Sunday, May 14, 2017

आयुर्वेदिक तरीके से करे लकवा जैसे गम्भीर रोग का स्थाई इलाज !

यदि किसी मनुष्य का शरीर ठीक से काम करना बन्द कर दे तो, वो अपने आप को पूरी तरह से लाचार समझने लगता है . ऐसे मानुष को देख कर लोग भी उसके प्रति हमदर्दी दिखाने लगते है, जिससे वो खुद को और अधिक बेबस महसूस करने लगता है . बस कुछ ऐसी ही स्थिति लकवा के मरीज की भी होती है . जी हां वैसे लकवा को आयुर्वेद में पक्षाघात रोग भी कहते है . दरअसल इस रोग में मरीज के एक तरफ के सभी अंग पूरी तरह से काम करना बन्द कर देते है .

इसके इलावा जो अंग काम करना बन्द कर देते है, वो दिमाग को किसी प्रकार की चेतना पहुँचाने में भी असफल रहते है . गौरतलब है, कि इस रोग की वजह से मनुष्य के अंगों में टेढापन, शरीर में गर्मी की कमी का होना और कुछ भी याद रखने की क्रिया तक नष्ट हो जाती है . इसलिए लकवा के प्रभाव को कम करने के लिए आयुर्वेद में इसके कुछ उपाय भी बताये गए है . जो आज हम आपको बतायेगे .

लकवा से बचने के आयुर्वेदिक उपाय..

१. सबसे पहले उपाय के अनुसार एक चम्मच काली मिर्च को पीस कर उसे तीन चम्मच देसी घी में मिला कर लेप बना ले . फिर जिन अंगों पर लकवा का प्रभाव हो उन पर इस लेप की मालिश करे. इससे लकवा ग्रस्त अंगो का रोग यक़ीनन दूर हो जायेगा .

२. इस उपाय के अनुसार लहसुन की 6 कलियाँ पीस कर उसे एक चम्मच मक्खन में मिला ले और रोज इसका सेवन करे . इससे भी आपका लकवा ठीक हो जायेगा .

३.यदि कुछ दिनों तक छुहारो को दूध में भिगो कर रोगी को देते रहे तो इससे भी लकवा ठीक होने लगता है .

४. इस उपाय के अनुसार सौठ और उडद को पानी में मिला कर हल्की आंच पर गर्म करके रोगी को रोज पिलाने से भी लकवा ठीक हो जाता है .

५. वैसे फल हमारी सेहत के लिए बहुत गुणकारी होते है . इसलिए नाशपाती, सेब और अंगूर का रस बराबर मात्रा में एक गिलास में मिला ले . यह रस रोगी को देते रहे और याद रखे कि यह उपाय रोज करने से ही मरीज को फायदा होगा .

६. इस उपाय में करेले की सब्जी रोज खाने और करेले का रस रोज पीने से लकवे से प्रभावित अंगों में सुधार होने लगता है . पर याद रहे कि यह उपाय भी आपको रोज करना है .

७. इसके इलावा रोज प्याज खाने और प्याज का रस पीने से भी लकवा का रोगी ठीक हो जाता है .

८. इस उपाय में आधा लीटर सरसो के तेल में 50 ग्राम लहसुन डाल कर लोहे की कड़ाही में पका ले . फिर जब पानी जल जाये तो उसे ठंडा होने दे और फिर उस तेल को छान कर किसी डिब्बे में डाल ले . बस इसी तेल से लकवा ग्रस्त अंगों पर मालिश करे, इससे लकवा बिलकुल ठीक हो जायेगा .

९. वैसे ये तो सबको मालूम है, कि तुलसी के पत्ते कितने गुणकारी होते है . इसलिए तुलसी के पत्तो, दही और सेंधा नमक को मिला कर उसका लेप बनाये और मरीज को लगाए . ये उपाय लंबे समय तक करना बहुत जरुरी है . तभी रोगी पूरी तरह से ठीक हो पायेगा .

१०. इसके इलावा गर्म पानी में तुलसी के पत्तो को उबाले और इसकी भाप लकवा ग्रस्त अंगों को देते रहे . इससे भी लकवा ग्रस्त अंग ठीक होने लगते है .

वैसे इसमें कोई शक नहीं, कि यदि लकवा का सही समय पर इलाज न करवाया जाये तो मनुष्य एक अपाहिज की जिंदगी जीने पर मजबूर हो ही जाता है . इसलिए समय पर लकवा के रोग का इलाज कराना बेहद जरुरी है . गौरतलब है, कि इन आयुर्वेदिक उपायो से लकवा को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है .

बस ये उपाय करते समय केवल एक बात का ध्यान रखे कि कोई भी उपचार अपना असर धीरे धीरे ही दिखाता है . इसलिए इन उपायो को लंबे समय तक जरूर आजमाए और इसमें बहुत धैर्य रखने की भी जरूरत है . इसलिए थोड़ा संयम भी रखे . इससे आप यक़ीनन स्वस्थ हो जायेगे

यदि एड़ी में हो दर्द तो आजमाए ये आसान से उपाय, इससे तुरंत मिलेगा दर्द से आराम !

महिला हो या पुरुष दोनों में कुछ दर्द ऐसे है, जो एक समान होते है. जैसे कि एड़ी का दर्द . जी हां भले ही महिला हो या पुरुष, पर एड़ी का दर्द सबको हो सकता है . दरअसल एड़ी के दर्द की कोई खास वजह तो नहीं होती पर इसकी वजह से आपको जरूर कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. जैसे कि एड़ी का दर्द होने से आपको कमर दर्द और स्लिप डिस्क जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है .

वैसे हम आपको बता दे कि एड़ी में दर्द होने का प्रमुख कारण ऊँची हाइट के सैंडल या ऊँचे जूते पहनना भी हो सकता है . इसके इलावा हड्डी के बढ़ने से भी एड़ी में दर्द होना स्वाभाविक है . इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे है, जिससे आपकी एड़ी का दर्द बिलकुल ही गायब हो जायेगा .

गौरतलब है, कि एड़ी में दर्द होने के ये मुख्य कारण हो सकते है, जैसे कि..

1.हड्डी का बढ़ना या अधिक देर तक खड़े रह कर काम करना . इसके इलावा पोषक तत्वों को न खाना और ज्यादा टाइट या कसने वाले कपडे पहनना

2. कई बार गिरने की वजह से या पैर मुड़ जाने की वजह से भी दर्द हो सकता है . मधुमेह यानि शुगर का रोग होना और अधिक मोटापे की वजह से और अधिक नींद की गोलियां खाना या ऊँची सैंडल पहनना

3. ज्यादा सोना और ज्यादा खाना, इसके इलावा पैर में कंकर या पत्थर का लगना. उम्र के साथ मास का कम होना, हार्मोन से सम्बन्धित दवाईयां अधिक लेना . कमर और पैरो के साथ पेट को किसी तरह का तनाव न देना, आदि कारण है .

इसलिए जितना हो सके आप स्पोर्ट्स जूते ही पहने क्योंकि आरामदायक जूते पहनना आपकी सेहत के लिए भी लाभकारी होगा .

एड़ी के दर्द से छुटकारा पाने के उपाय..  

1. लेप का करे प्रयोग.. अगर कभी एड़ी में दर्द होने की वजह से आपका चलना फिरना बन्द हो जाये तो ऐसे में सरसों के तेल में हल्दी को पका कर उसमे नींबू, प्याज और नमक डाल कर एक पेस्ट बनाये और रात को सोने से पहले इस paste को एड़ियों पर लगाए . इससे आपका दर्द यक़ीनन कम हो जायेगा .

2.अश्वगंधा का प्रयोग करे.. इस उपाय के अनुसार एड़ी का दर्द दूर करने के लिए एक चम्मच दूध के साथ एक चम्मच अश्वगंधा का चूर्ण मिला कर सेवन करे . ये भी आपके लिए बहुत फायदेमंद सिद्ध होगा.


3.कलौंजी, अजवायन, मेथी और ईसबगोल का प्रयोग.. सबसे पहले कलौंजी, मेथी, ईसबगोल और अजवायन इन सारे तत्वो का एक एक चम्मच लेकर इन्हें पीस कर इसका चूर्ण बना ले . इसके बाद सुबह खाली पेट इस चूर्ण का एक चम्मच लेकर सेवन करे . वैसे हम आपको बता दे कि कुछ दिनों तक इस उपाय का इस्तेमाल करने से आपको बहुत ज्यादा फायदा होगा .

4. ठंडे और गर्म पानी का प्रयोग.. जब आपकी एड़ी में दर्द हो तो आप अपने सिर को गीला करे और स्टूल पर बैठ कर गर्म या ठंडे पानी में पैर बदल बदल कर रखे. इस बात का खास ध्यान रखे कि ठंडे पानी में केवल 3 मिनट तक और गर्म पानी में पांच मिनट तक पैरो को रखे .

5. एलोवेरा का प्रयोग.. इसमें एलोवेरा को एड़ी पर लगाना नहीं है, बल्कि खाना है . जी हां एलोवेरा को छील कर इसका 50 ग्राम भाग खाली पेट खाये. इससे आपको काफी राहत मिलेगी .

6. अदरक और पुदीने का प्रयोग.. गौरतलब है, कि एड़ियों के दर्द से मुक्ति पाने के लिए अपने भोजन में अदरक का अधिक से अधिक प्रयोग करे . वैसे इसके इलावा पिण्ड खजूर को पुदीने के साथ मिला कर चटनी बना कर इसका सेवन करे .

7. इन चीजो को जरूर भोजन में करे शामिल.. यदि आप अपने भोजन में आंवला, सेब, टमाटर, पत्तागोभी, कच्चा पपीता, आलू, ककड़ी और तोरई को शामिल करेगे तो, इससे आपको बहुत से फायदे प्राप्त होंगे. साथ ही आप अपने भोजन में गुग्गुल का प्रयोग भी कर सकते है .

8. काला तिल, एलोवेरा और अदरक का इस्तेमाल.. इस उपाय के अनुसार अदरक, एलोवेरा और काले तिल को मिला कर गर्म करे और अपनी एड़ी पर लगाए . इससे आपके एड़ी के दर्द को काफी राहत मिलेगी.

गुड कोलेस्ट्रोल से हार्ट प्राॅब्लम का खतरा कर सकते हैं कम

कोलेस्ट्रोल के दो प्रकार होते हैं!

1. एचडीएल/उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (high density lipoprotein)

और 

2. एल डी एल/निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (low density lipoprotein)।

उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन को अच्छा कोलेस्ट्रोल (good cholesterol) भी कहते हैं तथा निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन को ख़राब कोलेस्ट्रोल (bad cholesterol) भी कहा जाता है | बहुत ज्यादा एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल आपके रक्त को जंक कर धमनियों में रक्‍त प्रवाह को बाधित कर सकता है। जबकि उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन (हाई डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स) को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है। ये यकृत द्वारा बनाए ही जाते हैं। 


यकृत कोलेस्ट्रॉल और पित्त को ऊतकों और इंद्रियों से पुनष्चक्रित करने के वापस लिवर में पहुंचाता है। एचडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का अधिक होना एक अच्छी बात है, क्योंकि इससे हृदय के स्वस्थ होने के संकेत मिलते हैं।  यह रक्त से अतिरिक्त एलडीएल को साफ कर बाहर निकाल फेकने के लिए लिवर को भेज देते हैं। एचडीएल (अच्छे) कोलेस्ट्रोल रक्त के लिए एक दरबान की तरह काम करता है। एचडीएल सूजन को कम करता है और अल्जाइमर से रक्षा भी कर सकते हैं।

कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुल नहीं पाता है  अतः ट्राइग्लीसिराइड्स एवं एल पी कोलेस्ट्रॉल के साथ ये दो प्रकार के लिपिड, सारे कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करते हैं, जिसे रक्त परीक्षण से ज्ञात किया जा सकता है।


उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन/ (high density lipoprotein) / (good cholesterol) को बढाने तथा निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन/ (low density lipoprotein) / (bad cholesterol) को कम   के लिए आप इन तरीकों का पालन कर सकते हैं-

नियमित रूप से योगा एवं व्यायाम करें :-                                                         


नियमित योग एवं व्यायाम करके तथा कम वसा युक्त एवं अधिक रेशेदार आहार ग्रहण करके एक साल में ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम से कम 20 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है जबकि अमरीका जैसे देशों में दवाइयों की मदद से इतनी अवधि के पश्चात् कोलेस्ट्रॉल के स्तर में मात्र सात प्रतिशत तक कमी आती है।नियमित व्यायाम से दिल की काम-काज की क्षमता बढ़ती है। इससे रक्त में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटती है और स्वास्थ्यवर्धक एच डी एल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है।

अपने आहार में एंटी आक्सीडेंट्स को करें शामिल :-                                     



आहार में अधिक एंटी आक्सीडेंट्स लेना चाहिये। एंटी आक्सीडेंट्स एथोरिक्लोरोसिस होने से रोकते हैं। ये विटामिन सी, विटामिन ई और बीटा कैरोटिन में मौजूद होते हैं। अनेक तरह के फल एवं सब्जियां भी कोलेस्ट्रॉल घटाने में मददगार हैं। आम तौर पर नट को हृदय रोग में नुकसानदायक माना जाता है। लेकिन दरअसल नट लाभदायक है। हृदय रोगियों को दूध वाली चाय से परहेज करना चाहिये क्योंकि इसमें कैलोरी अधिक होती हैं। ऐसे रोगियों के लिये बिना दूध व चीनी की चाय बहुत अधिक मुफीद है क्योंकि इसमें एंटी आक्सीडेंट्स होते हैं। दिन भर में दो-तीन कप ऐसी चाय पीना लाभदायक होता है।

दही के सेवन से करे ख़राब कोलेस्ट्रोल कम:-  


सबसे अंत में और सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है दही जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में आपकी मदद करता है। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स लैक्टोबैसिलियम एसिडोफिलिस कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाने में मददगार साबित होता है। खाद्य पदार्थों का सतर्कतापूर्वक चयन करने के साथ नियमित कसरत से कुल कोलेस्ट्रॉल बढऩे के जोखिम से बचा जा सकता है।
 

अपने बढे हुए वजन को कम करें:-

मोटापा और एलडीएल दोनों साथ-साथ होते हैं। लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि आपको कमर तोड़ व्यायाम करना होगा। आप रोज थोड़ी कसरत और अपने खान-पान में सुधार कर बढ़े वजन को धीरे-धीरे काबू कर सकते हैं। 

विटामिन-बी से बढ़ता है एचडीएल:-                                                              


विटामिन-बी उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन को बढ़ाने में सहायक होता है। विटामिन-बी 5 की 300मिलीग्राम पूरक से भी आप अपने एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि इसके कुछ दुष्प्रभाव जैसे कि जिगर की क्षति आदि भी हो सकते हैं, इसलिए कोई भी सप्लीमेंट या विटामिन लेने से पूर्व एक बार डॉक्टर से अवश्य सलाह लें।

धूम्रपान न को करें ना :-                                                                                       

धूम्रपान बंद करने से आप अपना एचडीएल का स्तर दस प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं। यही नहीं इस लत को छोड कर आप लंग कैंसर तथा अन्य गंभीर बीमारियों से भी बच सकते हैं। धूम्रपान छोड़ने के लिए अपने डॉक्टर से भी राय व उपाय जान सकते हैं।

यदि एचडीएल का स्तर बढ़ाना है तो कम मात्रा में शराब पीयें:-

यदि आप अपने कोलेस्ट्रोल को कम करना चाहते हैं तो शराब का कम से कम सेवम करें। रेड वाइन का एक गिलास अपके हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। यदि आप इसे सिर्फ दवा की तरह लेते हैं तो कोई बात नहीं परन्तु अति कर देने पर ये आपके लिए अभिशाप बन जाती है।

सूखे मेवे के उपयोग से भी बढ़ता है गुड कोलेस्ट्रोल:-


यदि आपको खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करना है तो अखरोट और बादाम जैसी सूखी मेवा खूब खाएं। इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। ह्रदय संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करने और रक्त में लिपिड (वसा व कोलेस्ट्रॉल) का स्तर कम करने की अखरोट, बादाम व मूंगफली जैसी सूखी मेवा की पोषण संबंधी अद्वितीय विशेषताओं के चलते इन पर ज्यादा अध्ययन किया जा रहा है। इस तरह की सूखी मेवा में पौधों के प्रोटीन, वसा (खासकर असंतृप्त वसा अम्ल), खाने योग्य रेशे,खनिज, विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइटोस्टीरॉइड्स जैसे अन्य यौगिकों की मात्रा अधिक होती है।

Saturday, May 13, 2017

3 चीजों से बना ये चूर्ण सेहत से जुड़ी कई परेशनियां करें दूर

बहलते लाइफस्टाइल में खान-पान में बदलाव और इस भागदौड़ भरी जिदंगी में किसी के पास अपनी सेहत पर ध्यान देने का समय नहीं है। सभी लोग पैसा कमाने और किसी न किसी काम के चलते बिजी रहते है। इसी के चलते लोग लगातार बीमारियों की  चपेट में आते जा रहे है। ऐसे में लोगों को अपनी सेहत का पूरा-पूरा ध्यान रखना  चाहिए। आज हम आपको एक ऐसे चूर्ण के बारे में बताएंगे, जिसके रोजाना सेवन से सेहत से जुड़ी कई तरह की प्रॉबल्म दूर होगी।

सामग्री 
– 250 ग्राम मैथी दाना
– 100 ग्राम अजवाईन
– 50 ग्राम काली जीरी



दवा बनाने का तरीका 
इन तीनों चीजों को मिलाकर हल्का-हल्का सेंक लें। अब इनको मिक्सर में डालकर पाऊडर बान लें और किसी कांच की शीशी में डाल लें।

सेवन करने का तरीका 
रात को सोते समय एक चम्मच इस पाऊडर को एक गिलास गुनगुने पानी से पीएं। इसको गर्म पानी के साथ लेना ही फायदेमंद होगा। इस चूर्ण का इस्तेमाल सभी उम्र के व्यक्ति कर सकतें है।

इस चूर्ण को लेने का फायदे

चूर्ण का रोजाना सेवन करने से शरीर के अंदर की गंदगी यूरिन के द्वारा बाहर निकलती है। इससे शरीर की एकस्ट्रा चर्बी कम होती है और खून का संचार ठीक से होता है। आइए जानते है इससे होने वाले अन्य फायदों के बारे में…

१. गठिया जैसा ज़िद्दी रोग दूर हो जाता है ।

२. शरीर की रोग प्रतिकारक शक्ति को बढ़ाता है ।

३. पुरानी कब्ज़ से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है ।

४. रक्त -संचार शरीर में ठीक से होने लगता है ,शरीर की रक्त -नलिकाएं शुद्ध हो जाती हैं ,रक्त में सफाई और शुद्धता की वृद्धि होती है ।

५. ह्रदय की कार्य क्षमता में वृद्धिहोती है ,कोलेस्ट्रोलकम होता है ,जिस से हार्ट अटैक का खतरा नहीं रहता |

६. हड्डियां मजबूत होती हैं ,कार्य करने की शक्तिबढ़ती हैं ,स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होतीहै ।थकान नहीं होती है ।

७. आँखों का तेज़ बढ़ता है ,बहरापन दूर होता है ,बालों का भी विकास होता है,दांत मजबूत होते हैं ।

८. भूतकाल में सेवन की गयी एलोपैथिकदवाओं के साइड -इफेक्ट्स से मुक्ति मिलतीहै ।

९. खाना भारी मात्रा में या ज्यादाखाने के बाद भी पच जाता है (इसका मतलब येनहीं है कि आप जानबूझ कर ज्यादा खा ले) ।

१०. स्त्रियों का शरीर शादी के बादबेडौल नहीं होता ,शेप में रहता है ,,शादी के बाद होने वालीतकलीफें दूर होती हैं ।

११. चमड़ी के रंग में निखार आता है ,चमड़ी सूख जाना ,झुर्रियां पड़ना आदि चमड़ी के रोगों से शरीर मुक्त रहता है ।

१२. शरीर पानी ,हवा ,धूपऔर तापमान द्वारा होने वाले रोगों से मुक्त रहता है ।

१३. डाइबिटीज़ काबू में रहती है ,चाहें तोइसकी दवा ज़ारी रख सकते हैं।

१४. कफ से मुक्ति मिलती है ,नपुंसकता दूर होती है,,व्यक्ति का तेज़ इस से बढ़ता है ,जल्दी बुढ़ापा नहीं आता ,। उम्र बढ़ जाती है |

१५. कोई भी व्यक्ति ,किसी भी उम्र का हो ,इस चूर्ण का सेवन कर सकता है ,मात्रा का ध्यान रखें ।

· पुरानी कब्जी से होने वाले रोग दूर होते है। पाचन शक्ति बढ़ती है।
· गठिया वादी हमेशा के लिए समाप्त होती है।
· दांत मजबूत बनते है। हडिंया मजबूत होगी।
· आख का तेज बढ़ता है कानों से सम्बन्धित रोग व बहरापन दूर होता है।
· शरीर में अनावश्यक कफ नहीं बनता है।
· कार्य क्षमता बढ़ती है, शरीर स्फूर्तिवान बनता है। घोड़े के समान तीव्र चाल बनती है।
· चर्म रोग दूर होते है, शरीर की त्वचा की सलवटें दूर होती है , टमाटर जैसी लालिमा लिये शरीर क्रांति-ओज मय बनता है।
· स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा कदम आयु भी बढ़ती है , यौवन चिरकाल तक बना रहता है।
· पहले ली गई एलोपेथिक दवाईयां के साइड इफेक्ट को कम करती है।

· इस दवा को लेने से शुगर (डायबिटिज) नियंत्रित रहती है।
· बालों की वृद्धि तेजी से होती है।
· शरीर सुडौल , रोग मुक्त बनता है।

योग करने से दवाई का जल्दी लाभ होता है।

परहेजः –
1. इस दवाई को लेने के बाद रात्रि मे कोई दूसरी खाद्य-सामग्री नहीं खाएं।
2. यदि कोई व्यक्ति धुम्रपान करता है , तम्बाकू-गुटखा खाता या मांसाहार करता है तो उसे यह चीजे छोड़ने पर ही दवा फायदा पहुचाएंगी।
3. शाम का भोजन करने के कम-से-कम दो घण्टे बाद दवाई लें।

जाने काली जीरी को।
हिन्दी कालीजीरी, करजीरा। संस्कृत अरण्यजीरक, कटुजीरक, बृहस्पाती। मराठी कडूकारेलें, कडूजीरें। गुजराती कडबुंजीरू, कालीजीरी। बंगाली बनजीरा। अंग्रेजी पर्पल फ्लीबेन। लैटिन वर्नोनिया एन्थेलर्मिटिका।

काली जीरी के गुण।
काली जीरी आकार में छोटी और स्वाद में तेज, तीखी होती है। इसका फल कडुवा होता है। यह पौष्टिक एवं उष्ण वीर्य होता है। यह कफ,
वात को नष्ट करती है और मन व मस्तिष्क को उत्तेजित करती है। इसके प्रयोग से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं और खून साफ होता है।
त्वचा की खुजली और उल्टी में भी इसका प्रयोग लाभप्रद होता है। यह त्वचा के रोगों को दूर करता है, पेशाब को लाता है एवं गर्भाशय को साफ व स्वस्थ बनाता है। यह सफेद दाग (कुष्ठ) को दूर करने वाली, घाव और बुखार को नष्ट करने वाली होती है। सांप या अन्य विषैले जीव के डंक लगने पर भी इसका प्रयोग लाभकारी होता है।

पांच सालो में एक बार इस नुस्खे का करे इस्तेमाल और सभी बीमारियों से पाएं छुटकारा !

पांच सालो में एक बार इस नुस्खे का करे इस्तेमाल और सभी बीमारियों से पाएं छुटकारा !

आज कल की तनाव भरी जिंदगी में बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो, बिलकुल स्वस्थ जीवन जी रहे होंगे. अन्यथा आज के समय में लोगो के लिए निरोग जीवन जीना तो एक सपना सा बन कर ही रह गया है. इसके इलावा इसमें कोई शक नहीं, कि इस अस्वस्थ जीवन की वजह अधिकतर प्रदूषण और गलत खान पान है. दरअसल पहले कुदरती चीजों की वजह से हमारा स्वास्थ्य बिलकुल निरोग रहता था. पर अब कुदरती चीजे तो जैसे कही खो सी गयी है. जिसके चलते बच्चे से लेकर बूढ़े तक आज कल हर कोई दवाईयो के सहारे ही जी रहा है.

वही बाजार की दवाईयां हमारे स्वास्थ्य के लिए कितनी नुकसानदायक होती है, ये हमें बताने की जरूरत नहीं है. गौरतलब है, कि इन बाजारू दवाईयों के इलावा कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे भी है, जो आपके शरीर की बीमारियों से रक्षा करने में सक्षम है. तो आज हम भी यहाँ एक ऐसे ही घरेलू नुस्खे की बात कर रहे है. दरअसल आज हम आपको उस नुस्खे को बनाने की विधि बताने वाले है. जो आपके शरीर की हर बीमारी से रक्षा करेगा. बता दे कि यह नुस्खा आपके शरीर को वायरस फ्री रखेगा.

इसके साथ ही यह नुस्खा आपको अथेरोस्क्लेरोसिस, फेफड़े संबंधी रोग और हाई ब्लड प्रेशर जैसी कई बीमारियों से छुटकारा दिलाएगा. वैसे आपके दिमाग में ये ख्याल भी आ रहा होगा, ये नुस्खा बाकी नुस्खों से अलग कैसे है? तो हम आपको बता दे कि इस नुस्खे की खास बात ये है, कि इसे आपको रोज इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है. जी हां इस नुस्खे में बताएं जाने वाले मिश्रण का आपको पांच सालो में सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल करना है. इसका पांच सालो में एक बार किया गया सेवन ही आपको कई बीमारियों से छुटकारा दिला देगा. तो चलिए अब हम आपको बताते है, कि इस नुस्खे को बनाने के लिए आपको किस सामग्री की जरूरत पड़ेगी.

सामग्री.. 350 ग्राम लहसुन और 200 एमएल यानि 96 प्रतिशत अल्कोहल लीजिए .

विधि.. १. सबसे पहले लहसुन को छील कर धो ले और इसमें अल्कोहल मिक्स करे. फिर इसे कांच की बोतल में डाल कर दस दिनों के लिए रख दे.

२. फिर दस दिनों के बाद इस मिश्रण को पुन ले और पूना हुआ मिश्रण दो दिन के लिए फ्रिज में रख दे. बस 12 दिनों के बाद यह मिश्रण तैयार हो जाएगा. फिर इसकी बूंदे पानी में डाल कर इसका सेवन करे.

३. गौरतलब है, कि पहले दिन एक बूंद नाश्ते से पहले और फिर दो बूंद दोपहर के खाने से पहले और तीन बूंद रात को खाने से पहले ले. यकीन मानिये इसका परिणाम देख कर आप भी चौंक जाएंगे.

बचना हो दिल की बीमारी से तो भूल से भी ना करे ये काम


ऐसा माना जाता है कि धीमी आंच पर खाना पकाकर खाने से खुद को कई रोगों से बचाया जा सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार तेज आंच पर पकाए गए खाने में जहरीले रसायन रह जाते हैं जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा देते हैं। कुछ शोधकर्ताओं का ऐसा मानना है कि यदि भोजन को बहुत तेज आंच पर पकाया जाए तो उसमें कुछ हानिकारक तत्व रह जाते हैं जोकि दिल की बीमारी का कारण बन सकते हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि तेज आंच पर पके भोजन और हृदय रोगों के बीच संबंध के बारे में जानने के लिए अभी और भी शोध किए जाने की जरूरत है।

जानकारों के अनुसार भोजन को 150 डिग्री सेंटिग्रेट से अधिक तापमान पर पकाने से उनकी रासायनिक संरचना में बदलाव आ जाता है जो विषाक्त पदार्थों के गठन का कारण बनता है। इन विषाक्त पदार्थों में ट्रांस फैटी एसिड शामिल होते हैं जो बेहद हानिकार होते हैं और देश व दुनिया के कई हिस्सों में इनकी बिक्री पर पाबंदी भी है।

बताया जाता है कि बहुत तेज आंच पर तला गया भोजन इसलिए हानिकारक होता है क्योंकि इसका तेल ट्रांस फैटी एसिड में परिवर्तित हो जाता है और सेहत को बेहद नुकसान पहुंचाता है। एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पूर्व में हुए अध्ययनों की समीक्षा करते हुए कहा कि इन अध्ययनों में नव-गठित संदूषित पदार्थों के मनुष्यों और जानवरों के ऊतकों पर होने वाले प्रभाव के बारे में जांच की गई थी। इन अध्ययनों से यह साबित हुआ कि इन पदार्थों और हृदय रोगों के बीच काफी गहरा संबंध बताया गया है।

शोधकर्ताओं कि माने तो ऐसा पाया गया की खाना पकाने का तरीका काफी हद तक यह तय करता है कि किसी व्यक्ति की हृदय आघात से मौत होने की क्या आशंका है। मसलन पाकिस्तान में पैदा हुए किसी व्यक्ति की हृदय आघात से मौत होने की आशंका ब्रिटेन में पैदा हुए किसी इंसान से अधिक हो सकती है। ऐसा इसलिए क्यूंकि उनके खान-पान और खाना पकाने के तरीका काफी हद तक उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इस बात में कोई शक नहीं कि तेज आंच पर अधिक समय तक पका या तला गया भोजन हृदय रोग को बढ़ा सकता है जो शायद आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

आलू के इस उपाय को अपनाकर अपने बालों को हमेशा के लिए करें काला, जानें कैसे


आज के समय में बढ़ते प्रदूषण, आहार में पोषक तत्‍वों की कमी, तनाव आदि के कारण हमें कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है वो भी समय से पहले। इसका असर कहीं न कहीं हमारी सेहत पर पड़ता तो हैं ही साथ में हमारे बालों पर भी पड़ता है। आप अक्‍सर सुनते होंगे कि समय से पहले लोगों के बाल सफेद हो गए और कई तरह के प्रोडक्‍ट और दवाइयों के प्रयोग करने के बावजूद बाल काले नहीं हो पाते।

 

 

इस बात को लेकर हम तनाव में आ जाते हैं और फिर ऐसे समय से पहले बाल सफेद होना हमारे लिए शर्मिंदगी का कारण बन जाता है और हम ज्‍यादा उम्र के दिखने लगते हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे उपाय के बारे में जिसके इस्‍तेमाल से आप सफेद बालों की समस्‍या से बच सकते हैं। ये उपाय खासकर आप सफेद दाढ़ी व मूछों के लिए भी अपना सकते है। लेकिन इस घरेलू उपाय के साथ साथ आपको जरूरत है अपनी डायट में हरी सब्जियां, फल और प्रोटीन से भरपूर आहार को शामिल करने की।

ये घरेलू नुस्‍खा आपको किसी तरह का साइडइफेक्‍ट नहीं करेगा और बड़े ही आसानी से आप इसे तैयार भी कर सकते हैं।

तो आइए जानते हैं इस उपाय को

बालों को सफ़ेद होने से बचाने, बालों की ग्रोथ को बढ़ाने और बालों में चमक के लिए आलू का छिलका बहुत फायदेमंद है।

घरेलू पोटेटो हेयर मास्क में विटामिन ए, बी और सी होती है, जिससे ये खोपड़ी में जमे तेल को हटाकर इसे साफ करते हैं, परतदार डैंड्रफ को हटाते हैं, रॉम छिद्रों को खोलते हैं और नए बालों के रोमों को बढ़ाते हैं।

इतना ही नहीं आलू में आयरन, ज़िंक, पोटेशियम और कैल्शियम जैसे कई मिनरल्स होते हैं जिससे बालों का गिरना कम होता है और बाल बढ़ते हैं।

आलू में मौजूद स्टार्च एक प्राकृतिक कलरेंट के रूप में काम करता है, यह ना केवल बालों को सफ़ेद होने से रोकता है बल्कि यह चमक भी प्रदान करता है।

स्टेप 1: 
6 आलू लें, इन्हें अच्छी तरह धो लें और छील लें। छिलका लेकर अलग रख दें।

स्टेप 2:
एक बर्तन में एक लीटर पानी डालें। पानी को उबलने दें। इसमें आलू का छिलका डालें और 30 मिनट तक उबलने दें। आंच को बंद कर दें और पानी को 15 मिनट तक ठंडा होना दें।


स्टेप 3: 
जालीदार कपड़े या छलनी से इस मिश्रण को छान लें और इसे एक साफ प्याले में डाल लें। आलू के छिलके को फेंक दें और इस मिश्रण को कुछ घंटों के लिए हाइबरनेट होने दें। यदि सफ़ेद बालों को रोकने का ये मिश्रण ज्यादा गाढ़ा हो जाये तो इसमें थोड़ा पानी मिला लें। इसकी पोषकता बढ़ाने के लिए आप इसमें अपनी पसंद के आवश्यक तेल भी मिला सकते हैं।

स्टेप 4: 
क्लींजर से अपने बालों को साफ कर लें। कंडीशनर लगा लें। ध्यान रखें कि आप कंघी इस्तेमाल नहीं करें क्यों कि गीले बाल ज्यादा टूटते हैं। इसके बजाय अपनी अंगुलियों से ही अपने बालों को सुलझाएँ।

स्टेप 5:
अपने बालों को छोटे हिस्सों में बाटें। रूई को मिश्रण में डुबोएं, ज्यादा मात्रा को हटा दें। और इस मिश्रम को आराम से खोपड़ी में लगाएँ। सफ़ेद बालों के इस मिश्रण से पूरी खोपड़ी और सारे बाल भीगने चाहिए।

स्टेप 6: 
अपने बालों की 5 मिनट मसाज करें। अपने बालों एक ढीली चोटी से बांध लें और 30 मिनट तक रहने दें। बाद में, ठंडे पानी से धो लें।

स्टेप 7: 
एक बार जब ये हो जाये तो ज्यादा पानी को बालों को दबाकर निकाल दें। अतिरिक्त नमी को पुरानी टी-शर्ट या तौलिये से सोंख लें। इनमें स्टाइल करने से पहले इन्हें सूखने दें। यदि आपके पास आलू के छिलके को बालों में लगाने की कोई और टिप है तो नीचे कमेन्ट बॉक्स में हमें बताएं।