रीठे की छाल को काफी देर तक घिसें और झाग आने पर उसी पानी को गर्म करके सुहाता हुआ 2 या 3 बूंद नाक के नथुनों में डालने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

नाक के नथुनों का दर्द :पानी में रीठे का छिलका घिसकर 2 बूंद नाक के नथुनों में डालने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

अफीम का विष : पानी में रीठे को इतना उबालें कि भाप आने लगे, फिर इस पानी को आधे कप की मात्रा में रोगी को पिलाने से अफीम का जहर उतर जाता है।

बिच्छू का विष : रीठा के फल की मज्जा (फल के बीच का भाग) को तम्बाकू की तरह हुक्के में रखकर पीने से बिच्छू का जहर खत्म हो जाता है।

बिच्छू का विष : रीठे के फल की गिरी को पीसकर उसमें बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 1-2 ग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को 5-5 मिनट के बाद पानी के साथ 15 मिनट में ही 3 गोली लेने से बिच्छू का जहर खत्म हो जाता है।

बिच्छू का विष :  रीठे के फल को पीसकर आंख में अंजन (काजल) की तरह लगाने से तथा दंषित (काटे हुए स्थान) पर लगाने से भी बिच्छू के जहर में लाभ होता है।

विषैले कीट : रीठे की गिरी को सिरके में पीसकर विषैले कीटों (कीड़ों) के काटने के स्थान पर लगाने से राहत मिलती है।

मिर्गी (अपस्मार) : रीठा के चूर्ण को रोगी को सुंघाने से मिर्गी नष्ट हो जाती है। रीठा के बीज, गुठली और छिलके समेत रीठे को पीसकर मिर्गी के रोगियों को रोजाना सुंघाने से मिर्गी रोग ठीक हो जाता है।

सिर का दर्द : 1 ग्राम रीठा का चूर्ण और 2-3 ग्राम त्रिकुटा चूर्ण को 50 मिलीलीटर पानी में डालकर रखें। सुबह के समय पानी को छानकर अलग शीशी में भर लें। इस पानी की 4-5 बूंदे सुबह के समय खाली पेट रोजाना नाक में डालने से भीतर जमा हुआ कफ (बलगम) बाहर निकल जाता है। नासा रन्ध्र फूल जाते हैं तथा सिर दर्द में भी तुरन्त लाभ मिलता है।

खूनी बवासीर : रीठे के फल में से बीज निकालकर फल के शेष भाग को तवे पर भूनकर कोयला बना लें, फिर इसमें इतना ही पपड़िया कत्था मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर कपडे़ से छान लें। इसमें से 125 मिलीग्राम औषधि सुबह-शाम मक्खन या मलाई के साथ 7 दिनों तक सेवन करें। परहेज में नमक और खटाई नहीं खानी चाहिए।

 अतिसार : रीठा की साढ़े 4 ग्राम गिरी को पानी में मसलें, जब इसमें झाग (फेन) पैदा हो जाये तो इस पानी को विसूचिका (हैजा) और अतिसार (दस्त) के रोगी के पिलाने से लाभ होता है।

मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन व कष्ट) : 25 ग्राम रीठे को रातभर 1 लीटर पानी में भिगोकर उसका छना हुआ पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब करने मे परेशानी) में लाभ मिलता हैं।

मासिक-धर्म : नष्टार्तव (मासिकस्राव बंद होना, रजोरोध) : रजोरोध में इसके फल की छाल या गिरी को बारीक पीसकर शहद में मिलाकर बत्ती बनाकर योनि में रखने से रुका हुआ मासिक-धर्म शुरू हो जाता है।

दर्द : रीठा की गिरी के लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण को शर्बत या पानी के साथ लेने से शूल (दर्द) खत्म हो जाता है।

वीर्य वृद्धि : रीठे की गिरी को पीसकर इसमें बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम 1 कप दूध के साथ सेवन करने से वीर्य बढ़ता है।

विष : रीठे के फल को पानी में पकाकर, थोड़ी मात्रा में लेने से उल्टी के द्वारा जहर बाहर निकल जाता है।

अगर आपके आस पास अरीठे का पेड़ नहीं है, या आपको पता नहीं की अरीठा कहाँ से मिलेगा तो आपको घबराने की जरुरत नहीं है आप अपने आस पास की किसी भी पंसारी की दुकान से यह अरीठा/रीठा असानी से प्राप्त कर सकतें है और यह बहुत मेहंगा नहीं बल्कि बहुत ही सस्ता होता है|

गर्मियों के मौसम में क्या खाए और क्या ना खाए

बदलते मौसम के अनुसार हमारे शरीर में भी स्वाभाविक परिवर्तन होते हैं जिस की वजह से कई बार हमारी तबियत  पर इस का असर पड़ता है| जैसे की अब गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है. इस मौसम में थोड़ी सी भी लापरवाही आपको कई बीमारियों का शिकार बना सकती है. तो हमे ऐसे मौसम में अपने सेहत का काफी ध्यान रखना चाहिए, ऐसे मौसम में हमें अपने खानपान का पूरा ध्यान रखना चाहिए खासतौर पर ऐसा खान न होना चाहिए जो कि शरीर को अंदर से ठंडा रखने में मदद करे| इसलिये इस मौसम में ऐसी सब्ज़ियों, फल और पेय पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करे जिनमें ज़्यादा मात्रा में पोषक तत्व और पानी मौजूद हों.

गर्मियों के मौसम में क्या ना खाए

गर्मियों के मौसम सूरज की ताप इतनी तेज होती है की वह शरीर को अंदर तक झुलसा देती है

• गर्मियों के मौसम में हमे तले हुआ खाने का प्रयोग नहीं करना चाहिए 

• ज्यादा मसालें वाले भोजन नहीं करना चाहिए 

• गर्मियों में जितना कम तेल का इस्तेमाल करें उतना अच्छा है, 

• देसी धी, वनस्पति धी, रिफ़ाइन्ड, सरसों का तेल, ऑलिव ओइल गर्म होते है इनका प्रयोग कम से कम करे.

• बर्गर, पिज्जा, तन्दूरी चिकन जैसे जंक फुड का सेवन ना ही करें तो बहतर.

• शहद गर्म होता है इस लिए शहद का सेवन कम से कम करें.

• चाय-कॉफ़ी कम पिए इसका सेवन करने से बॉडी में पानी की मात्रा कम हो जाती है.

• मिक्स फ्रूट नहीं खाने, हर एक फल को पचने में अलग–अलग समय लगता है इसलिए मिक्स फ्रूट का सेवन ना करे.

गर्मियों के मौसम में कोन से फल खाने चाहिए

गर्मियों के मौसम में कई तरहं के फल आते है जिनका सेवन कर आप अपने शारीर को बहुत लाभ पहुँचा सकते है.

तरबूज का सेवन – गर्मियों में तरबूज का सेवन करे यह आपके शरीर में पानी की कमी को पूरा करने का एक अच्छा स्रोत है। यह एक ऐसा फल है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और पानी की मात्रा सबसे अधिक होती है।
खरबूजे का सेवन – खरबूजे का भी सेवन कर सकते है। खरबूजे में विटामिन ए, बी, सी तथा सोडियम और पोटेशियम जैसे खनिज होते हैं। यह शरीर की सारी गर्मी सोख लेता है।
आम का सेवन – आम सबको बहुत पसंद आता है और गर्मियों में खूब मिलता है. इसे भरपूर मात्रा में विटामिन सी और आयरन पाया जाता है. ये गर्भवती महिलाओं के लिए भी बहुत अच्छा है.
कीवी फल का सेवन –  कीवी में विटामिन बी1, बी2, बी3, विटामिन सी और विटामिन के मिलता है. ये हृदय, दांत, किडनी और ब्रेन के लिए बहुत अच्छा है. ये हड्ड‍ियों के लिए भी बहुत अच्छा है.
खुबानी का सेवन – खुबानी यानी एप्रीकॉट में बीटा-कैराटीन होता है, जिसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं. ये कैंसर और हृदय रोगों की रोकथाम के लिए बहुत अच्छा होता है.
योगर्ट का सेवन – योगर्ट में प्रोटीन की मात्रा अध‍िक और वसा कम होता है. ये वजन घटाने में भी बहुत मददगार है. ये पाचन तंत्र को भी बहुत मजबूत बनाता है.

अन्य खाने योग्य पदार्थ

सलाद का सेवन – खाने में सलाद का प्रयोग ज़्यादा करना चाहिए. सलाद में 95 प्रतिशत मात्रा में जल होता है. इसमें प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक और वसा बिल्कुल कम होता है. सलाद में खीरा, ककरी और प्याज आदि का प्रयोग लाभदायक हो सकता है.

प्याज़ का सेवन – इसका सेवन गर्मियों में विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है. प्याज़ के नियमित सेवन से लू नहीं लगती है. साथ ही गर्मी से जुड़ी कई अन्य बीमारियां भी दूर रहती हैं.

पुदीने का सेवन – गर्मी के मौसम में डेली दही में पुदीना डाल कर खाना चाहिए. इससे शरीर को ठंडक मिलती है. यह पाचन को भी दुरुस्त रखता है.

खीरे का सेवन – गर्मियों में खीरा खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. इसमें विटामिन ए, बी1, बी6, सी, डी पोटैशियम, फॉस्फोरस, आयरन आदि पाए जाते हैं. यह कब्ज़ से मुक्ति दिलाता है. खीरा पानी का बहुत अच्छा स्रोत होता है, इसमें 96% पानी होता है.

गुलकंद का सेवन – गर्मियों में गुलकंद खाने से शरीर को ठंडक मिलती है. यह शरीर को डीहाइड्रेशन से बचाता है और त्वचा को भी तरोताज़ा रखता है. यह पेट को भी ठंडक पहुंचाता है. गुलकंद में विटामिन सी, ई और बी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं.

गर्मियों के मौसम में क्या पीना चाहिए

गर्मियों के गर्मियों के मौसम में में फलों के साथ-साथ कई एसी पैय चीजे है जिनके सेवन से आप गर्मियों में अपने शारीर को राहत पंहुचा सकते है

पानी का सेवन – गर्मियों के मौसम में आप जितना हो सके उतना पानी पिए, सुबह उठकर 2 गिलास पानी पिए और घर से बहार जाने से पहले पानी आवस्य पिए.

नींबू पानी का सेवन – यह गर्मी के मौसन का देसी टानिक है| शरीर में विटामिन सी की मात्रा कम हो जाने पर एनीमिया,जोड़ों का दर्द,दांतों के रोग,पायरिया,खासी और दमा जैसी दिक्कते हो सकती हैं|  नींबू में भरपूर  विटामिन सी होता है|  अत; इन बीमारियों से दूरी बनाए रखने में यह उपाय सफल रहता है| पेट में खराबी होना,कब्ज,दस्त होना में नींबू के रस में थौड़ी सी हींग,काली मिर्च,अजवाइन ,नमक,जीरा मिलाकर पीने से काफी राहत मिलती है|

पुदीने का सेवन – गर्मी में अक्सर बच्चों को लू लग जाती है. ऐसी स्थिति में पुदीने को पीसकर स्वाद अनुसार नमक,चीनी जीरा मिलाकर पुदीने का शरबत बनाके पीने से बहुत फायदा मिलता है. इस मौसम में रोज़ाना पुदीने का सेवन लाभदायक होता है.

नारियल के पानी का सेवन – गर्मियों में नारियल पानी पीते रहने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है. शरीर में पानी की कमी हो जाने पर, डायरिया हो जाने पर, उल्टी होने पर या दस्त होने पर नारियल का पानी पीना फायदेमंद रहता है. इससे पानी की कमी तो पूरी होती ही है साथ ही ज़रूरी लवणों की मात्रा भी संतुलित बनी रहती है.

तरबूज के रस का सेवन – तरबूज के रस से एसीडीटी का निवारण होता है|  यह दिल के रोगों डायबीटीज व् केंसर रोग से शरीर की रक्षा करता है

छाछ/मट्ठा का सेवन – गर्मी के दिनों में छाछ का प्रयोग हितकारी है| आयुर्वेद शास्त्र में  छाछ के लाभ बताए गए हैं|  भोजन के बाद आधा गिलास छाछ पीने से फायदा होता है| छाछ में पुदीना ,काला नमक,जीरा मिलाकर पीने से एसीडीटी की समस्या से निजात मिलती है| गर्मी की वजह से अगर तुरंत शरीर को ठंडक पहुंचानी है तो मठ्ठा पियें

सत्तू का सेवन – इसे भुने हुए चने , जोऊं और गेहूं पीस कर बनाया जाता है. सत्तू पेट की गर्मी शांत करता है. कुछ लोग इसमें शक्कर मिला कर तो कुछ लोग नमक और मसाले मिला कर खाते और पीते हैं. यह गर्मियों के मौसम में काफी फायदेमंद होता है. गर्मियों में प्यास बुझाने के लिए कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल सेहत के लिए जितना नुकसानदायक होता है, उतना ही चने के सत्तू का शर्बत लाभदायक होता है.

आम पना का सेवन – गर्मियों में आम का पन्ना पीना चाहिए. यह कच्चे आम का शर्बत होता है, जो आपको लू से बचाता है. कच्चे आम को पानी में उबालकर उसका गूदा निकाल कर बनाया जाता है गर्मियों में रोज़ाना दो गिलास आम का पना पीने से पाचन सही रहता है. इसके अलावा इससे कब्ज़ और पेट की समस्याएं भी दूर रहती हैं.

खस के शरबत का सेवन – गर्मी में खस का शरबत बहुत ठंडक देने वाला होता है| इसके शरबत से दिमाग को ठंडक मिलती है| इसका शरबत बनाने के लिये खस को धोकर  सुखालें| इसके बाद इसे पानी में उबालें|  और स्वाद अनुसार शकर मिलाएं| ठंडा होने पर छानकर बोतल में भर लें|

ठंडाई का सेवन – गर्मी में ठंडाई  काफी लाभ दायक होती है| इसे बनाने के लिये खस खस और बादाम रात को भिगो दें|सुबह इन्हें मिक्सर में पीसकर ठन्डे दूध में मिलाएं| स्वाद अनुसार शकर मिलाकर पीएं|  गर्मी से मुक्ति मिलेगी|

गन्ने के रस का सेवन – गर्मी में गन्ने का रस सेहत के लिये बहुत अच्छा होता है| इसमें विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं| इसे पीने से ताजगी बनी रहती है| लू नहीं लगती है| बुखार होने पर गन्ने का रस पीने से बुखार जल्दी उतर जाता है| एसीडीटी की वजह  से होने वाली जलन में गन्ने का रस राहत पहुंचाता है| गन्ने के रस में नीम्बू मिलाकर पीने से पीलिया जल्दी ठीक होता है|  गन्ने के रस में बर्फ मिलाना  ठीक नहीं है|

अब इस गर्मी से डर किसका अपनाए ये हेल्थी उपाए फ़ूड आइटम्स और पायें गर्मी में भी ठंडक का एहसास और कहें गर्मी को बाय – बाय

ये 8 बीज मोटापे की ऐसी छुट्टी करेंगे की जीवन में पलट कर कभी मोटापा नही आएगा

क्या आप भी सोचते है कि आजकल मोटापा एक प्रमुख समस्या है और वजन कम करना आसान नही काफी मुश्किल काम है समान रूप में वजन कम करने के लिए सख्त वर्कआउट (workouts) की तो जरूरत होती ही है साथ में कुछ अतिरिक्त पाउंड वजन कम करने के लिए आहार पर भी योजना बद्ध तरीके से काम करना पड़ता है अगर वजन कम करना आपका लक्ष्य है तो आपको मजबूत इच्छा शक्ति की आवश्यकता है आज हम आपको कुछ ऐसे 8 अद्भुत बीजों  के बारे में बताने जा रहे है जो वास्तव में अद्भुत रूप से आपके लिए मददगार है, मोटापा तो निश्चित रूप से जायेगा और जीवन में कभी पलट कर नही आएगा, आइये जाने इन 8 अद्भुत बीजो के बारे में।

1- चिया बीज (Chia seeds) बहुत कम कैलोरी (Low calorie) के साथ पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। इसमे लोहा,ओमेगा -3 फैटी एसिड,पोटेशियम और मैग्नीशियम से भरे होते हैं। अगर आप मोटापे की वजह से कम भोजन के शौकीन हो गये है तो चिया बीज आपके लिए उपयुक्त रहेगा वजन कम करने के लिए चिया बीज को सुपर बीज की श्रेणी में रखा गया है चूँकि चिया बीज पानी की बड़ी मात्रा को अवशोषित करने की क्षमता रखता है जिस कारण वह एक जेल पदार्थ बन जाता है और जब आप इसे खाते है तो पेट में जाने के बाद ये विस्तार (expand ) करने लगता है।

2-अलसी का बीज : अलसी बीज में ओमेगा -3 फैटी एसिड होता है जो शरीर की इंसुलिन के स्तर को भी नियंत्रण करता है साथ में वसा को जलाने का काम भी करता है तथा फीटोएस्ट्रोजन्स भी उपस्थित होता है जो शरीर में हार्मोनल असंतुलन से बचाने का काम बखूबी तो करता ही है साथ में बेमतलब का वजन को बढ़ावा देने वाले कारणों को भी रोकता है चूँकि अलसी के बीज में फाइबर, आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होते है जिसकी वजह से आपको अधिक खाने की जरूरत नही होती और कम मात्रा में खाने पर भी आप की भूख को बहुत जल्दी शांत करती है।

3-क्विनोआ के बीज (Quinoa seeds) : इस बीज, एक दाने के समान सेवन किया जाता है, जो, प्रोटीन और फाइबर में उच्च है. इस लस मुक्त कार्बोहाइड्रेट का एक कप शामिल 8 प्रोटीन के ग्राम और लौह और मैग्नेशियम का अच्छा स्रोत है (Quinoa) चावल के लिए एक बहुत बढ़िया विकल्प नहीं है, फ्राइज़ में इस्तेमाल किया जा सकता, एक मल्टीग्रेन नाश्ते के लिए दलिया को जोड़ा जा सकता है या वेजी बर्गर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है क्विनोआ बीज देखने में अनाज की तरह ही लगता है लेकिन दोनों में काफी अंतर है। क्विनोआ के बीज में अमीनो एसिड,मैग्नीशियम, प्रोटीन, फाइबर और जिंक होता है इसके अलावा इसमे अन्य बीजो की तुलना कार्बोहाइड्रेट थोड़ा अधिक मात्रा में होता है क्विनोआ बीज का इस्तेमाल लोग अधिक ऊर्जा के लिए करते है पर आपके लिए चिंता की कोई बात नही है क्योकि यह अधिक ऊर्जा बिना मोटापे दिए प्रदान करता है अब आपको वजन कम करने के लिए बस करना इतना है कि इन बीजो को स्वादिष्ट बना कर रोजाना अपने भोजन में शामिल करना है आप इन बीजो की मदद से बिना पोषण की कमी के तेजी से वजन कम कर पाएंगे ये मूल में दक्षिण अमेरिकी की उत्पत्ति है।

4- सूरजमुखी  का बीज (Sunflower seeds) : सूरजमुखी के बीज प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर में जहर से लड़ने और सूजन को रोकने का काम प्राकृतिक रूप से करते है सूरजमुखी के बीज को आप स्नैक्स के रूप में भी खा सकते है यकीन करिए ये सूरजमुखी बीज आश्चर्यजनक लाभ से भरे हुए हैं ये विटामिन बी,विटामिन ई और मैग्नीशियम से समृद्ध होते है जो कोर्टिसोल (cortisol) हार्मोन को कम कर अतिरिक्त वजन बढने से रोकने के साथ-साथ चिंता का स्तर भी कम करने में सक्षम होते है सूरजमुखी के बीजों को खाने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है, कोलेस्ट्रॉल घटता है, त्वचा में निखार आता है तथा बालों की भी ग्रोथ होती है इनके बीजों में विटामिन सी होता है जो कि दिल की बीमारी को दूर रखने में मदद करता है। साथ ही इसमें मौजूद विटामिन ई कोलेस्ट्रॉल को खून की धमनियों में जमने से रोक कर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा टालता है एक चौथाई कप सूरजमुखी बीज 90 प्रतिशत तक का डेली विटामिन ई प्रदान करता है यदि आप चाहे तो सूरजमुखी का लाभ कच्चे तेल के रूप में भी लेकर कर सकते है.

5- कददू के बीज (Pumpkin seed) : कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए कद्दू के बीज फायदेमंद होते है। स्टेरॉल्स और फिटोस्टेरॉल नामक तत्व से भरपूर कद्दू के बीज शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते है कद्दू के बीज मांसपेशियों के गठन और संतुलित रक्त शर्करा स्तर के जल को बढ़ावा देता है कद्दू के बीज जिंक और प्रोटीन बीज में सबसे होते है। कद्दू के बीज पाचन प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने अपनी सहायता देते है। शरीर में एसिडिटी को बेअसर करता है कद्दू बीज में कैल्शियम और मैग्नीशियम उपस्थित जो आपके शरीर में आई सूजन को समाप्त सकते है।

6- तिल का बीज (Sesame seeds) : अपने बर्गर ब्रेड या अन्य मल्टीग्रेन ब्रेड पर कुछ बीज देखे होंगे आपकी जानकारी के लिए बता दे ये तिल के बीज होते है तिल बीज उत्कृष्ट फाइबर युक्त होते है इसमे विटामिन विशेष रूप से ई, मैग्नीशियम, जिंक और कैल्शियम उच्च मात्रा में होता है। इसमे मौजूद सभी खनिज शरीर के चयापचय को बनाए रखता है। इसमे शामिल फाइबर आपके पाचन तंत्र को बेहतर और मजबूत बनाने में आपकी मदद करता है साथ में इसको अपने भोजन में शामिल कर आप उसका स्वाद भी बदल सकते है। जोड़ों के दर्द के लिये एक चाय के चम्मच भर तिल बीजों को रातभर पानी के गिलास में भिगो दें। सुबह इसे पी लें या हर सुबह एक चम्मच तिल बीजों को आधा चम्मच सूखे अदरक के चूर्ण के साथ मिलाकर गर्म दूध के साथ पी लें इससे जोड़ों का दर्द जाता रहेगा।

7- भांग का बीज (Hemp seed) : आमतौर पर भांग को नशे से जोड़कर देखा जाता है लेकिन इसका बीज सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। यह पूर्ण प्रोटीन पाने के कुछ शाकाहारी स्रोतों में से एक है क्योंकि इसमें सभी 20 अमीनो एसिड पाए जाते हैं। जो कैलोरी को जलाने वाली मांसपेशियों के विकास के लिए अहम हैं। कसरत के बाद भांग के कुछ बीजों का जूस या शेक के साथ सेवन किया जा सकता है भांग अर्थात गांजा का बीज मूड बदलने का विशिष्ट गुण होता है। मूड बदलने के अलावा भांग का बीज अतिरिक्त कैलोरी को जलाने में काफी मदद करता है। भांग के बीज में प्रोटीन ओमेगा -3 फैटी एसिड मैग्नीशियम और लोहे उपस्थित होते है। इन बीजों की मदद से शरीर में आई सूजन को भी नियंत्रित में किया जा सकता है।

8- अनार के बीज (Pomegranate seeds) : अनार के कई फायदे हैं। अनार हृदय रोगों, तनाव और यौन जीवन के लिए बेहतर माना जाता है। अनार के रसदार बीजों में कैलोरी नहीं होती है। अनार के बीज एंटी ऑक्सिडेंट्स से भरपूर होते हैं। अनार में शामिल विटामिन सी चर्बी को कम करने में मदद करता है। अगर आप भी वजन कम करना चाहते हैं तो अनार के दाने आपकी इसमें मदद कर सकते हैं।

➡ इन बीजों को सेवन करने का तरीका :
इन 8 बीजों को सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका है इनको आप भून (Roasted) कर खाएं क्योंकि यह सबसे अच्छा तरीका है और आपको इनका स्वाद भी बहुत लज़ीज़ लगेगा जिससे आप आसानी से खाँ पाएंगे।

सौंफ के स्वास्थ्य लाभ, मात्रा, दुष्प्रभाव और प्रयोग विधि

सौंफ़

सौंफ (Saunf) भारत की एक प्रसिद्ध खाद्य योजक है जिसका प्रयोग न केवल भोजन में हालाँकि औषधि के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेद में इसके कई विशेष गुणों का वर्णन किया गया है। सौंफ को इंग्लिश में फेंनेल सीड (Fennel Seeds) कहा जाता है और यह Foeniculum Vulgare पौधे के यह बीज होते है। सौंफ़ सुगन्धित और स्वादिष्ट सूखे बीज होते हैं। यह शानदार स्वाद प्रदान करता है और अक्सर भारतीय खाना पकाने में उपयोग किया जाता है।

सौंफ़ का स्वाद

सौंफ़ का स्वाद में मधुर, कटु और तिक्त होता है। भारत में सामान्यतः लोग भोजन के बाद सोंफ के बीज चबाते हैं क्योंकि यह भोजन को पचाने में मदद करता है और पेट में गैस के गठन को रोकता है। यह एक सुगंधित जड़ी बूटी है, जिसे मुंह को ताज़ा रखने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यह मसूड़ों और दांत के विकारों में भी राहत देता है।

सौंफ़ के लाभ

सौंफ़ में कई स्वास्थ्य को लाभ पहुँचाने वाले पोषक तत्व, खनिज और विटामिन होते हैं। सौंफ़ का बीज का उपयोग अपचन, अतिसार, शूल और श्वसन संबंधी बीमारियों के उपचार में किया जाता है। यह आंख की समस्याओं और मासिक धर्म संबंधी विकारों में भी फायदेमंद है।

सौंफ वजन घटाने में मदद करता है

सौंफ वजन घटाने में मदद करता है। सौंफ़ बीज वसा के चयापचय (Fat Metabolism) पर कार्य करता है। इसको बढ़ा देता है और संचित हुई वसा को कम करने में सहायता करता है।

हालांकि यदि सौंफ का प्रयोग कम मात्रा में किया जाये तो यह भूख बढ़ा सकता है और एक पाचक औषधि के रूप में कार्य करता है। पर सौंफ की चाय के ऊपर किये गए कुच्छ खोज अध्ययनों द्वारा इसके भूख कम करने के गुण का भी पता लगा है।

दरअसल, यह आपकी भूख को प्राकृतिक रूप में रखता है जैसा कि यह होना चाहिए और आपको भूख पर अच्छा नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करता है।

यदि आप को भूख कम लगती है, तो यह गैस्ट्रिक स्राव को व्यवस्थित करने और जिगर कार्यों को सुधारने में मदद करता है और अंततः आपकी भूख को सामान्य बनाता है। यह अति गैस्ट्रिक स्राव को भी बेअसर करता है और पेट का तेजाब कम करने में मदद करता है।

यदि आप को भूख ज्यादा लगती हो और भोजन में लालसा अधिक हो, तो यह भूख को सामान्य करने में भी मदद कर सकती है और भोजन के स्वाभाविक नियंत्रण में सुधार कर सकती है। बहुत से लोगों ने सौंफ़ के बीज का उपयोग करने के बाद भोजन लालसा पर अच्छा नियंत्रण हो जाने की सूचना दी है। पर यह भी देखा गया है की उनकी सौंफ खाने के प्रति लालसा बढ जाती है।

उम्र बढ़ने और कैंसर को रोकता है

सौंफ़ में कुएर्स्टिन (quercetin) और कैम्प्फेरोल  (kaempferol) जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। ये एंटी ऑक्सीडेंट शरीर में जहरीले कणों को हटाते हैं और कैंसर, अन्य रोगों और उम्र बढ़ने को रोकते हैं। शरीर की त्वचा एक व्यक्ति की उम्र बताती है। सौंफ़ बीज में उपस्थित एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा को साफ़ और युवा रखने में मदद करते हैं।

सौंफ़ बीज में उपस्थित फाइबर बृहदान्त्र के कैंसर से सुरक्षा करते हैं। सौंफ के तेल को अन्य मालिश वाले तेल में मिला कर मालिश करने से त्वचा का रंग निखरता है और झुर्रियों से बचाव होता है।

सौंफ बीज को पानी में भिगोकर, फिर शहद और दलिये के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया जाता है, जो की त्वचा की उम्र बढ़ने से रोकने के लिए एक बहुत अच्छा फेस पैक है। यह चेहरे की त्वचा को साफ़, दृढ़ और ताज़ा करने के लिए एक बहुत ही प्रभावी स्क्रब है।

पाचन में मदद करता है

सौंफ़ बीज आहार फाइबर का एक समृद्ध स्रोत है। हमारे शरीर को पेट के बेहतर कार्य के लिए अघुलनशील फाइबर की आवश्यकता होती है। यह कब्ज नहीं होने देता और यदि कब्ज हुई हो, तो यह कब्ज के इलाज के लिए भी एक उत्तम औषधि है।

फाइबर पित्त लवण से बंधते हैं और इसे प्रणाली में अवशोषित होने से रोकते हैं। कोलेस्ट्रॉल द्वारा निर्मित पित्त लवण शरीर के लिए हानिकारक होते हैं और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं। सौंफ़ का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखने में मदद मिल सकती है। यह एक वमन विरोधी, पेट साफ़ करने वाली और यकृत विकार दूर करने वाली जड़ी बूटी है।

खनिज, विटामिन और तेल का अच्छा स्रोत

यह लोहा, कॉपर, पोटेशियम, मैंगनीज, जिंक, मैग्नीशियम और सेलेनियम का अच्छा स्रोत है। मानव शरीर के उचित कामकाज के लिए इन सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

सौंफ़ विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन सी और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिनों का भंडार है। यह सभी विटामिन इन बीजों में संकेन्द्रित रूप में होते हैं। इसमें आवश्यक तेल होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद हैं। यह तेल वायुनाशी गुण के होते हैं और पेट के बेहतर कामकाज में मदद करते हैं। सौंफ़ का तेल मांसपेशियों के दर्द में राहत देता है। इसलिए, विशेष रूप से आयुर्वेद में इसका उपयोग मालिश मिश्रणों में किया जाता है। यह नसों को शान्त करता है और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देता है।

शीतलक के रूप में कार्य करता है

सौंफ़ के बीज में गुण होते हैं, जो शरीर को ठंडक पहुँचाते हैं। आम तौर पर लोग झुलसा देने वाली गर्मी के दौरान गर्मी से राहत पाने के लिए सौंफ बीज पेय का सेवन करते हैं।

सौंफ का औषधीय उपयोग

सौंफ को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह विशेषकर पाचन संबंधित रोगों के उपचार ले लाभदायक है।

सामान्य जुखाम

सौंफ़ ठंड को समाप्त करती है। सौंफ़ के बीज में अल्फा-पिनन (alpha-pinene) और क्रेओसॉल (creosol) होते हैं, जो सीने की जकडन को काम करता है, और खांसी ठीक करता है।

ब्रोंकाइटिस और अस्थमा

उबले हुए सौंफ बीज और पत्तियों को सूंघने से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में राहत मिलती है।

गले में खराश

सौंफ़ बीज ग्रसनीशोथ और गले में खराश या साइनस की समस्याओं के लिए अच्छे होते है।

स्तन का दूध बढ़ाता है

सौंफ़ बीज स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध के उत्पादन में सुधार करने में मदद करता है।

शिशुओं में सौंफ बीज

सौंफ़ बीज पेट और आंतों के विकारों में राहत देने में मदद करता है। शिशुओं में सौंफ़ का तेल उदरशूल से मुक्त करता है।

साँप का काटना

साँप के काटने में सौंफ का पाउडर पुल्टिस की तरह प्रयोग किया जाता है।

तापघात

तापघात (Heat stroke) के मामले में, रात भर पानी में मुट्ठी भर सौंफ को भिगो दें। सुबह नमक की एक चुटकी के साथ इस पानी को लें।

सौंफ़ तेल मालिश

सौंफ़ तेल को मसाज तेल मिश्रण में प्रयोग करने से शरीर का  शोधन करने में मदद मिलती है। इस मालिश के कारण, शरीर में विषैले पदार्थ कम हो जाते हैं जो की गठिया, प्रतिरोधक क्षमता विकार और एलर्जी जैसी स्थितियों को पैदा करते हैं।

आयुर्वेद में सौंफ

आयुर्वेद के अनुसार, औषधि के रूप में सौंफ का उपयोग सभी तीनों दोषों त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को कम कर देता है। इसका स्वाद मीठा, कसैला और कड़वा होते है।

शरीर पर सौंफ का शीतलन प्रभाव पड़ता है। इसके पत्ते मुख में मीठा और कड़वा स्वाद देते हैं। आयुर्वेद सौंफ को न पकाने की सलाह देता है। पकाने से सौंफ के गुण मर जाते है, इसलिए इसे भिगोकर प्रयोग करें। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।

सौंफ का पानी

नीचे दी गयी विधि से सौंफ के पानी को बनाये जा सकता है:

पांच चम्मच सौंफ के बीज एक कप पानी में दो घंटे के लिए भिगो दें।सौंफ़ के बीज को निचोड़ें और आगे के उपयोग के लिए सौंफ़ के पानी को अलग रखें।सौंफ़ के बीज को बारीक पीस लें।निचुड़े हुए पानी को इस में मिला दें और तीन घंटे के लिए रख दें ताकि सभी सक्रिय घटक पानी में अवशोषित हो जाएँ।मिश्रण को फिर से निचोड़ लें और सौंफ़ के पानी को अलग करें।सौंफ़ के बीज के पेय को फ्रिज में ठंडा करें और इसे ठंडा ही पीने के लिए दें।यदि आवश्यक हो तो शर्करा मिलायें।

सौंफ की चाय

सौंफ की चाय का सेवन करने से गले की खराश और जठरांत्र संबंधी परेशानियों में राहत मिलती है। सौंफ की चाय नियमित रूप से पीने से शरीर का शोधन करने में मदद मिलती है।

नीचे दी गयी विधि से सौंफ की चाय को बनाया जा सकता है।

सौंफ़ के बीज को मोटा मोटा कूट लें।पानी उबाल लें और सौंफ़ पाउडर को मिला दें।पात्र पर एक ढक्कन रखें और आंच बंद करें।5 मिनट के बाद सौंफ़ की चाय छान लें।शहद या गुड़ को मिलायें और गर्म पीयें।

सौंफ़ मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

सौंफ़ की सामान्य औषधीय मात्रा  व खुराक इस प्रकार है:

सौंफ मात्रा

बच्चे 500 मिलीग्राम से 2 ग्राम

वयस्क3 से 6 ग्राम

गर्भस्थ1 से 2 ग्राम

वृद्ध (वृद्धावस्था) 2 से 3 ग्राम दिन में दो बार

सौंफ़ का पानी

शिशु 1 से 5 मिलीलीटर

बच्चे 5 से 10 मिलीलीटर

वयस्क 10 से 20 मिलीलीटर

गर्भस्थ 5  से 10 मिलीलीटर

वृद्ध (वृद्धावस्था) 5 से 10 मिलीलीटर दिन में दो बार

सौंफ की चाय

शिशु 1 से 5 मिलीलीटर

बच्चे 20 से 50 मिलीलीटर

वयस्क 50 से 100 मिलीलीटर

गर्भस्थ 20 से 50 मिलीलीटर

वृद्ध (वृद्धावस्था) 20 से 50 मिलीलीटर दिन में दो बार

सेवन विधि

दवा लेने का उचित समय (कब लें?)

खाना खाने के बाद लें

दिन में कितनी बार लें?

2 बार – सुबह और शाम 

अनुपान (किस के साथ लें?)

चबा कर खाए, या गुनगुने पानी के साथ 

उपचार की अवधि (कितने समय तक लें)?

कम से कम 3 महीने या चिकित्सक की सलाह लें

सौंफ़ प्रति दिन 15 ग्राम से कम लेना सुरक्षित माना जाता है।

सौंफ के दुष्प्रभाव (Side Effects)

कम मात्रा में सौंफ़ का उपयोग खाना पकाने में सुरक्षित है। कई घरेलू उपचारों में सौंफ़ के बीज का उपयोग किया जाता है, लेकिन कोई शोध उपलब्ध नहीं है, जो यह सिद्ध करे कि सौंफ बीज औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किये जाने पर वयस्क या बच्चों के लिए सुरक्षित है।

लोगों को इसे लेने से पहले अपने चिकित्सक से पूछ लेना चाहिए क्योंकि दवाइयों के रूप में इसका उपयोग करने से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है।

सौंफ़ की एलर्जी

अजवाइन और गाजर के प्रति संवेदनशील लोगों को सौंफ़ बीज से एलर्जी हो सकती है।सौंफ का उपयोग लोगों की त्वचा को अतिरिक्त संवेदनशील बना सकता है।

सावधानियां

यदि कोई व्यक्ति ऐसे रोग से पीड़ित है जिसमें एस्ट्रोजेन के प्रभाव से स्थिति ज्यादा खराब हो जाए, तो सौंफ़ को नहीं लेना चाहिए, उदहारण के लिए स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर आदि।कुछ लोगों को सौंफ़ का उपयोग करने से त्वचा की एलर्जी की प्रतिक्रिया होती है।

सौंफ़ तेल की सुरक्षा प्रोफ़ाइल

वैज्ञानिक अनुसंधान ने यह साबित कर दिया है कि स्तनपान करने वाले शिशुओं के पेट दर्द में सौंफ का तेल सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी खुराक दिन में दो बार एक हफ्ते तक होनी चाहिए। सौंफ़ के तेल का उपयोग साबुन, टूथपेस्ट और माउथ फ्रेशनर बनाने में भी किया जाता है।