Saturday, March 11, 2017
मधुमेह के सबसे सरल 10 घरेलू उपचार
Sunday, March 5, 2017
क्या आप जानते हैं, पेय जल के नाम पर बोतलबंद पानी में आपको मिल रहा है धोखा, हो जाइये सावधान !
शुद्ध पेय जल के नाम पर फिल्टर्ड पानी और बोतल बंद पानी का व्यापार खूब फल फूल रहा है, आज यह व्यापार खरबों का हो चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं आपको साफ़ पानी पिलाने के नाम पर आपके साथ कितना बड़ा धोखा किया जाता है. आप जो पानी खरीद कर पी रहे हैं उसमें और सामान्य पानी के शुद्दता के स्तर पर बहुत ज्यादा अंतर नहीं है.
हो सकता है आपके घर में RO लगा हो लेकिन फिर भी आपके लिए चिंता की बात है आप जो पानी पी रहे हैं वो इतना साफ़ नहीं है जितना आपसे दावा किया जा रहा है. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हम जो पानी पी रहे हैं वो शुद्ध होने के बावजूद भी इतना शुद्ध नहीं है कि हमें पूरी तरह से स्वस्थ रख सके.
RO और बोतल का पानी भी पीने योग्य नहीं
हमें जिस स्तर का शुद्ध पानी पीना चाहिए उसका टीडीएस 50 होता है जबकि हम जो पानी पी रहे हैं उसका टीडीएस 18-25 तक है. और ये उस पानी का टीडीएस है जिसे हम शुद्ध मानकर पी रहे हैं. जो RO मशीन और बंद बोतलों में शुद्धता कि गारंटी के साथ हमें दिया जा रहा है. हमारे शरीर की क्षमता 500 टीडीएस वाले पानी को पीने तक की होती है. और हमें कम से कम 50 टीडीएस का पानी पीना चाहिए, ऐसे में हम जो पानी पी रहे हैं वो हमारे लिए बेहद घातक स्थिति पैदा कर सकता है.
वहीं दूसरी तरफ बोतलबंद पानी और सामान्य पानी में भी बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता. मिनरल वाटर कि बोतल को बनाते वक्त एक विशेष प्रकार के रसायन का उपयोग किया जाता है जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है. ये रसायन पैथलेट्स के नाम से जाना जाता है और इसका नकारात्मक असर हमारी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है. सौंदर्य प्रसाधन, इत्र और खिलौनों के निर्माण में भी इस रसायन का उपयोग किया जाता है, यह पानी कि बोतल को मुलायम बनाये रखता है.
एक लीटर पानी को साफ़ करने में बर्बाद होता है 2 लीटर पानी
शुद्ध पानी के नाम पर हमें सुनियोजित तरीके से बेवकूफ बनाया जा रहा है, बीते दो दशक में यह व्यापार बहुत तेजी से फला फूला है. और आज देश में खरबों रूपये का कारोबार हो रहा है. आज बोतलबंद पानी के नाम पर केवल और केवल साफ पानी का दोहन हो रहा है. जिन विधियों से पानी को शुद्ध किया जाता है उसमें एक लीटर पानी को साफ करने में करीब 2 लीटर पानी कि बर्बादी होती है, इसतरह से बड़ी मात्रा में साफ़ पानी का दोहन किया जा रहा है और हमें मिलने वाला तथाकथित साफ़ पानी भी हमारी सेहत के लिए पूरी तरह से ठीक नहीं है.बोतल बंद पानी का व्यवसाय न सिर्फ हमारी जेब और सेहत को चूना लगा रहा है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है. यह किसी भी सूरत में हमारे भविष्य के लिए ठीक नहीं है. हम जितना जल्दी इससे चेत कर सतर्क हो जायें हमारे लिए उतना ही अच्छा होगा.
Friday, March 3, 2017
प्रेग्नेंसी और उसके बाद फॉलो करें ‘करीना’ का डायट प्लान … वापस शेप में आ जाएंगी आप !
प्रेग्नेंसी के बाद बॉडी शेप में कैसे रहे … अगर आप भी इस सवाल के जवाब ढूढ रही हैं तो लीजिए फॉलो कीजिए करीना का प्री और पोस्ट प्रेग्नेंसी डायट प्लान ।
New Delhi, Feb 17 : प्रेग्नेंसी के बाद शेप में लौट पाना हर महिला की चाहत होती है । लेकिन कुछ को महीनों लगते हैं तो कुछ को साल … कुछ ऐसी भी महिलाएं है जो इस फैट के साथ पूरी जिंदगी बिता लेती हैं । ऐसे में क्या करें, क्या प्रेग्नेंसी के बाद बेडौल शरीर को शेप में लाना टेढ़ी खीर बन जाता है । अगर आप भी ऐसा ही सोचती हैं तो फॉलो कीजिए करीना कपूर खान का ये डायट प्लान । करीना की प्रेग्नेंसी और अब डिलीवरी के बाद उन्होने जो कुछ डायट में शामिल किया है उसी का कमाल है कि बॉलीवुड की ये बेबो वापस फिगर में लौट रही हैं ।
करीना और उनकी डायट प्लान रुजुता ने क्या डायट सीक्रेट्स रिवील किए हैं, आप भी पढ़ें और फायदा उठाएं –
तुरंत शेप में आने की कोशिश ना करें –अगर आप डिलीवरी के तुरंत बाद शेप में आने को बेताब हैं और इसके लिए डायटिंग से लेकर तमाम चीजें अपना रही हैं तो ऐसा बिलकुल ना करें । डायट विशेषज्ञ के मुताबिक ऐसा करना सेहत से खिलवाड़ हो सकता है ।
पोस्ट प्रेग्नेंसी डायट – करीना इन दिनों बैलेंस्ड डायट फॉलो कर रही है । उनकी डायट में बाजरे की रोटी के साथ एक कटोरी सब्जी, घी और बहुत सारा गुड़ शामलि हैं । इसके अलावा मसूर की दाल, राजमा और छोले भी इस डायट में शामिल है । करीना इन दिनों एक बाउल खिचड़ी भी खा रही हैं ।
दूध पीना है जरूरी – डायटीशियन के मुताबिक महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में कैल्श्यिम और विटामिन डी की बेहद जरूरत होती है । इसलिए इसे अपनी डायट में जरूर शामिल करना चाहिए । करीन कपूर भी रात को टीवी देखने या सोने से पहले एक गिलास दूध का जरूर लेती है । ताकि विटामिन डी का नैचुरल स्रोत उनके शरीर में इसकी कमी ना होने दे ।
सबसे ज्यादा जरूरी है वॉक – प्रेग्नेंसी के दौरान वॉक करना मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी होता है । प्रेग्नेंसी में कई तरह की परेशानियां शरीर को घेर लेती हैं, मसल्स कमजोर हो जाती है । ऐसे में वॉक करना सबसे अच्छा माना जाता है ।
दो महीने में घटा वजन – करीना ने अपनी डायटीशियन के साथ बताया कि इस रूटीन को फॉलो कर वो दो महीने में अपना काफी वेट लूज कर चुकी हैं । महिलाएं अगर खुद पर विश्वास रखें और अपना ख्याल रखें तो वो जल्द से जल्द वजन घटाने में सफल हो सकती हैं ।
ओवरईटिंग से बचें – प्रेग्नेंसी में तरह – तरह के खाने की क्रेविंग होती है । कई बार कहा जाता है कि क्योंकि आपके पेट में बच्चा पल रहा है तो आप ओवर ईट कर सकती हैं लेकिन डायटीशियन के मुताबिक प्रेग्नेंसी में ओवरईटिंग नहीं करनी चाहिए । आपको जितनी भूख है बस उसी के हिसाब से अपना खाना खाएं ।
डार्क सर्कल्स – कई महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान छाईयों यानी डार्क सर्कल्स की प्रॉब्लम हो जाती है । ऐसे में महिलाओं को विटामिन बी 12, दही, छाछ और आयरन युक्त सब्जी औश्र फलों को सेवन करना चाहिए । घी, गुड़, बाजरा या नारियल ये सभी आप उचित मात्रा में ले सकती हैं
Wednesday, March 1, 2017
मधुमेह में कैसा आहार लेना चाहिए
मधुमेह को घरेलू इलाज से करें कंट्रोल
मधुमेह जैसी आजीवन रहने वाली बीमारी की चिकित्सा संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जाना आसान है। गौरतलब है कि मधुमेह या चीनी की बीमारी को मधुमेह रोगी स्वंय अपनी देखभाल करके कंट्रोल कर सकते हैं। विशेष भोजन या हल्का भोजन लेकर मधुमेह आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसमें ध्यान रखने वाली बात होती है कि मधुमेह रोगियों का खाना कैसा हो। आइए जानें मधुमेह रोगियों को खाने में क्या चीज लेनी चाहिए और क्या नहीं।
यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो, जाहिर सी बात है कि आपके दिमाग में यह एक सवाल जरुर आया होगा कि क्या हम फल का सेवन कर सकते हैं? एक्सपर्ट बोलते हैं कि मधुमेह रोगी भी फल का सेवन कर सकते हैं लेकिन सही मात्रा में। ऐसे फल जैसे, केला, लीची, चीकू और कस्टर्ड एप्पल आदि से बचना चाहिये। आज हम आपको कुछ ऐसे 18 फल बताने जा रहे हैं, जिसका सेवन आप आराम से कर सकते हैं। दरअसल, मधुमेह के रोगियों को रेशेदार फल, जैसे तरबूज, खरबूजा, पपीता, सेब और स्ट्राबेरी आदि खाने चाहिए। इन फलों से रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित होता है इसलिये इन्हें खाने से कोई नुकसान नहीं होता। मधुमेह रोगियों को फलो का रस नहीं पीना चाहिये क्योंकि एक तो इसमें चीनी डाली जाती है और दूसारा कि इसमें गूदा हटा दिया जाता है, जिससे शरीर को फाइबर नहीं मिल पाता। तो आइये जानते हैं कि मधुमेह रोगियों को कौन-कौन से फलों का सेवन करना चाहिये।
कीवी
कई रिसर्च के अनुसार यह बात सामने आई है कि कीवी खाने से ब्लड शुगर लेवल कम होता है।
काली जामुन
मधुमेह रोगियो के लिये यह फल बहुत ही लाभकारी है। इसके बीजो़ को पीस कर खाने से मधुमेह कंट्रोल होता है।
अमरख
यदि आप को मधुमेह है तो आप यह फल आराम से खा सकते हैं। पर यदि रोगी को डायबिटीज अपवृक्कता है तो उसे अमरख खाने से पहले डॉक्टर से पूछना चाहिये।
अमरूद
अमरूद में विटामिन ए और विटामिन सी के अलावा फाइबर भी होता है।
चैरी
इसमें जीआई मूल्य 20 होता है जो कि बहुत कम माना जाता है। यह मधुमेह रोगियों के लिये बहुत ही स्वास्थ्य वर्धक मानी जाती है।
आड़ू
इस फल में भी जीआई बहुत कम मात्रा में पाया जाता है और मधुमेह रोगियों के लिये अच्छा माना जाता है।
सेब
सेब में एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।
अनानास
इसमें एंटी बैक्टीरियल तत्व होने के साथ ही शरीर की सूजन कम करने की क्षमता होती है। यह शरीर को पूरी तरह से फायदा पहुंचाता है।
नाशपाती
इसमें खूब सारा फाइबर और विटामिन पाया जाता है जो कि मधुमेह रोगियों के लिये फायदेमंद होता है।
पपीता
इसमें विटामिन और अन्य तरह के मिनरल होते हैं।
अंजीर
इसमें मौजूद रेशे मधुमेह रोगियों के शरीर में इंसुलिन के कार्य को बढावा देते हैं।
संतरा
यह फल रोज खाने से विटामिन सी की मात्रा बढेगी और मधुमेह सही होगा।
तरबूज
यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए तो यह फल मधुमेह रोगियों के लिये अच्छा साबित होगा।
अंगूर
अंगूर का सेवन मधुमेह के एक अहम कारक मेटाबोलिक सिंड्रोम के जोखिम से बचाता है। अंगूर शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है।
अनार
यह फल भी बढे हुए ब्लड शुगर लेवल को कम करने में असरदार है।
खरबूज
इसमें ग्लाइसिमिक इंडेक्स ज्यादा होने के बावजूद भी फाइबर की मात्रा अच्छी होती है इसलिये यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए तो अच्छा होगा।
कटहल
यह फल इंसुलिन लेवल को कम करता है क्योंकि इसमें विटामिन ए, सी, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, कैल्शियम, पौटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम तथा अन्य पौष्टिक तत्व होते हैं।
आमला
इस फल में विटामिन सी और फाइबर होता है जो कि मधुमेह रोगी के लिये अच्छा माना जाता है।
मधुमेह रोगियों का खाना "राज" कैसा हो?
मधुमेह जैसी आजीवन रहने वाली बीमारी की चिकित्सा संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जाना आसान है। गौरतलब है कि मधुमेह या चीनी की बीमारी को मधुमेह रोगी स्वंय अपनी देखभाल करके कंट्रोल कर सकते हैं। विशेष भोजन या हल्का भोजन लेकर मधुमेह आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसमें ध्यान रखने वाली बात होती है कि मधुमेह रोगियों का खाना कैसा हो। आइए जानें मधुमेह रोगियों को खाने में क्या चीज लेनी चाहिए और क्या नहीं।
मधुमेह रोगियों को घुलनशील फाइबर युक्त आहार लेना चाहिए।विशेष भोजन के रूप में मधुमेह रोगी जल्दी पचने वाला आहार ले सकते हैं। मधुमेह रोगी को खाने में हल्दी का सेवन किसी न किसी रूप में ज़रूर करना चाहिए।मधुमेह रोगियों को काब्रोहाइड्रेट के रूप में मोटा अनाज, भूरे चावल, प्रोटीन युक्त पदार्थ, मांस इत्यादि लेना चाहिए। हल्के आहार में मधुमेह रोगी को अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, टोंड दूध इत्यादि लेना फायदेमंद होता है। मधुमेह में संतुलित आहार के साथ-साथ कैलोरी, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट इत्यादि भी भरपूर मात्रा में लेना चाहिए। तरल पदार्थों को बनाते समय उसमें शुगर फ्री खाद्य पदार्थ का ही इस्तेमाल करें जैसे टमाटर की चटनी इत्यादि में शुगर न डालें। अंगूर, जामुन,सेब इत्यादि फलों से भी मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। कम शुगर वाले खाद्य पदार्थ लें जिसमें कम वसा वाले खाने को प्राथमिकता दें। दूध वाली चाय के बजाय ग्रीन टी, लेमन टी, हर्बलटी इत्यादि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। सलाद में हरी सब्जियां की सलाद बना सकते हैं। आप घर की बनी टमाटर की चटनी, सूप और टमाटर ले सकते हैं। खीरा प्याज, नींबू और सामान्य मिर्च मसालों का ही प्रयोग करें।करेला, मेथी दाना का सेवन करें। अधिक समय तक भूखे ना रहें और थोड़े-थोड़े समय में कुछ न कुछ खाते रहें। खाना बनाते समय सरसों का तेल, मूंगफली,सोयाबीन,सूर्यमुखी के तेल का इस्तेमाल करें ये आपको मधुमेह नियंत्रित करने में बहुत मदद करेगा। स्ट्राबेरी, तरबूज़, पपीता, बेर जैसे फल आदि जल्दी पच जाते हैं इसलिए वो आंत में आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। काजू, बादाम और ड्राईफ्रूट्स खाने से भी मधुमेह को बढ़ने से रोका जा सकता है। मधुमेह के मरीज साबुत दाल ,सलाद ,कच्चे मीठे खट्टे फलों के साथ-साथ विटामिन सी, ई कुछ खनिज इत्यादि पौष्टिक आहार को अपने भोजन में शामिल कर मधुमेह को कम कर सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ मैग्निशियम और विटामिन जैसी एंटी-ऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होती हैं जो कि रक्त से शुगर की मात्रा कम करने में लाभकारी भूमिका निभाता है।
वे खाद्य पदार्थ "राज" जो रक्त में शुगर का स्तर बढ़ाते हैं
चीनी नमक गुड़ देसी घी फुलक्रीम दूध घी में तले परांठें आइस्क्रीम मांस अंडा
धूम्रपान व मदिरापान
डायबिटीज के रोगी को आहार में जड़ एवं कंद, मिठाइयाँ, चॉकलेट, तला हुआ भोजन, सूखे मेवे, केला, चीकू, सीताफल इत्यादि चीजों को खाने से बचना चाहिए। इतना ही नहीं मधुमेह नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर के निर्देशानुसार ही कैलोरीज लेनी चाहिए।
मधुमेह को घरेलू इलाज से करें कंट्रोल
मधुमेह बीमारी में रक्त में शर्करा की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। अभी तक इसका कोई स्थाई इलाज सामने निकल कर नहीं आया है। इसलिए अगर आपको डायबीटीज को कंट्रोल करना है, तो अच्छा पौष्टिक आहार और अपने लाइफस्टाइल में परिवर्तन लाना होगा। इस बीमारी को घरेलू इलाज से काफी हद तक कम किया जा सकता है। आइए जानते है मधुमेह को घरेलू इलाज से कैसे कंट्रोल कर सकते हैं।
मधूमेह को ठीक करने के लिए "राज" घरेलू इलाज-
1. करेला- डायबिटीज में करेला काफी फायदेमंद होता है, करेले में कैरेटिन नामक रसायन होता है, इसलिए यह प्राकृतिक स्टेरॉयड के रुप में इस्तेमाल होता है, जिससे खून में शुगर लेवल नहीं बढ़ पाता। करेले के 100 मिली. रस में इतना ही पानी मिलाकर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।
2. मेथी- मधुमेह के रोगियों के लिए मेथी बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप रोज़ 50 ग्राम मेथी नियमित रुप से खाएगें तो निश्चित ही आपका ग्लूकोज़ लेवल नीचे चला जाएगा, और आपको मधुमेह से राहत मिलेगी।
3. जामुन- जामुन का रस, पत्ती़ और बीज मधुमेह की बीमारी को जड़ से समाप्त कर सकता हैं। जामुन के सूखे बीजों को पाउडर बना कर एक चम्मच दिन में दो बार पानी या दूध के साथ लेने से राहत मिलती है।
4. आमला- एक चम्मच आमले का रस करेले के रस में मिला कर रोज पीएं , यह मधुमेह की सबसे अच्छी दवा है।
5. आम की पत्ती – 15 ग्राम ताजे आम के पत्तों को 250 एमएल पानी में रात भर भिगो कर रख दें। इसके बाद सुबह इस पानी को छान कर पी लें। इसके अलावा सूखे आम के पत्तों को पीस कर पाउडर के रूप में खाने से भी मधुमेह में लाभ होता है।
6. शहद- कार्बोहाइर्ड्रेट, कैलोरी और कई तरह के माइक्रो न्यू ट्रिएंट से भरपूर शहद मधुमेह के लिए लाभकारी है। शहद मधुमेह को कम करने में सहायता करता है।
इसके अलावे इनका सेवन करने से भी मधुमेह में आराम मिलता है-
1. एक खीरा, एक करेला और एक टमाटर, तीनो का जूस निकालकर सुबह खाली पेट पीने से मधुमेह नियंत्रित होता है।
2. नीम के सात पत्ते सुबह खाली पेट चबाकर या पीसकर पानी के साथ लेने से मधुमेह में आराम मिलता है।
3. सदाबहार के सात फूल खाली पेट पानी के साथ चबाकर पीने से मधुमेह में आराम मिलता है।
4. जामुन, गिलोय, कुटकी, नीम के पत्ते, चिरायता, कालमेघ, सूखा करेला, काली जीरी, मेथी इन सब को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह-शाम खाली पेट पानी के साथ लें, इससे मधुमेह में आराम मिलता है।
इन आहार से "राज" दूर रहें-
1. मीठे से दूर रहें
वैसे तो ऐसे लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं, जो मीठा खाना पसंद नहीं करते, लेकिन इसके बावजूद वे मधुमेह के शिकार हैं। मधुमेह मीठा खाने के कारण नहीं होता, लेकिन एक बार यह हो जाए तो मरीज को मीठे से दूर रहना पड़ता है। इसलिए कोशिश करें कि मिठाई ना खाएं।
2. जमीन के अंदर उगनेवाले चाजों से बचें
शकरकंदी, अरवी, आलू और ऐसी कई चीजे जो जमीन के अंदर उगती है, उनको ना खाएं या कोशिश करें कि कम से कम मात्रा में इनका सेवन करें।
3. जंक फ़ूड से दूर रहें
जंक फ़ूड बिल्कुल ना खाएं, इससे मधुमेह का खतरा और बढ़ जाता है। साथ ही तली हुई चीजें भी ना खाएं, यह आपकी बीमारी को और बढ़ा देगा। अंकुरित अन्न को उबालकर या भुनकर खाएं पर तलकर नहीं खाएं।
4. सूखा मेवा ना खाएं
अगर आपको मधुमेह है तो आप सूखा मेवा कभी नहीं खाएं, और अगर खाना भी हो तो इन्हे पानी में भिगोकर खा सकते हैं।
5. वसायुक्त भोजन ना करें
मधुमेह से बचना है, तो वसायुक्त भोजन कम लें। वसा या कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने से मधुमेह बढ़ता है। इसलिए वसा या कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा वाला भोजन लेने से मधुमेह से बचाव हो सकता है।
6. चावल ना खाएं
अगर आप रोज एक बड़ा बाउल सफेद चावल खाते हैं, तो आपको टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा सामान्य से 11 प्रतिशत ज्यादा होता है। चावल के पकाने की विधि पर उसके खाने से होने वाला फायदा या नुकसान निर्भर करता है। अगर चावल की बिरयानी बनाई जाए या चावल को मांस या सोयाबीन के साथ खाया जाए, तो डाइबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है। क्योंकि इससे शरीर में रक्त में शर्करा की मात्रा पर असर पड़ सकता है।
7. इन फलों से दूर रहें
केला, आम, लीची जैसे फलों को ना खाएं या कम मात्रा में खाएं, क्योंकि इससे मधूमेह का खतरा बढ़ता है।
8. इनसे भी दूर रहें
अगर आपको मधुमेह हो तो आप आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री आदि से भी परहेज रखें। यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है।
Tuesday, February 28, 2017
इन आसान उपायो के प्रयोग से मात्र 15 दिनों में थाइराइड जैसी बीमारी से मिलेगी राहत !
गौरतलब है, कि मात्र तितली के आकार की थॉयराइड ग्रंथि गले में पाई जाती है. यह ऊर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है और इसलिए यह मास्टर लीवर है. बरहलाल थॉयराइड ग्रंथि की समस्या से ग्रस्त लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वैसे आपको बता दे कि खान पान में अनियमिता के कारण यह समस्या होती है. थायराइड ग्रंथि एक तरह से मास्टर लीवर है जो ऐसे जीन्स का स्राव करती है जिससे कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से करती हैं.
इस ग्रंथि के सही तरीके से काम न कर पाने के कारण कई तरह की समस्याएं भी पैदा होती हैं. गौरतलब है, कि अखरोट इस बीमारी के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऐसे में इस लेख के जरिए हम आपको थॉयराइड फंक्शन और इसके उपचार के लिए अखरोट के सेवन के बारे में बताने जा रहे है.
क्या है थायराइड की समस्या.. थायराइड को साइलेंट किलर भी माना जाता है, क्योंकि इस बीमारी के लक्षण व्यक्ति को धीरे धीरे पता चलते हैं और जब तक इस बीमारी का निदान होता है, तब तक देर हो चुकी होती है. आपको बता दे कि इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है, लेकिन ज्यादातर चिकित्सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते, जिससे ऑटो इम्युनिटी दिखाई देती है.
थायराइड की समस्या दो प्रकार की होती है. एक तो हाइपोथॉयराइडिज्म और दूसरी हाइपरथॉयराइडिज्म होती है. चलिए आपको इनके बारे में विस्तार से बताते है.
जब थॉयराइड ग्रंन्थि से अधिक हॉर्मोन बनने लगे तो हाइपरथॉयरॉइडिज्म और जब कम हार्मोन बनने लगे तो ये हाइपोथायरॉइडिज्म होता है. इसके इलावा थॉयराइड की समस्या होने पर थकान, आलस, कब्ज का होना, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक ठंड लगना, भूलने की समस्या, वजन कम होना, तनाव और अवसाद जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. थाइरॉइड हमारे शरीर की कार्यपद्धति मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके इलावा शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
दरअसल इन मेटाबालिज्म क्रियाओं से ये निर्धारित होता है कि शरीर में बनी ऊर्जा को कब स्टोर किया जाए और कब, कितना यूज किया जाए. इसलिए शरीर में उपस्थित थाइरॉइड ग्लैंड में किसी भी तरह की अनियमितता होने पर पूरे शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है. इस ग्र्रंथि में अनियमितता होने पर सामान्यत हाइपोथाइरॉइडिज्म, हाइपरथाइरॉइडिज्म, गठान होना या कैंसर होने जैसी समस्याएं होती है. ऐसे में अगर आपके साथ भी थाइरॉइड की ग्रंथि की अनियमितता से जुड़ी कोई समस्या हो तो इन प्राकृतिक उपायों को जरूर अपनाएं.
थायराइड में अनियमितता के लक्षण..
हार्मोनल बदलाव.. महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है. वैसे आपको बता दे कि हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते ही हैं. इसके इलावा थाइरॉइड की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है.
मोटापा.. हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से वजन बढ़ता है. इतना ही नहीं इससे शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है. तो वहीं हाइपरथाइरॉइड की स्थिति में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है.
थकान, अवसाद या घबराहट.. अगर अधिक मेहनत किए बिना ही आप थकान महसूस करते हैं या छोटी छोटी बातों पर आपको घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड हो सकती है.
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द.. हाइपोथाइरॉडड यानि शरीर में टीएसएच अधिक और टी थ्री, टी फोर कम होने पर मांसपेशियों और जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है.
गर्दन में सूजन.. थाइरॉइड बढऩे पर गर्दन में सूजन की संभावना भी बढ़ जाती है. इसलिए यदि गर्दन में सूजन या भारीपन का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
बालों और त्वचा की समस्या.. इसके इलावा हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन, बालों का झडऩा, भौंहों के बालों का झडऩा जैसी समस्याएं होती हैं. जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से झडऩा और संवेदनशील त्वचा जैसे लक्षण दिखाई देते है.
पेट खराब होना.. गौरतलब है, कि लंबे समय तक कान्सटिपेशन की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है. जब कि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार बार होती है.
थायराइड से बचने के चमत्कारी घरेलू उपाय..
आँवला चूर्ण और शहद.. आपको लग रहा होगा कि आँवला, चूर्ण और शहद तो साधारण सी चीजे है, लेकिन आपको बता दे कि अभी तक थायराइड से ग्रसित जितने भी रोगी थे उनको यही उपाय बताया गया और उन्हें सौ प्रतिशत इसका परिणाम भी अच्छा मिला है. इसका असर 15 दिनों में ही आपको महसूस होने लगेगा. आप सुबह उठते ही खाली पेट एक चम्मच शहद और ध्यान रहे कि ऑर्गेनिक शहद कम से कम 10 ,15 ग्राम शहद मिक्स कर के ऊँगली से चाटे.
ये प्रक्रिया रात को खाना खाने के 2 घंटे बाद या सोते वक़्त भी दोहराएं. इसका परिणाम आपके सामने होगा. वैसे ये बेहद आसान उपाय तो है ही और साथ ही ये आपके लिए कारगर भी सिद्ध होगा. वैसे आप अपना अनुभव औषधि सेवन के कुछ दिन बाद हमसे जरूर शेयर करे.
अश्वगंधा.. शहद के इलावा अश्वगंधा भी चमत्कारी दवा के रूप में कार्य करता है. अश्वगंधा का सेवन करने से थायराइड की अनियमितता पर नियंत्रण होता है. साथ ही अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है और कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है.
समुद्री घास.. समुद्री घास भी थाइरॉइड ग्रंथि को नियमित बनाने के लिए एक रामबाण दवा की तरह काम करती है. समुद्री घास के सेवन से शरीर को मिनरल्स और आयोडीन मिलता है. इसलिए समुद्री घास का सेवन इस बीमारी में लाभदायक होता है. इसके इलावा इससे मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट भी स्किन को जवान बनाएं रखते हैं.
नींबूं की पत्तियां .. नींबू की पत्तियों का सेवन थाइरॉइड को नियमित करता हैं. दरअसल मुख्य रूप से इसका सेवन थाइरॉक्सिन के अत्याधिक मात्रा में बनने पर रोक लगाता है. साथ ही इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीना भी इस बीमारी में रामबाण औषधि का काम करती है.
ग्रीन ओट्स .. थाइरॉइड में ग्रीन ओट्स एक नेचुरल औषधि की तरह कार्य करते है. ये शरीर में हो रही थाइरॉक्सिन की अधिकता और उसके कारण हो रही समस्याओं को मिटाते है.
अखरोट.. गौरतलब है कि अखरोट में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्या के उपचार में फायदेमंद है. इसके इलावा आपको बता दे कि 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है. अखरोट के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. अखरोट से सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्म की स्थिति में मिलता है.
सेलेनियम.. थॉयराइड ग्रंथि में सेलीनियम उच्च सांद्रता में पाया जाता है. इसे थायराइड सुपर न्युट्रीएंट भी कहा जाता है. यह थॉयराइड से सम्बंधित अधिकांश एंजाइम्स का एक प्रमुख घटक द्रव्य है, जिसके सेवन से थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करने लगती है. यह ऐसा आवश्यक सूक्ष्म तत्व है जिस पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सहित प्रजनन आदि अनेक क्षमतायें भी निर्भर करती है.
मतलब अगर शरीर में इस तत्व की कमी हो गई तो रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. इसलिए खाने में पर्याप्त मात्रा में सेलेनियम के सेवन की सलाह दी जाती है. अखरोट के इलावा सेलेनियम बादाम में भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है!
नमक का सेवन बढ़ाना और व्यायाम करना.. थॉयराइड ग्रंथि की समस्या होने पर नमक का सेवन बढ़ा देना चाहिए. इसके इलावा स्वस्थ खानपान और नियमित रूप से व्यायाम को अपनी दिनचर्या में जरूर अपनाएं.
धनिये का प्रयोग.. थाइरॉइड के लिए हरे पत्ते वाले धनिये की ताजा चटनी बना कर एक बडा चम्मच एक गिलास पानी में घोल कर रोजाना पीए. इससे आप एक दम ठीक हो जाएंगे.
उज्जायी प्राणायाम.. इस उपाय में पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें. फिर अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें. अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि और कम्पन उत्पन्न होने लगे. इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें. प्राणायाम प्रात नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट करें.
एक्युप्रेशर चिकित्सा.. एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार थायरायड और पैराथायराइड के प्रतिबिम्ब केंद्र दोनों हांथो और पैरों के अंगूठे के बिलकुल नीचे और अंगूठे की जड़ के नीचे ऊँचे उठे हुए भाग में स्थित होते हैं. थायरायड के अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों पर घडी की सुई की दिशा में अर्थात बाएं से दायें तरफ प्रेशर दें तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं देना चाहिए.
इसके साथ ही पीयूष ग्रंथि के भी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देना चाहिए. प्रत्येक केंद्र पर एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार प्रेशर दें. पीयूष ग्रंथि के केंद्र पर पम्पिंग विधि से प्रेशर देना चाहिए. इससे आपका थायराइड बिलकुल सही हो जाएगा.
Friday, February 24, 2017
जूस पीने के आश्चर्यजनक फायदे
जानिए किस प्रोब्लम के लिए कौन-कौन सा जूस लाभदायक हैं
भूख लगाने के हेतुः प्रातःकाल खाली पेट नींबू का पानी पियें। खाने से पहले अदरक का कचूमर सैंधव नमक के साथ लें।
रक्तशुद्धिः नींबू, गाजर, गोभी, चुकन्दर, पालक, सेव, तुलसी, नीम और बेल के पत्तों का रस।
दमाः लहसुन, अदरक, तुलसी, चुकन्दर, गोभी, गाजर, मीठी द्राक्ष का रस, भाजी का सूप अथवा मूँग का सूप और बकरी का शुद्ध दूध लाभदायक है। घी, तेल, मक्खन वर्जित है।
उच्च रक्तचापः गाजर, अंगूर, मोसम्मी और ज्वारों का रस। मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है।
निम्न रक्तचापः मीठे फलों का रस लें, किन्तु खट्टे फलों का उपयोग न करें। अंगूर और मोसम्मी का रस अथवा दूध भी लाभदायक है।
पीलियाः अंगूर, सेव, रसभरी, मोसम्मी। अंगूर की अनुपलब्धि पर लाल मुनक्के तथा किसमिस का पानी। गन्ने को चूसकर उसका रस पियें। केले में 1.5 ग्राम चूना लगाकर कुछ समय रखकर फिर खायें।
मुहाँसों के दागः गाजर, तरबूज, प्याज, तुलसी और पालक का रस
संधिवातः लहसुन, अदरक, गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी, हरा धनिया, नारियल का पानी तथा सेव और गेहूँ के ज्वारे।
एसीडिटीः गाजर, पालक, ककड़ी, तुलसी का रस, फलों का रस अधिक लें। अंगूर मोसम्मी तथा दूध भी लाभदायक है।
कैंसरः गेहूँ के ज्वारे, गाजर और अंगूर का रस।
सुन्दर बनने के लिएः सुबह-दोपहर नारियल का पानी या बबूल का रस लें। नारियल के पानी से चेहरा साफ करें।
फोड़े-फुन्सियाँ- गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी और नारियल का रस।
कोलाइटिसः गाजर, पालक, पत्ता गोभी और पाइनेपल का रस। 70 प्रतिशत गाजर के रस के साथ अन्य रस समप्राण। चुकन्दर, नारियल, ककड़ी, पत्ता गोभी के रस का मिश्रण भी उपयोगी है।
अल्सरः अंगूर, गाजर, पत्ता गोभी का रस। केवल दुग्धाहार पर रहना आवश्यक है।
सर्दी-कफः मूली, अदरक, लहसुन, तुलसी, गाजर का रस, मूँग अथवा भाजी का सूप।
ब्रोन्काइटिसः पपीता, गाजर, अदरक, तुलसी, पाइनेपल का रस, मूँग का पानी लेवे |
टांसिल के घरेलू उपचार
गला जहाँ से शुरू होता है वहीं प्रवेश द्वार पर एक लोरी होती है माँस के छोटे, पतले व लंबे टुकड़े की भांति, इसे घाटी भी कहते हैं। इसमें जब सूजन आ जाता है तो इसे टांसिल या घाटी बढ़ना कहते हैं। देखने में छोटा यह लोरी जैसा माँस का टुकड़ा शरीर की सारी क्रियाओं को संतुलित करता है, जब इस लोरी में असंतुलन पैदा होता तो शरीर के पंचतत्वों में भी असंतुलन पैदा होने लगता है और इसकी वजह से कई प्रकार के रोग जन्म लेने लगते हैं। छोटे बच्चों में टांसिल्स या घाटी बढ़ जाने की वजह से वह कुछ पिलाने पर उल्टी कर देते हैं।
पहले गांवों में कुछ ऐसी वैद्य महिलाएं होती थीं जो राख से घाटी को दबाकर ठीक कर देती थीं। लेकिन अब कोई यह जोखिम नहीं लेता है और चिकित्सक की सलाह पर दवा करना ज़्यादा पसंद करता है। आइए टांसिल के बारे में सही जानकारी प्राप्त करते हैं।
Tonsils problem in a child
टांसिल्स के प्रकार
टांसिल्स दो तरह के होते हैं।
– पहले प्रकार में दोनों तरफ़ या एक तरफ़ के टांसिल में सूजन आता है और वह सुपारी की तरह मोटा हो जाता है। उसके बाद उपजिह्वा में भी सूजन होकर वह रक्त वर्ण की हो जाती है। धीरे-धीरे यह खाने-पीने की नली को भी संक्रमित कर देता है और कुछ भी खाने-पीने में दर्द होता है। यह दर्द कान तक फैल जाता है। इस अवस्था में 103 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बुखार चढ़ सकता है, जबड़े में दर्द हो सकता है तथा मुंह पूरा खुलता नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि समय पर उचित इलाज न मिला तो टांसिल पक कर फूट सकता है।
– दूसरे तरह के टांसिल क्रोनिक होते हैं। जिसे बार-बार टांसिल्स की बीमारी होती हैं, वह क्रोनिक हो जाती है। टांसिल का आकर बड़ा हो जाता है और सांस लेने व छोड़ने में तकलीफ़ होने लगती है।
टांसिल के मुख्य कारण
– चावल, मैदा, ठंडे पेय पदार्थ, खट्टी चीज़ों का ज़्यादा सेवन टांसिल्स का मुख्य कारण है।
– मौसम में अचानक परिवर्तन, गर्मी से अचानक ठंडे मौसम में आ जाना व सर्दी लगने से भी टांसिल्स हो सकते हैं।
टांसिल के लक्षण
टांसिल होने पर ठंड लगने के साथ बुखार चढ़ता है। कुछ भी खाने-पीने में तकलीफ़ होती है और उसका स्वाद नहीं मिलता है। गले में तेज़ दर्द होता है, यहाँ तक कि थूक निगलने में भी दिक्कत होती है ।
टांसिल के घरेलू उपचार
– टांसिल यदि हो गया है तो गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने से लाभ मिलता है, सूजन कम हो जाती है।
– दालचीनी या तुलसी की मंजरी का एक चुटकी चूर्ण, मधु में मिलाकर दिन में नियमित तीन बार सेवन करने से आराम मिलता है।
– एक चम्मच अजवायन एक गिलास पानी में उबाल लें और उसे ठंडा करके गरारा करने से लाभ होगा।
– हल्दी का चूर्ण दो चुटकी व काली मिर्च का चूर्ण आधी चुटकी लेकर एक चम्मच अदरक के रस में मिलाकर आग पर गर्म कर लें। रात को सोते समय मधु में मिलाकर इसका सेवन करें। नियमित दो-तीन दिन के प्रयोग से ही टांसिल का सूजन चला जाता है।
– पानी में सिंघाड़ा उबाल लें और उसी पानी से कुल्ला करें। लाभ मिलेगा।
सावधानी
टांसिल्स की समस्या है तो बिना नमक की उबली हुई सब्ज़ियों का प्रयोग करना चाहिए। मिर्च-मसाला, तेल, खट्टी व ठंडी चीज़ों के सेवन से परहेज़ करना चाहिए।