Wednesday, May 23, 2018

त्रिदोष नाशक दाल

वात, कफ और पित्त की समस्या को दूर करने के लिए ऐसे करें मूंग दाल का सेवन !

मूंग की छिलके वाली दाल को स्टील के बर्तन में पकाकर यदि शुद्ध देसी घी में हींग-जीरे से छौंककर खाया जाये तो यह वात-पित्‍त और कफ तीनों दोषों को शांत करती है। इस दाल का प्रयोग रोगी व निरोगी दोनों कर सकते हैं। 

मूंग की छिलका​ दाल – वात, कफ और पित्त का संतुलन बिगड़ने से हमारा शरीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है. हालांकि अधिकांश लोग वात, कफ और पित्त के बारे में नहीं जानते हैं.

अगर आप भी नहीं जानते हैं तो हम आपको बता दें कि सिर से लेकर छाती के बीच तक के रोग कफ के बिगड़ने से होते हैं.

जबकि छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक होनेवाले रोग पित्त के बिगड़ने की वजह से होते हैं. तो वहीं कमर से लेकर घुटने और पैरों के आखिर तक होनेवाली बीमारियां वात के बिगड़ने से होती हैं.

लेकिन आप मूंग की छिलका​ दाल की मदद से वात, कफ और पित्त की समस्या को दूर करके खुद को कई बीमारियों से बचा सकते हैं. लेकिन इससे पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि आखिर वाक, पित्त और कफ दोष होता क्या है।

वात, कफ और पित्त दोष है क्या ?

शरीर में वात, कफ और पित्त के बीच संतुलन के बिगड़ने से ही हमारा शरीर कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है. हालांकि ये कोई दोष नहीं बल्कि ये धातुएं है जो हर इंसान के शरीर में मौजूद होती हैं और उसे स्वस्थ रखती हैं. जब शरीर के भीतर मौजूद ये धातुएं दूषित या विषम होकर रोग पैदा करती हैं तब ये दोष में तब्दील हो जाती है.

वात, पित्त और कफ के असंतुलन से होनेवाली समस्या को त्रिदोष कहते हैं. इन तीनों के असंतुलन से होनेवाली बीमारियों से निजात पाने के लिए त्रिदोष को फिर से संतुलन में लाना पड़ता है.

वात, कफ और पित्त दोष के लक्षण

पित्त- 14 से 60 साल की उम्र के बीच अगर कोई पित्त दोष से होनेवाली बीमारियों से परेशान है तो उसके अंदर बार-बार पेटदर्द का होना, गैस बनना, खट्टी डकारे आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

कफ- बच्चे के जन्म से लेकर 14 साल की उम्र तक कफ का संतुलन बिगड़ने से बार-बार खांसी, सर्दी, छींक की समस्या जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

वात- बुढ़ापे के दौरान शरीर में वात का संतुलन बिगड़ने के चलते लोग इससे होनेवाली बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं. ऐसे में घुटने और जोड़ों में सबसे ज्यादा दर्द होता है.

मूंग की छिलका​ दाल से दूर करें वात,कफ और पित्त

वैसे तो लोग खाने में कई तरह की दालें खाते हैं लेकिन इन सबमें मूंग की दाल ही एकमात्र ऐसी दाल है जो सबसे पौष्टिक है और इसमें विटामिन ए, बी, सी, ई भरपूर मात्रा में पाई जाती है.

मूंग की दाल में पोटैशियम, आयरन, कैल्शियम, मैग्निशियम, कॉपर, राइबोफ्लेविन, फाइबर और फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है और इस दाल की खासियत है कि इसमें कैलोरी की मात्रा एकदम कम होती है.

वात, कफ और पित्त दोष से निजात पाने के लिए मूंग की छिलके वाली दाल को पकाकर इसमें शुद्ध देसी घी से हींग और जीरे का तड़का लगाकर खाना चाहिए. इस तरह से बनाई गई दाल का सेवन करने से आप अपने शरीर के इस त्रिदोष को शांत कर सकते हैं.

गौरतलब है कि मूंग की दाल का सेवन स्वस्थ और बीमार लोग भी कर सकते हैं. इसलिए अगर आप भी वात, पित्त और कफ की समस्या से परेशान हैं तो फिर मूंग की दाल का सेवन करके अपने शरीर को स्वस्थ और निरोगी बना सकते हैं।

Thursday, May 10, 2018

ध्यान दें और बचें इन 10 मॉर्निंग मिस्टेक्स से

 कहते हैं, अगर सुबह की शुरुआत अच्छी हो, तो दिन अच्छा गुज़रता है, लेकिन अगर शुरुआत ही ग़लत हो, तो उसके परिणाम तो ग़लत ही होंगे ना! अमूमन हर व्यक्ति सुबह-सुबह ऐसी कई ग़लतियां करता है, जिसका सीधा असर उसकी हेल्थ पर पड़ता है. ये मॉर्निंग मिस्टेक्स न स़िर्फ हमारा दिन ख़राब कर सकती हैं, बल्कि लंबे समय तक इनका दोहराव हमें कई हेल्थ प्रॉब्लम्स भी दे सकता है।


झटके से उठकर काम में लग जाना

दिन की शुरुआत धीरे-धीरे व शांति से करनी चाहिए. आंख खुलने पर थोड़ी देर रिलैक्स रहें, फिर दाईं करवट लेकर उठ जाएं. दाईं करवट लेकर उठने से सुप्त अवस्था में शिथिल पड़ी ऊर्जा का पूरे शरीर में बेहतर संचार होता है. यह शरीर में ऊर्जा के संचार को संतुलित करता है. आराम से उठकर कुछ देर लंबी व गहरी सांसें लें, अगर प्यास लगी हो, तो एक ग्लास पानी पीएं.

स्ट्रेचिंग न करना

सोते व़क्त हमारे शरीर की मांसपेशियां, ख़ासतौर से रीढ़ की हड्डी सख़्त हो जाती है, जिसे सामान्य करने के लिए सोकर उठने पर शरीर को स्ट्रेच करें. अंगड़ाई लें. तीन-चार बार शरीर को स्ट्रेच करें और बांहें फैलाकर सुबह की पॉज़िटिव एनर्जी को ख़ुद में महसूस करें. ऐसा करने से दिनभर शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति बनी रहती है.

नींबू पानी की जगह चाय पीना

हेल्थ व फिटनेस एक्सपर्ट्स के मुताबिक़, ज़्यादातर लोग सुबह चाय पीने की मॉर्निंग मिस्टेक करते हैं. बहुत से लोगों को बेड टी की आदत होती है, जो उनकी हेल्थ के लिए सही नहीं. खाली पेट चाय कभी न पीएं. अपने दिन की शुरुआत हमेशा नींबू पानी से करें, क्योंकि यह शरीर से टॉक्सिन निकालकर आपके मेटाबॉलिज़्म व इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है. इसके बाद अगर आप चाहें, तो ग्रीन टी पीएं.

ब्रेकफास्ट न करना

ब्रेकफास्ट न करना डायबिटीज़, मोटापा और रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी कारण बनता है. हॉर्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुताबिक़ ब्रेकफास्ट न करने से हमारे शरीर पर अतिरिक्त तनाव पड़ता है. दरअसल, रात के खाने और सुबह के ब्रेकफास्ट के बीच लंबा गैप होता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल कम होता है. अगर सोकर उठने के एक घंटे के अंदर हम कुछ नहीं खाते, तो ब्लड शुगर का स्तर और गिर जाता है, जिससे सुस्ती महसूस होती है. इसके अलावा ज़्यादातर लोग चाय-बिस्किट से दिन की शुरुआत करते हैं, जबकि आपको भिगोए हुए बादाम, होल व्हीट ब्रेड, रोटी या किसी फल से अपने दिन की शुरुआत करनी चाहिए.

आंखें खोलते ही मोबाइल चेक करना

सुबह-सुबह नींद खुलने पर बहुत से लोगों का हाथ सबसे पहले अपने मोबाइल फोन को ढूंढ़ता है. आंखें मलते हुए ज़रूरी ईमेल्स या मैसेजेस चेक करने से आपको स्ट्रेस हो सकता है, जो आपका पूरा दिन ख़राब कर सकता है. सुबह-सुबह का तनाव आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं, इसलिए सोकर उठने के तुरंत बाद ही ईमेल्स चेक न करें.

एक्सरसाइज़ न करना

न्यूट्रीशन, एक्सरसाइज़, पॉज़िटिव सोच और आराम हमारी सेहत के चार स्तंभ हैं. अगर इनमें से एक भी कमज़ोर रहा, तो हेल्थ प्रॉब्लम्स होना लाज़मी है. हर रोज़ सुबह हमें आधा घंटा एक्सरसाइज़ के लिए देना चाहिए. मॉर्निंग वॉक, योग, प्राणायाम आदि को अपने रूटीन में शामिल करें.

मुस्कुराने में कंजूसी करना

आपकी मुस्कान आपकी सेहत को और बेहतर बनाती है, यही वजह है कि सुबह-सुबह आपको बहुत से लाफ्टर क्लब देखने को मिल जाएंगे. सुबह-सुबह हंसने-मुस्कुराने से आपका इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है, हार्ट बीट सामान्य रहती है और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, इसलिए मुस्कुराने में कंजूसी न करें और खुलकर हंसें-मुस्कुराएं.

रोज़ाना एक ही एक्सरसाइज़ करना

ज़्यादातर लोग यह मॉर्निंग मिस्टेक करते हैं. शरीर के एक हिस्से को फोकस करके एक ही एक्सरसाइज़ को रोज़ाना दोहराते हैं, जिससे उस हिस्से पर एक्स्ट्रा प्रेशर पड़ता है, जो ठीक नहीं है. हफ़्ते में 2 दिन साइकलिंग, तीन दिन वर्कआउट और दो दिन किसी स्पोर्ट्स को दिया जा सकता है. इससे न स़िर्फ आपके रूटीन में बदलाव आता है, बल्कि आपका मेटाबॉलिज़्म भी मज़बूत होता है.

चिड़चिड़ेपन और ग़ुस्से में रहना

सुबह-सुबह उठते ही दिन में करनेवाले कामों को याद करके उन पर ग़ुस्सा होने या अपनेरूटीन को कोसने से आपकी हेल्थ अच्छी नहीं होती, बल्कि आप अपनी सेहत को ख़ुद नुक़सान पहुंचाते हैं. ग़ुस्सा और चिड़चिड़ापन पॉज़िटिव एनर्जी को ब्लॉक करता है, जिससे आप नेगेटिव एनर्जी से घिरे रहते हैं और वो किसी की सेहत के लिए ठीक नहीं. माना कि आजकल सभी को उठकर दिनभर के काम याद आते हैं, पर उन विचारों को कंट्रोल करना आपके ही हाथ में है. ख़ुद को ख़ुश रखें और स्वस्थ रहें.

एक दिन पहले प्लानिंग न करना

आजकल सभी की ज़िंदगी भागदौड़ भरी हो गई है, ऐसे में मिनट दर मिनट नपा-तुला होता है. इसमें ज़रा-सा भी फेरबदल आपको बेवजह का तनाव दे देता है और आप झल्लाने-चिढ़ने लगते हैं, जिससे आपके हार्ट पर प्रेशर पड़ता है और आप अपनी ही सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं. इसलिए अगले दिन की सारी तैयारी रात को ही करके रखें, चाहे वो कपड़े, खाना या काम की कोई तैयारी हो. इससे सारे काम आसानी और सहजता से पूरे हो जाएंगे और आप दिनभर ख़ुश व उत्साहित भी रहेंगे.

आज़माएं ये मॉर्निंग मैजिक ट्रिक्स

–    रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले ईश्‍वर को सभी चीज़ों के लिए धन्यवाद कहें.

–    बिस्तर से उठकर आईना देखें और ख़ुद को देखकर मुस्कुराएं. आपके चेहरे की ये मुस्कान दिनभर आपके साथ रहेगी.

–    आईने में देखकर ख़ुद से कहें कि आज आपका दिन बहुत अच्छा होगा.

–    खाली पेट एक ग्लास गुनगुना पानी पीएं. यह आपके बॉडी से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है.

–   नित्य क्रिया से निपटकर योग या एक्सरसाइज़ करें. अगर मुमकिन हो, तोे वॉक पर चले जाएं या साइकलिंग करें. यह आपके एनर्जी लेवल को बूस्ट करता है.

–    चाय-कॉफी की बजाय नींबू पानी और हैवी ब्रेकफास्ट करें.

–    पूरे दिन के कामों की लिस्ट देखकर प्राथमिकता के अनुसार काम सेट करें.

–   समय के अनुसार काम करें. अगर कभी देर हो जाती है, तो बेवजह स्ट्रेस न लें, क्योंकि आपके स्ट्रेस लेने से चीज़ें बेहतर नहीं हो जाएंगी.

–    कभी-कभी हम ट्रैफिक में फंस जाते हैं, तब भी बेचैन होते रहते हैं. उस व़क्त की बेचैनी और तनाव का असर आपकी सेहत पर ही पड़ेगा, इसलिए शांत रहें.

–    ज़रूरी नहीं कि चीज़ें और हालात हमेशा आपके अनुसार ही हों. ऐसे में संयम बहुत ज़रूरी है. संयम और शांति से काम करनेवाले हमेशा ख़ुशहाल और संतुष्ट रहते हैं.

–    ये मॉर्निंग मैजिक ट्रिक्स आपके दिन को एक अच्छी शुरुआत देंगे.

–    तो आज से ही इन छोटी-छोटी मॉर्निंग मिस्टेक्स से बचें और हेल्दी व फिट रहें।

Tuesday, May 1, 2018

ये है वैज्ञानिक कारण की किस दिशा में रात को सोना चाहिए, ज़रूर जाने


आज हम आपको अपनी इस  पोस्ट के  माध्यम से किस दिशा में सोना चाहिए उसका वैज्ञानिक कारण सहीत फ़ायदे और किस दिशा में नही सोना चाहिए उसके हानिकारक प्रभाव के बारे में बताएँगे।  उत्तर दिशा में सिर रख कर सोने के लिए अकसर हमें मना किया जाता है।
क्या ये नियम पूरी दुनिया में सभी स्थानों पर लागू होता है?
क्या है इसका विज्ञान?
कौनसी दिशा सोने के लिए सबसे अच्छी है?

सोते वक़्त दिशाओ का बहुत परभाव पड़ता है

किस दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए-

आपका दिल शरीर के निचले आधे हिस्से में नहीं है, वह तीन-चौथाई ऊपर की ओर मौजूद है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ रक्त को ऊपर की ओर पहुंचाना नीचे की ओर पहुंचाने से ज्यादा मुश्किल है। जो रक्त शिराएं ऊपर की ओर जाती हैं, वे नीचे की ओर जाने वाली धमनियों के मुकाबले बहुत परिष्कृत हैं। वे ऊपर मस्तिष्क में जाते समय लगभग बालों की तरह होती हैं। इतनी पतली कि वे एक फालतू बूंद भी नहीं ले जा सकतीं।

अगर एक भी अतिरिक्त बूंद चली गई, तो कुछ फट जाएगा और आपको हैमरेज (रक्तस्राव) हो सकता है। ज्यादातर लोगों के मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है। यह बड़े पैमाने पर आपको प्रभावित नहीं करता मगर इसके छोटे-मोटे नुकसान होते हैं। आप सुस्त हो सकते हैं, जो वाकई में लोग हो रहे हैं। 35 की उम्र के बाद आपकी बुद्धिमत्ता का स्तर कई रूपों में गिर सकता है जब तक कि आप उसे बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत नहीं करते। आप अपनी स्मृति के कारण काम चला रहे हैं, अपनी बुद्धि के कारण नहीं। पारंपरिक रूप से आपसे यह भी कहा जाता है कि सुबह उठने से पहले आपको अपनी हथेलियां रगड़नी चाहिए और अपनी हथेलियों को अपनी आंखों पर रखना चाहिए।

दक्षिण दिशा की ओर सिर रखने के फायदे –

दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना बेहतर माना गया है. ऐसी स्थ‍िति में स्वाभाविक तौर पर पैर उत्तर दिशा में रहेगा. शास्त्रों के साथ-साथ प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, सेहत के लिहाज से इस तरह सोने का निर्देश दिया गया है। यह मान्यता भी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है।क्योकि सोते समय सही दिशा का बहुत परभाव पड़ता है

उत्तर की ओर क्यों न रखें सिर
दरअसल, पृथ्वी में चुम्बकीय शक्ति होती है. इसमें दक्षिण से उत्तर की ओर लगातार चुंबकीय धारा प्रवाहित होती रहती है. जब हम दक्षिण की ओर सिर करके सोते हैं, तो यह ऊर्जा हमारे सिर ओर से प्रवेश करती है और पैरों की ओर से बाहर निकल जाती है. ऐसे में सुबह जगने पर लोगों को ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है।इसलिए दक्षिण की तरफ सिर कर के सोना चाहिए ताकि आप सुबह ताजगी महसूस करे

अगर इसके विपरीत करें सिर –

इसके विपरीत, दक्षिण की ओर पैर करके सोने पर चुम्बकीय धारा पैरों से प्रवेश करेगी है और सिर तक पहुंचेगी. इस चुंबकीय ऊर्जा से मानसिक तनाव बढ़ता है और सवेरे जगने पर मन भारी-भारी रहता है।और कई बार सिर दर्द जैसी समस्या भी हो जाती है

पूरब की ओर भी रख सकते हैं सिर 
दूसरी स्थ‍िति यह हो सकती है कि सिर पूरब और पैर पश्चिम दिशा की ओर रखा जाए. कुछ मान्यताओं के अनुसार इस स्थि‍ति को बेहतर बताया गया है. दरअसल, सूरज पूरब की ओर से निकलता है. सनातन धर्म में सूर्य को जीवनदाता और देवता माना गया है. ऐसे में सूर्य के निकलने की दिशा में पैर करना उचित नहीं माना जा सकता. इस वजह से पूरब की ओर सिर रखा जा सकता है।इसलिए कभी भी पूरब की तरफ पैर  कर के ना सोये

कुछ जरूरी निर्देश

शास्त्रों में संध्या के वक्त, खासकर गोधूलि बेला में सोने की मनाही है।सोने से करीब 2 घंटे पहले ही भोजन कर लेना चाहिए। सोने से ठीक पहले कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए।अगर बहुत जरूरी काम न हो तो रात में देर तक नहीं जागना चाहिए।जहां तक संभव हो, सोने से पहले चित्त शांत रखने की कोशि‍श करनी चाहिए।सोने से पहले प्रभु का स्मरण करना चाहिए और इस अनमोल जीवन के लिए उनके प्रति आभार जताना चाहिए।

विनम्र विनती :

हम चाहते हैं कि हर भारतीय अंग्रेजी दवाओं की बजाय घरेलु नुस्खों और आयुर्वेद को ज्यादा अपनाये.

अगर आपको इससे कोई फायदा लगे तो इसे शेयर करके औरों को भी बताएं.

हम आपके बेहतर जीवन की कामना करते हैं और आप तक ले कर आते हैं सेहत, जीवन शैली, योग, आयुर्वेद और अन्य खबरें एवं लेख! 
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