वात, कफ और पित्त की समस्या को दूर करने के लिए ऐसे करें मूंग दाल का सेवन !
मूंग की छिलके वाली दाल को स्टील के बर्तन में पकाकर यदि शुद्ध देसी घी में हींग-जीरे से छौंककर खाया जाये तो यह वात-पित्त और कफ तीनों दोषों को शांत करती है। इस दाल का प्रयोग रोगी व निरोगी दोनों कर सकते हैं।
मूंग की छिलका दाल – वात, कफ और पित्त का संतुलन बिगड़ने से हमारा शरीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है. हालांकि अधिकांश लोग वात, कफ और पित्त के बारे में नहीं जानते हैं.
अगर आप भी नहीं जानते हैं तो हम आपको बता दें कि सिर से लेकर छाती के बीच तक के रोग कफ के बिगड़ने से होते हैं.
जबकि छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक होनेवाले रोग पित्त के बिगड़ने की वजह से होते हैं. तो वहीं कमर से लेकर घुटने और पैरों के आखिर तक होनेवाली बीमारियां वात के बिगड़ने से होती हैं.
लेकिन आप मूंग की छिलका दाल की मदद से वात, कफ और पित्त की समस्या को दूर करके खुद को कई बीमारियों से बचा सकते हैं. लेकिन इससे पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि आखिर वाक, पित्त और कफ दोष होता क्या है।
वात, कफ और पित्त दोष है क्या ?
शरीर में वात, कफ और पित्त के बीच संतुलन के बिगड़ने से ही हमारा शरीर कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है. हालांकि ये कोई दोष नहीं बल्कि ये धातुएं है जो हर इंसान के शरीर में मौजूद होती हैं और उसे स्वस्थ रखती हैं. जब शरीर के भीतर मौजूद ये धातुएं दूषित या विषम होकर रोग पैदा करती हैं तब ये दोष में तब्दील हो जाती है.
वात, पित्त और कफ के असंतुलन से होनेवाली समस्या को त्रिदोष कहते हैं. इन तीनों के असंतुलन से होनेवाली बीमारियों से निजात पाने के लिए त्रिदोष को फिर से संतुलन में लाना पड़ता है.
वात, कफ और पित्त दोष के लक्षण
पित्त- 14 से 60 साल की उम्र के बीच अगर कोई पित्त दोष से होनेवाली बीमारियों से परेशान है तो उसके अंदर बार-बार पेटदर्द का होना, गैस बनना, खट्टी डकारे आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
कफ- बच्चे के जन्म से लेकर 14 साल की उम्र तक कफ का संतुलन बिगड़ने से बार-बार खांसी, सर्दी, छींक की समस्या जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
वात- बुढ़ापे के दौरान शरीर में वात का संतुलन बिगड़ने के चलते लोग इससे होनेवाली बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं. ऐसे में घुटने और जोड़ों में सबसे ज्यादा दर्द होता है.
मूंग की छिलका दाल से दूर करें वात,कफ और पित्त
वैसे तो लोग खाने में कई तरह की दालें खाते हैं लेकिन इन सबमें मूंग की दाल ही एकमात्र ऐसी दाल है जो सबसे पौष्टिक है और इसमें विटामिन ए, बी, सी, ई भरपूर मात्रा में पाई जाती है.
मूंग की दाल में पोटैशियम, आयरन, कैल्शियम, मैग्निशियम, कॉपर, राइबोफ्लेविन, फाइबर और फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है और इस दाल की खासियत है कि इसमें कैलोरी की मात्रा एकदम कम होती है.
वात, कफ और पित्त दोष से निजात पाने के लिए मूंग की छिलके वाली दाल को पकाकर इसमें शुद्ध देसी घी से हींग और जीरे का तड़का लगाकर खाना चाहिए. इस तरह से बनाई गई दाल का सेवन करने से आप अपने शरीर के इस त्रिदोष को शांत कर सकते हैं.
गौरतलब है कि मूंग की दाल का सेवन स्वस्थ और बीमार लोग भी कर सकते हैं. इसलिए अगर आप भी वात, पित्त और कफ की समस्या से परेशान हैं तो फिर मूंग की दाल का सेवन करके अपने शरीर को स्वस्थ और निरोगी बना सकते हैं।