Monday, May 22, 2017

स्वास्थ्य लाभ के लिए रसभरी (रास्पबेरी) कैसे लाभदायक हैं?


हमारे द्वारा किये गए हर भोजन में पोषक तत्व होने चाहिए जिससे हमारे शरीर को उस उत्पाद का सेवन करने से कोई लाभ मिले। प्राकृतिक रूप से उगाये गए फलों में एक मनुष्य को लम्बे समय तक स्वस्थ रखने के गुण होते हैं। कुछ लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी ज़्यादा चिंतित रहते हैं तथा शरीर की सही देखभाल के लिए फलों का काफी ज़्यादा मात्रा में सेवन करते हैं।

फल खाने से आपको खूबसूरत त्वचा प्राप्त होती है, शरीर के फ्री रेडिकल्स (free radicals) से छुटकारा मिलता है तथा वज़न भी काफी हद तक कम होता है। रोज़ाना कोई एक फल खाना आपके लिए काफी स्वास्थ्यकर होता है। रास्पबेरी फल एक ऐसा ही फल है जिसका सेवन हज़ारों वर्षों से किया जाता रहा है। यह खुद में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स (antioxidants) की मदद से शरीर के ऑक्सीडेंट्स (oxidants) निकालने के लिए जाना जाता है। नीचे इस फल के कुछ लाभ बताये गए हैं।

रसभरी (रास्पबेरी फल) एक लज़ीज़ फल है तथा इसे सारे विश्व में उगाया जाता है। यह बैंगनी, सुनहरे, लाल और काले जैसे कई रंगों में पाया जाता है। इसे विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में प्रयोग किया जाता है। इनमें काफी मात्रा में विटामिन्स, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स (vitamins, fiber and anti-oxidants) पाये जाते हैं।

रास्पबेरी में थोड़ी मात्रा में साईनाडीन, सैलिसिलिकएसिड, गैलिकएसिड और क्वेरसेटिनएसिड (cyanadin, salicylic acid, gallic acid and quercetin acid) भी होते हैं। इनमें कैलोरी (calorie) काफी कम मात्रा में होती है तथा पोषक पदार्थ जैसे मैग्नीशियम (magnesium) कूट कूट कर भरे होते हैं। यह एक कोलेस्ट्रोल से मुक्त फल है जिसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।

रसभरी के स्वास्थ्य गुण (Health benefits of raspberry)

रसभरी के गुण रक्त की धमनियां के लिए (Blood vessels ke liye rasbhari ke fayde)


रास्पबेरी में विटामिन सी (vitamin C) होता है जो मानव शरीर में कोशिकाओं की बढ़त के लिए आवश्यक है। रास्पबेरी का फल शरीर की कोशिकाओं, हड्डियों तथा रक्त की धमनियों की मरम्मत करता है।

रसभरी के फायदे हड्डियों का विकास के लिए (Bone development)

रसभरी में विटामिन के (vitamin k) होता है जो खून के थक्के और अन्य चोटों को ठीक करने के लिए आवश्यक प्रोटीन (protein) जुटाने में काफी अहम् भूमिका निभाता है। इसमें काफी पोषक पदार्थ होते हैं जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए काफी आवश्यक हैं। इसमें मौजूद विटामिन की हड्डियों के विकास में अहम् भूमिका निभाता है। पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही रास्पबेरी का सेवन करना चाहिए।

रसभरी के गुण फ्री रेडिकल्स में (Free radicals me rasbhari ke fayde)

रास्पबेरी का फल मैंगनीज और मिनरल्स (manganese and minerals) का काफी अच्छा स्त्रोत होता है। यह शरीर के फ्री रेडिकल्स को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। यह हड्डियों को मज़बूत बनाता है तथा उम्र बढ़ने से रोकता है।

रसभरी के फायदे महिलाओं का स्वास्थ्य के लिए (Women health)

रास्पबेरी एक पोषक फल है जिसमें फाइबर (fiber) तथा फाइटो केमिकल कंपाउंड (phyto-chemical compound) होते हैं। रास्पबेरी महिलाओं के मासिक धर्म (menstrual periods) को नियंत्रित करने में सहायता करता है। यह शरीर में आई मरोड़ों से भी मुक्ति दिलाता है। इसके अलावा यह माँ के दूध को और भी शक्तिशाली बनाता है।

रसभरी के गुण मधुमेह के लिए (Diabetes me rasbhari ke gun)

रास्पबेरी का फल रक्त में चीनी के स्तर को घटाने में मदद करता है। यह फल मधुमेह के मरीजों के लिए काफी लाभदायक है क्योंकि यह मधुमेह का ख़तरा काफी कम कर देता है।

रसभरी के फायदे कैंसर में (Cancer me rasbhari health ke liye)


रास्पबेरी का फल फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंटस (anti-oxidants) से युक्त होता है। यह फल कैंसर की कोशिकाओं को दोबारा बढ़ने से रोकता है तथा कैंसर से आपको बचाता है।

ह्रदय (Heart ke liye rasbhari health ke liye)

रसभरी में काफी तरह के स्वास्थ्य सम्बन्धी गुण होते हैं। इसमें विटामिन, मिनरल, पोटैशियम, मैंगनीज और फाइबर (vitamins, minerals, potassium, manganese and fiber) होते हैं रास्पबेरी का रस दिल के मरीजों के लिए काफी स्वास्थ्यवर्धक होता है। ह्रदय की समस्याओं से बचने के लिए इसका रस पियें।

रसभरी के फायदे मस्तिष्क की शक्ति बढाए (Boosting brainpower)

हममें से सभी बुद्धिमान बनना चाहते हैं, पर सबका दिमाग इतना तेज़ नहीं होता। अभिभावक हमेशा अपने बच्चे को प्रतिभाशाली तथा प्रबल मस्तिष्क वाला बनाना चाहते हैं। रास्पबेरी के सेवन से आपके शरीर में फ़्लवोनोइडस (flavonoids) का संचार होगा, जिससे कि आपकी याददाश्त काफी तेज़ होगी। अगर आपकी उम्र ज़्यादा भी है तो भी इससे आपके दिमाग की क्षमता में इजाफा होगा।

हाजमे में सहायता करे (Helps in digestion)

आजकल ज़्यादातर लोगों को हाजमे की शिकायत रहती है क्योंकि उनका पेट अच्छे से साफ नहीं हो पाता। पर रास्पबेरी में मौजूद फाइबर की वजह से इसके सेवन से आपका हाजमा बिलकुल दुरुस्त हो जाएगा। बाइल (bile) की मदद से आपके शरीर की सारी अशुद्धियाँ बाहर निकल जाएंगी।

रसभरी के लाभ प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करे (Regulation of immune system)

मौसम में बदलाव से बच्चे और व्यस्क दोनों ही ठण्ड और बैक्टीरिया (bacteria) के शिकार हो जाते हैं। पर रसभरी के सेवन से आप आसानी से स्वस्थ रह सकते हैं तथा मौसमी बीमारियों से बचकर रह सकते हैं। रास्पबेरी आपकी प्रतिरोधक क्षमता को भी नियंत्रित करता है तथा सूजन से बचाता है।


रसभरी के गुण आँखों के लिए लाभदायक (Benefit for eyes)

रास्पबेरी का फल विटामिन सी (vitamin C) से युक्त होता है, अतः यह आपकी आँखों की रोशनी तेज़ करने में मदद करता है। यह सूरज की किरणों से निकलने वाली UV किरणों से आपकी आँखों की रक्षा करता है। क्योंकि सूरज की किरणें भी हानिकारक नीली रोशनी छोड़ती हैं, इससे आपकी आँखें मैकुलर डीजनरेशन (macular degeneration) से भी प्रभावित हो सकती हैं। पर रास्पबेरी की मदद से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।

रसभरी के फायदे ऑक्सीडेंट्स हटाए (Removal of oxidants)

आपके शरीर में मौजूद ऑक्सीडेंट्स कई तरह की समस्याओं का कारण बनते हैं। लेकिन अगर आप रास्पबेरी का नियमित रूप से सेवन करें तो इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स की वजह से आपको स्वास्थ्य समस्याओं तथा किसी भी प्रकार की बीमारियों से जूझना नहीं पड़ेगा। यह आपको स्वस्थ बनाए रखने में सहायता करता है तथा शरीर की कई परेशानियों से निजात दिलाता है।

शरीर का मेटाबोलिज्म बढ़ाने में सहायता (Boost metabolism ke liye rasbhari ke labh)

आपके शरीर का मेटाबोलिज्म कई कारणों से बिगड़ सकता है। परन्तु रास्पबेरी में मौजूद विटामिन के, फोलिक एसिड, राइबोफ्लेविन तथा विटामिन बी 6 (vitamin K, folic acid, riboflavin as well as vitamin B – 6) की पर्याप्त मात्रा की वजह से इसका नियमित सेवन करने से आपके शरीर के मेटाबोलिस्म में काफी वृद्धि होती है।

रसभरी के लाभ कैंसर पर नियंत्रण में (Prevents cancer)

आप ऐसे लोगों को अवश्य जानते होंगे जो उम्र के एक पड़ाव पर आकर कैंसर का शिकार हो जाते हैं। कैंसर के कुछ प्रकार शुरूआती चरणों में ठीक होने लायक होते हैं, पर ऐसे कई प्रकार भी होते हैं जिनमें व्यक्ति के ठीक होने की संभावना काफी कम होती है। लेकिन अगर आप कैंसर की जानलेवा बीमारी से दूर रहना चाहते हैं तो रास्पबेरी के फल का नियमित सेवन करके आप ये कर सकते हैं। अगर आपके परिवार या नज़दीकी रिश्तेदारों में से कोई कैंसर का शिकार हुआ है तो आपको काफी सावधान हो जाने की ज़रुरत है। इस स्थिति को टालने के लिए आज ही रास्पबेरी का सेवन शुरू करें।


उम्र की बढ़त पर नियंत्रण रखे (Controls aging)

उम्र का बढना एक ऐसी प्रक्रिया है जो बिलकुल स्वाभाविक है तथा इसे रोका नहीं जा सकता। लेकिन हममें से कोई भी वृद्धावस्था की स्थिति से गुजरने का इच्छुक नहीं होता। हम सिर्फ उम्र बढ़ने की इस प्रक्रिया को थोड़ा सा धीमा कर सकते हैं। रास्पबेरी एक बेहतरीन ऊर्जा का स्त्रोत है और यह महीन रेखाओं, झुर्रियों और धब्बेदार त्वचा जैसी उम्र की निशानियों पर नियंत्रण रखने में काफी कारगर साबित होता है। इसके सेवन से  आपकी उम्र बढ़ने की गति काफी धीमी हो जाएगी तथा आप बिलकुल स्वस्थ और चुस्त दुरुस्त होने का अहसास करेंगे। रास्पबेरी के फल का सेवन करने के फलस्वरूप आप काफी जवान और आकर्षक भी दिखने लगेंगे। अगर आपकी असल उम्र 40 वर्ष के करीब है तो इसके सेवन से आप 35 या 30 वर्ष के भी लग सकते हैं।

सौन्दर्य गुण (Beauty benefits)

रसभरी के लाभ सौन्दर्य उत्पाद में (Cosmetics)

रास्पबेरी का प्रयोग सौन्दर्य उत्पादों के निर्माण में काफी किया जाता है। रास्पबेरी के अंश का प्रयोग लिपस्टिक (lip sticks), डियोड्रेंट्स (deodorants) तथा साबुन के निर्माण के समय एक फ्लेवर (flavour) के रूप में किया जाता है।

रसभरी के गुण त्वचा की देखभाल में (Skin care me rasbhari ke labh)

रास्पबेरी के फल में त्वचा को कसावट प्रदान करने वाले गुण होते हैं। यह झुर्रियों को बढ़ने से रोकता है तथा त्वचा के रंग में निखार लाता है। रास्पबेरी में मौजूद अंथोसयनिंस (anthocyanins) त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया (bacteria) को बढ़ने से रोकते हैं।

रसभरी के फायदे बालों की देखभाल में (Hair care)

रास्पबेरी के फल में विटामिन बी (vitamin B) मौजूद होता है जो बालों को झड़ने से रोकता है, बालों को उगाने में मदद करता है तथा सफ़ेद बालों की बढ़त में कमी करता है। रास्पबेरी का फल खाने से आपके बालों की चमक में भी काफी इज़ाफ़ा होता है। इस फल में मौजूद विटामिन सी (vitamin C) सिर की त्वचा को स्वस्थ रखने में काफी असरकारी साबित होता है।

रसभरी के हैं भरपूर फायदे, आंखों से लेकर हड्डियों तक की समस्या होगी दूर

रसभरी एक ऐसा फल है जो जंगली घास के बीच अपने आप ही उग जाता है। इसकी खेती करने की जरूरत नहीं पड़ती है। रसभरी औषधीय गुणों से भरपूर है। यह खाने में जितनी स्वादिष्ट होती है उतनी ही सेहत के लिए भी फायदेमंद है।

रसभरी एक फायदे अनेक:

हड्डियां

अगर आप हड्डियों से जुड़ी समस्या से परेशान हैं तो रसभरी आपकी मदद कर सकती है। इसमें पेक्टिन होता है जो शरीर में कैल्शियम और फॉस्फॉरस की सही मात्रा बनाए रखता है।

लिवर और किडनी

फाइब्रोसिस, ऐसा रोग है जिसमें लिवर व किडनी में रेशे पनप जाते हैं। शोध से साबित हुआ है कि इसका उपयोग न केवल इन रोगों से लड़ता है बल्कि इनसे बचाता भी है।

ऐंटीऑक्सिडेंट

रसभरी का उपयोग लिवर के रोगों में, मलेरिया, अस्थमा, त्वचा रोग में किया जाता है। शोध प्रमाणित करते हैं कि रसभरी में ऐंटीऑक्सिडेंटस होने के कारण ही इन बीमारियों से लड़ने में इसका इस्तेमाल होता है।

आर्थराइटिस

नियासिन या विटमिन B3 खून को हर अंग में ले जाने में मदद करता है। जब हर अंग में खून सही तरीके से पहुंचेगा तो आर्थराइटिस जैसा रोग पनपेगा ही नहीं। ऐसे में इसे खाने से बॉडी के हर पार्ट में खून पहुंचने में मदद मिलती है।

आंखों के लिए

इसमें विटमिन ए अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसे रोजाना खाने में शामिल करने से ये शरीर में 14 प्रतिशत तक विटमिन ए की आपूर्ति कर देता है। इसको खाने से आंखों से जुड़ी बीमारियों से बच सकते हैं।

डायबिटीज-
रसभरी डायबिटीज से जूझ रहे लोगों के लिए भी फायदेमंद होता है। इसके लिए रसभरी को 2 कप पानी में तब तक उबालें तब तक वो एक कप न बचे। रोज सुबह इसे पीने से डायबिटीज से निजात पाई जा सकती है।

लंग कैंसर-
रसभरी में पॉलीफिनॉल और केरिटिनॉयड्स पाया जाता है जो कैंसर से लड़ने में सक्षम होता है। 

त्रिफला बनाने की विधि व त्रिफला सेवन के नियम

मित्रो आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर मे जितने भी रोग होते है वो त्रिदोष: वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते है । वैसे तो आज की तारीक मे वात,पित कफ को पूर्ण रूप से समझना सामान्य वुद्धि के व्यक्ति के बस की बात नहीं है । लेकिन आप थोड़ा समझना चाहते है तो इतना जान लीजिये ।

सिर से लेकर छाती के मध्य भाग तक जितने रोग होते है वो कफ के बिगड़ने के कारण होते है ,और छाती के मध्य से पेट खत्म होने तक जितने रोग होते है तो पित्त के बिगड़ने से होते है और उसके नीचे तक जितने रोग होते है वो वात (वायु )के बिगड़ने से होते है । लेकिन कई बार गैस होने से सिरदर्द होता है तब ये वात बिगड़ने से माना जाएगा । ( खैर ये थोड़ा कठिन विषय है )

जैसे जुकाम होना ,छींके आना ,खांसी होना ये कफ बिगड़ने के रोग है
तो ऐसे रोगो मे आयुवेद मे तुलसी लेने को कहा जाता है क्यों कि तुलसी
कफ नाशक है ,

ऐसे ही पित्त के रोगो के लिए जीरे का पानी लेने को कहा जाता है क्योंकि जीरा पित नाशक है ।

इसी तरह मेथी को वात नाशक कहा जाता है लेकिन मेथी ज्यादा लेने से ये वात तो संतुलित हो जाता है लेकिन ये पित को बढ़ा देती है ।

महाऋषि वागभट जी कहते है की आयुर्वेद ज़्यादातर ओषधियाँ वात ,पित या कफ नाशक होती है लेकिन त्रिफला ही एक मात्र ऐसे ओषधि है जो वात,पित ,कफ तीनों को एक साथ संतुलित करती है

वागभट जी इस त्रिफला की इतनी प्रशंसा करते है की उन्होने आयुर्वेद मे 150 से अधिक सूत्र मात्र त्रिफला पर ही लिखे है । की त्रिफला को इसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा त्रिफला को उसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा ।

त्रिफला का अर्थ क्या है ?

त्रिफला = तीन फल

कौन से तीन फल ??

1) आंवला
2) बहेडा
3) हरड़

इन तीनों से बनता है त्रिफला चूर्ण ।

वागभट जी त्रिफला चूर्ण के बारे मे और बताते है कि त्रिफला चूर्ण मे तीनों फलो की मात्रा कभी समानय नहीं होनी चाहिए । ये अधिक उपयोगी नहीं होता (आज कल बाज़ारों मे मिलने वाले लगभग सभी त्रिफला चूर्ण मे तीनों फलों की मात्रा बराबर होती है )

त्रिफला चूर्ण हमेशा 1:2:3 की मात्रा मे ही बनाना चाहिए

अर्थात मान लो आपको 200 ग्राम त्रिफला चूर्ण बनाना है

तो उसमे

हरड चूर्ण होना चाहिए = 33.33 ग्राम
बहेडा चूर्ण होना चाहिए= 66.66 ग्राम
और आमला चूर्ण चाहिए 99.99 ग्राम

तो इन तीनों को मिलाने से बनेगा सम्पूर्ण आयुर्वेद मे बताई हुई विधि का त्रिफला चूर्ण । जो की शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी है ।

वागभट जी कहते है त्रिफला का सेवन अलग-अलग समय करने से भिन्न-भिन्न परिणाम आते है ।

रात को जो आप त्रिफला चूर्ण लेंगे तो वो रेचक है अर्थात (सफाई करने वाला)
पेट की सफाई करने वाला ,बड़ी आंत की सफाई करने वाला शरीर के सभी अंगो की सफाई करने वाला । कब्जियत दूर करने वाला 30-40 साल पुरानी कब्जियत को भी दूर कर देता है ये त्रिफला चूर्ण ।

और सुबह त्रिफला लेने को पोषक कहा गया , अर्थात अगर आपको पोषक तत्वो की पूर्ति करनी है वात-पित कफ को संतुलित रखना है तो आप त्रिफला सुबह लीजिये सुबह का त्रिफला पोषक का काम करेगा !

और अगर आपको कब्जियत मिटानी है तो त्रिफला चूर्ण रात को लीजिये
त्रिफला कितनी मात्रा मे लेना है ?? किसके साथ लेना है

रात को कब्ज दूर करने के लिए त्रिफला ले रहे है तो एक टी स्पून (आधा बड़ा चम्मच) गर्म पानी के साथ लें और ऊपर से दूध पी लें

सुबह त्रिफला का सेवन करना है तो शहद या गुड़ के साथ लें तीन महीने त्रिफला लेने के बाद 20 से 25 दिन छोड़ दें फिर दुबारा सेवन शुरू कर सकते हैं ।

इस प्रकार त्रिफला चूर्ण आपके बहुत से रोगो का उपचार कर सकता है

इसके अतिरिक्त अगर आप राजीव भाई द्वारा बताए आयुर्वेद के नियमो का भी पालन करते हो तो ये त्रिफला और भी अधिक और शीघ्र लाभ पहुंचाता है
जैसे मेदे से बने उत्पाद बर्गर ,नूडल ,पिजा आदि ना खाएं ये कब्ज का बहुत बड़ा कारण है ,रिफाईन तेल कभी ना खाएं ,हमेशा शुद सरसों ,नारियल ,मूँगफली आदि का तेल खाएं ,सेंधा नमक का उपयोग करें ।


त्रिफला लेने के नियम--

त्रिफला के सेवन से अपने शरीर का कायाकल्प कर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है | आयुर्वेद की महान देन त्रिफला से हमारे देश का आम व्यक्ति परिचित है व सभी ने कभी न कभी कब्ज दूर करने के लिए इसका सेवन भी जरुर किया होगा | पर बहुत कम लोग जानते है इस त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन भी मानता है से अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है | बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की | क्योंकि त्रिफला का वर्षों तक नियमित सेवन ही आपके शरीर का कायाकल्प कर सकता है |

सेवन विधि - सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें | इस नियम का कठोरता से पालन करें |

यह तो हुई साधारण विधि पर आप कायाकल्प के लिए नियमित इसका इस्तेमाल कर रहे है तो इसे विभिन्न ऋतुओं के अनुसार इसके साथ गुड़, सैंधा नमक आदि विभिन्न वस्तुएं मिलाकर ले | हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास |


१- ग्रीष्म ऋतू - १४ मई से १३ जुलाई तक त्रिफला को गुड़ १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

२- वर्षा ऋतू - १४ जुलाई से १३ सितम्बर तक इस त्रिदोषनाशक चूर्ण के साथ सैंधा नमक १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

३- शरद ऋतू - १४ सितम्बर से १३ नवम्बर तक त्रिफला के साथ देशी खांड १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

४- हेमंत ऋतू - १४ नवम्बर से १३ जनवरी के बीच त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

५- शिशिर ऋतू - १४ जनवरी से १३ मार्च के बीच पीपल छोटी का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

६- बसंत ऋतू - १४ मार्च से १३ मई के दौरान इस के साथ शहद मिलाकर सेवन करें | शहद उतना मिलाएं जितना मिलाने से अवलेह बन जाये |

इस तरह इसका सेवन करने से एक वर्ष के भीतर शरीर की सुस्ती दूर होगी , दो वर्ष सेवन से सभी रोगों का नाश होगा , तीसरे वर्ष तक सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़ेगी , चार वर्ष तक सेवन से चेहरे का सोंदर्य निखरेगा , पांच वर्ष तक सेवन के बाद बुद्धि का अभूतपूर्व विकास होगा ,छ: वर्ष सेवन के बाद बल बढेगा , सातवें वर्ष में सफ़ेद बाल काले होने शुरू हो जायेंगे और आठ वर्ष सेवन के बाद शरीर युवाशक्ति सा परिपूर्ण लगेगा |

दो तोला हरड बड़ी मंगावे |तासू दुगुन बहेड़ा लावे ||

और चतुर्गुण मेरे मीता |ले आंवला परम पुनीता ||

कूट छान या विधि खाय|ताके रोग सर्व कट जाय ||

त्रिफला का अनुपात होना चाहिए :- 

1 : 2 : 3 = 1(हरद )+2(बहेड़ा )+3(आंवला )


त्रिफला लेने का सही नियम -

*सुबह अगर हम त्रिफला लेते हैं तो उसको हम "पोषक " कहते हैं |क्योंकि सुबह त्रिफला लेने से त्रिफला शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में vitamine ,iron,calcium,micronutrients की कमी को पूरा करता है एक स्वस्थ व्यक्ति को सुबह त्रिफला खाना चाहिए |

*सुबह जो त्रिफला खाएं हमेशा गुड के साथ खाएं |

*रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे "रेचक " कहते है क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि )का निवारण होता है |

*रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए |

नेत्र-प्रक्षलन : एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धो लें। यह प्रयोग आंखों के लिए अत्यंत हितकर है। इससे आंखें स्वच्छ व दृष्टि सूक्ष्म होती है। आंखों की जलन, लालिमा आदि तकलीफें दूर होती हैं।

- कुल्ला करना : त्रिफला रात को पानी में भिगोकर रखें। सुबह मंजन करने के बाद यह पानी मुंह में भरकर रखें। थोड़ी देर बाद निकाल दें। इससे दांत व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। इससे अरुचि, मुख की दुर्गंध व मुंह के छाले नष्ट होते हैं।

- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक- एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।

- गाय का घी व शहद के मिश्रण (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदान स्वरूप है।

- संयमित आहार-विहार के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से मोतियाबिंद, कांचबिंदु-दृष्टिदोष आदि नेत्र रोग होने की संभावना नहीं होती।

- मूत्र संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में यह फायदेमंद है। रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्ज नहीं रहती है।

- मात्रा : 2 से 4 ग्राम चूर्ण दोपहर को भोजन के बाद अथवा रात को गुनगुने पानी के साथ लें।

- त्रिफला का सेवन रेडियोधर्मिता से भी बचाव करता है। प्रयोगों में देखा गया है कि त्रिफला की खुराकों से गामा किरणों के रेडिएशन के प्रभाव से होने वाली अस्वस्थता के लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं। इसीलिए त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद का अनमोल उपहार कहा जाता है।

सावधानी : दुर्बल, कृश व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को एवं नए बुखार में त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए।

Sunday, May 21, 2017

जानिए कैसे पीपल के पत्तो में है, आपकी जान बचाने की अद्धभुत क्षमता !

इस दुनिया में बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि पीपल का एक पत्ता कितने काम का हो सकता है या कितना फायदेमंद होता है . वैसे हम आपको बता दे कि पीपल के पत्ते से आप 99 प्रतिशत तक ब्लॉकेज को भी रिमूव कर सकते है . पर इसका इस्तेमाल करने से पहले आप ये जान लीजिये कि आखिर पीपल के पत्तो से दवा तैयार होती कैसे है ? इस दवा को बनाने की विधि बहुत ही आसान है .

दवा बनाने की विधि.. सबसे पहले पीपल के 15 पत्ते लें और याद रखे कि इन पत्तो की कोमल गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि ये पत्ते हरे और भली प्रकार से विकसित भी हुए हों. फिर प्रत्येक पत्ते का ऊपर और नीचे का कुछ भाग कैंची से काट कर अलग कर दें. इसके बाद पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें . फिर इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें. अंत में जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए ,तब ठंडा होने पर इसे साफ कपड़े से छान लें और इसे किसी ठंडे स्थान पर रख दें. बस इसके बाद आपकी जादुई दवा तैयार हो जाएगी.

गौरतलब है, कि इस काढ़े की तीन खुराकें बना कर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः में जरूर लें. साथ ही आपको बता दे कि हार्ट अटैक के बाद कुछ समय बीत जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय फिर से स्वस्थ हो जाता है और फिर दोबारा दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी नहीं रहती. वैसे भी दिल के रोगी को इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करके देखना चाहिए . हमें यकीन है, कि यह नुस्खा उनके लिए काफी असरदार रहेगा . इसके इलावा इस काढ़े के और क्या क्या फायदे है, वो भी आज हम आपको बताते है .


दवा के फायदे..  1. दरअसल पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अध्भुत क्षमता होती है .


2. इसकी खुराक लेने से पहले इस बात का खास ख्याल रखे कि खुराक लेते समय पेट खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि हल्का फुल्का नाश्ता जरूर कर ले .

3. जिस समय आप इस काढ़े का इस्तेमाल करना शुरू करेगे उस दौरान तली हुई चीज़ों और चावल आदि का सेवन न करे . साथ ही मॉस, मछली, शराब, नमक और चिकनाई युक्त वस्तुओ से भी परहेज करे .

4. इसके इलावा आप फलो जैसे कि अनार, पपीता, आंवला और साथ ही छाछ या दही आदि का सेवन कर सकते है.

पपीते के बीज के ये फायदे जानकर दंग रह जायेंगे आप

पीते के बीज भी उतने ही अनमोल और पोषण से भरपूर हैं, जितना पपीता। आइए जानते हैं, पपीते के बीजों के खास गुण

1. लीवर – लीवर की समस्याओं से निजात दिलाकर पपीते के बीज उसे मजबूत बनाने का काम भी करते हैं। यह लीवर के लिए बेहतर दवा साबित होते हैं।

2. किडनी – पपीते के बीज किडनी के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं। किडनी स्टोन और किडनी के ठीक तरीके से क्रियान्वयन में पपीते के बीज कारगर हैं।

3. एंटी बैक्टीरियल – पपीते के बीज, एंटी बैक्टीरियल होते हैं, जो बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं से आपकी रक्षा करते हैं।

4. कैंसर से बचाव – पपीते के बीज में पाए जाने तत्व कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से आपकी रक्षा करते हैं। कैंसर से बचने के लिए पपीते के सुखाए गए बीजों को पीसकर प्रयोग किया जा सकता है ।

5. पाचन तंत्र – पाचन तंत्र की मजबूती के लिए पपीते के बीज रामबाण इलाज है। इसके सेवन से पाचन ठीक से होता है, और पाचन संबंधी सारी समस्याए खत्म हो जाती है।

6. इंफेक्शन या एलर्जी – इंफेक्शन होने या शरीर के किसी भाग में जलन, सूजन या दर्द होने पर पपीते के बीज राहत देने का कार्य करते हैं।

7. बुखार – बुखार आने पर पपीते के बीज का सेवन काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल तत्व बार- बार फैलने वाले जीवाणुओं से रक्षा करते हैं, और आपको स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

8. दाद खत्म करते हैं – पपीते के बीजों का पेस्ट बनाकर पांच दिन तक लगाने से दाद से छुटकारा मिल सकता है। दरअसल इसमें एंटी फंगल गुण यौगिक होते हैं।

9. गंभीर पेट दर्द में दे आराम – एक अध्ययन के अनुसार, गंभीर पेट दर्द और दस्त जैसी समस्या से निपटने के लिए पपीते के बीजों का रस (दिन में 0.1एमएल) पीना फायदेमंद होता है।

10. इम्युनिटी मजबूत करते हैं – पपीते के बीजों को इम्युनिटी को मज़बूत करने के लिए जाना जाता है। एक अध्ययन के अनुसार, इनसे शरीर के कामकाज में सुधार के लिए आवश्यक पोषण मिलते हैं।

हरी मिर्च खाने के फायदे, नुकसान और उपयोग

खाने में हरी मिर्च शामिल हो जाये तो जायका ही बदल जाता है। दूसरी ओर हरी मिर्च ज्यादा सेवन करें तो स्वास्थ्य बिगड़ने में देरी नहीं लगती है। लाल मिर्च पाउडर की बजाय अगर हरी मिर्च का उपयोग किंचन में सब्जि, दाल, पकवान, व्यंजन तैयार करने में किया जाय तो कई गुना फायदे है। खाने में मिर्च इस्तेमाल सीमित मात्रा में करें। ज्यादा तीखा र्मिचीला खाना सीधे किड़नी, दिल, लीवर, मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव डालता है। ज्यादा मिर्च सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

हरी मिर्च के गुण / Mineral, Vitamin in Green Chili

हरी मिर्च विटामिन सी, विटामिन बी कम्पलैक्स, आयरन, कैरोटीन कम्पलैक्स, पौटेशियम, लुटैन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट मिनरलस भरपूर मात्रा में मौजूद हैं।

हरी मिर्च खाने के फायदे / Green Chilli Benefits 

हरी मिर्च आंखों की रोशनी बढ़ाये / Green Chili, Good for Eyes

बहुत लोग कहते हैं कि मिर्च खाने से आंखें कमजोर होती है। परन्तु शोध में पाया गया है कि अगर रोज लाल मिर्च पाउडर सेवन की बजाय हरी मिर्च इस्तेमाल किया जाय तो आंखों की कमजोर रोशनी बढ़ाई जा सकती है। हरी मिर्च केरोटीन कम्पलैक्स और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में मौजूद है। जोकि आंखों की रोशनी बढ़ाने में सक्षम है। हरी मिर्च प्राकृतिक एन्टीआॅक्सीडेन्ट है। हरी मिर्च संक्रामण वायरल रोकने में सहायक है।

दर्द निवारण हरी मिर्च / Chili for Pain Relief

जोड़ों के दर्द, गठिया दर्द होने पर लाल मिर्च पाउडर के बजाय हरी मिर्च का सेवन फायदेमंद है। जोड़ों गठिया दर्द को कम करने में हरी मिर्च सक्षम है। हरी मिर्च में पाये जाने वाला पौटेशियम, विटामिन ए, आयरन और कार्बोहाइड्रेट रक्त संचार को तीव्र और सुचारू कर देता है। हरी मिर्च रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाती है। हरी मिर्च और लहसुन को तेल में पका कर गठिया दर्द निवारण में सहायक है।

कैंसर रोके हरी मिर्च / Prevent Breast Cancer

हरी मिर्च में क्रीप्टोवरथिंन बी, लुटेन जब्रनथिन और एन्टीआॅक्सीडेन्ट मौजूद है जोकि कैंसर रेडिकल कोशिकओं को बचाने में सहायक है। हरी मिर्च कैंसर से ग्रसित रक्त एवं वहिकाओं को पुन सक्रीय करने में सक्रीय है। जो लोग रोज हरी मिर्च सेवन करते हैं, वें कैंसर जैसी भयानक बीमारी से दूर रहते हैं। विज्ञान हरी मिर्च को कैंसर दवा के रूप में स्वीकार कर चुका है। कैंसर ग्रसित व्यक्ति को लाल मिर्च के वजाय हरी मिर्च सेवन फायदेमंद है। हरी मिर्च भी सीमित मात्रा में सेवन करें। ज्यादा मिर्च सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

त्चवा विकार मिटाये हरी मिर्च / Green chilli good for Healthy Skin

हरी मिर्च मौजूद विटामिन ई मिनरलसे पाये जाते हैं। और पौटेशयम प्रचुर मात्रा में मौजूद है। त्वचा रोगों विकारों को दूर करने में हरी मिर्च सक्षम है।

वजन घटाये हरी मिर्च / Green Chillies for Weight Loss

कैलोरी फैटी एसिड की मात्रा मौजूद नहीं है। जोकि वजन घटाने में सहायक है। रोज खाने, पकवाने आदि में हरी मिर्च का सेवन तेजी से वजन घटाने में सहायक है।

ब्लडप्रेशर घटाये हरी मिर्च / Green Chillies, Reduce Blood Pressure

हरी मिर्च फाइबर युक्त भोजन को पाचन क्रिया शीध्र करती है। जिससे ब्लडप्रेशर काबू में रहता है। ब्लडप्रेशर में लाल मिर्च पाउडर का सेवन वर्जित है। खाने पकवान में लाल मिर्च के बजाय हरी मिर्च का सेवन फायदेमंद है।

हरी मिर्च दांतो हड्डियों को मजबूत रखे / Keeps Teeth Bones Strong

दांतों में लगने वाले कीड़ा, कैल्शियम की कीम से हड्डियों दांतो के दर्द जकडन हिलने की समस्या को दूर करने में हरी मिर्च सहायक है। हरी मिर्च में आयरन, कार्बोहाइड्रेट और कैल्शियम मात्रा मौजूद है।

कुत्ते, कीड़ा, विच्छू के काटने पर लाल मिर्च / Anti Rabies Chilli

बहुत कम लोग जाने हैं कि कुत्ते, कीड़ा, विच्छू के काटने पर लाल मिर्च को देशी धी के साथ पका कर लगाने से विषाक्त घाव जहर 15-20 मिनट में समाप्त हो जाता है। कुत्ते, कीड़ा, विच्छू जानवर के दांतों की कटी अंग पर मिर्च का असर बहुत कम होता है। वही मिर्च अगर स्वस्थ शरीर के कटे अंग में लग जाय तो व्यक्ति की जलन पीड़ा से बुरा हाल हो जाता है। परन्तु त्वचा जहरीली होने पर मिर्च असर बहुत कम होता है। क्योंकि मिर्च प्राकृतिक एन्टीबायोटिक औषधि है।

बालों का रोग / Hair Loss Disease :
सिर के एक हिस्से से बालों का साफ होना। यानिकि पूरे सिर पर बाल होना केवल कुछ हिस्से से बाल जड़ से निकल जाना जैसी समस्या। यह एक तरह का Hair Disease / बालों का रोग है, बाल सिर के किसी भी हिस्से से अचानक गायब हो जाते हैं। इस तरह की समस्या में उपरोक्त उपायों के साथ हरी ताजी मिर्च पीसकर रोज रात सोने से पहले सिर के बाल निकले खाली जगह पर लगातार 2-3 महीने तक मात्र लगाने से सिर के गायब बाल दोबारा उग आते हैं। पहले बाल हल्के भूरे रंग में उगते हैं। फिर साल भर के अन्तराल में काले घने हो जाते हैं।


हरी मिर्च के नुकसान / Disadvantages of Chili

हरी मिर्च सेवन पाईल्स-बवासीर मरीज के लिए मना है।

हरी मिर्च सेवन हृदय घात, पेट जलन, त्वचा एलर्जी रोग में मना है।

मूत्र रोग, फूड पाईजन में हरी मिर्च सेवन वर्जित है

हरी मिर्च का सेवन सीमित मात्रा में करें। ज्यादा मिर्च स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। कई लोग हरी मिर्च की सब्बजी खाना पसन्द करते हैं। जोकि आयु बढ़ने के साथ रोगों को निमंत्रण देती है। 1-2 से ज्यादा हरी मिर्च सेवन न करें।

लाल मिर्च पाउडर ब्लडप्रेशर को बढ़ावा देता है। लाल मिर्च के बजाय हरी मिर्च का सेवन फायदेमंद है।

गर्भवती महिलाओं के लिए मिर्च सेवन वर्जित है। लाल मिर्च सेवन कम से कम मात्रा में करें। स्वाद के लिए खाने में 1 हरी मिर्च पीसकर सेवन कर सकते हैं।

किडनी विकारों में हरी मिर्च और लाल मिर्च का सेवन न करें। स्वाद के लिए हरी मिर्च का सेवन सीमित मात्रा में कर सकते हैं।

मिर्च भून कर खायें। भुनी मिर्च पेट में जलन दर्द पैदा कर सकती है।

मिर्च का असर निष्क्रीय कैसे करे / Get Rid of Chili Burn, Hot Chili Effects

1. अकसर कई बार गलती से व्यक्ति मिर्च पाउडर / Chili Powder शरीर के कटी फटी त्वचा जगह पर, छालों पर, आदि जगह पर लग जाय तो, तुरन्त देशी घी का लेप करना न भूले। दूधी घी मिर्च के असर को तुरन्त निष्क्रीय कर देती है। जलन मिर्च / Chili Burn तुरन्त ठीक हो जाती है।

2. खाने में ज्यादा मिर्च पड़ने पर खाने का जायका बदल जाता है। ज्याद मिर्च किड़नी को प्रभावित करती है। ज्यादा मिर्चीला नहीं खायें। और ज्यादा मजबूरी होने पर मिर्चीले खाने सब्जी में 1-2 चम्मच देशी घी मिलाकर खायें।

3. सब्जी में मिर्च ज्यादा पड़ने पर देशी घी मिश्रण करने से मिर्च का असर कम हो जाता है। ज्यादा मिर्चीला तीखा खाना गैस, एसिडिटी कब्ज, पाचन विकार उत्पन्न करती है। ज्यादा तीखा मिर्चीला खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

4. तीखा मिर्चीला खाने पकवान आदि खाने के तुरन्त बाद थोड़ी सी चीनी, शर्कर, गुड़, सौफ जरूर खायें। मिर्च के दुष्परिणाम को काफी हद तक मीठा / Sweet Dish कम करने में सहायक है।

लीवर ख़राब होने लगा है तो जरूर पढ़े ये पोस्‍ट, हो सकता है जल्‍द निवारण

लीवर हमारे शरीर का सबसे मुख्‍य अंग है, यदि आपका लीवर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पा रहा है तो समझिये कि खतरे की घंटी बज चुकी है। लीवर की खराबी के लक्षणों को अनदेखा करना बड़ा ही मुश्‍किल है और फिर भी हम उसे जाने अंजाने अनदेखा कर ही देते हैं।

लीवर की खराबी होने का कारण ज्‍यादा तेल खाना, ज्‍यादा शराब पीना और कई अन्‍य कारणों के बारे में तो हम जानते ही हैं।

हांलाकि लीवर की खराबी का कारण कई लोग जानते हैं पर लीवर जब खराब होना शुरु होता है तब हमारे शरीर में क्‍या क्‍या बदलाव पैदा होते हैं यानी की लक्षण क्‍या हैं, इसके बारे में कोई नहीं जानता। वे लोग जो सोचते हैं कि वे शराब नहीं पीते तो उनका लीवर कभी खराब नहीं हो सकता तो वे बिल्‍कुल गलत हैं।

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लीवर ख़राब होने के लक्षण :

– लीवर ख़राब होने से मुंह में अमोनिया ज़्यादा रिसता है, जिससे मुंह से बदबू आती है।
– त्वचा क्षतिग्रस्त होने लगती है, ख़ासकर आंखों के नीचे की त्वचा सबसे पहले प्रभावित होती है। त्वचा पर थकान साफ़ नज़र आने लगती है। त्वचा का रंग उड़ जाता है और कभी-कभी सफेद धब्बे दिखाई पड़ते हैं, इन्हें लीवर स्पॉट कहा जाता है।
– कभी-कभी जब लीवर पर वसा जम जाता है तो पानी भी नहीं पचता है।
– मल-मूत्र में हमेशा हरापन लीवर ख़राब होने का संकेत है। यदि यह कभी-कभार हो तो समझिए लीवर ख़राब नहीं है बल्कि पानी की कमी से ऐसा हुआ।
– यदि पीलिया रोग हो गया है तो इसका मतलब कि लीवर में गड़बड़ी आ गई है।
– लीवर से स्रवित होने वाला एंजाइम बाइल का स्वाद कड़वा होता है, जब मुंह में कड़वापन आने लगे तो समझ लेना चाहिए कि लीवर में कुछ गड़बड़ी आ गई है और बाइल मुंह तक आ रहा है।
– पेट में सूजन आने का मतलब लीवर बड़ा हो गया है।

लीवर को ठीक करने के घरेलू नुस्खे :


– रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पी जाएं । हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। यह हेपेटाइटिस बी, सी के वायरस को भी बढ़ने रोकती है।


– भोजन से पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका व एक चम्मच मधु मिलाकर सेवन करने से लीवर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। यह शरीर की चर्बी भी घटाता है।


– लीवर को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन चार-पांच कच्चा आंवला खाना चाहिए। इसमें भरपूर विटामिन सी मिलता है जो लीवर के सुचारु संचलन में मदद करता है।

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 लीवर को ठीक रखने के उपाय :


– लीवर सिरोसिस के लिए पपीता रामबाण इलाज है। प्रतिदिन दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीने से लीवर सिरोसिस ठीक हो जाता है। लीवर की रक्षा के लिए तीन-चार सप्ताह तक नियमित इसका सेवन करना चाहिए।


– लीवर को ठीक रखने के लिए सिंहपर्णी जड़ की चाय दिन में दो बार पीना चाहिए। इसे पानी में उबालकर भी पीया जा सकता है, बाज़ार में सिंहपर्णी का पाउडर भी मिलता है।


– पानी उबाल लें और उसमें मुलेठी की जड़ का पाउडर डाल दें। जब पानी ठंडा हो जाए तो उसे छानकर कर रख लें और दिन में दो बार सेवन करें। इसे चाय के बराबर लेना चाहिए। इससे ख़राब लीवर को ठीक किया जा सकता है।


– अलसी के बीज को पीसकर टोस्ट या सलाद के साथ खाने से लीवर की बीमारियां नहीं होतीं। अलसी में फीटकोंस्टीटूएंट्स होता है जो हार्मोंन को रक्त में घूमने से रोकता है और लीवर का तनाव कम करता है।


– एवोकैडो और अखरोट में ग्लुटथायन मिलता है जो लीवर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।


– लीवर सिरोसिस के लिए पालक व गाजर के रस का मिश्रण उत्तम इलाज है। दोनों की मात्रा समान होनी चाहिए। दिन में कम से कम एक बार इसका सेवन जरूर करना चाहिए।


– पत्तेदार सब्ज़ियों व सेब में पेक्टिन पाया जाता है जो पाचन तंत्र के विषैले तत्वों को बाहर निकालकर लीवर को ठीक रखता है।


– भूमि आंवला लीवर की तमाम समस्याओं को दूर करता है। इसे उखाड़कर जड़ सहित पीस लें और पी जाएं। लीवर का सूजन, लीवर का बढ़ना व पीलिया आदि रोगों में यह अत्यंत लाभकारी है।