Tuesday, May 23, 2017

सुबह का नाश्ता क्यों जरुरी होता है?

 सुबह काम नाश्ता – Morning Breakfast

सुबह का नाश्ता दिन के शुरुआत का पहला आहार होता है। यह बहुत जरुरी है और उठने के बाद घंटे के अंदर कर लेना चाहिए। कुछ लोग इसे बिल्कुल महत्व नहीं देते। विशेषकर महिलाएं सुबह उठने के बाद बिना कुछ खाए , बिना रुके  4-5 घंटे तक घर के काम में लगी रहती है।


यह बहुत नुकसानदायक होता है। इससे कुछ समय बाद बहुत कमजोरी महसूस होने लगती है। गुस्सा भी आता रहता है और चिड़ भी मचतीर रहती है। हाथ पैर कांपने लगते है।

इसी प्रकार कुछ लोग ऑफिस जाने की जल्दी के कारण या देर से उठने के कारण  सुबह का नाश्ता नहीं कर पाते। कुछ लोग सिर्फ चाय पीते

रहते है इसलिए नाश्ता नहीं करते। कुछ लोग भूख नहीं होने का बहाना बना कर सुबह का नाश्ता टाल देते है। लेकिन सुबह नाश्ता नहीं करने

के बहुत से शारीरिक और मानसिक नुकसान हो सकते है। यदि आपको बेवजह थकान और कमजोरी महसूस होती है और ऐसा लगता है

की कुछ याद नहीं रहता तो हो सकता है कि यह सुबह नाश्ता नहीं करने के कारण होता हो। कुछ दिन सुबह नियमित पौष्टिक नाश्ता लेकर देखें। हो सकता है कि समस्या का समाधान हो जाये।

नाश्ता नहीं करने का मतलब है कि पिछले दिन रात को किये गए भोजन के बाद से पेट में कुछ नहीं गया।

यानि लगभग 12 -14 घंटे से शरीर को और दिमाग को पोषक तत्व नहीं मिले है। नाश्ता नहीं करने से ब्लड शुगर लेवल पर असर पड़ता है

गुस्सा आने लगता है , चिड़ सी मचने लगती है ।  यह खुद के लिए और घर या ऑफिस के लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।

ऐसा ब्लड में शुगर कम होने की वजह से होता है। जब ब्लड शुगर लेवल कम होता है तो गुस्सा आना स्वाभाविक होता है क्योकि इसके असर से थकान भी लगती है और सोचने समझने की शक्ति पर भी असर पड़ता है। नाश्ता समय से करने से गुस्सा और चिड़चिड़ाहट से बचा जा सकता है।

कुछ लोगों को सुबह काम की  अत्यधिक व्यस्तता के कारण नाश्ता करने भी का समय नहीं मिलता। लेकिन इससे बाद में रक्त में ग्लूकोस की कमी हो जाती है। जिसे हाइपो ग्लाइसीमिया  कहते है। इसके कारण धुंधला दिखना , घबराहट , चिड़चिड़ाहट , कमजोरी , सिरदर्द ,कंपकंपी , थरथराहट ( Vibration ) , चक्कर आना , पसीने छूटना , त्वचा में झुनझुनाहट आदि हो सकते है।यहाँ तक की बेहोशी भी हो सकती  है। यह लक्षण नजर आते हो तो नाश्ता  समय पर लेना अवश्य शुरू कर देना। शाम के वक्त भी ऐसा हो सकता है।

 जब भी भूख लगती है तो पेट में एसिड बनता है। नाश्ता नहीं करने पर यह एसिड पेट की दिवार तथा भोजन नली को नुकसान पहुंचाता है।

इसके कारण एसिडिटी की समस्या पैदा हो सकती है।

सुबह नाश्ता नहीं करने वाले लोगों में इन्सुलिन रेसिस्टेंस , टाइप 2 डायबिटीज तथा मोटापा बढ़ने का खतरा अधिक होता है।

इससे  ब्लडप्रेशर​ बढ़ने तथा ह्रदय रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

दिमाग को रात के समय भी पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज़ की आवश्यकता होती है। जब हम खाना नहीं खाते तब ऊर्जा के लिए ग्लूकोज लीवर से

प्राप्त होता है। यह ग्लूकोज लीवर में ग्लाइकोजेन के रूप में संग्रह किया हुआ रहता है। हो सकता है कि जरुरत के समय  ग्लूकोज़ की

सप्लाई के लिए लीवर में पर्याप्त मात्रा में ग्लाइकोजेन का संग्रह ना हो। ऐसा होने से शरीर में कोर्टिसोल नामक तनाव का हार्मोन बढ़ जाता है।

दिमाग को ग्लूकोज के रूप में ऊर्जा नहीं मिलने के कारण सिरदर्द या सुस्ती महसूस होने लगते है। सुबह जल्दी नाश्ता कर लेने से इससे बचाव हो सकता है ।

नाश्ता या ब्रेकफास्ट नहीं करने से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता चला जाता है , इससे इन्सुलिन प्रतिरोध पैदा होता है। और ज्यादा भूख लगती रहती है। अतः दिन भर की भूख और थकान से बचने के लिए नाश्ता जरुरी है।

जो लोग सुबह का नाश्ता नहीं करते वे लोग नाश्ता करने वालों से ज्यादा मोटापे से ग्रस्त होते है क्योकि नाश्ता नहीं करने से दिन भर भूख और शक्करकी जरुरत महसूस होती रहती है। इसलिए दिन भर खाना पीना चलता रहता है और वजन बढ़ जाता है। अतः वजन कम करना चाह रहे हों तो सुबह का नाश्ता अवश्य लें।

सुबह नाश्ता नहीं करने से  10 बजे के आसपास एकदम से तेज भूख लगने लग जाती है। भूख के कारण सामने कुछ जो कुछ भी दिखाई दे आप खाना शुरू कर देते है चाहे वो पोटेटो चिप्स , नमकीन , भुजिया , कचोरी , समोसा आदि कुछ भी हो । इससे कई प्रकार के शारीरिक नुकसान होने लगते है। सुबह एक पौष्टिक नाश्ता नियम से लेने पर इस नुकसान से बचाव हो जाता है।

नाश्ता नहीं करने से मुंह से बदबू आना शुरू हो सकती है।

नाश्ता करने की आदत नहीं हो तो भी सुबह कुछ पौष्टिक जरूर खा लेना चाहिए जैसे अंकुरित अनाज , दलिया , ओट्स या चपाती आदि।

ताकि ब्लड प्रेशर लेवल सन्तुलित रहे तथा लंबे अंतराल के बाद शरीर को आवश्यक पोषत तत्व मिल जाएँ। नाश्ते का समय भोजन से पोषक

तत्व जैसे विटामिन , खनिज  तथा फाइबर प्राप्त करने का  सबसे अच्छा समय होता है। नाश्ते का समय निकलने के बाद इनकी कमी

स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक हो सकती है। यदि सुबह उठते ही भूख ना लगे तो एक आध घंटे इंतजार करें फिर नाश्ता कर सकते है ।

नाश्ता लेने से सोई हुई अवस्था के कारण धीमा पड़ा मेटाबोलिज्म भी जाग्रत अवस्था में आ जाता है।

सुबह का नाश्ता कैसा होना चाहिए –

सुबह नाश्ते में पौष्टिक चीजें शामिल करनी चाहिए जिसमे प्रोटीन, विटामिन , खनिज , कार्बोहाइडेट  तथा फाइबर का अच्छा मेल हो।

—  दूध , दही , छाछ ले सकते है। ये फुल फैट युक्त ना हो।   दही से रायता बना कर खाये।

—  छाछ के साथ बाजरे की राबड़ी या जौ की राबड़ी अच्छे  विकल्प है।

—  पोहा

—  उपमा

—  इडली

—  अंकुरित चने , मूंग  या अंकुरित अनाज

—  खमन ढ़ोकला

—  आजकल ओट्स का बहुत चलन है।  बाजार के कई प्रकार के ओट्स मिलने लगे है। इन्हें ले सकते है।

—  कॉर्न फ्लेक्स और दूध अच्छा नाश्ता है।

—  ड्राई फ्रूट्स, मेवे

—  दलिया , खिचड़ी

—  हर मौसम में अलग फल आता है। खट्टे फल के अलावा दूसरे फल नाश्ते में शामिल किये जा सकते है।

—  फलों से बने शेक या सलाद आदि बना कर नाश्ते में ले सकते है।

—  व्हीट ब्रेड या इससे बने सैंडविच

—  ब्राउन राइस

 

सर्दियों के मौसम में आयुर्वेदिक पौष्टिक नाश्ते बना कर अवश्य खाने चाहिए। ये बहुत लाभदायक होते है तथा पूरे वर्ष भर इनका फायदा शरीर

को मिलता रहता है। नीचे दिए नाश्ते पर क्लीक करके इन्हें बनाने की विधि जान सकते है।

जैसे : –

—  मूंगफली की चिक्की ,

—  गोंद के लड्डू ,

—  मेथी के लड्डू ,

—  गाजर का हलवा

—  बादाम का हलवा

—  पिस्ते बादाम वाला स्पेशल दूध 

—  खसखस बादाम के लडडू 

—  तिल पपड़ी या तिल के लडडू

—  मिक्स आटा बर्फी आदि।

सुबह के नाश्ते में क्या नहीं लें – 

जैसा की अब हमें पता है कि सुबह का नाश्ता पौष्टिक होना चाहिए इसलिए अधिक तेल-घी से बना , तला हुआ , तेज मिर्च मसाले वाला तथा मैदा से बना हुआ नाश्ता ना लें। बाजार में मिलने वाले कचोरी , समोसा , बर्गर , पकौड़ी , भुजिया , नमकीन आदि नुकसान दे सकते है। घर पर भी रोजाना नाश्ते में ढेर सारा घी डालकर कर बनाये गए पराठे , पूरी या चाट पकौड़ी आदि से नुकसान हो सकता है। पेस्ट्री , कोल्ड ड्रिंक , डिब्बा बंद ( रेडी टू ईट ) खाना , सफ़ेद ब्रेड , ज्यादा बटर, आलू की चिप्स , पिजा , बर्गर , मैदा से बने बिस्किट , मैदा से बने बेकरी आइटम आदि ना ही लें तो अच्छा है।

विकल्प बहुत सारे है। पौष्टिक नाश्ता करने की आदत डाल लीजिये और स्वस्थ रहिये।

Healthy Tips: स्वास्थ्य निर्देश (पारंपरिक)


आवश्यक निर्देश:

चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं
बैसाख माह में नया तेल न लगाएं
जेठ माह में दोपहर में नहेम चलना चाहिए
अषाढ़ माह में पका बेल न खाएं
सावन माह में साग न खाएं
भादों माह में दही न खाएं
क्वार माह में करेला न खाएं
कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं
अगहन माह में जीरा न खाएं
पूस माह में धनिया न खाएं
माघ माह में मिश्री न खाएं
फागुन माह में चना न खाएं

अन्य निर्देश:

स्नान के पहले और भोजन के बाद पेशाब जरूर करें ।

भोजन के बाद कुछ देर बायी करवट लेटना चाहिये ।

रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठाना चाहिये ।

प्रातः पानी पीकर ही शौच के लिए जाना चाहिये ।

सूर्योदय के पूर्व गाय का धारोष्ण दूध पीना चाहिये ।

व्यायाम के बाद दूध अवश्य पियें।मल, मूत्र, छीक का

वेग नही रोकना चाहिये ।ऋतु (मौसमी) फल खाना चाहिये ।

रसदार फलों के अलावा अन्य फल भोजन के बाद खाना चाहिये ।

रात्रि में फल नहीं खाना चाहिये ।

भोजन के समय जल कम पियें ।

नेत्रों में सुरमा / काजल अवस्य लगायें ।

स्नान रोजाना अवश्य करना चाहिये ।

सूर्य की ओर मुह करके पेशाब न करें ।

बरगद, पीपल, देव मन्दिर, नदी व् शमशान में पेशाब न करें ।

गंदे कपड़े न पहने, इससे हानि होती है ।

भोजन के समय क्रोध न करें बल्कि प्रसन्न रहें।

आवश्यकता से अधिक बोलना भी नहीं चाहिये व बोलते समय भोजन करना रोक दें |

ईश्वर आराधना अवश्य करनी चाहिये ।

आवश्यक बातें :

बासी मांस न खायें .

वृद्धा औरत के साथ सहवास (sex) न करें .

तुरंत का जमा दही न खाएं .

गर्भवती औरत के साथ सहवास (sex) न करें .

दही और मुली एक साथ न खायें .

लौकी और उरद की दाल एक साथ न खायें .

मछली और दूध एक साथ न खायें .

बच्चों के सामने गुप्त बातें और अश्लील बातें न करें .

चिकित्सक (doctor) से भूलकर भी बैर न करें .

इच्छा न होने पर यात्रा न करें .

मनुष्य नियमों का पालन करके ही मनुष्य होता हैं . अनियमित रहने वाला मनुष्य पशु से भी गया-गुजरा होता हैं . इसलिए सफल जीवन और स्वास्थ्य रक्षा हेतु नियमों का पालन करें .

मित्रों ये जीवन के सरल परन्तु आवश्यक निर्देश हैं जो हमारी परंपरा से जन्मे हैं कृप्या इससे अपने मित्रों व संबंधियों से शेयर जरुर करें!

पीपल के औषधीय गुण

प्राचीनकाल से लोग पीपल के पेड़ की पूजा करते है क्योंकि पीपल का पेड़ कई सारे गुणों से भरपूर है। पीपल का वृक्ष चौबीसों घंटे ऑक्सीजन प्रदान कर वातावरण को शुद्ध करता है। इसलिए गांवों में प्रत्येक घर तथा मन्दिर के आस पास आपको पीपल या नीम का वृक्ष अवश्य मिल जाता है। पीपल की छाया बेहद शीतल होती है और इसके पत्ते कोमल, चिकने और हरे रंग के होते हैं।

पीपल का पत्ता और पीपल का फल दोनों ही औषधीय गुणों से भरपूर है इसलिए आयुर्वेद में पीपल को औषधि के रूप उपयोग किया जाता है। पीपल फेफड़ों के रोग जैसे तपेदिक, अस्थमा, खांसी तथा कुष्ठ, आदि रोगों से निजात दिलाता है। इसके अलावा यह रतौंधि, मलेरिया ज्वर, कान दर्द, खांसी, बांझपन, सर्दी व जुखाम आदि रोगों से भी बचाता है। तो आज हम लोग गुणकारी पीपल के पेड़ की जानकारी और उसके फ़ायदों के बारे में जानेंगे।

पीपल के औषधीय लाभ

1. वीर्य बढ़ाएं और नपुंसकता को दूर भगाएं

पीपल पर लगने वाला फल जिसे पिपरी कहते हैं; को छाया में सुखाकर पीस कर चलनी से छान लें। अब इस चूर्ण का एक चौथाई चम्मच 250 ग्राम दूध में मिलाकर नियमित रूप से पीने से वीर्य बढ़ता है तथा नपुंसकता दूर होती है।

2. आँखों के लिए लाभकारी

पीपल का दूध आंखों के अनेक रोगों को दूर करता है। पीपल के पत्ते या टहनी तोड़ने से जो दूध निकलता है उसे थोड़ी मात्रा में प्रतिदिन सलाई से लगाएं और आंखों में दर्द, जलन और सूजन में राहत पाएं।

पीपल के पत्ते के गुण

1. कान का दर्द दूर करें

पीपल की ताज़ी पत्तियों को निचोड़कर उसका रस कान में डालने से कान दर्द दूर होता है।

2. पैरों की बिवाई को ठीक करें

पीपल के पत्ते से निकलने वाले दूध को लगाने से पैरों की बिवाई ठीक हो जाती है।

3. खाँसी को छू मंतर करें

जब आप खांस खांस कर परेशान हो जाएं तब खांसी के रोग से छुटकारा पाने के लिए पीपल के पत्तों को छाया में सुखाकर कूट कर इसमें मिसरी मिला दें तथा कीकर का गोंद मिलाकर चने के आकार के बराबर गोली बना लें। दिनभर में 2 गोलियां कुछ दिनों तक चूसनें से खांसी छू मंतर हो जाएगी।

4. सर्दी जुखाम से बचाएं

सर्दी जुखाम होने पर पीपल की 2 कोमल पत्तियों को चूसने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है।

5. दाद खाज खुजली भगाएं

पीपल के 4-5 कोमल, नरम पत्ते ख़ूब चबा-चबाकर खाने से तथा इसकी छाल का काढ़ा बनाकर आधा कप मात्रा में पीने से दाद, खाज, खुजली आदि चर्म रोगों में आराम मिलता है।

6. दमा रोग को ठीक करें

पीपल की छाल के अन्दर का भाग निकालकर सुखा लें और कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें, यह चूर्ण दमा रोगी को सेवन कराएं इससे दमा रोग में आराम मिलेगा।

7. पीपल का दातून करने से लाभ

पीपल के दातुन से दांतों के रोग जैसे दांतों में कीड़ा लगना, मसूड़ों में सूजन, ख़ून निकलना, दांतों का पीलापन आदि रोग दूर हो जाते है। पीपल की दातून करने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।

8. पीलिया रोग को दूर करें

अगर पीलिया का रोगी पीपल की नर्म टहनी के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर माला बना लें और इस माला को एक सप्ताह तक धारण करे तो पीलिया रोग चला जाता है।

पीपल के औषधीय गुणों से परिचित होने के बाद यक़ीनन आप भी इस पेड़ को लगायेंगे और इसके चमत्कारिक लाभ से फ़ायदा उठायेंगे।

मेमोरी तेज कैसे करें, याददाश्त बढ़ाने के घरेलू उपाय


प्रत्येक माता पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा दिमागी रूप से तेज हो और उसकी याददाश्त भी बेहतर हो ताकि वह चीजों को अच्छी तरह याद कर सके। यह बात केवल बच्चों के लिए परीक्षा या पढ़ाई के दौरान ही महत्व नहीं रखती बल्कि अच्छी याददाश्त की सभी को हर उम्र में ज़रूरत पड़ती है। याद न रख पाने की वजह से हमें कई बार लोगों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है और कई लोगों को तो ‘भुलक्कड़’ जैसा सम्बोधन भी मिल जाता है।

अक्सर लोग याददाश्त अच्छी न होने की वजह से खास दिन या तारीख आदि भूल जाते हैं। ये सब तो बड़ों की बात है लेकिन अगर बच्चों में यह परेशानी हो तो उनके लिए अपने रोज के काम और पढ़ाई आदि बहुत मुश्किल हो जाते हैं। बच्चों को अच्छे नंबर से पास होने में मेमोरी या याददाश्त की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, तो आइये जानें कि कैसे बढ़ाएँ याददाश्त

दिमाग तेज करने की दवा है बादाम, बढाएं मेमोरी

रोज़ाना तीन बादाम खाने से याददाश्त पर बहुत प्रभाव पड़ता है। मेमोरी बढ़ाने के लिए बादाम का प्रयोग सुबह से समय करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है। रात को तीन बादाम पानी में भिगो कर रखें। सुबह उठकर बिना मुंह धोये इस बादाम को चबाकर खाएं। इससे याददाश्त तेज होती है।

दूध से दिमाग कैसे तेज करें

दूध सेहत के लिए एक बहुत ही गुणकारी चीज़ है। अगर आप नियमित रूप से दूध का सेवन करते हैं तो यह आपको सभी प्रकार के लाभ देती है। दूध का सेवन खास तौर पर बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद समझा जाता है। बच्चों को रोज़ एक गिलास दूध पीना अनिवार्य है। ऐसे बच्चे जिनका पढ़ने में मन नहीं लगता और जो जल्दी ही भूल जाने की शिकायत करते हैं ऐसे बच्चों को तो रोज दूध पीना ही चाहिए। बच्चों को दूध में चीनी की जगह मिश्री या शहद घोल कर देने से यह और भी अधिक फायदेमंद हो जाती है। अलावा दूध में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और कैल्शियम भी होता है जो बच्चों के सम्पूर्ण विकास में सहायक होता है।

दिमागी शक्ति को मजबूत करने के लिए आंवला

आंवला एक अमृततुल्य फल है जो कई शारीरिक और मानसिक विकारों को ठीक करने में मदद करता है। अगर आप सोच रहें हैं की मेमोरी कैसे बढ़ाएँ (memory kaise badhaye) ऐसे बच्चे जो जल्दी ही पढ़कर चीजों को भूल जाते हैं या याद नहीं रख पाते उनके लिए आँवला किसी वरदान से कम नहीं होता। आंवला एक मौसमी फल है इसे आप फल या रस के द्वारा भी सेबन कर सकते हैं। अगर आपको लंबे समय तक इसका प्रयोग करना है तो आंवले का मुरब्बा या कैंडी बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है।

दिमाग की शक्ति के लिए अखरोट

अखरोट बहुत ही फायदेमंद ड्राई फ्रूट है जो देखने में मानव मस्तिष्क की तरह ही दिखाई देता है। हमारे दिमाग के लिए अखरोट बहुत ही गुणकारी है, सर्दियों में इसका शरीर पर बहुत ही खास प्रभाव पड़ता है इसीलिए बच्चों को रोज 2 से 3 गिरियाँ अखरोट की देनी चाहिए, अगर आप अधिक लाभ चाहते हैं तो अखरोट की गिरियों के साथ उतनी ही मात्रा में किशमिश भी दें।

तेज दिमाग के सरल उपाय तुलसी

तुलसी को ऐसे ही पूज्यनीय पौधा नहीं कहा जाता, यह वास्तव में बहुत लाभकारी और गुणों से भरपूर होता है। तुलसी के पत्ते को सुबह खाली पेट चबा कर खाने से दिमाग तेज होता है। रो सुबह उठकर ताज़े तुलसी के पाँच पत्ते चबा कर खाएं यह कई तरह से रोगों से भी शरीर की रक्षा करता है।

मछली से स्मरण शक्ति बढ़ाने के उपाय

मछली अनेक तरह के प्रोटीन विटामिन और ओमेगा 3 से भरपूर आहार है। अगर आप मांसाहारी हैं तो मछली आपके दिमाग को तेज करने के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो अच्छे कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है शरीर की भी कई प्रकार से मदद करता है। खास तौर पर यह दिमाग को तेज करने में प्रभावी भूमिका निभाता है।

उपरोक्त चीजों को अपने नियमित जीवन में शामिल कर आप अपनी याददाश्त को तेज कर सकते हैं। खाने के अलावा और भी कई उपाय है जो मेमोरी को तेज करने के घरेलू नुस्खे (memory tez karne ke gharelu nuskhe) के रूप में जानी जाती है, इस उपायों को दैनिक जीवन में अपना कर आप भी अपने और अपने बच्चे की याददाश्त को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

तेज दिमाग के लिए उपाय के लिए सैर पर जाएँ

सुबह की सैर दिमाग या मस्तिष्क के लिए बहुत लाभदायक होती है। सुबह की ताज़ी हवा से हमारा दिमाग शांत रहता है और इसका प्रभाव दिन भर के कामों में सकारात्मक रूप से पड़ता है। यह दिमागी सक्रियता को बनाए रखने में भी आपकी मदद करता है।

ध्यान करें से याददाश्त तेज करने के घरेलू उपाय

ध्यान याददाश्त बढ़ाने का एक बहुत ही कारगर और अचूक तरीका है। सुबह के वक़्त जहां ज़्यादा शोर गुल नहीं होता ऐसी जगह का चुनाव ध्यान या मेडिटेशन के लिए करना अच्छा होता है। आँखें बंद कर किसी आसान पर बैठ जाएँ। अब लंबी गहरी साँसे लेते हुए मन को शांत करें और किसी प्रकार की कोई बात के बारे में न सोचें और न ही किसी प्रकार का विचार करें। शांतचित्त से ध्यान में जितनी देर हो सके बैठें।

ऐसे बढ़ाएँ स्मरणशक्ति

एक सफ़ेद कागज लें और उसमें एक बिन्दु बनाएँ। इस बिन्दु की ओर लगातार एकटक देखते रहें और एकाग्र होने की कोशिश करें। यह क्रिया आपके दिमाग को तेज करने में मदद करती है और आपकी एकाग्रता को भी बढ़ाती है, एकाग्रता बढ्ने से स्मरणशक्ति भी मजबूत होती है।

दिमाग तेज करने का सबसे आसान उपाय है दिमागी एक्सरसाइज़ के करें मेमोरी तेज

दिमाग को आप जितना ज़्यादा काम देंगे आपका दिमाग उतना ही तेज चलेगा। आपने यह तो सुना ही होगा कि, अगर किसी मशीन का बंद रख दिया जाए तो यह काम करना बंद कर देती है। हमारा दिमाग भी इसी तरह है। अगर हम इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे तो यह काम करना बंद कर देगा और अगर हम इसे सक्रिय रखेंगे तो यह और भी अच्छी तरह काम करता रहेगा। दिमागी कसरत वाले कामों में अपने दिमाग को उलझाए रखें। इसके लिए पज़ल, गेम या पहेली आदि का प्रयोग किया जा सकता है। अपने दिमाग को मेहनत करने का मौका दें।

याददाश्त बढ़ाने के लिए प्राणायाम (Yaddasht badhane ke liye Yoga / Pranayam)

योग और प्राणायाम स्मरणशक्ति को तेज करने का सबसे प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है। प्राणायाम के द्वार आसाध्य रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है। मेमोरी के क्षेत्र में भी यह विशेष फलदायी है। मेमोरी बढ़ाने के लिए अनुलोम विलोम का नियमित अभ्यास करें।

याददाश्त तेज करने के उपाय है सुबह जल्दी उठें

सुबह जल्दी उठना हर किसी के लिए अच्छा होता है। अगर आप विद्यार्थी हैं तो यह आपके लिए विशेष रूप से लाभदायक हो सकता है। सुबह उठकर पैदल चलें या सैर पर जाएँ। सुबह जल्दी उठने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जिससे आपके दिमाग को तेजी से काम करने और चीजों को याद रखने की क्षमता भी बढ़ती है।

सेहत और सौन्दर्य कैसे पाएँ आलू से?

 

आलू एक कंदमूल सब्जी है जिसे सबसे पहले दक्षिणी अमेरिका (south america) में उगाया गया था। इसे कई तरह के रंगों के अनुसार विभक्त किया जाता है, जैसे सफ़ेद आलू, पीला आलू, लाल आलू तथा रुस्सेट आलू (russet potato)। ये विटामिन (vitamin) तथा कई तरह के खनिजों जैसे पोटैशियम, मैंगनीज तथा फॉस्फोरस (potassium, manganese and phosphorus) का बेहतरीन स्त्रोत होता है।

इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट्स तथा एंटी ऑक्सीडेंट्स (phytonutrients and anti-oxidants) होते हैं जो कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मददगार साबित होते हैं। आलू एक कम कैलोरी (calorie) वाली सब्जी है जिसमें काफी मात्रा में फाइबर (fibre) होता है, जो वज़न घटाने में आपकी सहायता करता है। इसके कई स्वास्थ्य और सौन्दर्य गुण होते हैं।

आलू के स्वास्थ्यवर्धक गुण (Health benefits of potato)


आलू के गुण रक्तचाप में (Blood pressure me aalo ke fayde)

आलू में कुकोयामाइन ए (kukoamine-A) नामक तत्व होता है जो रक्तचाप के स्तर को संतुलित रखने में काफी बड़ी भूमिका निभाता है। कई शोधों में यह पाया गया है कि आलू के पत्ते रक्तचाप की दवाइयों के निर्माण के लिए प्रयोग में लाए जा सकते हैं। रक्तचाप के मरीज़ हमेशा ही तले आलू की जगह भुने आलू (baked potatoes) का सेवन करना पसंद करते हैं।

आलू के फायदे कोशिकाओं की कार्यशीलता बढाए (Improve cell functioning)


आलू में विटामिन्स की मौजूदगी होती है, जिनकी मदद से कोशिकाओं की क्रियाशीलता में काफी इजाफा होता है। विटामिन बी 6 (vitamin B6) कोशिकाओं की कार्यशीलता बढाने में काफी सहायक है, खासकर नसों की कोशिकाओं (nerve cells) पर यह काफी अच्छा काम करता है। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को भी प्रभावित कर उनकी कार्यशीलता बढाने में मदद करता है।

आलू के फायदे दिल के लिए (Heart ke liye aalo ke labh)

दिल से जुड़ी हर प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए मिथाइलेशन (methylation) काफी आवश्यक है। उच्च मात्रा में होमो सिस्टीन (homocysteine) के उत्पादन से दिल की बीमारियाँ होने का ख़तरा काफी ज़्यादा बढ़ जाता है। ऐसी स्थितियों से बचनेके लिए विटामिन बी 6 से युक्त भोजन का सेवन काफी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि यह होमो सिस्टिन के स्तर को कम करने में सहायता करता है। इससे दिल की बीमारियों का ख़तरा भी घटता है।

आलू के फायदे वज़न घटाने में सहायक (Weight reduction)

आलू में कैलोरी की मात्रा कम तथा फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है, जिससे आपको अपना वज़न कम करने में काफी सहायता मिलती है। यह प्रोटीन, पोषक पदार्थों तथा खनिजों का काफी अच्छा स्त्रोत है क्योंकि ये सारी चीज़ें शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता करती हैं।

आलू के सौन्दर्य लाभ (Beauty care ke liye aalu ke gun)

आलू के गुण त्वचा की देखभाल के लिए (Skin care ke liye aalu ke fayde hindi me)

आलू त्वचा के लिए काफी लाभदायक होता है। इसमें ऐसे गुण होते हैं, जिनसे आपकी त्वचा नर्म और चमकदार बनती है। आलू में एंटी बैक्टीरियल गुण (anti-bacterial properties) भी होते हैं जो आपके चेहरे की मृत कोशिकाओं को दूर करने में मदद करते हैं।

निखरी त्वचा के लिए आलू के प्राकृतिक उपयोग


त्वचा पर आलू का पैक प्रयोग में लाने से एक्ने (acne), मुहांसों तथा दाग धब्बों से छुटकारा मिलता है।दमकती त्वचा पाने के लिए आलू के पैक के स्थ नींबू के रस का प्रयोग करना काफी अच्छा रहता है।

आलू का रस काले घेरे दूर करे (Removal of dark circles)

आलू प्राकृतिक रूप से आँखों के नीचे की त्वचा को चमकदार बनाते हैं। आलू के रस या सीधे आलू का प्रयोग आँखों के नीचे करने पर काले घेरे पूरी तरह दूर हो जाते हैं। एक कच्चे आलू को छीलें तथा इसके बड़े टुकड़े करें। इन्हें एक कपडे में लपेटें तथा 15 से 20 मिनट तक आँखों के नीचे रखें। इसके बाद इसे गर्म पानी से धो लें। इस विधि का प्रयोग रोजाना करने से आपके काले हियर काफी हद तक दूर हो जाएंगे। आप काले घेरे दूर करने के लिए रुई के गोले की मदद से आँखों के नीचे आलू के रस का भी प्रयोग भी कर सकते हैं।

आलू का रस झुर्रियां दूर करे (Treatment of wrinkles with aloo ka ras)

आलू एक बेहतरीन एंटी एजिंग (anti ageing) उत्पाद के रूप में जाना जाता है तथा झुर्रियों को दूर करने में भी काफी सहायक होता है। इसके रोजाना प्रयोग से त्वचा में एक नयी रौनक आती है।

आलू के गुण बालों की देखभाल के लिए (Hair care)

बालों के लिए आलू का मास्क बालों को झड़ने तथा डैन्ड्रफ (dandruff) की समस्या से बचाता है। बालों का पैक बनाने के लिए कच्चे आलू के अंशों का प्रयोग करें, जो बालों की बढ़त का काफी महत्वपूर्ण एवं प्रभावी स्त्रोत होता है। आलू उन लोगों के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद साबित होता है जो बाल पतले होने की समस्या से परेशान रहते हैं।

Monday, May 22, 2017

दिल की सामान्य बीमारियां व लक्षण


दिल की बीमारियां अमेरिका में लोगों की मृत्यु की काफी बड़ी वजह है। करीब 60% अमेरिकी लोग दिल की किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित हैं। नीचे दिल की बीमारियों के विभिन्न प्रकार दिए गए हैं।

दिल की बीमारियां कई तरह की होती हैं। कई लोग पैदा ही इस बीमारी के साथ होते हैं, वहीँ दूसरी तरफ ज़्यादातर लोगों को यह बीमारी समय के साथ प्रभावित करती है। दिल की बीमारियां काफी घातक होती हैं क्योंकि ये काफी देर में विकसित होती हैं तथा लोगों को काफी दोनों तक इसका पता भी नहीं चलता।

ज़्यादातर दिल की बीमारियों का कारण रक्त की धमनियों, जो दिल में रक्त का संचार करती हैं, का अत्याधिक वसा और कोलेस्ट्रोल (cholesterol) की वजह से बंद होना होता है। ये लक्षण बताएंगे दिल की बीमारी है या नहीं। अगर धमनियों का अंदरूनी भाग प्लाक (plaque) की वजह से पतला हो जाए तो रक्त का थक्का जम जाता है और इस वजह से धमनियों के द्वारा थोड़ी मात्रा में ही रक्त का संचार हो पाता है।

इस स्थिति को एथेरोसक्लेरोसिस (atherosclerosis) या धमनियों का कड़ा होना कहा जाता है। दिल में रक्त का संचार पर्याप्त मात्रा में ना हो पाने से दिल के दौरे की संभावना बढ़ जाती है, जबकि मस्तिष्क में रक्त का संचार ठीक से ना हो पाने की स्थिति में सेरेब्रोवैस्कुलर दौरे (cerebrovascular attack) का ख़तरा काफी बढ़ जाता है।

धमनियों की कोरोनरी बीमारी (Coronary artery disease)

कोरोनरी धमनियों में ब्लॉकेज (blockage) की स्थिति को कोरोनरी आर्टरी डिसीज़ कहते हैं। इस स्थिति के अंतर्गत दिल की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन (oxygen) प्राप्त नहीं होता है। इस तरह की बीमारी में बिना किसी पूर्वाभास के मृत्यु की भी संभावना होती है। इस खतरे के शिकार वे सभी होते हैं जिन्हें दिल की किसी ना किसी बीमारी ने घेरा हुआ है।

कोरोनरी आर्टरी डिसीज़ के प्रकार (Types of coronary artery disease)


इस्केमिया (Ischemia)

धमनियों से जुड़ी दिल की इस बीमारी में दिल की मांसपेशियों की तरफ रक्त का प्रवाह काफी कम हो जाता है, पर इस स्थिति में आपको ना कोई दर्द महसूस होता है और ना ही किसी प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। जो भी थोड़ी बहुत परेशानी होती है, वह व्यायाम करते समय ही होती है।

एन्जिना पेक्टोरिस (Angina pectoris)

ये लक्षण बताएंगे दिल की बीमारी है या नहीं। छाती, पीठ, हाथ या जबड़े में दर्द या किसी प्रकार का दबाव महसूस होना भी इस बात की ओर इशारा करता है कि आपके दिल की मांसपेशियां पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन (oxygen) ग्रहण नहीं कर पा रही हैं। एन्जिना धमनियों के पतले होने या दिल की नसों के अंदर की मांसपेशियों में अकड़न उत्पन्न होने के कारण भी हो सकता है। इस अकड़न के पैदा होने का कारण धूम्रपान, ठन्डे तापमान में निवास, संवेदनशीलता में इज़ाफ़ा या इसके अलावा भी कुछ हो सकता है। यह बात जाननी काफी आवश्यक है कि एन्जिना दिल की कोई समस्या नहीं है और इससे आमतौर पर दिल को कोई स्थाई नुकसान नहीं पहुंचता। हालांकि इससे एक्ने (acne) की समस्याओं में इज़ाफ़ा अवश्य होता है। एन्जिना से होने वाले दर्द को दिल में सही मात्रा में ऑक्सीजन का संचार करके या दिल के लिए ऑक्सीजन की ज़रुरत में कमी करके कम किया जा सकता है।

एन्जिना (Angina)

एन्जिना की स्थिति में आपको काफी परेशानी तथा दर्द का भी सामना करना पड़ता है। यह इस बात का संकेत है कि आपके दिल को पोषक पदार्थों के अलावा पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त नहीं हो पा रहा। एन्जिना के मुख्य कारण एथेरोक्लेरोसिस या दिल की धमनियों में अकड़न (coronary artery spasm) होते हैं। जब कोई व्यक्ति इस समस्या का शिकार होता है तो उसका दिल सामान्य से ज़्यादा काम करने लगता है। इस समय दिल भोजन के बाद तथा शारीरिक और मानसिक तनाव के दौरान ज़्यादा काम करता है। आपके आराम करते समय भी आपका दिल काम करते रहता है। आमतौर पर एन्जिना छाती में मुख्य रूप से पैदा होता है, तथा इसके बाद बाएं हाथ से नीचे जाता है। इसके अलावा इस स्थिति में आपको कन्धों, पीठ के ऊपरी हिस्सों, दोनों हाथों, गले और जबड़े में भी पीड़ा महसूस हो सकती है।

एन्जिना के लक्षण (Signs or symptoms of Angina)


दर्द, अंगों का सुन्न पड़ जाना तथा थोड़ी सी गुदगुदीतेज़ दर्दमरोड़ें (Cramping)सांस लेने में तकलीफ होनाकाफी मात्रा में पसीना निकालना और चक्कर आनासीना भारी होना और दिल में तकलीफछाती में सिकुड़न का अहसास।इन लक्षणों को देखने पर व्यायाम छोड़कर बैठ या लेट जाएं और शरीर को ढीला छोड़ दें।

अगर ये लक्षण बार बार दिखने लगें तो डॉक्टर से अवश्य सलाह करें।

हार्ट इन्वेशन – मायोकार्डियल इन्फ़्रेक्शन (Heart invasion (Myocardial infarction)

यह स्थिति  उत्पन्न होती है जब दिल के एक भाग में रक्त का संचार बंद हो जाता है तथा दिल की मांसपेशियों का एक भाग क्षतिग्रस्त या मृत हो जाता है। अगर दिल की यह ब्लॉकेज (blockage) कम समय के लिए होती है और कुछ समय बाद आपका दिल रक्त, ऑक्सीजन (oxygen) एवं पोषण प्राप्त करने लगता है तो इस अवस्था को सुधारा जा सकता है। इसलिए दिल की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के लिए डॉक्टरी उपचार लेना काफी आवश्यक है।

दिल की बीमारी के सूचक (Indicators of any heart condition include)

सीना भारी लगना, दबाव, छाती में असहनीय दर्द या दबाव जो कुछ मिनट तक चले।ऐसा दर्द जो कन्धों, गले या हाथों की तरफ ज़्यादा हो।चक्कर आना या बेहोश हो जाना।काफी कमज़ोरी।दिल की धड़कनों का बढ़ना।सांस लेने में तकलीफ होना।काफी मात्रा में पसीना निकलना।उलटी तथा मतली।

अगर इनमें से कोई भी लक्षण 15 मिनट से ज़्यादा रहें और आपको लगे कि ये सारे दिल से जुड़े हुए हैं तो तुरंत एक एम्बुलेंस (ambulance) बुलाएं तथा अपने किसी नज़दीकी को आपको तुरंत अस्पताल ले जाने को कहें।


दिल का दौरा (Heart failure)

दिल का दौरा ऐसी स्थिति में पड़ता है जब आपका दिल आपके शरीर की ज़रुरत के मुताबिक़ रक्त पंप (pump) नहीं कर पा रहा हो। इसका यह मतलब नहीं है कि आपकी मृत्यु होने वाली है। इसका सिर्फ यह मतलब है कि दिल को अपनी ज़रुरत के मुताबिक़ रक्त और ऑक्सीजन प्राप्त नहीं हो रहे हैं। दिल का दौरा आमतौर पर नीचे दिए जा रहे कारणों के कारण पड़ता है  : –

कोरोनरी आर्टरी डिसीज़ (Coronary artery disease)

जन्म से दिल की समस्या।दिल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो।उच्च रक्त चाप (blood pressure)मधुमेह।दिल के वाल्व (heart valves) से जुड़ी बीमारियां।कार्डिओमायोपैथिस (cardiomyopathies) या ऐसी बीमारियां जो दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाए।फेफड़े की बीमारी जैसे एम्फ़िसेमा (Emphysema)।

अगर आपको दिल के दौरे से सम्बंधित कोई भी लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

पैरों तथा टखनों में सूजन जिसे एडिमा (edema) भी कहा जाता है।फेफड़ों में द्रव्य जम जाना जिसे पल्मोनरी ब्लॉकेज (pulmonary blockage) भी कहते हैं।अन्य लक्षणों में मुख्य है सांस लेने में परेशानी, स्लीप एपनिया (sleep apnea), कफ तथा थकान।

अरिदमिया (Arrhythmia)

कई बार आपके दिल का विद्युत विभाग ठीक से काम नहीं करता। यह कभी तेज़ होता है, कभी धीमा, कभी असामान्य और कई बार इनके चलने की गति असमान होती है। इससे आपका दिल सामान्य से तेज़ या धीमा धड़कने लगता है। इस असमान गति को अरिदमिया कहते हैं। इनके कई लक्षण होते हैं जैसे चक्कर आना, बेहोश हो जाना, थकान, सांस लेने में परेशानी, छाती में दर्द, कंपकंपाहट, थरथराहट तथा दिल का ज़ोर से धड़कना। अगर इसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाए तो अरिदमिया जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसके कुछ प्रकार नीचे दिए गए हैं।


ब्रैडीकार्डिया (Bradycardia)

यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब दिल का विद्युत सिग्नल (electrical signal) धीमा या बंद हो जाता है, जिससे दिल की धड़कनें सामान्य से धीमी हो जाती हैं अगर यह स्थिति ज़्यादा उत्पन्न नहीं होती तो ब्रैडीकार्डिया से डरने की कोई ज़रुरत नहीं है। लेकिन अगर यह स्थिति लम्बे समय तक रहे तो शरीर में रक्त का संचार पर्याप्त रूप से नहीं होगा, जो काफी खतरनाक हो सकता है। दिल की बीमारी और कई ड्रग्स (drugs) लेने से ब्रैडीकार्डिया की समस्या उत्पन्न हो सकती है, और आपको ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए। इसके उपचार के अंतर्गत आपकी कोई पूर्व दवाई बंद करवाई जा सकती है या पेसमेकर (pacemaker) हटाया जाता है जिससे कि दिल सामान्य रूप से धड़के।

असमान या अतिरिक्त रूप से दिल का धड़कना (Irregular or even extra heartbeats)

कई बार बिलकुल स्वस्थ लोगों को भी असमान या अतिरिक्त रूप से दिल धड़कने की समस्या का सामना करना पड़ता है। कई स्थितियों में असमान या अतिरिक्त दिल की धड़कनों के फलस्वरूप आपका दिल काफी तेज़ी से धड़कने लगता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक होता है।

पपीते के स्वास्थ्य तथा सौंदर्य फायदे


पपीता एक नारंगी रंग का फल है जो काफी स्वादिष्ट होता है। इसमें काफी मात्रा में पोषक पदार्थ, विटामिन्स (vitamins) तथा कम मात्रा में कैलोरीज़ (calories) भी होती हैं। पपीता के औषधीय गुण, पपीते में पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम और सोडियम (potassium, iron, magnesium and sodium) जैसे खनिज होते हैं जो भोजन को पचाने में आपकी सहायता करते हैं।

पपीता का रस, पपीते में करीब 5 ग्राम चीनी, कम वसा और सामान्य मात्रा में फाइबर (fiber) मौजूद होता है। अमेरिका और मेक्सिको (United States and Mexico) पपीते के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। पपीता के औषधीय गुण के कई स्वास्थ्य और सौंदर्य लाभ होते हैं।

पपीते के स्वास्थ्य गुण (Health benefits of papaya)

पपीता खाने के फायदे वज़न घटाने में सहायक (Weight loss ke liye papita khane ke fayde)

पपीते में फाइबर, कम वसा और कम कैलोरीज़ होती हैं जो हमारे शरीर से फैट (fat) को कम करने में काफी बड़ी भूमिका निभाती हैं। पपीता खाने के फायदे, पपीते के सेवन से पाचन प्रणाली साफ होती है तथा हाज़मा सही होने में मदद मिलती है। पपीता खाने का सही समय खाली पेट होता हैं।

पपीता के गुण प्रतिरोधक प्रणाली के लिए (Immune system ke liye papita ke gun)


पपीते में ऐसे विटामिन उपलब्ध होते हैं जो आपके शरीर के लिए काफी आवश्यक हैं। इससे आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में काफी इज़ाफ़ा होता है। पपीता का उपयोग, यह आपके शरीर की शक्ति बढ़ाने तथा प्रतिरोधक क्षमता को स्वस्थ बनाने तथा इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए काफी आवश्यक है।

पपीता के लाभ कोलन कैंसर में (Colon cancer)

पपीते का फल एंटी ऑक्सीडेंट्स (anti-oxidants) से भरपूर होता है। यह एक एंटी एजेंट (anti-agent) की तरह काम करता है तथा कैंसर की कोशिकाओं (cancer cells) से लड़कर कैंसर के खतरे से बचाता है। इसके अलावा पपीते में मौजूद पोषक पदार्थ कोलन कैंसर की कोशिकाओं को रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं। पपीता का उपयोग, पपीते में मौजूद लाइकोपिन (lycopene) आपको प्रोस्टेट कैंसर (prostate cancer) के खतरे से भी बचाता है।

पपीते के सौंदर्य गुण (Beauty benefits)

पपीता के फायदे त्वचा की देखभाल में (Skin care ke liye papite ke gun)

पपीते में ऐसे कई पोषक पदार्थ होते हैं जो त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसमें ऐसे विटामिन्स भी मौजूद होते हैं पपीता का रस, जो त्वचा की मृत कोशिकाओं को निकालने में सहायता करते हैं।

पपीते का प्रयोग त्वचा को नमी प्रदान करने के लिए (skin moisturizer) किया जाता है।पपीता के गुण, पपीते का फेस पैक (papaya face pack) त्वचा की टोन (tone) में प्राकृतिक रूप से निखार ले आता है।पपीते का फेस पैक चेहरे पर चमक लाता है।पपीते का फेस पैक चेहरे से मुहांसों के दागों को पूरी तरह से हटाने में मदद करता है।पपीते के फेस पैक से आपकी त्वचा नरम और मुलायम हो जाती है।पपीते के गूदे का प्रयोग चेहरे के काले धब्बों को दूर करने के लिए किया जाता है।

पपीता के फायदे बालों की देखभाल में


पपीते में ऐसे पोषक पदार्थ होते हैं जो बालों को बढ़ाने तथा उन्हें प्रभावी रूप से पोषण देने में काफी ज़्यादा सहायक सिद्ध होते हैं।

पपीता के गुण, पपीते का हेयर पैक बालों में मौजूद डैंड्रफ (dandruff) को नियंत्रित करने में सहायता करता है।पपीता के गुण, पपीते का हेयर पैक आपके बालों को काफी मज़बूत और स्वस्थ बनाता है।पपीते के पत्तों का प्रयोग आप बालों के मास्क (hair mask) के रूप में कर सकते हैं। यह बालों के लिए कंडीशनर (conditioner) का काम करता है।पपीते का हेयर पैक आपको गंजेपन से मुक्ति दिलाने में सहायता करता है।