Tuesday, May 16, 2017

घुटनें, कंधे, कमर, हाथ और कलाई के पुराने से पुराने दर्द का सबसे कारगर नुस्खा

घुटनों के दर्द व जोड़ो के दर्द की समस्या आजकल सभी को हो जाती है ये एक आम बिमारी है। ये बिमारी किसी कारणवश चोट लग जाने से या बढ़ती हुई उम्र के कारण या फिर व्रद्धावस्था में हड्डियों के कमजोर हो जाने से दर्द होने लगता है। यदि आपके घुटनों में लगातार या थोड़ा-थोड़ा दर्द बना रहता है तो यहां दिए गए घरेलू नुस्खे आजमाएं ।


सबसे पहले आपको बता दें कि अगर आपको घुटने का दर्द, कंधे का दर्द, कमर का दर्द, हाथ के कलाईयों या उँगलियों में दर्द है तो इसका सबसे कारगर नुस्‍खा है व्यायाम। आप किसी भी फिजीयोथेरेपी से इसका ट्रीटमेंट ले सकते हैं। उसके बाद एक उपाय ये है कि आप मेथी के दाने का प्रयोग कर सकते हैं जो कि इस बिमारी में बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। तो आइए आपको बता दें कि मेथी के दाने का कैसे प्रयोग करें।

सबसे पहले मेथी के दाने को भून लें और उसे पीस लें अब इसे एक चम्मच गर्म पानी के साथ रोजाना सुबह और शाम को पियें इससे आपके दर्द कम हो जाएगा। लेकिन अगर दर्द को पुरे तरह खत्‍म करना है तो आपको व्यायाम करना जरुरी है क्योंकी 35 से 40 वर्ष के उम्र में ये दर्द हर किसी को होना ही होता है जो सतर्क रहता है वो ठीक हो जाता है और जो आलस करता है उसे यह बिमारी सबसे ज्यादा सताती है। इसलिए सबसे महत्‍वपूर्ण इलाज इसका व्‍यायाम ही है।

कौन सा व्‍यायाम है सबसे ज्‍यादा फायदेमंद

कंधे, कलाई,  कमर,  घुटने सबके लिए अलग-अलग एक्‍सरसाइज है।

जिन मरीजों को कलाई में दर्द है तो वह उल्‍टा प्राणायाम करें । जैसे आप प्रणाम करते हैं ठीक उसे उल्‍टा करें। ये 5 मिनट तक की प्रक्रिया 3 बार करें। ये हाथ के कलाईयों व कुहनियों का दर्द में काफी फायदा करता है। इससे जोड़ों के पोर्स खुल जाते हैं।

जिन मरीजों को बैठने के बाद दर्द होता घुटने में दर्द होता है, वे ज्यादा से ज्यादा चलें। इससे दर्द कम होगा। दर्द ज्यादा है और चल नहीं सकते, तो वो कुर्सी पर बैठे ही पैर को उपर नीचे करना है इसे एकदम फ्री छोड़ देना है। इसे 10 बार करना है। यदि दिन में इसे 3 बार करते हैं और मेथी के दाने का प्रयोग करें तो यकीन मानिए ये दर्द छूमंतर हो जाएगा।

जिन मरीजों को कंधे का दर्द है वो मरीज एक दिवाल का सहारा लेकर सीधे खड़े हो जाए वो अपने हाथ को सिढियों की तरह दिवाल पर ऊपर करें फिर नीचे करें, ये प्रकिया शुरूआत में 14 बार करें फिर धीरे धीरे 20 बार करें इससे आपके कंधे का दर्द सही हो जाएगा और आपका हाथ भी पूरी तरह उठने लगेगा। इसे आपको रोज करना है। अगर आपके हाथ को पीछे ले जाने में तकलीफ होता है तो दूसरे हाथ के सहारे दोनों हाथ को पीछे करके उसे धीरे धीरे उपर नीचे करे इससे आपका दर्द सही हो जाएगा। और इसे आपको महीने दिन करना होगा 1-2 दिन से नहीं होगा।

पानी कब, कैसे और कितना पीना चाहिए...

बासी मुंह पानी पिने के फायदे तो आप जानते ही होंगे लेकिन, सोने से पहले पानी पीना कितना फायदेमंद है यह जानकार आप चौंक जाएंगे। पानी को अगर सही समय पर सही मात्रा में पिया जाए तो यह अपने आप में एक दवा जितना काम करता है। 


आयुर्वेद में पानी पीने के लिए समय और मात्रा भी बताई गई है। अगर पानी को गलत तरीके से पिया जाए या गलत समय पर अधिक मात्रा में पिया जाए तो वह शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है। 
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सोने से पहले पानी पीने से आप हार्ट जैसी गंभीर बिमारी से बच सकते है। सोने से पहले पानी पीना हार्ट को नॉर्मल रखता है और हार्ट अटैक से बचाता है।
सुबह सोकर उठने के बाद बगैर मुंह धोए 2 गिलास पानी पिए, इससे शरीर के अंदरूनी अंग ज्यादा एक्टिव होते है और चेहरे पर ग्लो आता है। इसके साथ ही शरीर के सारी इंटरनल क्लीनिंग भी होती है।
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1 गिलास पानी नहाने से पहले पिने से हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।

1 गिलास पानी शाम के नाश्ते से पहले पिएं, इससे पेट भरा रहेगा और ज्यादा हेवी नाश्ता नहीं होगा और इससे आप शरीर में होने वाले मोटापे से भी बचे रहेंगे।

1 गिलास पानी थकान और टेंशन के समय पिएं इससे दिमाग शांत रहता है और टेंशन भी कम होती है।
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किसी तरह की शारीरिक परेशानी होने पर डॉक्टर पानी पीने की सलाह देते हैं। दिन में कम से कम रोज़ 8 गिलास पानी पीना चाहिए। इससे आपका डायजेस्टिव सिस्टम, स्किन और बाल हेल्दी रहते हैं। पानी शरीर से बेकार पदार्थ बहार निकालता है। पानी को लेकर कई तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। अगर पानी पीने के फायदे हैं, तो नुकसान भी हैं। पहले हम इन फायदों के बारे में जानते हैं।


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पानी पीने के 10 फायदे:
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यहां आपको कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं, ताकि आपको पानी की कमी से होने वाली बीमारियां न घेरें। इसलिए कुछ बातों का ख़ास ध्य़ान रखें।
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1.सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीना अच्छा होता है। इसे अपनी आदत में शामिल करें। इससे पेट साफ रहता है। पानी पीने से स्किन में रूखापन नहीं होता।
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2. सुबह उठने के बाद गरम या गुनगुने पानी में शहद और नींबू डालकर पिया करें। इससे टॉक्सिक एलिमेंट शरीर से निकल जाते हैं और इम्यून सिस्टम भी सही रहता है।
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3.कुछ लोग ज़्यादा ही ठंडा पानी पीते हैं। इससे गुर्दे खराब हो सकते हैं। इसलिए ज़्यादा ठंडा पानी न पिएं।
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4.अगर आप चाय या कॉफी ज्यादा पीते हैं तो उसकी जगह ग्रीन टी पिएं। इससे एनर्जी मिलती है।
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5.सॉफ्ट ड्रिंक की जगह गुनगुना पानी या नींबू पानी पिया करें। आपका एनर्जी लेवल बढ़ेगा और डायजेस्टिव सिस्टम भी सही रहेगा।
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6.वजन कम करने के लिए ठंडे पानी की जगह गुनगुना गर्म पानी पीना फायदेमंद होता है।
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7. पानी पीने से एसिडिटी हटती है, क्योंकि पानी पेट साफ रखता है।
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8. हमारा दिमाग 90 प्रतिशत पानी से बना है। पानी न पीने से भी सिर दर्द होता है।
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9. पानी जोड़ों को चिकना बनाता है और जोड़ों का दर्द भी कम करता है।
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10. हमारी मांसपेशियों का 80 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है। इसलिए पानी पानी से मांसपेशियों की ऐंठन भी दूर होती है।
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बीमारियों से भी दूर रखता है पानी:
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आयुर्वेद के अनुसार:
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आयुर्वेद के अनुसार हल्का गर्म पानी पीने से पित्त और कफ दोष नहीं होता और डायजेस्टिव सिस्टम सही रहता है। 10 मिनट पानी को उबालें और रख लें। प्यास लगने पर धीरे-धीरे पीते रहें। ऐसा करने से यह पता चलता है कि आप दिन में कितना पानी पीते हैं और कितने समय में पीते हैं। आप पानी उबालते समय उसमें अदरक का एक टुकड़ा भी डाल सकते हैं। इससे फायदा होगा।
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उबालने के बाद ठंडा हुआ पानी कफ और पित्त को नहीं बढ़ाता, लेकिन एक दिन या उससे ज़्यादा हो जाने पर वही पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि बासी हो जाने पर पानी में कुछ ऐसे जीवाणु विकसित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। बासी पानी वात, कफ और पित्त को बढ़ाता है।
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पानी पीने के नुकसान :
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1. ज़रूरत से ज़्यादा पानी पीने से किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
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2. पानी के ओवरडोज़ से आपके शरीर के सेल्स डैमेज हो सकते हैं।
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3. जिन मरीज़ों की बाय-पास सर्जरी हुई है, उनमें से कुछ मामलों में भी डॉक्टर्स पानी कम पीने की सलाह देते हैं।
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4. जरूरत से ज्यादा पानी पीने से हमारे शरीर में मौजूद वह पाचन रस काम करना बंद कर देता है, जिससे खाना पचता है। इस वजह से खाना देर से पचने लगता है और कई बार खाना पूरी तरह से डाइजेस्ट भी नहीं हो पाता है।
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5. हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार, खाने के बाद ठंडा पानी पीने से आपको नुकसान पहुंच सकता है। दरअसल, गर्म खाने के बाद आप जैसे ही ठंडा पानी पीते हैं, शरीर में खाया हुआ ऑयली खाना जमने लगता है। इससे आपकी पाचन शक्ति भी कम हो जाती है। बाद में यह फैट में भी तबदील हो जाता है। इसलिए खाने के बाद गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है।



पानी पीने से जुड़े कुछ ज़रूरी TIPS:
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1. धूप से घर आकर तुरंत पानी न पिएं। यह खतरनाक हो सकता है।
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2. कई बार खाली पेट पानी पीने से सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां हो जाती हैं।
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3. खाने के तुरंत बाद पानी पीने से फैट बढ़ता है और आप आलसी महसूस करते हैं।
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4. चिकनाई वाले खाने या खरबूजा, खीरा के तुरंत बाद पानी पीने से खांसी, जुकाम हो सकता है।
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5. कई लोगों को पानी पीने से एसिडिटी की भी शिकायत होती है।
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क्या स्वस्थ इंसान को भी दिन में 8 गिलास पानी पीना चाहिए...?
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रोज़ 8 गिलास पानी पीने के पीछे कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है। यह जरूरी नहीं कि आप 8 गिलास पानी 8 बार ही पिएं। अनेक बुद्धिजीवियों ने लेख लिखे हैं, जिनमें पानी कितना और कैसे पीना चाहिए, इस पर विचार किया गया है। इस बात को प्रामाणिकता के साथ कहा जा सकता है कि जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा पानी नहीं पीना चाहिए।
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हम रोज़ तरल पदार्थ के रूप में चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक लेते हैं। इसमें कैफीन की मात्रा अधिक होती है। शरीर में कैफीन की मात्रा अधिक होने पर ब्लड की मात्रा कम हो जाती है। ब्लड में कैफीन की मात्रा कम करने के लिए पानी बेहद ज़रूरी है। अगर आप दिन में 4 कप चाय या कॉफी पीते हैं तो कम से कम 8 गिलास पानी ज़रूर पिएं। इससे शरीर का सिस्टम सही रहता है।
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वयस्क लोगों को दिन में 2.5 लीटर पानी पीना चाहिए। कैलोरी को शरीर में घुलने के लिए पर्याप्त पानी का होना जरूरी है। शरीर से पसीना निकलने, एक्सरसाइज़ करने, डायरिया और किडनी में स्टोन होने पर पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में, जीवन को भी खतरा हो सकता है। शरीर में पानी की कमी होने पर सबसे ज्यादा प्रभाव ब्लैडर पर पड़ता है।
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ज़रूरी जानकारी:
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1. हमारे शरीर का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से बना है। प्रतिदिन शरीर को 6 से 10 गिलास पानी की आवश्यकता होती है।
इस आवश्यकता का एक बड़ा भाग खाद्य पदार्थों के रूप में शरीर ग्रहण करता है। शेष पानी मनुष्य पीता है।
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2. पानी शरीर के अतिरिक्त तत्व को पसीना और मूत्र के रूप में बाहर निकालने में सहायक होता है, मल के निष्कासन में भी सहायक होता है।
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3. एक वयस्क पुरुष के शरीर में पानी उसके शरीर के कुल भार का लगभग 65 प्रतिशत और एक वयस्क स्त्री शरीर में उसके शरीर के कुल भार का लगभग 52 प्रतिशत तक होता है।
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4. शरीर की हड्डियों में 22 प्रतिशत पानी होता है, दांतों में 10 प्रतिशत, त्वचा में 20, मस्तिष्क में 74.5, मांसपेशियों में 75.6 और खून में 83 प्रतिशत पानी होता है।
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अजीर्ण होने पर जल-पान औषधवत हैं। भोजन पच जाने पर अर्थात भोजन के डेढ़- दो घंटे बाद पानी पीना बलदायक है। भोजन के मध्य में पानी पीना अमृत के समान है और भोजन के अंत में विष के समान अर्थात पाचनक्रिया के लिए हानिकारक है।
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विविध व्याधियों में जल-पान:
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1. अल्प जल-पान : उबला हुआ पानी ठंडा करके थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पीने से अरुचि, जुकाम, मंदाग्नि, सुजन, खट्टी डकारें, पेट के रोग, नया बुखार और मधुमेह में लाभ होता है |
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2. उष्ण जल-पान : सुबह उबाला हुआ पानी गुनगुना करके दिनभर पीने से प्रमेह, मधुमेह, मोटापा, बवासीर, खाँसी-जुकाम, नया ज्वर, कब्ज, गठिया, जोड़ों का दर्द, मंदाग्नि, अरुचि, वात व कफ जन्य रोग, अफरा, संग्रहणी, श्वास की तकलीफ, पीलिया, गुल्म, पार्श्व शूल आदि में पथ्य का काम करता है |
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3. प्रात: उषापान : सूर्योदय से २ घंटा पूर्व, शौच क्रिया से पहले रात का रखा हुआ पाव से आधा लीटर पानी पीना असंख्य रोगों से रक्षा करनेवाला है | शौच के बाद पानी न पियें |
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औषधिसिद्ध जल:
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1. सोंठ-जल : दो लीटर पानी में २ ग्राम सोंठ का चूर्ण या १ साबूत टुकड़ा डालकर पानी आधा होने तक उबालें | ठंडा करके छान लें | यह जल गठिया, जोड़ों का दर्द, मधुमेह, दमा, क्षयरोग (टी.बी.), पुरानी सर्दी, बुखार, हिचकी, अजीर्ण, कृमि, दस्त, आमदोष, बहुमुत्रता तथा कफजन्य रोगों में खूब लाभदायी है |
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2. अजवायन-जल : एक लीटर पानी में एक चम्मच (करीब ८.५ ग्राम) अजवायन डालकर उबालें | पानी आधा रह जाय तो ठंडा करके छान लें | उष्ण प्रकृति का यह जल ह्दय-शूल, गैस, कृमि, हिचकी, अरुचि, मंदाग्नि,पीठ व कमर का दर्द, अजीर्ण, दस्त, सर्दी व बहुमुत्रता में लाभदायी है |
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3. जीरा-जल : एक लीटर पानी में एक से डेढ़ चम्मच जीरा डालकर उबालें | पौना लीटर पानी बचने पर ठंडा कर छान लें | शीतल गुणवाला यह जल गर्भवती एवं प्रसूता स्रियों के लिए तथा रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, अनियमित मासिकस्त्राव, गर्भाशय की सूजन, गर्मी के कारण बार-बार होनेवाला गर्भपात व अल्पमुत्रता में आशातीत लाभदायी है |
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ध्यान दें :
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1. भूखे पेट, भोजन की शुरुवात व अंत में, धुप से आकर, शौच, व्यायाम या अधिक परिश्रम व फल खाने के तुरंत बाद पानी पीना निषिद्ध है। 
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2. बहुत अधिक या एक साथ पानी पीने से पाचन बिगड़ता है, इसलिए बार-बार थोडा-थोडा पानी पीना चाहिए। 
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3. लेटकर, खड़े होकर पानी पीना तथा पानी पीकर तुरंत दौड़ना या परिश्रम करना हानिकारक है। बैठकर धीरे-धीरे चुस्की लेते हुए बायाँ स्वर सक्रिय हो तब पानी पीना चाहिए।
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4. प्लास्टिक की बोतल में रखा हुआ, फ्रिज का या बर्फ मिलाया हुआ पानी हानिकारक है।
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5. सामान्यत: 1 व्यक्ति के लिए एक दिन में डेढ़ से दो लीटर पानी पर्याप्त है देश-ऋतू-प्रकृति आदि के अनुसार यह मात्रा बदलती है।
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निम्नलिखित दिक्कतें या स्थिति में भी पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।
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बुखार होने पर।
ज़्यादा वर्कआउट करने पर।
अगर आप गर्म वातावरण में हैं।
प्यास लगे या न लगे, बीच-बीच में पानी पीते रहें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं रहेगी।
बाल झड़ने पर।
टेंशन के दौरान।
पथरी होने पर।
स्किन पर पिंपल्स होने पर।
स्किन पर फंगस, खुजली होने पर।
यूरिन इन्फेक्शन होने पर।
पानी की कमी होने पर।
हैजा जैसी बीमारी के दौरान।
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सिर्फ 15 मिनट ऊँगली को दबाएं और पाए ऐसा चमत्कार, जिसकी आपने नहीं की होगी कल्पना !


यूँ तो योगासन को प्राचीन काल से शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है. पर आज कल इसकी महत्ता कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी है. वैसे योगासन की तरह नियमित योग मुद्रा लगा कर बैठना भी काफी फायदेमंद माना जाता है. अब यूँ तो योग मुद्रा कई प्रकार की होती है. पर सबसे उत्तम सूर्य मुद्रा होती है. वो इसलिए क्यूकि इसके कई फायदे है. दरअसल सूर्य की ऊँगली यानि अनामिका जिसे रिंग फिंगर भी कहा जाता है. उसका संबंध सूर्य और यूरेनस ग्रह से होता है.

set of 9 mudras. It includes such mudras: Prana mudra, Gyan mudra, Apan mudra, Prithvi mudra, Surya mudra, Shoonya mudra, Vayu mudra, Mudra “Shield of Shambhala” and Mudra “Flying lotus”. Gestures is isolated on white background.

इसके इलावा सूर्य ही ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है. तो वही यूरेनस कामुकता और बदलाव का प्रतीक है. ऐसे में इस मुद्रा को केवल 15 मिनट करने से आपको वो चमत्कारी फायदे होंगे जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. तो चलिए अब हम आपको बताते है, कि आपको इस मुद्रा में किस प्रकार बैठना है और ये मुद्रा कैसे बनानी है. सूर्य मुद्रा बनाने की विधि.. सबसे पहले सूर्य की ऊँगली को हथेली की तरफ मोड़ कर उसे अंगूठे से दबाएं. फिर बाकी बची तीनो अंगुलियों को सीधा रखे. बस इसे ही सूर्य मुद्रा कहते है.

इसके बाद अपने हाथ की अनामिका ऊँगली को अंगूठे की जड़ में लगा ले और बाकी बची उंगलियों को सीधा ही रहने दे. इस तरह से सूर्य मुद्रा बनती है. गौरतलब है, कि सूर्य मुद्रा को लगभग आठ से पंद्रह मिनट तक ही करना चाहिए, क्यूकि ज्यादा देर करने से शरीर में गर्मी बढ़ जाती है. वैसे सर्दियों में इस मुद्रा को ज्यादा से ज्यादा चौबीस मिनट तक किया जा सकता है.

अब आपको बताते है, कि आपको इस मुद्रा में कैसे बैठना है. सबसे पहले सिद्धासन, पदमासन या सुखासन में बैठ जाये. फिर दोनों हाथ घुटनो पर रख ले और ध्यान रहे कि हथेलियां ऊपर की तरफ हो. इसके बाद अनामिका ऊँगली को मोड़ कर अंगूठे की जड़ में लगा ले या ऊपर से अंगूठे से दबा ले. इस दौरान बाकी की तीनो उँगलियाँ सीधी रखे. इस मुद्रा से आपको बहुत से फायदे होंगे, जो कुछ इस प्रकार है.

१. गौरतलब है, कि एक तो इस मुद्रा से वजन कम होता है और शरीर संतुलित रहता है. बता दे कि मोटापा कम करने के लिए यह बिना पैसे की दवा का काम करती है. पर जल्दी किसी चमत्कार की उम्मीद न रखे, क्यूकि ये अपना असर धीरे धीरे ही दिखाती है.

२.इसके इलावा इस मुद्रा का रोज दो बार पांच से पंद्रह मिनट तक अभ्यास करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल भी घटता है.

३. सूर्य मुद्रा के अभ्यास से मोटापा कम होने के साथ साथ शरीर की सूजन भी दूर होती है और इससे शरीर चुस्त दरुस्त भी महसूस करता है.

४. इसके साथ ही जिन महिलाओ के बच्चा होने के बाद उनका वजन बढ़ जाता है, उनके लिए इस मुद्रा का अभ्यास करना बेहद लाभकारी होता है. इससे उनका शरीर पहले जैसा हो जाता है.

५. इससे शरीर में ऊर्जा और गर्मी दोनों की मात्रा बढ़ती है. साथ ही शरीर में ताकत का संचार भी होता है. इसके इलावा गर्मियों में ये मुद्रा करने से पहले एक गिलास पानी जरूर पी ले.

६.गौरतलब है, कि कमजोर शरीर वाले व्यक्तियों को यह मुद्रा नहीं करनी चाहिए, क्यूकि इससे अधिक कमजोरी आ जायेगी. बस जिनको अपना शरीर स्लिम रखना है, वो ये कर सकते है.

७. वैसे इसे नियमित रूप से करने से बेचैनी और चिंता कम होती है, और मन तथा दिमाग शांत रहता है,

८. बता दे कि यह मुद्रा भूख को संतुलित करके पाचन संबंधी कई समस्याओ से छुटकारा दिलाती है.

९. प्रात काल में सूर्योदय के समय स्नान आदि से निवृत्त होकर ही इस मुद्रा को करना ठीक और फायदेमंद रहता है. इसके इलावा शाम को सूर्यास्त से पहले यह मुद्रा कर सकते है.

१०. बता दे कि अनामिका ऊँगली पृथ्वी और अंगूठा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. ऐसे में इन तत्वों के मिलन से शरीर में ऊर्जा का वास होता है. साथ ही इस मुद्रा को करने से व्यक्ति में अंतर्ज्ञान जागरूक होता है.

क्या आस्था है जिम्मेदार नदीयों में प्रदूषण के लिए?


धर्म और आस्था की संगम गंगा नदी की सफाई में धर्म और आस्था ही आड़े आ रही है। हिन्दू धर्म में मां का दर्जा प्राप्त गंगा नदी की निर्मलता के रास्ते में श्रद्धालुओं की आस्था रोड़े अटकाने का काम कर रही है। संत समाज द्वारा गंगा की निर्मलता के लिए आंदोलन भी चलाया जा रहा है लेकिन मंदिरों में चढ़ाये जाने वाले फूल मालाओं के साथ देवी देवताओं की मूर्तियों को गंगा नदी में प्रवाहित किए जाने से गंगा की निर्मलता और स्वच्छता प्रभावित हो रही है।

 

 

गंगा के किनारे बसे 'बनारस' शहर को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है क्योंकि शहर के छोटे इलाकों से लेकर बड़े इलाकों में मंदिर बने हुए हैं। यहां तक कि अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक गंगा के किनारे असंख्य मंदिर बने हुए हैं। बाहर से आने वाले पर्यटकों, श्रद्धालुओं के साथ-साथ बनारस शहर के हजारों लोग प्रतिदिन गंगा में स्नान करने के बाद घाटों पर बने मंदिरों में दर्शन करते हैं और साथ ही फूल की मालाएं भी चढ़ाते हैं। मंदिरों में प्रतिदिन इकठ्ठा होने वाली फूल की मालाओं को गंगा में ही प्रवाहित कर दिया जाता है। गर्मी के दिनों में गंगा में पानी का स्तर कम हो जाता है जिस कारण प्रवाह भी बहुत धीमी गति से होता है अब ऐसे में गंगा में प्रवाहित किए  गईं फूल मालाएं सड़ कर गंगा नदी को भी दूषित करने लगती हैं।

यहां तक कि घरों में पूजा करने वाले लोग भी फूल मालाओं के सूखने के बाद उनका प्रवाह गंगा नदी में ही करते हैं। फूल मालाओं के अतिरिक्त घरों में पूजा के लिए रखी हुई मूर्तियां भी लोग गंगा में ही विसर्जित करते हैं। मूर्तियों को सजाने संवारने में प्रयोग में लाए गए केमिकल भी गंगा के पानी को दूषित बना देते हैं। गंगा घाट पर स्थित 'मां गंगा मंदिर' के पुजारी प्रशांत पाण्डेय के अनुसार धर्म और आस्था के साथ जुड़े होने के कारण लोग फूल मालाओं को कहीं और नहीं फेंकना चाहते हैं इसीलिए उसको नदी में ही विसर्जित कर देते हैं साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गंगा की सफाई के लिए सरकार हर साल हजारों करोड़ रूपये खर्च कर रही है लेकिन उसका फायदा नजर नहीं आ रहा है। पर्यावरणविद और बीएचयू के प्रोफ़ेसर बी डी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा की स्वच्छता में बाधक बनने वालों कारणों में से एक कारण गंगा में अधिक मात्रा में फूल मालाएं फेंका  जाना है। नगर निगम भी इस मामले में उदासीन बना हुआ है लेकिन गंगा को स्वच्छ रखने के लिए फूल मालाओं के निस्तारण हेतु वह कोई सार्थक कदम नहीं उठा पा रहा है।

हमारी आस्था की वजह से ही हमारे ईषट जैसे गंगा-यमुना नदी को दूषित होने का कारण​ हैं!

जानिए तांबे के बर्तन में पानी पीना क्यों है फायदेमंद

जो पानी पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है दिन में 8-10 गिलास पानी पीने से हम कई बड़ी बिमारियों से निजात पा सकते हैं ! लेकिन आयुर्वेद में हमेशा से सलाह दी गई है की पानी तांबे के बर्तन में ही रखना चाहिए और वही पानी पीना चाहिए ताकि हम कई शारीरिक समस्याओं से दूर रह सकें ! तो आइये आपको बताते हैं तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से क्या क्या फायदे होते हैं !


1. हमेशा दिखेंगे जवान

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से हमारी त्वचा तंदुरुस्त रहती है, इससे त्वचा का ढीलापन दूर होता है और झुर्रियां नहीं पड़ती जिससे त्वचा हमेशा चमकदार और स्वस्थ रहती है !

2. थायराइड में फायदेमंद

तांबे के बर्तन में पानी पीने से थायराइड नियंत्रित रहता है इसलिए थायराइड के ग्रसित मरीजों को हमेशा तांबे के बर्तन में रखा पानी ही पीना चाहिए !

3. जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभकारी

तांबे के बर्तन में पानी पीने से हमारे शरीर में यूरिक एसिड कम होता है जिससे गठिया या जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ! तो जिन लोगों को गठिया की शिकायत है या अक्सर जोड़ों के दर्द रहता है तो उन लोगों को रोज तांबे के बर्तन में ही पानी पीना चाहिए !

4. स्किन को बनाए स्वस्थ

अगर आप अपनी त्वचा को निखारना चाहते हैं तो रोज रात को तांबे के बर्तन में रखा पानी सुबह पियें इससे आपकी त्वचा चमकदार और स्वस्थ बनी रहेगी !

5. दिल के लिए फायदेमंद

तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से हमारे शरीर में रक्त संचार सुचारू रहता है जिससे कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है जो दिल के लिए बेहद फायदेमंद है ! इसलिए रोजाना रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखें और उसे सुबह पी लें !


6. खून की कमी नहीं होती

ताम्बे हमारे शरीर के लिए बेहद जरुरी पदार्थ होता है जो हमारे शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करता है जिससे हमारे शरीर में खून की कमी नहीं रहती और खून से सम्बंधित बिमारियों से निजात मिलती है !

7. कैंसर में लाभकारी

तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ जैसी समस्याओं से निजात मिलती है साथ ही इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट भी होता है जो हमें रोग से लड़ने में सक्षम बनाता है ऐसे में कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए तांबे में रखा पानी पीना बेहद फायदेमंद होता है !

8. हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करता है

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से हमारे शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं साथ ही डायरिया, दस्त और पीलिया जैसे रोगों के कीटाणु को नष्ट होते हैं !

9. वजन घटाने में सहायक

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से हमारे शरीर से फैट कम होता है जिससे मोटापा नहीं होता और शरीर से कमजोरी दूर होती है !

10. पाचन क्रिया के सहायक

तांबे में रखा पानी पीने से हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थ दूर होते हैं और नियमित रूप से ये पानी पीने से पाचन क्रिया ठीक रहती है और एसिडिटी, गैस जैसी पेट से सम्बंधित बीमारियां नहीं होती !


घर पर तांबे के बर्तन साफ करने के लिए टिप्स

ज्‍यादातर भारतीय किचन में आपको तांबे के बर्तन देखने को मिल जाएंगें। हो सकता है कि जब भी आप अपनी दादी या नानी के घर पर जाते हों, तो भी आपको वह तांबे की थाली में ही भोजन परोस कर देती हों। तांबे के बर्तन में खाना खाने से शरीर के रोग दूर होते हैं। लेकिन तांबे के बर्तन समय के साथ साथ काले पड़ने लगते हैं। तांबे के बर्तन को चमकाने के लिये मार्केट में कई तरह के विज्ञापन आते रहते हैं, लेकिन हम महिलाएं हमेशा कुछ ना कुछ घरेलू उपाय ही ढूंढना ज्‍यादा पसंद करती हैं, जो कि मार्केट के समान से ज्‍यादा अच्‍छे होते हैं।


घर पर तांबे के बर्तन साफ करने के लिए टिप्स


1. सिरका और नमक- तांबे के बर्तन पर सिरका और नमक का घोल डालें और तब तक रगड़ती रहें जब तक कि उसमें से ग्रीस या चिपचिपा पन निकल ना जाए।

2. नींबू- नींबू के स्‍लाइस से कभी बर्तन को साफ कर के देखिये। तांबे के बर्तन पर लगे दाग पर नींबू की स्‍लाइस रगड़े और फिर उसे साफ पानी से धो ले।

3. सिरका और आटा- सबसे पहले एक कप या कटोरी में सिरका और नमक मिलाइये। जब यह अच्‍छे से मिक्‍स हो जाए तब इसमें आटा मिला कर पेस्‍ट तैयार कीजिये। फिर इस पेस्‍ट से बर्तन को रगडिये और 15 मिनट के बाद गरम पानी से धो लीजिये।

4. नींबू और नमक- तांबे के बर्तन को नींबू और नमक से धोने पर बर्तन चमक उठेगें।

5. बेकिंग सोडा- आप चाहें तो बेकिंग सोडा और नमक का प्रयोग करें या फिर चाहे बेकिंग सोडा को अकेले ही प्रयोग कर लें। इससे तांबे के बर्तन एक दम चमक जाते हैं।

Monday, May 15, 2017

गर्मियों के मौसम में होती हैं खासतौर पर ये बीमारियां, रहें सावधान और करें बचाव

चिलचिलाती गर्मियों के दिन अपने साथ कई तरह की बीमारियां भी लेकर आते हैं, जो लापरवाही करने पर नासूर भी बन सकती हैं. इनसे कैसे बचें,बता रही हैं ‘अनु शर्मा’

तो गर्मी के मौसम में कौन सी बीमारी होने का खतरा अधिक है? आइये, जान लेते हैं ताकि हम सतर्क रख सकें, और खुद को और अपने परिवार को इन संक्रमणों से सुरक्षित रख सकें.

गर्मी का मौसम तरह-तरह की बीमारियां ले कर आता है. गर्मी में लू, पानी की कमी या डिहाइड्रेशन, बुखार या पेट की बीमारियां जैसी समस्याएं होने की अधिक संभावना होती है. ऐसे मौसम में स्वास्थ्य का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है. अगर समय रहते इन बीमारियों का उपचार न किया जाये तो इनके परिणाम भयंकर हो सकते हैं.

पीलिया

गर्मियों में पीलिया होने का खतरा अधिक होता हैं. यह गंदे और दूषित पानी या खाने से हो सकता है. पीलिया में रोगी की आंखे व नाखून पीले हो जाते हैं और पेशाब भी पीले रंग की होता है. इस रोग से बचाव के लिए अपने खाने पीने का ध्यान रखें. बाहर का खाना न खायें, इन्फेकशन से दूर रहें और पानी को उबाल कर ही पीना सबसे कारगर सावधानी है.

लू लगना या हीट स्ट्रोक

लू लगना या हीट स्ट्रोक एक जानलेवा बीमारी है और यह तेज़ धूप की वजह से होती है. इस बीमारी में चक्कर आना, उलटी आना, रक्तचाप कम हो जाना, बुखार आदि हो सकता है. इससे बचने के लिए धूप में जितना हो सके कम जायें और अगर जाना पड़े तो सिर ढक कर ही बाहर निकलें. जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा पानी पियें. लस्सी, छाछ या आम पन्ना इत्यादि का सेवन भी इस रोग से बचाने में कारगर है.

टायफाइड

टायफाइड एक ऐसी बीमारी है जो गर्मी के मौसम में अधिक होती है. इस बीमारी में लगातार बुखार रहना, भूख कम लगना, उल्टी होना और खांसी-जुकाम हो जाता है. इससे बचने के लिए गन्दा पानी व गंदे खाने की चीज़ों से दूर रहें. कुछ भी खाने पीने से पहले हाथों को अच्छी तरह से जरूर धोएं. तरल पदार्थो का अधिक सेवन करें और आसपास साफ़ -सफाई रखें.

 

चिकनपॉक्स

चिकनपॉक्स वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी है. इसमें बुखार का आना, एलर्जी, निमोनिया और मस्तिष्क में सूजन जैसे समस्याएं हो सकती हैं. इससे बुखार आता है और शरीर पर दाने हो जाते हैं. गर्मियों में चिकनपॉक्स बड़ी तेजी के साथ फैलती है.

 

डिहाइड्रेशन और फूड प्वाइजनिंग

डिहाइड्रेशन का मतलब है शरीर में पानी की कमी होना. इससे बचने के लिए जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों जैसे जूस, लस्सी, छाछ, आमपन्ना या नारियल पानी का सेवन करें. फ़ूड प्वाइजनिंग गंदे खाने या गंदे पानी से हो जाती है. इससे बुखार, उल्टी, दस्त, चक्कर आना और शरीर में दर्द और कमज़ोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इस बीमारी में भी साफ़ सुथरा और पोषक खाना खायें और गंदगी से दूर रहें.

खसरा या मीज़ल्स

यह रोग साँस के द्वारा फैलता है. गर्मियों में यह रोग काफी तेजी से फैलता है. इस बीमारी में शरीर पर छोटे-छोटे लाल रंग के दाने हो जाते हैं और साथ में बुखार, खांसी, नाक बहना व आंखों का लाल होना जैसी परेशानियां भी होती हैं. इस रोग से बचने के लिए बच्चो को एमएमआर के टीके लगवाएं और सफाई का समुचित ध्यान रखें. संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना ही श्रेयस्कर है.

गर्मियों में होने वाली बीमारियां अक्सर दूषित पानी, खाने और गंदगी से होती हैं. इसलिए साफ़ सफाई का ख़ास ख़्याल रखें और तरल पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें.

सेहत से खिलवाड़ करें, गन्ने का जूस पीएं

जैसा कि हम सब जानते हैं गर्मी का मौसम शुरू हो गया है और इस मौसम में लोग अक्‍सर अपनी प्‍यास बुझाने के लिए जूस का प्रयोग करते हैं। अगर आप ये मानते है कि गर्मी में गन्ने का जूस बहुत फायदा करता है तो आपको बता दें कि आप एक बहुत बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं।बाजार में गन्‍ने के जूस में बर्फ डालकर दुकानदार धड़ल्‍ले से बेच रहे हैं जिसे लोग पीने से पिछे भी नहीं हट रहें।

क्‍योंकि उन्‍हें पता नहीं है कि ये जूस उनके लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है इनकी ये थोड़ी सी असावधानी उन्‍हें कितना बिमार कर सकती है। हम ये नहीं कह रहे हैं कि आप गन्‍ने का जूस पीना ही बंद कर दें लेकिन उसे पीने से पहले कुछ महत्‍वपूर्ण जांच प्रकिया से जांच करके ही उसे पीये। जिस गन्ने से जूस बनाया जा रहा है वो दिखने के कैसा है, उसकी सफाई ठीक से हुई है या नहीं। कहीं गन्ने में दाग या फफूंदी तो नहीं लगी हुई है।


गन्ने को बिना धोये मिटटी लगा हुआ ही जूस तो नहीं निकाला जा रहा है।

गन्ने के जूस में कहीं धब्बेदार नींबू का रस तो नहीं मिलाया हुआ है।

जूस में मिलाये जाने वाला पुदीना साफ सुथरा है या नहीं।
जो व्यक्ति गन्ने का जूस बना रहा है। उसने अपने खुद के हाथ धोये है या नहीं। जिस मशीन से जूस निकाला जा रहा है।

अगर आप फफूंदी लगे हुए गन्ने का जूस पी रहे हैं तो आपको हेपेटाइटिस ए, डायरिया या फिर पेट संबंधी अन्य बीमारियाँ भी हो सकती है। अगर गन्ने में मिटटी लगी है तो उसका जूस पीने से पेट संबंधी बीमारियाँ हो सकती है। अगर कोई लाल सा रंग का गन्ने दिखाई दे तो उसका जूस को भूलकर भी न पीये। इस गन्‍ने को सड़ा हुआ गन्ना या रेड रॉट भी कहते है। ये एक प्रकार की फफूंदी है, जो गन्ने को अन्दर से लाल कर देती है। इससे गन्ने में मिठास कम हो जाती है। यह गन्ना सस्ते में मिलता है पर इसके जूस को पीने से शरीर को नुकसान होता है।इसका 


विधि

 - ताजा गन्ने का रस ही निकलवाएं. साथ ही जूस वाले को कहे की गन्ना बिल्कुल साफ हो और इसमें  किसी तरह की मिट्टी न लगी हो.

- गन्ने का रस का स्वाद बढ़ाने के लिए नींबू का इस्तेमाल किया जाता है. एक बार चेक कर लें कहीं नींबू बासी तो नहीं है या फिर उस पर दाग तो नहीं है.

- स्वाद को बढ़ाने के लिए पुदीना धुलवा लें. आप सोच रहे होंगे कि इतना टाइम किसके पास है पर सवाल आपकी सेहत का है.

- अगर साफ-सुथरा जूस चाहिए. तो एक ये भी चेक कर लें जो जूस बनाकर दे रहा है उसे हाथ साफ हैं या नहीं.

- ये तो तय ही कि रस निकालने वाली मशीन पर मक्खियां जरूर बैठेंगी. इसलिए एक बार मशीन पानी से जरूर धुलवा लें.
- जब मशीन का ज्यादा प्रयोग किया जाता है तो उसका ग्रीस पिघलकर निकलने लगता है. ध्यान रखें कहीं वह आपके जूस में तो नहीं मिल रहा.
- गन्ने के रस में बर्फ मिलाकर भले ही इसे ठंडा किया जाए. पर ये भी याद रखें कि यह बर्फ शुद्ध नहीं होता जिससे सेहत खराब हो सकती है. 

भले ही आपको लग रहा होगा कि गन्ने का रस पीने से पहले कौन इतना सोचता है, पर अगर इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देंगे तो आपकी सेहत को कोई नुकसान नहीं होगा.